Tum jaise gaddaron hi desh bhakt ko gaddar kahte hain raja man singh ke jute ke baraver nahi maharana mewad ke lachhraj or unke pita ji ne khoob mahnat ki hain maharana ka prachar main khoob kahani kisse likhbaye hain farji lekhkon se or khoob paisa khrch kiya hain is liye aam aadmi maharana ko hi Mahan samjhta hain lekin jaipur ka rajpariwar aisa nahi karte hain unko kisi farji lekhak ki jarurat nahi raja man singh ka etihas unke pass rakha hain unko prachar ki jarurat nahi kiyon ki mewad ka lachhraj farji kahani kisse likhwa ker raja man singh ko badnam kerta raha hain jodha ki kahani isi ke eshare per likhi gai jiski kimat lachhraj ne di is se bada gaddar koi nahi jitne bhi bokau kavi hain sab ko paisa deta hain ki hamari Mahanta ke gun Gan karo or jitna bura bola jaye raja man singh ko bura bolo
2:48 @@LalitSinghChundawat-he1hl maharana ne desh dharam ki ladhai nahi ladhi or mughal Raj ek mewad per nahi pure bharat per tha sabhi rajputon main ekta nahi thi jab mughalon ne ghera to ekta yad aai ab kahte hain ki kisi ne sath nahi diya kiya mewad ke rajaon ne raja bharmal ka sath diya tha nahi diya tha ek choti si riyasat ke raja ki madad karni chahiye thi
मेवाड़ के इतिहास में मेवाड़ के राजाओं से ज्यादा दूसरे राजपूतों का योगदान है इतिहास सही से पड़ा नहीं है लगता है 45 ठिकाने राठौड़ के थे 44 ठिकाने 44 ठिकाने चौहान के थे और देवड़ा झाला पवार सोलंकी और भी कही राजपूतों के ठिकाने थे और इन्होंने ही सबसे ज्यादा योगदान दिया है क्रेडिट खुद लेना शिखा है मेवाड़ आज है तो केवल मारवाड़ के राठौड़ की वजह से खाली हवा बाजी से कुछ नहीं होता है सही से इतिहास पढ़ो
@@UrmilaDeviKushwah yah tujhe kisne kah diya ki mugal pure Desh per kagaj the kuchh Bhi mat bol jabardasti ka, Mugal kabhi bhi Uttrakhand aur northeast capture nahin kar paye the to isliye pahle information le liya kar tab bola kar
@@cinephileinsect7718 etihas padhne ki mujhye koi jarurat nahi kiyon ki etihas padha Hua hain etihas tum pado ki mughal Raj pure bharat main tha ki ek mewad main raja man singh ne mughalon ke sath gathbandhan ki sarkar bana ker hindu hindutv hindustan ki rakchha ki agar raja man mughalon ke sath gathbandhan ki sarkar nahi banate te to 100 % bharat main aaj bhi mugal shasan hota aaj jo bharat hain raja man singh ki badolat hain
Tu gaddar Tera bap gaddar Tera pura khandan vansh gaddar videshion ke nich vichar maharana se bada koi gaddar nahi sab kuchh chod ker mughalon ke Der se jangal main chupe gaya
@@HariomAcharya-q3y aaj tum jaipur ke raput ko gulami ki bat kerte ho inhi rajputon ne sanatan dharam or tumhari bahan betiyon ki rakchha ki ye tumhari galti nahi hain jo tumne pada vahi kahte ho or jo tum ne pada hain bo sab mewad ke lachhraj ka likha Hua hain jab inke purvaj jangal main chup ker beith gaye mughalon ke Der se tab raja man singh ne mughalon se gathbandhan ki sarkar bana ker mughalon ko apne adhen kiya tha raja man singh unke adhen kabhi nahi rahye rajsthan ke Surya vanshi maharaja sawai man singh rajput thye koi mamuli aadmi nahi mughal inke nam se hi derte thye jo mugal mandir or rajaon ko loot lete thye unse shara dhan raja man singh cheen lete thye raja man singh afgan kabul gaye vanha ke pathaon per kai track khajana tha jo bharat se loot ker legaye bo shara khajana raja man singh le ker aaye thye kuchh khajana indira gandhi ne bhi loota tha mewad ke eshare per ab mewad ke lachhraj ki yahi jalan hain ki jaipur ka rajpariwar amse ameer kiyon hain inke purvajon ne jangal main chup ker sawabhman bachaya or jaipur ke rajpariwar ne apne pita putra bhai ko khoya hain tab jaker aaj hindu hindutv hindustan or sanatan dharam bacha hain
@UrmilaDeviKushwah अब इतना बड़ा तुम्हारे गुलामी की तारीफ के लिए आर्टिकल मत लिखो... Yeh बात बताओ मानसिंह हल्दीघाटी किसकी इज्जत बचाने, सनातन कों बचाने के लिए आया.... वो to महाराणा प्रताप का के विरोध लड़ने.... पैदा करने की बात कही तूने.. मेरी माँ बाप महाराणा प्रताप के बारे है बताया... जयपुर के राजा जो मुगलो सेवक थे उनके बारे nhi बताया.... पहली बात to yeh वीरता के बात कों तुम्हारे तेरे nhi बताया जाता... वीरता के चर्च अपनें आप है जो जाते हैं.... तुम्हारे प्यारे जयपुर के राजा के बारे मैं देश के किसी कोने पूछना तुम्हारे प्यारे वीरों के बारे कितना बताते मैं भी देखता हु... Ok बड़ी आयी सनातन का ज्ञान देने
ये लक्ष्यराज सिंह ज्ञान दे रहा है खुद दूसरे का हिस्सा खा के बैठा है, खुद को प्रिंस राजकुमार कहता है जबकि इसके पिताश्री महाराणा तो है ही नहीं, महाराणा महेंद्र सिंह जी है और राजकुमार विस्वराज सिंह जी है, आज ये वर्तमान भी कभी इतिहास बनेगा और तुम्हारा नाम भी उसमें दर्ज होगा आज तक लोगों ने देखा कि बड़े भाई ने भाई ने छोटे भाई का सम्मान नहीं किया, उसे उसकी संपत्ति नहीं दी पर तुम पहले आदमी बनोगे जो छोटा होकर भी बड़े भाई की संपति पद प्रतिष्ठा खा गया, वाकपटुता और लच्छेदार भाषा से महाराणा प्रताप के नाम पर अपनी रोटियां सेंक रहे हो, तुम तो कहते हो हम सूर्यवंशी है भगवान राम से अपना नाता जोड़ते होपर उनके जैसे तो काम नहीं है तुम्हारे, राज्य तो भरत जी को भी मिला था पर उन्होंने कभी खुद को राजा नहीं कहा और न ही बड़ा बनने की कोशिश की और चाहते तो तुमसे ज्यादा अच्छे से कर सकते थे ये काम, फालतू की नौटंकी है ये अपने फायदे के लिए लोगों के साथ खेल रहा है, महाराणा प्रताप के वंशज अकेले तुम हो क्या और वैसा भी देखा जाए तो तुम भी पूरे तरीके से उनके वंशज नहीं हो, शायद आपके दादा जी या उनके पिताजी को गोद लिया गया था उस समय के मेवाड़ नरेश के द्वारा संतान न होने के कारण तो जितना तुम बनने कि कोशिश करें हो उतना हो भी नहीं, महलों में रहने से कोई महाराणा नहीं बन जाता, शालीनता होनी चाहिए और महाराणा तो महेंद्र सिंह जी है जो बड़े होने के बाद भी कुछ नहीं किया और चुपचाप है, ज्ञानी अपना ज्ञान बताते नहीं फिरता कि उसे ज्ञान है, महाराणा और राजकुमार बताने की जरूरत तुम्हें पड़ रही है न कि उन्हें 😅
@@MotherlandIndia-i5i Bhai jee aap jo kah rhe hn woh sahi ho sakta hai per aap se nivedan hai vivad paida na ho samaj me ye hamesa koshis kijiyega .🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@@prathvisinghrathore7141 aacha ji…chatrapati shivaji yaad hai kon thy jinhone mughlo se ladai ladi thy, bajirao peshwa yaad hai kon hai,? Ye toh Rajput nhi thy…phle knowledge sahi kro apni…or rajput Hindus nhi h kya? Jb praja se tax lete thy raja toh praja ki raksha b toh unhe hi krni pdegi na…sbi Hindu tax dete thy rajao ko chahe rajput raja ho ya maratha raja ya south k Hindu raja….tumhare anusaar sirf kshatryia hi lade hindu nahi…ye kshatriye hindu janata se tax b lete thy toh ye b yaad rakh….rajya chalane k liye janta tax deti thy jiska use raja defence mei b krta tha jo jarauri tha Uss waqat…hindu janta tax na deti toh ye hindu Rajput maratha koi b raja weapon kaha se laate, army ko maintain kaise kr paate?
@@prathvisinghrathore7141 इसका मतलब मुगलो के साथ देने वाले जर्मनी के लोग थे **😂😂 बताना थोड़ा सा कि मुगलो के खिलाफ गुहिलो, बडगुर्जरो के अलावा और कौन कौन से राजपूत कुल लडे थे **🤔
@@MANISHSHARMA-gc3nu सत्रपती शिवाजी कोन था क्षत्रिय नही तो क्या शुद्ध था राजस्थान से गये महाराष्ट्र और वहा की भाषा जो मराठा कह्ते हे राजपुत ही तो है उत्तर प्रदेश मे ठाकुर नेपाल मे गोरखा रेड्डी नागालैंड मे नागा ये तमाम राजपुत कहे या क्षत्रिय एक ही है
Jagnnath puri mandir ko tutane se bachaya tha pahele jan le vo nahi hote to yaj jagarnath puri ki rath nahi nikal pata or humara 1 tham yaj humare pass na hota 🤫
राजा मानसिंह कच्छवाह ******************* किसी संघर्ष का सामना करने की रणनीति अलग हो सकती है मगर उसके आधार पर किसी महान शासक को जज करना उसे ग़द्दार ठहराया जाना मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है। महाराणा प्रताप की बराबरी भारतीय इतिहास में कोई नहीं कर सकता है । मगर इसके लिए राजा मान सिंह को ग़द्दार कहना नितांत बचपना ही होगा। महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता संघर्ष से हिन्दुआ सूरज की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी तो शिवाजी ने स्वराज की स्थापना से। मानसिंह मुग़ल शासन में ने हिंदू मंदिरों की रक्षा पुनर्निर्माण और संरक्षण जो महान कार्य किया था उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती है। जिन्हें इतिहास की वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। जिन्हें तथ्यों और स्रोतों के आधार पर इतिहास के अध्ययन की समझ नहीं हो वे वाट्सअप यूनिवर्सिटी पर इतिहासकार बनने के बजाय अपनी सातवीं पीढ़ी के पूर्वज का नाम तलाश कर लें तो इतिहास की उनकी समझ बेहतर हो जाएगी। इतिहास के अध्ययन को राजनीति,जाति और नैरेटिव से दूर रखकर उसको पढ़ने का जिम्मा इतिहास के विशेषज्ञों पर छोड़ दे तो एक बेहतर भारत का निर्माण हो सकता है। अस्तु आपकी जानकारी के लिए राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची दे रहा हूँ जिसे पढ़कर इससे बेहतर हिंदू मंदिरों के रक्षक का नाम आप की जानकारी में हो तो बताएँ। राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची- 1.गोविंद देव जी मंदिर, वृंदावन 2.जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर 3.शिला देवी मंदिर, आमेर किला 4.रघुनाथ जी मंदिर, आमेर 5.गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर 6..विष्णु मंदिर, वृंदावन 7.केशव देव मंदिर, मथुरा (पुनर्निर्माण) 8.वराह मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण) 9.रामचंद्र मंदिर, ओरछा 10.बालाजी मंदिर, सालासर 11.सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात 12.काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (समर्थन 13.मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन 14.नीलकंठ महादेव मंदिर, अलवर (पुनर्निर्माण) 15.राम राजा मंदिर, ओरछा (समर्थन) 16.द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात (पुनर्निर्माण) 17.जागेश्वर मंदिरों का समर्थन, उत्तराखंड 18.सूर्य मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर) 19.महादेव मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर) 20.अनंत वासुदेव मंदिर का पुनर्निर्माण, भुवनेश्वर 21.ब्रह्मेश्वर मंदिर, नालंदा (पुनर्निर्माण) 22.श्री मंदाता मंदिर, ओंकारेश्वर (समर्थन) 23.अचलेश्वर महादेव मंदिर, माउंट आबू (पुनर्निर्माण) 24.भांडासर जैन मंदिर, बीकानेर (समर्थन) 25.गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन 26.काल भैरव मंदिर, उज्जैन (समर्थन) 27.श्री शांतिनाथ जैन मंदिर, खजुराहो (समर्थन) 28.शीतला माता मंदिर, आमेर किला 29,बटेश्वर मंदिर परिसर, मुरैना (समर्थन/पुनर्निर्माण) 30.द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा (समर्थन) 31.लक्ष्मीनारायण मंदिर, जयपुर (समर्थन) 32.गुर्जर-प्रतिहार मंदिर, नागदा (पुनर्निर्माण) 33.त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर (समर्थन) 34.भैरव मंदिर, आमेर किला 35.श्री रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर) 36.केदारेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण, केदारनाथ 37.मीरा बाई मंदिर, चित्तौड़गढ़ (समर्थन) 38.ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण/समर्थन) 39.महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन (पुनर्निर्माण) 40.संगमेश्वर महादेव मंदिर, काशी (पुनर्निर्माण/समर्थन) 41.हरिहर मंदिर, उत्तर प्रदेश (पुनर्निर्माण/समर्थन) 42.कुंटेश्वर महादेव मंदिर, कच्छ (समर्थन) 43.द्वारिकाधीश मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात 44.रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर) 45.सास बहू मंदिर, ग्वालियर (समर्थन/पुनर्निर्माण) 46.दधिमति माता मंदिर, नागौर (पुनर्निर्माण) !!धर्म परायण सनातन रक्षक राजा मानसिंह!! @highlight शुभम् भवतु।।
= दुनिया में भारत के आदिवासियों की स्थिति सबसे अच्छी हैं , संसद_ विधानसभा , नौकरियों सब जगह आरक्षण हैं , टाडा_ माडा , शहरिया विकास ...... जैसी कई कई योजनाएं भी उनके लिए हैं ....? राशन, लूनमिर्च, चाय_ शकर,पानी , बिजली , इलाज़, मोबाइल आवास , शिक्षा सबकुछ तो फ्री हैं , .....? आदिवासी तो राजस्थान के मीना , मीणा भी हैं , छत्तीसगढ़, झारखंड में भी हैं ,वे कितने एडवांस , तरक्कियाफता हैं ......? उनको आदर्श मानकर आगे बढ़ो , ज़्यादा से ज़्यादा शिक्षित बनो , तरक्की स्वतः होगी ..... पीछे मत जाओ.... ,सिर्फ आगे बढ़ो ..... आपके नेता , शासक, समाज_ धर्म कार्यकर्ता ही आपको पीछे लेजा रहे हैं , ताकि उनकी मर्जी चलती रहे , वे अपनी राजनीति की रोटी आदिवासियों की आग पर सेकते रहें , बस यही उनका काम हैं ....? जबकि दुनिया कितनी वैज्ञानिक, मॉडर्न हो गई हैं, अंतरिक्ष _ मंगल _ चांद पर घर बना रहीं हैं ......? हिंदू पौराणिक कथाओं, युद्धों की तरह ही अब दुनिया अंतरिक्ष युद्ध लड़ रही हैं ,तो आपके नेता , आपको गुफाओं में धकेल रहे हैं .... तो अब जागो _ चेतो, उसी में भला हैं.....?
@AnandBhil-A1Z tab aap log inke sath thye to achye thye lekin ab matlab nikal gaya ab tum sudra ho inke liye or kuchh nahi in ki swabhiman ki ladhai main hajaron rajput or bheel aadiwashi sahid huye inka malab ye tha ki main to raja hoo main kiyon ladhoo jo meri dadad karega bo marega or vahi Hua
@@Champawat_baisa7773 her inshan swabhimani hota hain koi badi bat nahi jaise raja man singh ne mughalon ke sath gathbandhan ki sarkar sanatan dharam ki rakchha ki kiya ye maharana main etni himmat thi ki kisi mugal ke sath gathbandhan ki sarkar bana ker desh dharam ke liye ladhte apna swabhiman bachane main lage rahye
@@singhbanna6561 agar aaj raja man singh hote to mewad khali ho jata ye bat 100% pakki hain kiyon ki gaddaron ki kami nahi mewad main or raja man singh gaddaron ke Kal thye
महाराणा प्रताप का स्वाभिमान महान हे बुजदिली भी महाराणा का नाम सुन कर दिलेर हो जाता हे महाराणा भगवान हे मान सिंह नहीं अब आप इतिहास बता रहे हो अब 2024 में पर पहले का देखो 1000 साल पहले का डंके की चोट पर कहते हे कि इतिहास महाराणा का रहा हे चाटुकारों का नहीं
Maharana pratap ki ladhai swabhiman ki ladhai thi koi desh dharam or perswarth ki nahi thi Maharana khud mughalon se sidhye Nani ladhye or dusre rajputon ko hi merwate rahye jab bhi mughalon ne hamla kiya derpok jangal main chup ker beith gaye raja man singh ki badolat hi Maharana pratap ka etihas hain Barna etihas ke panne se gayab ho jate
@@SharwansinghDeora-r3d ye log chahte hain ki raja man singh jo bhi kuchh karte maharana ke liye karte or 78 hajar mandir banane bale 77 yoddh jitne Bale mahan yoddh ko gaddar Kahne bale hi sab se bada gaddar hain in ki soch etni Giri hui hain ki mewad ke lachhraj kaviyon ko or dusre nakli lekhkon ko paisa de ker raja man singh ke bare main galat likh bate hain or kaviyon se galat Kavita bulbate hain jab ye aise gire huye nich inshan hain to inke purvaj kaise mahan ho sakte hain chittod garh ka raja chitrangad maurya ek chota raja tha use hata ker khudne chittod garh per kabza ker Liya or akbar se ladhne ki himmat hi nahi hui ki kabhi akbar ko agra main ja ker chelenj dete isse se kai gune or rajput hain jo akbar per sidha hamla kerte thye
@@UrmilaDeviKushwah Teri dikkat samaj sakta hu main 😂 Lekin kya kare man singh ne jo ladai ladi aur jiti vo mughlo ke liye okk Aur jaha tak rahi bat amer ( Jaipur) ki too ye raj parivar mughlo ka bahot bada bootlicker tha unke karan hi mughal Bharat me pair jama paye the 😂 Kachhwaha gaddar hote hai 😂
मुगलों का साथ दिया किसने नहीं ये बता सबने दिया इसलिए तेरे जैसे आज जिंदा बच गए अच्छा हुआ सफेद टोपी पहनने से बच गए हजारों मंदिर बचाने गौ सेवा करने वाले महान राजा मान सिंह आमेर का नाम इतिहास में सबसे ऊपर ह
@@Ak968As ye koi bhi rathor ho matab to sach se hain ab ashli sach suno mugal kal main betiya uthai balatkar huye betiya Bazar main bechi gai kuchh rakheil banai gai to kuchh se bachha paida kiye gaye lootpat ki hajaron joher huye hajaron rajputon ka kattal Hua 36 hajar aam jantta ka kattal mughalon ne kiya tha tab maharana pratap kanha thye mewad kummbal garh chittod garh per hamla kiya mughalon ne do char mughalon ko Mar Marde nahi Mara inke gharloo sambandh rahye mughlon se sainapati mughal dost banaye to mughal bhai banaya to mughal puttra banaya to mughal bo bhi gharon ke Ander ghus ker rahye khna bhi yahi khate thye sab se bade gaddar mewad ke log
भाई साहब कृपया ऐसी बातें ना करें, राजस्थान हमेशा एक था और एकही रहेगा, विभिन्न रियासतों एवं प्रांतो में बंटे हुए स्वतंत्रता से पहले के राजस्थान की सीमाएं भलेही अलग हो, बावजूद उसके वह सब एक थे उन्होंने मिलकर मराठों से लड़ा। मेवाड़ हमारे सबके लिए हमेशा से ही गौरव देने वाला रहा है, हम महाराज कंवर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का बहुत सम्मान करते हैं। जय हिंद जय भारत जयराजपूताना
आदरणीय मनु राव जी आपने जो विषय अभी उठाया है जिसमें आमेर के राजा मानसिंह द्वारा अकबर के लिए अफगानिस्तान की पांच रियासतों रियासतों के विजय अभियान के बारे में बताया गया उन्होंने इस कार्य के लिए अकबर को रजामंदी क्यों दी उन्होंने मेवाड महाराणा प्रताप के विरूध क्यों लड़ाई लड़ी उन्होंने जयपुर में हिंदू मंदिरों का निर्माण कराया यह किस कालखंड की बात है आप इस कालखंड के थोड़ा सा पहले भी जाकर देखिए की अकबर सम्राट मानसिंह के ऊपर इतना विश्वास क्यों करता है उस घटना का भी जिक्र कीजिए जिससे पूरा राजपूत समाज अपने आप को शर्मिंदा महसूस करता है उन्होंने मुगल सम्राट के साथ में रिस्तेदारियां क्यों बनाई क्या इन्ही रिस्तेदारियों के बदले ही उन्हें सेनापति का पद मिला यह अन्य कर्ण की वजह से अकबर के प्रिय बने जयपुर में हिंदू मंदिरों का निर्माण अफगानिस्तान विजय और जयपुर के पचरंगी ध्वज के पहले के कालखंड भी शोध का विषय है आप उसके बारे में शोध करके दर्शको को सही जानकारी दें समझाएं मेरा ऐसा मानना है कि जीवन में व्यक्ति दो ही चीज में राजी होता है ✅ या तो प्रीत से या भय से ✅ इन दोनों चीज की बानगी हमें गौरव चौहान के दोनों ऑडियो से मिल गई है बाकी आप खुद समझदार हैं अब अगला आगे का काम आपका काम है आप उसे करें
गौरव चौहान आपने उसी सम्मेलन में यह भी तो कहा था कि हम पृथ्वीराज के वंशज है फिर आप एक धमकी मात्र से डर गए ,आप जैसे को कवि कहने में भी शर्म आ रही है ,बार बार बयान बदल कर आपने कवि धर्म की धज्जियां ही उड़ा दी --?
जब परिवार की सुरक्षा तक बात आ जाये तो मेरे जैसे साधारण राजपूत जिसे अपने ही राजपूत भाई धमका रहे हों...बचाव करना पड़ता है..देश के करोडों सनातनी मेरे कवि होने पर गर्व करते हैं ये मेरे लिए काफी है,,मैं दो राजपूत घरानों के विवाद में फंस गया जिसमें मेरी ये ज़िम्मेदारी थी कि कोई भी पक्ष नाराज़ न हो क्यों कि दोनों ही पक्ष मेरे अपने है..हम सब एक रहे नेक रहें बस यही कहना है और आप भी मुझसे घृणा न करें मेरे भी कई अच्छे काम है जिन्हें आप देख सुन सकते हैं..बाकी एक ऐसी स्थिति जिसमे मानसिक रूप से टूट चुका व्यक्ति कोई गलती कर बैठे उसको इस तरह से नही आंकना चाहिए जैसे आप कर रहे हैं
लक्ष्यराज जी और शैलेश लोधा बहुत तेज दिमाग के है । उसी दिमाग का प्रयोग उन्होंने किया । 500 साल पहले भी राजनीति हुई और अब भी हो रही है । सवाल ये है की उस समय जो मेवाड़ का नुकसान हुआ क्या वो अब भी अनवरत जारी रहेगा !?
कोई भी राजा अपने राज्य में अनेक कार्य करता ही है चाहे वो मान सिंह जी हो या कोई ओर पर आप सभी अपने दिल पर हाथ रख कर हल्दी घाटी का नजारा देखिएगा जरुर ! इतिहास में जो गलतियां हुई है उसे छुपाना या नकारना ग़लत है अगर उन गलतियों को स्वीकार कर हम आगे बढ़ेंगे तो जरुर राजपुताने की एकता पुनः कायम होगी हम एक दूसरे के सहयोगी बन ये प्रण ले सकते है कि ऐसी गलतियां इस युग मे ना दोहराई जाए और राजपूताना पुनः कायम हो! बाकी मेवाड़ का एक एक व्यक्ति हल्दी घाटी मामले में मेवाड़ के साथ खड़ा है और एकता कायम हो तो मेवाड़ संपूर्ण राजपुताने के लिए खड़ा है क्युकी मेवाड़ ने राणा सांगा जैसे पुरुषों को भी जन्म दिया है जो पूरे राजपुताने को एक झंडे के नीचे लाय थे जय मेवाड़ जय राजपुताना
Jaipur ke rajgharane per hako garrav hain ki desh dharam ko sarbopari rakha aadi anadi Kal se hamare purrvaj desh dharam ki seva kerte aaye hain or aaj bhi desh dharam ki seva ker rahye hain or khisiyani billi bille khamba nauch main lage hain khoob naucho surya vanshi kshatriyon ke bane khambe pure bharat main hain jitne nauch sako to naucho or paisa se Gaurav or kumar vishwas ko khrid Liya hain koi bat nahi bikau kutte ka kam hain bhaukna or paise se hi farji dairi likh ker sab ko banta hain lachhraj ki ye lo man singh rajput ka etihas pado or jodha ki kahni bhi lachhraj ke pita ne hi likh bai thi paisa de ker
मुगलों के गुलाम कल भी हमारी ठोकरों पर थे... आज भी है... और कल भी रहेंगे... सुन लो मुगल गुलामों के पैरोकारों...!!! आओ फिर से हल्दीघाटी-दिवेर का मैदान सजा है...। समूचा मेवाड़ महाराणा प्रताप के महान वंशज युवराज लक्ष्यराज सिंहजी मेवाड़ के साथ मजबूती से खड़ा है... जय महाराणा प्रताप... जय मेवाड
Chup ho ja inko rajniti me ana tha or Diya kumary ne विश्वराज सिंह जी को ले आए और इसका गुस्सा आ रहा है न इनको इसलिए बदला लेना है ना 😂😂😂😂😂😂 अब और कुछ बोलूंगा तो विवाद हो जायेगा
मेवाड की आन बान और शान पर हमे गर्व है। दूसरे लोग इसे अन्यथा न लें। हर शासक अपने हितो को मध्य नजर रखते हुए निर्णय लेता है। किंतु मेवाड के शासको😂ने राज 😂धर्म को आगे रख निर्णय लिया करते थे इसलिए महान हुए।
बिल्कुल चौहान सहाब मै आपकी इन लाईनो की निंदा करता हू आपका इतिहास का ज्ञान अधुरा है निश्चित महाराणा प्रताप वीर शिरोमणी थे मगर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हर राजपूत ने अपना बलिदान किया है चाहे महाराज मानसिंह ही हो उन्होंकी वजह से आज दुढाड , मे हिन्दू लहलहा रहे है मै समस्त राजपूतों को आभारी हू आपके बलिदान से हमारा सनातन जिंदा है ।
@@g.psharma9364 mewad ke lachhraj nahi chahte ki raja man singh ka ashli etihas sab ko Pata chale or jo bhi etihas ab tak log jante hain bo inka hi jhunth phaila Hua hain farji kitab likh bai hain paisa de ker jodh ki kahani bhi inke eshare per likhi gai thi koi samjh nahi saka ham etihas karo ko bam panthi kahte rahye inke purvajon ke eshare per hi dusre rajputon ko samman nahi mila etihaskaron ne total etihas galat likha to inko kaise chod diya paisa diya hoga etihas Karon ko tabhi inka etihas bada chada ker likh Hua hain or kuchh khud sudharne main lage hain janha kahi yodh hare vaha raja man singh ko Doshi bata diya janha joher huye vanha paristhiti kuch or thi khilji padmini ke mahal main ghus aaya or bo jinda nikal gaya iska jimmedar koin tha or ek Shakti singh ki or ek maharana ki beti ko mughal utha le gaye maharana bone bane rahye is se Shakti naraj ho ker mughalon ke sath chala gaya tha or apna etihas sudharo or dusron ka vigado ye nahi chalga ham bhi 20 shal se etihas pad rahye hain mewad ke etihas main 50% ka sudhar hua hain
कितनी पढाई की है तुमने अपना ज्ञान बढ़ाओ और इतिहास को विस्तार से अलग अलग किताबें लेकर पढ़ो खैर मानसिंह का चरित्र सुमित्रानंद पंत के उपन्यास से पढ़ सकते हैं मैं एक कट्टर खानदानी सनातनी ब्राह्मण हूं राजपूत नहीं इसलिए ठाकुरो के मामले से मेरी कोई निजी दुश्मनी भी नहीं हो सकती है इसलिए मैं जो सत्य है वो बताऊंगी आपका आदर्श मानसिंह अपनी बेटी मां और मातृभूमि को मुगलों के यहां कोठे पर बेचकर खुद कोठे का दल्ला बना हुआ था और महाराणा प्रताप न सिर्फ एक अपनी मां मातृभूमि और धर्म के रक्षक योद्धा थे अपितु एक ऋषि भी थे जो राजमहल और जंगल दोनो में एक समान थे महाराणा प्रताप के जो पशु थे वो भी मातृभूमि के रक्षक और स्वाभिमानी थे और मानसिंह पशु से भी बद्तर था इसलिए आज हाथी घोड़ों के वंश भी पूजनीय हैं और मानसिंह के वसज सिर्फ 100% गंदा खून जो जब तक धरती रहेगी देश और समाज के लिए गद्दारी के वे मूर्तिमान प्रतीक रहेंगे आज भी इनका काम सिर्फ राजनीति या किसी भी मीडियम से देश को लूटना है धर्म, मर्यादा और इज्जत से तो इनका रिश्ता मानसिंह के समय से ही ख़तम है इसलिए ही भारत की संस्कृति में बिना विचारे कोई भी काम न करने को कहा जाता है क्योंकि मानसिंह की तरह धरती के अंत तक गाली खानी पड़ती है क्योंकि भारत में चरित्र की पूजा होती है रुपए की नहीं वरना कोठे वालिओ की सदियो से लोग आरती करते और झोपड़ी में रहने वाली माता शबरी को गाली देते रुपे एक बार गए तो फिर आते हैं लेकिन चरित्र गया तो साथ सृष्टि के अंत तक वापस लौटकर नहीं आता मानसिंह और महाराणा प्रताप की वंशावली इसकी जबरदस्त मिसाल है
@@aakankshachauve ye alag alqg kitab ho sakti hain etihas nahi or jo kitab likhi gai hain raja man singh ke bare main bo bhi lachhraj kekahne per likhi gai hain or in kitabon ki kimat bhi di hogi lachhraj ne or thoda Sambhal ker rahna kahi tumhara bap tumko na bech de jo dusron ko giyan de rahi ho pahle tum ashli etihas padhle maharana ke kale andhyre se baher nikal maharana ek derpok tha usi Der ka nam swabhimani yodha hain mughal swabhiman se nahi hare mughalon ko raja man singh ne haraya mughalon ke sath gathbandhan ki sarkar bana ker mughalon ko apne joote ki nauk per rakha tha kiya thi maharana main etni himmat mughalon ne mewad se kumbhal garh chittod garh se Khadeda or jangal main chupne gaya maharana ne ek swabhiman ke alawa or kuchh bachaya ho to bata or raja man ne pure bhart ke mandiron ki rakchha ki thi or 90% mandir raja man singh ne hi banbaye thye or vihar bangal madhya pradesh utter pradesh alwar rajsthan Gujrat Kabul afgan ke pathan mughalon ko haraya 77 yodh jitne Bale mahan yoddh hindu hindutv sanatan dharam rakschhak raghu kul tilak maharaja Sawai man singh rajput hi hain or koi nahi
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अगर भारत के इतिहास से मेवाड़ का इतिहास हटा दिया जाए तो क्या बचेगा फिर अगर महाराणा प्रताप से मानसिंह महान लगता है तो क्या बात है आज कल की राजनीति यही है
महाराणा प्रताप एक हिंदुत्ववादी राजा थे.... मानसिंह तो अकबर का गुलाम था.. महाराणा प्रताप ने कभी स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया....महाराणा प्रताप के सामने मानसिंह विधर्मी था... हैं और रहेगा.... क्योंकि उन्होंने सनातन धर्म का साथ छोड़कर एक मुगलिया ध्वज के साथ हाथ मिलाया था...जय महाराणा प्रताप....
भारत के प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद जी के पुत्र राजीव नयन प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक राजा मान सिंह आमेर में पृष्ठ संख्या 33पर लिखा है कि जयपुर के महान राजा भारमल कच्छवाहा ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर मुगल से करके स्वयं ऊंचा मनसब पाया ,,और अपनी इज्जत बेचकर घाघरे देकर अपनी भाइयों लडको पोत्रो को भी मुगल दरबार में ऊंचा मनसब इनाम इकराम नौकरी चाकरी दिलाया,,,गजब का चतुर सौदेबाज भारमल ,भगवंतदास और मान सिंह आमेर महान
Itihas Dobara Padhiyega Hukam.....Aadhar Gyan Barbaad Kar Deta Hai Samaj Ko... Maan Singh Ji Rajput He The N...Or Ek Rajput Kabhi Esa Kaam Nahi Kar Sakta... Apni Putri Bata K Daasi K Sath Akbar Ka Vivah Karaya Tha... Aaj Bhi Maharana Bhupal Nobles Udaipur College Me Wo Itihas Ki Kitab Mil Jayegi Aapko...
@@bhanwarsingh7346 Ghanta mera mewar raj parivar ko chhod kar baki sabhi Raj parivar mughlo ke sath roti beti ke sambandh me the Ye bat cornel james tod, gauri shankar ojha , jaise historian ne apni book me sabit kar ke dikhai hai 😂
आज के समय में जों क्षत्रिय भाजपा में हें और जो कांग्रेस में एवं अन्य पार्टियों में है उनमें से कोन गद्दार है और कोन देशभक्त। समय और परिस्थितियां सबसे महत्वपूर्ण होती है। लक्ष्यराजसिंह जी ने खुद कहा है कि मेवाड़ हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है। काल समय परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेना पड़ता है भविष्य में सब अपने अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं 🙏🚩 जय श्री राम 🙏🚩
तथाकथित महान राजा मान सिंह आमेर पर इस्लामिक प्रभाव,स्वार्थी व्यवहार और राणा प्रताप का साहस।। 1630ई में इतिहासकार मुहनोत नैनसी की लेखनी जुबानी से💐🌸 जोधपुर राणा प्रताप राणा उदयसिंह का - सोनगिरा अखैराज का दोहिता, सं. 1596 ज्येष्ठ सुदी 3 रविवार को जन्मा था। कछवाह मानसिंह को कुंवर पदे में अकबर बादशाह ने गुजरात भेजा तब चित्तौड़पति राणा प्रताप ने सोनगिरे मानसिंह अखैराजोत और डोडिये भीम सांडावत को उसके पास भेज बहुत कुछ शिष्टाचार दिखलाया था। जब लौटता हुआ मानसिंह डूंगरपुर आया तो वहाँ रावल सहसमल ने उसका अतिथि सत्कार किया । वहाँ से सलूम्बर पहुँचा जहां रावत रत्नसिंह के पुत्र रावत खंगार ने मेहमानदारी की। राणाजी उस वक़्त गोगुन्दे में थे। रावत खंगार (चूंडावत) ने कुंवर मानसिंह की सब रीति भांति और रहन सहन का निरीक्षण कर जाना कि इसकी प्रकृति एक ही प्रकार की (अर्थात् यवनों या मुस्लिमों से मिलती जुलती, बन्धन रहित व स्वार्थी है क्योंकि कई दशकों तक इस परिवार ने मुगलों की सेवा की) है, तब रावत ने राणाजी को कहलाया कि यह मनुष्य अर्थात मान सिंह आमेर मिलने के योग नहीं है, परन्तु राणा ने उसकी बात न मानी। गोगुन्दे आकर (उदयपुर के पास) मानसिंह से मिले और उसे भोजन दिया। जीमने के समय विरस हुआ' । प्रसिद्ध है कि भोजन के समय राणा नहीं आया मानसिंह ने कारण पूछा तो राणा के सरदार ने पहले तो कहा कि कुछ तबियत ठीक नहीं है, परन्तु जब मानसिंह ने ताने व क्रोध के साथ कुछ शब्द कहे तो उत्तर मिला कि तुर्कों को बहन बेटियां ब्याहने वाले के साथ राणाजी भोजन नहीं कर सकते। इस पर बिना जीमे ही मानसिंह उठकर चला गया और वह रसोई कुत्तों को खिला दी गई। स्पष्ट है कि मंदिर तो वैश्याए, गणिकाए भी बनातती आई है,लेकिन उन मंदिरों की रक्षा भुजाओं के बल पर करने वाले ही सच्चे क्षत्रिय होते है।मान सिंह आमेर के बनाए सभी मंदिरों को जहांगीर ने उस मान सिंह के आंखों के सामने तुड़वा दिया,लेकिन तथाकथित मान सिंह आमेर महान कुछ नहीं कर पाया जय जय प्रताप हिंदुआ सूरज जय मेवाड़ 🌹💐🌸 मुहनोत नैनसी की ख्यात, पृष्ट संख्या91
झूठ झूठ झूठ 300 साल बाद लिखा गया इतिहास गलत गलत गलत राजा मान सिंह आमेर की मृत्यु के 70 साल बाद लिखे शिलालेख में ऐसा कुछ नहीं लिखा ये मुलाकात शिष्टाचार पूर्वक हुई सब झूठ
जो फेसबुकिया , व्हाट्सएपिया उपदेशक है वो ही कविताओं को सच मानते है। इन्हें सही रह की जरूरत है। इतिहास का इ पता नहीं ज्ञान देने आ जाते है। मानसिंह और उसके परिवार के साथ उस समय देश काल परिस्थिति भिन्न थी और प्रताप ओर उसके परिवार के साथ अलग..... दोनों अपनी अपनी जगह सही थे। और हां एक बात और प्रताप , मुगलों के विरूद्ध लड़ने वाले न तो पहले थे और न आखिरी ... उनसे पहले भी बहुतों ने विरोध किया और बाद भी ... बस कुछ का इतिहास दबा दिया गया... कुछ का सिर्फ नाम मात्र का बचा है जैसे बांसवाड़ा के राजा का, मारवाड़ का चंद्रसेन और भी बहुत नाम है। नोट - कविता को सिर्फ कविता रहने दे इतिहास न बनाएं क्योंकि कविता कल्पनाओं के सृजन से बनी होती हैं।
में मेवाड़ का निवासी हु और मुझे गर्व हे कि शौर्य और बलिदान की इस भूमि पर मुझे जन्म लेने का अवसर मिला मेवाड़ महान था महान हे महान ही रहेगा कवि हो कविता पाठ कर रहे हे उसमें सच्चाई हे,लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी होता हे,ओर वह यह हे कि मानसिंह के अकबर के सेनापति रहते हुए कई हिन्दू मंदिरों को तोड़ने से बचाया साथ ही कई नए मंदिर भी बनवाए । महाराणा प्रताप जी और मानसिंह दोनो सनातन के रस्ते पर थे एक स्वाधीन रह कर संघर्ष कर रहे थे तो मानसिंह पराधीन रह कर
अकबर के सेनापति होने के बावजूद उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा की सेकडो मंदिर बनाए उनके एक भी मंदिर को अकबर तोड़ नहीं पाया जोधा नाम की राजकुमारी जयपुर के इतिहास में कभी पैदा हुई ही नहीं
आज भी मान सिंह का प्रभाव जिन्दा है कुल मिला कर देशभक्ति को ऊस समय भी लोहा लिया है तकलीफें झेली है आज भी जब समय ही निकल गया तब भी जिन्दा है इतिहास बन गया तब उन घटनाओं से शबक लेते हुए सनातन धर्म व संस्कृति के लिए एक रहना चाहिए
आमेर कच्छवाहा राजा मान सिंह का काका अर्थात् चाचा जगन्नाथ कच्छवाहा का मेवाड़ में मांडल स्थित मुगल शैली में निर्मित मृत्य स्मारक दर्शाता है कि इसने जीवन भर मुगलों के तलवे चाटे.…1576ई की हल्दीघाटी की लड़ाई में इसने तीनों तोमर वीरों को मारा,,दादा रामशाह और उनके पुत्र व पौत्र को मारा...फिर ये कलंकित व्यक्ति जीवन भर मेवाड़ के पुर मांडल परगने में पड़ा रहा हो और महाराणा प्रताप से निरंतर लड़ता रहा ....इसकी इच्छा थी कि मेवाड़ राज्य पर भी इसका या कच्चवाहो या मुगलों का अधिकार हो जाए,,....इसने शक्तवात भाइयों को भी युद्ध में मारा,,सलीम ,परवेज,महाबत खां के साथ रहकर मेवाड़ पर इसने निरंतर आक्रमण किए...पूरी जवानी बुढ़ापा यही मेवाड़ में पड़ा रहा..मैनाल की लड़ाई में भी मुगलों की ओर से मेवाड़ी सेना व नरसिंग दास जी शक्तावत से लडा... शक्तावत सिसोदिया सरदारों ने और महाराणा ने अपने बलिदानों का बदला लिया और इसको बाद में मृत्यु के घाट उतारा.....जो ये कहते हैं कि मान सिंह आमेर का चरित्र कैसा था वो ये देखे कि उसका काका और इन कच्चवाहों की तत्कालीन सेना यहां 1576से लेकर 1613तक निरंतर मेवाड़ में कुछ समय को छोड़कर पड़ी रही,,संभवत महान हिन्दू सम्राट मान सिंह टोंक टोडा के सोलंकी राज्य व यूपी के भदौरिया राज्य की तरह मेवाड़ के इस सिसोदिया गुहिलोत राज्य को भी नष्ट कर के मुगल साम्राज्य की सीमाओं को बढ़ाना चाहता था..मान सिंह व जगन्नाथ कच्छवाहा के साथ साथ नाथजी (नाथावत कच्चवाहों का मूल पुरुष )और खंगार (खंगारोत कच्छवाहा का मूल पूर्वज पुरुष)भी यहां मांडल पुर में पड़े पड़े मेवाड़ पर मुगल आक्रमण के मुख्य प्रतिनिधि रहे तब मांडल के युद्ध में मेवाड़ के आक्रमण में मान सिंह आमेर को छोड़कर ये तीनो यही मुगलों के लिए लड़कर मेवाड़ी वीरों द्वारा मारे गए..…आमेर का मान सिंह खलनायक 🙈🦅
समय समय की बात है वर्तमान में मानसिंह जी की वंशज दिया कुमारी जी,ने मेवाड़ राजघराने एक ही घर के विश्वराज सिंह जी कोनाथद्वारा सेऔरमहिमा कुमारीजी,को,सांसद का टिकट दिलाने में सहयोग किया उन दोनों जयपुर और उदयपुर राज परिवार में, कोई कटुता,नही है मां सिंह जी के बाद मेवाड़ और जयपुर राज परिवार में आपस में शादी ब्याह हुए हैं दिया कुमारी जी ने मेवाड़ राज परिवार का बहुत बड़ा सहयोग किया है
Virender Singh Ji ki baat hume bilkul sahi lagi ki us bin pende ke kavi se kahi jyada galti laksyraj singh ji ki thi jo rajput hone ke baad bhi itihas ki sahi Jan kari nahi hone wali harkat kari or rajput Ekta ko thod ne ka kam kiya h Rajput ko apsa me ladwane wali gatiya harkat ki h in hone hum un se ye umid nahi karte the
भाई माना कि मानसिंह ने मुगलों की सेवा की लेकिन मानसिंह एक वीर योद्धा थे हा अगर मानसिंह ओर प्रताप साथ होते तो राजस्थान पर कोई भी आंख नहीं उठा सकता था ऐसे योद्धाओं को बेजती नहीं करनी चाहिए जिनसे भारत के हर जगह को जीत मुंगल को दिया
मानसिंह ने जोकुछ किया वह देश काल की परिस्थित के अनुसार किया किन्तु वर्तमान परिस्थित मे राजपूतों मे फूटलाना काम गौरव चौहान ने कुछ पैसौ पर बिककर किया है किसी राजपूत के पुरखों पर भद्दी टिप्पणी कर निंदनीय कार्य किया ।क्या और राजपूतों ने गद्दारी नही की अमर सिंह ने भी तो जहांगीर की आधीनता स्वीकार की
इस विषय को इतना तुल नहीं देना चाहिए ।कवि कविता के लिए स्वतंत्र होते हैं महाराणा प्रताप की बराबरी मान सिंह से नहीं हो सकती वो अकबर के अधीन थे देश का हिन्दू समाज मान सिंह को अपना आदर्श नहीं मान सकता जो अधीन होता है उसकी चलती भी नहीं है।जब जयमल जी ने चित्तौड़ में वीरगति पाईं तब अकबर ने कत्ले-आम का आदेश दिया तो निर्दोष तीस हजार नर नारी कत्ल किये उस समय अकबर की सेना के राजपूत क्या कर रहे थे ? दुसरी बात ओरंगज ने राठौङो राजकुमारी चंचलकुवरी से विवाह करने आ रहा तब एक भी राठौङ और कछावा बचाने नहीं आया मेवाङ के महाराणा राजसिह ने अपने अनमोल रत्न सलूम्बर सरदार और हाड़ी रानी को खोकर रक्षा की ।अगर किसीने भी विदेशीयों की जङे जमाने का काम किया है तो वह महानता नहीं हो सकती महानता महाराणा के पक्ष में लङने वालों की है ।इसलिए महाराणा की तरफ से बलिदान हुए उनको शत् शत् नमन् और अकबर की सेना में हिन्दू मरे उनके लिए कोई नमन् नहीं ।
हमारे पूर्वजों ने देश विदेश में झंडे गाड़े सीमित नहीं रहे कच्छावों ने बप्पा रावल , खानवा का युद्ध में मेवाड़ का साथ दिया इसी मान सिंह ने महाराणा को जीवन दान दिया पीछा न करके इसी मान सिंह ने बंगाल से काबुल तक मथुरा से जगन्नाथ पूरी तक धर्म ध्वजा को फ़ैराया
👉 दोस्तों इतिहास की सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता है। परन्तु इस दौर में विदेशी आक्रांताओं का साथ देने वालों को महान और आन बान और शान के लिए बलिदान देने वालों को कायर बताने का सिलसिला जारी है।
महाराजा मानसिंह एक महान योद्धा थे उनहोने अफगानिस्तान को हराया और लूटा और आमेर के खजाने को मालामाल कर दिया अकबर को एक छदाम भी लूट का नही दिया अकबर भी मानसिंह से डरता था अकबर मन महशोश कर रह गया । लूट का धन बादशाह के सामने समर्पित करने की परमपरा थी जिसे मान सिह ने तोडा ।मान सिह ने हिन्दू और हिन्दुत्व की रक्षा की
जिनके बाप दादाओं ने स्कूल का मुंह नहीं देखा वो व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का ज्ञान पेल रहे है, इतिहास की किताबें पढ़ो, मान सिंह द्वारा बनाए गए बनारस के घाटों पर आज भी ये अपने बाप दादाओं का तर्पण करने जाते है
मेवाड़ के लोग अगर जयपुर पर गलत टिप्पणी करेंगे और कहेंगे कि मानसिंह की हरकतों पर शर्मिन्दा हैं, तो हम मेवाड़ के लोगों से ये कहेंगे कि मेवाड़ के लोग ये जानें कि 1818 में मेवाड़ और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई संधि क्या थी और इस संधि पर किसको शर्मिंदा होना चाहिए ?
यह लोग पहले भी राजपूत के साथ राजनीति खेल के राजपूतों को लड़ाई और अलग अलग किया और अभी यह लोग ऐसा ही कर रहे हैं राजपूत एकता बनाकर रहो ऐसे लोगों के भेकावे में मत आओ ✅☝️💯जय राजपुताना जय भवानी 🙏🚩💪⚔️
@@girishsanadhya5608 aur rana amar singh ko kya kahoge jisne shahjahan se sandhi kari thi Isme koi shak ki baat nahi ki maharana pratap veer the lekin unki veerta ko batane ke liye man singh ka apman jaruri tha Kya ? Ye sab lakshyaraj singh ji ka kaam hai ye sab diya kumari ko nicha dikhane ke ho raha hai Ye rajput ekta ko todne ki rajniti ho rahi hai🤔😥😥
ये जो मन सिंह जी को दी जाने वाली गालियों पर तालियां बजा रहे हैं, यही सोनिया गांधी की पार्टी वो वोट देकर संविधान बचा रहे हैं, पर गलत मान सिंह जी ही थे, बस.
दम तो पता चल जाता हुकम किसने कितना दम है बड़ी बड़ी बाते करने से कुछ नहीं हो जाता मेवाड़ को बाकी राजपूत लोगों ने साथ नहीं दिया होता 45 ठिकाने राठौड़ के लड़े 44 ठिकाने चौहान के लड़े झाला पवार सोलंकी और भी कही राजपूतों ने मेवाड़ के लिए युद्ध किया है और आज पूरा क्रेडिट मेवाड़ ले कर बैठा है आज मेवाड़ है तो खाली मारवाड़ के राठौड़ की वजह से सही से इतिहास पढ़ो खाली कितने युद्ध लड़े वो मत देखो किसने लड़े है मेवाड़ के लिए वो देखो
इतिहास को भावुकता से नहीं पढ़ना चाहिए, उस से पढ़के सीखना चाहिए, वो एक ऐसा समय था जब सही गलत का निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं थे, जिसके हाथ मे शक्ति थी उसने राज किया, अब राज करने वाला खराब था या अच्छा था जैसा भी था, उस समय के हिसाब से आज का दृष्टिकोण बिलकुल फिट नहीं बैठ सकता, इतिहास मे क्या हुआ और क्यु हुआ इसका सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है किसी लेखक की लेखनी पढ़कर किसी को ईमानदार या गद्दार नहीं कहा जा सकता. क्युकी राजस्थान के वीर योद्धाओ की जब बात होती है तो हिंदी विषय मे राजस्थानी वीरों के इतिहास मे एक अलंकार विशेष रूप से हर जगह लगाया जाता है और वो है अतिश्योक्ति अलंकार, 😮 सब कुछ thik वैसा नहीं हो सकता जैसा बताया गया है, बस अनुमान लगाइये
और एक बात तो है मंच पर अब कोई सच्चा कवि नहीं रहा, कहा गया वो जोश, वो गुस्सा जो मानसिंह के लिए था! और कहा गयी वो कृतज्ञता जो आप अपनी कविता मे महाराणा प्रताप हेतु बड़े भावुक होके प्रकट कर रहे थे कवि महोदय, ऐसे ढोंगी कवि को कभी कोई मंच उपलब्ध न कराये, कवि जो लिखता है ना वो उसे जीता है, काव्यमंच की मर्यादा को तार तार करने वाले झूठे व्यक्ति अपनी बात पे कायम नहीं यहा सका
कितनी ही सफाई दो परन्तु महाराणा प्रताप की बराबरी ,मानसिंह कभी नहीं कर सकता। राजपूत महाराणा प्रताप को आदर्श मानते है नकल मानसिंह को।
Tum jaise gaddaron hi desh bhakt ko gaddar kahte hain raja man singh ke jute ke baraver nahi maharana mewad ke lachhraj or unke pita ji ne khoob mahnat ki hain maharana ka prachar main khoob kahani kisse likhbaye hain farji lekhkon se or khoob paisa khrch kiya hain is liye aam aadmi maharana ko hi Mahan samjhta hain lekin jaipur ka rajpariwar aisa nahi karte hain unko kisi farji lekhak ki jarurat nahi raja man singh ka etihas unke pass rakha hain unko prachar ki jarurat nahi kiyon ki mewad ka lachhraj farji kahani kisse likhwa ker raja man singh ko badnam kerta raha hain jodha ki kahani isi ke eshare per likhi gai jiski kimat lachhraj ne di is se bada gaddar koi nahi jitne bhi bokau kavi hain sab ko paisa deta hain ki hamari Mahanta ke gun Gan karo or jitna bura bola jaye raja man singh ko bura bolo
मेवाड़ के इतिहास में किसी का सहभागी नही होने पर मेवाड़ वासियो का दर्द छलकनालाजमी है। जय मेवाड़
2:48 @@LalitSinghChundawat-he1hl maharana ne desh dharam ki ladhai nahi ladhi or mughal Raj ek mewad per nahi pure bharat per tha sabhi rajputon main ekta nahi thi jab mughalon ne ghera to ekta yad aai ab kahte hain ki kisi ne sath nahi diya kiya mewad ke rajaon ne raja bharmal ka sath diya tha nahi diya tha ek choti si riyasat ke raja ki madad karni chahiye thi
मेवाड़ के इतिहास में मेवाड़ के राजाओं से ज्यादा दूसरे राजपूतों का योगदान है इतिहास सही से पड़ा नहीं है लगता है 45 ठिकाने राठौड़ के थे 44 ठिकाने 44 ठिकाने चौहान के थे और देवड़ा झाला पवार सोलंकी और भी कही राजपूतों के ठिकाने थे और इन्होंने ही सबसे ज्यादा योगदान दिया है क्रेडिट खुद लेना शिखा है मेवाड़ आज है तो केवल मारवाड़ के राठौड़ की वजह से खाली हवा बाजी से कुछ नहीं होता है सही से इतिहास पढ़ो
@@UrmilaDeviKushwahBantoge toh katoge .
@@UrmilaDeviKushwah yah tujhe kisne kah diya ki mugal pure Desh per kagaj the kuchh Bhi mat bol jabardasti ka,
Mugal kabhi bhi Uttrakhand aur northeast capture nahin kar paye the to isliye pahle information le liya kar tab bola kar
@@cinephileinsect7718 etihas padhne ki mujhye koi jarurat nahi kiyon ki etihas padha Hua hain etihas tum pado ki mughal Raj pure bharat main tha ki ek mewad main raja man singh ne mughalon ke sath gathbandhan ki sarkar bana ker hindu hindutv hindustan ki rakchha ki agar raja man mughalon ke sath gathbandhan ki sarkar nahi banate te to 100 % bharat main aaj bhi mugal shasan hota aaj jo bharat hain raja man singh ki badolat hain
जयपुर नें आज तक गुलामी के अलावा कुछ nhi किया.. मुगलो, अंगैरज की... फिर नेहरू...
Tu gaddar Tera bap gaddar Tera pura khandan vansh gaddar videshion ke nich vichar maharana se bada koi gaddar nahi sab kuchh chod ker mughalon ke Der se jangal main chupe gaya
@@HariomAcharya-q3y aaj tum jaipur ke raput ko gulami ki bat kerte ho inhi rajputon ne sanatan dharam or tumhari bahan betiyon ki rakchha ki ye tumhari galti nahi hain jo tumne pada vahi kahte ho or jo tum ne pada hain bo sab mewad ke lachhraj ka likha Hua hain jab inke purvaj jangal main chup ker beith gaye mughalon ke Der se tab raja man singh ne mughalon se gathbandhan ki sarkar bana ker mughalon ko apne adhen kiya tha raja man singh unke adhen kabhi nahi rahye rajsthan ke Surya vanshi maharaja sawai man singh rajput thye koi mamuli aadmi nahi mughal inke nam se hi derte thye jo mugal mandir or rajaon ko loot lete thye unse shara dhan raja man singh cheen lete thye raja man singh afgan kabul gaye vanha ke pathaon per kai track khajana tha jo bharat se loot ker legaye bo shara khajana raja man singh le ker aaye thye kuchh khajana indira gandhi ne bhi loota tha mewad ke eshare per ab mewad ke lachhraj ki yahi jalan hain ki jaipur ka rajpariwar amse ameer kiyon hain inke purvajon ne jangal main chup ker sawabhman bachaya or jaipur ke rajpariwar ne apne pita putra bhai ko khoya hain tab jaker aaj hindu hindutv hindustan or sanatan dharam bacha hain
@UrmilaDeviKushwah अब इतना बड़ा तुम्हारे गुलामी की तारीफ के लिए आर्टिकल मत लिखो... Yeh बात बताओ मानसिंह हल्दीघाटी किसकी इज्जत बचाने, सनातन कों बचाने के लिए आया.... वो to महाराणा प्रताप का के विरोध लड़ने....
पैदा करने की बात कही तूने.. मेरी माँ बाप महाराणा प्रताप के बारे है बताया... जयपुर के राजा जो मुगलो सेवक थे उनके बारे nhi बताया.... पहली बात to yeh वीरता के बात कों तुम्हारे तेरे nhi बताया जाता... वीरता के चर्च अपनें आप है जो जाते हैं.... तुम्हारे प्यारे जयपुर के राजा के बारे मैं देश के किसी कोने पूछना तुम्हारे प्यारे वीरों के बारे कितना बताते मैं भी देखता हु... Ok बड़ी आयी सनातन का ज्ञान देने
@UrmilaDeviKushwah sorry डिअर मैं इतना फालतू तेरी बातो कों nhi paduga ok
@UrmilaDeviKushwah एक काम करना गुलामी के औऱ किस्से कों aise है लिखना
मक्की छोड़ ने बाजरो खानो मेवाड छोड़ ने कटे नि जानो
जय एकलिंग नाथ की
वीर कल्ला जी राठौड़ वीर जयमलजी राठौड़ ऐसे बहुत वीर राजपूतों ने महाराणा प्रताप सिंह जी के लिए अपने प्राण तक दे दिया जय माँ भवानी जय राजपूताना🙏🙏 🚩🚩
ये लक्ष्यराज सिंह ज्ञान दे रहा है खुद दूसरे का हिस्सा खा के बैठा है, खुद को प्रिंस राजकुमार कहता है जबकि इसके पिताश्री महाराणा तो है ही नहीं, महाराणा महेंद्र सिंह जी है और राजकुमार विस्वराज सिंह जी है, आज ये वर्तमान भी कभी इतिहास बनेगा और तुम्हारा नाम भी उसमें दर्ज होगा आज तक लोगों ने देखा कि बड़े भाई ने भाई ने छोटे भाई का सम्मान नहीं किया, उसे उसकी संपत्ति नहीं दी पर तुम पहले आदमी बनोगे जो छोटा होकर भी बड़े भाई की संपति पद प्रतिष्ठा खा गया, वाकपटुता और लच्छेदार भाषा से महाराणा प्रताप के नाम पर अपनी रोटियां सेंक रहे हो, तुम तो कहते हो हम सूर्यवंशी है भगवान राम से अपना नाता जोड़ते होपर उनके जैसे तो काम नहीं है तुम्हारे, राज्य तो भरत जी को भी मिला था पर उन्होंने कभी खुद को राजा नहीं कहा और न ही बड़ा बनने की कोशिश की और चाहते तो तुमसे ज्यादा अच्छे से कर सकते थे ये काम, फालतू की नौटंकी है ये अपने फायदे के लिए लोगों के साथ खेल रहा है, महाराणा प्रताप के वंशज अकेले तुम हो क्या और वैसा भी देखा जाए तो तुम भी पूरे तरीके से उनके वंशज नहीं हो, शायद आपके दादा जी या उनके पिताजी को गोद लिया गया था उस समय के मेवाड़ नरेश के द्वारा संतान न होने के कारण तो जितना तुम बनने कि कोशिश करें हो उतना हो भी नहीं, महलों में रहने से कोई महाराणा नहीं बन जाता, शालीनता होनी चाहिए और महाराणा तो महेंद्र सिंह जी है जो बड़े होने के बाद भी कुछ नहीं किया और चुपचाप है, ज्ञानी अपना ज्ञान बताते नहीं फिरता कि उसे ज्ञान है, महाराणा और राजकुमार बताने की जरूरत तुम्हें पड़ रही है न कि उन्हें 😅
वो इनका अंदर का मामला है पर मानसिंह ने साथ दिया होता तो आज इतिहास कुछ और होता
Bal ka khal nikalne se kya fayda .
मेवाड़ कहने लायक नहीं हे
@@MotherlandIndia-i5i Bhai jee aap jo kah rhe hn woh sahi ho sakta hai per aap se nivedan hai vivad paida na ho samaj me ye hamesa koshis kijiyega .🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Bhai faltu baketi karne se Satya astya nahi hojata
तब भी हिंदू आपस में लड़े थे और फायदा मुगलों को हुआ था आज भी वही हो रहा है इतिहास से सिखने की जरुरत है
हिंदू कभी नही लडा लङाई सिर्फ राजपुत और मुगलो के बीच लङी मुस्लिम के सामने क्षत्रिय लङे अभी हिंदू की बात कर रहे
@@prathvisinghrathore7141 aacha ji…chatrapati shivaji yaad hai kon thy jinhone mughlo se ladai ladi thy, bajirao peshwa yaad hai kon hai,? Ye toh Rajput nhi thy…phle knowledge sahi kro apni…or rajput Hindus nhi h kya? Jb praja se tax lete thy raja toh praja ki raksha b toh unhe hi krni pdegi na…sbi Hindu tax dete thy rajao ko chahe rajput raja ho ya maratha raja ya south k Hindu raja….tumhare anusaar sirf kshatryia hi lade hindu nahi…ye kshatriye hindu janata se tax b lete thy toh ye b yaad rakh….rajya chalane k liye janta tax deti thy jiska use raja defence mei b krta tha jo jarauri tha Uss waqat…hindu janta tax na deti toh ye hindu Rajput maratha koi b raja weapon kaha se laate, army ko maintain kaise kr paate?
Kyon halki baat karte ho ,mai Rajput hoon per pahle Hindu hoon ,desh aur dharma ki raksha har Hindu ka kartavya hai .@@prathvisinghrathore7141
@@prathvisinghrathore7141 इसका मतलब मुगलो के साथ देने वाले जर्मनी के लोग थे **😂😂
बताना थोड़ा सा कि मुगलो के खिलाफ
गुहिलो, बडगुर्जरो के अलावा और कौन कौन से राजपूत कुल लडे थे **🤔
@@MANISHSHARMA-gc3nu सत्रपती शिवाजी कोन था क्षत्रिय नही तो क्या शुद्ध था राजस्थान से गये महाराष्ट्र और वहा की भाषा जो मराठा कह्ते हे राजपुत ही तो है उत्तर प्रदेश मे ठाकुर नेपाल मे गोरखा रेड्डी नागालैंड मे नागा ये तमाम राजपुत कहे या क्षत्रिय एक ही है
मानसिंह ने कौन सा अच्छा काम किया था, जो लोग उसके सपोर्ट में उतरे हैं
Jagnnath puri mandir ko tutane se bachaya tha pahele jan le vo nahi hote to yaj jagarnath puri ki rath nahi nikal pata or humara 1 tham yaj humare pass na hota 🤫
Such me agar sanatan dharm uni ne bhchya hai
मेवाड़ के जानवर भी जयपुर वाले राजाओं से बेहतर हैं
राजा मानसिंह कच्छवाह
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किसी संघर्ष का सामना करने की रणनीति अलग हो सकती है मगर उसके आधार पर किसी महान शासक को जज करना उसे ग़द्दार ठहराया जाना मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है।
महाराणा प्रताप की बराबरी भारतीय इतिहास में कोई नहीं कर सकता है । मगर इसके लिए राजा मान सिंह को ग़द्दार कहना नितांत बचपना ही होगा।
महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता संघर्ष से हिन्दुआ सूरज की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी तो शिवाजी ने स्वराज की स्थापना से।
मानसिंह मुग़ल शासन में ने हिंदू मंदिरों की रक्षा पुनर्निर्माण और संरक्षण जो महान कार्य किया था उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती है।
जिन्हें इतिहास की वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। जिन्हें तथ्यों और स्रोतों के आधार पर इतिहास के अध्ययन की समझ नहीं हो वे वाट्सअप यूनिवर्सिटी पर इतिहासकार बनने के बजाय अपनी सातवीं पीढ़ी के पूर्वज का नाम तलाश कर लें तो इतिहास की उनकी समझ बेहतर हो जाएगी।
इतिहास के अध्ययन को राजनीति,जाति और नैरेटिव से दूर रखकर उसको पढ़ने का जिम्मा इतिहास के विशेषज्ञों पर छोड़ दे तो एक बेहतर भारत का निर्माण हो सकता है।
अस्तु आपकी जानकारी के लिए राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची दे रहा हूँ जिसे पढ़कर इससे बेहतर हिंदू मंदिरों के रक्षक का नाम आप की जानकारी में हो तो बताएँ।
राजा मान सिंह द्वारा निर्मित/पुनर्निर्मित/समर्थित मंदिरों की सूची-
1.गोविंद देव जी मंदिर, वृंदावन
2.जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर
3.शिला देवी मंदिर, आमेर किला
4.रघुनाथ जी मंदिर, आमेर
5.गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर
6..विष्णु मंदिर, वृंदावन
7.केशव देव मंदिर, मथुरा (पुनर्निर्माण)
8.वराह मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण)
9.रामचंद्र मंदिर, ओरछा
10.बालाजी मंदिर, सालासर
11.सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात
12.काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (समर्थन
13.मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन
14.नीलकंठ महादेव मंदिर, अलवर (पुनर्निर्माण)
15.राम राजा मंदिर, ओरछा (समर्थन)
16.द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात (पुनर्निर्माण)
17.जागेश्वर मंदिरों का समर्थन, उत्तराखंड
18.सूर्य मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर)
19.महादेव मंदिर, गाल्टा जी (जयपुर)
20.अनंत वासुदेव मंदिर का पुनर्निर्माण, भुवनेश्वर
21.ब्रह्मेश्वर मंदिर, नालंदा (पुनर्निर्माण)
22.श्री मंदाता मंदिर, ओंकारेश्वर (समर्थन)
23.अचलेश्वर महादेव मंदिर, माउंट आबू (पुनर्निर्माण)
24.भांडासर जैन मंदिर, बीकानेर (समर्थन)
25.गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन
26.काल भैरव मंदिर, उज्जैन (समर्थन)
27.श्री शांतिनाथ जैन मंदिर, खजुराहो (समर्थन)
28.शीतला माता मंदिर, आमेर किला
29,बटेश्वर मंदिर परिसर, मुरैना (समर्थन/पुनर्निर्माण)
30.द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा (समर्थन)
31.लक्ष्मीनारायण मंदिर, जयपुर (समर्थन)
32.गुर्जर-प्रतिहार मंदिर, नागदा (पुनर्निर्माण)
33.त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर (समर्थन)
34.भैरव मंदिर, आमेर किला
35.श्री रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर)
36.केदारेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण, केदारनाथ
37.मीरा बाई मंदिर, चित्तौड़गढ़ (समर्थन)
38.ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (पुनर्निर्माण/समर्थन)
39.महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन (पुनर्निर्माण)
40.संगमेश्वर महादेव मंदिर, काशी (पुनर्निर्माण/समर्थन)
41.हरिहर मंदिर, उत्तर प्रदेश (पुनर्निर्माण/समर्थन)
42.कुंटेश्वर महादेव मंदिर, कच्छ (समर्थन)
43.द्वारिकाधीश मंदिर का पुनर्निर्माण, गुजरात
44.रामचंद्र मंदिर, कनक वृंदावन (जयपुर)
45.सास बहू मंदिर, ग्वालियर (समर्थन/पुनर्निर्माण)
46.दधिमति माता मंदिर, नागौर (पुनर्निर्माण)
!!धर्म परायण सनातन रक्षक राजा मानसिंह!!
@highlight
शुभम् भवतु।।
Ye baat tagdi Kari bhai....very good bhai ..ise comment kahte hai wastav me
वाह्ह्हह्ह्ह्ह क्या बात है जुग जुग ज़ीयो
Itihas mai to jaipur wale kayr the padho to sahi
Pariwar ko apmanit karne se samaj me samman nhi badhta mere bhai .
लक्ष्यराज जी हम आदिवासियों की कुछ आवाज उठा दो हम पहले भी आपके साथ खड़े थे और आगे भी तैयार रहेंगे जय जोहार जय भवानी
= दुनिया में भारत के आदिवासियों की स्थिति सबसे अच्छी हैं , संसद_ विधानसभा , नौकरियों सब जगह आरक्षण हैं , टाडा_ माडा , शहरिया विकास ...... जैसी कई कई योजनाएं भी उनके लिए हैं ....? राशन, लूनमिर्च, चाय_ शकर,पानी , बिजली , इलाज़, मोबाइल आवास , शिक्षा सबकुछ तो फ्री हैं , .....? आदिवासी तो राजस्थान के मीना , मीणा भी हैं , छत्तीसगढ़, झारखंड में भी हैं ,वे कितने एडवांस , तरक्कियाफता हैं ......? उनको आदर्श मानकर आगे बढ़ो , ज़्यादा से ज़्यादा शिक्षित बनो , तरक्की स्वतः होगी ..... पीछे मत जाओ.... ,सिर्फ आगे बढ़ो ..... आपके नेता , शासक, समाज_ धर्म कार्यकर्ता ही आपको पीछे लेजा रहे हैं , ताकि उनकी मर्जी चलती रहे , वे अपनी राजनीति की रोटी आदिवासियों की आग पर सेकते रहें , बस यही उनका काम हैं ....? जबकि दुनिया कितनी वैज्ञानिक, मॉडर्न हो गई हैं, अंतरिक्ष _ मंगल _ चांद पर घर बना रहीं हैं ......? हिंदू पौराणिक कथाओं, युद्धों की तरह ही अब दुनिया अंतरिक्ष युद्ध लड़ रही हैं ,तो आपके नेता , आपको गुफाओं में धकेल रहे हैं .... तो अब जागो _ चेतो, उसी में भला हैं.....?
@AnandBhil-A1Z tab aap log inke sath thye to achye thye lekin ab matlab nikal gaya ab tum sudra ho inke liye or kuchh nahi in ki swabhiman ki ladhai main hajaron rajput or bheel aadiwashi sahid huye inka malab ye tha ki main to raja hoo main kiyon ladhoo jo meri dadad karega bo marega or vahi Hua
Ye khudh to proparty k liy jhagad rahe h tumhari kya awaj utayenge😂😂😂
@@UrmilaDeviKushwah Tumne konse jhande gade thi itihas choro
तुम्हारा राज छिनने वालों से सहायता कि आशा मत रखो स्वयं काबिल बनो भाईयों
जय मेवाड़, गदारो को गद्दार कहने मे कोई दिक्कत नही है
वो कभी तो लड़े थे आप कैसे कह सकते हो गरदार आप क्या कभी लड़े थे
@@SharwansinghDeora-r3d han muglon ke jhande ke neeche ladna bhut hi samman ki baat hogi tere liye 🤣🤣🤣 ab sabki whitewashing chal rahi hai 🤣🤣
@@Jattbrotherhoodtu nikal pahle to yahan rajputon ki baat ho rahi hain chal bhag😂😂
@@Jattbrotherhood bhai tune isko pel diya 🤣
@@RajeshKhatik-m7j agar etihas ko filter kiye to maharana se bada gaddar koi nahi raja man singh or raja jaichand sabse Mahan rajput
सत्य कभी छुपता नही जय माहाराणा प्रताप सिंह जेसा बनना मुश्किल है
Very bad ab to aapas me ladna band kare rajparivar Wale
Rajput is a brand ,don't try to malign its name and fame .
@@Champawat_baisa7773 her inshan swabhimani hota hain koi badi bat nahi jaise raja man singh ne mughalon ke sath gathbandhan ki sarkar sanatan dharam ki rakchha ki kiya ye maharana main etni himmat thi ki kisi mugal ke sath gathbandhan ki sarkar bana ker desh dharam ke liye ladhte apna swabhiman bachane main lage rahye
सबसे ज्यादा तकलीफ मेवाड़ को भी मान सिह ने ही दी थी
@@singhbanna6561 agar aaj raja man singh hote to mewad khali ho jata ye bat 100% pakki hain kiyon ki gaddaron ki kami nahi mewad main or raja man singh gaddaron ke Kal thye
@@UrmilaDeviKushwahEk raho nek raho .
Hame dukhi he ki man sing rajput the ham rajputo ke divane he
मेवाड़ के लोग गद्दार नहीं थे मानसिंह गद्दार था
फिर अमर सिंह जी ने मुगलो से संधि क्यों की 😂
मान सिंह की गलती नही है भारमल ने अकबर से संधि की थी
महाराणा प्रताप का स्वाभिमान महान हे बुजदिली भी महाराणा का नाम सुन कर दिलेर हो जाता हे महाराणा भगवान हे मान सिंह नहीं अब आप इतिहास बता रहे हो अब 2024 में पर पहले का देखो 1000 साल पहले का डंके की चोट पर कहते हे कि इतिहास महाराणा का रहा हे चाटुकारों का नहीं
इतिहास को कोई झुठला नहीं सकता है l मानसिंह जी ने मुगलों का साथ दिया l महाराणा प्रताप का नहीं....
Maharana pratap ki ladhai swabhiman ki ladhai thi koi desh dharam or perswarth ki nahi thi Maharana khud mughalon se sidhye Nani ladhye or dusre rajputon ko hi merwate rahye jab bhi mughalon ne hamla kiya derpok jangal main chup ker beith gaye raja man singh ki badolat hi Maharana pratap ka etihas hain Barna etihas ke panne se gayab ho jate
Ha दिया पर सबसे ज्यादा मंदिर बनाने वाले भी महान सिंह ही थे वो कैसे हो गए गरदार
@@SharwansinghDeora-r3d ye log chahte hain ki raja man singh jo bhi kuchh karte maharana ke liye karte or 78 hajar mandir banane bale 77 yoddh jitne Bale mahan yoddh ko gaddar Kahne bale hi sab se bada gaddar hain in ki soch etni Giri hui hain ki mewad ke lachhraj kaviyon ko or dusre nakli lekhkon ko paisa de ker raja man singh ke bare main galat likh bate hain or kaviyon se galat Kavita bulbate hain jab ye aise gire huye nich inshan hain to inke purvaj kaise mahan ho sakte hain chittod garh ka raja chitrangad maurya ek chota raja tha use hata ker khudne chittod garh per kabza ker Liya or akbar se ladhne ki himmat hi nahi hui ki kabhi akbar ko agra main ja ker chelenj dete isse se kai gune or rajput hain jo akbar per sidha hamla kerte thye
@@UrmilaDeviKushwah
Teri dikkat samaj sakta hu main 😂
Lekin kya kare man singh ne jo ladai ladi aur jiti vo mughlo ke liye okk
Aur jaha tak rahi bat amer ( Jaipur) ki too ye raj parivar mughlo ka bahot bada bootlicker tha unke karan hi mughal Bharat me pair jama paye the 😂
Kachhwaha gaddar hote hai 😂
मुगलों का साथ दिया किसने नहीं ये बता सबने दिया इसलिए तेरे जैसे आज जिंदा बच गए अच्छा हुआ सफेद टोपी पहनने से बच गए हजारों मंदिर बचाने गौ सेवा करने वाले महान राजा मान सिंह आमेर का नाम इतिहास में सबसे ऊपर ह
मानसिंह जी ने मुगलों का साथ दिया था ना कि मेवाड़ का मानसिंह जी हमें तब भी मंजूर नहीं थे और आज भी नहीं है जय मेवाड़ जय महाराणा प्रताप
Kounse rathore ho ...jaswant singh ji jodhpur bhi mugals k sath the
राजा मान सिंह आमेर की वजह से ही तुम लोग जिंदा हो
अनपढ़ लोगों को जानकारी नहीं है कि मान सिंह जी की वजह से जिंदा हो
अकबर ने बोला है क्या😂😂😂 तू ओर तेरा अकबर @@PANKAJSINGH-wi9ye
@@Ak968As ye koi bhi rathor ho matab to sach se hain ab ashli sach suno mugal kal main betiya uthai balatkar huye betiya Bazar main bechi gai kuchh rakheil banai gai to kuchh se bachha paida kiye gaye lootpat ki hajaron joher huye hajaron rajputon ka kattal Hua 36 hajar aam jantta ka kattal mughalon ne kiya tha tab maharana pratap kanha thye mewad kummbal garh chittod garh per hamla kiya mughalon ne do char mughalon ko Mar Marde nahi Mara inke gharloo sambandh rahye mughlon se sainapati mughal dost banaye to mughal bhai banaya to mughal puttra banaya to mughal bo bhi gharon ke Ander ghus ker rahye khna bhi yahi khate thye sab se bade gaddar mewad ke log
दक्षिण राजस्थान (नये राज्य) की राजधानी उदयपुर बनेगा🎉✌️
भाई साहब कृपया ऐसी बातें ना करें, राजस्थान हमेशा एक था और एकही रहेगा, विभिन्न रियासतों एवं प्रांतो में बंटे हुए स्वतंत्रता से पहले के राजस्थान की सीमाएं भलेही अलग हो, बावजूद उसके वह सब एक थे उन्होंने मिलकर मराठों से लड़ा। मेवाड़ हमारे सबके लिए हमेशा से ही गौरव देने वाला रहा है, हम महाराज कंवर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का बहुत सम्मान करते हैं। जय हिंद जय भारत जयराजपूताना
Johar
Rajasthan ko Ak hi Rhne Do....Tukde ki bat Mt kroo.
जय मेवाड़
Jai Mewad
आदरणीय मनु राव जी आपने जो विषय अभी उठाया है जिसमें आमेर के राजा मानसिंह द्वारा अकबर के लिए अफगानिस्तान की पांच रियासतों रियासतों के विजय अभियान के बारे में बताया गया उन्होंने इस कार्य के लिए अकबर को रजामंदी क्यों दी उन्होंने मेवाड महाराणा प्रताप के विरूध क्यों लड़ाई लड़ी
उन्होंने जयपुर में हिंदू मंदिरों का निर्माण कराया यह किस कालखंड की बात है आप इस कालखंड के थोड़ा सा पहले भी जाकर देखिए की अकबर सम्राट मानसिंह के ऊपर इतना विश्वास क्यों करता है उस घटना का भी जिक्र कीजिए जिससे पूरा राजपूत समाज अपने आप को शर्मिंदा महसूस करता है उन्होंने मुगल सम्राट के साथ में रिस्तेदारियां क्यों बनाई क्या इन्ही रिस्तेदारियों के बदले ही उन्हें सेनापति का पद मिला यह अन्य कर्ण की वजह से अकबर के प्रिय बने
जयपुर में हिंदू मंदिरों का निर्माण अफगानिस्तान विजय और जयपुर के पचरंगी ध्वज के पहले के कालखंड भी शोध का विषय है आप उसके बारे में शोध करके दर्शको को सही जानकारी दें समझाएं
मेरा ऐसा मानना है कि जीवन में व्यक्ति दो ही चीज में राजी होता है ✅
या तो प्रीत से या भय से ✅
इन दोनों चीज की बानगी हमें गौरव चौहान के दोनों ऑडियो से मिल गई है
बाकी आप खुद समझदार हैं अब अगला आगे का काम आपका काम है आप उसे करें
गौरव चौहान आपने उसी सम्मेलन में यह भी तो कहा था कि हम पृथ्वीराज के वंशज है फिर आप एक धमकी मात्र से डर गए ,आप जैसे को कवि कहने में भी शर्म आ रही है ,बार बार बयान बदल कर आपने कवि धर्म की धज्जियां ही उड़ा दी --?
जब परिवार की सुरक्षा तक बात आ जाये तो मेरे जैसे साधारण राजपूत जिसे अपने ही राजपूत भाई धमका रहे हों...बचाव करना पड़ता है..देश के करोडों सनातनी मेरे कवि होने पर गर्व करते हैं ये मेरे लिए काफी है,,मैं दो राजपूत घरानों के विवाद में फंस गया जिसमें मेरी ये ज़िम्मेदारी थी कि कोई भी पक्ष नाराज़ न हो क्यों कि दोनों ही पक्ष मेरे अपने है..हम सब एक रहे नेक रहें
बस यही कहना है
और आप भी मुझसे घृणा न करें
मेरे भी कई अच्छे काम है जिन्हें आप देख सुन सकते हैं..बाकी एक ऐसी स्थिति जिसमे मानसिक रूप से टूट चुका व्यक्ति कोई गलती कर बैठे उसको इस तरह से नही आंकना चाहिए जैसे आप कर रहे हैं
राजा मान सिंह आमेर महान थे कोई इतिहास नहीं जानता है तो उसको पूरा पढ़ना चाहिए
भीलों ने तो साथ दिया था
Man singh ji kitne yudh lade the ye apko pata hai ki nahi faltu ki bat mat kro@@GauravChauhankavi
लक्ष्यराज जी और शैलेश लोधा बहुत तेज दिमाग के है । उसी दिमाग का प्रयोग उन्होंने किया । 500 साल पहले भी राजनीति हुई और अब भी हो रही है । सवाल ये है की उस समय जो मेवाड़ का नुकसान हुआ क्या वो अब भी अनवरत जारी रहेगा !?
कोई भी राजा अपने राज्य में अनेक कार्य करता ही है चाहे वो मान सिंह जी हो या कोई ओर पर आप सभी अपने दिल पर हाथ रख कर हल्दी घाटी का नजारा देखिएगा जरुर ! इतिहास में जो गलतियां हुई है उसे छुपाना या नकारना ग़लत है अगर उन गलतियों को स्वीकार कर हम आगे बढ़ेंगे तो जरुर राजपुताने की एकता पुनः कायम होगी हम एक दूसरे के सहयोगी बन ये प्रण ले सकते है कि ऐसी गलतियां इस युग मे ना दोहराई जाए और राजपूताना पुनः कायम हो! बाकी मेवाड़ का एक एक व्यक्ति हल्दी घाटी मामले में मेवाड़ के साथ खड़ा है और एकता कायम हो तो मेवाड़ संपूर्ण राजपुताने के लिए खड़ा है क्युकी मेवाड़ ने राणा सांगा जैसे पुरुषों को भी जन्म दिया है जो पूरे राजपुताने को एक झंडे के नीचे लाय थे जय मेवाड़ जय राजपुताना
जय एकलिंग जी,जय मेवाड़ 🙏🙏
हमारे देश में एकमात्र ऐसा राजवंश है जिस पर हमें गर्व है 🚩🚩
गद्दार और गुलाम को गुलाम गुलाम नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे ✅✅
Jaipur ke rajgharane per hako garrav hain ki desh dharam ko sarbopari rakha aadi anadi Kal se hamare purrvaj desh dharam ki seva kerte aaye hain or aaj bhi desh dharam ki seva ker rahye hain or khisiyani billi bille khamba nauch main lage hain khoob naucho surya vanshi kshatriyon ke bane khambe pure bharat main hain jitne nauch sako to naucho or paisa se Gaurav or kumar vishwas ko khrid Liya hain koi bat nahi bikau kutte ka kam hain bhaukna or paise se hi farji dairi likh ker sab ko banta hain lachhraj ki ye lo man singh rajput ka etihas pado or jodha ki kahni bhi lachhraj ke pita ne hi likh bai thi paisa de ker
@@UrmilaDeviKushwah
Vo jodha nahi heer Kunwar thi
😂
Raja bharmal ki putri
मुगलों के गुलाम मेवाड़ वाले को नहीं बताए कि स्वाभिमान क्या होता हे जय मेवाड़ महाराज कुमार लक्ष्यराज मेवाड़ के साथ समस्त मेवाड़ खड़ा हे
मुगलों के गुलाम कल भी हमारी ठोकरों पर थे... आज भी है... और कल भी रहेंगे... सुन लो मुगल गुलामों के पैरोकारों...!!! आओ फिर से हल्दीघाटी-दिवेर का मैदान सजा है...। समूचा मेवाड़ महाराणा प्रताप के महान वंशज युवराज लक्ष्यराज सिंहजी मेवाड़ के साथ मजबूती से खड़ा है... जय महाराणा प्रताप... जय मेवाड
आपको जानकारी के लिए बता देता हु मेवाड़ राजघराने के वैवाहिक संबंध जयपुर राजघराने से भी है थोड़ी जानकारी कर लीजिए फिर भला बुरा कहिए
Marwad ke rathore bhi to Muglo se apni beti ki shadi karwai thi ,jese Mota raja uday singh
Chup ho ja inko rajniti me ana tha or Diya kumary ne विश्वराज सिंह जी को ले आए और इसका गुस्सा आ रहा है न इनको इसलिए बदला लेना है ना 😂😂😂😂😂😂 अब और कुछ बोलूंगा तो विवाद हो जायेगा
In gavaro ko smjane ka ko fayda nhi inko kitna hi bhai bhai kho laykin y us layak nhi . Lakshya Raj kon sa nasha krta h y bhi pta lagao jra...
राजा तो महेंद्र सिंह है
मानसिंह पर राजपूत ही नहीं पुरा भारत शर्मिंदा है।
मेवाड की आन बान और शान पर हमे गर्व है। दूसरे लोग इसे अन्यथा न लें। हर शासक अपने हितो को मध्य नजर रखते हुए निर्णय लेता है। किंतु मेवाड के शासको😂ने राज
😂धर्म को आगे रख निर्णय लिया करते थे इसलिए महान हुए।
इतिहास में सबसे ऊपर क्यों नहीं नाम आया मानसिंह का महाराणा प्रताप का नामआया ना सबसे ऊपर मानसिंह का नाम गद्दारीमें आया
मानासह कच्छवाहा आमेर के राजपरिवार ने 5 पीढ़ी तक मुग़ल दिल्ली शासकों को अपनी बेटियॉ दी और मनसबदारी की ..आज महान?
बिल्कुल चौहान सहाब मै आपकी इन लाईनो की निंदा करता हू आपका इतिहास का ज्ञान अधुरा है निश्चित महाराणा प्रताप वीर शिरोमणी थे मगर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हर राजपूत ने अपना बलिदान किया है चाहे महाराज मानसिंह ही हो उन्होंकी वजह से आज दुढाड , मे हिन्दू लहलहा रहे है
मै समस्त राजपूतों को आभारी हू आपके बलिदान से हमारा सनातन जिंदा है ।
@@g.psharma9364 mewad ke lachhraj nahi chahte ki raja man singh ka ashli etihas sab ko Pata chale or jo bhi etihas ab tak log jante hain bo inka hi jhunth phaila Hua hain farji kitab likh bai hain paisa de ker jodh ki kahani bhi inke eshare per likhi gai thi koi samjh nahi saka ham etihas karo ko bam panthi kahte rahye inke purvajon ke eshare per hi dusre rajputon ko samman nahi mila etihaskaron ne total etihas galat likha to inko kaise chod diya paisa diya hoga etihas Karon ko tabhi inka etihas bada chada ker likh Hua hain or kuchh khud sudharne main lage hain janha kahi yodh hare vaha raja man singh ko Doshi bata diya janha joher huye vanha paristhiti kuch or thi khilji padmini ke mahal main ghus aaya or bo jinda nikal gaya iska jimmedar koin tha or ek Shakti singh ki or ek maharana ki beti ko mughal utha le gaye maharana bone bane rahye is se Shakti naraj ho ker mughalon ke sath chala gaya tha or apna etihas sudharo or dusron ka vigado ye nahi chalga ham bhi 20 shal se etihas pad rahye hain mewad ke etihas main 50% ka sudhar hua hain
कितनी पढाई की है तुमने अपना ज्ञान बढ़ाओ और इतिहास को विस्तार से अलग अलग किताबें लेकर पढ़ो खैर मानसिंह का चरित्र सुमित्रानंद पंत के उपन्यास से पढ़ सकते हैं मैं एक कट्टर खानदानी सनातनी ब्राह्मण हूं राजपूत नहीं इसलिए ठाकुरो के मामले से मेरी कोई निजी दुश्मनी भी नहीं हो सकती है इसलिए मैं जो सत्य है वो बताऊंगी आपका आदर्श मानसिंह अपनी बेटी मां और मातृभूमि को मुगलों के यहां कोठे पर बेचकर खुद कोठे का दल्ला बना हुआ था और महाराणा प्रताप न सिर्फ एक अपनी मां मातृभूमि और धर्म के रक्षक योद्धा थे अपितु एक ऋषि भी थे जो राजमहल और जंगल दोनो में एक समान थे महाराणा प्रताप के जो पशु थे वो भी मातृभूमि के रक्षक और स्वाभिमानी थे और मानसिंह पशु से भी बद्तर था इसलिए आज हाथी घोड़ों के वंश भी पूजनीय हैं और मानसिंह के वसज सिर्फ 100% गंदा खून जो जब तक धरती रहेगी देश और समाज के लिए गद्दारी के वे मूर्तिमान प्रतीक रहेंगे आज भी इनका काम सिर्फ राजनीति या किसी भी मीडियम से देश को लूटना है धर्म, मर्यादा और इज्जत से तो इनका रिश्ता मानसिंह के समय से ही ख़तम है इसलिए ही भारत की संस्कृति में बिना विचारे कोई भी काम न करने को कहा जाता है क्योंकि मानसिंह की तरह धरती के अंत तक गाली खानी पड़ती है क्योंकि भारत में चरित्र की पूजा होती है रुपए की नहीं वरना कोठे वालिओ की सदियो से लोग आरती करते और झोपड़ी में रहने वाली माता शबरी को गाली देते रुपे एक बार गए तो फिर आते हैं लेकिन चरित्र गया तो साथ सृष्टि के अंत तक वापस लौटकर नहीं आता मानसिंह और महाराणा प्रताप की वंशावली इसकी जबरदस्त मिसाल है
@@aakankshachauve ye alag alqg kitab ho sakti hain etihas nahi or jo kitab likhi gai hain raja man singh ke bare main bo bhi lachhraj kekahne per likhi gai hain or in kitabon ki kimat bhi di hogi lachhraj ne or thoda Sambhal ker rahna kahi tumhara bap tumko na bech de jo dusron ko giyan de rahi ho pahle tum ashli etihas padhle maharana ke kale andhyre se baher nikal maharana ek derpok tha usi Der ka nam swabhimani yodha hain mughal swabhiman se nahi hare mughalon ko raja man singh ne haraya mughalon ke sath gathbandhan ki sarkar bana ker mughalon ko apne joote ki nauk per rakha tha kiya thi maharana main etni himmat mughalon ne mewad se kumbhal garh chittod garh se Khadeda or jangal main chupne gaya maharana ne ek swabhiman ke alawa or kuchh bachaya ho to bata or raja man ne pure bhart ke mandiron ki rakchha ki thi or 90% mandir raja man singh ne hi banbaye thye or vihar bangal madhya pradesh utter pradesh alwar rajsthan Gujrat Kabul afgan ke pathan mughalon ko haraya 77 yodh jitne Bale mahan yoddh hindu hindutv sanatan dharam rakschhak raghu kul tilak maharaja Sawai man singh rajput hi hain or koi nahi
@aakankshachauve kitna paisa mila hain mewad ke lachhraj se kitna nich inshan hain lachhraj or kitne nich hain bikau bhandh Gaurav Chauhan lachhraj ka likha Hua etihas pahker bhaukta hain ek Chauhan hi nahi Kumar viswas jaise or bahut hi jo lachhraj ke eshare per khoon bhaukte or lachhraj inke bhaukne ki kimat bhi deta hain
@@UrmilaDeviKushwah
Lol tere man singh ne mughlo ko jute ki nok par rakha ?
Oh really 😂
Vo khud talve chatne vala tha😂
मान सिंह भी हिन्दू धर्म रक्षक थे, उनके काल में एक भी मंदिर नहीं टूटा, जगन्नाथ पूरी मुस्लिमो से आजाद कराई, हजारों मंदिर बनवाए
जय राणा पुंजाजी भील,जय भीलराज, जय भील सेना🏹🏹🙏।
मान सिंह गधार था तो था ये सत्य बात है
तु कवि है तो है पर सत्य से डर मत मान सिं ह ग्धार है
अगर भारत के इतिहास से मेवाड़ का इतिहास हटा दिया जाए तो क्या बचेगा फिर अगर महाराणा प्रताप से मानसिंह महान लगता है तो क्या बात है आज कल की राजनीति यही है
महाराणा प्रताप एक हिंदुत्ववादी राजा थे....
मानसिंह तो अकबर का गुलाम था.. महाराणा प्रताप ने कभी स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया....महाराणा प्रताप के सामने मानसिंह विधर्मी था... हैं और रहेगा.... क्योंकि उन्होंने सनातन धर्म का साथ छोड़कर एक मुगलिया ध्वज के साथ हाथ मिलाया था...जय महाराणा प्रताप....
भारत के प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद जी के पुत्र राजीव नयन प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक राजा मान सिंह आमेर में पृष्ठ संख्या 33पर लिखा है कि जयपुर के महान राजा भारमल कच्छवाहा ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर मुगल से करके स्वयं ऊंचा मनसब पाया ,,और अपनी इज्जत बेचकर घाघरे देकर अपनी भाइयों लडको पोत्रो को भी मुगल दरबार में ऊंचा मनसब इनाम इकराम नौकरी चाकरी दिलाया,,,गजब का चतुर सौदेबाज भारमल ,भगवंतदास और मान सिंह आमेर महान
Itihas Dobara Padhiyega Hukam.....Aadhar Gyan Barbaad Kar Deta Hai Samaj Ko...
Maan Singh Ji Rajput He The N...Or Ek Rajput Kabhi Esa Kaam Nahi Kar Sakta...
Apni Putri Bata K Daasi K Sath Akbar Ka Vivah Karaya Tha...
Aaj Bhi Maharana Bhupal Nobles Udaipur College Me Wo Itihas Ki Kitab Mil Jayegi Aapko...
@@bhanwarsingh7346
Ghanta mera mewar raj parivar ko chhod kar baki sabhi Raj parivar mughlo ke sath roti beti ke sambandh me the
Ye bat cornel james tod, gauri shankar ojha , jaise historian ne apni book me sabit kar ke dikhai hai 😂
Abe Patel ....Baat Tere Se Nahi Ho Rahi Hai...Tu Apna Bich Me Mat Utha Bhai...
Naach Na Jane Aangan Teda
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂 इतिहास की किताबें अलमारी में नहीं रखी जाती है।संबंध तो थे भाईजी कुछ भी करो मारवाड़, जयपुर, बीकानेर और भी बहुत थे । @@bhanwarsingh7346
अति सुन्दर
मान सिंह जी ने जाभूझकर महाराणा प्रताप को जिंदा छोड़कर बचाया था l
मान सिंह जी से पहले यह बताये की शक्ती सिंह कोन थे और किसकी तरफ थे l
लेकिन इन्होने एक मलेच्छ का साथ दिया
Tu vahi par tha kya
Abe jaa re .
Maharana Pratap ne no Bhala mara tha usse Mansingh khud marte marte bacha tha
वास्तव में दुर्भाग्य है हमारा हम योगी जी के बयान को नहीं समझ पा रहे हैं अब तक बटेंगे तो काटेंगे। कहीं देर ना हो जाए
मान सिंह जी आदमी तो सही थे मगर पार्टी गलत थी।
😂😂😂
😂😂😂😂😂
बेशक मानसिंह अच्छे योद्धा थे परंतु जो महाराणा प्रताप के खिलाफ इन्होंने अकबर की तरफ से लड़ाई की थी वो उनकी सारी जीतों पर एक कलंक है
आज के समय में जों क्षत्रिय भाजपा में हें और जो कांग्रेस में एवं अन्य पार्टियों में है उनमें से कोन गद्दार है और कोन देशभक्त। समय और परिस्थितियां सबसे महत्वपूर्ण होती है। लक्ष्यराजसिंह जी ने खुद कहा है कि मेवाड़ हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है। काल समय परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेना पड़ता है भविष्य में सब अपने अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं 🙏🚩 जय श्री राम 🙏🚩
राजपूतों और मुग़लों के सलाहकार एक ही थे,, इसलिए उन सलाहकारों पर भी चर्चा होनी चाहिए
🚩🙏जय विरशिरोमणी महाराणा प्रतापसिंह जय एक लिंग नाथ महादेव की जय
सत्य कड़वा जरुर होता है लेकिन होता बहुत ही लाभदायक है **🤔
जय एकलिंग जी, जय मेवाड़ ✍️
महाराजाधिराज मानसिंह कुशवाहा जी अमर रहें। 🙏🚩
जय मेवाड जय ऐकलिंगनाथ
महाराणा स्वरूप सिंह के बारे में बताओ 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया था
जयपुर के सभी कच्छवाह शासकों ने मुगलों की गुलामी की है.... मेरे दिल में इनके लिए रती भर भी इज़्ज़त नहीं है...
इधर आना भी मत जयपुर दौसा सीकर झुंझुनूं चुरू सवाईमाधोपुर गंगा जी भी मत जाना पिंड दान करने
तथाकथित महान राजा मान सिंह आमेर पर इस्लामिक प्रभाव,स्वार्थी व्यवहार और राणा प्रताप का साहस।। 1630ई में इतिहासकार मुहनोत नैनसी की लेखनी जुबानी से💐🌸
जोधपुर राणा प्रताप राणा उदयसिंह का - सोनगिरा अखैराज का दोहिता, सं. 1596 ज्येष्ठ सुदी 3 रविवार को जन्मा था। कछवाह मानसिंह को कुंवर पदे में अकबर बादशाह ने गुजरात भेजा तब चित्तौड़पति राणा प्रताप ने सोनगिरे मानसिंह अखैराजोत और डोडिये भीम सांडावत को उसके पास भेज बहुत कुछ शिष्टाचार दिखलाया था। जब लौटता हुआ मानसिंह डूंगरपुर आया तो वहाँ रावल सहसमल ने उसका अतिथि सत्कार किया । वहाँ से सलूम्बर पहुँचा जहां रावत रत्नसिंह के पुत्र रावत खंगार ने मेहमानदारी की। राणाजी उस वक़्त गोगुन्दे में थे। रावत खंगार (चूंडावत) ने कुंवर मानसिंह की सब रीति भांति और रहन सहन का निरीक्षण कर जाना कि इसकी प्रकृति एक ही प्रकार की (अर्थात् यवनों या मुस्लिमों से मिलती जुलती, बन्धन रहित व स्वार्थी है क्योंकि कई दशकों तक इस परिवार ने मुगलों की सेवा की) है, तब रावत ने राणाजी को कहलाया कि यह मनुष्य अर्थात मान सिंह आमेर मिलने के योग नहीं है, परन्तु राणा ने उसकी बात न मानी। गोगुन्दे आकर (उदयपुर के पास) मानसिंह से मिले और उसे भोजन दिया। जीमने के समय विरस हुआ' । प्रसिद्ध है कि भोजन के समय राणा नहीं आया मानसिंह ने कारण पूछा तो राणा के सरदार ने पहले तो कहा कि कुछ तबियत ठीक नहीं है, परन्तु जब मानसिंह ने ताने व क्रोध के साथ कुछ शब्द कहे तो उत्तर मिला कि तुर्कों को बहन बेटियां ब्याहने वाले के साथ राणाजी भोजन नहीं कर सकते। इस पर बिना जीमे ही मानसिंह उठकर चला गया और वह रसोई कुत्तों को खिला दी गई।
स्पष्ट है कि मंदिर तो वैश्याए, गणिकाए भी बनातती आई है,लेकिन उन मंदिरों की रक्षा भुजाओं के बल पर करने वाले ही सच्चे क्षत्रिय होते है।मान सिंह आमेर के बनाए सभी मंदिरों को जहांगीर ने उस मान सिंह के आंखों के सामने तुड़वा दिया,लेकिन तथाकथित मान सिंह आमेर महान कुछ नहीं कर पाया
जय जय प्रताप हिंदुआ सूरज जय मेवाड़ 🌹💐🌸 मुहनोत नैनसी की ख्यात, पृष्ट संख्या91
झूठ झूठ झूठ 300 साल बाद लिखा गया इतिहास गलत गलत गलत राजा मान सिंह आमेर की मृत्यु के 70 साल बाद लिखे शिलालेख में ऐसा कुछ नहीं लिखा ये मुलाकात शिष्टाचार पूर्वक हुई सब झूठ
झूठ झूठ बिल्कुल झूठ
ये कवि ही गलत निकला ऐसे ही चाटुकार कवि पहले थे राजावत जगे नहीं
मान सिंह जी ने मुगलों का साथ दिया था महाराणा प्रताप का नहीं दिया था साथ हमें मान सिंह जी स्वीकार ( मंजूर) नहीं हे जय मेवाड़🚩🚩
महाराणा साथ लेना भी कहा चाहते थे भाई
Aap ko hkm syad adha Gyan hai isliye hum aaj sirf tali bajane lyak rehgye hai
Pagal hai kya tu
@@DevendraSingh-ix1fp किसको बोल रहा है उसको tag तो कर और फिर बोलो
कुछ भी हो मेवाड़ सिरमौर है और रहेगा।। हमें गद्दारों से कोई सरोकार नहीं। मेवाड़ में अपनी तुच्छ रहा नहीं करें। मेवाड़ पूजने है और रहेगा।
जो फेसबुकिया , व्हाट्सएपिया उपदेशक है वो ही कविताओं को सच मानते है।
इन्हें सही रह की जरूरत है। इतिहास का इ पता नहीं ज्ञान देने आ जाते है। मानसिंह और उसके परिवार के साथ उस समय देश काल परिस्थिति भिन्न थी और प्रताप ओर उसके परिवार के साथ अलग..... दोनों अपनी अपनी जगह सही थे।
और हां एक बात और प्रताप , मुगलों के विरूद्ध लड़ने वाले न तो पहले थे और न आखिरी ... उनसे पहले भी बहुतों ने विरोध किया और बाद भी ... बस कुछ का इतिहास दबा दिया गया... कुछ का सिर्फ नाम मात्र का बचा है जैसे बांसवाड़ा के राजा का, मारवाड़ का चंद्रसेन और भी बहुत नाम है।
नोट - कविता को सिर्फ कविता रहने दे इतिहास न बनाएं क्योंकि कविता कल्पनाओं के सृजन से बनी होती हैं।
में मेवाड़ का निवासी हु और मुझे गर्व हे कि शौर्य और बलिदान की इस भूमि पर मुझे जन्म लेने का अवसर मिला मेवाड़ महान था महान हे महान ही रहेगा कवि हो कविता पाठ कर रहे हे उसमें सच्चाई हे,लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी होता हे,ओर वह यह हे कि मानसिंह के अकबर के सेनापति रहते हुए कई हिन्दू मंदिरों को तोड़ने से बचाया साथ ही कई नए मंदिर भी बनवाए । महाराणा प्रताप जी और मानसिंह दोनो सनातन के रस्ते पर थे एक स्वाधीन रह कर संघर्ष कर रहे थे तो मानसिंह पराधीन रह कर
अकबर के सेनापति होने के बावजूद उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा की सेकडो मंदिर बनाए उनके एक भी मंदिर को अकबर तोड़ नहीं पाया जोधा नाम की राजकुमारी जयपुर के इतिहास में कभी पैदा हुई ही नहीं
🚩👑🙏
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Bhai aapne bilkul shi baat lekhi hai but kya kre aaj kl ke youtube or WhatsApp yodha ko kuch pta to hai nhi ase he typing krte rathe hai
Jodha nahi hir kavri nam tha uska okk😂
हरखा बाई थी,, जयपुर के राजा भारमल की बेटी,,, जिसका विवाह अकबर के साथ हुआ,,,by spring board academy jaipur rajveer sir 👍
राजपूत समाज पूरे विश्व में महान था है और रहेगा....
आज भी मान सिंह का प्रभाव जिन्दा है कुल मिला कर देशभक्ति को ऊस समय भी लोहा लिया है तकलीफें झेली है आज भी जब समय ही निकल गया तब भी जिन्दा है इतिहास बन गया तब उन घटनाओं से शबक लेते हुए सनातन धर्म व संस्कृति के लिए एक रहना चाहिए
We Proud Gaurav Chauhan and Lakshya Raj Ji 🙏👍
बोलने से सिर्फ महाराणा प्रताप नहीं हो जाते महाराणा प्रताप जैसे वीर महापुरुष बनने के लिए हजारो जन्म लेने पड़ते हैं जय महाराणा जय मेवाड़
सत्य को आज के समय में सत्य बोल नहीं सकते तो कवि तो कवि है। लेकिन सत्य कह गया।
राजा मानासह आमेर कच्छवाहा ने अपने भाणेज सलीम खुसरो जहांगीर हेतु सोने का जल कुड आगरा महल में बनाया जय हो हिन्दू धम रक्षक?
Mansingh ji ki. Gaddari se aaj bhi pura mewad sharminda hai. Yah Ek Aisa gaov Diya Mansingh ne Jo mewad kabhi nahin bhula Sakta.
जय मेवाड़ जय महाराणा ❤
कायर को कायर कहो चाहे भाई भी हो ❤
आमेर कच्छवाहा राजा मान सिंह का काका अर्थात् चाचा जगन्नाथ कच्छवाहा का मेवाड़ में मांडल स्थित मुगल शैली में निर्मित मृत्य स्मारक दर्शाता है कि इसने जीवन भर मुगलों के तलवे चाटे.…1576ई की हल्दीघाटी की लड़ाई में इसने तीनों तोमर वीरों को मारा,,दादा रामशाह और उनके पुत्र व पौत्र को मारा...फिर ये कलंकित व्यक्ति जीवन भर मेवाड़ के पुर मांडल परगने में पड़ा रहा हो और महाराणा प्रताप से निरंतर लड़ता रहा ....इसकी इच्छा थी कि मेवाड़ राज्य पर भी इसका या कच्चवाहो या मुगलों का अधिकार हो जाए,,....इसने शक्तवात भाइयों को भी युद्ध में मारा,,सलीम ,परवेज,महाबत खां के साथ रहकर मेवाड़ पर इसने निरंतर आक्रमण किए...पूरी जवानी बुढ़ापा यही मेवाड़ में पड़ा रहा..मैनाल की लड़ाई में भी मुगलों की ओर से मेवाड़ी सेना व नरसिंग दास जी शक्तावत से लडा... शक्तावत सिसोदिया सरदारों ने और महाराणा ने अपने बलिदानों का बदला लिया और इसको बाद में मृत्यु के घाट उतारा.....जो ये कहते हैं कि मान सिंह आमेर का चरित्र कैसा था वो ये देखे कि उसका काका और इन कच्चवाहों की तत्कालीन सेना यहां 1576से लेकर 1613तक निरंतर मेवाड़ में कुछ समय को छोड़कर पड़ी रही,,संभवत महान हिन्दू सम्राट मान सिंह टोंक टोडा के सोलंकी राज्य व यूपी के भदौरिया राज्य की तरह मेवाड़ के इस सिसोदिया गुहिलोत राज्य को भी नष्ट कर के मुगल साम्राज्य की सीमाओं को बढ़ाना चाहता था..मान सिंह व जगन्नाथ कच्छवाहा के साथ साथ नाथजी (नाथावत कच्चवाहों का मूल पुरुष )और खंगार (खंगारोत कच्छवाहा का मूल पूर्वज पुरुष)भी यहां मांडल पुर में पड़े पड़े मेवाड़ पर मुगल आक्रमण के मुख्य प्रतिनिधि रहे तब मांडल के युद्ध में मेवाड़ के आक्रमण में मान सिंह आमेर को छोड़कर ये तीनो यही मुगलों के लिए लड़कर मेवाड़ी वीरों द्वारा मारे गए..…आमेर का मान सिंह खलनायक
🙈🦅
Ham pde to rhe tumhare tarh yudh ka medan to chod ke nhi bhage......
समय समय की बात है वर्तमान में मानसिंह जी की वंशज दिया कुमारी जी,ने मेवाड़ राजघराने एक ही घर के विश्वराज सिंह जी कोनाथद्वारा सेऔरमहिमा कुमारीजी,को,सांसद का टिकट दिलाने में सहयोग किया उन दोनों जयपुर और उदयपुर राज परिवार में, कोई कटुता,नही है मां सिंह जी के बाद मेवाड़ और जयपुर राज परिवार में आपस में शादी ब्याह हुए हैं दिया कुमारी जी ने मेवाड़ राज परिवार का बहुत बड़ा सहयोग किया है
पूछना नर्क में मुगलों और मानसिंह से कभी भी उनके माथे पर आज भी मेवाड़ वासियों की ठोकरों🦶 का ही बयां है🚩 जय मेवाड़ जय एकलिंग जी 🚩 जय हिंदुआ सूरज की 🚩
हम तो भक्त हैं महा राणा प्रताप के
Virender Singh Ji ki baat hume bilkul sahi lagi ki us bin pende ke kavi se kahi jyada galti laksyraj singh ji ki thi jo rajput hone ke baad bhi itihas ki sahi Jan kari nahi hone wali harkat kari or rajput Ekta ko thod ne ka kam kiya h Rajput ko apsa me ladwane wali gatiya harkat ki h in hone hum un se ye umid nahi karte the
भाई माना कि मानसिंह ने मुगलों की सेवा की लेकिन मानसिंह एक वीर योद्धा थे हा अगर मानसिंह ओर प्रताप साथ होते तो राजस्थान पर कोई भी आंख नहीं उठा सकता था ऐसे योद्धाओं को बेजती नहीं करनी चाहिए जिनसे भारत के हर जगह को जीत मुंगल को दिया
महाराणा प्रताप जी को कभी मानसिंह आता गुलामी स्वीकार करवाने तो कभी उसका बाप। आता था !
मानसिंह ने जोकुछ किया वह देश काल की परिस्थित के अनुसार किया किन्तु वर्तमान परिस्थित मे राजपूतों मे फूटलाना काम गौरव चौहान ने कुछ पैसौ पर बिककर किया है किसी राजपूत के पुरखों पर भद्दी टिप्पणी कर निंदनीय कार्य किया ।क्या और राजपूतों ने गद्दारी नही की अमर सिंह ने भी तो जहांगीर की आधीनता स्वीकार की
इस विषय को इतना तुल नहीं देना चाहिए ।कवि कविता के लिए स्वतंत्र होते हैं महाराणा प्रताप की बराबरी मान सिंह से नहीं हो सकती वो अकबर के अधीन थे देश का हिन्दू समाज मान सिंह को अपना आदर्श नहीं मान सकता जो अधीन होता है उसकी चलती भी नहीं है।जब जयमल जी ने चित्तौड़ में वीरगति पाईं तब अकबर ने कत्ले-आम का आदेश दिया तो निर्दोष तीस हजार नर नारी कत्ल किये उस समय अकबर की सेना के राजपूत क्या कर रहे थे ?
दुसरी बात ओरंगज ने राठौङो राजकुमारी चंचलकुवरी से विवाह करने आ रहा तब एक भी राठौङ और कछावा बचाने नहीं आया मेवाङ के महाराणा राजसिह ने अपने अनमोल रत्न सलूम्बर सरदार और हाड़ी रानी को खोकर रक्षा की ।अगर किसीने भी विदेशीयों की जङे जमाने का काम किया है तो वह महानता नहीं हो सकती महानता महाराणा के पक्ष में लङने वालों की है ।इसलिए महाराणा की तरफ से बलिदान हुए उनको शत् शत् नमन् और अकबर की सेना में हिन्दू मरे उनके लिए कोई नमन् नहीं ।
हमारे पूर्वजों ने देश विदेश में झंडे गाड़े सीमित नहीं रहे
कच्छावों ने बप्पा रावल , खानवा का युद्ध में मेवाड़ का साथ दिया
इसी मान सिंह ने महाराणा को जीवन दान दिया पीछा न करके
इसी मान सिंह ने बंगाल से काबुल तक
मथुरा से जगन्नाथ पूरी तक धर्म ध्वजा को फ़ैराया
👉 दोस्तों इतिहास की सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता है। परन्तु इस दौर में विदेशी आक्रांताओं का साथ देने वालों को महान और आन बान और शान के लिए बलिदान देने वालों को कायर बताने का सिलसिला जारी है।
Yadi man singh nahi hota to jo tatu aaj unhe galat bata rahe h wo kalma phadte najar a rahe hote
महाराजा मानसिंह एक महान योद्धा थे उनहोने अफगानिस्तान को हराया और लूटा और आमेर के खजाने को मालामाल कर दिया अकबर को एक छदाम भी लूट का नही दिया अकबर भी मानसिंह से डरता था अकबर मन महशोश कर रह गया । लूट का धन बादशाह के सामने समर्पित करने की परमपरा थी जिसे मान सिह ने तोडा ।मान सिह ने हिन्दू और हिन्दुत्व की रक्षा की
जिनके बाप दादाओं ने स्कूल का मुंह नहीं देखा वो व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का ज्ञान पेल रहे है, इतिहास की किताबें पढ़ो, मान सिंह द्वारा बनाए गए बनारस के घाटों पर आज भी ये अपने बाप दादाओं का तर्पण करने जाते है
मेवाड़ के लोग अगर जयपुर पर गलत टिप्पणी करेंगे और कहेंगे कि मानसिंह की हरकतों पर शर्मिन्दा हैं, तो हम मेवाड़ के लोगों से ये कहेंगे कि मेवाड़ के लोग ये जानें कि 1818 में मेवाड़ और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई संधि क्या थी और इस संधि पर किसको शर्मिंदा होना चाहिए ?
कवि महाराज आपको इसकी कहां आवश्यकता थी जितना ज्ञान हो उतनी ही बात करनी चाहिए
यह लोग पहले भी राजपूत के साथ राजनीति खेल के राजपूतों को लड़ाई और अलग अलग किया और अभी यह लोग ऐसा ही कर रहे हैं राजपूत एकता बनाकर रहो ऐसे लोगों के भेकावे में मत आओ ✅☝️💯जय राजपुताना जय भवानी 🙏🚩💪⚔️
मेवाड का विरोध करने वाले लोग वही है जो उस समय अकबर के साथ थे but उन्हे बनना वर्तमान मे महान है
मान सिंह गलत नहीं इतिहास पढो
लड़ो मत आपस में हमने भी स्कूल की किताबो में गलत पड़ा था अब सही इतिहास सामने आ रहा है
हम लक्ष्यराजसिंह के साथ है आ जाओ चैलेंज है मेरा सिसौदिया वंश का
Fir mahal chod ke jaglo me bhag jawoge ......our fir haldhi ghati se bhag jawoge
Fir bhagoge mahal chhodkar janglon mein bhilon ki chatoge😂😂😂😂😂
@@ShailendraSinghnaruka-m9k😂😂😂
@@gheesushekhawat6491 aisi gatiya baat aap kiske liye boll rahe jisne muglo ki chati uss ko
@@girishsanadhya5608 aur rana amar singh ko kya kahoge jisne shahjahan se sandhi kari thi
Isme koi shak ki baat nahi ki maharana pratap veer the lekin unki veerta ko batane ke liye man singh ka apman jaruri tha Kya ?
Ye sab lakshyaraj singh ji ka kaam hai ye sab diya kumari ko nicha dikhane ke ho raha hai
Ye rajput ekta ko todne ki rajniti ho rahi hai🤔😥😥
ये जो मन सिंह जी को दी जाने वाली गालियों पर तालियां बजा रहे हैं, यही सोनिया गांधी की पार्टी वो वोट देकर संविधान बचा रहे हैं, पर गलत मान सिंह जी ही थे, बस.
उधर से माल मिला तो बोल दिए, वास्तविक स्थिति से सामना हुआ palat गए, समाज को डुबोने के लिए ये कवि पर्याप्त है।
Right
इतिहास साक्षी हैं उठा कर देख लें
Kavita mai Jo kha sahi kaha
मानसिजी अकबर के सेनानायक थे,लेकिन हिंदू समुदाय के भाव रक्षक भी
अगर आमेर के राजा मुग़लों के साथ थे, तो बाकी के सारे हिन्दू राजा, मेवाड़ के साथ क्यों नहीं थे ?
पुलिस को कॉल करना चाहिए था जब पत्नी-बच्चे की धमकी मिली तब, दोगलो की तरह दोनों तरफ़ नहीं बोलता
ये मेवाड़ है.... गद्दार हमेशा गद्दार ही रहेंगे....
अब इन गद्दारों में एक नाम इस कवि का भी जुड़ गया .....जय मेवाड़ ❤
एकदम सही ❤😂🙏🚩
झूठे कवियों की भेजती ही होती ह इन्होंने माफी मांगी बोला में झूठा हु
मेरे मेवाड़ के सुरमा प्रताप श्री के जूतों के नीचे की मिट्टी की होड़ भी मान सिंह नहीं कर सकता।।
जय मेवाड़ जय मेरे राणा जी प्रताप।।
महाराणा प्रताप शौर्य ओर वीरता कर प्रतीक है ओर महाराजा मान सिंह भी शौर्य ओर वीरता के प्रतीक है 🙏🏻
जो वीर रस की बड़ी बड़ी कविता लिखते हें वो ही सबसे बड़े कायर निकले ......
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से माफी मांगवाके बताओ फिर देखते हैं कितना दम है
दम तो पता चल जाता हुकम किसने कितना दम है बड़ी बड़ी बाते करने से कुछ नहीं हो जाता मेवाड़ को बाकी राजपूत लोगों ने साथ नहीं दिया होता 45 ठिकाने राठौड़ के लड़े 44 ठिकाने चौहान के लड़े झाला पवार सोलंकी और भी कही राजपूतों ने मेवाड़ के लिए युद्ध किया है और आज पूरा क्रेडिट मेवाड़ ले कर बैठा है आज मेवाड़ है तो खाली मारवाड़ के राठौड़ की वजह से सही से इतिहास पढ़ो खाली कितने युद्ध लड़े वो मत देखो किसने लड़े है मेवाड़ के लिए वो देखो
सिर्फ आमेर और मेवाड़ पर ही चर्चा क्यों की जाती है ? और भी तो कई राजा थे,, वे उस वक़्त क्या कर रहे थे ?
इतिहास को भावुकता से नहीं पढ़ना चाहिए, उस से पढ़के सीखना चाहिए,
वो एक ऐसा समय था जब सही गलत का निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं थे,
जिसके हाथ मे शक्ति थी उसने राज किया,
अब राज करने वाला खराब था या अच्छा था जैसा भी था, उस समय के हिसाब से आज का दृष्टिकोण बिलकुल फिट नहीं बैठ सकता,
इतिहास मे क्या हुआ और क्यु हुआ इसका सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है
किसी लेखक की लेखनी पढ़कर किसी को ईमानदार या गद्दार नहीं कहा जा सकता.
क्युकी राजस्थान के वीर योद्धाओ की जब बात होती है
तो हिंदी विषय मे राजस्थानी वीरों के इतिहास मे एक अलंकार विशेष रूप से हर जगह लगाया जाता है
और वो है अतिश्योक्ति अलंकार, 😮
सब कुछ thik वैसा नहीं हो सकता जैसा बताया गया है, बस अनुमान लगाइये
और एक बात तो है मंच पर अब कोई सच्चा कवि नहीं रहा,
कहा गया वो जोश, वो गुस्सा जो मानसिंह के लिए था!
और कहा गयी वो कृतज्ञता जो आप अपनी कविता मे महाराणा प्रताप हेतु बड़े भावुक होके प्रकट कर रहे थे कवि महोदय,
ऐसे ढोंगी कवि को कभी कोई मंच उपलब्ध न कराये,
कवि जो लिखता है ना वो उसे जीता है,
काव्यमंच की मर्यादा को तार तार करने वाले झूठे व्यक्ति
अपनी बात पे कायम नहीं यहा सका
जयपुर और मेवाड़ के राजाओं के अलावा अन्य भी तो राजा महाराजा थे राजस्थान में,, वे उस वक़्त क्या कर रहे थे ?
अकबर को फूफा किसने बनाया?बकवास कर रहे हो,जय प्रताप
सच्चाई स्विकार करना चाहिए
Use samay bhi Rajput aapas mein lad rahe the to uska fayda mugalon ne uthaya aur abhi aapas mein Rajput ladoge to yah rajneta fayda uthana chahte Hain