Nanda Ki Paili Jaat
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- Опубликовано: 10 фев 2025
- यह फिल्म ‘नंदा की पैली जात’ एक बेटी की कहानी है। उसका नाम नंदा है। नंदा के पिता हेमंत अपनी बेटी की पढ़ाई-लिखाई के प्रति लापरवाह हैं। मां के जिद करने पर पिता बेटी नंदा को स्कूल भेजने के लिये तैयार हो जाते हैं। नंदा जब स्कूल पढ़-लिख लेती है तो पूरे इलाके में खुशहाली आ जाती है।
इस फिल्म की पूरी कहानी
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हेमन्त और मैणा के घर बेटी पैदा होती है। उसका नाम नंदा रखा जाता है। नंदा बहुत खिलंदड़, समझदार, कर्मठ और मानवीय भावनाओं से युक्त बालिका है। गांव के सब बच्चे स्कूल जाते हैं लेकिन नंदा को उसके पिता हेमंत स्कूल नहीं भेजते। माता मैणा नंदा को स्कूल भेजना चाहती है। हेमंत माता मैणा के आग्रह को टालने का प्रयास करते हैं। नंदा को स्कूल न भेजने के हेमंत के तर्क आम पहाड़ी पिता के तर्क हैं कि नंदा यदि स्कूल जायेगी तो घास-न्यार, लकड़ी आदि कौन लायेगा? छोटे बच्चों और बूढ़ो की सेवा कौन करेगा? मैणा जवाब देती है कि सारे कार्य अपने समय पर होते रहेंगे लेकिन स्कूल पढ़ने के दिन लौटकर नहीं आयेंगे। हेमन्त इन तर्क-वितर्कों में उलझ कर सो जाते हैं। वे स्वप्न में एक लड़की को देखते हैं जिसका जीवन जंगल-जंगल भटकने तथा घास-लकड़ी काटने में बीत रहा है। वो लड़की रोते-कलपते हुए अपने पिता को शाप दे रही है। स्वप्न देखकर हेमन्त चौंक कर उठते हैं और अपनी बेटी नंदा को स्कूल भेजने का निर्णय लेते हैं। नंदा के स्कूल पढ़ने से वो सबल और योग्य होती है। उस पर ‘श्क्ति चढ़ती’ है और समाज में खुशहाली आती है।
यह फिल्म ‘नंदा की पैली जात’ कहती है कि आज की नंदाओं की ‘पैली जात’ (पहली यात्रा) यदि स्कूल की कराई जाय तो जीवन की शेष यात्राएं सुखद होंगी। उत्तराखण्ड में प्रचलित नंदा के मिथक और लोकपरम्परा को इस फिल्म का आधार बनाया गया है।
क्या है नंदाअष्टमी की जात और राजजात का मिथक?
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नंदा देवी की गाथा के अनुसार रिसासौ नामक स्थान में हेमंद और मैणा के घर नंदा का जन्म होता है। कम उम्र में नंदा का विवाह हो जाता है। नंदा का ससुराल ‘ऊंचे कविलाश’ में है। यह एक कठिन पहाड़ी क्षेत्र है। वहां नंदा को बहुत कष्ट, दुख और अभाव है। अपनी इस स्थिति के लिए नंदा अपने पिता को जिम्मेदार ठहराती है तथा श्राप देती है और मायके (रिसासौ) पर दोष लगती है। तब नंदा को मायके बुलाया जाता है। और फिर बेटी नंदा को ससुराल भेजने की भावनात्मक विदाई यात्राएं प्रतिवर्ष नंदाष्टमी के रूप में और बारह या उससे अधिक वर्षो में राजजात के रूप में आयोजित होती हैं। जो लोग नंदा के मिथक से परिचित हैं उनके लिए नंदा की विदाई का ये अवसर भावनात्मक रूप से कष्टप्रद होता है। इसमें ससुराल में बेटियों को अभाव, कष्ट, दुख और खुद की पीड़ा घुली होती है।
मूल परिकल्पना ः नंद किशोर हटवाल
निर्देशन, छायांकन, सम्पादन ः महेश भट्ट
गीत नाटिका निर्देशन ः विजय वशिष्ट, नंद किशोर हटवाल
पार्श्व गायन ः किशन महिपाल, दीपा चौहान, सत्येन्द्र अधिकारी
संगीत ः किशन महिपाल, नंद किशोर हटवाल
कहानी, पटकथा, संवाद ः नंद किशोर हटवाल
सह निर्देशन ः ऋतुराज भट्ट
निमार्ण एवं तकनीकि पक्ष ः डॉ. हेमन्त भारद्वाज, ऋतुराज, उपेन्द्र भण्डारी, अभिषेक चौहान
पात्र परिचय
सूत्रधार ः दिनेश बौड़ाई
छोटी नंदा ः नेहा नेगी
बड़ी नंदा ः वर्षा नेगी
पिता हेमन्त ः विजय वशिष्ट
माता मैणा ः सुनीता सती
लोहासुर दैत्य, शराबी पति ः उपेन्द्र भण्डारी
महिषासुर ः हरीश भारती
शुम्भ-निशुम्भ ः कुलदीप करासी, अभिषेक चौहान
स्वप्न वाली लड़की ः वंदना नेगी
सर्वशिक्षा का जागरिया ः अरविंद कुमार
पारम्परिक जागरिया ः किशन महिपाल
ग्रामीण महिलाएं ः सोनी, अनिता
सहकलाकार ः इंदू, बीना, खुशबू रतूड़ी
सर्वशिक्षा की जागरिया टीम ः सुनील सिंह, लक्ष्मण रावत, प्रशान्त सूरी
परम्परागत जागरिया टीम ः कुलदीप करासी, मानवेन्द्र रावत, किशन बिष्ट
इलैट्रीशियन बेटी ः अनामिका
इलैट्रीशियन बेटी के पिता ः ओमप्रकाश नेगी
सिरोली गांव (चमोली) के बालकलाकार ः शिवानी, प्रीति, कल्पना, साक्षी, मनीषा, अनामिका, सीमा, शालिनी, दिक्षा, प्रभात, अंजलि, किरन, लक्ष्मी, अभिषेक, आशीष, विजय सिंह, किशन सिंह, सूरज सिंह
सगर गांव (चमोली) के बालकलाकार ः अरविंद, अंजलि, अलका, नेहा, मनीषा, बबीता, मंजू, सुमन, रवीना, अंजना, हिमानी, कविता, अनिता, अरूणा, सुस्मिता
‘हम छा बेटुला’ गीत के नर्तक ः अजिता, निकिता, कविता, आदिल, अंकिता और बबिता
निर्माण ः सरोकार(Centre Developmental Communication)
फिल्म देख कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।
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क्या उत्तराखण्ड में प्रचलित लोकशैलियों का उपयोग करते हुए इस तरह अपनी बात कहना प्रभावशाली है?
यहां प्रचलित लोकशैलियों का उपयोग हम नए संदर्भों और अर्थों में कर सकते हैं?
बलिका शिक्षा जागरूकता पर बेहतरीन फिल्म👍🏻👍🏻👍🏻
बहुत सुन्दर एवं सराहनीय जागरूकता अभियान 👍🙏
अति सुन्दर , शिक्षाप्रद एवम् प्रेरणास्पद फिल्म । इस प्रकार की अच्छी फिल्म के निर्माण हेतु हार्दिक आभार ।
अद्भुत. बहुत ही बढ़िया प्रस्तुती. मधुर आवाज.
वाह।
लेखन, अभिनय, संगीत, संदेश सब कुछ शानदार। नमन आपको हटवाल सर🙏🙏🙏
बहुत सही बात है। बच्चियों की पढ़ाई लिखाई को सदैव परिवार की प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
बहुत सुन्दर रचना भाई जी सराहनीय प्रयास बधाई हो
बहुत सुंदर ❤❤
Sunder sandesh sir🌹🌹🌹🙏🙏🙏
बालिका शिक्षा खुणि सुबाटु बथौंदि स्वाणि गीत नाटिका! सादर प्रणाम दगडि साधुवाद!
बहुत सुंदर🙏🙏🙏🙏🙏🙏
"नंदा की पैली जात" फिल्म मेरे द्वारा देखी गई है। यह फिल्म अत्यंत सरसता और अच्छी तरह से बनाई गई है। भारतीय संस्कृति मे और विशेष रूप मे पहाड़ गढ़वाल के जीवन मे स्त्रियाँ, हमारे जीवन व सभ्यता का आधार-स्तम्भ है। इस शिक्षा की महत्ता को समझते हुये बालिका-शिक्षा पर पर, आज के सबसे महत्वपूर्ण संवाद-माध्यम फिल्म-निर्माण का आपका यह सृजनात्मक-कार्य अत्यंत विशिष्ट है।
बालिका-शिक्षा पर इससे अच्छी फिल्म अभी तक शायद की बनी हो। आपने इसमें संस्कृति को जितनी अच्छी तरह कैसे दिखाया है वह अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानव जीवन को जीने का जो मार्ग होता है वह धर्म होता है और आपने बालिका-शिक्षा को धर्म से जोड़ कर ऐसा महत्वपूर्ण प्रयास किया है जो कि बहुत ही अधिक सराहनीय है।
गढ़वाल की संस्कृति को दर्शाने हेतु आपके द्वारा जागर आदि गायन शैली का प्रयोग बहुत ही मधुर और अच्छे ढंग से किया गया है। इस फिल्म की कहानी, रूपरेखा और फिल्मांकन भी बहुत ही खूबसूरत है।
फिल्म मे सभी कलाकारों द्वारा भी किया गया कार्य बहुत ही अच्छा है। इसमे कलाकारो का अभिनय अत्यंत ही खूबसूरत और सजीव है।
छोटे बच्चों का अभिनय बहुत ही जीवन्त होने की वजह से सराहनीय है।
आपके द्वारा किया गया यह प्रयास बालिका-शिक्षा के लिए एक मील के पत्थर की तरह है जो हमेशा याद रखा जाएगा। पूरी फिल्म बहुत ही खूबसूरत, ह्वदयस्पर्शी और अपना संदेश देने के साथ अपनी विशिष्ट छाप छोड़ने में सफल रही है।
इतनी जीवन और संस्कृति से पगी और बालिका-शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अत्यंत शिक्षाप्रद फिल्म को बनाने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और असीम शुभकामनाएँ ......
धन्यवाद अनिल नेति जी
बहुत प्रेरणाप्रद बहुत सुन्दर
Jai ho
Shaandaar prastuti bhaiji
बेहतरीन प्रस्तुति
प्रणाम भाई जी
अप्रतिम प्रस्तुति।
लेखन,गीत संगीत,अभिनय शानदार
बहुत खूब!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति शिक्षा अभियान की ।
हटवाल जी प्रणाम आपके चरणों में कोटी कोटी नमन आपके बराबर विधवान पुरसों को सदा नमन 🙏🙏🙏
#ombadhani अद्भुत प्रस्तुति भैजी👌💐नमन अर साधुवाद आपका ये पुनीत कार्य का वास्ता ।।
Love you nand kishor hatwal sir ❤
बहुत सुंदर प्रस्तुति
लोक के आलोक में बालिका शिक्ष पर एक शानदार, प्ररक और सार्थक प्रयास हेतु कोटिशः बधाई सर।
Bahut hi Sundar Balika Shiksha per
बहुत सुंदर बेटी पड़ाओ बेटी बचाओ
Bahut hi Marmic
Sir dil se sukriya isko share krne k liye really heart touching
❤️🔥👌
😍😍
बालिका शिक्षा की दिशा में एक सार्थक प्रयास
सर्वशिक्षा अभियान की उत्तम प्रस्तुति ।सभी पालक इस कहानी से सीख लें।
Great
Sweet memories 😍😍
👍