वाह... वाह.... मेरे पास शब्द नहीं, कि रोम-रोम को रोमांचित कर देने वाली पंक्तियों, श्री सतीश जी की कलम की प्रशंसा में कविता लिखने की... शब्द नहीं कि प्रशंसा कर सकूँ इन काव्य पंक्तियों के एक एक शब्द की जो मन को नवों रसों से भर देने वाले हैं... नहीं शब्द की आदरणीय आशुतोष जी और वैष्णवी की काव्यपाठ शैली, भाव भंगिमा और ओजस्वी अभिनय की तारीफ कर सकूँ... यही लिखूंगी.. वाह वाह वाह... ❤
Aashutosh Rana ji aapko bahut bahut pranaam. Aap logo ko Hindu dharam ki jaankariya dete hai, jo logo ko sanskaari banne ko prerit karti hai. Jai Shree Ram ji ki
इस महान रचना के लिए सतीश सृजन जी को कोटि-कोटि धन्यवाद और आशुतोष जी तथा वैष्णवी जी आप दोनों की प्रस्तुति नें मुझे भाव-विभोर कर दिया है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वो मुझे कभी आपसे मिलने और काव्य पाठ सुनने अवसर प्रदान करें!
मैं अभी बारहवीं में हु पर आपको देख देख मुझे कविताओं से इतना प्रेम होगया है कि अपने पाठ्यक्रम का वन शॉट देखना भारी लगता है लेकिन मैंने इस संवाद को पूरा देखा पूरे उल्लाह के साथ 😊 आपका बहुत बहुत धन्यवाद श्रीमान 🙏🙏
इधर राम हैं या राम उधर, मत पूछो मुझसे किधर किधर । क्या आंखों में हैं या सांसों में, या छिपे राम हैं भावों में। मैं मंथरा कहूं या कहूं कैकेई, लेकिन होनी के दो रूप नहीं। जहां राम नहीं वहां भरत नहीं, जीवित शरीर में प्राण नहीं। ...आपका बहुत धन्यवाद❤❤
मेरे पास शब्द नहीं है धन्यवाद करने को। मेरी इच्छा है कि इसे आगे जारी करिये। जब भारत ने चित्रकुट जा रहे थे रास्ते में उनके मन में क्या भाव था, प्रभु राम जी के साथ क्या बात हुई ओर जब वो लौटे तो केसे बेदाना लिए लौटे।
निस्सन्देह! आशुतोष जी को उनकी फिल्मों में और उसके भी पहले स्वाभिमान में देखा सुना है और उसी प्रभाव स्वरूप इस संवाद के श्रवण का लोभ था- यहाँ आकर दोगुना आह्लाद। वैष्णवी जी के स्वर ने कैकेयी के चरित को जीवन्त कर दिया।
मने सुना, कई बार सुना, सुनकर मन हर्षाया, देख के अनमोल वचन मन का कवि बोल गया, लिखूं मैं भी दो वचन मन की भावना व्यक्त करूँ आनंदित हूँ, मैं हर्ष में हूँ लिखते हुए ये छंद। jai hind
आशुतोष जी और वैष्णवी जी द्वारा की गई भरत-केकई संवाद की प्रस्तुति ने भावुक कर दिया। आंसुओं के बीच ऐसा लगा कि चि॰ भरत और माता केकई त्रेता युग से अभी कलयुग में जीवन्त हो गए हैं। प्रस्तुति के लिए और सनातन की मर्यादा समझाने के ढेरों धन्यवाद 🙏🙏
फिल्मों में भले ही आपने विलेन का रोल किया हो परन्तु वास्तविकता में आप सच्चे सनातनी हो जो आने वाली पीढ़ी को अच्छे संस्कार दे रहे हो। आप महान हो आशुतोष जी 🙏🚩
वाह! जितना खुब शब्दों में पिरोया गया है उतना ही जीवन्त रूप से राणा जी ने और वैष्णवी जी ने प्रस्तुत भी किया है, ऐसे लग रहा था जैसे हुबहू दृश्य आंखों के सामने प्रत्यक्ष रूप से चल रहा था...
रचना और प्रस्तुति दोनों अति उत्तम आशुतोष जी और वैष्णवी जी ने जो भावनात्मक वातावरण उत्पन्न किया वो अकथनीय और अतुलनीय हैं। बहुत सौभाग्यशाली हैं हमलोग जो आपकी प्रस्तुति को सुन रहे हैं। कोटि-कोटि धन्यवाद !
अति सुंदर प्रकरण, उतनी ही सुंदरता से प्रस्तुत किया है आपने, सुनकर ऐसा मौसूस होता है जैसे स्वयं उस काल में पहुँच कर देख रहा हूँ। रोम रोम खड़े हो गए। धन्यवाद !
आप दोनों ने ही बहुत ही शानदार तरीके से अपन अपना संवाद पाठ किया है..... आदरणीय सतीश सृजन जी की रचना को इतने बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है, राणा साब और वैष्णवी जी ने ♥️♥️♥️♥️👌👌👌👌 दोनों कवि और कवियत्री का बहुत धन्यवाद, अपने श्रोताओं के लिए इतनी अच्छी रचना करने के लिए 😊
सबसे पहले सतीश सृजन की इस रचना को बारम्बार प्रणाम। आशुतोष राणा जी तो बहुमुखी कलाकार है उनका क्या कहना लेकिन वैष्णवी शर्मा ने जो किरदार अभिनीत किया है, उसे सर आंखों पर। बहुत सुंदर अप्रतिम अभिनय, कलाकृति और रचना।
मां हिंदी और भारतीय संस्कृति की इस सेवा केलिए, मैं इस कवि का ऋणी सदा रहूंगा और आप ने अपना उर लगाकर इस कविता को पल्लवित किया इसके लिए राणा जी आपका जितना आभार मानूं कम है।❤
“भरत और कैकेयी के संवाद का यह दृश्य हृदय को छू लेने वाला है। भरत की निःस्वार्थता और धर्मनिष्ठा हमें आदर्श पुत्र और राजा का स्वरूप दिखाती है, इस प्रसंग ने मातृ-पुत्र के संबंधों की जटिलता और मानव मन के द्वंद्व को बखूबी प्रस्तुत किया है। पूरी प्रस्तुति इतनी प्रभावशाली थी कि आंखें नम हो गईं। इस तरह के उत्कृष्ट और भावनात्मक प्रसंगों को जीवंत बनाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
बहुत ही प्रभावशाली सुंदर विलक्षण अभिव्यक्ति आशुतोष साहब को तो कुछ कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा है बाकी वैष्णवी ने भी कमाल कर दिया है और रचनाकार को भी शत शत नमन
❤ आप दोनों की प्रस्तुति सर्वोतम है। 🙏🙏 वैष्णवी जी प्रशंसा की अधिकारी है, जिन्होंने आपके समक्ष इतनी अच्छी और सहज प्रस्तुति दी है। आपका सानिध्य शायद इतना सहज बना दिया है उनको। और इस प्रस्तुति ने इस लेखनी को जीवंत बना दिया है।
आशुतोष सर....आपकी आवाज़ बहुत अच्छी है और जिस तरह से आप कविता सुनाते हैं...वो तो श्रेष्ठता से भरा हुआ है.... बहुत बहुत धन्यवाद सर हम नई पीढ़ी को आध्यात्मिक दुनिया से जोड़ने के लिए...लाख-लाख बार धन्यवाद .....
बरसों से चली आ रहे और अनेको बार सुने हुए इस प्रसंग को जैसे पहली बार सुना या देखा? समझ में ही नहीं आया की आंख खोल कर वीडियो देखा जाए या आंख बंद कर ट्रांस जैसी अवस्था में प्रसंग घटित होता अनुभव किया जाए।जब लिखित शब्दों को इतनी मजबूत प्रस्तुति मिलती है तब अनुभूति व्यक्त करने के लिए हम जैसे भावकों को तो शब्द ही नहीं मिलते। आशुतोष जी की कला के कायल तो हमेशा से थे पर वैष्णवी जी आपकी प्रस्तुति भी अत्यंत मनोहारी एवं प्रणाम की अधिकारी है।🙏🙏🙏
बहुत बहुत सुंदर.. बहुत ही वास्तविक लग रहा जैसे सब आंखों के सामने हो रहा .. सुनते हुवे काफी बार हृदय द्रवित हुआ बहुत ही सुंदर पंक्तियां.. और बहुत शानदार मंचन 🙏🥹❤️
वैष्णवी की भावभंगिमा और राणा जी के आवाज़ सतीश दा के लेखनी,इस तिकड़ी ने शब्दों का ऐसा से ऐसा सरोबार किया है अद्भुत❤ जैसे किसी सुखी जमीं पे बरसा हो सावन की पहली बारिश, मनमोहक
कई दिनों का इंतज़ार आज समाप्त हुआ। आख़िर आज ये प्रस्तुति सुनने को मिली। जितनी गहराई और सुंदरता से ये कविता लिखी गई है उतनी ही गहराई और सुंदरता से इस कविता को श्रीमान आशुतोष राणा और बहन वैष्णवी शर्मा जी के द्वारा प्रस्तुत भी किया गया है। इस प्रस्तुति में शोक भी है, प्रेम भी है, विनम्रता भी है, सम्मान भी है। दिल को छू लेने वाली यह प्रस्तुति है। सुनकर दिल आनंदित हो गया। ❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कविता के बीच में ही कमेंट करने से अपने आपको रोक नहीं पाया सर। अंततः आंसु भी आ ही गए।आपकी शैली ही ऐसी है कि रोएं खड़े हो जाते हैं सुनते सुनते। वैष्णवी दीदी ने भी अच्छी प्रस्तुति दी।बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏🙏
And now we have to get the remaining work done By making the society liquor and non vegetarian free. Spreading love not hatredness. Spreading love among brothers.. Doing good deeds. Not following one who is using name of My Lord for vote bank politics My Ram is not agenda for vote.
कितना अच्छा लेखक ने लिखा है और कितना अच्छा दोनों लोग गाए हैं मैं सुनते-सुनते जैसे लगता मैं सामने ही देख रहा हूं मन द्रवित हो गया बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏
इस संवाद को सुन कर ऐसा लगा जैसा कि भरत कैकेई संवाद आंखों के सामने हो रहा हो 😢😢और वो Moment को हमने जिया जो उस समय भरत भैया के हृदय पे हो रहा था 😢😢❤आप दोनों की आवाज में ये संवाद सुन कर मन प्रफुल्लित हो उठा धन्यवाद 😊 Jay shree SITARAM 🌹✨ जय श्री भरत भैया 🙏🙏🫡 🙏✨🥹राम , लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न 😊🎉
आराध्य प्रभु श्रीराम जी के जीवन का वर्णन सुनने के साथ ही भरत जैसे प्रिय भाई का वर्णन देखते सुनते हृदयों में जो संवेदनाएं व्यक्त होने लगती है मानो अपनी परिवार में भाईयों के साथ भी वैसा ही व्यवहारों का अनुसरण होता रहें और मिलता रहें,, जय श्री राम 🌹
अविस्मरणीय संवाद का श्रवण वास्तविक रूप में करुणामय बोध करवाता है। आलेख और वाचन दोनों ही मंत्रमुग्ध करते है। वस्तुत: मैंने ऐसे माता-पुत्र के संवाद को प्रथम बार ही सुना है। राजकुमार भरत का भातृ प्रेम और त्याग की भावना अद्वितीय है, जिसका रचनाकार ने अतिसुन्दर चित्रण किया है। आशुतोष राणाजी की प्रस्तुति आलेख में चार चांद लगाती है.!
कोई सुन्दर से भी अति सुन्दर शब्द ढूँढ लूँ इस कथा के प्रशंसा में अपनी पोटली में ऐसी शक्ति अभी मुझे मिली नहीं..... श्री हरि 💝 🙏🏻 #ayodhya #ramayan #jaishreeram
दो बार पूरा सुना आशुतोष सर आप तो हमेशा ही अपनी शैली से देश भर के लोगों पर प्रभाव डालते हैं परंतु इस बार आपके साथ कैकयी का पात्र का वाचन रही वैष्णवी ने भी बहुत प्रभावित किया । सतीश जी कविताएं आप दोनों के माध्यम से हम तक पहुँची उनका, आपका और आपकी पूरी टीम का हृदय से आभार ❤️
ऐसा अब जीवन है कहां जो भाई के लिए इतना सोच, सुनकर इतनी प्रीत कथा है कितनी बार आंसू पोंछे, मुझे गर्व है हिंदू होने पर जहां समर्पण पूरा है, है राम लौट के आजाओ सब तुम बिन यहां अधूरा है😢😢
अद्भुत प्रस्तुति ऐसा सुंदर प्रस्तुति देख ऐसा लगा कैकेई और भरत संवाद का पूर्ण नाट्य मंचन देख रही हूं 🙏 बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई बधाई आप दोनों को 💐💐👏👏🙏🙏
सदा के भांति एकबार पुण: आदरणीय आशुतोष राणा जी के द्वारा बेजोड़ अतुलनीय एवं अनूठा संवाद का प्रस्तुतीकरण, आशुतोष जीआप धन्य है, ईश्वर आपको सदा सुखी एवं स्वस्थ रखें
कैकयी के तर्क कितनी मजबूती से सतीश सृजन जी ने रचा है। एक माँ के तौर पर कैकयी का बहुत मजबूती भरा तर्क पहली बार जाना और मन में जम गया। आशुतोष जी ने भारत की और वैष्णवी जी आपकी शैली कैकयी को जीवंतर कर दिया।❤❤
वैष्णवी शर्मा 🙏🙏🙏 एवं राणा जी को बहुत बहुत धन्यवाद् इतना बेहतरीन काव्य पाठ की समय का पता ही नहीं चला कि कब बीत गया और इतने समय में कई क्षणों से गुजरना पड़ा 🤞👌👌👌👌👌♥️♥️♥️♥️💚💚
क्या संवाद लिखा है वाह..🙏अतिविशिष्ट!!!🔥🔥 जितनी सुन्दर रचना (सतीश सृजन जी की कलम से 🙏) उतना ही अप्रतिम आप दोनों(आशुतोष दादा एवं वैष्णवी जी )का अभिनयपूर्ण संवाद🔥🔥♥️🙏🔥 जय श्री राम🙏🙏
वाह, अद्भुत 🙏 मैं एक क्षण के लिए भी इस संवाद को नहीं रोक पाया। यू ट्यूब के दर्शक चलचित्र से ज्यादा निचे लिखी टिप्पणियों को पढ़ने के लिए आतुर रहते हैं। परंतु यहां ऐसा न हुआ। जो वर्तांत में रामानंद सागर जी की रामायण देखकर भी न देख पाया वो आपको सुनते हुए मेरे मन मस्तिष्क में चला जा रहा था। मंथरा की चाल, कैकई का स्वार्थ भरा दंभ, भरत की विवश दशा और आक्रोश। आपको साधुवाद 🙏
शिक्षा जरूरी है मगर संस्कार भी होने चाहिए।
घर घर में राम और भरत से किरदार होने चाहिए।
👏👏
वाह... वाह.... मेरे पास शब्द नहीं, कि रोम-रोम को रोमांचित कर देने वाली पंक्तियों, श्री सतीश जी की कलम की प्रशंसा में कविता लिखने की... शब्द नहीं कि प्रशंसा कर सकूँ इन काव्य पंक्तियों के एक एक शब्द की जो मन को नवों रसों से भर देने वाले हैं... नहीं शब्द की आदरणीय आशुतोष जी और वैष्णवी की काव्यपाठ शैली, भाव भंगिमा और ओजस्वी अभिनय की तारीफ कर सकूँ... यही लिखूंगी.. वाह वाह वाह... ❤
सुनते सुनते द्रवित ह्रदय से,
कई बार मुझे रोना आया।
ऐसी रचना करके तुमने,
धन्य किया मेरा काया।।
कौन कौन सुनते हुए रोए है।😢😢😢😢
😍😍
सभी
धन्य कर दी मेरी काया
Aap sabhi log 2,line quotes kre sunder sa....
Bhut sunder prastuti h sir
Aashutosh Rana ji aapko bahut bahut pranaam. Aap logo ko Hindu dharam ki jaankariya dete hai, jo logo ko sanskaari banne ko prerit karti hai. Jai Shree Ram ji ki
इस महान रचना के लिए सतीश सृजन जी को कोटि-कोटि धन्यवाद और आशुतोष जी तथा वैष्णवी जी आप दोनों की प्रस्तुति नें मुझे भाव-विभोर कर दिया है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वो मुझे कभी आपसे मिलने और काव्य पाठ सुनने अवसर प्रदान करें!
जितनी अच्छी लिखावट थी उतनी ही अच्छी आप दोनों की प्रस्तुति ❤🎉
कोई भी शब्द सार्थक नहीं इस प्रस्तुति की प्रशंसा हेतु गुरुदेव। अद्भुत अतुलनीय अद्वितीय
मन , हृदय और आत्मा की गहराईयों तक समा गया आपका संवाद❤️❤️❤️❤️❤️❤️
मैं अभी बारहवीं में हु पर आपको देख देख मुझे कविताओं से इतना प्रेम होगया है कि अपने पाठ्यक्रम का वन शॉट देखना भारी लगता है लेकिन मैंने इस संवाद को पूरा देखा पूरे उल्लाह के साथ 😊 आपका बहुत बहुत धन्यवाद श्रीमान 🙏🙏
भाई वो वीडियो बना कर कमाई कर रहे हैं। आप अपनी बारहवीं का पाठ्यक्रम ना छोड़े
@@DarkhorseUS जी श्रीमान 😊
बेटा सीमाओं में रहकर हिंदी कविताओं से जुड़े रहोगे तो शायद व्यक्तित्व निखर जाये और चरित्र बच जाएगा ढलती उम्र तक 🙏❤️
@@sahityaprem4887 🙏
Same
आप एक फौजी की बेटी हैं पूरे देश को आप पर बहुत गर्व है। मैं भी एक फौजी हूं। भगवान से आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं ❤❤
इधर राम हैं या राम उधर, मत पूछो मुझसे किधर किधर । क्या आंखों में हैं या सांसों में, या छिपे राम हैं भावों में। मैं मंथरा कहूं या कहूं कैकेई, लेकिन होनी के दो रूप नहीं। जहां राम नहीं वहां भरत नहीं, जीवित शरीर में प्राण नहीं। ...आपका बहुत धन्यवाद❤❤
अदभुत, अकल्पनीय, अविरल , अद्वितीय
अति अति अति सुन्दर, अति अति अति उत्तम
अद्भुत प्रदर्शन
🫡Austosh Rana = Multi talented person (RUclipsr+Actor+Writer+Motivational Speaker+Singer)
❤❤❤
अद्भुत अति सुंदर भरत कैकयी जीवंत सवांद, अनायस ही आंखों से आँसू छलक रहे है।
धन्यवाद साधुवाद आशुतोषजी 🙏
मेरे पास शब्द नहीं है धन्यवाद करने को। मेरी इच्छा है कि इसे आगे जारी करिये। जब भारत ने चित्रकुट जा रहे थे रास्ते में उनके मन में क्या भाव था, प्रभु राम जी के साथ क्या बात हुई ओर जब वो लौटे तो केसे बेदाना लिए लौटे।
Aapko lgta hai itna sensetive hai koi ramayan ko lekr
Excellent, i heard it one go...
In
राम, भरत संवाद ,क्वचित अन्यतो पि के साथ
न भूतो न भविष्यति। ।❤
आशुतोष जी का तो अभिनय उच्चतम स्तर का है ,परन्तु वैष्णवी जी का अभिनय देखकर से एक ही शब्द निकलता है.... अद्भुत अद्भूत अद्भुत ❤
निस्सन्देह! आशुतोष जी को उनकी फिल्मों में और उसके भी पहले स्वाभिमान में देखा सुना है और उसी प्रभाव स्वरूप इस संवाद के श्रवण का लोभ था- यहाँ आकर दोगुना आह्लाद। वैष्णवी जी के स्वर ने कैकेयी के चरित को जीवन्त कर दिया।
मने सुना, कई बार सुना,
सुनकर मन हर्षाया,
देख के अनमोल वचन
मन का कवि बोल गया,
लिखूं मैं भी दो वचन
मन की भावना व्यक्त करूँ
आनंदित हूँ, मैं हर्ष में हूँ
लिखते हुए ये छंद।
jai hind
यह प्रसंग बिना आशु बहाये कोई नहीं देखा सकता। 🙏
वाह रोंगटे खड़े हो गए कमाल,अद्भुत ,उत्कृष्ट❤🎉
निशब्द हूं आपकी प्रस्तुति के आगे
नमन है सतीश सृजन जी को अद्भुत रचना के लिए 😊🙏🙏🙏🙏
गुरूजी आप ओर कुमार जी के कारण आज के हमारी पिढी को ये सारा घ्यान फ्री मे मिलता है.
जय हो भारत की
अत्यंत अनूठी एवं अद्वितीय प्रस्तुति 👏
संभवतः इस संकल्पना पर प्रथम प्रयास 🤗
आदरणीय दादाश्री सादर चरणस्पर्श प्रणाम 🙏
कोई शब्द नहीं जो आपकी तारीफ में लिख सकूं,,,,,, मां सरस्वती की कृपा आप पर यूं ही बनी रहे और आप हमें इसी तरह ऋणी बनाते रहें,🙏🙏
आशुतोष जी और वैष्णवी जी द्वारा की गई भरत-केकई संवाद की प्रस्तुति ने भावुक कर दिया। आंसुओं के बीच ऐसा लगा कि चि॰ भरत और माता केकई त्रेता युग से अभी कलयुग में जीवन्त हो गए हैं।
प्रस्तुति के लिए और सनातन की मर्यादा समझाने के ढेरों धन्यवाद 🙏🙏
अदभुत प्रसंग, अदभुत स्वर। आप दोनों ने मन प्रसन्न कर दिया। काश रामायण कथा के प्रत्येक प्रसंग और संवाद इसी प्रकार आप लोगों से सुनने को मिलता। ❤❤ धन्यवाद
आदरणीय राणा काका आपके अति सुन्दर पुस्तक “रामराज्य” प्रतिदिन पढ़ता हूँ। ईतने विशेष पुस्तक के लिए सादर प्रणाम्🕉️🌸🙏
आशुतोष जी आप ने कैकेई और भरत के चरित्र का जो संवाद सुनाया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद भारत का चरित्र बहुत महान है राम के भाई जो है
फिल्मों में भले ही आपने विलेन का रोल किया हो परन्तु वास्तविकता में आप सच्चे सनातनी हो जो आने वाली पीढ़ी को अच्छे संस्कार दे रहे हो।
आप महान हो आशुतोष जी 🙏🚩
अप्रतिम! अद्वितीय! आशुतोष और वैष्नवी ने भरत कैकेई संवाद को इस तरह गाया कि त्रेतायुग का वह प्रकरण पुनः सम्मुख आ खड़ा हुआ। 🌟🌟🌟🌟🌟
जय श्री राम आपके इस कविता को सुनकर आंखे नम हो गईं, इसके प्रशंसा के लिए कोई शब्द नहीं हैं
Me too❤❤❤
वाह! जितना खुब शब्दों में पिरोया गया है उतना ही जीवन्त रूप से राणा जी ने और वैष्णवी जी ने प्रस्तुत भी किया है, ऐसे लग रहा था जैसे हुबहू दृश्य आंखों के सामने प्रत्यक्ष रूप से चल रहा था...
अद्भुत प्रस्तुति। शत शत नमन 🙏🏾
रचना और प्रस्तुति दोनों अति उत्तम
आशुतोष जी और वैष्णवी जी ने जो भावनात्मक वातावरण उत्पन्न किया वो अकथनीय
और अतुलनीय हैं।
बहुत सौभाग्यशाली हैं हमलोग जो आपकी प्रस्तुति को सुन रहे हैं। कोटि-कोटि धन्यवाद !
अति सुंदर प्रकरण, उतनी ही सुंदरता से प्रस्तुत किया है आपने, सुनकर ऐसा मौसूस होता है जैसे स्वयं उस काल में पहुँच कर देख रहा हूँ। रोम रोम खड़े हो गए। धन्यवाद !
आप दोनों ने ही बहुत ही शानदार तरीके से अपन अपना संवाद पाठ किया है.....
आदरणीय सतीश सृजन जी की रचना को इतने बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है, राणा साब और वैष्णवी जी ने ♥️♥️♥️♥️👌👌👌👌 दोनों कवि और कवियत्री का बहुत धन्यवाद, अपने श्रोताओं के लिए इतनी अच्छी रचना करने के लिए 😊
पावन अवधभूमि से आप दोनों को प्रणाम।
उम्दा लेखन और प्रस्तुति गजब है। ❤️
मैं स्तब्ध हो गया यह सुनकर क्या आपने बोला है मैं धन्यवाद करता हूं भगवान यह आपकी कला है।
❤❤❤
सबसे पहले सतीश सृजन की इस रचना को बारम्बार प्रणाम। आशुतोष राणा जी तो बहुमुखी कलाकार है उनका क्या कहना लेकिन वैष्णवी शर्मा ने जो किरदार अभिनीत किया है, उसे सर आंखों पर। बहुत सुंदर अप्रतिम अभिनय, कलाकृति और रचना।
मां हिंदी और भारतीय संस्कृति की इस सेवा केलिए, मैं इस कवि का ऋणी सदा रहूंगा और आप ने अपना उर लगाकर इस कविता को पल्लवित किया इसके लिए राणा जी आपका जितना आभार मानूं कम है।❤
“भरत और कैकेयी के संवाद का यह दृश्य हृदय को छू लेने वाला है। भरत की निःस्वार्थता और धर्मनिष्ठा हमें आदर्श पुत्र और राजा का स्वरूप दिखाती है, इस प्रसंग ने मातृ-पुत्र के संबंधों की जटिलता और मानव मन के द्वंद्व को बखूबी प्रस्तुत किया है। पूरी प्रस्तुति इतनी प्रभावशाली थी कि आंखें नम हो गईं। इस तरह के उत्कृष्ट और भावनात्मक प्रसंगों को जीवंत बनाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
बहुत ही प्रभावशाली सुंदर विलक्षण अभिव्यक्ति
आशुतोष साहब को तो कुछ कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा है
बाकी वैष्णवी ने भी कमाल कर दिया है
और रचनाकार को भी शत शत नमन
❤ आप दोनों की प्रस्तुति सर्वोतम है। 🙏🙏
वैष्णवी जी प्रशंसा की अधिकारी है, जिन्होंने आपके समक्ष इतनी अच्छी और सहज प्रस्तुति दी है। आपका सानिध्य शायद इतना सहज बना दिया है उनको। और इस प्रस्तुति ने इस लेखनी को जीवंत बना दिया है।
आशुतोष जी स्वयं गुरुदेव की कृपा दृष्टि से आपने हम सबको ये संवाद सुनाया आपका बहुत बहुत साधुवाद🙏
अदभुत प्रस्तुति आप दोनों की! ऐसा लगा मानो मेरे आंखों के सामने भरत और कैकई खड़े हो! 👏👏
बाह वाह आंखें भर आई प्राण उतार दिये आप दोनों ने इस प्रसंग में वाह
जय श्री राम
आशुतोष सर....आपकी आवाज़ बहुत अच्छी है और जिस तरह से आप कविता सुनाते हैं...वो तो श्रेष्ठता से भरा हुआ है.... बहुत बहुत धन्यवाद सर हम नई पीढ़ी को आध्यात्मिक दुनिया से जोड़ने के लिए...लाख-लाख बार धन्यवाद .....
अति सुंदर। व्याख्या करना अत्यंत कठिन है। वैष्णवी जी का जवाब नहीं। भाई साब तो हमेशा की तरह सम्पूर्ण है।
भरत राम .... गर्व है भारतीय होने पर जहा पर इतना भ्रातृत्व जीवित रहा
बरसों से चली आ रहे और अनेको बार सुने हुए इस प्रसंग को जैसे पहली बार सुना या देखा?
समझ में ही नहीं आया की आंख खोल कर वीडियो देखा जाए या आंख बंद कर ट्रांस जैसी अवस्था में प्रसंग घटित होता अनुभव किया जाए।जब लिखित शब्दों को इतनी मजबूत प्रस्तुति मिलती है तब अनुभूति व्यक्त करने के लिए हम जैसे भावकों को तो शब्द ही नहीं मिलते।
आशुतोष जी की कला के कायल तो हमेशा से थे पर वैष्णवी जी आपकी प्रस्तुति भी अत्यंत मनोहारी एवं प्रणाम की अधिकारी है।🙏🙏🙏
बहुत बहुत सुंदर.. बहुत ही वास्तविक लग रहा जैसे सब आंखों के सामने हो रहा .. सुनते हुवे काफी बार हृदय द्रवित हुआ बहुत ही सुंदर पंक्तियां.. और बहुत शानदार मंचन 🙏🥹❤️
अदभुत विलक्षण रचना की अतिसुंदर प्रस्तुति।महान प्रसंग का उससे भी महान रूप में प्रस्तुतिकरण।आपका साधुवाद।कोटि कोटि धन्यवाद।
जय श्री राम जय श्री राम।
वैष्णवी की भावभंगिमा और राणा जी के आवाज़ सतीश दा के लेखनी,इस तिकड़ी ने शब्दों का ऐसा से ऐसा सरोबार किया है अद्भुत❤ जैसे किसी सुखी जमीं पे बरसा हो सावन की पहली बारिश, मनमोहक
कई दिनों का इंतज़ार आज समाप्त हुआ।
आख़िर आज ये प्रस्तुति सुनने को मिली।
जितनी गहराई और सुंदरता से ये कविता लिखी गई है उतनी ही गहराई और सुंदरता से इस कविता को श्रीमान आशुतोष राणा और बहन वैष्णवी शर्मा जी के द्वारा प्रस्तुत भी किया गया है। इस प्रस्तुति में शोक भी है, प्रेम भी है, विनम्रता भी है, सम्मान भी है।
दिल को छू लेने वाली यह प्रस्तुति है। सुनकर दिल आनंदित हो गया। ❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏
मुझे आपकी लेखन शैली बहुत पसंद है क्योंकि आप हमेशा सही समय के लिए सही शब्द जानते हैं ।
मुझे लगता है कि आपने कहानी को बहुत अच्छी तरह से गति दी है। ❤
रोम रोम सुनकर इस कविता को रो पड़ा क्या सुंदर प्रस्तुति दी आप दोनों ने आपको कोटि कोटि प्रणाम आशुतोष भैया और वैष्णवी जी 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
कविता के बीच में ही कमेंट करने से अपने आपको रोक नहीं पाया सर। अंततः आंसु भी आ ही गए।आपकी शैली ही ऐसी है कि रोएं खड़े हो जाते हैं सुनते सुनते। वैष्णवी दीदी ने भी अच्छी प्रस्तुति दी।बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏🙏
अद्भुत प्रस्तुत रही राणा जी आपकी इस कविता को सृजनात्मक सुंदरता देनेके लिए के लिए आपको और वैष्णवी जी को बहुत बहुत धन्यवाद
अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय
I cannot stop my tears.
Every word has so much emotions, descriptions 👏
Masterpiece ❤
अद्भुत!! प्रस्तुति 🙏🏻
जय हो भरत जी महाराज, आप का प्रभु श्रीराम ध्यान करते हैं.
माता कैकेयी आपको सादर प्रणाम्
आप ना होती तो कौन देता हमको रामराज्य का राम🕉️🙏
And now we have to get the remaining work done
By making the society liquor and non vegetarian free.
Spreading love not hatredness.
Spreading love among brothers..
Doing good deeds.
Not following one who is using name of My Lord for vote bank politics
My Ram is not agenda for vote.
@@gulshansharma1779
मैं नेपाली हूँ भाई। जय श्री राम🕉️🙏
कितना अच्छा लेखक ने लिखा है
और कितना अच्छा दोनों लोग गाए हैं
मैं सुनते-सुनते जैसे लगता मैं सामने ही देख रहा हूं मन द्रवित हो गया
बहुत-बहुत धन्यवाद
🙏🙏🙏🙏
इस संवाद को सुन कर ऐसा लगा जैसा कि भरत कैकेई संवाद आंखों के सामने हो रहा हो 😢😢और वो Moment को हमने जिया जो उस समय भरत भैया के हृदय पे हो रहा था 😢😢❤आप दोनों की आवाज में ये संवाद सुन कर मन प्रफुल्लित हो उठा
धन्यवाद 😊
Jay shree SITARAM 🌹✨
जय श्री भरत भैया 🙏🙏🫡
🙏✨🥹राम , लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न 😊🎉
आराध्य प्रभु श्रीराम जी के जीवन का वर्णन सुनने के साथ ही भरत जैसे प्रिय भाई का वर्णन देखते सुनते हृदयों में जो संवेदनाएं व्यक्त होने लगती है मानो अपनी परिवार में भाईयों के साथ भी वैसा ही व्यवहारों का अनुसरण होता रहें और मिलता रहें,, जय श्री राम 🌹
क्या कविता सूनाई है सर मेरी आंखे असुओ से भीग गई।वैष्णवी बहन् की भी क्या प्रस्तुति है। दोनो को बहुत बहुत प्रणाम।
काव्य पंक्तियों की सुन्दरता आपके और वैष्णवी जी के स्वर से जीवन्त हो गये हैं। अद्भुत लेखनी और अद्भुत स्वर के लिए धन्यवाद आदरणीय। जय बुन्देलखण्ड।
सतीश सृजन जी की सारी कविताएं मुझे बहुत पसंद है साथ ही वैष्णवी दीदी जिस तरह प्रस्तुत करती है उसका क्या ही कहना। मैं निशब्द हूं हमेशा की तरह इस बार भी।
अविस्मरणीय संवाद का श्रवण वास्तविक रूप में करुणामय बोध करवाता है। आलेख और वाचन दोनों ही मंत्रमुग्ध करते है। वस्तुत: मैंने ऐसे माता-पुत्र के संवाद को प्रथम बार ही सुना है। राजकुमार भरत का भातृ प्रेम और त्याग की भावना अद्वितीय है, जिसका रचनाकार ने अतिसुन्दर चित्रण किया है। आशुतोष राणाजी की प्रस्तुति आलेख में चार चांद लगाती है.!
आंसू भर गए आंखों में धन्य हैं मेरे आराध्य का भाई भरत
मेरे पास शब्द नहीं आपका धन्यवाद करने को भगवान आप पर अपनी कृपा बनाये रखे l
अद्वितीय ❤
हमारी संस्कृति हमारा साहित्य चरम पर है 🏵️
कोई सुन्दर से भी अति सुन्दर शब्द ढूँढ लूँ इस कथा के प्रशंसा में अपनी पोटली में ऐसी शक्ति अभी मुझे मिली नहीं..... श्री हरि 💝 🙏🏻 #ayodhya #ramayan #jaishreeram
आप निश्चय रूप से अद्भुत वक्ता हैं लेकिन बहन की प्रस्तुति अत्यंत अद्भुत है। बहुत ही खूब बहन।।🎉🎉
निशब्द हु..... आशुतोष जी और वैष्णवी जी को सादर प्रणाम
दो बार पूरा सुना आशुतोष सर आप तो हमेशा ही अपनी शैली से देश भर के लोगों पर प्रभाव डालते हैं परंतु इस बार आपके साथ कैकयी का पात्र का वाचन रही वैष्णवी ने भी बहुत प्रभावित किया । सतीश जी कविताएं आप दोनों के माध्यम से हम तक पहुँची उनका, आपका और आपकी पूरी टीम का हृदय से आभार ❤️
भक्ति रस प्रेम ओय और रस से भरपूर आप दोनों का वचन भी बहुत सुंदर मनमोहक हैआभार😊
अद्भुत, अविश्वसनीय
,रचनाकार को और प्रस्तुतीकर्ताओं को बहुत बहुत बधाई
ऐसा अब जीवन है कहां जो भाई के लिए इतना सोच,
सुनकर इतनी प्रीत कथा है कितनी बार आंसू पोंछे,
मुझे गर्व है हिंदू होने पर जहां समर्पण पूरा है,
है राम लौट के आजाओ सब तुम बिन यहां अधूरा है😢😢
अद्भुत प्रस्तुति ऐसा सुंदर प्रस्तुति देख ऐसा लगा कैकेई और भरत संवाद का पूर्ण नाट्य मंचन देख रही हूं 🙏
बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई बधाई आप दोनों को 💐💐👏👏🙏🙏
असाधारण परन्तु सहज प्रस्तुति
Waah kya baat hai! Ashutosh Rana sir aur Vaishnavi Ji screen share karte hue! ❤🎉
सदा के भांति एकबार पुण: आदरणीय आशुतोष राणा जी के द्वारा बेजोड़ अतुलनीय एवं अनूठा संवाद का प्रस्तुतीकरण, आशुतोष जीआप धन्य है, ईश्वर आपको सदा सुखी एवं स्वस्थ रखें
जितनी सुंदर रचना, उतनी ही सुंदर प्रस्तुति! धन्यवाद आप दोनों को!🙏🙏
अति सुन्दर जय सियाराम भरत जी को कोटि कोटि प्रणाम 🙏
कैकयी के तर्क कितनी मजबूती से सतीश सृजन जी ने रचा है। एक माँ के तौर पर कैकयी का बहुत मजबूती भरा तर्क पहली बार जाना और मन में जम गया। आशुतोष जी ने भारत की और वैष्णवी जी आपकी शैली कैकयी को जीवंतर कर दिया।❤❤
बारंबार प्रणाम.... माता सरस्वती आपको दीर्घायु करें व कला के क्षेत्र में अनंत काल तक आपका नाम दर्ज करें 🙏🙏
सतीश सृजन सर और उनकी सपुत्री वैष्णवी बहन की कौशल अद्भुत है..❤ आशुतोष राणा सर तो हैं ही अद्भुतम..❤
अद्भुत अद्भुत
राणा जी को बहुत-बहुत साधुवाद एक ऐसा ही संवाद भरत जी और राम जी के मिलन का हो जाए।
कोटि-कोटि साधुवाद 🙏 जय जय सियाराम
Nishabd kar diya hamen hamesha ki tarah.....Satish Srujan,Ashutoshji aur Vaishnavi ko koti-koti naman 🙏👍👏👏👏👏👏👌
अत्यंत सुंदर रचना व शानदार प्रस्तुतिकरण❤🙏🙏
धन्यवाद धन्यवाद इस अमृत रूपी पाठ के लिए।
आपके साहित्यिक कौशल को नमन है सर🙏🙏
वैष्णवी शर्मा 🙏🙏🙏 एवं राणा जी को बहुत बहुत धन्यवाद् इतना बेहतरीन काव्य पाठ की समय का पता ही नहीं चला कि कब बीत गया और इतने समय में कई क्षणों से गुजरना पड़ा 🤞👌👌👌👌👌♥️♥️♥️♥️💚💚
क्या संवाद लिखा है वाह..🙏अतिविशिष्ट!!!🔥🔥
जितनी सुन्दर रचना (सतीश सृजन जी की कलम से 🙏) उतना ही अप्रतिम आप दोनों(आशुतोष दादा एवं वैष्णवी जी )का अभिनयपूर्ण संवाद🔥🔥♥️🙏🔥
जय श्री राम🙏🙏
अभिभूत हुआ मन सुन संवाद,
हृदय हुआ पवित्र गंगा समान,
इस सारे भाषण में एक बस
मेरे राम का ही तो है गुणगान ।मेरे राम।मेरे राम।
रात के 1 बजे, आंख में आंसु, शरीर पर रोंगटे और मै निःशब्द 🫡
आपने इस अप्रतिम रचना को फिर एक बार अमर कर दिया ❤️🙏
माननीय श्री आशुतोष राणा जी आपकी वाणी हमें मंत्र मुक्त कर गया🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Ashutosh, and Vaishnavi are wonderful. warm regards to Sh. Satish Ji.
आंसू आ गए इतनी रात को अकेले सनके हृदय झंझोर दिया❤❤❤
आप दोनों पर भगवान का आशीर्वाद रहे । मन प्रसन्न हो गया। जय श्री राम।
आप दोनों ने ही बहुत सुंदर प्रस्तुत किया।
वाह, अद्भुत 🙏 मैं एक क्षण के लिए भी इस संवाद को नहीं रोक पाया। यू ट्यूब के दर्शक चलचित्र से ज्यादा निचे लिखी टिप्पणियों को पढ़ने के लिए आतुर रहते हैं। परंतु यहां ऐसा न हुआ। जो वर्तांत में रामानंद सागर जी की रामायण देखकर भी न देख पाया वो आपको सुनते हुए मेरे मन मस्तिष्क में चला जा रहा था। मंथरा की चाल, कैकई का स्वार्थ भरा दंभ, भरत की विवश दशा और आक्रोश। आपको साधुवाद 🙏