समुद्र मन्थन और देवासुर संग्राम की पूरी कहानी। वाल्मीकि रामायण, बालकाण्ड। आचार्य अंकित प्रभाकर
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- Опубликовано: 15 окт 2024
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सत्यार्थ प्रकाश सार
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राम राम आचार्य जी,
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो विश्वमार्यम 🚩 चरैवेति चरैवेति... । जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड 🚩
Naman acharya ji
ओम् , सादर प्रणाम आचार्य जी।
Pranam acharya ji 🙏
I'm from Kathmandu, Nepal.
I have to go to Kathmandu please guide me
आचार्य जी सादर नमस्कार
Om namaste Aacharya ji
Acharya ji namaste
Aacharya ji Bhagwat geeta pe lessons shuru karein 🙏🙏
🙏🏻🕉🙏🏻
आचार्य जी 🙏🙏🚩🕉️🌞🙏🙏
नमस्ते आचार्यजी।जब प्रक्षेपित कथा को आप भी पढ़ाते है तो अन्य बामपंथी भी इसी प्रक्षेपित कथा को ही मूल मानकर उल्टा पुल्टा बोलते हैं,और रामायण और राम आदि को काल्पनिक बोलते हैं।अतः मुझे लगता है, जैसा स्वामी जगदीश्वरानंद ने भाष्य से मिलावट को तो हटाया ही हैं; साथ ही साथ उसकी टिप्पणी भी उन्होंने की है।मूल रामायण को ही मानना-जानना उचित रहेगा।
🕉️आचार्य जी 🙏 💐
आचार्य जी सादर नमस्ते
सादर प्रणाम आचार्य जी
Jhariya namaste bhaiya aapki Jo video hai iske bich mein awaaz Chali gai hai aur yah awaaz kaise Kati hai yah nahin pata hai to purn baat mein nahin Sun pa rahi hun please ek bar video ko ek bar fir se check kijiega ismein Jo awaaz hai vah cutting ki gai matlab band ho gai hai a nahin Rahi aap boliye lipsing sunai de rahi hai lekin awaaz sunai nahin de rahi hai to please ek bar check kijiye
Bas khani achhi hai
आचार्य जी नमस्ते ।
स्वामी जगदीश्वरानंद जी द्वारा बाल्मीकि रामायण में ४५,४६,४७ सर्ग है ही नहीं ।
🙏🏻🙏🏻
ध्यनि कुछ समय के लिए बंद हो गई थी परंतु अभी आ रही है
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नमस्ते जी, आपके सहयोग के लिये आपका बहुत बहुत आभारी हूँ। सहयोग भेजकर यदि आप व्हाट्सैप सूचित कर दें तो मुझे धन्यवाद करने का अवसर मिलेगा। 🙏
आचार्य जी सदर नमस्ते आचार्य जी आपकी आवाज ही आनी बंद हो गई
आचार्य जी आपकी कहानी के अनुसार तो असुर ज्यादा अच्छे थे। सुरा भी नहीं ली। मार काट तो दोनों ने की फिर हम देवों को अच्छा क्यों कहते है?
Enhance ensan ke Ander केसे pervas कर skta h
देवा सुर संग्राम नाग की रस्सी बनाना पर्वत को मथनी बनाना इसका आशय क्या है
Sounds not available
अप अर्थात जल और जल के रस से वे अप्सराएँ पैदा हुई इसलिए उन्हे अप्सरा कहा गया, ठीक है किंतु (अप के रस से इसलिए) अप्+ रस= अपरसा यह नाम यथोचित होता।😊
Nadte.aceyaji
Sounds nahi aarahi hai
राम राम आचार्य जी,
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
🙏🙏