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  • Опубликовано: 16 сен 2024
  • tusidas ji ka jivan parichay
    tulsidas ka janm aur mrutyu
    tulsidas ka parichay hindi mein
    इस वीडियो में आप तुलसीदास जी के जीवन के बारे में जानेंगे और उनके जीवन में ऐसी क्या घटनाएं घटी जो वो इतने महान बन गए इन सबके बारे में जानिएगा | इस वीडियो में आप तुलसीदास जी का जन्म मृत्यु उनके माता पिता उनकी रचनाएं इन सब बारे में जानिएगा जिससे आप अपने क्लास 12th के एग्जाम की तैयारी कर सकेंगे
    तुलसीदास के बारे में कुछ जानकारियां :
    तुलसीदास का जन्म - 1543
    तुलसीदास की मृत्यु - 1623
    जन्म - स्थान - राजापुर, बाँदा, उत्तरप्रदेश
    मूल नाम : रामबोला ।
    माता-पिता : हुलसी एवं आत्माराम दुबे |
    पत्नी : रलावली (विवाह के कुछ ही समय बाद वैराग्य के कारण
    विछोह ) ।
    प्रतिपालिका दासी : चुनियाँ, जिसने जन्म के बाद परिवार द्वारा परित्यक्त होने पर पालन-पोषण किया ।
    दीक्षा गुरु : नरहरि दास, सूकरखेत के वासी, गुरु ने विद्यारंभ कराया ।
    शिक्षा गुरु : शेष सनातन, काशी के विद्वान ।
    शिक्षा : चारों वेद, षड्दर्शन, इतिहास, पुराण, स्मृतियाँ, काव्य आदि की शिक्षा काशी में पंद्रह वर्षों तक प्राप्त की।
    निर्णायक घटना : काशी में विद्याध्ययन के बाद जन्मभूमि आकर कथावाचक व्यास बन गए। दीनबंधु पाठक ने व्यक्तित्व और वक्तृता से प्रभावित होकर अपनी पुत्री रत्नावली से विवाह कर दिया। पत्नी से प्रगाढ़ प्रेम और आसक्ति के कारण फटकारे जाने पर विरक्त हो गए और गृहस्थ जीवन एवं घर का परित्याग कर दिया ।
    स्थाई निवास : काशी में ।
    तीर्थयात्राएँ : सूकरखेत, अवध, चित्रकूट, प्रयाग, मथुरा-वृंदावन, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, बद्रीनाथ, नैमिषारण्य मिथिला, जगन्नाथपुरी, रामेश्वर आदि प्रमुख तीर्थों की यात्राएँ समय-समय पर काशीवास करते हुए ही संपन्न कीं ।
    मित्र और स्नेही : अब्दुर्रहीम खानखाना, महाराजा मानसिंह, नाभादास, दार्शनिक मधुसूदन सरस्वती, टोडरमल आदि ।
    कृतियाँ : रामलला नहछू, वैराग्य संदीपिनी, बरवै रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, रामाज्ञाप्रश्न, दोहावली, कवितावली, गीतावली, श्रीकृष्ण गीतावली, रामचरितमानस, विनय पत्रिका । इनके अतिरिक्त 44 छंदों की हनुमान बाहुक रचना को कवितावली का ही अंग माना जाता है। उसे स्वतंत्र करने पर कुल 13 छोटी-बड़ी कृतियाँ होती हैं। इनके अतिरिक्त कुछ अन्य कृतियाँ भी बताई जाती हैं । कुल 12 या 13 कृतियों की प्रामाणिकता असंदिग्ध ।
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