बाबा साहब के बुद्ध पूर्णिमा और बौद्ध सम्मेलनों में दिये वक्तव्य पढे होते तो ये ज्ञान तो न झाङते कि गृहस्थों के लिए धम्म में आचार संहिता की जरूरत नहीं है| क्या सर आप भी न ?
यस. बहुत सी देसनाएं दी है पंचशील के अतिरिक्त भी जो सुखी गृहस्थ जीवन पर प्रकाश डालती है। क्या भिक्खु-भिक्खुणी के अतिरिक्त उपासक-उपासिकाओं के लिए कोई कोई मापदंड न रहे होंगें ? यदि न होते तो तथागत के उपासकों में भी शराबी/जुआरी/मक्कारी भी लाइन नही लगा लेते| और यदि आचार संहिता की आवश्यकता बाबा साहब को महसूस न हुई होती तो वे ऐसी बातें क्यों कहते बार-बार । और हां, प्रत्येक आंबेडकराइट धम्म को बाबा साहब की वैचारिकी से समझता/मानता है, वैचारिक पृष्ठभूमि पर खोखले किसी संघ से नहीं और न ऐसे किसी कुंठित व्यक्ति विशेष से। जय भीम-नमो बुद्धाय !!
(1)सच्छाई को जानना,अपने अनुभव से, (2)सच्छाई के साथ रहना (3) ओर सच्छाई का पालन करना जितना हो सके उतना, यही धर्म है, तो ही मानवता जीवित रह सकती है, ये सभी मानवी की ज़िमेदारी है, मानवी ये जिमेदारी नही निभाते तो फिर मारसेना का पाप का , ढोंग का , सलकपट का , विस्वासघात का साम्राज्य फलता फूलता है, मंगल हो ।
ये तय कौन करेगा कि कौन बुरा है और कौन अच्छा है? अच्छाई और बुराई को मापने के लिए कुछ मापदंड तो होते है। अगर आप अच्छे हैं तो आपकी अच्छाई के भी कुछ मापदंड तो होंगे ही, कृप्या आप अपनी अच्छाई के मापदंड बताए? अगर नहीं बता सकते तो आप को कोई हक नहीं है दूसरों को बुरा कहने का।
आपने समण संघ किस्से पूछकर बनाया, क्या आपने देश के बुद्धिजीवी लोगो को इकठ्ठा किया, समण संघ मे सिर्फ आप ही दीखते हों आप ही इसके सर्वेसर्वा बने हुए हैं आपको यह ऑथेंरिटी किसने दी हैं
पूरी दिल्ली में इनको फर्जी माना जाता है। कोई भी इनसे जुड़ा हुआ नहीं, एक भी प्रोग्राम इनका कभी देखने को नहीं मिलता, कोई काम करे तो उनकी खिलाफत करते हुए पाए जाते हैं।
में अनागरीकजी, गुजरात से, 2012 से भिक्षु के 227 विनय,शील,शेखिया,पतिमोख,पराजीक का घर मे रहकर पालन करने की कोशिश किया, सक्षम बनने के बाद 2015 से भारत भ्रमण करता हु, में पहले बहोत ठगा गया, बुद्धके नाम बाबासाहब के नाम भिक्षु के नाम, आज भी सारे भारत मे मुजे अभीतक एक भी ओरिजनल नही मिला,
Namo Buddhay Sir , Delhi mein ek IBC Sanstha Hai .Vigyan Bhavan mein uske secretary se Mein Mila aur Maine Vinay Pathak parr videos banane ki baat ki to ve vifar pade. Main film line mein kam kar chuka hoon .Kya aap Vinay Pitak par video banvane ki sahayata pradan Karenge?
सारे कुतर्क तभी उमङे हैं जब लोग समण संघ को छोङ-छोङकर जाने लगे हैं । कितने ही कुतर्क कर लो सर, भिक्खुओं-भिक्खुणियों के प्रति हमारे मन में सम्मान कम नही होगा। प्राचीन काल में तथागत को उनके श्रद्धावान उपासक-उपासिकाएं भोजन/वस्त्र/विहार/भूमि/उपवन आदि देन करते रहे हैं। आधुनिक दौर में बाबा साहब आम्बेडकर अपनी सम्यक आजीविका का पांच प्रतिशत समाज हित में दान करने का कहते रहे हैं। समण संघ के यथाथितिवादी स्वयंभू वास्तुकार भले ही नियम बनाते रहें कि चंदा नहीं लेना है! ( और ये हिडन नियम भी क्लिअरली एड कर लीजिये कि देश में बाबा साहब के बौद्ध आन्दोलन को आगे बढाने के लिए भी हम कुछ करेंगें नहीं और जो करेगा, उसको रोकने में ही हम अपनी सारी ऊर्जा बर्बाद करेंगें! जय भीम नमो बुद्धाय ❤
@@TeamTwentyTwo ये तय कौन करेगा कि कौन बुरा है और कौन अच्छा है? अच्छाई और बुराई को मापने के लिए कुछ मापदंड तो होते है। अगर आप अच्छे हैं तो आपकी अच्छाई के भी कुछ मापदंड तो होंगे ही, कृप्या आप अपनी अच्छाई के मापदंड बताए? अगर नहीं बता सकते तो आप को कोई हक नहीं है दूसरों को बुरा कहने का।
नमो बुध बुधसि धम्मसि संघसि
नमो बुद्धाय 🙏 आपके विचार बहुत अच्छे लग रहे हैं हम भी आपसे जुड़ूगा
Sadhu Sadhu Sadhu !
Buddham Saranang Guchhami !
Dhammang Saranang Guchhami !
Sangkham Saranang Guchhami !
Namo Bhudhy
Agreed. U said well.
Jai bhim
सहमत संघ का प्रवचन सिर्फ आप ही देते हैं, आपके अलावा और कोई क्यों नहीं? क्या कोई आज तक कोई जानकार नहीं हो सका?
Saman sangh type करो हजारों चेहरे सामने आ जाएँगे
Muhar singh आपने सही kaha
Please provide the link of song
@@maneeshmohanpatel2624 theravadi music search Kare
Bahujan samaj Buddh ki ore chale.
मैं बुध हूं । जानता हूं। मानता नहीं
बाबा साहब के बुद्ध पूर्णिमा और बौद्ध सम्मेलनों में दिये वक्तव्य पढे होते तो ये ज्ञान तो न झाङते कि गृहस्थों के लिए धम्म में आचार संहिता की जरूरत नहीं है| क्या सर आप भी न ?
क्या बुद्ध ने ग्रस्थों को आचार सहिता दी ??
यस. बहुत सी देसनाएं दी है पंचशील के अतिरिक्त भी जो सुखी गृहस्थ जीवन पर प्रकाश डालती है। क्या भिक्खु-भिक्खुणी के अतिरिक्त उपासक-उपासिकाओं के लिए कोई कोई मापदंड न रहे होंगें ? यदि न होते तो तथागत के उपासकों में भी शराबी/जुआरी/मक्कारी भी लाइन नही लगा लेते| और यदि आचार संहिता की आवश्यकता बाबा साहब को महसूस न हुई होती तो वे ऐसी बातें क्यों कहते बार-बार । और हां, प्रत्येक आंबेडकराइट धम्म को बाबा साहब की वैचारिकी से समझता/मानता है, वैचारिक पृष्ठभूमि पर खोखले किसी संघ से नहीं और न ऐसे किसी कुंठित व्यक्ति विशेष से। जय भीम-नमो बुद्धाय !!
बुद्ध ने पंचसील मापदंड के रूप मे दिए,
ये केवल भिक्खुओ के लिए ही नहीं बल्कि आम गृहस्थी के लोगो के लिए भी हैं,
किसीकी लकीर छोटी करने के बजाय अपनी लकीर बड़ी करें। यदि किसीसे डर लगता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि दाल में कुछ काला है। जय मूलनिवासी।
लकीर लकीर खेलने का वक़्त नहीं है ताऊ जी
सही कहा आदरणीय रामजी साहब ❤ जय मूलनिवासी ❤
@@TeamTwentyTwo किसी ओर की तरफ एक उंगली उठाएंगे तो तीन उंगली खुद की तरफ होती है इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जय मूलनिवासी।
(1)सच्छाई को जानना,अपने अनुभव से,
(2)सच्छाई के साथ रहना
(3) ओर सच्छाई का पालन करना जितना हो सके उतना, यही धर्म है, तो ही मानवता जीवित रह सकती है, ये सभी मानवी की ज़िमेदारी है, मानवी ये जिमेदारी नही निभाते तो फिर मारसेना का पाप का , ढोंग का , सलकपट का , विस्वासघात का साम्राज्य फलता फूलता है, मंगल हो ।
ये तय कौन करेगा कि कौन बुरा है और कौन अच्छा है? अच्छाई और बुराई को मापने के लिए कुछ मापदंड तो होते है। अगर आप अच्छे हैं तो आपकी अच्छाई के भी कुछ मापदंड तो होंगे ही, कृप्या आप अपनी अच्छाई के मापदंड बताए? अगर नहीं बता सकते तो आप को कोई हक नहीं है दूसरों को बुरा कहने का।
भिक्खु के लिए यह बात विनय पिटक तय करता हैं
किसी पर उंगली वही उड़ाएंगे जो अपने को पीछे समझते है
@@rameshpanwar9996
तो बाबा साहेब , गांधी से पीछे हुए फिर तो
आपने समण संघ किस्से पूछकर बनाया, क्या आपने देश के बुद्धिजीवी लोगो को इकठ्ठा किया,
समण संघ मे सिर्फ आप ही दीखते हों
आप ही इसके सर्वेसर्वा बने हुए हैं
आपको यह ऑथेंरिटी किसने दी हैं
Yah जानकारी आपको किसने दी ? किशन कुमार ने , झूठी हैं
@@TeamTwentyTwo
हमारे पास भी दिमाग हैं,
इसलिए यह प्रश्न मैंने आपसे पूछा हैं
पूरी दिल्ली में इनको फर्जी माना जाता है। कोई भी इनसे जुड़ा हुआ नहीं, एक भी प्रोग्राम इनका कभी देखने को नहीं मिलता, कोई काम करे तो उनकी खिलाफत करते हुए पाए जाते हैं।
@
आख खोल कर देख , यूट्यूब भरा पड़ा हैं दिल्ली के कार्यक्रम से
में अनागरीकजी, गुजरात से, 2012 से भिक्षु के 227 विनय,शील,शेखिया,पतिमोख,पराजीक का घर मे रहकर पालन करने की कोशिश किया, सक्षम बनने के बाद 2015 से भारत भ्रमण करता हु, में पहले बहोत ठगा गया, बुद्धके नाम बाबासाहब के नाम भिक्षु के नाम, आज भी सारे भारत मे मुजे अभीतक एक भी ओरिजनल नही मिला,
समझाओ इस नक़ली भिक्खू को
@@TeamTwentyTwo कम से कम तू तो असली भिक्खू बन जा , फिर ये नकली खूद ही बेनकाब हो जाएंगे। लेकिन तू ऐसा करेगा नहीं, क्योंकि तूं सचमुच प्रमाणित नक़ली हो।
Namo Buddhay Sir ,
Delhi mein ek IBC Sanstha Hai .Vigyan Bhavan mein uske secretary se Mein Mila aur Maine Vinay Pathak parr videos banane ki baat ki to ve vifar pade. Main film line mein kam kar chuka hoon .Kya aap Vinay Pitak par video banvane ki sahayata pradan Karenge?
इन एंकर और गोदी मीडिया के सुधीर चौधरी में क्या फर्क है ? 😂😂 Same way of explanation 😂😂
यह तर्क करते हैं । यह अंतर हैं
सारे कुतर्क तभी उमङे हैं जब लोग समण संघ को छोङ-छोङकर जाने लगे हैं । कितने ही कुतर्क कर लो सर, भिक्खुओं-भिक्खुणियों के प्रति हमारे मन में सम्मान कम नही होगा। प्राचीन काल में तथागत को उनके श्रद्धावान उपासक-उपासिकाएं भोजन/वस्त्र/विहार/भूमि/उपवन आदि देन करते रहे हैं। आधुनिक दौर में बाबा साहब आम्बेडकर अपनी सम्यक आजीविका का पांच प्रतिशत समाज हित में दान करने का कहते रहे हैं। समण संघ के यथाथितिवादी स्वयंभू वास्तुकार भले ही नियम बनाते रहें कि चंदा नहीं लेना है! ( और ये हिडन नियम भी क्लिअरली एड कर लीजिये कि देश में बाबा साहब के बौद्ध आन्दोलन को आगे बढाने के लिए भी हम कुछ करेंगें नहीं और जो करेगा, उसको रोकने में ही हम अपनी सारी ऊर्जा बर्बाद करेंगें! जय भीम नमो बुद्धाय ❤
सुधीर राज सिंह तुम खूद ही चीवर धारण कर लो,
मुश्किल काम हैं चीवर का पालन करना , २२७ नियम होते है पालन करने के लिए और महिला के ३११ , तू ख़ुद चीवर ले कर देख ।
@TeamTwentyTwo तेरे को देख कर ही तो लेंगे ना, क्योंकि तू बहुत समझदार है ,
Dear Sudhir Sir, You have a great chance to prove yourself better than Bhante Rahul. Put on cheevar and spread Buddhism better than dhammabhoomi 😊
आपकी घबराहट, आपकी परेशानी, आपकी बौखलाहट बता रही है कि आप किसी कृष्ण कुमार से बहुत ज्यादा डरे हुए हैं।
@@SahilKumar-nd4kr
बुरे लोगो से अच्छे लोगो को डर लगता ही हैं , अब तो आपसे भी डर लग रहा हैं सुधीर सर को
@@SahilKumar-nd4kr
अच्छे लोगो को , बुरे लोगो से डर लगता ही हैं , अब तो आप से डर लग रहा है सुधीर सर को
@@TeamTwentyTwo ये तय कौन करेगा कि कौन बुरा है और कौन अच्छा है? अच्छाई और बुराई को मापने के लिए कुछ मापदंड तो होते है। अगर आप अच्छे हैं तो आपकी अच्छाई के भी कुछ मापदंड तो होंगे ही, कृप्या आप अपनी अच्छाई के मापदंड बताए? अगर नहीं बता सकते तो आप को कोई हक नहीं है दूसरों को बुरा कहने का।
समय वमण एक ही शब्द है समण च वमण नही है
च लिख लो , लेखक से छूट गया होगा या लेखक वमण ही होगा