क्या होती है हिंसा और अहिंसा || What is Violence and Non-Violence BY Acharya Yogesh Bhardwaj Ji
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- Опубликовано: 21 июн 2024
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आचार्य श्री योगेश भारद्वाज जी को सादर नमस्ते।। आर्य पुत्र।।
आदरणीय आपको कोटि कोटि नमन प्रणाम
योगेशजी , आप सही तरीकेसे समझाते है , बहोत सही , धन्यवाद आचार्य , आपकै कोटी कोटी नमन।
ओम् नमस्ते आचार्य जीं
Good
Ram Ram ji good job ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
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अहिंसा की निरूक्ति-----अहिंसा प्रतिष्ठायाम तत् सन्निधौ वैर त्याग।। अहिंसा प्रतिष्ठायाम तत् अर्थात् अहिंसक वह जो, सन्निधौ अर्थात् जो किसी ना किसी निधि से परस्पर सम्बंधित वे अपनी सामर्थ्यानुसार ना तो वैर करते हैं और ना वैर करने देते हैं, अर्थात् साम,दाम, दण्ड और भेद के द्वारा जैसें भी सम्भव हो निर्वैर अवस्था में जीवन यापन करते हैं, वे हि अहिंसक हैं।।
आपको कोटी २ नमाम from Pakistan
Jay hind jay bharat
Jo apna pita mane wo maan sakta h lekin rastra pita nhi ho sakta
*सवाल यह नहीं है कि धर्मशास्त्र दर्शनशास्त्र में क्या लिखा है ?*
*सवाल यह है कि क्या किसी को अजन्मा अविनाशी अवतार परमावतार घोषित कर भवनों जमीनों संपत्तियों पर कब्जा कर लोगों से धन उगाही करना न्याय संगत है ❓*
*ब्रह्माण्ड गुरु बीरेंद्र सिंह ब्रह्माण्ड पीठाधीश्वर*
राष्ट्रपिता के विरुद्ध बोलने से पहले सोचो नही तो😂फिर
राष्ट्र पिता नही वो हिंदुओ का हत्यारा था ,उसे राष्ट्र पिता कहना भी पाप है, उसे राष्ट्र पिता न बोले।
गधे राष्ट्र का कोई पिता नही होता । वो कांग्रेस का और नेहरु का राजनीतिक पिता था ।
जरा सोचो राष्ट्र का पिता कोई हो सकता है ।😮
सोचने विचार ने अच्छा बुरा समझने की क्षमता है नही इन लोगों मे, एक विचारधारा विशेष से प्रभावित हैऔर अपने ग्यान पर बहुत घमंड है।अच्छे लोगों मे भी इन्हें सिर्फ बुराई नजर आती हैं।इनकी दृष्टि मलीन हो गई हैं, सिवाय बुराई अलावा और कुछ दिखता ही नहीं है। ईश्वर से अनुरोध है कि इन लोगों को थोड़ी क्षमता देवें।
आज आप जो भी मन में आया,जेसा भी आया वो बोल देते हो, यह सब उसी अहिंसा कि वजह से है। निर्भिक होके बोल रहे हो उसके पिछे भी अहिंसा ही हैं। आज गांधी जी और उसके विचारों को दूनिया के आधे से ज्यादा देश जो सनतनी नही होते हुए भी मानते हैं।और एक तरफ इसी देश में कुछ लोग हमेशा गांधी जी को कोसने मे लगे रहते हैं। आप जिस किसी विचार धारा से झुडे है तो आप उसकी अच्छी बात बताइए।हर समय किसी भी व्यक्ति विशेष कि गलत ढंग से बुराई करके आप या आपकी विचारधारा महान नही हो सकती।