जीवन को धन्य कैसे बनायें? | 13 November 2020 | Mangal Pravachan | Muni Pramansagar

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  • Опубликовано: 26 окт 2024

Комментарии • 9

  • @mehakverma3602
    @mehakverma3602 4 года назад +1

    Tri bar namostu guru ji

  • @sohiljain6910
    @sohiljain6910 3 года назад

    Jai gurudev ji ki..🙏

  • @chinum7568
    @chinum7568 3 года назад

    Koti koti naman maharaj 🙏🙏🙏

  • @manahourmagadum7774
    @manahourmagadum7774 3 года назад

    Namostu Namostu gurudev

  • @ruchikatariya6630
    @ruchikatariya6630 3 года назад

    Namostu guru

  • @nirmalabbide6698
    @nirmalabbide6698 3 года назад

    Namosthu Bhagvan .🙏🙏🙏🌷

  • @vandhanadoshi4490
    @vandhanadoshi4490 4 года назад

    🙏🙏🙏

  • @kuldeepkumarjain1427
    @kuldeepkumarjain1427 Год назад

    Namostu Namostu Namostu

  • @SampradaJ
    @SampradaJ 3 года назад

    🙏🏻 णमो लोए सव्वसाहूणं। 🙏🏻
    #***# धन-तेरस:
    => धन जीवन के लिये साधन है जीवन का साध्य नहीं।
    => पानी नाव के नीचे हो, नाव के भीतर नहीं।
    => धन जीवन का साध्य नहीं हो, जीवन की प्राथमिकता नहीं हो।
    => धन के प्रति अधिक अनुराग, चाह, चिंतन लाभदायक नहीं। धन को जीवनसे अधिक मूल्यवान मत समझो, मानो।
    => अमूल्य मात्र आत्म-तत्व है धन के पीछे अपने आत्म-तत्व का घाटा मत करो।
    => तेरस: तेरा रस: 13 प्रकार का चारित्र्य।
    => कार्तिक कृष्ण तेरस को तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जी ने समवशरण त्याग कर योग-निरोध धारण किया और कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी के रात्रि के अंतिम प्रहर तक योग-निरोध में रह प्रत्यूष बेला में निर्वाण प्राप्त किया।
    => तेरस तिथि को हस्तिपाल राजा की सभा में अंतिम देशना देकर समवशरण त्याग भगवान ने योग निरोध की ओर प्रस्थान किया।
    => जीवन को धन्य करनेवाले तेरस = 13 रस = 5 महाव्रत + 5 समिति + 3 गुप्ति।
    => आत्म-उत्थान, आत्म-उत्कर्ष ही सच्चा धन है और धन्यता है।
    =>* जानो, जागो, जीतो, जिओ:
    01. जानो: Know the Real-Self:
    => अपने आत्म-स्वरूप को जानो।
    => I stay in the body but I am NOT body.
    => Real me is NOT body or any gender or any status or designation or relation.
    => I am NOT degree, property, publicity, fame.
    => मैं एक मात्र शाश्वत ज्ञान-दर्शन मय आत्मा हूँ। परमाणु मात्र भी परद्रव्य मेरा कुछ भी नहीं। मैं समस्त पर से अत्यंत पृथक हूँ। मैं परम-पवित्र आत्मा हूँ। मैं ज्ञायक मात्र हूँ।
    => मैं अपार-अनंत-संपत्ति (ज्ञान) का स्वामी हूँ।
    => सुषुप्ति।
    => Always be Aware of Self ... जागो ... निद्रा त्यागो ... अपनेआप को पहचानो। ... Remove weaknesses, faults n Grow
    => आत्म-विजय का अभियान: मोह, अज्ञान, प्रमाद को नष्ट कर आत्म-विजय के पंचम लहराओ।
    => जड़ धन को छोडो धन्यता की ओर बढ़ो।
    => अबतक जड़ धन के पीछे पागल बन जीवन को पापों से लबालब मलिन कर लिया, अपनेआप को खो दिया अब धन का पागलपन छोड़ प्राप्त मनुष्य जीवन के अवसर को अपनेआप को धन्य बनाने हेतु लगाओ।
    🙏🏻 Helpful! ... Thank U! So Very Much for Sharing!🙏🏻
    ~~~ Jai Jinendra n Uttam Kshama!
    ~~~ Jai Bharat.
    (2020 Dec. 18 Fri. Aft.)