गुरु जी ने बहुत अच्छी बात समझाई और इस बात को हमारे हिन्दू समाज के चारो वर्णो को समझना चहिय और जातिवाद को मिटाकर रहना चहिय।मुझे गर्व हे कि मैं हिन्दू हूँ और शिखा भी रखता हूँ
Uncle ji ke hi jaise ek uncle se maine sanskrit bhasha gyan aur adhyatm sambandhi vishay mein bahut kuch grahan Kiya apni student life mein...Dhanya hon aisi vibhutiyan jo gyan ki pratimurti hain !!
गुरु जी का स्वभाव जितना सरल हे उतनी ही सरलता से वह हर बात को समझाते हे जिसको कोई ज्ञान नही हो धरम का वह व्यक्ति भी गुरु जी की बातो को सुनकर कुछ ज्ञान प्राप्त कर सकता हे कोटि कोटि प्रणाम गुरुदेव🙏🙏
🙏प्रणाम गुरु जी के चरणों में। और प्रणाम भाई जी को जो ज्ञान को समाज को देने का कार्य में अग्रसर हैं। बहुत बहुत धन्यवाद । वेदों का ज्ञान सबके लिए एक सा है सच्चा है । बस समाज के कुछ वर्गो ने सही अर्थ का अनर्थ किया हुआ । जिसके कारण समाज में बुराईयां फैली हैं । अस्माजिकता ज्यादा तेजी से फैली । धन्य हो गुरु जी🙏
Gurujii even at this age you speak hindi & english words clearly and without flattering you are giving us religious meanings like shri Vyas himself, jai ho
Very clear and to the point explanation to the rituals and practices of Sanatan Dharma Guruji that can only come from a luminary like you. Always a pleasure hearing you. My gratitudes at your feet!
I am awestruck to see Sinha sir listening so attentively and replying to the questions patiently..we have somuch to learn.. it’s very nice thought of capturing sir like this for next generation..I really miss his presence. Thank you
Ab toh woh zamana bhi gaya, aur jab bhedbhaav tha tab koi bolta nahi tha, aaj toh social media hai. Chalo phir bhi yeh video jaankaari ke liye accha hai🍁👍🏻
हर चिह्न रखने का अधिकार मानव मात्र को है, कोई भी मानव जाति का व्यक्ति चोटी जनेऊ, तिलक धारण कर सकता है अल्पज्ञ एवं स्वार्थी ब्राह्मण वर्ग ने उसे अपनी जाति तक आरक्षित कर लिया, ऐसा किसी आर्ष ग्रंथ में नहीं है
ईश्वर की कसम खाकर कहता हूं मैंने अपने जीवन में सबसे ज्यादा मांसाहारी ब्राह्मण जाति के लोगों को देखा है... खासकर पूर्वांचल और बिहार के ब्राह्मण... इनको देख कर घिन्न आती है... मैं बचपन से सिखा रखता हूं... लोग बाग मुझे ब्राह्मण समझते हैं... परंतु मैं नहीं चाहता लोग मुझे ब्राह्मण समझे, क्योंकि ब्राह्मणों के कारनामों के कारण समाज में सभी के दुश्मन बने बैठे हैं... ब्राह्मणों को अपनी छवि सुधारनी चाहिएं
Hare Krishna Jay Shree Krishna Jay Madhvacharya Jay Nimbarkacharya Jay Ramanujacharya Jay Vallabhacharya Jay Ramanandacharya Jay Chaitanya Mahaprabhu Jay Hit Harivansh Prabhu Jay Srila Prabhupad Swami Maharaj
Samay aa gya hai..ki aap jaise log aage aaye aur samaj me ye sabit kare ki dalit jaisa kuch hamare dharm me nahi tha...ucha nicha ye sab bad me aaye hai...aur sabse badi bat ye sabit karne ki jarurat hai ki manusmriti doctored hai..iska translation Britishers k time par hua hai aur ye original nahi hai...
शिखा हिंदू मात्र के लिए है ,चाहे कोई भी वर्ण का हो। जनेऊ ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य के लिए है और इन्हे ही द्विजाति कहते है। वर्ण का अर्थ ही जाति होता है। किसीपर कोई अत्याचार नही हुआ न होगा जो वैदिक धर्म और व्यवस्था को मानता है। (और ये भ्रांति है की जाती कर्म से बदल सकते है तो वो गलत है ,जाति जन्म से होती है उसे सिद्ध करना उस व्यक्ति का काम है ,उचित कर्म और संस्कार के द्वारा वो व्यक्ति उस वर्ण अथवा जाति से रहकर अपने धर्म का पालन करना उत्तम है)
नमस्कार गुरू जी , इस वीडियो आज का विषय है " प्राचीन भारत में लोग शिखा व सुत्र " क्योँ रखते थे ? गुरु जी , इस विषय में आपने जितनी भी बातें बतलाई हैं , वो सब किताबी बातें हैं । जबकी यह अनुभवोँ का विषय है । क्योंकि कोई भी व्यक्ति ग्रन्थों को पढ़कर विद्वान तो हो सकता है लेकिन अनुभवी नहीँ हो सकता ,,,? जबकि अनुभवों के द्वारा ही कौशल का उदय होता है । इसलिए ब्राह्मण शब्द भी ब्रम्ह ज्ञान से पैदा हुआ है । यानी कि , जो ब्रम्ह के दर्शन करता है या फिर स्वयं के दर्शन करता है , वही ब्रम्ह ज्ञानी अथवा ब्राह्मण है । इसमेँ वह चाहे किसी की जाति का क्यौं न हो । कोइ भी एक विद्वान तर्क वितर्क में ही उलझा रहता है , जबकी एक निरक्षर व्यक्ति के दिमाँग में शब्द कोष की कमी होने के कारण , तर्क वितर्क से दूर ही रहना पसंद करता है और विषयों में स्पशता चाहता है । लेकिन विद्वान व्यक्ति बार बार विश्वास की बात कह कर , विषय को गोल मोल बना देता है । यहाँ पर निरक्षर कहता है कि , जब जीवन वास्विक है तो विश्वास की जरूरत ही क्या है? सवाल किया गया कि , प्राचीन काल में सिर पर शिखा व शरीर पर सुत्र क्यों रखते थे । यह ध्यान योग साधना की बात है ,न कि कुछ ओर ,,,। ध्यान साधना में बैठने के पश्चात बहुत से लोगों को " नींद " आ जाती है । इसिलिए प्राचीन काल में योगियोँ ने सोचा कि , इसके लिए क्या उपाय किये जाएँ कि , साधक को नींद भी न आए और योग साधना भी सफल हो जाए । तब योगियोँ ने शिका रखने का उपाय किया था । यानी कि , शिखा पर रस्सी बाँध कर , उस रस्सी को ऊपर पेड़ की डाली के साथ कुछ इस तरह बाँधा जाता है कि , रस्सी न ज्यादा टाईट हो और न ज्यादा ढीली हो । योग साधना करते समय यदि किसी साधक को नींद आए- तो उपर शिखा से बंधी रस्सी पर झटका लगने से पता चल जाए कि , मैँ नींद से घिरा हुआ था । जंगल में साधू लोग लम्बी लम्बी जटाएँ , इसिलिए रखते हैं कि , जटाओं को उपर पेड़ से बाँध कर ध्यान साधना करते हैं । इसमेँ यह बिल्कुल भी नहीं है कि , शिखा के नीँचे दिमाँग में स्किल एनर्जी विद्यमान रहती है नहीं बल्कि स्किल एनर्जी दिमाँग के केवल दाहिने भाग में ही रहती है । जबकि बीच भाग में सुष्मना नाड़ी विद्यमान रहती है जिसमें ईश्वरीय अणु या गॉड पार्टिकल्स विद्यमान रहते हैं । शरीर पर सुत्र - हाथ में कलावा या फिर शरीर पर सुत्र ( जनेऊ ) डालने का सही में अर्थ है , जिस प्रकार सुत्र ( सूती धागे ) में किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती , हाथ में बन्धे शुद्ध कलावे की तरह - इन हाथोँ से अच्छे कार्य किये जाएँ । इन हाथोँ से किसी का अहित ना हो सके । शरीर पर धारण किया गया शुद्ध सुत्र ,,,, इसका सही अर्थ यह है कि , इस शुद्ध सुत्र की भाँति - मेरे ह्रदय में , जन हित में ऐसे विचार पैदा होँ कि , किसी के अहित की बात भी पैदा ना होँ और सबका भला हो । क्या आज कल यह सब हो रहा है ,,, बात अत्यन्त विचारणीय है । नई दिल्ली से प्रणाम गुरु जी
Yogi balraj sharma -- हर व्यक्ति का अपना.. खुद का एक निजी विचार होता है.. परंतु वो उसी विचार को सही मानने लगे -- और सभी विचारों को धता.. साबित करे -- यहीं विचार उसके हठी स्वभाव को दर्शाता है.! -- ये सच है की -- आदरणीय श्री ने जो कहा वो किताबी बातें हैं.. परन्तु जो तुम कह रहे हो वो भी प्रामाणिक नहीं है.! दूसरी बात -- अगर किसी साधक को.. ध्यान साधना करते समय निद्रा आती है.. तो वो भी ठीक है -- इसे निदध्यासन कहते हैं.. शास्त्रों में इसी मुद्रा को निद्रा ध्यान कहा गया -- परंतु सिखा में रस्सी बांधकर पेड़ पर टांगने की व्याख्या करने वाले ने उस साधक को निद्राचारी समझ लिया -- और ये अरर्गल विवेचना कर डाली ? और तुम उसी को.. ढोए जा रहे हो -- एक बात याद रखना -- विना कसौटी कसे.. किसी के फ़ालतू विचारों को ढोना भी.. गधे की पहचान को दर्शाता है योगी ? ऊँ..
Can you ask him about odh rajput caste which lives in India and pakistan. Indian odh rajput consider themselves to be hindu while pakistani odh consider them to be muslim.
bhai unke hisab se jo banda aj ke samay me majdoor he use hak nhi rakhne ka kyuki uske pas gyan nhi jo wo surakshit kr sake, chahe wo majdoor bhraman hi kyu na ho.
गुरु जी ने बहुत अच्छी बात समझाई और इस बात को हमारे हिन्दू समाज के चारो वर्णो को समझना चहिय और जातिवाद को मिटाकर रहना चहिय।मुझे गर्व हे कि मैं हिन्दू हूँ और शिखा भी रखता हूँ
Uncle ji ke hi jaise ek uncle se maine sanskrit bhasha gyan aur adhyatm sambandhi vishay mein bahut kuch grahan Kiya apni student life mein...Dhanya hon aisi vibhutiyan jo gyan ki pratimurti hain !!
बहुत ही सटीक विश्लेषण आज के युग में इस ज्ञान की बहुत जरूरत है
गुरु जी का स्वभाव जितना सरल हे उतनी ही सरलता से वह हर बात को समझाते हे जिसको कोई ज्ञान नही हो धरम का वह व्यक्ति भी गुरु जी की बातो को सुनकर कुछ ज्ञान प्राप्त कर सकता हे कोटि कोटि प्रणाम गुरुदेव🙏🙏
धन्यवाद गुरुदेब🙏
बहुत अच्छी तरह से आपने समझाया आप जैसे महानुभाव ही सनातन के सच्चे प्रहरी हैं।
पत्रकार बन्धु को भी साधुवाद।
Main chamar hun or Mai sikha rakhta hun 🙏🏻 har har Mahadev from azamgarh
मैं बिहार के मिथिला क्षेत्र से हूँ। हमारे यहाँ शिखा हरेक हिन्दू रखता है। चाहे चमार हो या ब्राह्मण ।🙏
शिखा रखने या न रखने से कोई फर्क नहीं पड़ता। शिखा और जनेऊ अपनी श्रेष्ठता की पहचान बनाने के लिए इजाद किया गया था।
@@ASHOK251058 सही बात है, लेकिन इस संसार में हर कोई अपनी श्रेष्ठता की पहचान बनाने के लिए कुछ न कुछ करता है भले ही वो श्रेष्ठ हो या न हो
Bilkul sahi hai hum sab hindu hai 🙏🌹👍🚩🚩🚩🚩
@@deepk8311 really?? 🤔
Or shudra 😁😁
Lohar ho ya sunar hum hindu bhai hai.
Bharhmin ho ya chamar hum hindu bhai hai. 🙏🚩❤️
🙏प्रणाम गुरु जी के चरणों में। और प्रणाम भाई जी को जो ज्ञान को समाज को देने का कार्य में अग्रसर हैं। बहुत बहुत धन्यवाद । वेदों का ज्ञान सबके लिए एक सा है सच्चा है । बस समाज के कुछ वर्गो ने सही अर्थ का अनर्थ किया हुआ । जिसके कारण समाज में बुराईयां फैली हैं । अस्माजिकता ज्यादा तेजी से फैली । धन्य हो गुरु जी🙏
गुरु जी आपने वेदो की बहुत ही सटीक व्याख्या की है इसको जन जन तक पहुंचाने की बहुत ही जरुरत है ताकि समाज में भाईचारा कायम हो ।
Gurujii even at this age you speak hindi & english words clearly and without flattering you are giving us religious meanings like shri Vyas himself, jai ho
100 percent true
धन्य है ये धरत्री ।
आप जैसा बिद्वान हमारे साथ है ।
धन्य है वो सिस्य जो आप के इतने पास हैं ।
🙏Sadar Pranam Guruji 🙏 Gyan ka Bhandar 👌👍👏
Bahut sunder Bhaiya ji jo aapne guru ji ke dwara gyan ki baate January di ♥ 🙏 😍
Hare Krishna 🙏 Shat shat naman aap jaise Mahan gyani ko, apne vedo ka sahi gyan logo ko diya😊
Very clear and to the point explanation to the rituals and practices of Sanatan Dharma Guruji that can only come from a luminary like you. Always a pleasure hearing you. My gratitudes at your feet!
बहुत सटीक शब्दों में पूरी व्यख्या कर दी आपने
प्रणाम आपको
I am awestruck to see Sinha sir listening so attentively and replying to the questions patiently..we have somuch to learn.. it’s very nice thought of capturing sir like this for next generation..I really miss his presence. Thank you
Well said .thanks for informative knowledge 👏👌
गुरु जी प्रणाम आपका ज्ञान अपार h aj k yug में hm jese अज्ञानी जन आपके ज्ञान को पा kr धन्य हैं ।
This is privileged and priceless knowledge 🙏 Guruji
गुरुजी मेरे हृदयतल से आपके चरणों में दण्डवत कोटि कोटि नमन। इस तुच्छ शिष्य पर आशीर्वाद बनायें रखें। 🌺🌺🌺
Sahi jankari di aapne. Jay sanatan dharm.
really sir, salute to Guruji for his immense deep study and knowledge.
Ab toh woh zamana bhi gaya, aur jab bhedbhaav tha tab koi bolta nahi tha, aaj toh social media hai.
Chalo phir bhi yeh video jaankaari ke liye accha hai🍁👍🏻
Divya gyan.waahe guru.koti pranaam
गुरु जी प्रणाम,धर्म वा दर्शन की जानकारी आपके channel से मिल रही है, धन्यवाद
Guruji apko sunkar gyan ki prapti hoti aisa lagta hai thank you so much
Koti koti naman guru ji.
Mera apke charno me koti koti pranaam mai brahman hoke bhi apki videos dekh ke gyaan prapt karta hu 🙏
Aapke jaise guruji ka mere jeevan mei aana, kisi bhagwan k aashirvaad se kum nahi...pranam guruji 🙏
बहुत ही अच्छी जानकारी दी है श्रीमान जी नमस्ते जी
गुरु जी ने सही कहा आपने नाइस जानकारी है
ज्ञान के भंडार है आप
VERY NICE KNOWLEDGE GURU ji
Babut ache guruji parnam aapke charno mai
हर चिह्न रखने का अधिकार मानव मात्र को है, कोई भी मानव जाति का व्यक्ति चोटी जनेऊ, तिलक धारण कर सकता है
अल्पज्ञ एवं स्वार्थी ब्राह्मण वर्ग ने उसे अपनी जाति तक आरक्षित कर लिया, ऐसा किसी आर्ष ग्रंथ में नहीं है
Bilkul sahi kaha aapne, kalantar me kuchh swarthi logo ke karan ye sab hua hai
Main rajput hu main bhi shikha,janeu dharam karta hu. Har hindu ko shikha ,tilak,janeu dharm karni chaiye
@@devraj8730 apki sikha kitni lambi hai bhai?
सही विश्लेषण👌👌👍
ईश्वर की कसम खाकर कहता हूं मैंने अपने जीवन में सबसे ज्यादा मांसाहारी ब्राह्मण जाति के लोगों को देखा है... खासकर पूर्वांचल और बिहार के ब्राह्मण... इनको देख कर घिन्न आती है... मैं बचपन से सिखा रखता हूं... लोग बाग मुझे ब्राह्मण समझते हैं... परंतु मैं नहीं चाहता लोग मुझे ब्राह्मण समझे, क्योंकि ब्राह्मणों के कारनामों के कारण समाज में सभी के दुश्मन बने बैठे हैं... ब्राह्मणों को अपनी छवि सुधारनी चाहिएं
🙏धन्यवाद गुरूजी 🙏🙏आज आपने सारी संकाये दूर कर दी मन की 🙏कोटी कोटी प्रणाम 🙏
A nice explanation of cast based societal fragmentation. Thank you Guruji.
Gurujee apke charno mein mai dandwat Pranam kerta hun.
🙏guru jee ke charno me mera sadar pranaam 🙏
Please make vedio on swaminarayan philosophy
सनातन धर्म, संस्कृति के प्रतिकों का सम्यक् वैज्ञानिक विवेचन के लिए हार्दिक धन्यवाद🙏💕 श्री गुरु जी को प्रणाम🙏💕 बेहद की परमशान्ति, महा शान्ति🙏💕.
पुजहिं विप्र शील गुण हीना।
शुद्र न गुण ज्ञान प्रवीणा।😂😂😂👍
@@ASHOK251058 6⁶⁶⁶⁶⁶⁶üyy
यह क्या हैं?
Is aswathamabstill alive
@@jjennieeqt
He never existed
He is myth 🙏
आचार्य जी आपको कोटी कोटी नमस्कार है प्रणाम है
Hare Krishna Jay Shree Krishna Jay Madhvacharya Jay Nimbarkacharya Jay Ramanujacharya Jay Vallabhacharya Jay Ramanandacharya Jay Chaitanya Mahaprabhu Jay Hit Harivansh Prabhu Jay Srila Prabhupad Swami Maharaj
Very good.
In puranas, origin of universe, time period and end has been explained differentially. Please discuss it with guruji
बिलकुल सही कहा है जी आपने 😊😊
guru jee namskar charno me
Samay aa gya hai..ki aap jaise log aage aaye aur samaj me ye sabit kare ki dalit jaisa kuch hamare dharm me nahi tha...ucha nicha ye sab bad me aaye hai...aur sabse badi bat ye sabit karne ki jarurat hai ki manusmriti doctored hai..iska translation Britishers k time par hua hai aur ye original nahi hai...
Guruji pranam. Bhagbatgeeta me jo chotur barna hain woh jara samjhaiye.
Very nice 👍 guruge
Tere charnon ki dhul hm h, dya ki drishti sda hi rkhna, tumhi ho bandhu sakha tumhi ho
Parnam guru g kripya kr k muje bhakti marg pr chalne ka tarika bataye... Kripya Parnam.
Kese bhent kar sakte h Guruji k. Kripya bataye.!
Can it be located on head to Meditate
Guruji pranam 🙏kripya durga shaptshati ka mahatwa aur tantra par apna kuch anubhav bataeen.
kindly start a series on upanishads or dasavatar of lord Vishnu
सनातन संस्कृति में कर्म अनुसार हम अपना वर्ण तय कर सकते है
Tilak bhee sampoorna sanatan kaa Hai.
सिर्फ ब्राम्हण नहीं सभी सनातनी के शिखा रखना चाहिए। जय सनातन धर्म।
जय हिंद।
❤
शिखा हिंदू मात्र के लिए है ,चाहे कोई भी वर्ण का हो।
जनेऊ ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य के लिए है और इन्हे ही द्विजाति कहते है।
वर्ण का अर्थ ही जाति होता है।
किसीपर कोई अत्याचार नही हुआ न होगा जो वैदिक धर्म और व्यवस्था को मानता है।
(और ये भ्रांति है की जाती कर्म से बदल सकते है तो वो गलत है ,जाति जन्म से होती है उसे सिद्ध करना उस व्यक्ति का काम है ,उचित कर्म और संस्कार के द्वारा वो व्यक्ति उस वर्ण अथवा जाति से रहकर अपने धर्म का पालन करना उत्तम है)
प्रणाम गुरु देव जी
इसीलिए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था" वेदो की ओर पलटो"
स्वामी विवेकानंद नही, स्वामी दयानंद
@@abhinavsanjana सही कहा आप ने
Logic aur symbolic logic ko introduce kar dein
Guruji pranam. App agar universe ka creation ke bare me jaankari de toh .....
Jay Jay guru ji🙏🙏
Guru ji🙏
What about moustache?
Who can have moustache?
जय सियाराम ।
नमस्कार गुरू जी , इस वीडियो आज का विषय है " प्राचीन भारत में लोग शिखा व
सुत्र " क्योँ रखते थे ?
गुरु जी , इस विषय में आपने जितनी भी बातें बतलाई हैं , वो सब किताबी बातें हैं । जबकी यह अनुभवोँ का विषय है । क्योंकि कोई भी व्यक्ति
ग्रन्थों को पढ़कर विद्वान तो हो सकता है लेकिन अनुभवी नहीँ हो सकता ,,,? जबकि अनुभवों के द्वारा ही कौशल का उदय होता है ।
इसलिए ब्राह्मण शब्द भी ब्रम्ह ज्ञान से पैदा हुआ है । यानी कि , जो ब्रम्ह के दर्शन करता है या फिर स्वयं के दर्शन करता है , वही ब्रम्ह ज्ञानी
अथवा ब्राह्मण है । इसमेँ वह चाहे किसी की जाति का क्यौं न हो ।
कोइ भी एक विद्वान तर्क वितर्क में ही उलझा रहता है , जबकी एक निरक्षर व्यक्ति के दिमाँग में शब्द कोष की कमी होने के कारण , तर्क वितर्क से दूर ही रहना पसंद करता है और विषयों में स्पशता चाहता है । लेकिन विद्वान व्यक्ति बार बार विश्वास की बात कह कर ,
विषय को गोल मोल बना देता है ।
यहाँ पर निरक्षर कहता है कि , जब जीवन वास्विक है तो विश्वास की जरूरत ही क्या है?
सवाल किया गया कि , प्राचीन काल में सिर पर शिखा व शरीर पर सुत्र क्यों रखते थे ।
यह ध्यान योग साधना की बात है ,न कि कुछ ओर ,,,।
ध्यान साधना में बैठने के पश्चात बहुत से लोगों को " नींद " आ जाती है । इसिलिए प्राचीन काल में योगियोँ ने सोचा कि , इसके लिए क्या उपाय किये जाएँ कि , साधक को नींद भी न आए और योग साधना भी सफल हो जाए ।
तब योगियोँ ने शिका रखने का उपाय किया था । यानी कि , शिखा पर रस्सी बाँध कर , उस रस्सी को ऊपर पेड़ की डाली के साथ कुछ इस तरह बाँधा जाता है कि , रस्सी न ज्यादा टाईट हो और न ज्यादा ढीली हो । योग साधना करते समय यदि किसी साधक को नींद आए- तो उपर शिखा से बंधी रस्सी पर झटका लगने से पता चल जाए कि , मैँ नींद से घिरा हुआ था ।
जंगल में साधू लोग लम्बी लम्बी जटाएँ , इसिलिए रखते हैं कि , जटाओं को उपर पेड़ से बाँध कर ध्यान साधना करते हैं ।
इसमेँ यह बिल्कुल भी नहीं है कि , शिखा के नीँचे दिमाँग में स्किल एनर्जी विद्यमान रहती है
नहीं बल्कि स्किल एनर्जी दिमाँग के केवल दाहिने भाग में ही रहती है । जबकि बीच भाग में सुष्मना नाड़ी विद्यमान रहती है जिसमें ईश्वरीय अणु या गॉड पार्टिकल्स विद्यमान रहते हैं ।
शरीर पर सुत्र - हाथ में कलावा या फिर शरीर पर सुत्र ( जनेऊ ) डालने का सही में अर्थ है ,
जिस प्रकार सुत्र ( सूती धागे ) में किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती , हाथ में बन्धे
शुद्ध कलावे की तरह - इन हाथोँ से अच्छे कार्य किये जाएँ । इन हाथोँ से किसी का अहित ना हो सके । शरीर पर धारण किया गया शुद्ध सुत्र
,,,, इसका सही अर्थ यह है कि , इस शुद्ध सुत्र की भाँति - मेरे ह्रदय में , जन हित में ऐसे विचार पैदा होँ कि , किसी के अहित की बात भी पैदा ना होँ और सबका भला हो ।
क्या आज कल यह सब हो रहा है ,,, बात अत्यन्त विचारणीय है । नई दिल्ली से
प्रणाम गुरु जी
🙏🙏
Aap ne jo bataya h vo apne anubhao se kaha h ya kisi se sunkar ya kahi se padhkar aap guru ji se jada anubhavi ya gyani h kya
@@TheQuestURL how can i send my question
@@swatimishra8577
Email us
thequestkurukshetra@gmail.com
Yogi balraj sharma --
हर व्यक्ति का अपना.. खुद का एक निजी विचार होता है.. परंतु वो उसी विचार को सही मानने लगे --
और सभी विचारों को धता.. साबित करे --
यहीं विचार उसके हठी स्वभाव को दर्शाता है.! --
ये सच है की --
आदरणीय श्री ने जो कहा वो किताबी बातें हैं.. परन्तु जो तुम कह रहे हो वो भी प्रामाणिक नहीं है.!
दूसरी बात --
अगर किसी साधक को.. ध्यान साधना करते समय निद्रा आती है.. तो वो भी ठीक है --
इसे निदध्यासन कहते हैं.. शास्त्रों में इसी मुद्रा को निद्रा ध्यान कहा गया --
परंतु सिखा में रस्सी बांधकर पेड़ पर टांगने की व्याख्या करने वाले ने उस साधक को निद्राचारी समझ लिया --
और ये अरर्गल विवेचना कर डाली ?
और तुम उसी को.. ढोए जा रहे हो --
एक बात याद रखना --
विना कसौटी कसे.. किसी के फ़ालतू विचारों को
ढोना भी.. गधे की पहचान को दर्शाता है योगी ? ऊँ..
गुरु जी राम राम जनेऊ किय पहनते हैं में ब्रजराज गुर्जर गाम कतरौल जिला भिंड एम पी से
Can you ask him about odh rajput caste which lives in India and pakistan. Indian odh rajput consider themselves to be hindu while pakistani odh consider them to be muslim.
अतिउत्तम
यही कह कहकर सनातन को समाप्त किया जा रहा है। सभी सनातनी को सनातनी परंपराओं को निभाने का अधिकार होना चाहिए।
Every one had every right ▶️
bhai unke hisab se jo banda aj ke samay me majdoor he use hak nhi rakhne ka kyuki uske pas gyan nhi jo wo surakshit kr sake, chahe wo majdoor bhraman hi kyu na ho.
Inko kuch nhi pata , har hindu shikha rakh sakta hai na ki sirf brahmin
How to ask question from guruji?
Rudraksh ke bare me btae ,Konsa kb phnnna chahiye aur niyam bhi btae please
Durga shaptshati ke bare me aur batayen.
Guruji ram ram 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Pranam guruji 🌹
Pranaam guruji
Thankyou 🙏
Sometimes I think Lord Macaley was right regarding Indian culture, Treadtion eyc.
जय गुरुदेव 🌸🌷🌱🌹🙏🙏🙏🙏🙏🌼🍀🌺🌿🍂🍃
Gurudev pranam🙏🙏
Babaji nandvat pranam, iskcon sampradaya nahi Brahm madhva gaudiya vaishnav parampara
Muje Ved ka gyaan chahiye Guruji Please ese Videos banaye
Haa bhai ji shi kha
Jay ho gurudev ki 🙏🙏
आशीष कुल्हाडे भोपाल से है.
Guruji aap hi bataiye back to Vedas ka raasta 🙏
guruji merese bhramcharya palan nahi ho paa raha ap mera margdarshan kare
Kya tantra vidya andhvishwas hai, guruji iss par ek video please banaiye.
Sampoorn Sanatan samaj ko shikha rakhne kaa poorn adhikhar hai.
जय शिव शंकर 🙏🙏🙏
That's why Varna system was logical.
Shikh ka sthan aur "Sashrar Chakra" ka sthan ..in dono ka koi sambandh hai ye kripaya puche!
नमस्कार गुरुदेव
हर हर महादेव
Rakhna Dharm ka kisi ka chinh yah apni shradha aur Vishwas ki baat hai apne panth ke prati Guru Ji ka yahi kahana hai
Guruji se bat kaise kar sakte hai margdarshan chahiye kuch prashno ke answer chahiye kaise kaya kare koi margdarshan mil jata to bari kripa hogi
SHAT SHAT NAMAN