चित्तौड़गढ़, भारतीय इतिहास का वह गौरवशाली अध्याय है जो त्याग, बलिदान और शौर्य की अनुपम कहानियों से समृद्ध है। यह केवल एक किला नहीं, बल्कि एक भावना है, जो अपनी वीरता और अदम्य साहस के लिए सदैव याद किया जाएगा। यह मेवाड़ की वह राजधानी रही, जिसने कभी किसी के अधीनता को स्वीकार नहीं किया। इसकी मिट्टी में शौर्य के ऐसे बीज अंकुरित हुए, जिनकी सुगंध आज भी भारत की आत्मा में बसती है।
चित्तौड़गढ़, भारतीय इतिहास का वह गौरवशाली अध्याय है जो त्याग, बलिदान और शौर्य की अनुपम कहानियों से समृद्ध है। यह केवल एक किला नहीं, बल्कि एक भावना है, जो अपनी वीरता और अदम्य साहस के लिए सदैव याद किया जाएगा। यह मेवाड़ की वह राजधानी रही, जिसने कभी किसी के अधीनता को स्वीकार नहीं किया। इसकी मिट्टी में शौर्य के ऐसे बीज अंकुरित हुए, जिनकी सुगंध आज भी भारत की आत्मा में बसती है।
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