I will tell you one fact you and I must accept. Video Content is useful and helpful for all the people who are watching his videos. But remember, The Change comes from you only. I am also in the journey of changing myself. Thanks Muddasir Sir :)
ठग बन, पर कैसा ? इंसान की आदत है कि दूसरों को ठग कर खुश होता है। और उसे कोई ठगता है तो दुखी होता है। लेकिन कबीर कहते हैं-काल सबको ठग रहा है। काल जो सबको ठग रहा है, एक ऐसा ठग है, जिसके भी घर जाता है उसकी सारी चीजें उससे दूर कर देता है । सब छुड़ाकर ले जाता है। हे इंसान ! तू इतना बड़ा ठग बन कि काल को भी ठग ले जाए। इ ऊँचा उठ कि मौत और समय को भी छल ले जाए। तब तो तू ठग माना जाएगा, नहीं तो फिर इस ठगी को छोड़ दे। पूछा गया काल को ठगने का तरीका क्या है ? हर एक श्वास को कीमती बनाओ। एक-एक क्षण का उपयोग करो। ऐसी स्थिति लेकर खड़े हो जाओ कि काल आए तो हाथ जोड़कर कहे तुम जीते। मैं जब भी आता हूँ हर आदमी का नाम मिटाता हूँ, उसकी पहचान खत्म कर देता हूँ। थोड़े दिनों तक उसकी याद रहती है और फिर मिट जाती है। लेकिन जिसका कर्म ऊंचा है, जिसके अं पवित्रता है, जिया है महानता से, ऐसे , आदमी के सामने काल हाथ बांधकर खड़ा रहता है और कहता है-मेरे मिटाने से भी तुम मिटने वाले नहीं हो। क्योंकि तुम रहोगे दुनिया में। शरीर चाहे न रहे लेकिन तुम्हारी गाथाएं रहेगी दुनिया में। तुम लोगों की जुबान पर रहोगे, लोगों के ह्रदय में मुस्कराओगे। लोगों की आंखों से संसार में चमक बनकर दृश्य दिखाओगे, तुम्हारे द्वारा न जाने कितने लोगों को लाभ पहुंचेगा। या तो ठग बनना हो तो ऐसा बनो की काल को भी ठग ले जाओ अन्यथा इतने सरल बन जाओ कि भोलापन दिखाई दे क्योंकि भोलेपन में ही परमात्मा वास है। उसे छल-कपट, किसी का अहंकार बिल्कुल पसंद नहीं ।
मन हमारा मन अति सूक्ष्म है, पर है बड़ा शक्तिशाली। अगर हम अपने मन को काबू में कर लिया तो मानो सारी दुनिया को काबू में कर लिया। चलिए एक उदहारण से समझते हैं- जैसे एक घर होता, घर में उससे छोटा कमरा होता है, कमरे से छोटा उसका दरवाजा होता है, दरवाजे से छोटी उसकी कुंडी होती है, कुंडी से भी छोटा ताला होता है और ताले से छोटी चाबी होती है। छोटी सी चॉबी से ताला लगाते ही सारे घर का कब्जा हमारी जेब में होता है। इसी प्रकार छोटे से मन को कब्जे में करते ही सारा संसार हमारे कब्जे में आ जाता है। मजे की बात देखिए - चॉबी को एक ओर घुमाया तो ताला बंद हो जाता है और दूसरी ओर घुमाने से खुल जाता है। इसी प्रकार मन की चॉबी को परमात्मा की तरफ घुमाने से हम संसार से खुल जाते हैं और परमात्मा से बंध जाते हैं। हमारा मन हमेशा ही अनुकूलता चाहता है, इसे जरा प्रतिकूलता बर्दाश्त नहीं। ये हमेशा ही सुख चैन ढूंढ़ता है। मन की तुलना हाथी से की जा सकती है। हाथी को कितना भी नहला - धुला कर आप खड़ा करो, लेकिन वो फिर अपनी सूंड से मिट्टी-धूल अपने ऊपर डाल लेता है। ऐसे ही हमारे ऊपर भी जमाने की मिट्टी धूल रोज-रोज ही गिरती रहती है। लेकिन एक समझदार महावत हाथी को नहला-धुलाकर खूंटे से बांध देता है। इसी प्रकार हम भी अपने आपको गुरु रूपी खूंटे से बांध कर रखे तो जमाने की मिट्टी - धूल से बचे रहेंगे । मन को ठीक रखने के लिए सद्विचार, सत्संग, सद्ग्रन्थ अध्ययन की औषधि बड़ी कारगर है। इसे रोग, शोक, भोग आदि से बचाकर रखना चाहिए। भीतरी बात - गहरी बात- लेने को हरिनाम है, देने को है दातारण को है नम्रता, डूबन को अभिमान ।
नमस्ते, बहुत ही सुंदर ठंग से इस विडिओ को बनाया है ।इस का दूसरा भाग देखना चाहते है परन्तु मिल नही रहा, क्या आप मेरी मदद कर सकते है? धन्यवाद रवींद्र कुमार
वाणी का तप कृष्ण भगवान ने गीता में वाणी का तप बताया है। उनके अनुसार हमेशा मीठा बोलना, हितकारी बोलना और स्वाद वाली चीजों से जीभ को बचाकर रखना वाणी का तप है। एक चीनी संत लाओत्से ने इसे दूसरे रूप में कहा है। बहुत बूढ़े हो गए थे। देखा कि अंतिम समय निकट आ गया है। तो अपने सभी भक्तों और शिष्यों को अपने पास बुलाया। उनको कहा, तनिक मेरे मुंह के अंदर तो देखो भाई ! कितने दांत शेष हैं। प्रत्येक शिष्य ने मुंह के अंदर देखा और कहा दांत तो कई वर्ष से समाप्त हो चुके हैं महाराज। एक भी दांत नहीं है। संत ने कहा- जिव्हा तो विद्यमान है ? सबने कहा जी हां। संत बोले ये बात कैसे हुई ? जिव्हा तो जन्म समय भी विद्यमान थी, दांत उससे पीछे आए। पीछे आने वाले को पीछे जाना चाहिए था। ये दांत पहले कैसे चले गए? शिष्यों ने कहा- हम तो इसका कारण समझ नहीं पाते तब संत ने धीमी आवाज में कहा-यही बतलाने के लिए मैंने तुम्हें बुलाया है। देखों ये वाणी अब तक विद्यमान है तो इसलिए कि इसमें कठोरता नहीं और ये दांत पीछे आकर पहले समाप्त हो गए तो इसलिए कि ये बहुत कठोर है। इन्हें अपनी कठोरता पे अभिमान था यह कठोरता ही इनकी समाप्ति का कारण बनी। इसलिए यदि देर तक जीना चाहते हो तो नर्म बनो, कठोर नहीं । संस्कृत के नीतिकारों ने तो कहा है कि ये हमारी जीभ रूपी गाय हमेशा ही दूसरे के मान की हरी भरी खेती चरने को सदा लालायित रहती है, अतः इसे खूंटे से बांधकर रखो। भीतरी बात - गहरी बात-जब भी बोलिए वक्त पर बोलिए, मुक्तसर बोलिए, मुद्दतो सोचिए ।
Thanks!
This man is improving my life day by day
Yes this is true
Me also... ❤️🥰
You mean ,Week by Week
Me too love from 🇳🇵.
U are Right His Information, Videos change my life. Every Student of India school learn and watch Ye book 📖📖 videos.
I am your regular viewer, U r amazing too sir.
बहुत अच्छी वीडियो । आप
इसी तरह की वीडियो डालते रहो। 🥰🥰🤩
Personal growth
1 Be proactive
2 Be with the end in Mind
3 Put first thing first
(Self care,self health,self meditation and self confidence)
Sir pata nhi aap ye mesg padhenge ya nhi but teenage mai jo guidence mujhe aap jaise youtubers se mili hai that is very precious
YOUR WORK FOR YOUTH ARE NEXT LEVEL....Thanks Sir
श्रीमान जी आप ओर आपकी टीम ऐसे ही विडीयो वेदिक ज्ञान पर बनाये उनका नया चन्नल शुरू करें 🙏🏻
Sab k najar me ek insaan kse accha ho skta hai.... Aap sbko khush nahi rakh skte ho is aj ki duniya me!!
This book deserves multiple readings !!
सर मैं अपना मोटिवेशनल चैनल और अच्छा कैसे बना सकते है कृपया सुझाव दें
One of the best explanation bro..
Keep reading
Keep learning
Keep growing
💐💐💐💐💐💐
Thank you for motivational video 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🙏
It's not motivation video😂
Bhut sahi words hai ✔️ spiritual leaders bhi 2 saal lagate hai yeh kuch important baatein kehne mei...fan of you sir👍🏻🙌🏻
Extremely nice informative n self helping video i appreciate ur hard work to bring this video to us thank u very much for such an amazing video
Very good sir ji sir ji aap bahut achcha motivate karte Hain
Amazing video. Thanks for making my day
I'm eagerly waiting 2nd part of this video.
Wonderful video and beautiful explanation of the self management matrix 👍
Keep it up!!👌👍👏👏
These creates a reading chain !🤗🥳😀
Thank you Sir for uploading these kind of videos. Keep it up Sir ☺️
Thanks for knowledge sir
Waiting for the next part of this video sir..
You are awesome 👍👍👍
Extremely motivating Self Help vedio. I like this Vedio.
proactive and reactive, got it in this video 🌹🙏
You are like time saving bank Thank you ❤
Thank You So Much Sir 💓. Lots of ❤ Love. God Bless You.
This is great channel for change your life and my life
Sir Study par videos banao💓
I love you Brother
You are just awesome
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What do you want to change in yourself?
All of your videos are really amazing. My new year resolution is to view your 1 video daily which helps me in self improvement.
One of the best book summary
Thanks 👍🏻 bro ❤️ ❤️ ❤️
😀 very helpful sir ✨
I learn many things from last 2, 3 years by yebook content .
Sir aapki hsin bhot pyari h 🤩😃😁🤣 hmesha muskurate rahiye AAP
Just to say wow!!!!! 🥰🥰🥰
Awesome video...
Eagerly waiting for 2nd part❤
very nice presentation.Thank you.
Tooo Good 👍🏼
Thank you
ठग बन, पर कैसा ?
इंसान की आदत है कि दूसरों को ठग कर खुश होता है। और उसे कोई ठगता है तो दुखी होता है। लेकिन कबीर कहते हैं-काल सबको ठग रहा है।
काल जो सबको ठग रहा है, एक ऐसा ठग है, जिसके भी घर जाता है उसकी सारी चीजें उससे दूर कर देता है । सब छुड़ाकर ले जाता है। हे इंसान ! तू इतना बड़ा ठग बन कि काल को भी ठग ले जाए।
इ ऊँचा उठ कि मौत और समय को भी छल ले जाए। तब तो तू ठग माना जाएगा, नहीं तो फिर इस ठगी को छोड़ दे। पूछा गया काल को ठगने का तरीका क्या है ? हर एक श्वास को कीमती बनाओ। एक-एक क्षण का उपयोग करो। ऐसी स्थिति लेकर खड़े हो जाओ कि काल आए तो हाथ जोड़कर कहे तुम जीते।
मैं जब भी आता हूँ हर आदमी का नाम मिटाता हूँ, उसकी पहचान खत्म कर देता हूँ। थोड़े दिनों तक उसकी याद रहती है और फिर मिट जाती है। लेकिन जिसका कर्म ऊंचा है, जिसके अं पवित्रता है, जिया है महानता से, ऐसे , आदमी के सामने काल हाथ बांधकर खड़ा रहता है और कहता है-मेरे मिटाने से भी तुम मिटने वाले नहीं हो।
क्योंकि तुम रहोगे दुनिया में। शरीर चाहे न रहे लेकिन तुम्हारी गाथाएं रहेगी दुनिया में। तुम लोगों की जुबान पर रहोगे, लोगों के ह्रदय में मुस्कराओगे। लोगों की आंखों से संसार में चमक बनकर दृश्य दिखाओगे, तुम्हारे द्वारा न जाने कितने लोगों को लाभ पहुंचेगा।
या तो ठग बनना हो तो ऐसा बनो की काल को भी ठग ले जाओ अन्यथा इतने सरल बन जाओ कि भोलापन दिखाई दे क्योंकि भोलेपन में ही परमात्मा वास है। उसे छल-कपट, किसी का अहंकार बिल्कुल पसंद नहीं ।
Very good Habits.. Thank you very much
Presentations important hai us par kaam karenge
excellent 👍👍
This man is genius !! God bless him
One of the best video
Great bro nice explanation
Vah bhai kya video banai hai Dil Ko chhu gai
Very effective video 👌🏻👍🏻
Love 💜
Very effective 👍👍
Dude apki voice and explaination bahut effective hote apko kukufm par hona chahiye...apki saari books apki voice me ❤😊
I pray to god that everything will be fine in your life
THANK YOU.
मन
हमारा मन अति सूक्ष्म है, पर है बड़ा शक्तिशाली। अगर हम अपने मन को काबू में कर लिया तो मानो सारी दुनिया को काबू में कर लिया।
चलिए एक उदहारण से समझते हैं- जैसे एक घर होता, घर में उससे छोटा कमरा होता है, कमरे से छोटा उसका दरवाजा होता है, दरवाजे से छोटी उसकी कुंडी होती है, कुंडी से भी छोटा ताला होता है और ताले से छोटी चाबी होती है।
छोटी सी चॉबी से ताला लगाते ही सारे घर का कब्जा हमारी जेब में होता है। इसी प्रकार छोटे से मन को कब्जे में करते ही सारा संसार हमारे कब्जे में आ जाता है। मजे की बात देखिए - चॉबी को एक ओर घुमाया तो ताला बंद हो जाता है और दूसरी ओर घुमाने से खुल जाता है।
इसी प्रकार मन की चॉबी को परमात्मा की तरफ घुमाने से हम संसार से खुल जाते हैं और परमात्मा से बंध जाते हैं। हमारा मन हमेशा ही अनुकूलता चाहता है, इसे जरा प्रतिकूलता बर्दाश्त नहीं। ये हमेशा ही सुख चैन ढूंढ़ता है। मन की तुलना हाथी से की जा सकती है।
हाथी को कितना भी नहला - धुला कर आप खड़ा करो, लेकिन वो फिर अपनी सूंड से मिट्टी-धूल अपने ऊपर डाल लेता है। ऐसे ही हमारे ऊपर भी जमाने की मिट्टी धूल रोज-रोज ही गिरती रहती है।
लेकिन एक समझदार महावत हाथी को नहला-धुलाकर खूंटे से बांध देता है। इसी प्रकार हम भी अपने आपको गुरु रूपी खूंटे से बांध कर रखे तो जमाने की मिट्टी - धूल से बचे रहेंगे ।
मन को ठीक रखने के लिए सद्विचार, सत्संग, सद्ग्रन्थ अध्ययन की औषधि बड़ी कारगर है। इसे रोग, शोक, भोग आदि से बचाकर रखना चाहिए।
भीतरी बात - गहरी बात- लेने को हरिनाम है, देने को है दातारण को है नम्रता, डूबन को अभिमान ।
Thanking you sir
Thanks a lot for sharing such useful video, waiting for your next video keep sharing 👌👍🏻
Thank u so much sir......... 😊
Really good 👍
धन्यवाद...,
PROCASTINATION is the main hurdle for any productivity...
These tips are very useful for me really.
Thanks.....
Awesome 👍👍👍
Very good sir 👏
नमस्ते,
बहुत ही सुंदर ठंग से इस विडिओ को बनाया है ।इस का दूसरा भाग देखना चाहते है परन्तु मिल नही रहा, क्या आप मेरी मदद कर सकते है?
धन्यवाद
रवींद्र कुमार
U r amazing 😘
Your work is really inspiring.. how u devote ur time for making these awesome content... Thanks a lot man.. u r amazing 🤩🤩🤩
I like watching ur video...very good presentation and lovely voice...keep on uploading new videos...
Very nice sir 👌👌👌👌👌👌👌👌👌
Thank you.... God bless you
Success is not final; failure is not fatal: It is the courage to continue that counts.
Thank you brother ♥️
जो भी प्यारी आंखे अभी मेरा Comment पढ़ रही हैं ईशवर उनके माता पिता को लम्बी आयु प्रदान करें. जय श्रीराम 🙏
Apke video ke liye hum Sunday ka intezaar karte h thankyou
Thanks bhai 😊😊😊
Really helpful ths video
Kya baat👌 goodmorning sir
You are really amazing brother ❤️
Your voice is very attractive
Made me live life hopefully thanx
Awesome😊 I appreciate it
nice video 👍
You are amazing sir really I appreciated for watching this video
Thank you so much sir for providing useful knowledge
You are amazing 💙💙
Fantastic bro
Thank You ❣️ Keep doing
Thanks for given psychological video
वाणी का तप
कृष्ण भगवान ने गीता में वाणी का तप बताया है। उनके अनुसार हमेशा मीठा बोलना, हितकारी बोलना और स्वाद वाली चीजों से जीभ को बचाकर रखना वाणी का तप है। एक चीनी संत लाओत्से ने इसे दूसरे रूप में कहा है।
बहुत बूढ़े हो गए थे। देखा कि अंतिम समय निकट आ गया है। तो अपने सभी भक्तों और शिष्यों को अपने पास बुलाया। उनको कहा, तनिक मेरे मुंह के अंदर तो देखो भाई ! कितने दांत शेष हैं। प्रत्येक शिष्य ने मुंह के अंदर देखा और कहा दांत तो कई वर्ष से समाप्त हो चुके हैं महाराज। एक भी दांत नहीं है।
संत ने कहा- जिव्हा तो विद्यमान है ? सबने कहा जी हां। संत बोले ये बात कैसे हुई ? जिव्हा तो जन्म समय भी विद्यमान थी, दांत उससे पीछे आए। पीछे आने वाले को पीछे जाना चाहिए था। ये दांत पहले कैसे चले गए? शिष्यों ने कहा- हम तो इसका कारण समझ नहीं पाते तब संत ने धीमी आवाज में कहा-यही बतलाने के लिए मैंने तुम्हें बुलाया है।
देखों ये वाणी अब तक विद्यमान है तो इसलिए कि इसमें कठोरता नहीं और ये दांत पीछे आकर पहले समाप्त हो गए तो इसलिए कि ये बहुत कठोर है। इन्हें अपनी कठोरता पे अभिमान था यह कठोरता ही इनकी समाप्ति का कारण बनी। इसलिए यदि देर तक जीना चाहते हो तो नर्म बनो, कठोर नहीं ।
संस्कृत के नीतिकारों ने तो कहा है कि ये हमारी जीभ रूपी गाय हमेशा ही दूसरे के मान की हरी भरी खेती चरने को सदा लालायित रहती है, अतः इसे खूंटे से बांधकर रखो। भीतरी बात - गहरी बात-जब भी बोलिए वक्त पर बोलिए,
मुक्तसर बोलिए, मुद्दतो सोचिए ।
Your mind is so unique sir , hats off sir 💐🤗
Gjb Bro
Awesome.
Thank you sir for this amazing video
Thank u sir
Thanks
Wow great video
wow i was wating for your video 🤩
Fascinating! Egarly waiting for 2nd part