Good guruji Apne Jo video shear kiya h Jo dhayan Ke bare bat ki h o bhot ashi ki h apko bhot bhot dhanyewad agr har sadhk ap bole isa karenge to sachi me jaldi anubhav aayenge apko Dil se koti koti pranam 💯🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Thank You Guruji 🙏 aap bahut achhi information dete hain logo ko guide karate ,Guruji mai 1 week se cold cough tha aur fever tha 2din Medicine antibiotics bhi khaye the fir thik huvi( lekin usake bad muze pehale jaise anubhav dhyan karane lagi toh pehale jaise anubhav nahin hote prakash bhi nahin dikhata kya karan hoga guruji? please reply kare)
इसमे ऐसी कोई खास बात नहीं है, कई बार रूटीन टूट जाने के कारण ऊर्जा का पहले वाला फ्लो दुबारा बनने मे टाईम लग जाता है इसलिए ऐसा हो रहा है। आप अपनी तरफ से प्रयासरत रहे, उचित समय आने पर ध्यान मे गहराई भी आ जायेगी, बस थोड़ा धैर्य रखे। दूसरी बात, अनुभवों की अपेक्षा नहीं करे, अगर हो तो ठीक और नहीं हो तो भी ठीक, आप अपना ध्यान विधि के उपर लगाए और निष्काम भाव से ध्यान लगाये और अनुभव हो या ना हो वो परमात्मा पर छोड़ दे।
आप अपना मूलाधार चक्र इस प्रकार विकसित कर सकते है:- सप्त चक्रों के क्रम मे मूलाधार पहला चक्र है, इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है तथा उसकी समाजिक असुरक्षा दूर होती है । व्यक्ति के शरीर का मध्य भाग व इसके अंग गुप्तांग, गुर्दे, लिवर आदि का स्वास्थ्य उतम रहता है । ऊर्जा की प्रबलता बनी रहती है तथा मूलाधार से आगे के चक्रों मे बढने मे सुविधा हो जाती है । इस चक्र के जागृत होने से भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है । मूलाधार जागृति के लिये निम्न बाते बहुत जरुरी है :- मूलाधार चक्र का रंग लाल है अतः लाल रंग की वस्तुओं को अपने समीप रखना व लाल रंग के खाध पदार्थों का उपभोग करना उतम है, इसके इलावा कुछ ऐसे व्यायाम करना जिससे हमारे शरीर के मध्य भाग मे जोर पडे जैसे उठक-बैठक, दौडना, टहलना आदि लाभदायक है । कुछ योग आसन जैसे भुजंंग आसन, धनुरसन, चक्र आसन, कुर्सी आसन आदि भी मूलाधार जागृति करते है, कपालभाति, अग्निसार, भस्त्रिका आदि प्राणायाम भी मूलाधार मे जाग्रति लाते है । इसके इलावा ताड़न क्रिया, अश्वनी मुद्रा भी बहुत प्रभावी है । इस चक्र के देवता श्री गणेश है अतः इस चक्र पर ध्यान लगाते हुए भगवान गणेश जी के मंत्र का जाप करने से यह चक्र जागृत होता है । मंत्र इस प्रकार है : ॐ गं गणपतये नम: निम्नलिखित ध्यान से भी आप मूलाधार जागृति कर सकते है : किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें तथा अपनी आंखों को बन्द करके रखें। अपनी गर्दन, पीठ व कमर को सीधा करके रखें। अब सबसे पहले अपने ध्यान को गुदा द्वार व जननेन्द्रिय के बीच स्थान मे मूलाधार चक्र पर ले जाएं। फिर मूलाधार चक्र पर अपने मन को एकाग्र व स्थिर करें और अपने मन में चार पंखुड़ियों वाले बन्द लाल रंग वाले कमल के फूल की कल्पना करें। फिर अपने मन को एकाग्र करते हुए उस फूल की पंखुड़ियों को एक-एक करके खुलते हुए कमल के फूल का अनुभव करें। इसकी कल्पना के साथ ही उस आनन्द का अनुभव करने की कोशिश करें। उसकी पंखुड़ियों तथा कमल के बीच परागों से ओत-प्रोत सुन्दर फूल की कल्पना करें। इस तरह कल्पना करते हुए तथा उसके आनन्द को महसूस करते हुए अपने मन को कुछ समय तक मूलाधार चक्र पर स्थिर रखें। अथवा शांत होकर, आँखे बंद करके, कमर को सीधा रखते हुए, ध्यानस्थ मुद्रा मे बैठ जाये, अब अपना पुरा ध्यान अपनी आती जाती श्वास पर लाये और जब भी श्वास अंदर आये तो " औम" और जब भी श्वास बाहर आये तो " लं " बीज मंत्र का मानसिक उचारण करे ।
DEAR GURU JI, PARNAM TO U FOR FIVE TIMES. U HAVE EXPLAINED MEDITATION IN DETAIL. I SHALL TRY TO REMOVE THESE MISTAKES AT THE TIME OF MEDITATION. PL.KEEP IT UP. STAY BLESSED ALWAYS AND ALL MY BEST WISHES ARE WITH U AND REMAIN WITH U ALWAYS. WITH REGARDS......... FROM ASHOK KUMAR PAUL, RETD.SR.MANAGER,PNB, HOSHIARPUR, PB.
जब तक व्यक्ति का आहार सन्तुलित व उचित नही होगा तब तक वह साधना मे विकास नही कर सकता । साधना काल मे हमे अधिक से अधिक ऊर्जा को उर्ध्व्गामी करना होता है और वह तभी सम्भव हो पाता है जब ऊर्जा को पेट से मुक्त किया जा सके लेकिन कुछ व्यक्ति अज्ञानतावश अति भोजन करके या भारी दुशपाच्य व गरिष्ट भोजन करके उर्जा को हाजमे के लिये पेट मे ही उलझाये रखते है, इसलिये पहली तो बात यही है की हमेशा कम खाये, कभी भी ठूस ठूस कर ना खाये और देर से हज़म होने वाला आहार ना खाये । ध्यान के अभ्यास के दिनों मे हमारा आहार बिल्कुल सात्विक, हल्का, सुपाच्य और पोष्टिक होना चाहिए। क्योंकि इस दौरान हमारे शरीर का Metabolism धीमा हो जाता है अतः अल्प आहार लेना चाहिए। खिचड़ी, दलिया, दुध, दही, सादी रोटी, अंकुरित अनाज, पोहा, सलाद, हरी सब्जियाँ, जूस, फल आदि श्रेष्ट है और तली भुनी व मिर्च मसालेदार खटी मीठी चीज़, चाय कॉफी आदि नहीं लेनी चाहिए। मादक पदार्थों से भी दूर रहना चाहिए। बेहतर हो की इस दौरान व्यक्ती एक समय ही खाना खाए या केवल दो टाइम, और रात्रि का भोजन छोड़ दे, किन्तु यदि आवश्यकता महसूस हो तो रात्रि मे केवल लिक्विड आहार जैसे दुध आदि ले सकते है। सप्ताह मे एक या दो दिन पूर्ण उपवास रखना चाहिए और उस दौरान केवल जूस या जल ही लेना चाहिए और कभी कभी पूरा दिन केवल फलाहार पर भी रहना चाहिए। पानी खूब पीना चाहिए और शीतकाल मे गर्म पानी पीते रहना चाहिए। जिस समय ध्यान मे बैठे, उस समय पेट खाली होना चाहिए।
@@Dhyankagyan777 parnam guru ji 🙏🏻dhaniyawad guru ji....🙏🏻 is amuliya gyan ke liye barambar dhaniyawad.....🙏🏻🙏🏻🙏🏻 11din ki dhayan sadhna kar sakte hai kya isme havan bhi karna hota hai...???
4 roti or 1 ktori sabji khata hu or 2 liter pani pita hu ye lite bhojan h ya hard bhojan kya ye khana khane ke baad 2:30 gante baad dhyan kr sakte h ager is se jada time lena h to khana khane se pahle dhyan kr lu to uske kitni der baad bhojan krna chaye please btaye sir
ये तो हेवी फूड है, आपको इसके बाद 4 नहीं तो कम से कम 3 घण्टे बाद ही ध्यान मे बैठना चाहिए, कहने का तात्पर्य यह है की आपको ध्यान में तब बैठना है जब आपके पेट मे पड़ा भोजन हजम हो चुका हो। ध्यान करने के बाद तो आप 10-15 मिनट बाद भोजन ले सकते है।
Guru muje depression ha anapansathi dhyan karte hue muje 1 saal ho gya ab dyaan wali energy bhut nuksan kar rahi body ko negative energy me change' ho gyi kya kare
It means you did something wrong because meditation is a process of relaxing the body and mind, not tensing it, it may be that you tried too hard and you concentrated too much, that is why you felt like this, if you try next time then try to meditate with keeping your eyes, mouth, forehead and head relax, not tensing it, otherwise it will creats symptoms which you are talking about।
बिल्कुल सो सकते है, जब हम ध्यान मे होते है उस समय हमारे शरीर का para sympathetic nervous system एक्टिवेट हो जाता है जो हमारे शरीर को विश्रांत करता है और नींद मे भी यही होता है, इसलिए दोनों मे कोई विरोधाभास नहीं है, बल्कि ध्यान के बाद सोने से नींद की क्वालिटी भी improve हो जायेगी और ध्यान की तरंगे भी गहरे अवचेतन मे उतर जायेगी। बहुत से लोग रात मे भी ध्यान करते हैं और उनका ध्यान के बाद सो जाना एक स्वस्थ और स्वाभाविक उपक्रम है। लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है, चुकीं ध्यान हम जागरुकता की वृद्धि के लिए करते हैं लेकिन नींद से हमारी जागरुकता खो जाती हैं, इसलिए यदि ध्यान के बाद सोना ज्यादा जरूरी ना हो तो उसे टाला भी जा सकता है और सोने की बजाय बेहतर होता है की आप ध्यान के बाद शांत होकर कही बैठ जाये, मोन रहे और कोई ज्यादा हलन चलन वाला कार्य ना करे।
Sham ko dhyan krne ke baad 15 ya 20 minute baad bhojan kr line se dhyan me jo urjha uthi thi vo sant ho jati ha kya or uska pura labh milta h kya ager is se jada time lene h to bata dijije mai dhyan krne k 30 ya 40 minute baad bi bojan kr sakta hu mager pura phayda milna chaye please batiye sir ye meri bahut badi problam h ki kitne time ka baad bojan kru
ध्यान करने के बाद हमारा metabolism स्लो हो जाता है और पाचन संस्थान भी शिथिल हो जाता है इस कारण से ध्यान के तुरन्त बाद भोजन करने से मना किया जाता है, किंतु ध्यान से उठने के 15-20 मिनट बाद, थोड़ा हलन चलन करने से पेट मे रक्त प्रवाह फिर से समान्य हो जाता है, तब आप भोजन कर सकते हैं, लेकिन बस इतना ध्यान रखे की भोजन सात्विक, हल्का फुलका और कम मात्रा मे ही लेना चाहिए।
Sir, I always go into deep sleep while meditating. In spite of my best efforts and attention I am not able to overcome this problem. I am now hesitant to meditate because of this that again I will go into deep slumber. I have tried satvik diet,fasting,celibacy but this condition still persist. Can you please guide me,I will be very grateful 🙏
ध्यान साधना के दौरान, या जाप के समय, हमे अक्सर ध्यान मे बैठे बैठे कई बार नींद आने लग जाती है, ऐसा इसलिये होता है की थोडा सा ध्यान लगते ही हमारा मन शांत होने लगता है, श्वास व हृदय गति मंद पडने लगती है, और जब यह लक्षण शरीर मे होने लगते है तो मस्तिष्क को सन्देश जाने लगता है की अब व्यक्ति को सुला दो, क्युकी मस्तिष्क को लगता है की आप सोना चाहते है, क्युकी यही सारे लक्षण तब भी होते है जब हम रात को सोने लगते है तब भी यही शांत शरीर की स्थिति बनती है जो ध्यान के दौरान बनती है । इसलिये पारस्परिक साहचर्य नियम के अंतर्गत मस्तिष्क हमे सुलाने की कोशिश करने लगता है । ध्यान के दौरान नींद मे चले जाना कोई बुरी अवस्था नही है किन्तु यह कोई उच्च अवस्था भी नही है । यहा तक की शुरुवाती कदम मे नींद मे चले जाना लाभ भी करता है क्युकी जो नींद हमे ध्यान के दौरान लगती है वह कोई साधरण नींद नही होती, यह नींद हमारे गहरे विश्राम से निकल कर आती है, योग मे इस नींद को "तांदरी" बोला जाता है, इस नींद की महता साधरण नींद से बहुत अधिक होती है, इस नींद की दस मिनट की झपकी घंटो की साधरण नींद के बराबर होती है । इसलिये जहा तक साधरण स्वास्थ की बात है तो यह समोहित अवस्था की अर्ध चेतन निद्रा जिसमे आप आधे जागे होते है और आधे सोये होते है, बहुत अच्छी है, यह हमारे शरीर को गहरा विश्राम देकर तनाव को दूर करती है, लेकिन अगर हम अपना अध्यात्मिक विकास करना चाहते है तो फिर यह नींद एक बडी बाधा ओर रुकावट है । तब हमे अपनी कुछ आदतों मे सुधार करके इस नींद से बचना चाहिये, जैसे अपने शरीर मे एकत्रित हुए विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकालकर शरीर शुद्ध करे, ध्यान के समय खाली पेट बैठे, अपनी अति विश्राम प्रियता को थोडा संयमित करे, आदि ।
ध्यान के दौरान नींद से बचने के लिये इन बातो का ख्याल रखे : - 1) लेटकर ध्यान ना करे, हमेशा बैठकर रीढ़ को सीधा रखते हुए ध्यान मे बैठे । 2) खाना खाने के बाद ध्यान मे ना बैठे, हमेशा खाली पेट या खाना खाने के 3 या 4 घन्टे के बाद ध्यान मे बैठे । 3) निश्चिंत करे की आप रात्रि की 8 घंटे की अपनी पुरी नींद ले रहे है या नही । 4) जब बैठे बैठे नींद आने लगे तो थोडी देर खड़े होकर टहल ले और फिर बैठ जाये 5) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये योग के स्ट्रेचिंग के कुछ आसन अथवा धीमी व्यायाम की क्रियाए कर के शरीर को वार्म अप कर ले । F 6) ध्यान के दौरान पूरी तरह से अपनी चेतना को जागरुक व पैना रखे की कही से भी नींद आक्रमण ना कर पाये । 7) ध्यान मे बैठने से पहले नहा धो कर या मूह हाथ पैर आदि धो कर बैठे, आँखो मे पानी के छींटे मारे । 8) यदि आप चाहे तो बैठने से पहले दो घूँट चाय, कॉफी आदि के ले ले । 9) शुरुवात मे एकदम, जबकि आपको अभी आदत नही है तो सुबह-सुबह 3 या 4 बजे ध्यान मे ना बैठकर शाम के समय पहले बैठे ओर जब आदत हो जाये तो ब्रहम मूहर्त मे बैठे । 10) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये प्राणायाम करे, ऐसा करने से मस्तिष्क मे आक्सीजन की मात्रा बढेगी और जागरुकता आयेगी ।
Parnam swamiji...me lambe samay se dhayan mantra bhajan kirtan kar ta hu..ab jab me dhayan me bethata hu toa mera pura body moove kar ta he...me sambhal ne ki koshis kar ta hu toa puri tarah dhayan nahi kar sakta...aap kuch sujav de..🌺🙏
Sir mai sham ko 30 ya 35 minute dhyan krta tha lekin ab 1 ganta ya us jada dhyan kr lu to mere dil ki dhadkan bahut tej ho jati h or asa lagta h abhi kuchh ho jayga mai dar jata hu asa ku hota h is problem ka solution batiye sir taki mai dhyan me jada time bath saku or koi problam na ho please batye sir dil ki dadkan ku tej hoti h iska solution de
सामान्यतः ध्यान मे हृदय धड़कन बढ़ती नहीं है क्यूंकि इस दौरान बॉडी मे पारा सिम्पैथैटिक सिस्टम ऐक्टिव होता है जो शरीर की क्रियाओं को खासकर श्वास और हृदय की क्रियाओं को शांत करता है। लेकिन रक्तचाप बढ़ने से या anxiety से भी ऐसा होता है, इसलिए य़ह शारीरिक नहीं ब्लकि मानसिक, भावनात्मक या ऊर्जा शरीर की य़ह घटना है, ऐसे मे इस स्थिति के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते है :- 1) ऊर्जा का कम समय मे जरूरत से ज्यादा उठ जाना, पिंगला नाड़ी का कुपित होकर होकर शरीर मे गर्मी बढ़ा देना या नाड़ियों का अशुद्ध होना। 2) आपके हृदय मे पूर्व जन्मों के जमे हुए संस्कारों का या दमित भावनाओं का बाहर निकलने के कारण भी ऐसा होता है। 3) आपके विधि का अति एकाग्रता के साथ या विधि को गलत तरीके से करने के कारण भी ऐसा हो सकता है। 4) कई बार ध्यान के दौरान संवेदनशीलता बढ़ जाने के कारण भी हृदय की समान्य गति भी तेज महसूस हो सकती है। 5) नोट करे, की आप उस वक्त कोई ऐसा विचार या भावना तो नहीं करते जो उत्तेजना पैदा करता हो। 6) प्राण उत्थान क्रिया यानि आंशिक कुंडलिनी जागरण से भी हृदय गति बढ़ सकती है। 7) आज्ञा चक्र पर ऊर्जा प्रवाह बढ़ जाने पर हृदय चक्र कुछ ऊर्जा संतुलन के लिए अपने पर खींच ले तो ऐसा होता है। ऐसे मे बेहतर होगा की आप उस समय थोड़ी गहरी श्वास प्रश्वास ले और अनुलोम विलोम प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे, इससे ऊर्जा संतुलित होगी।
Pranam guruji mujhe dhyan suru kiye 1 month hua hai mujhe dhyan karneke baad sannate ki avaaz sunai deti hai aur pure din aankho me nind rahti hai sone jati hu to lagta hai ki dhyan me hu me din me do se tin bar dhyan karti hu dophar me letate hi dhyan lag jata hai aur mere ghar ke kam bhi disturb ho gaye hai kripa karke kucjh margdarshan kare .🥺🙏
आप के ध्यान के लक्षण शुभ है, सन्नाटे की आवाज सुनाई देने का मतलब आपकी कर्ण इंद्रियां सूक्ष्म हो रहीं हैं और आप अनहद नाद की और अग्रसर हो रहीं हैं, और जिसे आप नींद समझ रहीं है वह असल मे ध्यान की खुमारी यानि नशा है जो अनियन्त्रित हो रहा है। तो ध्यान तो आपका सही चल रहा है। लेकिन आप ने एक संतुलित और उचित रूटीन नहीं बनाई है, जिसके कारण आपकी डेली लाइफ भी डिस्टर्ब हो रहीं है और ध्यान भी सही से मेनेज नहीं हो रहा है। बेहतर होगा की आप अपनी ग्रहस्थी और ध्यान के बीच मे संतुलन बनाए और ध्यान को 3-4 बार करने की बजाय केवल 2 बार यानि सुबह और शाम को ही करे, इतना पर्याप्त रहेगा। ऐसा करने से आपका ध्यान का अभ्यास एक संतुलित और सीधी रेखा मे चलेगा और अच्छे से मेनेज भी हो जाएगा।
अगर आप ध्यान कर रहे हैं और आपको अपने मे कोई परिवर्तन या लाभ नजर नहीं आ रहा तो उसके कुछ कारण हो सकते हैं :- 1) ध्यान एक क्रमिक और लम्बी चलने वाली प्रक्रिया है इसलिए यदि आपको अभी ध्यान आरम्भ किए कुछ ही दिन हुए है तो आपको धैर्य रखना चाहिए और प्रयास जारी रखना चाहिए, धीरे-धीरे आपको इसके परिणाम नजर आयेगे। 2) ध्यान के प्रभाव से सब से पहले हमारी शारीरिक स्थिति मे सुधार होता है, शरीर मे ऊर्जा विकसित होती है जिससे शरीर चुस्त-दुरुस्त होने लगता है, फिर मन मे ऊर्जा बढ़ती है जिससे मन मे सकरात्मक विचार और आत्म विश्वास बढ़ने लगता है, फिर हृदय मे ऊर्जा बढ़ती है जिससे भावो मे शुद्धि होकर आनंद, शांति और प्रेम बढ़ने लगता है। इसलिए यदि आपको भी ये लक्षण महसूस हो तो समझे की आपको ध्यान से लाभ हो रहा है । 3) यदि आपको पर्याप्त समय के बाद भी अपने मे कोई सकरात्मक बदलाव नजर ना आए तो समझे की फिर आपकी ध्यान की विधि आपको सूट नहीं कर रहीं हैं या आप विधि को सही ढंग से नहीं कर रहे हैं। इसलिए विधि को बदल कर देख ले या उसमे कुछ सुधार करे। 4) ध्यान मे बैठने से पहले बेहतर होगा की आप कुछ प्राणायाम की क्रियाएं और ओम का जाप करे, इससे आपका ध्यान गहरा लगेगा।
Sir, kabhi kabhi mujhe bahut purani esmarti yaad aa jaati h our kbhi asaa lagtaa h ki kuch kuch yaad ane waala h.magar yaad nahi aata .kerpya margdarsan karaye
स्मृति का मतलब होता है भूतकाल यानि जो बीत चुकी, अगर आपके मस्तिष्क मे बीती यादे आदि सामान्य से अधिक मात्रा मे आती रहती है तो इसका अर्थ है की आपकी लेफ्ट साइड की नाड़ी जिसको इडा नाड़ी बोलते है और जो भूतकाल को प्रतिनिधित्व करती है, वह नाड़ी सामान्य से अधिक सक्रीय है, इसमें कुछ नुकसान नहीं है बल्कि य़ह मस्तिष्क की एक प्रवृत्ति है, लेकिन यदि आप इस स्थिति को यदि संतुलित करना चाहते हैं तो आप कुछ दिन अनुलोम विलोम प्राणायाम करे तो उससे य़ह स्थिति सामान्य हो जायेगी।
जी हाँ, आप विपरित कार्य कर रहे हैं, जो सक्रीय कार्य है वो ध्यान से पहले होना चाहिए, क्यूंकि भ्रमण करने से ऊर्जा जागृति मे आएगी तो अगर आप भ्रमण के बाद यदि ध्यान मे बैठेगे तो यही जागृत ऊर्जा ध्यान के माध्यम से ऊर्ध्व गमन मे काम आएगी और ध्यान भी अच्छा लगेगा, लेकिन यदि ध्यान के बाद भ्रमण करते है तो ध्यान से उत्पन्न हुई स्थिरता और शांति खर्च हो जायेगी। बेहतर होगा यदि आप पहले भ्रमण करे और फिर ध्यान मे बैठे, किन्तु यदि पहले भ्रमण करने की कोई मजबूरी हो तो फिर ध्यान के बाद भी भ्रमण कर सकते हैं, लेकिन तब ख्याल रखे की त्रिव गति से ना चले बल्कि धीमी गति से मोन रहकर शांत भाव से ही चले ।
आज्ञा चक्र पर ध्यान टिकाने के लिए आपको इस चक्र से जुड़ी ध्यान विधि का अभ्यास करना चाहिए, विधि इस प्रकार हैं :- आज्ञा चक्र को जागृत करने के लिये अपना पुरा ध्यान भ्रूमध्य यानि दोनो भौहो के बीच मे, जहा पर हम तिलक लगाते है, वहा पर लेकर आये । इस स्थान पर मन को एकाग्र करे । कुछ समय पश्चात आपको इस स्थान पर ध्यान करते करते ताप, गर्मी, प्रकाश, दबाव, स्पंदन आदि की अनुभूति होनी शुरु हो जायेगी । किंतु यदि आपको कोई अनुभव नही भी होता है तो आपको व्यग्रता नही करनी है अपितु धैर्य के साथ इस स्थान पर मन की एकाग्रता को बनाये रखना है । तो पूरी विधि समझते है, पहले अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर लाये, फिर अपना ध्यान नाक के दोनो छिद्रों से अंदर आती श्वास पर लाये, गौर से नाक के प्रवेश द्वार से सांस को अंदर आता हुआ व बाहर जाता हुआ महसूस करे । महसूस करे की आपके नाक से भीतर प्रवेश करती हुई सांस ऊपर आज्ञा चक्र तक आती है और फिर बाहर निकलती हुई सांस आज्ञा चक्र से नीचे उतरती हुई नाक के छिद्रों से बाहर निकल जाती है । सांस का प्रारम्भिक बिंदु नासिकाग्र है और अन्तिम बिंदु आज्ञा चक्र है । इस प्रकार सांस नासिकाग्र से आज्ञा चक्र के बीच मे आते जाते हुए भ्रमण करने की कल्पना करते रहेगे । अब अगला बिंदु, हर बार, जब भी आपकी सांस नासिकाग्र से आज्ञा चक्र पर पहुचे तो सांस को भीतर रोक ले और सांस को यथाशक्ति रोक कर रखते हुए आज्ञा चक्र पर मन को एकाग्र रखे, इसी समय, जब आपकी सांस रूकी हुई है और मन आज्ञा चक्र पर केंद्रित है, आपको सफेद प्रकाश का एक चमचमाता हुआ सितारे नुमा बिंदु दिखाई दे सकता है या अन्य कोई अनुभुति हो सकती है । अब धीरे-धीरे से रोकी हुई सांस को बाहर छोड़े और फिर से अपना ध्यान नासिकाग्र पर ले आये । तो बार बार इस प्रक्रिया को दोहराए । प्रतिदिन 5 मिनट से 15 मिनट तक इसका अभ्यास किया जा सकता है । जिन व्यक्तियों को हृदय से संबंधित या रक्त चाप से संबंधित कोई समस्या है वे बिना सांस को रोके इस विधि को कर सकते है । आपको एक बार पुनः विधि का क्रम दोहरा दु : सर्वप्रथम नासिकाग्र से सांस भीतर आती महसूस करे फिर सांस पूरी तरह से अंदर आ जाने पर उसको भीतर ही कुछ सैकेण्ड के लिये रोक ले और इस दौरान अपना पुरा ध्यान आज्ञा चक्र पर बनाये रखे, फिर धीरे धीरे से सांस को बाहर निकालते हुए पुनः अपना ध्यान नासिकाग्र पर ले जाये । इस प्रकार हर भीतर आती सांस के साथ अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर व बाहर जाती सांस के साथ अपना ध्यान नासिकाग्र पर लगा कर रखे । यह अत्यंत ही शक्तिशाली व शीघ्र रूप से प्रभाव मे आने वाली विधि है । इसके परिणाम भी चमत्कारी है । कुछ ही दिनो के अभ्यास से आज्ञा चक्र मे जागृति आनी शुरु हो जाती है व उससे जुड़े फल मिलने शुरु हो जाते है । इसके अतिरिक्त इस विधि के नित्य अभ्यास से शरीर व मन मे एक नई स्फूर्ति, उत्साह, आनंद व शान्ति की भावना विकसित होने लगती है ।
स्वामी जी नित्य प्राणायाम योग और बंध और अंत मे ध्यान लगाने कारण व बह्रमचर्य व्रत के कारण मेरी ऊर्जा शक्ति मे काफ़ी इजाफा हो गया है और मेरे मस्तक पर विशेष चमक भी बढ़ गई है मन भी अधिकतर निर्विचार रहने लगा है पारिवारिक जिम्मेदारीयो का भी कोई विशेष प्रभाव नहीं होता इसबढ़ी हुई ऊर्जा शक्ति को में संभालाने मे असमर्थ होने के कारण मुझे जबरन ब्रहमचर्य व्रत तोड़ने पर कुछ राहत महसूस होती है इसको रोकने का कोई उपाय बताने का कष्ट करे 🙏
ध्यान के दौरान आपको अपनी समझ और विवेक के साथ ब्रह्मचर्य को लेकर चलना चाहिए। हर व्यक्ती के लिए उसकी आयु के अनुसार, वह विवाहित है या अविवाहित अथवा वो किस उद्देश्य से ब्रह्मचर्य धारण करना चाहता है, इन बातों से ही निर्धारित होगा की वह अपनी काम शक्ति को किस प्रकार अपनी साधना के दौरान नियोजित कर सकता है। लेकिन अगर सामान्यतः हम बात करे तो यदि आप युवावस्था मे है और यदि आप सहज रूप से बिना परेशानी के यदि आप बिना काम कृत्य के रह सकते है तो अच्छी बात है किंतु यदि आपको कुछ दिनों के बाद अपनी सेक्स एनर्जी को कंट्रोल करने मे यदि दिक्कत आने लगे तो आपको अपनी काम ऊर्जा को जबरदस्ती दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और ऊर्जा के निष्कासित होने पर कोई अपराध भाव या निराशा नहीं लानी चाहिए। तब आप एक संतुलन बना कर रखे की ना तो भोग की अति मे जाये और ना ही अपनी नैसर्गिक इच्छा को जरूरत से ज्यादा दबाए। अगर आप महीने मे एक या दो बार सहवास कर भी लेते है तो इससे आपकी साधना पर कोई विपरित प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक समय के बाद जब आपकी ध्यान मे गहराई बढ़ जायेगी तब आपकी सेक्स एनर्जी काम वासना मे निकलने की बजाये और दूसरे सृजनात्मक कार्यों को करने मे परिवर्तित हो जायेगी और तब आपको काम वासना से सम्बन्धित कोई समस्या नहीं रहेगी। लेकिन जब तक ऐसी स्थिति विकसित नहीं होती तब तक आप संतुलन बना कर चले और किसी भी extreme मे ना जाकर बैलेंस मे रहे। और जितना हो सके उतना जीवन मे रचनात्मक और सृजनात्मक कार्य करे, घर मे परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताए, बड़े बुजुर्गों की सेवा करे, बच्चों के साथ खेले, बागवानी करे, समाज सेवा के कार्य करे, धार्मिक आयोजनों मे भाग ले, आहार मे गर्म और उत्तेजक पदार्थ ना ले, सिद्धासन और अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें, इन सब कार्यों से आपकी काम ऊर्जा आपके नियन्त्रण मे रहेगी।
गुरुजी हम ऐसी ही गलतियां करते थे गुरु जी आपने हमें समझा दिया सर धन्यवाद आपके चरणो में कोटि कोटि गुरु जी वीडियो इंतजार करते हैं और हम ध्यान पूर्वक सुनते हैं सुधार भी करते हैं गुरुजी एक एक बात बताओ तो आप अपनी फोटो क्यों नहीं दिखाते हमें गुरु जी हमें आप के दर्शन करने गुरु जी हमें पता कोई कारण होगा जरूर गुरुजी से धन्यवाद आपका धन्यवाद सा धन्यवाद सा धन्यवाद आपके चरणों में कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम करते हैं गुरु जी भगवान के दर्शन हम कैसे करें प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज बता देना गुरुजी पूजा पाठ करनी जरूरी होती है क्या क्या होता है
आपका पहला प्रश्न की मैं अपनी फोटो या विडियो क्यूँ नहीं डालता तो उसका उतर है की मुझे अपनी निजी रूप से अपनी प्रसिद्धि या यश आदि की कोई चाहना नहीं है । दूसरी बात आपने पूछी की भगवान के दर्शन कैसे हो और उनसे हम अपना नाता कैसे जोड़े आदि, तो इसके लिए आपको भक्ति मार्ग की साधना करनी होगी। हम सब चाहते है की परमात्मा की कृपा हम पर हो, उनका प्रेम व आशीर्वाद हमको प्राप्त हो, उनका दर्शन व अनुभव हमे हो ताकि हमें हर तरह का सांसारिक व अध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो । किंतु किसी भी देवी, देवता, परमात्मा, गुरु आदि की अनुभूति या उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिये कुछ आधारभूत चीज़ो का होना जरुरी है जिनके पालन से ईश्वर हम पर प्रसन्न होते है जैसे :- 1) समर्पण : जब तक हम अपने मन के अनुसार चलते है, अपनी योग्यता व बुध्दि पर मान करते है, केवल अपनी ही नीतियों व प्लानिंग पर अति का भरोसा करते है और अहंकार करके अपने आप को श्रेष्ठ मानते है तब तक हमारे व परमात्मा के बीच संबंध नही बन पाता है । उनसे हमारा संबंध तभी बनता है जब हम कर्ता का भाव त्याग कर की मैं करने वाला हू को छोडकर अपने आप को परमात्मा मे समर्पण कर दे और ये भावना रखे की मै कर्ता नही हू, मैं केवल एक कठपुतली हू और मेरी डोर परमात्मा के हाथों मे है, वो जो करवाये मैं वही करुगा, मेरी खुद की कोई मर्जी नही है, ऐसी समर्पण की भाव दशा होने पर आप हृदय से व भाव से परमात्मा के साथ जुड़ जाते है और आपको उनकी अनुभुति होने लगती है । 2) निरंतर स्मरण : परमात्मा को हर पल व हर श्रण अपने हृदय मे भाव द्वारा या मंत्र द्वारा या भजन आदि द्वारा याद करे । जब भी दो पल की फुर्सत मिले तब ही अपनी आँखे बंद करके उनके स्वरूप को अपनी मन की आँखो से उन्हे निहारें, उन्हे याद करे । उनका गुणगान करे । 3) प्रेमपूर्ण भक्ति : परमात्मा प्रेम के भूखे होते है अतः अपने हृदय को व अपने प्रेम को परमात्मा के लिये खोल दे, उनको प्रेम मे तड़प कर उनकी याद मे आँसू बहाये । अपनी आँखो के आगे उनकी मूर्ति को लेकर आये और उनकी हर छटा हर अदा व उनके हर अंग को व उनके सोंदर्य को ऐसे निहारें जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को निहारता है । उनके प्रेम मे अपने आप को खो जाने दे । जब खुली आँखो से बाहर मुर्ति को निहारते निहारते थक जाये तो आँखे बंद करके अपने भीतर अपने हृदय मे उनको निहारें। कभी भजन गाये तो कभी नृत्य मे मगन हो जाये, लीन हो जाये, खो जाये । अपने भीतर विरह उत्पन करे । 4) जब भी संभव हो, सुबह या शाम, आधा एक घन्टा बैठकर उनके नाम का हृदय के साथ जाप करे । उनका मंत्रचार करे । श्रिंगार करे, वत्र उपवास करे । तीर्थटन करे । कथा आदि करे । ध्यान करे । जब इस प्रकार आप दुनिया के सभी काम बाहर से करते हुए भी अपने भीतर से आप अपना संबंध परमात्मा से बना कर रखेगे तो बहुत जल्द ही आपको उनकी वास्तविक अनुभूति होनी शुरु हो जायेगी और उनकी कृपा आपको प्राप्त होगी ।
उसमे अभी समय लगेगा, आप ऊर्जा के इस्तेमाल का अभी प्रयास ना करे, पहले ऊर्जा को स्थाई रूप से और सही से व्यवस्थित होने दे, जब एक बार ऊर्जा अपना मार्ग बना लेगी तो उसे क्या करना है वह खुद कर लेगी, आप बस अपना ध्यान अभ्यास पर केंद्रित कर के रखे, उचित समय आने पर सब खुद से हो जाएगा
गुरुजी कृपया मार्ग दर्शन करे🙏 जब मे बिंदू त्राटक करता हु तब मुलाधार मैं गर्मी और गेले (neck) के पीछे हलका सा दर्द और कूच तोभी ऐसास होता है गले मैं मार्गदर्शन किजेये गुरुजी 🙏
य़ह शुभ लक्षण है, जब आप त्राटक करते हैं तो उसके प्रभाव से आपका आज्ञा चक्र सक्रियता मे आने लगता है क्यूंकि आपके एकटक देखने से आज्ञा चक्र पर दबाव पड़ता है और जब आज्ञा चक्र पर ऊर्जा जगती है तो उसी अनुपात मे नीचे मूलाधार पर भी ऊर्जा जागने लगती है क्यूंकि आज्ञा चक्र और मूलाधार दोनों एक ही पोल के दो ध्रुव है यानि जब त्राटक के प्रभाव से एक ध्रुव पर जोर पड़ता है तो उसका दूसरा ध्रुव यानि मूलाधार भी प्रभावित होने लगता है, इसका मतलब आपका ध्यान काम कर रहा है। गले मे दर्द का कारण भी त्राटक के प्रभाव से जो ऊर्जा आज्ञा चक्र मे जागृत होती है वह गले मे स्थित चक्र विशुद्ध चक्र मे भी चली जाती है।
हमारा मुख्य ध्यान योग केंद्र यमुना नगर हरियाणा मे है जहा पर हर रोज योग व ध्यान की नियमित कक्षाएं लग रहीं है, जिसमें विद्यार्थि योग व ध्यान सीखने के लिए आते हैं इसके अलावा हमारे ध्यान साधना के शिविर ऋषिकेश, मंसूरी, धर्मशाला, मनाली आदि जैसे स्थानों पर लगते रहते है।
Aisa he hota hai thanku app ji ne Gyan Diya
धन्यवाद जयगुरूदेव सर नमस्कार 🙏। आध्यात्मिक ज्ञान मार्गदर्शन आपकासुजाव मार्गदर्शन अच्छाप्रफौनस हे।सादरप्रणाम।
Thank you so much for sharing this beautiful knowledge 🙏🏻
Bahut sunder samjhaya he thenku sir
Kitne anmol shabdo se apne hum logo ka margdarshan Kiya koti koti dhanyawaad sadar pranam ishwar appe kripa bnyaye rakhe
😍🤩😍
Aadesh Aadesh Aadesh
Bohut bohut dhanyawad guruji ❤
Very nice video
Thank you help fool Gyan aapva mate or aage hamari esi hi madad large rehna.
Sir apka bahut bahut dhanyavaad,,,,
धन्यवाद आभार
गुरूदेव आप की सभी बात सही है दुसरे लोग को में सुनता हुँ जो आप बोलते हो यह बात कमाल की है
🙏🙏aapkivideos se muje bahot margdarshan mil rahha hai .baht bahot dhanyvad 🙏 aapki nai videos ka hame intezar rahata hai 🙏
Aap etne din kha the aap bhut bdiya jankari dete ho me sukar gujar hu aap ki
Thank you Guruji for this information.🌹🙏🌹
प्रणाम स्वामी जी🙏🙏
बहुत हीं महत्वपूर्ण जानकारी के लिए 🙏🙏
Ap bhut ache hh
Thank You Guruji
Superb 🙏 perfect Gyan
Very nice guru ji
All right 👍
Jai guru dev 🙏 ✨ 💙 ❤ 💖 💕 ❤ ❤ 🎉
Thank you for good information
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
हृदय की अनन्त गहराइयों से आभार मार्ग दर्शन के लिए 🙏🏻🙏🏻
Thanks
Apka gyan pura utarneki kashis karenge ,apka ashirvad chahiye.
Thank you sir
Bhut achi jankari k liye dhanyavaad sir
Jyt Jyt gurwar nmoistute thanks
Koti koti naman hai aapko sir 🙏🙏🙏🙏
Bahut sundar aur jaruri gyan bataya aapne.Dil ki gahrai se aapko gratitude hai 🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️
Aaj fir maine is video ko suna.Dil ki gahrai se aaj fir aapko aatm naman sir 🙏🙏🙏🙏
Good guruji Apne Jo video shear kiya h Jo dhayan Ke bare bat ki h o bhot ashi ki h apko bhot bhot dhanyewad agr har sadhk ap bole isa karenge to sachi me jaldi anubhav aayenge apko Dil se koti koti pranam 💯🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सादर प्रणाम
Many thanks!
प्रणाम गुरूजी
बहुत बहुत धन्यवाद
Jai Ho ji
Thanku so much aapko pta nhi ki aapko bhot bhot dhanywad, kher mahilawo k dhyan k bare m btaye periods me dhyan kr skte h
Correct Sir,
Thanks so much sir 👋👌👌👍🙏🌷❤️
Very very nice and helpful....
Thanks for sharing such good thoughts... Lots of regards 🙏🙏✨✨.
Sir ji bahut dhanywad ap ko ati sunder
Aap ka bohot bohot dhanyavad bhgvan aap ko sovasth rakhe ;🙏🙏
Thank you so much for guideline
बहुत आभार आपका
Thank you achchi jankari hai hum bhi sab bata dete hai mere under vairag aa gaya hai aur maine kiya bhi hai
Your voice is soothing
Thank you 🙏🏽
sir Bhut Bhut dhany vad 🙏🙏
Bht achi bat batai sir apne
Very helpful 🙏🙏🙏🙇
Thnku so mach sir 🙏🙏🙏🙏🙏
Koti koti pranam 🙏🙏
Jai Hind Sir
Thank you so much guruji for such an excellent knowledge.👌🏼🙏🏻👌🏼🙏🏻
Thankyou Swami
knowledgeable video
Very good explain
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Jaigurudev
🙏🙏
Aapka khoob khoob aabhar guruji jo aapne mujhe margdarshan diya🙏🙏🙏
Heena mehta🙏🙏
Thank you guru ji
🌹Jay gurudeo🌹
💐💐💐💐💐💐
So nice of you Guruji🙏🙏
V good information
Thank you very much for your guidance 🙏🕉️🌹🤗🌞👏
Thank You Guruji 🙏 aap bahut achhi information dete hain logo ko guide karate ,Guruji mai 1 week se cold cough tha aur fever tha 2din Medicine antibiotics bhi khaye the fir thik huvi( lekin usake bad muze pehale jaise anubhav dhyan karane lagi toh pehale jaise anubhav nahin hote prakash bhi nahin dikhata kya karan hoga guruji? please reply kare)
इसमे ऐसी कोई खास बात नहीं है, कई बार रूटीन टूट जाने के कारण ऊर्जा का पहले वाला फ्लो दुबारा बनने मे टाईम लग जाता है इसलिए ऐसा हो रहा है। आप अपनी तरफ से प्रयासरत रहे, उचित समय आने पर ध्यान मे गहराई भी आ जायेगी, बस थोड़ा धैर्य रखे।
दूसरी बात, अनुभवों की अपेक्षा नहीं करे, अगर हो तो ठीक और नहीं हो तो भी ठीक, आप अपना ध्यान विधि के उपर लगाए और निष्काम भाव से ध्यान लगाये और अनुभव हो या ना हो वो परमात्मा पर छोड़ दे।
@@Dhyankagyan777 Thank You guruji 🙏
Thank you so much Guru Dev for guiding us so nicely 🙏🙏🙏🙏
❤
Thank u guru g.
I would have liked the video if it was short
Mulaghar kese jagrut kare pliz replay
आप अपना मूलाधार चक्र इस प्रकार विकसित कर सकते है:-
सप्त चक्रों के क्रम मे मूलाधार पहला चक्र है, इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है तथा उसकी समाजिक असुरक्षा दूर होती है । व्यक्ति के शरीर का मध्य भाग व इसके अंग गुप्तांग, गुर्दे, लिवर आदि का स्वास्थ्य उतम रहता है । ऊर्जा की प्रबलता बनी रहती है तथा मूलाधार से आगे के चक्रों मे बढने मे सुविधा हो जाती है । इस चक्र के जागृत होने से भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
मूलाधार जागृति के लिये निम्न बाते बहुत जरुरी है :-
मूलाधार चक्र का रंग लाल है अतः लाल रंग की वस्तुओं को अपने समीप रखना व लाल रंग के खाध पदार्थों का उपभोग करना उतम है, इसके इलावा कुछ ऐसे व्यायाम करना जिससे हमारे शरीर के मध्य भाग मे जोर पडे जैसे उठक-बैठक, दौडना, टहलना आदि लाभदायक है । कुछ योग आसन जैसे भुजंंग आसन, धनुरसन, चक्र आसन, कुर्सी आसन आदि भी मूलाधार जागृति करते है, कपालभाति, अग्निसार, भस्त्रिका आदि प्राणायाम भी मूलाधार मे जाग्रति लाते है । इसके इलावा ताड़न क्रिया, अश्वनी मुद्रा भी बहुत प्रभावी है ।
इस चक्र के देवता श्री गणेश है अतः इस चक्र पर ध्यान लगाते हुए भगवान गणेश जी के मंत्र का जाप करने से यह चक्र जागृत होता है । मंत्र इस प्रकार है : ॐ गं गणपतये नम:
निम्नलिखित ध्यान से भी आप मूलाधार जागृति कर सकते है :
किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें तथा अपनी आंखों को बन्द करके रखें। अपनी गर्दन, पीठ व कमर को सीधा करके रखें। अब सबसे पहले अपने ध्यान को गुदा द्वार व जननेन्द्रिय के बीच स्थान मे मूलाधार चक्र पर ले जाएं। फिर मूलाधार चक्र पर अपने मन को एकाग्र व स्थिर करें और अपने मन में चार पंखुड़ियों वाले बन्द लाल रंग वाले कमल के फूल की कल्पना करें। फिर अपने मन को एकाग्र करते हुए उस फूल की पंखुड़ियों को एक-एक करके खुलते हुए कमल के फूल का अनुभव करें। इसकी कल्पना के साथ ही उस आनन्द का अनुभव करने की कोशिश करें। उसकी पंखुड़ियों तथा कमल के बीच परागों से ओत-प्रोत सुन्दर फूल की कल्पना करें। इस तरह कल्पना करते हुए तथा उसके आनन्द को महसूस करते हुए अपने मन को कुछ समय तक मूलाधार चक्र पर स्थिर रखें।
अथवा
शांत होकर, आँखे बंद करके, कमर को सीधा रखते हुए, ध्यानस्थ मुद्रा मे बैठ जाये, अब अपना पुरा ध्यान अपनी आती जाती श्वास पर लाये और जब भी श्वास अंदर आये तो " औम" और जब भी श्वास बाहर आये तो " लं " बीज मंत्र का मानसिक उचारण करे ।
गुरुजी मुझे आसान रक्ष मंत्र देने की कृपा करेंगे क्या
जय श्री गुरु देव योगी महायोगी महादेव हर हर महादेव
DEAR GURU JI, PARNAM TO U FOR FIVE TIMES. U HAVE EXPLAINED MEDITATION IN DETAIL. I SHALL TRY TO REMOVE THESE MISTAKES AT THE TIME OF MEDITATION. PL.KEEP IT UP. STAY BLESSED ALWAYS AND ALL MY BEST WISHES ARE WITH U AND REMAIN WITH U ALWAYS. WITH REGARDS.........
FROM ASHOK KUMAR PAUL, RETD.SR.MANAGER,PNB, HOSHIARPUR, PB.
P
Guru ji parnam 🙏🏻guru ji dhayan sadhna me khana tino time kha sakte hai ya bhukha rehna padta hai
जब तक व्यक्ति का आहार सन्तुलित व उचित नही होगा तब तक वह साधना मे विकास नही कर सकता । साधना काल मे हमे अधिक से अधिक ऊर्जा को उर्ध्व्गामी करना होता है और वह तभी सम्भव हो पाता है जब ऊर्जा को पेट से मुक्त किया जा सके लेकिन कुछ व्यक्ति अज्ञानतावश अति भोजन करके या भारी दुशपाच्य व गरिष्ट भोजन करके उर्जा को हाजमे के लिये पेट मे ही उलझाये रखते है, इसलिये पहली तो बात यही है की हमेशा कम खाये, कभी भी ठूस ठूस कर ना खाये और देर से हज़म होने वाला आहार ना खाये ।
ध्यान के अभ्यास के दिनों मे हमारा आहार बिल्कुल सात्विक, हल्का, सुपाच्य और पोष्टिक होना चाहिए।
क्योंकि इस दौरान हमारे शरीर का Metabolism धीमा हो जाता है अतः अल्प आहार लेना चाहिए।
खिचड़ी, दलिया, दुध, दही, सादी रोटी, अंकुरित अनाज, पोहा, सलाद, हरी सब्जियाँ, जूस, फल आदि श्रेष्ट है और तली भुनी व मिर्च मसालेदार खटी मीठी चीज़, चाय कॉफी आदि नहीं लेनी चाहिए। मादक पदार्थों से भी दूर रहना चाहिए।
बेहतर हो की इस दौरान व्यक्ती एक समय ही खाना खाए या केवल दो टाइम, और रात्रि का भोजन छोड़ दे, किन्तु यदि आवश्यकता महसूस हो तो रात्रि मे केवल लिक्विड आहार जैसे दुध आदि ले सकते है।
सप्ताह मे एक या दो दिन पूर्ण उपवास रखना चाहिए और उस दौरान केवल जूस या जल ही लेना चाहिए और कभी कभी पूरा दिन केवल फलाहार पर भी रहना चाहिए।
पानी खूब पीना चाहिए और शीतकाल मे गर्म पानी पीते रहना चाहिए।
जिस समय ध्यान मे बैठे, उस समय पेट खाली होना चाहिए।
@@Dhyankagyan777 parnam guru ji 🙏🏻dhaniyawad guru ji....🙏🏻 is amuliya gyan ke liye barambar dhaniyawad.....🙏🏻🙏🏻🙏🏻 11din ki dhayan sadhna kar sakte hai kya isme havan bhi karna hota hai...???
thank you
Thank you ji 🙏
Thank you🙏
Sir ji dhyan me meri gardan piche ki traff jada jati he jabhi dhyan me bedh ti hu to yhii hota he plz kuch btaye🙏🙏
प्रणाम साहेब बहुत ही अच्छी जानकारी आपका आभार 🙏
Sir sham ko khana khane ke kitne time baad dhyan kr sakte h 2 gante bahut h kya ya is se jayada time le please bataye sir
अगर तो लाइट फूड लिया है तो 2 घण्टे पर्याप्त है पर यदि हेवी फूड लिया है तो 4 घण्टे बाद अभ्यास करना चाहिए।
4 roti or 1 ktori sabji khata hu or 2 liter pani pita hu ye lite bhojan h ya hard bhojan kya ye khana khane ke baad 2:30 gante baad dhyan kr sakte h ager is se jada time lena h to khana khane se pahle dhyan kr lu to uske kitni der baad bhojan krna chaye please btaye sir
ये तो हेवी फूड है, आपको इसके बाद 4 नहीं तो कम से कम 3 घण्टे बाद ही ध्यान मे बैठना चाहिए, कहने का तात्पर्य यह है की आपको ध्यान में तब बैठना है जब आपके पेट मे पड़ा भोजन हजम हो चुका हो।
ध्यान करने के बाद तो आप 10-15 मिनट बाद भोजन ले सकते है।
Guru muje depression ha anapansathi dhyan karte hue muje 1 saal ho gya ab dyaan wali energy bhut nuksan kar rahi body ko negative energy me change' ho gyi kya kare
Why I am getting headaches sometimes during meditation? Also if I am not able to go deeper it causes heaviness in head
Request your kind help. Thank you 🙏
It means you did something wrong because meditation is a process of relaxing the body and mind, not tensing it, it may be that you tried too hard and you concentrated too much, that is why you felt like this, if you try next time then try to meditate with keeping your eyes, mouth, forehead and head relax, not tensing it, otherwise it will creats symptoms which you are talking about।
Mujhe apse 1 bat puchni h pls reply kijiega..main subha 4 or 5 k bich dhyn krti hu kya uske bad main so skti hu..pls reply 🙏
बिल्कुल सो सकते है, जब हम ध्यान मे होते है उस समय हमारे शरीर का para sympathetic nervous system एक्टिवेट हो जाता है जो हमारे शरीर को विश्रांत करता है और नींद मे भी यही होता है, इसलिए दोनों मे कोई विरोधाभास नहीं है, बल्कि ध्यान के बाद सोने से नींद की क्वालिटी भी improve हो जायेगी और ध्यान की तरंगे भी गहरे अवचेतन मे उतर जायेगी।
बहुत से लोग रात मे भी ध्यान करते हैं और उनका ध्यान के बाद सो जाना एक स्वस्थ और स्वाभाविक उपक्रम है।
लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है, चुकीं ध्यान हम जागरुकता की वृद्धि के लिए करते हैं लेकिन नींद से हमारी जागरुकता खो जाती हैं, इसलिए यदि ध्यान के बाद सोना ज्यादा जरूरी ना हो तो उसे टाला भी जा सकता है और सोने की बजाय बेहतर होता है की आप ध्यान के बाद शांत होकर कही बैठ जाये, मोन रहे और कोई ज्यादा हलन चलन वाला कार्य ना करे।
Thank you Sir 🙏
Sham ko dhyan krne ke baad 15 ya 20 minute baad bhojan kr line se dhyan me jo urjha uthi thi vo sant ho jati ha kya or uska pura labh milta h kya ager is se jada time lene h to bata dijije mai dhyan krne k 30 ya 40 minute baad bi bojan kr sakta hu mager pura phayda milna chaye please batiye sir ye meri bahut badi problam h ki kitne time ka baad bojan kru
ध्यान करने के बाद हमारा metabolism स्लो हो जाता है और पाचन संस्थान भी शिथिल हो जाता है इस कारण से ध्यान के तुरन्त बाद भोजन करने से मना किया जाता है, किंतु ध्यान से उठने के 15-20 मिनट बाद, थोड़ा हलन चलन करने से पेट मे रक्त प्रवाह फिर से समान्य हो जाता है, तब आप भोजन कर सकते हैं, लेकिन बस इतना ध्यान रखे की भोजन सात्विक, हल्का फुलका और कम मात्रा मे ही लेना चाहिए।
Sir, I always go into deep sleep while meditating. In spite of my best efforts and attention I am not able to overcome this problem.
I am now hesitant to meditate because of this that again I will go into deep slumber.
I have tried satvik diet,fasting,celibacy but this condition still persist.
Can you please guide me,I will be very grateful 🙏
ध्यान साधना के दौरान, या जाप के समय, हमे अक्सर ध्यान मे बैठे बैठे कई बार नींद आने लग जाती है, ऐसा इसलिये होता है की थोडा सा ध्यान लगते ही हमारा मन शांत होने लगता है, श्वास व हृदय गति मंद पडने लगती है, और जब यह लक्षण शरीर मे होने लगते है तो मस्तिष्क को सन्देश जाने लगता है की अब व्यक्ति को सुला दो, क्युकी मस्तिष्क को लगता है की आप सोना चाहते है, क्युकी यही सारे लक्षण तब भी होते है जब हम रात को सोने लगते है तब भी यही शांत शरीर की स्थिति बनती है जो ध्यान के दौरान बनती है । इसलिये पारस्परिक साहचर्य नियम के अंतर्गत मस्तिष्क हमे सुलाने की कोशिश करने लगता है ।
ध्यान के दौरान नींद मे चले जाना कोई बुरी अवस्था नही है किन्तु यह कोई उच्च अवस्था भी नही है । यहा तक की शुरुवाती कदम मे नींद मे चले जाना लाभ भी करता है क्युकी जो नींद हमे ध्यान के दौरान लगती है वह कोई साधरण नींद नही होती, यह नींद हमारे गहरे विश्राम से निकल कर आती है, योग मे इस नींद को "तांदरी" बोला जाता है, इस नींद की महता साधरण नींद से बहुत अधिक होती है, इस नींद की दस मिनट की झपकी घंटो की साधरण नींद के बराबर होती है । इसलिये जहा तक साधरण स्वास्थ की बात है तो यह समोहित अवस्था की अर्ध चेतन निद्रा जिसमे आप आधे जागे होते है और आधे सोये होते है, बहुत अच्छी है, यह हमारे शरीर को गहरा विश्राम देकर तनाव को दूर करती है, लेकिन अगर हम अपना अध्यात्मिक विकास करना चाहते है तो फिर यह नींद एक बडी बाधा ओर रुकावट है ।
तब हमे अपनी कुछ आदतों मे सुधार करके इस नींद से बचना चाहिये, जैसे अपने शरीर मे एकत्रित हुए विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकालकर शरीर शुद्ध करे, ध्यान के समय खाली पेट बैठे,
अपनी अति विश्राम प्रियता को थोडा संयमित करे, आदि ।
ध्यान के दौरान नींद से बचने के लिये इन बातो का ख्याल रखे : -
1) लेटकर ध्यान ना करे, हमेशा बैठकर रीढ़ को सीधा रखते हुए ध्यान मे बैठे ।
2) खाना खाने के बाद ध्यान मे ना बैठे, हमेशा खाली पेट या खाना खाने के 3 या 4 घन्टे के बाद ध्यान मे बैठे ।
3) निश्चिंत करे की आप रात्रि की 8 घंटे की अपनी पुरी नींद ले रहे है या नही ।
4) जब बैठे बैठे नींद आने लगे तो थोडी देर खड़े होकर टहल ले और फिर बैठ जाये
5) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये योग के स्ट्रेचिंग के कुछ आसन अथवा धीमी व्यायाम की क्रियाए कर के शरीर को वार्म अप कर ले ।
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6) ध्यान के दौरान पूरी तरह से अपनी चेतना को जागरुक व पैना रखे की कही से भी नींद आक्रमण ना कर पाये ।
7) ध्यान मे बैठने से पहले नहा धो कर या मूह हाथ पैर आदि धो कर बैठे, आँखो मे पानी के छींटे मारे ।
8) यदि आप चाहे तो बैठने से पहले दो घूँट चाय, कॉफी आदि के ले ले ।
9) शुरुवात मे एकदम, जबकि आपको अभी आदत नही है तो सुबह-सुबह 3 या 4 बजे ध्यान मे ना बैठकर शाम के समय पहले बैठे ओर जब आदत हो जाये तो ब्रहम मूहर्त मे बैठे ।
10) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये प्राणायाम करे, ऐसा करने से मस्तिष्क मे आक्सीजन की मात्रा बढेगी और जागरुकता आयेगी ।
Parnam swamiji...me lambe samay se dhayan mantra bhajan kirtan kar ta hu..ab jab me dhayan me bethata hu toa mera pura body moove kar ta he...me sambhal ne ki koshis kar ta hu toa puri tarah dhayan nahi kar sakta...aap kuch sujav de..🌺🙏
Maharaj ji apse sampark kaise kiya ja sakata mujhe apke margadarshan ki bahut jarurat hai....
Sir mai sham ko 30 ya 35 minute dhyan krta tha lekin ab 1 ganta ya us jada dhyan kr lu to mere dil ki dhadkan bahut tej ho jati h or asa lagta h abhi kuchh ho jayga mai dar jata hu asa ku hota h is problem ka solution batiye sir taki mai dhyan me jada time bath saku or koi problam na ho please batye sir dil ki dadkan ku tej hoti h iska solution de
सामान्यतः ध्यान मे हृदय धड़कन बढ़ती नहीं है क्यूंकि इस दौरान बॉडी मे पारा सिम्पैथैटिक सिस्टम ऐक्टिव होता है जो शरीर की क्रियाओं को खासकर श्वास और हृदय की क्रियाओं को शांत करता है। लेकिन रक्तचाप बढ़ने से या anxiety से भी ऐसा होता है, इसलिए य़ह शारीरिक नहीं ब्लकि मानसिक, भावनात्मक या ऊर्जा शरीर की य़ह घटना है, ऐसे मे इस स्थिति के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते है :-
1) ऊर्जा का कम समय मे जरूरत से ज्यादा उठ जाना, पिंगला नाड़ी का कुपित होकर होकर शरीर मे गर्मी बढ़ा देना या नाड़ियों का अशुद्ध होना।
2) आपके हृदय मे पूर्व जन्मों के जमे हुए संस्कारों का या दमित भावनाओं का बाहर निकलने के कारण भी ऐसा होता है।
3) आपके विधि का अति एकाग्रता के साथ या विधि को गलत तरीके से करने के कारण भी ऐसा हो सकता है।
4) कई बार ध्यान के दौरान संवेदनशीलता बढ़ जाने के कारण भी हृदय की समान्य गति भी तेज महसूस हो सकती है।
5) नोट करे, की आप उस वक्त कोई ऐसा विचार या भावना तो नहीं करते जो उत्तेजना पैदा करता हो।
6) प्राण उत्थान क्रिया यानि आंशिक कुंडलिनी जागरण से भी हृदय गति बढ़ सकती है।
7) आज्ञा चक्र पर ऊर्जा प्रवाह बढ़ जाने पर हृदय चक्र कुछ ऊर्जा संतुलन के लिए अपने पर खींच ले तो ऐसा होता है।
ऐसे मे बेहतर होगा की आप उस समय थोड़ी गहरी श्वास प्रश्वास ले और अनुलोम विलोम प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे, इससे ऊर्जा संतुलित होगी।
🙏🙏🙏
गुरूजी आपसे बात कर सकते हैं
🙏
Sarash,vat,kari
Guruji aap online dhyan karva te ho to muje aapse dhyan sikhna he..
अभी हमारी ऑनलाइन ध्यान की कक्षाएं बंद है, जैसे ही शुरू होगी हम आपको सूचित कर देगे।
@@Dhyankagyan777 ji guruji
Pranam guruji mujhe dhyan suru kiye 1 month hua hai mujhe dhyan karneke baad sannate ki avaaz sunai deti hai aur pure din aankho me nind rahti hai sone jati hu to lagta hai ki dhyan me hu me din me do se tin bar dhyan karti hu dophar me letate hi dhyan lag jata hai aur mere ghar ke kam bhi disturb ho gaye hai kripa karke kucjh margdarshan kare .🥺🙏
आप के ध्यान के लक्षण शुभ है, सन्नाटे की आवाज सुनाई देने का मतलब आपकी कर्ण इंद्रियां सूक्ष्म हो रहीं हैं और आप अनहद नाद की और अग्रसर हो रहीं हैं, और जिसे आप नींद समझ रहीं है वह असल मे ध्यान की खुमारी यानि नशा है जो अनियन्त्रित हो रहा है। तो ध्यान तो आपका सही चल रहा है।
लेकिन आप ने एक संतुलित और उचित रूटीन नहीं बनाई है, जिसके कारण आपकी डेली लाइफ भी डिस्टर्ब हो रहीं है और ध्यान भी सही से मेनेज नहीं हो रहा है।
बेहतर होगा की आप अपनी ग्रहस्थी और ध्यान के बीच मे संतुलन बनाए और ध्यान को 3-4 बार करने की बजाय केवल 2 बार यानि सुबह और शाम को ही करे, इतना पर्याप्त रहेगा।
ऐसा करने से आपका ध्यान का अभ्यास एक संतुलित और सीधी रेखा मे चलेगा और अच्छे से मेनेज भी हो जाएगा।
@Pooja Biswas 🙏🙏
मैं ध्यान करता हूं कुछ दिनों से मगर मुझे कुछ फर्क नहीं मालूम पड़ता क्या करूं कृपया मार्गदर्शन करें
अगर आप ध्यान कर रहे हैं और आपको अपने मे कोई परिवर्तन या लाभ नजर नहीं आ रहा तो उसके कुछ कारण हो सकते हैं :-
1) ध्यान एक क्रमिक और लम्बी चलने वाली प्रक्रिया है इसलिए यदि आपको अभी ध्यान आरम्भ किए कुछ ही दिन हुए है तो आपको धैर्य रखना चाहिए और प्रयास जारी रखना चाहिए, धीरे-धीरे आपको इसके परिणाम नजर आयेगे।
2) ध्यान के प्रभाव से सब से पहले हमारी शारीरिक स्थिति मे सुधार होता है, शरीर मे ऊर्जा विकसित होती है जिससे शरीर चुस्त-दुरुस्त होने लगता है, फिर मन मे ऊर्जा बढ़ती है जिससे मन मे सकरात्मक विचार और आत्म विश्वास बढ़ने लगता है, फिर हृदय मे ऊर्जा बढ़ती है जिससे भावो मे शुद्धि होकर आनंद, शांति और प्रेम बढ़ने लगता है। इसलिए यदि आपको भी ये लक्षण महसूस हो तो समझे की आपको ध्यान से लाभ हो रहा है ।
3) यदि आपको पर्याप्त समय के बाद भी अपने मे कोई सकरात्मक बदलाव नजर ना आए तो समझे की फिर आपकी ध्यान की विधि आपको सूट नहीं कर रहीं हैं या आप विधि को सही ढंग से नहीं कर रहे हैं। इसलिए विधि को बदल कर देख ले या उसमे कुछ सुधार करे।
4) ध्यान मे बैठने से पहले बेहतर होगा की आप कुछ प्राणायाम की क्रियाएं और ओम का जाप करे, इससे आपका ध्यान गहरा लगेगा।
@@Dhyankagyan777 धन्यवाद महोदय मेरी प्रश्न का उत्तर देने के लिए श्रीमान जी आपको हृदय से आभार
Sir, kabhi kabhi mujhe bahut purani esmarti yaad aa jaati h our kbhi asaa lagtaa h ki kuch kuch yaad ane waala h.magar yaad nahi aata .kerpya margdarsan karaye
स्मृति का मतलब होता है भूतकाल यानि जो बीत चुकी, अगर आपके मस्तिष्क मे बीती यादे आदि सामान्य से अधिक मात्रा मे आती रहती है तो इसका अर्थ है की आपकी लेफ्ट साइड की नाड़ी जिसको इडा नाड़ी बोलते है और जो भूतकाल को प्रतिनिधित्व करती है, वह नाड़ी सामान्य से अधिक सक्रीय है, इसमें कुछ नुकसान नहीं है बल्कि य़ह मस्तिष्क की एक प्रवृत्ति है, लेकिन यदि आप इस स्थिति को यदि संतुलित करना चाहते हैं तो आप कुछ दिन अनुलोम विलोम प्राणायाम करे तो उससे य़ह स्थिति सामान्य हो जायेगी।
Ravi Ji me morning me dhyan karne k bad turant walking karta hu to kya muje schedule change karna chahiye sir ji
Margdarshan dijiye 🙏
जी हाँ, आप विपरित कार्य कर रहे हैं, जो सक्रीय कार्य है वो ध्यान से पहले होना चाहिए, क्यूंकि भ्रमण करने से ऊर्जा जागृति मे आएगी तो अगर आप भ्रमण के बाद यदि ध्यान मे बैठेगे तो यही जागृत ऊर्जा ध्यान के माध्यम से ऊर्ध्व गमन मे काम आएगी और ध्यान भी अच्छा लगेगा, लेकिन यदि ध्यान के बाद भ्रमण करते है तो ध्यान से उत्पन्न हुई स्थिरता और शांति खर्च हो जायेगी।
बेहतर होगा यदि आप पहले भ्रमण करे और फिर ध्यान मे बैठे, किन्तु यदि पहले भ्रमण करने की कोई मजबूरी हो तो फिर ध्यान के बाद भी भ्रमण कर सकते हैं, लेकिन तब ख्याल रखे की त्रिव गति से ना चले बल्कि धीमी गति से मोन रहकर शांत भाव से ही चले ।
@@Dhyankagyan777 ok sir ji me pahele bhraman karunga bad me dhyan 🙏
Aap k bataye raste ko follow karunga
Margdarshan dete rahena 🙏
Dhanyavad 🙏
Guruji,
Aagya chakra pe dhyan kaise tika ke rakha jata h..?
आज्ञा चक्र पर ध्यान टिकाने के लिए आपको इस चक्र से जुड़ी ध्यान विधि का अभ्यास करना चाहिए, विधि इस प्रकार हैं :-
आज्ञा चक्र को जागृत करने के लिये अपना पुरा ध्यान भ्रूमध्य यानि दोनो भौहो के बीच मे, जहा पर हम तिलक लगाते है, वहा पर लेकर आये । इस स्थान पर मन को एकाग्र करे । कुछ समय पश्चात आपको इस स्थान पर ध्यान करते करते ताप, गर्मी, प्रकाश, दबाव, स्पंदन आदि की अनुभूति होनी शुरु हो जायेगी । किंतु यदि आपको कोई अनुभव नही भी होता है तो आपको व्यग्रता नही करनी है अपितु धैर्य के साथ इस स्थान पर मन की एकाग्रता को बनाये रखना है ।
तो पूरी विधि समझते है, पहले अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर लाये, फिर अपना ध्यान नाक के दोनो छिद्रों से अंदर आती श्वास पर लाये, गौर से नाक के प्रवेश द्वार से सांस को अंदर आता हुआ व बाहर जाता हुआ महसूस करे । महसूस करे की आपके नाक से भीतर प्रवेश करती हुई सांस ऊपर आज्ञा चक्र तक आती है और फिर बाहर निकलती हुई सांस आज्ञा चक्र से नीचे उतरती हुई नाक के छिद्रों से बाहर निकल जाती है । सांस का प्रारम्भिक बिंदु नासिकाग्र है और अन्तिम बिंदु आज्ञा चक्र है । इस प्रकार सांस नासिकाग्र से आज्ञा चक्र के बीच मे आते जाते हुए भ्रमण करने की कल्पना करते रहेगे ।
अब अगला बिंदु, हर बार, जब भी आपकी सांस नासिकाग्र से आज्ञा चक्र पर पहुचे तो सांस को भीतर रोक ले और सांस को यथाशक्ति रोक कर रखते हुए आज्ञा चक्र पर मन को एकाग्र रखे, इसी समय, जब आपकी सांस रूकी हुई है और मन आज्ञा चक्र पर केंद्रित है, आपको सफेद प्रकाश का एक चमचमाता हुआ सितारे नुमा बिंदु दिखाई दे सकता है या अन्य कोई अनुभुति हो सकती है ।
अब धीरे-धीरे से रोकी हुई सांस को बाहर छोड़े और फिर से अपना ध्यान नासिकाग्र पर ले आये ।
तो बार बार इस प्रक्रिया को दोहराए । प्रतिदिन 5 मिनट से 15 मिनट तक इसका अभ्यास किया जा सकता है । जिन व्यक्तियों को हृदय से संबंधित या रक्त चाप से संबंधित कोई समस्या है वे बिना सांस को रोके इस विधि को कर सकते है ।
आपको एक बार पुनः विधि का क्रम दोहरा दु : सर्वप्रथम नासिकाग्र से सांस भीतर आती महसूस करे फिर सांस पूरी तरह से अंदर आ जाने पर उसको भीतर ही कुछ सैकेण्ड के लिये रोक ले और इस दौरान अपना पुरा ध्यान आज्ञा चक्र पर बनाये रखे, फिर धीरे धीरे से सांस को बाहर निकालते हुए पुनः अपना ध्यान नासिकाग्र पर ले जाये । इस प्रकार हर भीतर आती सांस के साथ अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर व बाहर जाती सांस के साथ अपना ध्यान नासिकाग्र पर लगा कर रखे ।
यह अत्यंत ही शक्तिशाली व शीघ्र रूप से प्रभाव मे आने वाली विधि है । इसके परिणाम भी चमत्कारी है । कुछ ही दिनो के अभ्यास से आज्ञा चक्र मे जागृति आनी शुरु हो जाती है व उससे जुड़े फल मिलने शुरु हो जाते है । इसके अतिरिक्त इस विधि के नित्य अभ्यास से शरीर व मन मे एक नई स्फूर्ति, उत्साह, आनंद व शान्ति की भावना विकसित होने लगती है ।
Dhanywad Guruji
स्वामी जी
नित्य प्राणायाम योग और बंध और अंत मे ध्यान लगाने कारण व बह्रमचर्य व्रत के कारण मेरी ऊर्जा शक्ति मे काफ़ी इजाफा हो गया है और मेरे मस्तक पर
विशेष चमक भी बढ़ गई है
मन भी अधिकतर निर्विचार रहने लगा है पारिवारिक जिम्मेदारीयो
का भी कोई विशेष प्रभाव नहीं होता इसबढ़ी हुई ऊर्जा शक्ति को में संभालाने मे असमर्थ होने के कारण मुझे जबरन ब्रहमचर्य व्रत तोड़ने पर कुछ राहत महसूस होती है इसको रोकने का कोई उपाय बताने का कष्ट करे 🙏
ध्यान के दौरान आपको अपनी समझ और विवेक के साथ ब्रह्मचर्य को लेकर चलना चाहिए। हर व्यक्ती के लिए उसकी आयु के अनुसार, वह विवाहित है या अविवाहित अथवा वो किस उद्देश्य से ब्रह्मचर्य धारण करना चाहता है, इन बातों से ही निर्धारित होगा की वह अपनी काम शक्ति को किस प्रकार अपनी साधना के दौरान नियोजित कर सकता है।
लेकिन अगर सामान्यतः हम बात करे तो यदि आप युवावस्था मे है और यदि आप सहज रूप से बिना परेशानी के यदि आप बिना काम कृत्य के रह सकते है तो अच्छी बात है किंतु यदि आपको कुछ दिनों के बाद अपनी सेक्स एनर्जी को कंट्रोल करने मे यदि दिक्कत आने लगे तो आपको अपनी काम ऊर्जा को जबरदस्ती दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और ऊर्जा के निष्कासित होने पर कोई अपराध भाव या निराशा नहीं लानी चाहिए। तब आप एक संतुलन बना कर रखे की ना तो भोग की अति मे जाये और ना ही अपनी नैसर्गिक इच्छा को जरूरत से ज्यादा दबाए।
अगर आप महीने मे एक या दो बार सहवास कर भी लेते है तो इससे आपकी साधना पर कोई विपरित प्रभाव नहीं पड़ेगा।
एक समय के बाद जब आपकी ध्यान मे गहराई बढ़ जायेगी तब आपकी सेक्स एनर्जी काम वासना मे निकलने की बजाये और दूसरे सृजनात्मक कार्यों को करने मे परिवर्तित हो जायेगी और तब आपको काम वासना से सम्बन्धित कोई समस्या नहीं रहेगी। लेकिन जब तक ऐसी स्थिति विकसित नहीं होती तब तक आप संतुलन बना कर चले और किसी भी extreme मे ना जाकर बैलेंस मे रहे।
और जितना हो सके उतना जीवन मे रचनात्मक और सृजनात्मक कार्य करे, घर मे परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताए, बड़े बुजुर्गों की सेवा करे, बच्चों के साथ खेले, बागवानी करे, समाज सेवा के कार्य करे, धार्मिक आयोजनों मे भाग ले, आहार मे गर्म और उत्तेजक पदार्थ ना ले, सिद्धासन और अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें, इन सब कार्यों से आपकी काम ऊर्जा आपके नियन्त्रण मे रहेगी।
@@Dhyankagyan777 कोटि कोटि प्रणाम स्वामी जी 🙏🙏🙏
जानकारी हेतु
आपके बताए नियमों का पालन करने की कोशिश जरूर करूंगा
प्रणाम गुरुदेव 🙏🙏
गुरुजी हम ऐसी ही गलतियां करते थे गुरु जी आपने हमें समझा दिया सर धन्यवाद आपके चरणो में कोटि कोटि गुरु जी वीडियो इंतजार करते हैं और हम ध्यान पूर्वक सुनते हैं सुधार भी करते हैं गुरुजी एक एक बात बताओ तो आप अपनी फोटो क्यों नहीं दिखाते हमें गुरु जी हमें आप के दर्शन करने गुरु जी हमें पता कोई कारण होगा जरूर गुरुजी से धन्यवाद आपका धन्यवाद सा धन्यवाद सा धन्यवाद आपके चरणों में कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम करते हैं गुरु जी भगवान के दर्शन हम कैसे करें प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज बता देना गुरुजी पूजा पाठ करनी जरूरी होती है क्या क्या होता है
आपका पहला प्रश्न की मैं अपनी फोटो या विडियो क्यूँ नहीं डालता तो उसका उतर है की मुझे अपनी निजी रूप से अपनी प्रसिद्धि या यश आदि की कोई चाहना नहीं है ।
दूसरी बात आपने पूछी की भगवान के दर्शन कैसे हो और उनसे हम अपना नाता कैसे जोड़े आदि, तो इसके लिए आपको भक्ति मार्ग की साधना करनी होगी।
हम सब चाहते है की परमात्मा की कृपा हम पर हो, उनका प्रेम व आशीर्वाद हमको प्राप्त हो, उनका दर्शन व अनुभव हमे हो ताकि हमें हर तरह का सांसारिक व अध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो । किंतु किसी भी देवी, देवता, परमात्मा, गुरु आदि की अनुभूति या उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिये कुछ आधारभूत चीज़ो का होना जरुरी है जिनके पालन से ईश्वर हम पर प्रसन्न होते है जैसे :-
1) समर्पण : जब तक हम अपने मन के अनुसार चलते है, अपनी योग्यता व बुध्दि पर मान करते है, केवल अपनी ही नीतियों व प्लानिंग पर अति का भरोसा करते है और अहंकार करके अपने आप को श्रेष्ठ मानते है तब तक हमारे व परमात्मा के बीच संबंध नही बन पाता है । उनसे हमारा संबंध तभी बनता है जब हम कर्ता का भाव त्याग कर की मैं करने वाला हू को छोडकर अपने आप को परमात्मा मे समर्पण कर दे और ये भावना रखे की मै कर्ता नही हू, मैं केवल एक कठपुतली हू और मेरी डोर परमात्मा के हाथों मे है, वो जो करवाये मैं वही करुगा, मेरी खुद की कोई मर्जी नही है, ऐसी समर्पण की भाव दशा होने पर आप हृदय से व भाव से परमात्मा के साथ जुड़ जाते है और आपको उनकी अनुभुति होने लगती है ।
2) निरंतर स्मरण : परमात्मा को हर पल व हर श्रण अपने हृदय मे भाव द्वारा या मंत्र द्वारा या भजन आदि द्वारा याद करे । जब भी दो पल की फुर्सत मिले तब ही अपनी आँखे बंद करके उनके स्वरूप को अपनी मन की आँखो से उन्हे निहारें, उन्हे याद करे । उनका गुणगान करे ।
3) प्रेमपूर्ण भक्ति : परमात्मा प्रेम के भूखे होते है अतः अपने हृदय को व अपने प्रेम को परमात्मा के लिये खोल दे, उनको प्रेम मे तड़प कर उनकी याद मे आँसू बहाये । अपनी आँखो के आगे उनकी मूर्ति को लेकर आये और उनकी हर छटा हर अदा व उनके हर अंग को व उनके सोंदर्य को ऐसे निहारें जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को निहारता है । उनके प्रेम मे अपने आप को खो जाने दे । जब खुली आँखो से बाहर मुर्ति को निहारते निहारते थक जाये तो आँखे बंद करके अपने भीतर अपने हृदय मे उनको निहारें। कभी भजन गाये तो कभी नृत्य मे मगन हो जाये, लीन हो जाये, खो जाये । अपने भीतर विरह उत्पन करे ।
4) जब भी संभव हो, सुबह या शाम, आधा एक घन्टा बैठकर उनके नाम का हृदय के साथ जाप करे । उनका मंत्रचार करे । श्रिंगार करे, वत्र उपवास करे । तीर्थटन करे । कथा आदि करे । ध्यान करे ।
जब इस प्रकार आप दुनिया के सभी काम बाहर से करते हुए भी अपने भीतर से आप अपना संबंध परमात्मा से बना कर रखेगे तो बहुत जल्द ही आपको उनकी वास्तविक अनुभूति होनी शुरु हो जायेगी और उनकी कृपा आपको प्राप्त होगी ।
गुरु जी आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम नमन करते हैं आपने हमें बहुत कुछ समझाया हैं हमें ऐसा ही अच्छा लगता है भगवान के बारे
#sir_persoo_meri_kundli_urja_sar_per #aa_gyi_thi_but_urja_ko_me_bhtt_acha #se_bula_para_hu_but_koye_b_power #kundli_urja_ki_takat_ka_istmaal_nhi #ara_hai_me_kya_karu?
उसमे अभी समय लगेगा, आप ऊर्जा के इस्तेमाल का अभी प्रयास ना करे, पहले ऊर्जा को स्थाई रूप से और सही से व्यवस्थित होने दे, जब एक बार ऊर्जा अपना मार्ग बना लेगी तो उसे क्या करना है वह खुद कर लेगी, आप बस अपना ध्यान अभ्यास पर केंद्रित कर के रखे, उचित समय आने पर सब खुद से हो जाएगा
@@Dhyankagyan777 ok sir thank you
गुरुजी कृपया मार्ग दर्शन करे🙏
जब मे बिंदू त्राटक करता हु तब मुलाधार मैं गर्मी और गेले (neck) के पीछे हलका सा दर्द और कूच तोभी ऐसास होता है गले मैं
मार्गदर्शन किजेये गुरुजी 🙏
य़ह शुभ लक्षण है, जब आप त्राटक करते हैं तो उसके प्रभाव से आपका आज्ञा चक्र सक्रियता मे आने लगता है क्यूंकि आपके एकटक देखने से आज्ञा चक्र पर दबाव पड़ता है और जब आज्ञा चक्र पर ऊर्जा जगती है तो उसी अनुपात मे नीचे मूलाधार पर भी ऊर्जा जागने लगती है क्यूंकि आज्ञा चक्र और मूलाधार दोनों एक ही पोल के दो ध्रुव है यानि जब त्राटक के प्रभाव से एक ध्रुव पर जोर पड़ता है तो उसका दूसरा ध्रुव यानि मूलाधार भी प्रभावित होने लगता है, इसका मतलब आपका ध्यान काम कर रहा है।
गले मे दर्द का कारण भी त्राटक के प्रभाव से जो ऊर्जा आज्ञा चक्र मे जागृत होती है वह गले मे स्थित चक्र विशुद्ध चक्र मे भी चली जाती है।
Sir Ji apka Ashram kaha hai bataye plz ana chahta hu.
हमारा मुख्य ध्यान योग केंद्र यमुना नगर हरियाणा मे है जहा पर हर रोज योग व ध्यान की नियमित कक्षाएं लग रहीं है, जिसमें विद्यार्थि योग व ध्यान सीखने के लिए आते हैं इसके अलावा हमारे ध्यान साधना के शिविर ऋषिकेश, मंसूरी, धर्मशाला, मनाली आदि जैसे स्थानों पर लगते रहते है।
Thankyou guru Ji.