Class 8.37। कर्म बन्ध विज्ञान - जरुरी नहीं की सभी सूक्ष्म जीवों का शरीर छोटा ही सूत्र 11

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  • Опубликовано: 19 июн 2024
  • Class 8.37 summary
    सूत्र ग्यारह में हमने प्रत्येक शरीर और त्रस नामकर्म के वर्णन के पश्चात
    सुभग नामकर्म को जाना
    सुभग यानि सौभाग्यशाली
    इसका विपरीत होता है दुर्भग नामकर्म
    जहाँ सुभग नामकर्म के कारण व्यक्ति को देखकर
    दूसरे व्यक्ति के अन्दर एक प्रीति भाव, प्रेम भाव उत्पन्न होता है
    उसका रूप चाहे जैसा भी हो, वह लोगों को अच्छा लगता है
    वहीं दुर्भग नामकर्म के उदय के कारण
    सुन्दर व्यक्ति के प्रति भी प्रीति का भाव पैदा नहीं होता
    सुभग नामकर्म शुभ और दुर्भग अशुभ होता है
    शुभ प्रकृतियों का फल ही पुण्य का फल कहलाता है
    हम सुभग और दुर्भग को भी अनुभव कर सकते हैं
    जैसे दाम्पत्य जीवन में अगर प्रीति है तो सुभग
    और नहीं है तो दुर्भग नामकर्म का उदय है
    सुस्वर नामकर्म के उदय में हमारा स्वर अच्छा होता है और कण्ठ मधुर
    दूसरे हमारी बोली को appreciate करते हैं
    और सुनने को लालायित रहते हैं
    और इसके विपरीत दुस्वर के उदय में
    लोगों को हमारी आवाज अच्छी नहीं लगती
    और वो काम की बात भी नहीं सुनना चाहते
    हम इसका अनुभव घर में, साथियों से बातचीत आदि में भी कर सकते हैं
    सुस्वर नामकर्म पुण्य और दुस्वर नामकर्म पाप प्रकृति में आते हैं
    बहुत लोगों के पास तत्त्वज्ञान, उपदेश की कला आदि तो होती हैं
    लेकिन सुस्वर नामकर्म के अभाव में लोग उनको सुनना नहीं चाहते
    आचार्य महाराज की वाणी या समवशरण में भगवान की दिव्यध्वनि
    एक बार कोई सुन लेता है तो सुनता ही रहता है
    यह उनके सुस्वर नामकर्म के उदय का फल है
    इन कर्मों के फल को समझकर जीव दुःख-सुख से उबरकर
    यदि उनसे विरक्ति ले लेता है
    तो यह बहुत बड़ा पुरुषार्थ है
    हमने जाना कि शरीर सुन्दर होना और रमणीय होना अलग-अलग बात है
    रमणीयता में वह दूसरों को मनोहर लगता है
    और वे उसे बार-बार देखने की इच्छा करते हैं
    शुभ नामकर्म के उदय में जीव को अच्छे तथा रमणीय शरीर और अंग-उपांग मिलते हैं
    इसके विपरीत अशुभ नामकर्म के कारण सुन्दर शरीर भी रमणीय नहीं लगता
    सूक्ष्म नामकर्म के उदय से जीव को सूक्ष्म वर्गणाओं से बने सूक्ष्म शरीर की प्राप्ति होती है
    इनका शरीर किसी से न बाधित होता है और न बाधा करता है
    ये वज्र आदि कठोर पदार्थों से भी पार निकल जाते हैं
    न कोई इनका घात कर सकता है
    और न ये किसी का घात कर सकते हैं
    घात करने वाले या घात होने वाले जीव बादर कहलाते हैं
    हमें ऐसा नहीं समझना चाहिए कि
    सूक्ष्म जीव हमें दिखाई नहीं देते
    और बादर जीव दिखाई देते हैं
    तथा सूक्ष्म जीवों की अवगाहना बहुत छोटी होती है
    और बादर जीवों की बहुत बड़ी
    सिद्धान्ततः सूक्ष्म जीवों की अवगाहना बादर जीवों से अधिक भी हो सकती है
    पर वे घात को प्राप्त नहीं होते
    और छोटी-बड़ी अवगाहना वाले बहुत से बादर जीव
    जिन्हें हम ग्रहण नहीं कर पाते
    वे भी घात को प्राप्त होते रहते हैं
    वहीं सम्मूर्च्छन जीव, अनेक प्रकार के अपर्याप्तक बादर जीव भी घात को प्राप्त होते रहते हैं
    हमें पर्याप्तियों के विज्ञान को समझना चाहिए
    पर्याप्तियाँ छह होती हैं - आहार, शरीर, इन्द्रिय, भाषा, श्वासोच्छ्वास और मनः पर्याप्ति
    पर्याप्त या पूर्ण जीवों की पर्याप्तियाँ पूर्ण हो जाती हैं
    अपर्याप्त जीवों का मरण, पर्याप्तियाँ पूर्ण होने से पहले ही हो जाता है
    पर्याप्ति नामकर्म के कारण जीव के अन्दर पर्याप्तियाँ पूर्ण करने की शक्ति प्राप्त होती है
    जिससे वह अपना शरीर, इन्द्रियाँ आदि बना पाए
    पर्याप्तियाँ बहुत ही scientific system है,
    जिसके कारण से शरीर अपने आप चलता रहता है
    आज विज्ञान जो दिखता है, उसे ही जानता है
    लेकिन वह ऐसा क्यूँ होता है? यह नहीं जानता!
    Tattwarthsutra Website: ttv.arham.yoga/

Комментарии • 22

  • @prabhajain6878
    @prabhajain6878 15 дней назад

    अर्हं योग प्रणेता पूज्य गुरूवर श्री प्रणम्यसागरजी महाराज की जय जय जय 🙏💖🙏💖🙏💖

  • @sandhyakhadke3218
    @sandhyakhadke3218 15 дней назад

    Namostu Gurudev Namostu Gurudev Namostu Gurudev 🙏🙏🙏

  • @vinayjain4748
    @vinayjain4748 16 дней назад

    Namostu bhagwan. Jai ho shree pranamya sagar ji maharaj

  • @nalinimishrikotkar3011
    @nalinimishrikotkar3011 16 дней назад

    Namostu Guruvar🙏🙏🙏

  • @rajada033
    @rajada033 16 дней назад +1

    Jai GURU...

  • @TanusTips
    @TanusTips 11 дней назад

    नमोस्तु गुरूदेव आचार्य श्री जी की जय हो 🙏🙏🙏🙏

  • @priyankajain2260
    @priyankajain2260 16 дней назад

    नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरूजी 🙏🏻🙏🏻

  • @SuvratJainDL
    @SuvratJainDL 15 дней назад

    Namostu gurudev

  • @ushajain8709
    @ushajain8709 15 дней назад

    Namosto gurudev 🙏🙏🙏

  • @vipulatashah3543
    @vipulatashah3543 15 дней назад

    हे भगवान नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरूदेव जी. 🙏🏼🙏🏼🙏🏼

  • @ruchijain5462
    @ruchijain5462 11 дней назад

    Namostu gurudev 😊

  • @maheshjain2387
    @maheshjain2387 13 дней назад +1

    नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु भगवान डूंगरपुर राजस्थान से नमोस्तु महाराज जी त्रिकाल त्रिविध नमोस्तु🙏🙏🙏

  • @indraniab1106
    @indraniab1106 16 дней назад

    Nomostu gurudev.

  • @pratibhajain7228
    @pratibhajain7228 16 дней назад

    मुनिश्रेष्ठ , साक्षात् वर्धमान महावीर , मुनि श्री १०८ प्रणम्य सागर जी महामुनिराज के पूज्यपाद में कोटि - कोटि नमोस्तु 🙏🙏🙏

  • @j.jinavani1388
    @j.jinavani1388 15 дней назад

    நமோஸ்து மகராஜ் நமோஸ்து நமோஸ்து.தங்களால் தான் கடினமான சாஸ்த்திரம் கூட எளிமையாக புரிகிறது.

  • @pratibhajain7228
    @pratibhajain7228 16 дней назад +1

    झाँसी की वसुंधरा , में विराजमान “ अर्हम योग प्रणेता “ मुनि भगवान श्री प्रणम्य सागर जी महामुनिराज ससंघ के
    पावन चरणों में बारम्बार नमोस्तु 🙏🙏🙏

  • @pragatichankeshwar3674
    @pragatichankeshwar3674 15 дней назад

    🙏🙏🙏

  • @abhinavjain6659
    @abhinavjain6659 14 дней назад

    NAMOSTU 3

  • @vinayjain4748
    @vinayjain4748 16 дней назад

    Answer 2... 6

  • @samsun3241
    @samsun3241 16 дней назад

    In world jain population is become less video