प्रणाम गुरुदेव 🙏🏻🙏🏻 यह जो अहमभाव का जन्म हो जाता है जीव में,तो क्या इसमें परमात्मा की रजामंदी होती है ...परमात्मा ने माया ही ऐसी रची है कि यह भ्रम हो जाना स्वाभाविक ही है...
सादर प्रणाम. अहंकार और अहम भाव में difference है. अहम भाव का मतलब स्वयं के होने का एहसास. यही दुख सुख भोगता है और मुक्त भी हो सकता है. यही अहंकार कर्ता है और कर्मों का फल भोगता है. Please see all other videos on this channel. आपको clear हो जाएगा नहीं तो फिर से पूछ लेना. आपकी सेवा में फिर से reply कर दूँगा.
@rajeshahuja4901 जी गुरुदेव🙏🏻🙏🏻पहले मैं आपकी सारी videos ध्यान से देखूंगी और समझने की कोशिश करूंगी🙏🏻🙏🏻हो सकता है कि फिर कोई प्रश्न बाकी न रहे...bahut bahut dhanyawad aapka meri har query ko answer karne ke liye🙏🏻🙏🏻🌹
परम आत्मा के अंस के मतलब क्या के?क्या परम आत्मा एक दो है। क्या है।और अंस का मतलब हामारी सरिर जेसे है।एक example देता हु ।हमारा शरीर एक है और हामारे foot के small finger अंस है।क्या है?
Sahi hai athma sharir ek hi hai usme se nikalne wala jo bhav hai wo jivathma yaani Mai alag hai. Lekin ye athma ne sharir dharan kyu kiya?? aur ise gyan kyu nhi apna jaise krishna bhi ek athma hai lekin unhe tho pata hai ki wo parmathma hai aur sab jante hai bachpan se hi lekin hamare saath aisa nhi wo kyu? hum yaani athma wo kyu bhool gayi ki wo parmathma hi hai batao pls
शरीर से कुछ भी नहीं निकालता, मैं भाव भी नहीं निकलता. आपसे detail में पूरी बात करनी पड़ेगी क्योंकि comment से clear करना difficult है . आप please सारी videos देखो.
Om Namah Shivay Jai Shree Radhe Krishna Radhe Radhe 🙏👋🌹💯🩸♥️🙏
👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏🙏
साधुवाद
Excellent sir... Namaste
Pranaam Sir
Excellent video 👌👍🎉🙏💯❤️
Thank you 👍
😮😮
Thank you 🙏🏼, you explain very patiently, it’s easy to understand, ❤
Thank you ji
Good thanks
Sir correct explaination
Thank you ji
Thanks
Welcome
बहुत ही ज्ञानवर्धक व सार्थक विचार।अपने चैनल का नाम कुछ अध्यात्म वाला रखो, ताकि अधिक व्यू मिले
Nihang dharm Singh ji ko suno
Wow.. Hey Rajesh ji.. would love to invite you in my podcast.. let me knw what you think ?
I am a very simple and common man. I think you should find some big personality. मैं इसके लायक नहीं हूं ।
@@rajeshahuja4901your reply matches your words
प्रणाम गुरुदेव 🙏🏻🙏🏻 यह जो अहमभाव का जन्म हो जाता है जीव में,तो क्या इसमें परमात्मा की रजामंदी होती है ...परमात्मा ने माया ही ऐसी रची है कि यह भ्रम हो जाना स्वाभाविक ही है...
सादर प्रणाम. अहंकार और अहम भाव में difference है. अहम भाव का मतलब स्वयं के होने का एहसास. यही दुख सुख भोगता है और मुक्त भी हो सकता है. यही अहंकार कर्ता है और कर्मों का फल भोगता है. Please see all other videos on this channel. आपको clear हो जाएगा नहीं तो फिर से पूछ लेना. आपकी सेवा में फिर से reply कर दूँगा.
@rajeshahuja4901 जी गुरुदेव🙏🏻🙏🏻पहले मैं आपकी सारी videos ध्यान से देखूंगी और समझने की कोशिश करूंगी🙏🏻🙏🏻हो सकता है कि फिर कोई प्रश्न बाकी न रहे...bahut bahut dhanyawad aapka meri har query ko answer karne ke liye🙏🏻🙏🏻🌹
परम आत्मा के अंस के मतलब क्या के?क्या परम आत्मा एक दो है। क्या है।और अंस का मतलब हामारी सरिर जेसे है।एक example देता हु ।हमारा शरीर एक है और हामारे foot के small finger अंस है।क्या है?
Question not clear. परमात्मा एक ही है और आत्मा इसका अंश है पर परमात्मा से अलग नहीं.
Sahi hai athma sharir ek hi hai usme se nikalne wala jo bhav hai wo jivathma yaani Mai alag hai. Lekin ye athma ne sharir dharan kyu kiya?? aur ise gyan kyu nhi apna jaise krishna bhi ek athma hai lekin unhe tho pata hai ki wo parmathma hai aur sab jante hai bachpan se hi lekin hamare saath aisa nhi wo kyu? hum yaani athma wo kyu bhool gayi ki wo parmathma hi hai batao pls
शरीर से कुछ भी नहीं निकालता, मैं भाव भी नहीं निकलता. आपसे detail में पूरी बात करनी पड़ेगी क्योंकि comment से clear करना difficult है . आप please सारी videos देखो.
@@rajeshahuja4901 lekin athma sharir kyu dharan karti hai aur jab karti hai tab apna gyan kyu bhool jaati? Thoda hi bata do