विश्वामित्र की कथा भाग 20 - मुकेश खन्ना, अरुण गोविल - Vishwamitra Katha
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- Опубликовано: 2 окт 2024
- प्रजापति के पुत्र कुश, कुश के पुत्र कुशनाभ और कुशनाभ के पुत्र राजा गाधि थे। विश्वामित्र जी उन्हीं गाधि के पुत्र थे। विश्वामित्र शब्द विश्व और मित्र से बना है जिसका अर्थ है- सबके साथ मैत्री अथवा प्रेम। एक दिन राजा विश्वामित्र अपनी सेना को लेकर वशिष्ठ ऋषि के आश्रम में गये। विश्वामित्र जी उन्हें प्रणाम करके वहीं बैठ गये। वशिष्ठ जी ने विश्वामित्र जी का यथोचित आदर सत्कार किया और उनसे कुछ दिन आश्रम में ही रह कर आतिथ्य ग्रहण करने का अनुरोध किया। इस पर यह विचार करके कि मेरे साथ विशाल सेना है और सेना सहित मेरा आतिथ्य करने में वशिष्ठ जी को कष्ट होगा, विश्वामित्र जी ने नम्रतापूर्वक अपने जाने की अनुमति माँगी किन्तु वशिष्ठ जी के अत्यधिक अनुरोध करने पर थोड़े दिनों के लिये उनका आतिथ्य स्वीकार कर लिया।
वशिष्ठ जी ने नंदिनी गौ का आह्वान करके विश्वामित्र तथा उनकी सेना के लिये छः प्रकार के व्यंजन तथा समस्त प्रकार के सुख सुविधा की व्यवस्था कर दिया। वशिष्ठ जी के आतिथ्य से विश्वामित्र और उनके साथ आये सभी लोग बहुत प्रसन्न हुये।
नंदिनी गौ का चमत्कार देखकर विश्वामित्र ने उस गौ को वशिष्ठ जी से माँगा पर वशिष्ठ जी बोले राजन! यह गौ मेरा जीवन है और इसे मैं किसी भी कीमत पर किसी को नहीं दे सकता।
वशिष्ठ जी के इस प्रकार कहने पर विश्वामित्र ने बलात् उस गौ को पकड़ लेने का आदेश दे दिया और उसके सैनिक उस गौ को डण्डे से मार मार कर हाँकने लगे। नंदिनी गौ ने क्रोधित होकर उन सैनिकों से अपना बन्धन छुड़ा लिया और वशिष्ठ जी के पास आकर विलाप करने लगी। वशिष्ठ जी बोले कि हे नंदिनी! यह राजा मेरा अतिथि है इसलिये मैं इसको शाप भी नहीं दे सकता और इसके पास विशाल सेना होने के कारण इससे युद्ध में भी विजय प्राप्त नहीं कर सकता। मैं स्वयं को विवश अनुभव कर रहा हूँ। उनके इन वचनों को सुन कर नंदिनी ने कहा कि हे ब्रह्मर्षि! आप मुझे आज्ञा दीजिये, मैं एक क्षण में इस क्षत्रिय राजा को उसकी विशाल सेनासहित नष्ट कर दूँगी। और कोई उपाय न देख कर वशिष्ठ जी ने नंदिनी को अनुमति दे दी।
आज्ञा पाते ही नंदिनी ने योगबल से अत्यंत पराक्रमी मारक शस्त्रास्त्रों से युक्त पराक्रमी योद्धाओं को उत्पन्न किया जिन्होंने शीघ्र ही शत्रु सेना को गाजर मूली की भाँति काटना आरम्भ कर दिया। अपनी सेना का नाश होते देख विश्वामित्र के सौ पुत्र अत्यन्त कुपित हो वशिष्ठ जी को मारने दौड़े। वशिष्ठ जी ने उनमें से एक पुत्र को छोड़ कर शेष सभी को भस्म कर दिया।
अपनी सेना तथा पुत्रों के नष्ट हो जाने से विश्वामित्र बड़े दुःखी हुये। अपने बचे हुये पुत्र को राज सिंहासन सौंप कर वे तपस्या करने के लिये हिमालय की कन्दराओं में चले गये। कठोर तपस्या करके विश्वामित्र जी ने महादेव जी को प्रसन्न कर लिया ओर उनसे दिव्य शक्तियों के साथ सम्पूर्ण धनुर्विद्या के ज्ञान का वरदान प्राप्त कर लिया।
महर्षि वशिष्ठ से प्रतिशोध
इस प्रकार सम्पूर्ण धनुर्विद्या का ज्ञान प्राप्त करके विश्वामित्र बदला लेने के लिये वशिष्ठ जी के आश्रम में पहुँचे। उन्हें ललकार कर विश्वामित्र ने अग्निबाण चला दिया। वशिष्ठ जी ने भी अपना धनुष संभाल लिया और बोले कि मैं तेरे सामने खड़ा हूँ, तू मुझ पर वार कर। क्रुद्ध होकर विश्वामित्र ने एक के बाद एक आग्नेयास्त्र, वरुणास्त्र, रुद्रास्त्र, इन्द्रास्त्र तथा पाशुपतास्त्र एक साथ छोड़ दिया जिन्हें वशिष्ठ जी ने अपने मारक अस्त्रों से मार्ग में ही नष्ट कर दिया। इस पर विश्वामित्र ने और भी अधिक क्रोधित होकर मानवास्त्र, मोहनास्त्र, गान्धर्वास्त्र, जूंभणास्त्र, दारणास्त्र, वज्र, ब्रह्मपाश, कालपाश, वरुणपाश, पिनाक धनुष , दण्डास्त्र, पैशाचास्त्र , क्रौंचास्त्र, धर्मचक्र, कालचक्र, विष्णुचक्र, वायव्यास्त्र, मंथनास्त्र , कंकाल, मूसल, विद्याधर, कालास्त्र आदि सभी अस्त्रों का प्रयोग कर डाला। वशिष्ठ जी ने उन सबको नष्ट करके उन पर ब्रह्माण्ड अस्त्र छोड़ दिया। ब्रह्माण्ड अस्त्र के भयंकर ज्योति और गगनभेदी नाद से सारा संसार पीड़ा से तड़पने लगा। सब ऋषि-मुनि उनसे प्रार्थना करने लगे कि आपने विश्वामित्र को परास्त कर दिया है। अब आप ब्रह्माण्ड अस्त्र से उत्पन्न हुई ज्वाला को शान्त करें। इस प्रार्थाना से द्रवित होकर उन्होंने ब्रह्माण्ड अस्त्र को वापस बुलाया और मन्त्रों से उसे शान्त किया।
इस प्रकार विचार करके वे अपनी पत्नीसहित दक्षिण दिशा की और चल दिये। उन्होंने तपस्या करते हुये अन्न का त्याग कर केवल फलों पर जीवनयापन करना आरम्भ कर दिया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें राजर्षि का पद प्रदान किया। इस पद को प्राप्त करके भी, यह सोचकर कि ब्रह्मा जी ने मुझे केवल राजर्षि का ही पद दिया महर्षि-देवर्षि आदि का नहीँ, वे दुःखी ही हुये। वे विचार करने लगे कि मेरी तपस्या अब भी अपूर्ण है। मुझे एक बार फिर से घोर तपस्या करना चाहिये।"
जो हमारा पालन करता है उसे माता का स्थान दिया जाता है इसीलिए भारत को माता कहते है
सही कहा आपने 😮😮
Manish Pandey Mathura - यहा महात्रुटी है,, की महर्षि विश्वामित्र और , मेनका की पुत्री शंकुतला थी जिसका विवाह हस्तिनापुर नरेश दुष्यंत के साथ हुआ जिसने भरत को जन्म दिया जिनके बेटे धृतराष्ट्र और पांडू जिनके पुत्र कौरव और पांडव थे ,, श्रीकृष्ण अवतार हो चुका था ,,, पर याद रखे कुछ समय पूर्व जब दुष्यंत और शकुंतला का विवाह हुआ तब तक विश्वामित्र ब्रह्मऋषि नही बने थे तो क्या श्री राम का अवतार श्री कृष्ण के बाद हुआ ,,, नही गलती यह हुई कि इसमें यह , दिखाया गया की शकुंतला को मेनका ने कश्यप ऋषि के आश्रम में छोड़ दिया हो पूरी तरह गलत है ,,, मेनका जबकि शकुंतला को स्वर्ग ले गई थी , पृथ्वी और स्वर्ग के समयानुसार जब शकुंतला स्वर्ग में थी तब त्रेता युग था और जब वह वापिस आई तब तक दुष्यंत का जीवन समाप्त हो गया था और द्वापर युग चल रहा था यहां के समयानुसार भरत ने राज किया ,,, गंगा के पुत्र भीष्म वह विकृति हैं जो स्वर्ग से धरती पर आए जो गंगा के आठवे पुत्र थे स्वर्ग में एक मनुष्य शकुंतला और भरत का विरोध देवताओं ने किया जिनमें से आठ देवताओं ने मेनका का समर्थन किया यही आठ देवताओं को देव गुरु वृषपति ने शराप दिया ,, जिनको तारने के लिया गंगा को मनुष्य रूप में आना पड़ा ,,,,,अगर इस धारावाहिक के अनुसार देखें तो श्री राम का अवतार श्री कृष्ण के बाद होगा,,, थोड़ा सा वेदो का ठीक निरीक्षण कीजिए , कुछ दिखाने से पूर्व।
Dusyant ke पुत्र pandu aur dhritrara nahi hai
Bhai tum kaha the rokna tumhe vivah karne se
Phir bhish pitamah kha se aaye
तपस्वी युगों युगों तक तपस्या करते थे जब विश्वामित्र राज ऋषि बने थे तब तक त्रेता युग ही था और में श्री रामचंद्र जी के गुरु भी बने और श्री रामचंद्र जी उनकेशिष्य थे बाद में उन्हें ब्रह्म ऋषि बनने की ठानी और तपस्या में लीन हो गई ब्रह्म ऋषि बनने की उपाधि उन्हें द्वापर युग के प्रारंभ में प्राप्तहुई श्री रामचंद्र जी के समय में वे राज ऋषि ही थे अच्छी बात है मन की आशंका का निवारण प्रसन्न करने से यह तर्क देने से ही मिलता है
विश्वामित्र जी ने पांच बार तप किया जो की चार बार विफल रहा एक तप में अधिक अधिक बीत जाते थे इस लंबे समय के बीच में श्री रामचरितमानस कभी जिक्र है जो उसे जोड़ने में सीरियल लंबा हो जाता और रामायण तो सभी ने देखी है इसीलिए इस सीरियल में रामायण से जुड़ी हुई कोई बातें नहीं दिखाई रामचरितमानस ब्रह्म ऋषि बनने से पहले लिखा गया और महाभारत ब्रह्मर्षि बनेके बाद
Nararayan Narayan Narayan
Sakuntala Dushyant Putra BHARAT Bharat, Hunndustan,Aryavart ,Revakhande. Matalub Sumurana Bharat.
धन्य हैं महर्षि कण्व , माता शंकुतला और महाराज भरत
Jay shree ram ji ❤❤❤
Nararayan Narayan Narayan
❤❤❤❤❤❤❤❤
Uncountless welcome and pranam.
Jay shree krishna 🙏
Jai shree Ram
Radhe Radhe Radhe mere bibi ko sahi karo
Vishva mitar ke bnaye swarag ka kya hua ye to btaya hi nhi kya trishaku abi tak swarag ka raja bna hua ha
ओ क्या हैं की मोदी की तरह बात को घुमाया जाता हैं ओर मेन पॉइंट गायब किये जाते हैं, यह भी वही हुं आ हैं
Han vo Raja hi hai abhi vo Ravan ban chuka han naam ban gya hai lankapati Ravan ,
Bhole nath ki kirpa hai
Ye dharti, ye bhumi mata hai, mata se bada koi nahi, ye baat eske pahle hi apisode me bataya hai. Esliye ye desh hamari bharat mata hai.
Bharat mata nhi mard hai
Ji Menika Ji Aap Bhool Gayi ne Ji Abto Ji ne Ji Ha Ji ne Ji Abto Ji Ha Ji
Paagal ho gaya hai kya bsdk
जय श्री राम
Good
Jai Sri Ram ❤❤❤❤🎉🎉❤❤🎉🎉
Jai Shree Krishna
जय हो जगत गुरू गोरखनाथ जी महाराज की। जय हो सनातन धर्म संस्कृति की। जय हो साधु संत महात्माओं की माया ना कोई जान पाया और नाही जानने में कोई भी जीव जगत में नर-नारी और देव-दानवों समझने में अस्मर्थ है। यह भेद कोई नहीं जान पाया। यह सब देवों के देव महादेव और माता पार्वती जी की रचाई हुई सब लीला मात्र ही है। यह कोई संसारी नहीं आज तक नहीं समझ पाया है। जय बाबा की। हर हर महादेव। 🙏🙏❤❤❤
Manish pande ji pandu or korav ke pita ji bhagvan byas. Ji the
Very good
Ismein kuchh bhi galat nahin dikhaya Gaya hai bilkul sahi hai Devi Shakuntala Dharti per hi unke Putra ka janm hua tha jinke Putra ka naam Bharat tha jo itna mahabali aur itna shaktishali tha Apne putron Ko rajya ke yogya Na na dekhte hue unhone rajya ko Bhardwaj ko saunpa jinke Putra Shantanu hue aur inse jinhone Devi Ganga se Vivah Kiya jinke ek Putra devvrat hue aur FIR inhone satyavati se Vivah Kiya jinke do Putra hue vichitraveerya aur chitrangan aur vichitraveerya to matlab Chitrangada to pahle hi swargvas Ko Ho Gaye the to Jo unke chhote bhai the vichitraveerya jinhone do Vivah geet Ambika aur ambalika jinse kahta hai Pandu aur dhritrashtra ka janm hua kahani is tarah se Hain
રાઇ
हिन्दू धर्म को न समझ ने वाले कुछ ग़लत न कहें हिन्दू धर्म नहीं मानना है तो कोई और धर्म अपना लो।
जय શ્રી राम🙏🙏
भगवान श्री राम के दादाजी ,,, राजा हरीशचंद्र थे,,,,
Ram ke dada ji ka naam aaj tha.ve Harish Chandra ke kul me peda huye the
जै श्री कृष्ण
Jai Shri Krishna
Jai Shri ram
क्षत्रिय.दो.प्रकार.के.होते.है.एक.हरिचंद्र.और.दुसरा.विश्वामित्र.जैसा.
Ram Krishna Hari ❤❤
🙏
Bahut achcha natak hai bahut achcha ji khush hua
भाई ये कुरान नही है जो नाटक है ये सच्ची कहानी है 🙏🇮🇱🇮🇳
Jay Shri Ram
जय श्री राम
P K sahni j
@@santoshKumar-xl5gd
. Gy
Ram ka Bhai bharat rajy Kaise ho Gaya.
Ramayan mai.
Nice
Tumhare saamne baat karte they
Desh bhagwan ne sisti kiya Bharat nam desh ka nam se pada to kya hua asevi ak nam se duniya me so nam he to kya kuch fark padta hai kya bhagwan kuch vi kar sakte he jada dimak mat laga
O Bai sanku iska Sara saypa Piya c jiske liye nakli Sawarg banya wo ekle hi nakli swarg mai baita
BHARAT-Bharat,H-Hindustan,A_Aryawart. R-RevaKhande.Sumurana Bharat.
Bye
Indralok mein apna hi politics chal raha hai😂😂😂😂
इंद्रलोक हो या धरतीलोक हो राजनीति तो चलती आई है और चलती रहेगी 😂😂😂😂
ये नारद का रोल इसने ओबर एकटिंग की है नारद जी इसके तरह नहीं बोलते थे 😂😂
भारत की धीरता, वीरता , उदारता अर्थात् शिष्टता की जय हो।
Bhartiy.sanskritikijaiho.jaichandragiri.khajuria
😊
Jay shree ram
नाटक बहुत अच्छा लगा
0:59 leopard
👌
Y Durwasa Chakra Hai
Satya to stay hota hai prabhuji
❤❤ har har Mahadev ❤❤
😢
Kya huaa
1
Meri samajh me nahi aata jab bhart ke naam pe desh ka naam bharat pada to bharat mata kahan se aayi pata nahi hindu dharm me ye fictional character kyon banaye jaate hai
Bharat ki janmbhumi bharat mata hai.....
Desh ka naam Baharat k naam pr h
Prr desh , desh bhoomi , Maa ki tarah Hume palti h , vegetation deti h , trees , fruits aur medicinal herb deti h
Isiliye matr bhoomi h
Prr haa naam Bharat se h
इन्ही उपरोक्त कारणों से राजा भरत के नाम से उनकी मात्र भूमि का नाम भी भारत माता हे
Bharat mata ek slogan hai, Bharat mata humare desh ki sanskriti, adhyitmikta, ekta ko pesh karta hai
Jay ho
C mn
Raja ne itne saal kapde hi nhi badle 🤣🤣🤣🤣🤣
Bharat mata... krantikario ki devi ki kalpna hai😊😊
Asli bharat nam par hi Bharat nam pada!!
Jaya.ram.harekrishan.hare.hare❤❤❤❤❤
Sab pahand aur bharamjal hai.
7uyh