संपूर्ण गोवर्धन परिक्रमा मार्ग दर्शन | Govardhan Parikrama | Giriraj Ji Ki Badi Parikrama 2024 |

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  • Опубликовано: 10 сен 2024
  • संपूर्ण गोवर्धन परिक्रमा मार्ग दर्शन | Govardhan Parikrama | Giriraj Ji Ki Badi Parikrama 2024 |
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    वैसे तो goverdhan ji parikrama 21 किलोमीटर की होती है पर भक्त इस परिक्रमा को अपनी श्रद्धा अनुसार कर सकते हैं। यह परिक्रमा दो तरीके से की जाती है बड़ी परिक्रमा और छोटी परिक्रमा। जो भक्त बड़ी परिक्रमा करने में सक्षम नहीं है वे छोटी परिक्रमा भी कर सकते हैं। लेकिन आपको बता दें कि दोनों ही परिक्रमा अपने आप में महत्वपूर्ण है और समान रूप से फल देती है। सबसे पहले हम बड़ी परिक्रमा के सफर पर आपको लेकर चलेंगे जो 12 किलोमीटर ( Govardhan parikrama distance ) की होती है।
    गोवर्धन पर्वत बड़ी परिक्रमा | Govardhan Parvat Badi Parikrama
    दानघाटी मंदिर ( Daan Ghati Mandir ) : दानघाटी Govardhan Temple वह स्थान है जहाँ से गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का शुभारंभ होता है। यह गिरिराज जी की परिक्रमा का सबसे पहला पड़ाव है और गोवर्धन परिकर्मा यही से शुरू होती है | यहाँ गिरिराज जी का दूध से अभिषेक किये जाने की परम्परा है। एक समय ऐसा था जब सुनसान सी दिखने वाली दानघाटी के बारे में कोई नहीं जानता था पर आज यहाँ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का वैभव दिखाई पड़ता है। इस पवित्र स्थली के बारे में हमारा धार्मिक इतिहास बहुत कुछ बखान करता है। कहते हैं इसी जगह से होते हुए ब्रज की समस्त गोपियाँ राजा कंस को माखन कर चुकाने जाया करती थीं और यहीं पर माखन चोर कान्हा अपने ग्वाल बालों के संग माखन और दही का दान लिया करते थे।
    संकर्षण कुंड Sankarshan kund
    संकर्षण कुंड गोवर्धन के आन्यौर गांव में स्थित है।
    संकर्षण कुंड ब्रज में सबसे महत्वपूर्ण लीला स्थलों में से एक है। इस कुंड का नाम भगवान कृष्ण के बड़े भाई संकर्षण के नाम पर रखा गया है, जिन्हें बलदाऊ या दाऊजी के नाम से भी जाना जाता है।दाऊजी को समर्पित एक मंदिर इस कुंड के पास स्थित है। इस मंदिर में प्रतिष्ठित विग्रह इसी कुंड से प्राप्त हुए थे और 5000 साल पूर्व भगवान कृष्ण के प्रपौत्र श्री वज्रनाभ जी द्वारा स्थापित किए गए थे। इस श्रीविग्रह का उल्लेख 'गर्ग संहिता' सहित प्राचीन वैदिक साहित्य में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से इस भौतिक संसार में किए गए सभी पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।कहा जाता है कि पाताल लोक से 30000 योजन गहराई में ‘अनंत लोक’ स्थित है, जो भगवान संकर्षण के ‘शांत स्वाभाव’ को दर्शाता है, जिन्हें शेषनाग, अनंत या बलराम के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि भगवान संकर्षण के 1000 मुख हैं, जिनमें से एक पूरे ब्रह्मांड का पालन-पोषण करता है।
    पूंछरी गांव राजस्थान राज्य के अन्तर्गत है। आन्यौर गांव से तीन कि.मी. दक्षिण-दिशा में पूंछरी गांव स्थित है। पूंछरी में भरतपुर राजाओं के द्वारा अनेक कलात्मक छतरियों का निर्माण कराया गया है। यहाँ से पूर्व दिशा की परिक्रमा समाप्त होकर पश्चिम की ओर परिक्रमा मार्ग मोड़ खाता है।
    नामकरण
    इस गांव के पूंछरी नाम होने का प्रथम कारण यह है कि श्रीगोवर्धन का आकार एक मोर के सदृश है। श्रीराधाकुण्ड उनके जिह्वा एवं कृष्णकुण्ड चिवुक हैं, ललिता कुण्ड ललाट है। पूंछरी नाचते हुए मोर के पंखों-पूँछ के स्थान पर है। इसलिये इस ग्राम का नाम 'पूछँरी' प्रसिद्ध है।
    श्रीलौठाजी मन्दिर
    पूंछरी गांव में परिक्रमा मार्ग पर श्रीलौठाजी का मन्दिर दर्शनीय है। श्रीलौठा जी से सम्बन्धित एक कथा प्रचलित है, जो निम्न प्रकार है-
    श्रीकृष्ण के श्रीलौठा जी नाम के एक मित्र थे। श्रीकृष्ण ने द्वारका जाते समय लौठा जी को अपने साथ चलने का अनुरोध किया। इस पर लौठाजी बोले- "हे प्रिय मित्र! मुझे ब्रज त्यागने की कोई इच्छा नहीं हैं, परन्तु तुम्हारे ब्रज त्यागने का मुझे अत्यन्त दु:ख है, अत: तुम्हारे पुन: ब्रजागमन होने तक मैं अन्न-जल छोड़कर प्राणों का त्याग यहीं कर दूंगा। जब तू यहाँ लौट आवेगा, तब मेरा नाम लौठा सार्थक होगा।"
    गोवर्धन परिक्रमा के नियम ( Rules of Govardhan Parikrama in hindi ) :
    गोवर्धन परिक्रमा करने के नियम भी आपको जान लेना बहुत जरुरी है। गोवर्धन की परिक्रमा शुरू करने से पूर्व सर्वप्रथम गोवर्धन पर्वत को प्रणाम करें और जिस स्थान से परिक्रमा शुरू की है वहीँ पर उसे समाप्त करें। मान्यता है कि जो भी परिक्रमा आरम्भ करना चाहते हैं उन्हें मानसी गंगा में स्नान अवश्य कर लेना चाहिए। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि परिक्रमा को बीच में कभी अधूरा न छोड़े।
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