Talk by Shri Rajagopal Bhat maam on topic Kaashi Panchakam by Shri Aadi Shankaracharya
HTML-код
- Опубликовано: 6 фев 2025
- Talk by Shri Rajagopal Bhat maam on Samaradhana (Punyatithi) of H.H. Shrimat Shankarashram Swamiji on Friday, 31st January 2025 on the topic : Kaashi Panchakam by Shri Aadi Shankaracharya
मनिनिवृत्तिः परमोपशान्तिः, सा तीर्थवर्या मणिकर्णिका च।
ज्ञानप्रवाहा विमलादिगङ्गा, सा काशिकाहं निजबोधरूपा।।१।।
यस्यामिदं कल्पितमिन्द्रजालम्, चराचरं भाति मनोविलासम्।
साच्चित् सुखैका परमात्मरूपा, सा काशिकाहं निजबोधरूपा।।२।।
कोशेषु पञ्चस्वधिराजमाना, बुद्धिर्भवानी प्रतिदेहगेहम्।
साक्षी शिवः सर्वगतोऽन्तरात्मा, सा काशिकाहं निजबोधरूपा।।३।।
काश्यां हि काश्यते काशी काशी सर्वप्रकाशिका।
सा काशी विदिता येन तेन प्राप्ता हि काशिका।।४।।
काशीक्षेत्रं शरीरं त्रिभुवन जननी व्यापिनी ज्ञानगङ्गा,
भक्तिश्रद्धा गयेयं निजगुरुचरणध्यानयोगः प्रयागः।
विश्वेशोऽयं तुरीयः सकलजनमनःसाक्षिभूतोऽन्तरात्मा,
देहे सर्वं मदीये यदि वसति पुनः तीर्थमन्यत् किमस्ति।।५।।