Kedarnath Yatra Part # 1 || Haridwar

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  • Опубликовано: 5 фев 2025
  • / @rakeshrvm

Комментарии • 2

  • @jatin.sandhu
    @jatin.sandhu Год назад +1

    You are very chalaak bro, bataya bhi nhi aake chale gye 😂

  • @devdhamyatra1
    @devdhamyatra1 Год назад +1

    पंचकेदार की कथा ऐसी मानी जाती है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए वे भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना चाहते थे, लेकिन वे उन लोगों से रुष्ट थे। इसलिए भगवान शंकर अंतर्ध्यान होकर केदार में जा बसे। पांडव उनका पीछा करते-करते केदार पहुंच ही गए। भगवान शंकर ने तब तक भैंसे का रूप धारण कर लिया और वे अन्य पशुओं में जा मिले। अत: भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाडों पर पैर फैला दिया। अन्य सब गाय-बैल और भैंसे तो निकल गए, पर शंकर जी रूपी भैंसे पैर के नीचे से जाने को तैयार नहीं हुए। भीम बलपूर्वक इस भैंस पर झपटे, लेकिन भैंस भूमि में अंतर्ध्यान होने लगा। तब भीम ने बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया। भगवान शंकर पांडवों की भक्ति, दृढ संकल्प देखकर प्रसन्न हो गए। उन्होंने तत्काल दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शंकर भैंस की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में श्री केदारनाथ में पूजे जाते हैं।