ऋग्वेदकालीन आर्याचे राजनीतिक जीवन

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  • Опубликовано: 23 июн 2024
  • #ancienthistory
    #vedic political life
    ऋग्वैदिक काल मुख्यतः एक कबीलाई व्यवस्था वाला शासन था जिसमें सैनिक भावना प्रमुख थी। राजा को गोमत भी कहा जाता था। वैदिक काल में राजतंत्रात्मक प्रणाली प्रचलित थी। इसमें शासन का प्रमुख राजा होता था।
    आर्यों के राज्य विभिन्न राजनीतिक इकाइयों मे विभाजित थे। सबसे छोटी इकाई "ग्राम" कहलाती थी। ग्राम के प्रमुख अधिकारी को "ग्रामणी" कहा जाता था। अनेक ग्रामों के समूह को "विश" कहते थे और उसके प्रमुख अधिकारी को "विशपति" कहा जाता था। अनेक विशों के समूहों को "जन" या "जनपद" कहा जाता था। जन के प्रधान को "राजन" या "राजा" कहा जाता था। आर्यों के सारे प्रदेश को "राष्ट्र" कहा जाता था।
    ऋग्वैदिक काल मे शासन का स्वरूप "राजतन्त्रात्क" था। सामान्यतः "राजा" वंश परम्परानुसार नियुक्त किया जाता था तथापि राजा के निर्वाचित किये जाने का भी कहीं-कहीं उल्लेख मिलता है। राजा निरंकुश या स्वेच्छाचारी नही हो सकता था। राज्याभिषेक के समय राजा को यह शपथ लेनी पड़ती थी कि वह जनता के हितों की रक्षा करेगा। अयोग्य राजा को पदच्युत या निर्वासित भी किया जा सकता

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