इंकलाबी शायर अदम गोंडवी भाग 3 || Adam Gondvi Part 3 ||
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- Опубликовано: 5 фев 2025
- दोस्तों, जनकवि अदम गोंडवी साहब की रचनाओं मे आम इंसान का दुख झलकता है जो की सुनने वाले को झंकझोर कर रख देता है | आज के इस वीडियो में हम अदम गोंडवी साहब की 2 और सुप्रसिद्ध गज़लें लेकर आएं हैं। साथ ही तुकबंदी वाली कविताएं भी है |
वीडियो में प्रस्तुत गज़लें कुछ इस तरह से है।
1. भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है
अहले हिंदुस्तान अब तलवार के साये में है
छा गई है ज़ेहन की पर्तों पे मायूसी की धूप
आदमी गिरती हुई दीवार के साये में है
बेबसी का इक समंदर दूर तक फैला हुआ
और कश्ती काग़ज़ी पतवार के साये में है
हम फ़क़ीरों की न पूछो मुतमईं वो भी नहीं
जो तुम्हारी गेसुए ख़मदार के साये में है |
2. भूख के एहसास को शे'र-ओ-सुख़न तक ले चलो
या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो
जो ग़ज़ल माशूक़ के जलवों से वाक़िफ़ हो गई
उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो
मुझको सब्र-ओ-ज़ब्त की तालीम देना बाद में
पहले अपनी रहबरी को आचरन तक ले चलो
गंगाजल अब बूर्जुआ तहज़ीब की पहचान है
तिशनगी को वोदका के आचमन तक ले चलो
ख़ुद को ज़ख़्मी कर रहे हैं ग़ैर के धोखे में लोग
इस शहर को रोशनी के बाँकपन तक ले चलो |
इसके अलावा तुकबंदी के लिए इस्तेमाल की गई कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार है -
हमने अदब से हाथ उठाया सलाम को, समझा उन्होंने इससे है खतरा निजाम को
चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें, चूल्हे पे क्या उसूल पकायेंगे शाम को ?
सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं, दिल रखकर हाथ कहिए देश क्या आज़ाद है |
दोस्तों, आगे आने वाली पॉडकास्ट में अदम गोंडवी साहब के साथ-साथ अन्य साहित्यकारों की रचनाओं को भी लाने का हमारा प्रयास है।
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बहुत सुन्दर ❤
धन्यवाद 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👍
♥️
❤
मेरे भी
Main gyani nahi hu lekin karm kitne prakar ke hote hy batayen
कर्म के प्रकार और व्याख्या अनंत है, बहरहाल आप इतना समझ लीजिए की आप जो सांस ले रहे है वो भी एक कर्म है और जो सांस छोड़ रहे है वो भी।।।
धन्यवाद
कर दीजिए🙏
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जरूर 🙏