Sant Raidas Panorama Chittorgarh (Rajasthan Heritage Authority, Jaipur)

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  • Опубликовано: 1 июл 2024
  • संत शिरोमणि रैदास पेनोरमा, चित्तौड़ीखेड़ा, जिला चित्तौड़गढ़
    सुप्रसिद्ध संत शिरोमणि रैदास जी अथवा गुरु रवि दास 15वीं से 16वीं शताब्दी के दौरान भक्ति आंदोलन के एक भारतीय रहस्यवादी कवि-संत थे जिन्होंने उस समय के जात-पांत के अंतर्विरोध के बीच कार्य किया। उन्होंने रैदासिया (रविदासिया) पंथ की स्थापना की।
    संत रैदास को पंजाब में रविदास, बंगाल में रूईदास, रोहीदास नामों से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम श्री रग्घु व माता का नाम कर्मा (धुरतिनिया) था। इनका जन्म माघ पूर्णिमा वि. सं. 1433 (1398 ई.) को काशी के निकटवर्ती मण्डूर गांव में हुआ। इनकी पत्नी लोना सरल स्वभाव की महिला थी।
    संत रैदास उच्चकोटि के भक्त थे। इन्होंने समाज में पिछड़े और अस्पृश्य समझे जाने वाले लोगों को भक्ति का मार्ग दिखाया। संत रैदास जी ने अपने आचरण और व्यवहार से प्रमाणित किया कि मनुष्य की महानता उसके जन्म तथा व्यवसाय के आधार पर नहीं अपितु उसके विचारों की श्रेष्ठता और आचरण की पवित्रता जैसे गुणों के आधार पर तय होती है। वे मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा जैसे बाहरी कर्मकाण्डों की अपेक्षा सच्ची श्रद्धा और समर्पण को अधिक महत्व देते थे।
    संत रैदास जी के भक्तिभावमय पद जन-जन के कण्ठों में बसे हुए हैं। रैदास जी ने अपनी काव्य-रचनाओं में सरल, व्यावहारिक भाषा का प्रयोग किया है। सीधे-सादे पदों में संत कवि ने हृदय के भाव बड़ी सटीकता से प्रकट किए हैं। इनका आत्म निवेदन, दैन्य भाव और सहज भक्ति पाठकों के हृदय को प्रभावित करती हैं। रैदास जी के चालीस पद सिक्खों के पवित्र धर्मग्रंथ 'गुरुग्रंथ साहब' में भी संकलित हैं।
    संत रैदास जी की ज्ञान-ज्योति से चित्तौड़ की झाली रानी, मीरां बाई सहित राजर्षि पीपाजी, दादूदयाल जी, धन्ना भगत जी एवं कबीर जी एवं तत्कालीन समय के सभी महान् संत प्रभावित हुए और इन संतों ने भी रैदास जी के ज्ञान और विवेक की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की। ये राणा सांगा की रानी झाली रानी के गुरु थे। जन मानस में इन्हें मीरा बाई के गुरु के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
    संत रैदास जी ने जात-पांत, ऊँच-नीच और सभी प्रकार के सामाजिक भेद-भावों का खण्डन कर सामाजिक समरसता का अमृत मंत्र दिया। राज्य सरकार ने राजस्थान धरोहर प्राधिकरण, जयपुर के माध्यम से चितौड़ीखेड़ा, चितौड़गढ़ में भव्य पेनोरमा का निर्माण करवाया है, जो संत शिरोमणि रैदास जी को जानने का उत्तम स्थान है। Copyright Rajasthan Heritage Authority, Jaipur

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