जुलाई में लगाओ ये 5 सब्ज़ियाँ 🍆🥒 - किसान को कर देंगी कर्जमुक़्त ॥ Vegetables to grow in July month

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  • Опубликовано: 4 июл 2024
  • जुलाई अगस्त में लगाई जाने वाली अगेती सब्ज़ियाँ :
    गोभी की सब्ज़ी :
    गोभी की खेती करने के लिए, इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
    खेत की मिट्टी बलुई और दोमट हो.
    खेत में पानी ना रुके.
    रोपाई से पहले खेत की अच्छी जुताई करें और गोबर की खाद डालें.
    खेत की नमी और उर्वरा शक्ति को देखते हुए, खाद, पानी, और वर्मी मिलाकर फिर से जुताई करें.
    अगेती किस्मों की बुआई मई के मध्य से जून के आखिर तक, मध्यकालीन किस्मों की बुआई जुलाई से अगस्त तक, और पिछेती किस्मों की बुआई सितंबर के मध्य से अक्टूबर के आखिर तक करनी चाहिए.
    बुआई या रोपाई ऊंची बेड़ या मेड़ बनाकर करें, ताकि निराई-गुड़ाई करना आसान हो और फसल में पानी जमा न हो.
    बीज बुवाई के बाद, ऊपर से सूखी घास की मल्चिंग कर दें.
    सुबह-शाम पानी डालते रहें, तीन से चार दिनों में जर्मिनेशन शुरू हो जाएगा.
    धीरे-धीरे शाम के समय घास हटा दें और पानी डालें.
    दो ग्राम बावस्टीन का घोल बनाकर छिड़काव करें.
    सात-आठ दिनों तक सुबह-शाम हल्की सिंचाई करते रहें.
    सात-आठ दिनों बाद हल्की गुड़ाई करें, ताकि खरपतवार भी निकल जाएं.
    नर्सरी तैयार होने में 40-45 दिन लगते हैं.
    जून-जुलाई के महीने में तेज़ गर्मी के साथ बारिश भी होती है, जिससे पौधे ख़राब हो सकते हैं, इसलिए कोशिश करें कि नेट के अंदर ही नर्सरी तैयार हो.
    मिर्ची की खेती :
    मिर्च की खेती के लिए आर्द्र उष्ण जलवायु और अच्छी जल निकास वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. मिर्च की खेती के लिए कार्बनिक बलुई दोमट, मध्यम काली दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 हो, सबसे अच्छी मानी जाती है. हल्की उपजाऊ ज़मीनें भारी ज़मीनों के मुकाबले अच्छी क्वालिटी की पैदावार देती हैं. मिर्च की रोपाई वर्षा, शरद, और ग्रीष्म तीनों मौसमों में की जा सकती है. खरीफ़ (जून-अक्टूबर) में होने वाली मिर्च की मुख्य फ़सल की रोपाई जून-जुलाई में की जाती है. शरद ऋतु में सितंबर-अक्टूबर और गर्मियों में फ़रवरी-मार्च में मिर्च की रोपाई की जाती है. मिर्च की फ़सल की अवधि आम तौर पर 140 से 180 दिनों की होती है. एक सीज़न में एक पौधे से लाल मिर्च का उत्पादन 8 से 10 बार लिया जा सकता है
    बैंगन की खेती:
    बैंगन की खेती खरीफ़ और रबी दोनों मौसमों में की जा सकती है. यह एक नकदी फ़सल है और इससे अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है. बैंगन की खेती के लिए इन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
    बैंगन की खेती 6x3 फ़ुट के हिसाब से करनी चाहिए. दो पौधों के बीच की दूरी 3 फ़ुट और दो कतारों के बीच 6 फ़ुट रखनी चाहिए. इससे पौधों को फैलने की जगह मिलती है और हार्वेस्टिंग भी आसान हो जाती है.
    बैंगन की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली ज़मीन का चुनाव करना चाहिए. बलुई दोमट से लेकर भारी मिट्टी जिसमें कार्बनिक पदार्थ की पर्याप्त मात्रा हो, उपयुक्त होती है. ज़मीन का पीएच मान 5.5-6.0 के बीच होना चाहिए.
    बैंगन के पौधे को अच्छी धूप वाली जगह पर लगाना चाहिए. अगर घर के गमले में बैंगन लगा रहे हैं, तो भी वहां धूप आनी चाहिए.
    बैंगन की खेती में ड्रिप इरिगेशन की मदद लेनी चाहिए, ताकि पानी भी बचे और पौधों की सिंचाई भी अच्छे से हो सके. जब भी मिट्टी का ऊपरी इंच सूख जाए, तो कंटेनरों में पानी डालें.
    रोपण के समय ओस्मोकॉट जैसे संतुलित, धीमी गति से निकलने वाले उर्वरक का उपयोग करें
    लौकी की खेती :
    लौकी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली ज़मीन चुनें. जीवाश्म युक्त हल्की दोमट ज़मीन, जिसमें पानी काफ़ी रुक सके, लौकी की खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है.
    लौकी की खेती के लिए गर्म और मध्यम आर्द्रता वाला भौगोलिक क्षेत्र सबसे अच्छा होता है. बीज अंकुरण के लिए तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस और पौधों की बढ़वार के लिए 32-38 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा रहता है.
    लौकी की बुआई नाली बनाकर करें. नाली की दिशा उत्तर से दक्षिण की ओर रखें और पौधों और बीजों को नाली के पूर्व की ओर रोपें.
    बारिश के मौसम में पौधों को मचान बनाकर उगाएं, इससे पौधों के गलने की समस्या कम होगी और उपज भी अच्छी होगी.
    लौकी के पौधों को नियमित रूप से पानी दें, लेकिन बारिश बंद होने पर एक दिन पानी न दें, ताकि पौधों को पानी की कमी न हो.
    लौकी की फसल में फूल-फलों की संख्या बढ़ाने के लिए, फसल में संतुलित मात्रा में खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
    भिंडी की खेती :
    भिंडी एक गर्म मौसम की सब्जी की फसल है और उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह से उगाई जाती है।
    यह कम रात के तापमान और सूखे के लिए अतिसंवेदनशील है। 17 डिग्री सेल्सियस से निचे बीज अंकुरित नहीं हो पाता है।
    विकास के लिए इष्टतम तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इष्टतम उपज प्राप्त करने के लिए 35 डिग्री सेल्सियस आदर्श है। 42°C से ऊपर के तापमान पर फूल झड़ जाते हैं और पैदावार कम होती है। भिंडी का पौधा गर्म मौसम की अपेक्षा बरसात के मौसम में लंबा होता है।
    पहली तुड़ाई अक्सर बुवाई के 40-45 दिन बाद या थोड़े दिन बाद होती है और तुड़ाई अक्सर किस्म के आधार पर होती है। चरम फलने की अवस्था में फलों को वैकल्पिक दिनों में या 2-3 पर तोड़ा जाता है। अधिकांश किस्मों में फल फूल आने के 10-12 दिन बाद रेशेदार हो जाते हैं। औसत उपज लगभग 10-12.5 t ha-1 है, ग्रीष्म ऋतु की फसल की उपज वर्षा ऋतु की तुलना में कम होती है और इसकी औसत उपज 4-6 t ha-1 है।
    #desijamidar #farming #multilayerfarming

Комментарии • 3

  • @rajinderchoudhary2146
    @rajinderchoudhary2146 11 дней назад

    Very good👍

  • @DeepakKumar-es5ep
    @DeepakKumar-es5ep 11 дней назад +1

    Ram Ram ji क्या हम लोकी ko एक ही खेत में हर साल लगा सकते हैं कि

  • @Lif892
    @Lif892 11 дней назад

    बगीचे में तोते बहुत नुकसान करते हैं, उनको भगाने के लिए कोई यंत्र हो उस पर विडियो बनाए