योग - साधना एवं संगीत। विश्व योग एवं संगीत दिवस पर विशेष।

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  • Опубликовано: 19 июн 2024
  • योग - साधना एवं संगीत।
    विश्व योग दिवस एवं विश्व संगीत दिवस पर विशेष।
    संगीत साधना व योग साधना दोनों से मनुष्य के जीवन में शक्ति का विकास होता है। अतः कहा जा सकता है कि शरीर तथा मन को स्वस्थ्य, प्रफुल्लित रखने के लिए योग शास्त्र व संगीत शास्त्र दोनों समान रूप से आवश्यक है। दोनों से शरीर, मन, मस्तिष्क स्वस्थ रहता है, एकाग्रता रहती है। योग की तरह ही संगीत से तनाव भी दूर होता है।
    संगीत में रियाज के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है। योग शास्त्र हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक है। मन की, मस्तिष्क की एकाग्रता, प्रसन्नचित्त व्यक्तित्व योग शास्त्र की देन है।
    संगीत में स्वरों की शुद्धता पर जोर दिया जाता है, पर योग शास्त्र में आसन व मुद्राओं पर जोर दिया जाता है। दोनों में ही स्वर व मुद्रा की श्रेष्ठता से आनंद और स्वास्थ्य पाया जा सकता है। इस दृष्टि से देखा जाए तो दोनों शास्त्र एक-दूसरे के पूरक हैं।
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