Pingala nadi blocked symptoms। इडा पिंगला सुषुम्ना। Pingala activation। pingala characheristics।
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- Опубликовано: 13 сен 2024
- Pingala nadi blocked symptoms। इडा पिंगला सुषुम्ना। Pingala activation। pingala characheristics। @Dhyankagyan777
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/ ravi.bhambri
डिस्क्लेमर
सभी से अनुरोध किया जाता है की चैनल पर उपलब्ध सभी सूचनाएं व जानकारी आदि लेते समय अपने विवेक का उपयोग करे, आपके किसी भी प्रकार के नुकसान के हम जिम्मेवार नहीं होगे ।
धन्यवाद ।
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This is my new channel of tour & travel :-
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You are welcome to join 😊❤️🙏
महोदय आप के विचार वाणी आप से पहले इस चैनल मे कोई और प्रस्तुत नही किया था आपकी वाणी मे सत्यता है,. धन्यवाद
धन्यवाद करता हुॅं मैं आपको आपने हमें सर्वोत्तम जानकारी इड़ा पिंगला और सुषुम्ना की प्रदान किए हैं इसके पुनः आपको धन्यवाद करता हुॅं।
जय गुरुदेव 🙏🙏🙏🙏🙏
Very informative
Thank you guru g, aap ne to meri life hi badal Di he. Aap ki sabhi videos badi prernadayak he.
Dhanyawad
Aaj mujhe apni sari samasya ka Uttar mila
Maine nadi shodhan karne start kiya hai 1 month ho gya hai
Ab right nasika se bhi pehle se zada sans ati hai
Thank you so much for this information..😇..this is what I really need to change...!!
बहुत सुंदर समझाया है आपने
आपके विचार बहुत सुंदर हैं बहुत उपयोगी हैं ईश्वर आपको और ऊर्जावान बनाएं धन्यवाद
Pranaam gurudev 🙏🏻 dhanyavaad
Valuable video guru ji❤
Thankyou archangel Michael thankyou universe.......786 views
Sadar pranam Aadarniya Guru g
Thanks for informative video
❤❤❤
👌 ATI sundar 👌💐
🙏
Hari om guru ji sukar he
Thanks
❤shukriya gurji muj he pingla nadi k bare me jaan na hai 🙏 suna hai pingla nadi activite se bahut se blockege khul.jate hai plz helpe 😢🙏bahut preshn hu mai prabhu 🙏
Ji apne sahi kaha
Maine dhyan diya hai meri left nasika zada chalti hai, mujhe thand zada lagti hai aur mai introvert aur shy hu, logon se milna julna zada pasand nahi aur sharirik sakti ka abav hai, shanti pasand hu, think zada action kam kam, bachpan me sardi khansi jaldi-2 ho jati thi, pani kam piti hu pyas nhi lagti, mera BP low rehta hai, atamvishvas ki kami
अगर आप अपने स्वभाव मे परिवर्तन लाना चाहते हैं और थोड़ा बहिर्मुखी भी यदि होना चाहते है तो आप अपनी पिंगला नाड़ी को एक्टिवेट करे। इसके लिए आप आप ठण्डी तासीर के खाद्य पद्धार्थ कम खाए और गर्म तासीर के खाद्य पदार्थ ज्यादा ले, जब भी लेटे तो अपनी बाइ करवट लेटे ताकि दाई नाक ऊपर आ जाये, ऐसा करने से इडा नीचे दबकर बंद हो जायेगी और दाई यानि पिंगला चल पड़ेगी
अनुलोम विलोम प्राणायाम का नित्य 10 मिनट प्रात काल अभ्यास करे। सूर्य भेदी प्राणयाम करे, मेहनत वाले शारीरिक श्रम वाले कार्य करे, एक्सर्साइज करे, इससे आपको लाभ होगा।
कुछ दिन के अभ्यास से ही आपकी पिंगला नाड़ी भी सक्रीय हो जायेगी
@@Dhyankagyan777 apka bohot bohot dhanyawad
@@Dhyankagyan7773:05
Meri gardan dhyan me peeshe ludk janti hai plz btaye kis nadi me blockge hai marg darshan kre
Dhanyavaad 🙏🙏
Thanks🙏
Thank you guruji🙏
Ida।।।।tamsik।।।।।।kafa।।।।।right brain।।।।।।mansik Shakti।।।।।।। अन्तर्मुखि।।।।।।।।night active।।।।।।।like rest।।।।।।planner
Nice❤️
बोहोत बढ़िया एक्सप्लेन किया , मुझे dipressoin की समस्या है मुझमें कौनसी नाडी एक्टिवेट है?
इडा नाड़ी के असन्तुलित होने से डिप्रेशन जैसे मानसिक विकार होते हैं।
Gru ji 🙏🙏🙏🙏🙏
Ok
Dono balence krneka liye kya kre guruji ?? Jis se dono balence rhe hameshak liye 🙏🌹 sath me balence k vidio bnaye
Dono balence krne k liye anulom vilom sahi hoga shukriya guruji 🙏🌹
Dhyan me mujhe bhut anand aata hai sirf bhagwan khojne ki isha hoti hai shant hota bilkul but kush time baad gardan peeshe ko ludk jati hai kya mera dhyan shi ja rha hai marg darshan kre mujhe rply kre plz bhut preshan hmm
❤️❤️❤️❤️🥰
गुरुदेव जी गुरुदेव जी हम आधा शरीर सुनना सा रहता है और आधे माथे आज फिर एक हाथ पर एक हाथ पैर में दर्द रहता है आधे शरीर में झुनझुनाहट सी महसूस होती है यह गुरुदेव जी इसका कोई उपाय बता दीजिए गुरुदेव जी आपका से धन्यवाद आप की मेहरबानी से 🚩🌺
क्या आपको य़ह तकलीफ ध्यान मे बैठने के दौरान होती हैं ?
Ha ji gurubev ji
@maya kanwar ध्यान के अभ्यास के दौरान पैर या शरीर के सुन्न होने के कई कारण हो सकते है।
पहला कारण शारीरिक होता है जिसमे लगातार बैठे रहने के कारण व दबाव पडने के कारण और शरीर मे हलन चलन ना होने के कारण रक्त संचार बाधित हो जाता है और शरीर सुन्न होने लगता है व दर्द करने लगता है । यह एक आम व समान्य समस्या है और समय के साथ साथ यह ठीक भी हो जाती है ।
दुसरा कारण, जब हम ध्यान मे दिर्ध अवधि के लिये स्थिर होकर बैठते है तो शरीर का परानुकम्पी तंत्र सक्रिय हो जाता है जिससे शरीर मे आक्सीजन की मात्रा सिमित होकर हृदय गति व श्वास गति धीमी पडने लगती है, परिणाम स्वरूप स्थूल शरीर की चेतना सिमटने लगती है और सूक्ष्म शरीर की चेतना विकसित होने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप हमको स्थूल शरीर मे संवेदनहिनता का अहसास होने लगता है, किंतु यह एक शुभ लक्षण है ।
तीसरा कारण, व्यक्ति का ध्यान की उच्चतम अवस्था मे पहुंच जाना है, जहां पंहुच कर व्यक्ति को देह भान खोने लगता है । लेकिन यह भी शुभ लक्षण है और ऐसा होने पर विचलित नही होना चाहिये और इसका स्वागत करना चाहिए ।
ध्यान मे बैठने के दौरान पैरों का या टाँगो का सो जाना या सुन्न हो जाना या दर्द करना एक समान्य समस्या है । इससे बचने के लिये बेहतर होगा की आप बैठने से पहले शरीर को विभिन एक्सरसाइज़ के द्वारा थोड़ा गर्म कर ले ताकि शरीर मे रक्त का संचार बेहतर हो जाये । वैसे तो बेहतर होता है की आप ध्यान मे अधिक से अधिक समय तक बिना हिले डुले ही बैठे, ताकी एकाग्रता भंग ना हो किंतु आपको जबर्दस्ती भी नही बैठना है इसलिये जब पैर सोने लगे तो आप टाँगे सामने की और सीधी करके बैठ जाये और कमर सीधी रखे, यदि कमर भी दुखने लगे तो दीवार का सहारा लेकर बैठ जाये, या कुर्सी पर भी बैठ सकते है । इस तरह शरीर की स्थिति को बदल बदल कर अपने को व्यवस्थित करते रहे । धीरे धीरे शरीर अपने आप बिना हिले डूले बैठने की अपनी श्रमता को बढ़ाता रहेगा ।
धन्यवाद गुरुदेव ji
i have flu and cough, should i activate pingla?
Yes
Also try Surya Mudra (I don't know, I saw RUclips video) 🙏
Guruje me 6 month se chair pe dhyan karte hu abhitak to kuch honahi Paya par jab achcha lagta hai to bahut muha ke undar bahut lar jama hote hey uske vajahse distop ho jata hey may pranayam bhi karte humuzekya Krna chahiye
Guru ji, charan sparsh! Suryabhedi se acha hai nadi shhudhi pranayam na kar liya jaye?
जी हां, य़ह बेहतर विकल्प है, आप ठीक कह रहे हैं।
Guruji sader namaskar aapke sabhi video mein bahut hi deep knowledge rhti hai . guruji meri pingla Nadi adhik chalti but meri meditation pingla se jyada achhi hoti hai but pranayam jyada achh treh se nhi hota hai.mujhe acidity bhi jyaada rhti hai.mujhe kya kr na chahiye.pl maatgdardhan kijiye.
Aapke btaaye hue lakshan mujh mei hai.sahi kehte hai
आपके पिंगला नाड़ी ओवर ऐक्टिव होने के कारण ही एसिडिटी हो रहीं हैं और इसी से शरीर मे पित्त कुपित होकर गर्मी बढ़ रही हैं, तब ऐसी स्थिति मे इस नाड़ी को आपको संतुलित करना ही चाहिए, ध्यान आपका और भी बेहतर लगेगा जब आपकी पिंगला की बजाय सुषुम्ना नाड़ी अधिक जागृत होगी।
अभी यदि आप अपनी एसिडिटी को खत्म करना चाहते हैं तो आपको शीतलता व संतुलन प्रदान करने वाले प्राणायाम जैसे चंद्र भेदी, सीतकारी, शीतली व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए । तामसिक और उत्तेजक आहार व गर्म प्रकृति का आहार नहीं लेना चाहिए और सात्विक व ठण्डी तासीर का आहार लेना चाहिए।
जब भी लेटे तो अपनी दाई करवट लेटे ताकि बाया नथुना ऊपर आ जाये, ऐसा करने से पिंगला नीचे दबकर बंद हो जायेगी और बाई यानि इडा चल पड़ेगी ।
इसके अलावा जब आप ध्यान मे बैठे तो आप जल मुद्रा यानि अपनी सबसे छोटी अंगुली को अपने अंगूठे से नीचे दबा कर रखे, इससे आपकी पिंगला नाड़ी शांत हो जायेगी।
Thanks dear guruji,aap hamesha merei smasya ka samadhan dete hai.meri left eye bahut fadakti hai ,kya yeh long deep breathing ki vjeh se hai ya pingla Nadi jyada chalne se .
Guruji aapka WhatsApp number please de denge.mei aapke paas aane mei asmarth hoon age ke karan.but aapki depth of knowledge se bahut hi prabhavit hoon..i wil follow your instructions.thank you guruji sader charan sparsh
@@meenasaxena9103 आपकी आंख फड़कने का कारण शारीरिक है, वस्तुतः आपकी आंखे थक रहीं हैं और ड्राई हो रहीं हैं, इसके इलावा मांसपेशियों मे वायु फंस जाने से भी फड़कन होती है, फोन और टीवी की स्क्रीन पर देर तक नजर जमाए रखना और नींद की कमी से भी ऐसा होता है।
ऐसी स्थिति मे आप भरपूर और गहरी नींद ले, विश्राम करे, तनाव ना करे और यदा कदा पलकों को कुछ सेकंड तक जल्दी जल्दी झपकाए, और कभी कभी आँखों को जोर से बंद करे और फिर ढीला छोड दे, इससे आपको राहत मिलेगी।
प्रणाम गुरूदेव.गुरूदेव मेरे सर मे भारी पण रहता है और दिल में हमेशा डर होता है कोई उपाय बताये
कृपया बताये की क्या आप कोई ध्यान आदि की क्रिया कर रहे हैं ?
Sir ji meri chanrma kamjor hai gussa bhut ata hai kisi vi baat ko samjh ni pata hu din bhar soch ta hi rha ta hu or garmi bhaut pagti hai dwai lekar tang agya hu
Aap har roj 15 minute, din me doh baar anuloam viloam pranayam kare, aapko laabh hoga
गुरुजी मेरा शरीर हमेशा ठंडा रहता है , और सर्दी भी हमेशा रहती है पसीना भी नही आता ।।और ठंड मुझे बिलकुल भी बर्दास्त नही होती dr मुझे अस्थमा कहा ही 2 सालो से क्या में सूर्य भेदी प्राणायाम कर सकती हू और कितनी देर तक करू और कौनसे समय पर करना चाहिए कृपया मुझे बताए 🙏
constipation kai karan always headache rehta hai, kia karoon?
आप सिर दर्द को भूल जाये और अपनी कब्ज की समस्या को दूर करने पर ध्यान दे क्योंकि आपके पेट से दूषित वायु सिर मे जाकर दर्द पैदा कर रहीं हैं, इसलिए कब्ज ठीक होते ही सिर दर्द भी ठीक हो जाएगा।
कॉन्स्टिपेशन, कब्ज यानी पेट की आंतों में मल का फंसना, जब हम भोजन करते हैं तो शरीर उसमे से पोषक तत्वों को अलग निकाल लेता हैं और बाकी जो बेकार का पदार्थ रहता हैं उसे शरीर मल द्वार में भेज देता हैं जो की पेट की बड़ी आंत से होकर गुजरता हैं.
जब यह मल पेट की बड़ी आंत से होकर गुजर रहा होता हैं तो यह आंतो में ही फंस जाता हैं. इसका आंतों में फंसने के पीछे यह कारण होते हैं - शरीर में पानी की कमी, कमजोर आंते, गाढ़ा भोजन, लिए गए भोजन में फाइबर नहीं होना. इन वजहों से आंतों में मल फंस जाता हैं.
जब यह मल आंतों में लम्बे समय तक फंसा रहता हैं तो धीरे-धीरे आंते और अधिक कमजोर होने लगती हैं और पेट के कई तरह के रोग उत्पन्न शुरू होने लगते हैं. शुरुआत में तो व्यक्ति को मल फंसने पर कब्ज की शिकायत होती हैं. जिसमे उसे मल त्यागने में परेशानी होती हैं, पेट भारी-भारी सा लगने लगता हैं, जी मचलना, भूख न लगना, पेट गाढ़ा हो जाना, पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आना आदि यह कब्ज के लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
इस तरह से आंतों में फंसा मल शुरुआत में कब्ज बनकर प्रकट होता हैं. जब यह मल ज्यादा समय तक आंतों में ही फंसा रहता हैं तो अनेक तरह की मानसिक, शारीरिक बीमारियां उत्पन्न होने लगती है।
कब्ज में पानी की बड़ी अहम् भूमिका होती हैं, जितना तरलता आपके शरीर में होगी उतने ही कम chances होंगे की आपको कब्ज रोग हो. इसलिए एक आदत बनाये रोजाना सुबह उठने के तुरंत बाद ही 2-3 गिलास पानी पिए. हो सके तो ताम्बे के बर्तन का पानी ज्यादा पिए.
रोजाना रात को सोते समय एक तांबे के जग या बड़े बर्तन में 3-4 गिलास पानी भर कर रख दें और सुबह उठकर इसका सेवन करे. यह कब्ज दूर करने के तरीके के साथ साथ कई रोगों को दूर करने में भी मदद करेगा. पेट के सभी रोगों से मुक्ति देगा.
कब्ज की बीमारी में जितना कम हो सके उतनी चाय पिए, या हो सके तो चाय कॉफ़ी पीना बंद ही कर दें. क्योंकि चाय कॉफ़ी कब्ज को बढ़ावा देती हैं ।
जामुन, अंगूर, सेब जैसे फलों का सेवन करे
हरी और पत्तेदार सब्जियों का सेवन करे
और अन्य सब्जियां जैसे Coconut, broccoli, spinach, carrots, cauliflower, brussel sprouts, artichokes और green beans का सेवन करे. भिंडी, पत्ता-गोभी इनका खासकर सेवन करे ।
कब्ज होने के पीछे यह भी एक कारण हैं की ज्यादातर व्यक्ति शारीरक श्रम नहीं करते क्योंकि उन्हें इसकी जरुरत ही नहीं लगती. उनके हर काम नौकर या और कोई कर देता हैं. लेकिन इससे आपके शरीर को बहुत नुकसान होता हैं. जैसे - ज्यादातर व्यक्ति दिन भर एक जगह पर पढ़े रहते हैं, कोई शारीरिक श्रम नहीं करते.
इससे सुबह शाम किया गया भोजन ठीक से पच नहीं पाता, यह पेट में अंदर ही अंदर सड़ने लगता हैं. पेट की चर्भी को बढ़ाने लगता हैं, आलस्य को बढ़ाने लगता हैं आदि. तो आप अपनी जीवन शैली में एक बदलाव यह भी लाये की रोजाना या एक दो दिन की गैप में शारीरिक श्रम करना शुरू करे.
शारीरिक श्रम यानी ऐसा काम या ऐसी क्रिया जिसमे आपके शरीर की अच्छी कसरत हो जाए, आपको पसीना छूट जाए. आप क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस आदि खेलों में हिस्सा ले सकते हैं अगर आप यह नहीं कर सकते तो रोजाना सुबह सूर्योदय के समय और रात को भोजन करने के आधे-घंटे बाद 1-2 Km पैदल चलना शुरू करे.
निम्बू पानी कब्ज दूर करने के लिए बेहतरीन उपाय हैं. रोजाना सुबह उठने के बाद खाली पेट 1-2 निम्बू को एक गिलास पानी में निचोड़कर पिए. इससे पेट के सभी रोगों में बहुत लाभ मिलेगा. मोटापा, पाचन तंत्र, भूख कम लगना, लेटरिंग न आना, मल त्यागने में परेशानी होना आदि इन सब में बहुत लाभ देगा.
इसके इलावा पानी को हमेशा घुट घुट करके पीए क्योकि घुट घुट करके पानी पिने से लार पानी के साथ मिलके अंदर जायगी और जितनी ज्यादा लार आपके पेट मे जायगी पेट उतना ही साफ होगा. तो इसीलिए या तो ज्यादा चबा के खाने की आदत डाले तो भी लार ज्यादा पेट मे जाएगी नहीं तो पानी को घुट घुट पीना शुरू करे तो इन सबसे पेट साफ होता है।
Guruji m ek student hu
Esa koi upay btaye ki jo padhu vo yaad hojae or vo kbhi m bhulu nhi
Pranam
ध्यान के अभ्यास से हमारी याद रखने की क्षमता विकसित होती है।
और ना केवल मेमोरी पॉवर ब्लकि बहुत सी मानसिक योग्यताएं जैसे संकल्प शक्ति, आत्म विश्वास और एकाग्रता की शक्ति का भी इससे विकास होता है ।
जब हम ध्यान का अभ्यास करते है तो हमारे शरीर का para sympathetic nervous system एक्टिवेट होता है जो मस्तिष्क के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है, जितना ध्यान के अभ्यास से मस्तिष्क शांत होगा उतनी इसकी ताकत बढ़ेगी।
अगर किसी की यादाश्त कमजोर हो तो उसके कई कारण होते है जैसे की आयु वृद्घि, कोई शारिरिक या मानसिक रोग, अपर्याप्त आहार, मादक पदार्थों का सेवन, अनुचित जीवन शैली, तनाव, नींद की कमी आदि । किंतु अगर हम अध्यात्मिक रूप से इस समस्यया का चिंतन करे तो पायेगे की हमारी चेतना की कमी व प्राण ऊर्जा की मस्तिष्क मे कमी के कारण यह समस्या होती है ।
अतः इसके निदान के लिये मस्तिष्क मे चेतना व प्राण ऊर्जा का बढ़ाना बहुत आवश्यक है । इसके लिये आप सुर्य नमस्कार, शीर्षासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, जल नेति, त्राटक आदि योग क्रियाओं का नित्य अभ्यास करे एवं वैध के परामर्श से ब्रह्ममी बूटी, जटामांसी, शंखपुष्पि आदि औषधियों का सेवन करे । रोज सिर की सरसों के तेल से मालिश करे ।
हर रोज ध्यान साधना करे । इसके लिये आप कोई सी भी मन को एकाग्र करने की विधि कर सकते है ।
याद रखे, जो व्यक्ति अनुपस्थित मन ( absent mind ) के साथ ज्यादा जीता है उसी की यादाश्त ज्यादा कमजोर होती है क्युकी जब आप कोई क्रिया अनुपस्थित मन के साथ करते है तो उसकी छाप मस्तिष्क पर अंकित नही हो पाती है, और बाद मे फिर वह क्रिया याद करने पर याद नही आती है । किंतु जब भी आप कोई क्रिया उपस्थित मन ( present mind ) के साथ करते है तो उसकी स्पष्ट छाप मस्तिष्क पर पड़ती है और बाद मे वह बात बहुत आसानी से याद करने पर याद आ जाती है । अतः जितना हो सके उतना उपस्थित मन के साथ अपने जीवन की सभी क्रियाएं करे ।
आप प्रेजेंट माइंड होकर अपनी स्टडी करे, इससे आपकी मेमोरी बढ़ेगी ।
toh kiya sushumna sattavick hain
Can you balance the imbalance three nadis
Everybody can balance the imballenced nadies, there are ways for it which i have menstioned in this video, for keeping these nadies balanced one should pay attention to his life style, eating habits and should pay attention that how is his way of thinking and feelings ext, beside this he should practice daily yoga &meditation and especially he should practice anuloam viloam pranayam to keep the nadies in balance
Guruji pranam
Guruji mai apna dhyan 4step me karta hu prakash bhi anubhaw hota hai par kabhi kabi Aisa hota hai ki 2re ya 3re step me hi prakash hone lagata dhyan automatic prakash ki or gati karne lagta hai Shakti sidhe thard eyi me jane lagta hai es sthiti me kya banki step nahi karna hai ya sab ko follow karna hai. Marg pradan kare ....pranam 🙏
अगर तो आपका उस समय, जब आपका ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित हो जाता है, और जब ऊर्जा भी इसी चक्र पर इकट्ठी होने लगे और आप इसमे पूरा एकाग्र हो जाते हैं और एक लयबद्धता यदि आपकी ऐसी स्थिति मे बन जाती है तो इस फ्लो को तोड़ना नहीं चाहिए और बाकी के स्टेप छोड़ कर इसी मे लिन हो जाना चाहिए।
Kya mai sahi dhyan kar raha hu
अगर ये लक्षण जिनका जिक्र आपने किया है तो आपका ध्यान सही है।
Sir,
प्रकृति के तीन गुनो से ऊपर कैसे उठे
तमस
रजस
सतव
प्रकृति के तीन गुणों से ऊपर उठना बहुत बड़ी बात है और य़ह अंतिम सोपान है लेकिन उससे पहले हमें तीनों गुणों मे संतुलन लाना सीखना होगा जो उससे नीचे का पायदान है और एक बार यदि तीनों तत्व संतुलित हो जाये तो इनसे ऊपर उठने की घटना स्वयं ही परिणाम स्वरूप घट जाती है।
हमें अपना स्वाभाविक और समान्य जीवन जीने के लिए तीनों गुणों की आवश्यकता है और इन तीन गुणों के मिश्रण मे ही हमारे सफल जीवन की नींव पड़ती है।
अतः य़ह आवश्यक है की हम शिखर को ना देखकर नीव को देखे और तीनों गुणों की जो जो जरूरतें है वो स्वयं मे पूरी करे और आगे बढ़े।
जीवन में क्रियाशील रहने के लिए रजस की, विश्राम के लिए तमस की और शांति के लिए सत्व की आवश्यकता रहती है अगर जीवन में तीनों गुणों की समुचित और संतुलित उपलब्धता व्यक्ती अर्जित कर लेता है तो यही अपने आप मे एक बड़ी उपलब्धि होगी।
योग व ध्यान के अभ्यास से इस उपलब्धि को हम प्राप्त कर सकते हैं।
@@Dhyankagyan777
धन्यवाद ☺️☺️
Gurujii pranaam, brahmamuhurta mein kaun si naadi active hoti hai ? Main brahmamuhurta mein uth kar meditation karta hoon to Agya chakra mein koi vibration nahi feel hoti hai, lekin shaam ko karta hoon to vibration feel hoti hai, ye nadi ke karan ho rha hai kya, mera maargdarshan kare, pranaam 🙏
ब्रह्ममुहूर्त मे अधिकतर सुषुम्ना नाड़ी एक्टिव रहती है और दिन में अधिकतर पिंगला और रात मे इडा सक्रीय रहती है।
आपके आज्ञा चक्र पर वाइब्रेशन का कारण आपकी प्राण ऊर्जा मे उतार चढाव के कारण हो सकता है, चूंकि सुबह आपकी ऊर्जा अक्रिय होने के कारण व शाम को आपकी ऊर्जा अधिक सक्रीय रहने के कारण ऐसा हो सकता है जैसा आप कह रहे हैं।
किन्तु इस बात को इतना नहीं सोचना चाहिए, ऊर्जा रहस्यमयी ढंग से भी बरताव करती रहती है अतः बेहतर होगा आप अपना ध्यान अपनी विधि को सफ़लतापूर्वक करने में लगाए रखे, फिर चक्र पर जो भी अनुभव हो, उसे सब प्रकार से स्वीकार करे।
@@Dhyankagyan777 गुरु जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपके मार्गदर्शन के लिए |
Thank you,
Kya hypothyroidism pingla nadi ki kam sakriyata se hota he?
Hypothyroidism की समस्या हॉर्मोन के असंतुलन से पैदा होती है जिसमें मानसिक या भावनात्मक तनाव मुख्य कारण होता है।
ऐसी स्थिति में आपको उज्जयी प्राणायाम, महामंत्र औम का उचारण करना चाहिए और योग के विभिन्न आसन जैसे भुजंग आसन, सर्वांग आसन, धनुरासन आदि का अभ्यास करना चाहिए।
इसके इलावा अपने हाथ की दो अंगुलियों से अपने गले पर धीमे धीमे से उपर से नीचे की और मालिश करनी चाहिए और गर्दन की विभिन्न सूक्ष्म व्यायाम की क्रियाएं करनी चाहिए।
Thank you so much
Pranam guruji 🙏🙏 mere kuch chakra jagrit hai lekin mujhe baki ka chakra jagrit karne k liye muskil ho rahi hai kya main aap k pass Jake kundalini sadhna kar sakti hun
Abhi hamare yog kendr me kewal local logo ke aane ki hi vayvastha hai, isliye aap kewal tabhi aa sakte hai jab hamara koi meditation shivir hoga or jab bhi hamara meditation camp lagega toh hum sabko inform karege
@@Dhyankagyan777 Aap jaha local logo ko sikhate ho usska adress milegi toh main khud waha ja sakti hun agar aapki agyan ho🙏🙏
Hamara yog and meditation centre yamuna nagar city Haryana me hai but abhi hamari vaha par meditation ki nahi balki kewal yoga for fitness ki daily classes chal rahi hai, meditation hum only camps ke dauran hi karwate hai
Mujhe dhyan karte samye neend aa jati h or m baithe baithe soti rahti hu bina hile dule ye kyu hota h
नींद और ध्यान मे कुछ समानताए होती है, इस कारण कई बार ध्यान से उठने के बाद कन्फ्यूजन हो जाता है की मैं ध्यान मे था या नींद मे, और कई बार ऐसा होता है की अधिकतर तो आप ध्यान मे ही होते हैं लेकिन बीच मे आप थोड़ी देर के लिए नींद मे भी चले जाते हैं, तो दोनों बातें मिक्स भी हो जाती है।
मुख्यतः यदि ध्यान से उठने के बाद आप जागरुक और फ्रेश महसूस करते हैं और शांत महसूस करते हैं तो मतलब आप ध्यान मे थे लेकिन यदि आप ध्यान से उठने के बाद आप थके हुए और आलस्य महसूस करते हैं तो आप नींद मे थे।
इसके इलावा ध्यान के दौरान आपको विचार आयेगे लेकिन नींद के दौरान आपको सपने आयेगे।
अगर आपको ध्यान से उठने के बाद य़ह समझ नहीं आता की य़ह नींद थी या ध्यान, तो इसका मतलब य़ह तंद्री थी, तंद्री चेतना की एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें व्यक्ती आधा सोया होता है और आधा जागा होता है, य़ह एक सम्मोहित अवस्था होती है । य़ह संपूर्ण रूप से ध्यान तो नहीं है लेकिन इससे कुछ हद तक शरीर और मन तनाव रहित जरूर हो जाता है।
अक्सर ध्यान मे बैठे बैठे कई बार नींद आने लग जाती है, ऐसा इसलिये होता है की थोडा सा ध्यान लगते ही हमारा मन शांत होने लगता है, श्वास व हृदय गति मंद पडने लगती है, और जब यह लक्षण शरीर मे होने लगते है तो मस्तिष्क को सन्देश जाने लगता है की अब व्यक्ति को सुला दो, क्युकी मस्तिष्क को लगता है की आप सोना चाहते है, क्युकी यही सारे लक्षण तब भी होते है जब हम रात को सोने लगते है तब भी यही शांत शरीर की स्थिति बनती है जो ध्यान के दौरान बनती है । इसलिये पारस्परिक साहचर्य नियम के अंतर्गत मस्तिष्क हमे सुलाने की कोशिश करने लगता है ।
ध्यान के दौरान नींद मे चले जाना कोई बुरी अवस्था नही है किन्तु यह कोई उच्च अवस्था भी नही है । यहा तक की शुरुवाती कदम मे नींद मे चले जाना लाभ भी करता है क्युकी जो नींद हमे ध्यान के दौरान लगती है वह कोई साधरण नींद नही होती, यह नींद हमारे गहरे विश्राम से निकल कर आती है, योग मे इस नींद को "तांदरी" बोला जाता है, इस नींद की महता साधरण नींद से बहुत अधिक होती है, इस नींद की दस मिनट की झपकी घंटो की साधरण नींद के बराबर होती है । इसलिये जहा तक साधरण स्वास्थ की बात है तो यह समोहित अवस्था की अर्ध चेतन निद्रा जिसमे आप आधे जागे होते है और आधे सोये होते है, बहुत अच्छी है, यह हमारे शरीर को गहरा विश्राम देकर तनाव को दूर करती है, लेकिन अगर हम अपना अध्यात्मिक विकास करना चाहते है तो फिर यह नींद एक बडी बाधा ओर रुकावट है ।
तब हमे अपनी कुछ आदतों मे सुधार करके इस नींद से बचना चाहिये, जैसे अपने शरीर मे एकत्रित हुए विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकालकर शरीर शुद्ध करे, ध्यान के समय खाली पेट बैठे,
अपनी अति विश्राम प्रियता को थोडा संयमित करे, आदि ।
ध्यान के दौरान नींद से बचने के लिये इन बातो का ख्याल रखे : -
1) लेटकर ध्यान ना करे, हमेशा बैठकर रीढ़ को सीधा रखते हुए ध्यान मे बैठे ।
2) खाना खाने के बाद ध्यान मे ना बैठे, हमेशा खाली पेट या खाना खाने के 3 या 4 घन्टे के बाद ध्यान मे बैठे ।
3) निश्चिंत करे की आप रात्रि की 8 घंटे की अपनी पुरी नींद ले रहे है या नही ।
4) जब बैठे बैठे नींद आने लगे तो थोडी देर खड़े होकर टहल ले और फिर बैठ जाये
5) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये योग के स्ट्रेचिंग के कुछ आसन अथवा धीमी व्यायाम की क्रियाए कर के शरीर को वार्म अप कर ले ।
6) ध्यान के दौरान पूरी तरह से अपनी चेतना को जागरुक व पैना रखे की कही से भी नींद आक्रमण ना कर पाये ।
7) ध्यान मे बैठने से पहले नहा धो कर या मूह हाथ पैर आदि धो कर बैठे, आँखो मे पानी के छींटे मारे ।
8) यदि आप चाहे तो बैठने से पहले दो घूँट चाय, कॉफी आदि के ले ले ।
9) शुरुवात मे एकदम, जबकि आपको अभी आदत नही है तो सुबह-सुबह 3 या 4 बजे ध्यान मे ना बैठकर शाम के समय पहले बैठे ओर जब आदत हो जाये तो ब्रहम मूहर्त मे बैठे ।
10) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये प्राणायाम करे, ऐसा करने से मस्तिष्क मे आक्सीजन की मात्रा बढेगी और जागरुकता आयेगी ।
Guru g m dhyan Sadhna krti thi pr sb ak sal se chod diya kyoki m bhut preshan ho gai thi mere sir bhynkr rup se upr ki or khichta h muh or jbda bhi jise koi cheej bahr niklna chahti ho sir me hr vkt kuch gas kisa ghumta rhta h mere doctor ko bhi dikhaya pr koi problem samne nhi aai m bhut preshan hu sir hmesha upr khichta rhta h m kisi bhi cheej pr focus nhi kr pa rhi ksi se koi marg drshn nhi mil pa rha smjh nhi aata kya kru aapki sari videos bhi dekhti hu
Guru g pet me gas ki problem bhot hoti h Dhyan me b pet me dard hone lgta h Kuch btaye guru g pet ki smsyao se kaise chutkara paye ki pet or rid ki haddi me dard na ho
Dhnywad Dhnywad Dhnywad Dhnywad guru g
इसका मतलब है की आप के शरीर मे पित्त बढ़ा हुआ है और आपकी पिंगला नाड़ी तेज चल रहीं हैं, कहीं आपके आहार विहार मे आप ग़लती कर रहे है, बेहतर होगा की आप कुछ समय के लिए चाय कॉफ़ी, तला भुना व वायु कारक खाना और गर्मी पैदा करने वाली वस्तुएं बिल्कुल छोड दे और केवल सादा व पोष्टिक आहार ले, पानी खूब पीए। खाना खाने के बाद हल्का टहलने की आदत बनाए, स्ट्रेस व तनाव से बच के रहे, भोजन अल्प मात्र मे ले और भोजन करते समय बोले बिल्कुल मत, भोजन करने के बाद वज्र आसन मे भी बैठा करे।
इसके अलावा पित्त के संतुलन के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे, इससे आपकी नाड़ी शुद्धि होगी और विकार खत्म होगा।
Gurudev kya anulom vilom raat me kar sakte hai kya?🙏🙏
कर सकते है।
Aap kahapar ye yog our dhyan shikhate hay ?
हरियाणा प्रांत के यमुना नगर शहर मे हमारा योग केंद्र है जहां पर हर रोज प्रातः काल से साय काल तक योग की कक्षाएँ चलती है।
जब मैं बिंदू त्राटक करता हु,
तब मुझे बिंदू सफेद रंग का ही दिखता है लेकीन
कागज पर नीला रंग दीखता है,
मार्गदर्शन करिये गुरुजी .🙏🙏
ध्यान मे या त्राटक मे नीला रंग दिखना बहुत शुभ होता है इसका अर्थ आपका आज्ञा चक्र व आकाश तत्व सक्रीय हो रहा है।
ऐसा ध्यान के अभ्यास के दौरान स्वाभाविक रूप से होता है जिसका कारण है शरीर के तत्व । हमारा शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है और हर तत्व का अपना एक रंग है । पृथ्वी तत्व का रंग पीला, जल तत्व का रंग सफेद, अग्नि तत्व का रंग लाल, वायु तत्व का रंग मटमैला और आकाश तत्व का रंग नीला होता है । अतः आपके शरीर मे जिस तत्व की भी प्रधानता होगी आपको अधिकतर उसी तत्व के रंग का प्रकाश ध्यान के दौरान नज़र आयेगा । लेकिन अगर आपको एक से अधिक रंगो का प्रकाश यदि दिखाई दे तो मतलब एक से अधिक तत्व प्रधानता मे आ रहे है।
आपको नीला रंग दिखने का इतना ही अर्थ है की आपका आकाश तत्व विकसित हो रहा है।
दूसरा, ध्यान के अभ्यास मे जब ऊर्जा जागृति मे आती है तो हमें अपने भीतर सूक्ष्म शरीर के अंदर इसी ऊर्जा के स्वरूप को हम प्रकाश और रंगो के रूप मे देखते हैं।
इस प्रकार का अनुभव बहुत सुन्दर और बहुत शुभ होता है।
@@Dhyankagyan777 धन्यवाद गुरुजी
Aap ke sath kese mil paye
I am sorry to say, lekin main abhi milne ki situation me nahi hu, lekin yadi aap caahe toh apni baat comment ke madhyam se puch sakte hai
Good morning sir,
Sir mujhe anxiety, heart beat badhna, insomnia, dipression, indigestion, nervous problem, kuchh karna kami or kamukta he toh iss se koin c nadi problem he or iske liye kya karna hoga plz and.
आपके लक्षण अनुसार आपके सेंट्रल नर्वस सिस्टम में असंतुलन आ चुका है जिससे आपकी दोनों नाड़ियों मे प्रभाव पढ़ रहा है।
ऐसे मे स्थिति मे सुधार के लिये उदासी का यानि की डिप्रेशन या नकरात्मक विचारों के आने का स्वयं के भीतर कारण खोजे । जैसे की :-
क्या आपको कोई तनाव या चिन्ता है ? क्या आप कोई मादक पदार्थ का सेवन करते है ? क्या आपके मित्र या घर मे जिस सदस्य के भी नजदीक आप ज्यादा रहते है वह व्यक्ति नकरात्मक है या दुखी है ? क्या आपको कोई किसी प्रकार की सामजिक, आर्थिक असुरक्षा है ? क्या आपको कोई कभी मानसिक रोग हुआ है ? क्या आपके अंदर जीवन के प्रति उत्साह व जोश की कमी है ? क्या आपने अपने जीवन का कोई सकरात्मक उदेश्य बनाया है ?
इन सब कारणों मे से यदि कोई कारण आपके जीवन मे है तो सब से पहले उसको दूर करे ।
इसके इलावा निम्न बातों का ध्यान रखे :-
1) नित्य प्रति प्रातः काल अथवा सायकाल हरियाली वाले वातावरण मे लंबी सैर करे या दौड़ लगाये। अनुलोम-विलोम, सुर्य भेदी, भस्त्रिका, कपालभाति, भ्रामरी आदि प्राणायाम तथा सूर्य नमस्कार आदि व्यायाम करे, एक्सरसाइज़ करे । औम का उचारण करे । इन सब क्रियाओं को करने से आपके मस्तिष्क मे व शरीर की हर नस नाडि मे रक्त का व प्राण वायु का संचार बढेगा जिससे आपके अंदर आत्म विश्वास व उत्साह बढेगा ।
2) हमेशा सकारात्मक व खुश मिजाज लोगो के साथ रहे और नकरात्मक जनो के संग ना रहे ।
3) अपना मनपसंद संगीत सुने, नृत्य व गायन आदि मे रूचि ले ।
4) अपने आप को सम्पूर्ण रूप से व्यस्त रखे, खाली ना बैठे, खुब मेहनत वाले कार्य करे, अपने व्यवसाय मे अपना ध्यान लगाये, परिवार के साथ व बच्चों के साथ बैठे व हसे खेलें । बागवानी करे । सृजन करे अपने पनसदीदा व हॉबी वाले कार्य करे
5) अपने माता पिता, वृद्ध जन, अनुभवी जन, जानकार व योग्य जन, मित्र जन, गुरु जन के प्रति विश्वास रखे, इनसे निकट संपर्क करे व परामर्श आदि ले ।
6) अपने ईष्ट देवी देवता व परमात्मा से हृदय से व भाव से व समर्पण के साथ इनको प्राथना करे व इन पर श्रधा रखे ।
7) नित्य प्रति किसी योग्य जन से सिख कर ध्यान का अभ्यास करे
8) अपने आहार मे हरी सब्जियां, फल, सलाद, दूध, दही, लस्सी आदि ले अवम तला भुना खाना, मांसाहार, मदिरा आदि ताम्सिक भोजन त्याग दे । किसी वैध से परामर्श करके ब्रह्ममी बूटी, आवला, त्रिफला चुरण, च्वन्प्रश आदि का सेवन करे ।
9) रात्रि को 8 घंटे की गहरी नींद ले ।
10) मृत्यु से भय ना करे, अध्यात्मिक साहित्य का अध्यन करे व गुरु जनों से ज्ञान लेकर मृत्यु को सकरात्मक रूप से स्वीकार करे । अगर आपकी आर्थिक स्थिति ठीक नही है तो उसको ठीक करने का प्रयास करे ।
@@Dhyankagyan777 financial situation he, or ghar me logo se thik nahi he , or jiske sath rehta hnu wo negative he ( according to my view). Har waqt criticize he. Dost toh jyada nahi he, kamai nahi he isisliye samaj me ya logo ki beech me meri jyada pradhanta nahi he
Ayurvedic doctor dikha ya tha or sir jo medicine di he wo charak company ki di he. Uss me jyada asar nahi he . Pahle koi baat par anger aata he toh wo toh dimag par utna effort nahi deta tha. Abhi chhoti baat par kaha suni ho jaye toh wo baat ghumti rehti he dimag me, headache hota he neend nahi aati he.
I can understand your situation, maine aapko jo remedy batai hai aap un ko pryog kar ke dekhe ya fir kisi or acche expert say consult kare, meri jankari itni hi hai
My ida nari is over active😢
Mera name jyoti hai
Age - 31
Child -2
Both delivery C-section
Mere body ka right side bhut dard deta hai
Point 1-
Back side of head bhut dard hota hai
Point 2-
Gardan ke niche matlab kande pe pass
Sujan rehati hai
Bhut dard hota hai
Kuch heavy work nhi kr sakati jyada
Point 3-
Ye right kulhe ke bich ka portion bethane bhi nhi deta.
Wo side me so nhi sakati
Point 4- ghutna
Eska to puchiye mat
Uthana baithana problem
Kat kat aawaj aati hai
Bhut pain hota hai
Aaram krna padta hai din me nhi to bhut taklif
Point-5
Anguli ke pass ka finger tak dard hota hai
. matlab sir se leg tak dard.
Pani me kaam kiya to chalana bhi mushkil hota hai
क्या आप बता सकते है बिमारी क्या है और मे क्या उपाय करू?
आपके शरीर मे वायु कुपित हो रहीं हैं, मतलब आयुर्वेद के अनुसार आपका वात दोष बढ़ा हुआ है और आपकी वायु आपके जोड़ों मे घुसकर दर्द पैदा कर रहीं हैं, आपके घुटनों मे वायु वृद्धि के कारण खुश्की हो गई है जिससे उनमे से कट कट की आवाज आ रही है।
बेहतर होगा की आप किसी अच्छे चिकित्सक से मिले और उनसे राय ले और उनकी सलाह लेकर तिल के तेल से शरीर की मालिश करे, धूप मे बैठे और अपने खान पान मे वायु उत्पन करने वाली चीजों का सेवन नहीं करे और गर्म पानी से स्नान किया करे और गर्म पानी पिया करे।
Mujhe 8 saal se loose motions ki problem hai .meri kaun si nadi disbalance hai.i think it's pingla nadi.mere right side ke energy channels depleted rehti hai.how to balance pingla nadi.please reply
जब पिंगला नाड़ी ओवर ऐक्टिव हो जाये तो शरीर मे पित्त कुपित होकर गर्मी बढ़ जाती हैं, तब ऐसी स्थिति मे इस नाड़ी को संतुलित करने की आवश्यकता होती है।
ऐसे मे व्यक्ती को शीतलता व संतुलन प्रदान करने वाले प्राणायाम जैसे चंद्र भेदी, सीतकारी, शीतली व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए । तामसिक और उत्तेजक आहार व गर्म प्रकृति का आहार नहीं लेना चाहिए और सात्विक व ठण्डी तासीर का आहार लेना चाहिए।
जब भी लेटे तो अपनी दाई करवट लेटे ताकि बाया नथुना ऊपर आ जाये, ऐसा करने से पिंगला नीचे दबकर बंद हो जायेगी और बाई यानि इडा चल पड़ेगी ।
इसके अलावा जब आप ध्यान मे बैठे तो आप जल मुद्रा यानि अपनी सबसे छोटी अंगुली को अपने अंगूठे से नीचे दबा कर रखे, इससे आपकी पिंगला नाड़ी शांत हो जायेगी।
@@Dhyankagyan777 sriman ji meri left swar zyada chalta hai most of the time ,pingla Nadi block hai ,pet mein jatharagni disbalance hai aur shayad nabhi bhi apne stahn se hati Hui hai.agar main apne left and right hands ko straight apne samne rakhti hoo to right hand neeche jhuk jata hai aur left hand controlrin rehta hai.mujhe lagta hai pingla Nadi dabi hui hai.baki ishwar jane
अगर ऐसी स्थिति है तो और भी बेहतर होगा की आप अनुलोम विलोम प्राणयाम का हर रोज सुबह व शाम 15-15 मिनट तक अभ्यास करे, इससे चाहे आपकी इडा नाड़ी असन्तुलित हो या चाहे पिंगला नाड़ी असन्तुलित हो, इससे आपकी दोनों नाड़िया संतुलित हो जायेगी।
@@Dhyankagyan777 dhanyawad
@@Dhyankagyan777 sir main jab bhi anulom vilom karti hoo to mujhe right nostril se saans lene mein pareshani hoti hai aur jab zyada zor lagane se swas bharne ki koshish karti hoo to uper sir mein azeeb sa hone lagta hai.
मेरा सर भारी सा रहता हैं उसके लिये करना चाहिए
क्या आप कोई ध्यान आदि की क्रिया का अभ्यास करते हैं ?
गुरुजी मैं बहुत ही डरपोक और दब्बू हूं इसका क्या उपाय है?
डर हमारी असुरक्षा की भावना से जुड़ा है जो मूलाधार चक्र की कमजोरी से पैदा होता है अतः आपको अपने मूलाधार चक्र की साधना करनी चाहिए ।
इसके इलावा भय मुक्त होने के लिये भय की जांच पड़ताल करे । अधिकतर भय का कारण हमारे बचपन की परवरिश मे छिपा होता है । पुराने समय मे बच्चों को आज्ञा कारी बनाने के लिये उनको विभिन्न तरीकों से डराया जाता था और फिर वही ड़र सारी जिन्दगी के लिये उनके कोमल मन मे व उनके अवचेतन मे बैठ जाता है ।
दूसरा कारण होता है की हम जीवन को किस नजरिये से देखते है, एक जैसी परिस्थति मे एक व्यक्ति तो मजे से रह लेता है जबकी दूसरा व्यक्ति उसी परिस्तिथि मे भय का शिकार हो जाता है । अथार्त अगर आप जीवन मे बहुत गम्भीर यदि होगे, चीज़ो को व परिस्तिथियों को स्वीकार नही करेगे, अपना चिंतन नकरात्मक बना कर रखेगे, बाहर से अनुचित व नकरात्मक सूचनाएँ अपने भीतर संकलित करेगे तो आप मे भय आयु के साथ साथ बढता ही चला जायेगा ।
ऐसे मे भय मुक्ति के कुछ उपाय है जैसे : जीवन मे सांसारिकता को कम व आध्यात्मिकता को अधिक स्थान दे, लंबी आयु का मोह त्याग कर मृत्यु को मानसिक रूप से स्वीकार करे, अपने नित्य प्रति के जीवन मे योग, व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान, ज्ञान को सर्वोच्च स्थान दे, मस्तिष्क को मजबूत बनाने वाली व होश को विकसित करने वाली आर्युवेदीक जड़ी बूटी ले जैसे ब्रह्मी, अश्वगंधा आदि । किसी प्रकार का भी व्यसन जो मस्तिष्क को कमजोर करे उसे ना करे । किसी भी प्रकार के हालात या संकट आदि से निपटने के लिये खुद को मानसिक रूप से हमेशा तेयार रखे । हमारे अधिकतर भय भविष्य आधारित व काल्पनिक होते है जो कभी घटित नही होते, इस तथ्य को सम्झे । भय की जड़े हमारे चेतन नही अपितु अवचेतन मन मे होती है अतः कभी भी ऐसी बाते ना देखे ना सुने और ना करे जो आपके अवचेतन मन मे जाकर आपको कमजोर करे । रोज 8 घन्टे की गहरी नींद ले, तनाव व चिंता करने की आदत से बचे और अपनी पिंगला नाड़ी को ज्यादा स्ट्रॉन्ग बनाय।