आचार्य श्री राधा वल्लभ त्रिपाठी जी को सादर नमस्ते। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज को शत् शत् नमन्। आर्य समाज अमर रहे वेद की ज्योति जलती रहें।। ओउम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।। आर्य पुत्र।।
प्रामाणिक, पूर्वाग्रहमुक्त व शोधपरक प्रस्तुतीकरण। हिंदी के प्रख्यात लेखक जयशंकर प्रसाद ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास 'तितली' में इस घटना का विवरण देते हुए स्वामी दयानन्द के पक्ष का ही समर्थन किया है। उपन्यास का सम्बद्ध अंश निम्नवत है - किसान आसामियों में एक देवनन्दन भी थे। मैं उनका आश्रित ब्राह्मण था। मुझे अन्न मिलता था और मैं काशी में जाकर पढ़ता था। काशी की उन दिनों की पंडित मंडली में स्वामी दयानन्द के आ जाने से हलचल मची हुई थी । दुर्गाकुंड के उस शास्त्रार्थ में मैं भी अपने गुरुजी के साथ दर्शक-रूप से था; जिसमें स्वामीजी के साथ बनारसी चाल चली गयी थी । ताली तो मैंने भी पीट दी थी। मैं क्वीन्स कालेज के एंग्लो-संस्कृत-विभाग में पढ़ता था मुझे वह नाटक अच्छा न लगा। उस निर्भीक संन्यासी की ओर मेरा मन आकर्षित हो गया। वहाँ से लौटकर गुरुजी से मुझसे कहा सुनी हो गयी, और जब मैं स्वामीजी का पक्ष समर्थन करने लगा, तो गुरुजी ने मुझे नास्तिक कहकर फटकारा।
आदरणीय त्रिपाठी जी ने बहुत ही तथ्यपूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किया है उनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है । जिन लोगों ने इस तथ्य के विपरीत टिप्पणी की है उनसे सादर निवेदन है कि एक बार ऋषि दयानंद के लिखे हुए साहित्य को पढ़ लीजिए। सत्यार्थ प्रकाश का आठवाँ समुल्लास पढ़ोगे तो आपको पता लग जाएगा कि वह अंग्रेजों के कितने बड़े विरोधी थे । 1875 ई में सत्यार्थ प्रकाश लिखा गया था । उस समय अंग्रेजों के विरूद्ध एक शब्द बोलना भी देश द्रोह था। स्वामी जी ने तो खुलकर के अंग्रेजों के विरुद्ध लिखा है । इसी कारण अंग्रेजों ने षड्यंत्र करके उनको विष दिलाकर मरवा दिया
3 महीने दयानंद जी रुके उसके बाद भी 6 बार काशी गए और प्रत्येक बार विज्ञापन जारी किया कि किसी भी पण्डित को वेद में मूर्तिपूजा का प्रमाण मिला हो तो आकर संवाद करें। किन्तु कोई नहीं आया। इतने से ही समझ आता है कि किसका पक्ष गुरूतर था और कौन विजय हुआ होगा।
@@ramanujadasa121 🤣😁 तो तुम ही बता दो कि वेद में कहां मूर्ति पूजा की विधि है क्योंकि यही शास्त्रार्थ का विषय था तो यही पोप मंडली जीती थी तो अवश्य ही उन्होंने वेद से मूर्तिपूजा सिद्ध करी होगी तो तुम बताओ दो की वेद में कहां मूर्तिपूजा के विधान है। यदि वेदों से ही मूर्तिपूजा सिद्ध करना है आपको तो बताइए कि 1)किस वेद के किस सूक्त/मंडल/अध्याय/काण्ड के किस मंत्र में मूर्ति बनाने की विधि लिखी है? 2) वेद में ईश्वर के किस रुप की मूर्ति बनाने का विधान है?? विद वेद मंत्र 3) वह मूर्ति किस धातु की और कितनी बडी होनी चाहिए?? विद वेद मंत्र 4) उसकी स्थापना कैसे करनी चाहिए?? विद वेद मंत्र 5) उसको किस प्रकार प्रसन्न करना चाहिए, भोग क्या लगाना चाहिए?? विथ वेद मंत्र 6) उसको कपड़े किस तरह के और किस रंग के पहनाए चाहिए या बिना वस्त्र के ही रखना चाहिए?? विद वेद मंत्र 7) मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है तो प्राण प्रतिष्ठा के मंत्र किस वेद में दिए हुए हैं?? क्योंकि यदि वेद में मूर्तिपूजा है तो उसका विधि विधान भी अवश्य ही होना चाहिए?? और बिना प्राण प्रतिष्ठा के पत्थर को भगवान माना नहीं जाता है तो किस वेद में मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के मंत्र हैं बताएं???
@@Aghori_Tantrik208 ved ma vidhan hona jaruri ha kya ? Itihas puran agam ma pura bistar se Diya hua ha murti puja kese karte ha. Phele tum uska praman do ki ved ma agar murti puja ka vidhan nhi milta toh wo galat ha.
@@ramanujadasa121 शास्त्रार्थ का विषय तो वेदों में मूर्तिपूजा ही था न 😂🤣👻 अत: स्पष्ट है कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी ही विजय हुए थे और जब पौराणिको से उत्तर न दिया गया तो हल्ला गुल्ला करके भाग गए। और उसके बाद भी जब स्वामी जी 5-6 बार काशी गए और विज्ञापन जारी करवाया की अभी भी किसी को मूर्तिपूजा का वेद में प्रमाण मिला तो तो पुनः आ सकते हैं लेकिन कभी कोई नहीं आया।🤣😁😂 Edited=अरे महोदय जब शास्त्रार्थ वेद में मूर्तिपूजा पे था और पौराणिक मंडली तब और तुम लोग आज तक भी वेद से प्रमाण नहीं दे सके तो स्वामी दयानंद सरस्वती जी हार ही कैसे सकते हैं 😂😁 माता जी से कहो कि बॉर्नविटा वाला दूध दे तुमको, तुम्हारी बुद्धि सामान्य स्तर से भी कम लग रही है अपनी टेलीग्राम id/username दो क्यूंकि यूट्यूब पे कमेंट लिमिट हो जाते हैं। वहां तुम्हारा उपचार अच्छे से हो जाएगा। यहां तो बचकर निकल जाओगे। और कॉमेंट में प्रश्नों के उत्तर भी नहीं दोगे। अगले कॉमेंट में सबसे पहले अपनी टेलीग्राम id/यूजरनेम देना।और ये मत कहना नहीं है, जल्दी से बना लो और मुझे दो
@@Aghori_Tantrik208 tum Arya samajio ka alag he khud ka story ha 🤣 , ustime ka samachar Patra to padh leta bhai kese dayanand Hara tha pura likha hua ha.
Murti to pathar ki hi hoti h ya mitti ki hoti h pr usme Jo bhaw hota h or paran partistha hoti h tab sirf usme bhagwan khud ko parkat kr lete h ved manter se hi paran partistha hoti h
@@BharatsinghGusain-x9s मंत्रो से यदि पत्थर की मूर्ति में जीवन आ जाता है तो उसमें जीवन का कोई लक्षण प्रकट क्यों नहीं होता। और फिर अपने मरे हुए परिवार वालों को लोग जीवित क्यों नहीं कर लेते अगर मंत्रों से प्राण आ जाते हैं तो। और मूर्ति तो टूट फूट भी जाती है इसका मतलब भगवान टूट गया।
@@BharatsinghGusain-x9sअगर तुम्हारे ढोंगी लोग मूर्ति में शक्तिशाली ईश्वर की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते है तो मरे हुए आदमी में प्राण प्रतिस्ठा करना उनके बाए हाथ का खेल होगा ? किसी मरे हुए आदमी में प्राण प्रतिस्ठा करके दिखाओ ,,,ढोंग भरते है कि मूर्ति में प्राण प्रतिस्ठा करते है मूर्ति अपने हाथ पैर 1 इंच भी नही हिला पाती इसका मतलब प्राण प्रतिस्ठा एक झूठा ढकोसला है बस ।।।
@user-zf7bh8qe6b अगर तुम्हारे ढोंगी लोग मूर्ति में शक्तिशाली ईश्वर की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते है तो मरे हुए आदमी में प्राण प्रतिस्ठा करना उनके बाए हाथ का खेल होगा ? किसी मरे हुए आदमी में प्राण प्रतिस्ठा करके दिखाओ ,,,ढोंग भरते है कि मूर्ति में प्राण प्रतिस्ठा करते है मूर्ति अपने हाथ पैर 1 इंच भी नही हिला पाती इसका मतलब प्राण प्रतिस्ठा एक झूठा ढकोसला है बस ताकि लोगो के द्वारा मूर्ति पर चढ़ाया धन लुटा जा सकते ।।।
बहुत सुंदर वर्णन और ज्ञानवर्धक उच्च कोटि का प्रस्तुतीकरण आर्य समाज के बारे में विस्तार से ज्ञान प्राप्त हुआ आपका बहुत-बहुत आभार ईश्वर सदा आपको सुखी रखे।
just imagine if someone ask questions abt ur religion..... Hinduism still surviving nd growing..... agar tere religion per open questions ho gaye to kya hoga ye soch le
श्री राधावल्लभ त्रिपाठी शास्त्रीजी, आपकी की विद्वत्ता को सुनकर मैं हर्षित हो रहा हूं। आपका अध्ययन बहुत प्रशंसनीय है। आपको मेरा प्रणाम। यद्यपि बहुत कम लोगों ने आपके वीडियो देखें हैं, परंतु ये आपके प्रगाढ़ पांडित्य का प्रतीक नहीं हो सकता। श्री कृष्ण आपको दीर्घ आयु दें, ऐसी मेरी शुभकामना है। आप जैसे सज्जन हमारी संस्कृति के रत्न है। मैं आपके व्याख्यान सुनकर बड़ा सुख अनुभव कर रहा हूं। आपका सहृदय आभार। I am a Corporate Trainer and a University first ranker from University of Mumbai in MBA from NMIMS. Please continue such videos and enrich Bharatvarsh.
मैं ऋषि मुनियों की संतान आर्य पुत्र हिन्दू मेरा देश आर्य वर्त भारत हिन्दू स्थान इण्डिया। मेरा गुरु माँ पिता आचार्य वेद भगवान्। गुरु मंत्र गायत्री। पंच महा यज्ञादि षट कर्म। सत्य सनातन वैदिक धर्म। प्रेरणा सत्यार्थ प्रकाश।। गुरु देव महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज।। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र और योगेश्वर श्रीकृष्ण हमारे आदर्श। ओउम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।। आर्य पुत्र।।
Prof Tripathisaab has thrown a flood of light on the unknown or little known chapter of the Shastratha of that Indomitable Swami Dayananda n Pundits of those times. I salute Prof Tripathitiji for his foraging into new and new fields of Indology. I always wonder from where does he draw his indefatigable energy. Pranaam.
भारत में सब ज्ञानी अपने को सर्व उत्तम ज्ञानी सिद्ध करने में लगे रहते हैं शायद यही कारण रहा होगा भारत के मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक। हारा हुआ भारतीय मानस गुलाम होने पर भी अपने यथार्थ को नही भांप सका। परमात्मा के सिवाय दूसरा कौन है ? 🙏🌼🙏
वाद विवाद होता रहना चाहिए इससे हमारे अंदर आ गई बुराइयों का पता लगेगा मेल की धुलाई होगी सत्य सनातन मर्यादा उजागर होगी मतभेद रखे मनभेद ना रखें एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या ना रखें कृपया....
मूर्ति पूजा के विरुद्ध शास्त्रार्थ के बाद महर्षि दयानंद ने छह बार काशी में जाकर पंडितों को शास्त्रार्थ के लिए ललकारा कोई भी पंडित वेद से मूर्ति पूजा सिद्ध नहीं कर पाया था इससे सिद्ध होता है कि महर्षि दयानंद शास्त्रार्थ में विजई हुए थे।
Sir Pandit Satyavrat samshrami ji dono paksho kae aur sae shastrarth ko chapha tha magzine pratayakram nandini Mae Ye bilkul nishpaksh vivran tha. Pandito nae us Mae parivartan karkae Mathura Prasad sae chaphvaya. Pratayakram nandini Mae mul shastrarth bhi chapha thae. OM TAT SAT.
Ravish Kumar sahab ki Facebook post se ye link mila aur ise sunkar kitna samriddh hui, bayan ke pare hai. Aap dono yunhi marg darshan karte rahen sdaa🙏🏼
@@motirpahas he was victorious indeed.....the 27 Kashi pandits couldn't give any prove of idol worship from the vedas and that's what needed,at last they stood up and walk away without any declaration.....
Jab ye gadar fund dyanand Saraswati Kashi mein macha rahe the tab pandito ne shree tailang Swami g ke pas gye the tab tailang Swami ji ne only ek letter likh kr ke dyanand g ke pas bhijwai uske bad Dyanand Saraswati ki sitipiti Gul ho gyi aur wahan se patli gali se nikal liye.
@@Aghori_Tantrik208 abe page page ke badalte gye hai Arya samaji ,jitne constitution me amendmend nhi hue utne toh satyarth prakash me hogye h, agar first version authentic nhi toh kaun sa version maane ,hum toh first version ko hi maanenge kyuki baad me toh koi bhi badal skata h , printing error toh samjh aa hi jaati hai ki ek do shabd idhar udhar ho gye ho ,page ke page ,kahni ki kahani hi badal jaye aisa nhi ho skta ,agar first version ko bhi authentic na maane toh kis base pe hum kisi bhi version of SP ko authentic manege , Yeh sb sb chutiyapa kahi aur dikhana
@@daivagya-7424 bewakoof aadmi😂🤣 aaj Jo Satyarth Prakash aata hai, kisi bhi publication ka.... Jo Swami ji ka second edition tha vahi authentic tha/hai....uski bhoomika mei hi likha hai ki ye second edition kyun banaya gya hai....
आप आर्य समाज ओर सनातनी अलग अलग बोलकर समाज को बाटने का काम न करें क्यों की आर्य समाज आपकी नजर में सनातनी नही।ये बहुत गलत है।आर्य समाज भी सनातन की मुख्य शाखा का भाग है
Choti muh badi baat maaf karna par murtipujke ko sanatani bol rahe hai toh arya samaji bhi sanatani murti puja santan nahi yeh toh kuch 2000 saal phele hua hai yeh kese sanatan hai
Prabudh logo ka samooh banana galat nahi hai. Samajhdaar log har jagah milenge , sirf apni jaati apni kitaab ko behatreen manna our baki sab ko nakaar dena sahi nahi hai. Angreezo main bhi kai type hai , jo knowledgeable hai unko sunna galat nahi hai
अंग्रेजी राज्य के विरुद्ध नीडर होकर सर्वप्रथम स्वामी दयानंद जी ने स्वदेशी राज्य ही सर्वोपरि होता है कहकर स्वराज्य की प्रथम संकल्पना दी थी। अंग्रेजों के चाटुकार उन्हें कहना क्रांतिकारियों का अपमान है चूंकि उनकी प्रेरणा से ही हजारों क्रातिकारियों में राष्ट्रीय आन्दोलन के लिए उत्साह जगा था।
तिवारी जी समुल्लास 13 पढ़े हैं कभी 🤣😇😂 ईसाइयों की दुनिया हिला दी है वहां स्वामी जी ने और इसके अतिरिक्त भी अनेकों शास्त्रार्थ किए ईसाईयों से...... जब उस समय कोई संत संन्यासी मठाधीश शंकराचार्य कुछ नहीं बोलता था तब बाईबल की पोल खोलकर रख दी थी स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने 😀😃
@@Aghori_Tantrik208 सत्यार्थ प्रकाश के 13 समुल्लास पढ़िए ईसाइयों की धज्जियां उड़ा दी स्वामी दयानंद ने। सच पूछो महर्षि दयानंद के उग्र तपस्या से अंग्रेजों के भारत से पैर उखड़ गए थे।
महृषि दयानन्द ही जीते थे। शाम को लगभग 6 बजे थे कुछ धुधला धुधला दिखाई देने लगा था । इसी बात का फायदा उठाते हुए पौराणिको ने एक पर्ची महृषि को थमाई,, जैसे ही महृषि उसको देखने लगे तो पौराणिको ने हल्ला बोल दिया कि दयानद हार गया । ये सब पहलें से प्लान था। दयानंद तो अकाट्य सत्य है जो हमेशा सत्य रहेगा
कृपया "मिथ्यार्थ-प्रकाश" के बारे में भी कुछ बोल दें ताकि सत्यार्थप्रकाश की मूर्खता का स्पष्टीकरण हो जाए। दुर्भाग्य से मिथ्यार्थप्रकाश आजकल उपलब्ध नहीं है। किसी समय त्रैलंगस्वामी दो लाईन लिखकर दयानंद जी के पास भिजवा दिये और दयानंदजी चूप हो गए।।
आचार्य श्री राधा वल्लभ त्रिपाठी जी को सादर नमस्ते। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज को शत् शत् नमन्। आर्य समाज अमर रहे वेद की ज्योति जलती रहें।। ओउम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।। आर्य पुत्र।।
प्रामाणिक, पूर्वाग्रहमुक्त व शोधपरक प्रस्तुतीकरण। हिंदी के प्रख्यात लेखक जयशंकर प्रसाद ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास 'तितली' में इस घटना का विवरण देते हुए स्वामी दयानन्द के पक्ष का ही समर्थन किया है। उपन्यास का सम्बद्ध अंश निम्नवत है -
किसान आसामियों में एक देवनन्दन भी थे। मैं उनका आश्रित ब्राह्मण था। मुझे अन्न मिलता था और मैं काशी में जाकर पढ़ता था। काशी की उन दिनों की पंडित मंडली में स्वामी दयानन्द के आ जाने से हलचल मची हुई थी । दुर्गाकुंड के उस शास्त्रार्थ में मैं भी अपने गुरुजी के साथ दर्शक-रूप से था; जिसमें स्वामीजी के साथ बनारसी चाल चली गयी थी । ताली तो मैंने भी पीट दी थी। मैं क्वीन्स कालेज के एंग्लो-संस्कृत-विभाग में पढ़ता था मुझे वह नाटक अच्छा न लगा। उस निर्भीक संन्यासी की ओर मेरा मन आकर्षित हो गया। वहाँ से लौटकर गुरुजी से मुझसे कहा सुनी हो गयी, और जब मैं स्वामीजी का पक्ष समर्थन करने लगा, तो गुरुजी ने मुझे नास्तिक कहकर फटकारा।
अति सुन्दर,, भीड़ अंधकार की तरह होती है जबकि ज्ञानी प्रकाश की किरण की तरह,,
@@sureshbhargava9710 फिर दयानंद हार क्यों गए ??
@@unadpotrarahim2006Kab हारा be? 😂😂
@@unadpotrarahim2006 आप जैसे लोग ही इस तरह मूर्खता पूर्ण प्रश्न कर सकते हैं।
आदरणीय त्रिपाठी जी ने बहुत ही तथ्यपूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किया है उनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है ।
जिन लोगों ने इस तथ्य के विपरीत टिप्पणी की है उनसे सादर निवेदन है कि एक बार ऋषि दयानंद के लिखे हुए साहित्य को पढ़ लीजिए। सत्यार्थ प्रकाश का आठवाँ समुल्लास पढ़ोगे तो आपको पता लग जाएगा कि वह अंग्रेजों के कितने बड़े विरोधी थे । 1875 ई में सत्यार्थ प्रकाश लिखा गया था । उस समय अंग्रेजों के विरूद्ध एक शब्द बोलना भी देश द्रोह था। स्वामी जी ने तो खुलकर के अंग्रेजों के विरुद्ध लिखा है । इसी कारण अंग्रेजों ने षड्यंत्र करके उनको विष दिलाकर मरवा दिया
ऋषि दयानंद सरस्वती जी की जय हो। ऋषि के उपकारों का यह राष्ट्र सदैव ऋणी रहेगा।
3 महीने दयानंद जी रुके उसके बाद भी 6 बार काशी गए और प्रत्येक बार विज्ञापन जारी किया कि किसी भी पण्डित को वेद में मूर्तिपूजा का प्रमाण मिला हो तो आकर संवाद करें। किन्तु कोई नहीं आया। इतने से ही समझ आता है कि किसका पक्ष गुरूतर था और कौन विजय हुआ होगा।
Lol dayanand usdin bht bura Hara tha phir kuch bolne ka layak nhi bacha tha😂 isiliye Kashi ma aaj v bacha bacha Dayanand ka mazak udate ha😂
@@ramanujadasa121 🤣😁 तो तुम ही बता दो कि वेद में कहां मूर्ति पूजा की विधि है क्योंकि यही शास्त्रार्थ का विषय था तो यही पोप मंडली जीती थी तो अवश्य ही उन्होंने वेद से मूर्तिपूजा सिद्ध करी होगी तो तुम बताओ दो की वेद में कहां मूर्तिपूजा के विधान है।
यदि वेदों से ही मूर्तिपूजा सिद्ध करना है आपको तो बताइए कि
1)किस वेद के किस सूक्त/मंडल/अध्याय/काण्ड के किस मंत्र में मूर्ति बनाने की विधि लिखी है?
2) वेद में ईश्वर के किस रुप की मूर्ति बनाने का विधान है?? विद वेद मंत्र
3) वह मूर्ति किस धातु की और कितनी बडी होनी चाहिए?? विद वेद मंत्र
4) उसकी स्थापना कैसे करनी चाहिए?? विद वेद मंत्र
5) उसको किस प्रकार प्रसन्न करना चाहिए, भोग क्या लगाना चाहिए?? विथ वेद मंत्र
6) उसको कपड़े किस तरह के और किस रंग के पहनाए चाहिए या बिना वस्त्र के ही रखना चाहिए?? विद वेद मंत्र
7) मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है तो प्राण प्रतिष्ठा के मंत्र किस वेद में दिए हुए हैं?? क्योंकि यदि वेद में मूर्तिपूजा है तो उसका विधि विधान भी अवश्य ही होना चाहिए?? और बिना प्राण प्रतिष्ठा के पत्थर को भगवान माना नहीं जाता है तो किस वेद में मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के मंत्र हैं बताएं???
@@Aghori_Tantrik208 ved ma vidhan hona jaruri ha kya ? Itihas puran agam ma pura bistar se Diya hua ha murti puja kese karte ha.
Phele tum uska praman do ki ved ma agar murti puja ka vidhan nhi milta toh wo galat ha.
@@ramanujadasa121 शास्त्रार्थ का विषय तो वेदों में मूर्तिपूजा ही था न 😂🤣👻 अत: स्पष्ट है कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी ही विजय हुए थे और जब पौराणिको से उत्तर न दिया गया तो हल्ला गुल्ला करके भाग गए। और उसके बाद भी जब स्वामी जी 5-6 बार काशी गए और विज्ञापन जारी करवाया की अभी भी किसी को मूर्तिपूजा का वेद में प्रमाण मिला तो तो पुनः आ सकते हैं लेकिन कभी कोई नहीं आया।🤣😁😂
Edited=अरे महोदय जब शास्त्रार्थ वेद में मूर्तिपूजा पे था और पौराणिक मंडली तब और तुम लोग आज तक भी वेद से प्रमाण नहीं दे सके तो स्वामी दयानंद सरस्वती जी हार ही कैसे सकते हैं 😂😁 माता जी से कहो कि बॉर्नविटा वाला दूध दे तुमको, तुम्हारी बुद्धि सामान्य स्तर से भी कम लग रही है
अपनी टेलीग्राम id/username दो क्यूंकि यूट्यूब पे कमेंट लिमिट हो जाते हैं। वहां तुम्हारा उपचार अच्छे से हो जाएगा। यहां तो बचकर निकल जाओगे। और कॉमेंट में प्रश्नों के उत्तर भी नहीं दोगे।
अगले कॉमेंट में सबसे पहले अपनी टेलीग्राम id/यूजरनेम देना।और ये मत कहना नहीं है, जल्दी से बना लो और मुझे दो
@@Aghori_Tantrik208 tum Arya samajio ka alag he khud ka story ha 🤣 , ustime ka samachar Patra to padh leta bhai kese dayanand Hara tha pura likha hua ha.
बोहोत सुंदर प्रस्तुति गुरुजी,पूज्यपाद महर्षि दयानंद की जय🚩
महर्षि दयानंद जी का जो ये मत है कि ईश्वर निराकार है और अवतार नहीं लेता ये बिल्कुल सही है । ईश्वर की कोई मूर्ति नहीं होती
Murti to pathar ki hi hoti h ya mitti ki hoti h pr usme Jo bhaw hota h or paran partistha hoti h tab sirf usme bhagwan khud ko parkat kr lete h ved manter se hi paran partistha hoti h
@@BharatsinghGusain-x9s मंत्रो से यदि पत्थर की मूर्ति में जीवन आ जाता है तो उसमें जीवन का कोई लक्षण प्रकट क्यों नहीं होता। और फिर अपने मरे हुए परिवार वालों को लोग जीवित क्यों नहीं कर लेते अगर मंत्रों से प्राण आ जाते हैं तो। और मूर्ति तो टूट फूट भी जाती है इसका मतलब भगवान टूट गया।
@@BharatsinghGusain-x9sअगर तुम्हारे ढोंगी लोग मूर्ति में शक्तिशाली ईश्वर की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते है तो मरे हुए आदमी में प्राण प्रतिस्ठा करना उनके बाए हाथ का खेल होगा ? किसी मरे हुए आदमी में प्राण प्रतिस्ठा करके दिखाओ ,,,ढोंग भरते है कि मूर्ति में प्राण प्रतिस्ठा करते है मूर्ति अपने हाथ पैर 1 इंच भी नही हिला पाती इसका मतलब प्राण प्रतिस्ठा एक झूठा ढकोसला है बस ।।।
@user-zf7bh8qe6b अगर तुम्हारे ढोंगी लोग मूर्ति में शक्तिशाली ईश्वर की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते है तो मरे हुए आदमी में प्राण प्रतिस्ठा करना उनके बाए हाथ का खेल होगा ? किसी मरे हुए आदमी में प्राण प्रतिस्ठा करके दिखाओ ,,,ढोंग भरते है कि मूर्ति में प्राण प्रतिस्ठा करते है मूर्ति अपने हाथ पैर 1 इंच भी नही हिला पाती इसका मतलब प्राण प्रतिस्ठा एक झूठा ढकोसला है बस ताकि लोगो के द्वारा मूर्ति पर चढ़ाया धन लुटा जा सकते ।।।
बहुत सुंदर वर्णन और ज्ञानवर्धक उच्च कोटि का प्रस्तुतीकरण आर्य समाज के बारे में विस्तार से ज्ञान प्राप्त हुआ आपका बहुत-बहुत आभार ईश्वर सदा आपको सुखी रखे।
So much impressed by swamy Dayanand Saraswati ji,will certainly read his biography whenever I get it
just imagine if someone ask questions abt ur religion..... Hinduism still surviving nd growing..... agar tere religion per open questions ho gaye to kya hoga ye soch le
Please read Satyarth Prakash written by swami Dayanand Saraswati jee maharaj
@@waheguruwaheguru2752Kehna kya chahtaa hai😂
श्री राधावल्लभ त्रिपाठी शास्त्रीजी, आपकी की विद्वत्ता को सुनकर मैं हर्षित हो रहा हूं। आपका अध्ययन बहुत प्रशंसनीय है। आपको मेरा प्रणाम। यद्यपि बहुत कम लोगों ने आपके वीडियो देखें हैं, परंतु ये आपके प्रगाढ़ पांडित्य का प्रतीक नहीं हो सकता। श्री कृष्ण आपको दीर्घ आयु दें, ऐसी मेरी शुभकामना है। आप जैसे सज्जन हमारी संस्कृति के रत्न है। मैं आपके व्याख्यान सुनकर बड़ा सुख अनुभव कर रहा हूं। आपका सहृदय आभार।
I am a Corporate Trainer and a University first ranker from University of Mumbai in MBA from NMIMS. Please continue such videos and enrich Bharatvarsh.
तथ्यात्मक, प्रामाणिक एवं निरपेक्ष समीक्षा से इस महान शास्त्रार्थ का ज्ञान प्राप्त हुआ।🙏🙏
Mharishi Dayanand ji ko koti koti naman
नीर क्षीर विवेक आदरणीय शास्त्री जी बहुत ही सुंदर प्रस्तुति निष्पक्ष रुप से आपके द्वारा प्रस्तुत की गई आपको बहुत-बहुत धन्यवाद आपके चरणों का वंदन
महर्षि दयानंद सरस्वती जी की जय
आप जैसा मूर्धन्य विद्वान् ही इस प्रकार के विवादास्पद विषय पर निरपेक्षभाव से ऐसी प्रामाणिकता पूर्ण प्रस्तुति दे सकता है। कोटि कोटि नमन।
ऋषिराज दयानन्द सरस्वती जी की जय हो. ठोंगियो पुंगा पुराणियों भागवत कथा कारो के ठोंगियो को भी सत्यार्थ प्रकाश पढ़ना चाहिए.
कूपमंडुकोSसि 🙂
@@Skill512 सत्य कहा पौराणिक रूप मंडूक है
@@Ram47988 साधु! भवानपि 🤩
@@Skill512स्वकीयम अस्ति भवान 😂
@@Skill512स्वकीयम अस्ति भवान 😂
मैं ऋषि मुनियों की संतान आर्य पुत्र हिन्दू मेरा देश आर्य वर्त भारत हिन्दू स्थान इण्डिया। मेरा गुरु माँ पिता आचार्य वेद भगवान्। गुरु मंत्र गायत्री। पंच महा यज्ञादि षट कर्म। सत्य सनातन वैदिक धर्म। प्रेरणा सत्यार्थ प्रकाश।। गुरु देव महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज।। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र और योगेश्वर श्रीकृष्ण हमारे आदर्श। ओउम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।। आर्य पुत्र।।
जी आपका कोटि कोटि धन्यवाद
Prof Tripathisaab has thrown a flood of light on the unknown or little known chapter of the Shastratha of that Indomitable Swami Dayananda n Pundits of those times. I salute Prof Tripathitiji for his foraging into new and new fields of Indology. I always wonder from where does he draw his indefatigable energy. Pranaam.
Dayanand bhi tripathi the😂
अति सुन्दर पाखंड वाद पर प्रहार
श्री त्रिपाठी जी के चरणों में प्रणाम
बहुत ही युक्तिसंगत और जानकारीपूर्ण सारगर्भित ऐतिहासिक विवेचन ~~~
समय रहा तो कुछ विशिष्ट जानकारी रखूंगा ~~~
Bahut accha sajhaaya aapne. Aap mere Favourite ho
वस्तुपरक सार्वजनीन ज्ञेय तथ्य रखने हेतु आभार ।
सादर प्रणाम ।।
भारत में सब ज्ञानी अपने को सर्व उत्तम ज्ञानी सिद्ध करने में लगे रहते हैं शायद यही कारण रहा होगा भारत के मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक।
हारा हुआ भारतीय मानस गुलाम होने पर भी अपने यथार्थ को नही भांप सका।
परमात्मा के सिवाय दूसरा कौन है ?
🙏🌼🙏
आपके हम शुक्र गुजार हैं आपने बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी
Thank god.... It's so easy to find a closet arya samaji after karpatra swami
कोई निष्कर्ष नहीं निकला
दयानंद की जीत या काशी के पंडितों की
सादर नमस्ते जी 🙏🏼🌺💥🔥🚩☀️🙏🏻
So fascinating time that would be as a student in Varanasi.. I dream of that kind of Iit and university of that time.. ❤
वाद विवाद होता रहना चाहिए इससे हमारे अंदर आ गई बुराइयों का पता लगेगा मेल की धुलाई होगी सत्य सनातन मर्यादा उजागर होगी मतभेद रखे मनभेद ना रखें एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या ना रखें कृपया....
बहुत अच्छा व्याख्यान जिससे ऐसे विषय भी प्रकाशित हो सके
सादर नमन गुरुजी... आपने बहुत ही सारगर्भित सप्रमाण, निर्दोष, दुराग्रहरहित प्रतिपादन प्रस्तुत किया है। आशा है इससे बहुत लोग लाभान्वित होंगे।
गुरुदेव बहुत ही संतुलन विश्लेषण
आपसे जितना भी जाना, वह अमूल्य है।
गुरूजी को सादर प्रणाम
मूर्ति पूजा के विरुद्ध शास्त्रार्थ के बाद महर्षि दयानंद ने छह बार काशी में जाकर पंडितों को शास्त्रार्थ के लिए ललकारा कोई भी पंडित वेद से मूर्ति पूजा सिद्ध नहीं कर पाया था इससे सिद्ध होता है कि महर्षि दयानंद शास्त्रार्थ में विजई हुए थे।
सादर प्रणाम
आप बहुत बड़ा कार्य कर रहे हैं 🙏
Sadar charan sparash sir!
काश उस समय भी सोशल मीडिया होती
Jay to sanskritam
sanatni arya samaj hi hai kyonki vedon ko hum log hi sabse jyada mante
,aap pandon ko sanatani kah rhe,
Wo bhi Keval mantra Bhag mante ho .😂😂
दयानंद जी काशी के शास्त्रार्थ से भगोड़ा साबित हुए थे इसका दलील है 😂😂😂
डिबेट के प्रकार तो भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण ने बताए हैं १) वाद २) जल्प ३) वितंडावाद और ४ संवाद
आभार गुरुदेव
प्रणाम
Pranam Guruji
Is samay kaashi me kis jagah pe sastradarth hota hai ...Kripya batayein
❤️❤️❤️
स्वामी विवेकानन्द जी ने मूर्ति पूजा का समर्थन किया था,तो क्या वो गलत है?
Ha woh galat hai kyu ki woh bolte hai ki Macaulay rishi ke avatar hai
Gau mansh kahna sahi bola hai
Ha wo galat hai
Haa ji
अत्यद्भुतम् ☺️
Overwhelmed
नमस्ते जी, कृपया समझाने को प्रार्थना है,वह है अभी एक शरीर धारी पुर्ण शुद्ध और पवित्र जीवात्मा का पता भेजने की कष्ट करें ।
Sir Pandit Satyavrat samshrami ji dono paksho kae aur sae shastrarth ko chapha tha magzine pratayakram nandini Mae Ye bilkul nishpaksh vivran tha. Pandito nae us Mae parivartan karkae Mathura Prasad sae chaphvaya. Pratayakram nandini Mae mul shastrarth bhi chapha thae. OM TAT SAT.
Thanks
रवीश कुमार जी ने बताया है इस विडियो को देखने को
Ravish Kumar sahab ki Facebook post se ye link mila aur ise sunkar kitna samriddh hui, bayan ke pare hai.
Aap dono yunhi marg darshan karte rahen sdaa🙏🏼
Bilkul
ye shaastrqth qgar tere religion per ho gaya to fir chilqqnqa mat
Swami Dayanand Saraswati ne islam ka khandan bhi bahut acche se kiya tha sab mulla mulvi darte te 😂 woh bhi dekho 😂
kalyug me hua shashtrath
Kiya ap Swami Dayanand ko shastrarth mai vijayi mante hai?
হ্যাঁ বিপ্লবদা শেষে এনার কনক্লুশন শুনলে তো তেমনই মনে হয়।
@@motirpahas he was victorious indeed.....the 27 Kashi pandits couldn't give any prove of idol worship from the vedas and that's what needed,at last they stood up and walk away without any declaration.....
@@Aghori_Tantrik208Ye pande bohot क्षल karte hain😂
Na tasya pratima asti is in Yajurveda
Ravis kumar send me
Yes
Me too
Jab ye gadar fund dyanand Saraswati Kashi mein macha rahe the tab pandito ne shree tailang Swami g ke pas gye the tab tailang Swami ji ne only ek letter likh kr ke dyanand g ke pas bhijwai uske bad
Dyanand Saraswati ki sitipiti Gul ho gyi aur wahan se patli gali se nikal liye.
Jay shree ram
Isme apka kya Ray hai
51:16 me yeh keval sanatanio ka byaan nhi h , yeh satyarth prakash me bhi likha hai ,aap padh skte hai hai old version of SP , page 21
Old version authentic nhi tha.....lipikaaron ne bahut kuch galat likh diya tha mudran dosh bhi usme bahut the....
@@Aghori_Tantrik208 abe page page ke badalte gye hai Arya samaji ,jitne constitution me amendmend nhi hue utne toh satyarth prakash me hogye h, agar first version authentic nhi toh kaun sa version maane ,hum toh first version ko hi maanenge kyuki baad me toh koi bhi badal skata h , printing error toh samjh aa hi jaati hai ki ek do shabd idhar udhar ho gye ho ,page ke page ,kahni ki kahani hi badal jaye aisa nhi ho skta ,agar first version ko bhi authentic na maane toh kis base pe hum kisi bhi version of SP ko authentic manege , Yeh sb sb chutiyapa kahi aur dikhana
@@Aghori_Tantrik208 isko kehte hai apni baat se palatna jab apna paksha majboot na ho toh badalate rehna
@@daivagya-7424 bewakoof aadmi😂🤣 aaj Jo Satyarth Prakash aata hai, kisi bhi publication ka.... Jo Swami ji ka second edition tha vahi authentic tha/hai....uski bhoomika mei hi likha hai ki ye second edition kyun banaya gya hai....
Ravish Kumar bring me here
Konsa ravish kumar
आप आर्य समाज ओर सनातनी अलग अलग बोलकर समाज को बाटने का काम न करें क्यों की आर्य समाज आपकी नजर में सनातनी नही।ये बहुत गलत है।आर्य समाज भी सनातन की मुख्य शाखा का भाग है
Choti muh badi baat maaf karna par murtipujke ko sanatani bol rahe hai toh arya samaji bhi sanatani murti puja santan nahi yeh toh kuch 2000 saal phele hua hai yeh kese sanatan hai
दयानन्द ने अंग्रेज और भारतीय समाज के मध्य सेतु का कार्य किया। अतः अंग्रेजो का उन्हें संरक्षण मिला।
Prabudh logo ka samooh banana galat nahi hai. Samajhdaar log har jagah milenge , sirf apni jaati apni kitaab ko behatreen manna our baki sab ko nakaar dena sahi nahi hai. Angreezo main bhi kai type hai , jo knowledgeable hai unko sunna galat nahi hai
Kattar hindu...detected
दयानंद का सरंक्षण उसका इष्ट देवता ओ3म् था इसलिए अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा।
अंग्रेजी राज्य के विरुद्ध नीडर होकर सर्वप्रथम स्वामी दयानंद जी ने स्वदेशी राज्य ही सर्वोपरि होता है कहकर स्वराज्य की प्रथम संकल्पना दी थी। अंग्रेजों के चाटुकार उन्हें कहना क्रांतिकारियों का अपमान है चूंकि उनकी प्रेरणा से ही हजारों क्रातिकारियों में राष्ट्रीय आन्दोलन के लिए उत्साह जगा था।
झूठ बोल रहा है वह काम है या तेरा धर्म गुरुने किया
दयानन्द अंग्रेजो की कृति है ।
तिवारी जी समुल्लास 13 पढ़े हैं कभी 🤣😇😂 ईसाइयों की दुनिया हिला दी है वहां स्वामी जी ने और इसके अतिरिक्त भी अनेकों शास्त्रार्थ किए ईसाईयों से...... जब उस समय कोई संत संन्यासी मठाधीश शंकराचार्य कुछ नहीं बोलता था तब बाईबल की पोल खोलकर रख दी थी स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने 😀😃
कुछ प्रमाण आपके पास।
@@Aghori_Tantrik208 सत्यार्थ प्रकाश के 13 समुल्लास पढ़िए ईसाइयों की धज्जियां उड़ा दी स्वामी दयानंद ने। सच पूछो महर्षि दयानंद के उग्र तपस्या से अंग्रेजों के भारत से पैर उखड़ गए थे।
@@prashantmuni जी, लेकिन ये बात इन रत्नाकर तिवारी को समझ नहीं आ रही है।
महृषि दयानन्द ही जीते थे।
शाम को लगभग 6 बजे थे कुछ धुधला धुधला दिखाई देने लगा था ।
इसी बात का फायदा उठाते हुए पौराणिको ने एक पर्ची महृषि को थमाई,, जैसे ही महृषि उसको देखने लगे तो पौराणिको ने हल्ला बोल दिया कि दयानद हार गया ।
ये सब पहलें से प्लान था।
दयानंद तो अकाट्य सत्य है जो हमेशा सत्य रहेगा
कृपया "मिथ्यार्थ-प्रकाश" के बारे में भी कुछ बोल दें ताकि सत्यार्थप्रकाश की मूर्खता का स्पष्टीकरण हो जाए। दुर्भाग्य से मिथ्यार्थप्रकाश आजकल उपलब्ध नहीं है। किसी समय त्रैलंगस्वामी दो लाईन लिखकर दयानंद जी के पास भिजवा दिये और दयानंदजी चूप हो गए।।
अब तुम मूर्ख आनंद कहां से आ गया अज्ञान प्रकाश उल्टी करने
बिना प्रमाण के बोल तो वैसे रहा है जैसे दो लाइन तूने स्वयं पड़ा है उसे समय तो तुम्हारा जन्म कर्म भी नहीं हुआ होगा और नहीं तुम्हारे पिताजी का