@@abhinavkumar9905 राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts देश की भलाई चाहते हो तो आपसी मतभेद छोड़कर एक होना पड़ेगा। कृपया हमें वोटसएप करे 09833736206 🙏
देश के व्यापारियों चाहे तो स्वदेशी सामान अपने दुकान में रखें जिससे यह स्वदेशी सामान जल्दी से उपलब्ध हो सकता है ✔️🥰 जिनके जिनके घर दुकाने है वे स्वदेशी सामान को जनता तक पहुंचाएं तों हम जल्द ही विदेशी प्रोडक्ट के छक्के छुड़ा सकते हैं,, जय *भारत* ✊✊✊
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*घर का जोगी जोगड़ा, बाहर का जोगी सिद्ध* वाली कहावत यहां एकदम सही साबित हो रही है। अभी हाल में ही कोविड-१९ नामक महामारी के इलाज हेतू एक अंग्रेजी दवा कंपनी की दवा आई तो सभी खुशी से उछल पड़े। किसी ने उसपर सवाल उठाना तो दूर, संदेह तक ज़ाहिर नही किया... परन्तु जैसे ही एक स्वदेशी दवा कंपनी प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद पर आधारित दवा लेकर आती है तो ये किसी को हजम नही होता। जब तक पश्चिम ने योग को नहीं अपनाया, तब तक यही लोग योग को पुरातन और पिछड़ेपन की निशानी मानते रहे, परन्तु जैसे ही पश्चिमी देशों ने इसको योग के बजाय *योगा* कहना शुरू किया तो सभी ने योगा को फैशन की तरह अपनाया। उसी तरह जिस दिन पश्चिम *आयुर्वेद* को मानना शुरू कर देगा, तब यही लोग इसको *आयुर्वेदा* बोल कर ऐसे खुश होंगे जैसे इन विदेशियों ने कोई नई खोज की है। रही बात ChineseVirus की दवाई की, तो कोई आपके साथ ज़बरदस्ती नही कर रहा। आप अंग्रेजी कंपनी की 3500/- रुपये वाली दवाई खाओ या स्वदेशी कंपनी वाली 545/- की... ये आपकी अपनी मर्ज़ी पर निर्भर है। स्वदेशी दवा का विरोध करने वालों के लिए बस इतना ही कहूँगा कि कुछ लोगों के दिमाग पर ग़ुलाम मानसिकता इस कदर हावी है कि जब तक पश्चिम की मुहर न लगे, वो कोई भी बात मानने को तैयार नही होते। हम अपनो की ही जड़ कैसे काटते है, यह पतंजलि की दवा के विरोध से पता चलता है। विरोध करने वालों से बस इतना सा निवेदन है कि इस गुलाम मानसिकता से बाहर निकलिये और कभी स्वयं पर अपने देश, अपने धर्म, अपनी संस्कृति, अपनी चिकित्सा पद्धतियों पर भी यकीन करना सीखिये। 🚩 ईश्वर इन सबको सद्बुद्धि दो। 🕉️
हमारा देश अपने ही लोगों की वजह से आगे नहीं बढ़ पा रहा है हम अपने ही देश पर भरोसा नहीं करते हैं। जिस देश में योगी मुनियों ने कठिन तप करके संवारा सजाया आज उन्हीं की दी हुई आयुर्वेद चिकित्सा पर लोग भरोसा नहीं करते। ऐसा अब और नहीं चलेगा भारत के लोगों की इस गुलाम मासिकता से बहार निकाल कर देश के बारे में सोचना चाइए की वे देश की तरक्की के लिए क्या क्या योगदान या सहयोग कर सकते हैं। जय हिन्द 🇮🇳
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts देश की भलाई चाहते हो तो आपसी मतभेद छोड़कर एक होना पड़ेगा। कृपया हमें वोटसएप करे 09833736206 🙏
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यह बहुत अच्छी इंफॉर्मेशन दिया आपने यह कंपनियां बहुत ही नामी कंपनियां है और हम तो इन्हीं कंपनियों ke Bani प्रोडक्ट खरीदते हैं पहले से ही कोई भी प्रोडक्ट हो सब खाने की चीजें हो या कोई भी चीज हो हमने तो इन्हीं में से खरीदा है आज तक लेकिन पता नहीं था कि यह सारी इंडिया मतलब इनमें से कुछ का जैसे गोदरेज के बारे में नहीं पता था और गोदरेज बहुत अच्छी कंपनी है औरों के बारे में तो पता ही था कि इंडिया की है लेकिन अब अच्छा लग रहा है सुनके बहुत अच्छी कंपनी है और आगे भी हम अपनी स्वदेशी चीजें ही खरीदेंगे जय हिंद
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Thanks Avinash Bouri 🙂 Which topic would you like to suggest us for our next videos...? Also do see our other amazing videos here: ruclips.net/user/10on10playlists
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मैंने बहुत लोगों को बोला की चाइनीज़ एप डिलीट करें कुछ लोगों ने किया भी पर बहुत सारे लोगों को फरक नहीं पड़ता या फिर समझ नहीं आता कि ये कितना जरूरी है किसिसे tiktok डिलीट नहीं हो रहा तो कीसिसे uc browser डिलीट नहीं हो रहा...
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts देश की भलाई चाहते हो तो आपसी मतभेद छोड़कर एक होना पड़ेगा। कृपया हमें वोटसएप करे 09833736206 🙏
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts देश की भलाई चाहते हो तो आपसी मतभेद छोड़कर एक होना पड़ेगा। कृपया हमें वोटसएप करे 09833736206 🙏
Wow! that is so nice of you, Main aapke is pyare comment ke liye aapko 10 ON 10 ki T-Shirt bhejna chahunga (But Lockdown khatam hone ke baad! ) , Aap humare official e-mail address contact10on10[at the rate]gmail[dot]com par apne T-shirt size ke sath e-mail zarur kariyega with complete postal details... 😊
Nice to have your kind response 363XII SciCNiyati 👍 Do let us know what other videos you would like to see! Have you also seen these videos?: ruclips.net/user/10on10playlists
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts देश की भलाई चाहते हो तो आपसी मतभेद छोड़कर एक होना पड़ेगा। कृपया हमें वोटसएप करे 09833736206 🙏
भाई व्हिडिओ accha है, लेकीन ITC कंपनी ये विदेशी कंपनी है,इसका फुल फॉर्म इंडियन टॅबोको कंपणी है, ये अमेरिकन कंपनी है, जिस देश मे जाती है उस देश का नाम सामने लगाते है..ईसका जादा उत्पादन सिगरेट का होता है...
ITC Limited is an Indian multinational conglomerate company headquartered in Kolkata, West Bengal.Ajit Narain Haskar became the company's Indian chairman in 1969.ITC is indian company.
Thank You Avdhut Salvi for your comment... 🙂 Which video would you like to see in future? You can also see our other videos here: ruclips.net/user/10on10playlists
@@Vinaysingh-wr1id dear ITC is a Indian company since 1910 its working n im a share holder in ITC buddy i knw abt ITC u cn google it if u want. JAI Hind🇮🇳
@@vandemataram5583 aapke shair lene se kya ye bharat ki company ho jayegi. Google par hissedari dikhe kiski kitni hai or kisne iski sthapna ki yhi. Naam itc ya hindustan Unilever hone se bharat ki company nhi banti
@@SURBHIUTPAD Dear ITC aap search karlo ITC ek Indian company hai half knwledge is dangerous aapka knwledge badao fir debate karo en.m.wikipedia.org/wiki/ITC_Limited Check this link dear ITC is an 100% Indian company and yes Hindustan Unilever is not Indian, but ITC is Indian. Thank you. Jai Hind🇮🇳
Thank You Bajrang Indian for your comment... 🙂 Which video would you like to see in future? You can also see our other videos here: ruclips.net/user/10on10playlists
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts देश की भलाई चाहते हो तो आपसी मतभेद छोड़कर एक होना पड़ेगा। कृपया हमें वोटसएप करे 09833736206 🙏
Dear sir, i hope ki aapki yeh video se people kuch indian product ki or shift ho. I m sharing your video with my friends. I also recommended my father to use seperate space for indian cosmetic products. He has cosmetic shop. Hope for well. Yours 10 on 10 concept is awesome.
I like indian product and mobile apps 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Nice to know that you support India. Keep it up Vishal!
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Which smartphone you use?
टॉप Brands जो भारत मे फेल हो गए
ruclips.net/video/X1bI23lBluA/видео.html
@@abhinavkumar9905 राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है।
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Very useful
Be Indian, Buy Indian
Thank You Rajnesh ji! Let us take our India forward... 👍
Good
Sare Jaha se Acha HINDUSTAN humara....background music..proud to be an indian
हम सभी भारतीय को अपना स्वदेशी भाषा ही बोलना चाहिए। जैसे 80% लोगो की भाषा हिन्दी जो समझ ओर बोल सकते हैं। जय हिन्द
Yes
0000ò90ò09
Haa bhai
Punjabi kyon nahi
Jay hind
स्वदेशी अपनाये देश बचाओ
Indian..hokae..farz..nivhawo#iNdI@/
Bhai ye humari sarkaar ko. Kya videshi logo se dar lagta he... Videsh maal aane hi mat do bhart me.... Fir to yahi ka maal bikega
देश के व्यापारियों चाहे तो स्वदेशी सामान अपने दुकान में रखें जिससे यह स्वदेशी सामान जल्दी से उपलब्ध हो सकता है ✔️🥰
जिनके जिनके घर दुकाने है वे स्वदेशी सामान को जनता तक पहुंचाएं तों हम जल्द ही विदेशी प्रोडक्ट के छक्के छुड़ा सकते हैं,,
जय *भारत*
✊✊✊
Mobikwik pure Indian app है।।।Mobikwik इस्तेमाल करें।गूगल पे अमेरिकन है और paytm Chinese कंपनी अलीबाबा के support लेती है
Sahi bole
बहुत अच्छा वीडियो बनाया और भारत के कंपनी के बारे मे बताया धनयवाद।
टॉप Brands जो भारत मे फेल हो गए
ruclips.net/video/X1bI23lBluA/видео.html
भारत निर्मात समान खरीदो,, भारत को आगे बढ़ते देखो
राजीव दीक्षित जी को सुने यू ट्यूब पर
@@sunderbaya1713 हम तुम्हारे चाचा को नही सुनते1,,,hum ramdave maharaj ko sunte hai ji
चलों अच्छी बात है सभी देश के भलाई में ही जुटे हों,,,,जय धनवंतरी,,ॐ
That's true
@@sahu2037 राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है।
tinyurl.com/RrpAllDrafts
देश की भलाई चाहते हो तो आपसी मतभेद छोड़कर एक होना पड़ेगा। कृपया हमें वोटसएप करे 09833736206 🙏
1)Parle
2)Himalaya
3)Emami
4)Godrej
5)Marico
6)Dabur
7)Britania
8)Patanjali
9)Amul
10)Ashirvad
Thank You Gyaneshwar Bhardwaj, stay subscribed... 👍 What topic would you like to see on this channel? We have other selected videos for you posted here: ruclips.net/user/10on10playlists
Salute to these companies of India✊👍!
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
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Boycott Chinese products and apps...be Indian buy Indian 🇮🇳
इन प्रतिष्ठानों को भी अपने उत्पादों पर अधिक से अधिक हिन्दी यां किसी भारतीय भाषा का प्रयोग करना चाहिए । इनको भी स्वदेशी में सहयोग करना चाहिए ।
Itna details me..
Thank you so much for this type of video..
Thanks! Most welcome Mithilesh! 😊
*घर का जोगी जोगड़ा, बाहर का जोगी सिद्ध* वाली कहावत यहां एकदम सही साबित हो रही है।
अभी हाल में ही कोविड-१९ नामक महामारी के इलाज हेतू एक अंग्रेजी दवा कंपनी की दवा आई तो सभी खुशी से उछल पड़े। किसी ने उसपर सवाल उठाना तो दूर, संदेह तक ज़ाहिर नही किया... परन्तु जैसे ही एक स्वदेशी दवा कंपनी प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद पर आधारित दवा लेकर आती है तो ये किसी को हजम नही होता।
जब तक पश्चिम ने योग को नहीं अपनाया, तब तक यही लोग योग को पुरातन और पिछड़ेपन की निशानी मानते रहे, परन्तु जैसे ही पश्चिमी देशों ने इसको योग के बजाय *योगा* कहना शुरू किया तो सभी ने योगा को फैशन की तरह अपनाया। उसी तरह जिस दिन पश्चिम *आयुर्वेद* को मानना शुरू कर देगा, तब यही लोग इसको *आयुर्वेदा* बोल कर ऐसे खुश होंगे जैसे इन विदेशियों ने कोई नई खोज की है।
रही बात ChineseVirus की दवाई की, तो कोई आपके साथ ज़बरदस्ती नही कर रहा। आप अंग्रेजी कंपनी की 3500/- रुपये वाली दवाई खाओ या स्वदेशी कंपनी वाली 545/- की... ये आपकी अपनी मर्ज़ी पर निर्भर है।
स्वदेशी दवा का विरोध करने वालों के लिए बस इतना ही कहूँगा कि कुछ लोगों के दिमाग पर ग़ुलाम मानसिकता इस कदर हावी है कि जब तक पश्चिम की मुहर न लगे, वो कोई भी बात मानने को तैयार नही होते।
हम अपनो की ही जड़ कैसे काटते है, यह पतंजलि की दवा के विरोध से पता चलता है।
विरोध करने वालों से बस इतना सा निवेदन है कि इस गुलाम मानसिकता से बाहर निकलिये और कभी स्वयं पर अपने देश, अपने धर्म, अपनी संस्कृति, अपनी चिकित्सा पद्धतियों पर भी यकीन करना सीखिये।
🚩 ईश्वर इन सबको सद्बुद्धि दो। 🕉️
हमारा देश अपने ही लोगों की वजह से आगे नहीं बढ़ पा रहा है हम अपने ही देश पर भरोसा नहीं करते हैं।
जिस देश में योगी मुनियों ने कठिन तप करके संवारा सजाया आज उन्हीं की दी हुई आयुर्वेद चिकित्सा पर लोग भरोसा नहीं करते। ऐसा अब और नहीं चलेगा भारत के लोगों की इस गुलाम मासिकता से बहार निकाल कर देश के बारे में सोचना चाइए की वे देश की तरक्की के लिए क्या क्या योगदान या सहयोग कर सकते हैं। जय हिन्द 🇮🇳
India number one company TATA
Mahindra,Bajaj,Birla,khaitan ,Usha Martin, Relaence and so many. Wake up and make in India.
प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक, कपडे, इनकी, बाईक और गाडीया भारतीय कम्पणीनिके नामोपरभी व्हिडीओ बनाव भाई जय हिंद🇮🇳👌👌🇮🇳
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
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Jankari dene ke liye dhanyavaad! 🤗😊🙏aatmanirbhar Bharat 😊
Imc bhi hai
Very Good Knowledge Sharing.👍
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टॉप Brands जो भारत मे फेल हो गए
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Background music is video ko awesome bana deta hain . ●●● Jai Hind 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Wonderfull knowledge nice 🙂 vdeo 👍👍👍
Thanks Surender Kumar Verma! 🙂 We would love to see you again, stay subscribed! Please do have a look at these videos also: ruclips.net/user/10on10playlists
मैं तो भारत का अपना गूगल फेसबुक आदि app b बनाने की सोच रहा हूं।
Bana lo bhai
Jaroor
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
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स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
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Sir ham jarur chahte he ye jarur banavo please 👍🙏
👌👌👌👌👌👌👌
Bhai bahut achchha topic video banane ka
Thankyou for guiding all of us
I support to swadeshi product. #My india My jaan# bahut hi achha aapne video banaya hai.
Very informative 💜💜💜
Everyone should watch this
Thanks for the warm feedback ❤
I would like to request all the Indian to promote Indian brand and boycott Chinese brand. Is anyone agree with me 🤔?
Jai hind
India is cool
@Kartikeya Lakhera india is best
@Kartikeya Lakhera I love India products
We should use and promote India based products
टाटा, महिंद्रा, बजाज, फ़ोर्स, flair वगैरा जैसी तो भूल ही गए आप,,
कहीं कंफेक्शनरी या कॉस्मेटिक की दुकान तो नहीं है आपकी?
नमस्कार sktstk Ji! इस वीडियो में रिटेल स्वदेशी सामान की कंपनियों को प्रस्तुत किया गया है, बाकि कंपनियों को भी आने वाली वीडियो में कवर किया जायेगा 🙂🙏
@@10ON10
जय हिंद
tata or m and m sab ko pta hai
और रिलायंस इंडस्ट्रीज भी
Tata Mahindra Bajaj sab Ko pata he
बहुत अच्छी विडियो भाई
ओर मे चाहता हू की कंपनी वाले अत्मनिरभर भारत के बैनर ,स्टीकर बनाये ओर सभी माॅल दुकानदार को
लगाने का आदेश दे
Patanjali
ITC
Parle
Himalaya
Emami
Godrej
Marico
Dabur
Britannia
Amul
Tata
🙏 Promote indian brands..
Ye sb companies k product use krte hn hm siway patanjali k..wo kbhi nhi kiye baki in sab indian companies k products aate hn hamare ghr
@@rukhsarsalmani1214 good going 👍🙏🤘
@Ashwini Kumar Singh 👍
इस्तेमाल करना शुरू किया कि नहीं MOBIKWIK कि भूल गए?
इस्तेमाल करना शुरू किया कि नहीं MOBIKWIK कि भूल गए?
बहुत बढ़िया जानकारी दी आपने, इतने दिन से डाबर, itc हिमालया को विदेशी समझ रहा था।
Wow video 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳♥♥♥♥🙏🙏🙏🙏
यह बहुत अच्छी इंफॉर्मेशन दिया आपने यह कंपनियां बहुत ही नामी कंपनियां है और हम तो इन्हीं कंपनियों ke Bani प्रोडक्ट खरीदते हैं पहले से ही कोई भी प्रोडक्ट हो सब खाने की चीजें हो या कोई भी चीज हो हमने तो इन्हीं में से खरीदा है आज तक लेकिन पता नहीं था कि यह सारी इंडिया मतलब इनमें से कुछ का जैसे गोदरेज के बारे में नहीं पता था और गोदरेज बहुत अच्छी कंपनी है औरों के बारे में तो पता ही था कि इंडिया की है लेकिन अब अच्छा लग रहा है सुनके बहुत अच्छी कंपनी है और आगे भी हम अपनी स्वदेशी चीजें ही खरीदेंगे जय हिंद
Thank u!! Helped so much😊
Very helpful information to know about. Thank you for sharing.
So nice of you 🙂
Subscribe Kiya
Like Kiya
Share bi Kiya sirf aa ek video dekh ke hi
Bahut acha video banaya he apne
Aur iska background music loved it😍.
Thank you for this video Sir.
Thank You Tech Man aapke sath ke liye ❤
Britannia ITC kab Swadeshi
Sir. Aapne. Meri.aakhen.khule.diye.sir.aapko.bhot.bhot.shokriya.aajke.bad.india.ke.company.ke.harkoi.saman.kiridugaa.i.love.my.india
Thanks Avinash Bouri 🙂 Which topic would you like to suggest us for our next videos...? Also do see our other amazing videos here: ruclips.net/user/10on10playlists
वो☺ खूबसूरत आंखे👀 जो इस वक़्त ये Comment🗨️ पढ़ रही है
भगवान🙏 करें उन आंखों👀 के हर सपने पूरे हो😘😘😇😇
YOU ARE GREAT MAM
बहुत सुन्दर जानकारी दी आपने आपका बहुत बहुत अभार आप ऐसे ही लगे रहो हम आपके साथ है
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सुपर विडियो है जनता की जानकारी के लिये
बहुत बहुत शुक्रिया दिलीप जी, सब भारतियों तक ये जानकारी पहुँच जाएं इसके लिए ये वीडियो सभी दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें !
Bahut badhiya video sir🙏👍😊
Bahut bahut shukriya Vishal bhai... :)
भाई टाटा,बिड़ला,रिलाईन्स कहाँ गई।एफएमसिजी के साथ सारे भारतिये कम्पनियों क़े बारे में बताईये
जानकारी देने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद
आपने स्वदेशी को एक तरह से बढावा दिया
Thanks jitendra waghe! 🙂 We would love to see you again, stay subscribed! Please do have a look at these videos also: ruclips.net/user/10on10playlists
स्वदेशी कम्पनियो का सम्पूर्ण ब्यौरा देने की कृपा करें जिससे विदेशी कंपनियों का पूर्ण बहिष्कार हो सके।
Bahut gyanvardhak aur manoranjak jankari se bhara video
Thank You Shikhar Tandon for your comment... 🙂 Which video would you like to see in future? You can also see our other videos here: ruclips.net/user/10on10playlists
I love Indian product ,plz make more video Indian app and product's
Mujhe ye video dekh Kar bahut acha lgaa
Aap Ase hi Humare liye videos Le kar aaya kro
Nice video
Shukriya! Bilkul aur videos bhi aayenge
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Bahuth badhiya video presentation..aap ka bahut bahut dhanyavad..
Jai Hind Vande Mataram 💖
Very informative ,thanks
For maximum impact do share this video with your friends and family Ajit ji...
Good information 👍👍🤘
TATA ALSO HAVE TO COME IN THIS COMPITITION.
Bhai bahut hi aachachhe se explain
Kiya. Maza aa gaya. Thank you bhai.
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बढीय जयहिंद
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मैंने बहुत लोगों को बोला की चाइनीज़ एप डिलीट करें
कुछ लोगों ने किया भी
पर बहुत सारे लोगों को फरक नहीं पड़ता या फिर समझ नहीं आता कि ये कितना जरूरी है
किसिसे tiktok डिलीट नहीं हो रहा
तो कीसिसे uc browser डिलीट नहीं हो रहा...
Bhai mai uc use karta hu, agar koi behtar app ho to bato
@@vipinmishra175 Chrome use kar le UC se to behtar hi hai
@@vipinmishra175 Jio browser, mozilla firefox,chorme to install hi hoga bhai
Log apna lalch dekhte hai.
@@vipinmishra175
Me browser अपने भारत का एप है उसे डाउन लोड करें
जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
All Indian should be use to India products to make India rich and healthy.
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
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स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है।
tinyurl.com/RrpAllDrafts
देश की भलाई चाहते हो तो आपसी मतभेद छोड़कर एक होना पड़ेगा। कृपया हमें वोटसएप करे 09833736206 🙏
धन्यवाद इस वीडियो के लिए
Jai hind 🇮🇳 Hindustan
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
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Superb video... Covers every aspect and also explains well...One like to background music
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Happy health india...all products...best quality best price..indian company
Good information
Many thanks for your support Sanjeev ji! 🙂
Very nice information sir jai hind
Background music.... Sare jha se aacha hindositaa hamara... 🇮🇳
Good information
Thanks
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Thank you my brother good information provided
RajivDixit: only Swadeshi use
awsome work 🥳🥳
Mean godarej company ka employee hun.. I love my company
Very nice Jayanta ji... Ye video apne Godrej ke saathiyon ke sath bhi zarur share kariyega... aapka sujhaav humare liye mehatvapurn hai... 🙂🙏
@@10ON10 bilkul jiii. Apka har video mean bohat acchaa knowledge hota hean. Love❤ from kolkata
Wow! that is so nice of you, Main aapke is pyare comment ke liye aapko 10 ON 10 ki T-Shirt bhejna chahunga (But Lockdown khatam hone ke baad! ) , Aap humare official e-mail address contact10on10[at the rate]gmail[dot]com par apne T-shirt size ke sath e-mail zarur kariyega with complete postal details... 😊
@@10ON10 thank you😊
I'm Paranjali Ayurved Lmt employee 😊
Thanks for making this video
I was in search of such a video 🇮🇳❤
Nice to have your kind response 363XII SciCNiyati 👍 Do let us know what other videos you would like to see! Have you also seen these videos?: ruclips.net/user/10on10playlists
Excellent....
Hamdard unani & ayurvedic campany bhi hai .wo India mine hi hai
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Thanks for informing 👌
जय हिंद🇮🇳
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
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Very good news for Indian citizens.
Perfect RIGHT brother. 🙏 🇮🇳
Thank you Bhavesh bhai! :)
Nice very good well done Jai Hind 💐💐😁😁
भाई व्हिडिओ accha है, लेकीन ITC कंपनी ये विदेशी कंपनी है,इसका फुल फॉर्म इंडियन टॅबोको कंपणी है, ये अमेरिकन कंपनी है, जिस देश मे जाती है उस देश का नाम सामने लगाते है..ईसका जादा उत्पादन सिगरेट का होता है...
Me bhi is baat se sahmat hu 😢😢
Awesome..... Brovo!!!! Make more videos unique, Ptoductive, informative, knowledge, business and marketing..... Good job
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भाई itc पूरी तरीके से इंडियन कंपनी नहीं है इसके शेयर मैं विदेशी हिस्सेदारी भी है जैसे Paytm में है
Jiske pas 50% se jyada share company uski
ITC Limited is an Indian multinational conglomerate company headquartered in Kolkata, West Bengal.Ajit Narain Haskar became the company's Indian chairman in 1969.ITC is indian company.
Mobikwik pure Indian app है।।।Mobikwik इस्तेमाल करें।गूगल पे अमेरिकन है और paytm Chinese कंपनी अलीबाबा के support लेती है
Thanks for this video
स्वदेशी अपनाओ विदेशी अपने आप भाग जायेगे जय स्वदेशी जय राजीव दीक्षित वंदेमातरम्।
Nice
टॉप Brands जो भारत मे फेल हो गए
ruclips.net/video/X1bI23lBluA/видео.html
Mobikwik pure Indian payment app है।।।गूगल पे(अमेरिकन), पेटीएम(अलीबाबा चाइनीज कंपनी)please use Mobikwik
केवल like करने से नहीं होगा उसे जीवन में उतारें भी।।।mobikwik इस्तेमाल करें।
इस्तेमाल करना शुरू किया कि नहीं MOBIKWIK कि भूल गए?
Thank you sir . Good information. Support atmanirbhay bharat
Thank You Avdhut Salvi for your comment... 🙂 Which video would you like to see in future? You can also see our other videos here: ruclips.net/user/10on10playlists
We buy Indian stuffs only always.
Parle, Himalaya, Emami , Godrej, Marico , Dabur, Britannia ,Patanjali , Amul, ITC..
Also add TATA products..
Deshbhakt Hindu Jago Hindu aur Maharaj chattrapati shivajee bano
टॉप Brands जो भारत मे फेल हो गए
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Thanks bhai
ITC makes India proud use ITC brand only like yipee noodles instead of magiee n so on
Dear sir it is not an Indian co
@@Vinaysingh-wr1id dear ITC is a Indian company since 1910 its working n im a share holder in ITC buddy i knw abt ITC u cn google it if u want.
JAI Hind🇮🇳
@@vandemataram5583 aapke shair lene se kya ye bharat ki company ho jayegi.
Google par hissedari dikhe kiski kitni hai or kisne iski sthapna ki yhi.
Naam itc ya hindustan Unilever hone se bharat ki company nhi banti
@@SURBHIUTPAD Dear ITC aap search karlo ITC ek Indian company hai half knwledge is dangerous aapka knwledge badao fir debate karo
en.m.wikipedia.org/wiki/ITC_Limited
Check this link dear ITC is an 100% Indian company and yes Hindustan Unilever is not Indian, but ITC is Indian.
Thank you.
Jai Hind🇮🇳
@@vandemataram5583 isi link pe aap history bhi padh lete to jyada achcha rahta.
Padh ke utter jaroor dena.
ज्ञानवर्धक जानकारी दिए आपने बहुत अच्छा लगा इन कंपनियों के साथ-साथ आप इनके मालिकों के नाम भी बताना सर।
5:52 one of the best Indian company.
Thanks for this video support india
Thank You Bajrang Indian for your comment... 🙂 Which video would you like to see in future? You can also see our other videos here: ruclips.net/user/10on10playlists
Jay hind
बहुत अच्छी जानकारी दी धंनबाद
फालतू की चीजे न खरीदें । शरीर की सुन्दरता अच्छे चरित्र से आती है स्नान के लिए दूध , बेसन का प्रयोग करे, दांत की सफाई दातुन से अच्छे से हो जाती है
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
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Dear syska company
कहा कि कम्पनी है
ये भारत की कम्पनी है
या विदेशी कम्पनी है
प्लीज़ बताएं
Syska भारतीय कंपनी हैं ।
1989 मे राजेश उत्तमचंदानी ने चालु की है
Thank you
Mobikwik pure Indian app है।।।Mobikwik इस्तेमाल करें।गूगल पे अमेरिकन है और paytm Chinese कंपनी अलीबाबा के support लेती है
Dear sir, i hope ki aapki yeh video se people kuch indian product ki or shift ho. I m sharing your video with my friends. I also recommended my father to use seperate space for indian cosmetic products. He has cosmetic shop. Hope for well. Yours 10 on 10 concept is awesome.
Thank you brother! 🙏🙂
Swadeshi company me bhi foreign investor hote hain try local help local.
Bahut achha bhai
Ur voice is like advertisement 😉😉
😆