सत्संग का सार - नियम को तोड़ा नहीं जा सकता परंतु उनके ऊपर उठा जा सकता है बस इतना जानना है की यह नियम भी एक अनुभव हैं और मैं अनुभवकर्ता उनको अनुभव कर रहा हूँ 🙏🏻 आपको नमन 🙏🏻😇
प्रणाम सर जी आप ने जो स्व समानता का जो नियम बताया उससे विरुध्द, मेरे को इस संसार मे एक स्व असमानता का नियम देखने को मिलता है. जेसे की मनुष्य मनुष्य से अलग है, उनकी आंख से आंख नहीं मिलती हाथ की लकीरें नहीं मिलाती, जगत के प्राणी से प्राणी भिन्न है, यंहा तक की एक ही पेड के पत्तों को सूक्ष्मता से देखा जाए तो उसमे भी भिन्नता नज़र आएगी. तो सर जी ये भिन्नता का नियम को समझाये. 🙏🙏🙏🙏
My Guru says....there are truths and higher truths...the highest truth is that we are pure consciousness...all the other truths are at a lower level...i also sometimes get that glimpse but I need to do more practice and let it settle
कई बार हम ऐसे स्वप्न देखते हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की कभी, यहां शंका होती है कि वे स्वप्न भी क्या किसी स्मृति से आ रहे हैं? यहां दृष्टि सृष्टि को कैसे देख सकते हैं 🙏
आपके वीडियो के बारे में लिखना चित्त के नियमों का उल्लंघन होगा. उलंघन असम्भव है थोड़ा बहुत संतुलन ला सकते है उपर उठ सकते है और कह सकते है कि वीडियो में सुन्दरता है इसलिये पूर्णता है.
Namaskar sir, I loved this video as all other videos you made. Sir can you please provide link to the video where you have given introduction to vishwa chit and maha chit. How they are different and related to each other. Thank you sir.
@@bodhivarta Many thanks for sharing the links...if you have any videos in English of the Layers of Mind and Laws of Mind kindly share the links. Thanks in advance
Wo kon si prakriya h jisse viswa chitt ka ek chota sa kann uske hi sambhavit rachna me fas jaata h aur kisi bhi tarah k sarir se bandh jaata h ... Ya ek anubhavkarta ko sabse pahla sareer kaise milta h ... Vo koi bhi sareer ho most probably wo kisi lower organism ka hoga Ya laymen's term me ek jeev ka janm kaise hota h ... Obviously it's eternal ... I hope you get my question.
अनुभवकर्ता केवल साक्षी है , दृष्टा है , आत्मन है , अस्तित्व स्वयं है। उसको कोई शरीर नहीं मिलता न वो चाहता है न कुछ रचता है न कुछ करता है। अधिक जानकरी : ruclips.net/video/uVPsWmW-_bo/видео.html चित्त, जगत और शरीर माया है और इसमें विकास की संभावना है , नई रचनाएँ उभरती हैं , बिगड़ती हैं। रचनाएँ नाद से बनी हैं जो स्वयं संगठित होकर जटिल होती जाती हैं। ऐसी एक रचना कारण शरीर है जो स्मृतिओं का लेखा है। यही रचना संगठित होकर विभिन्न जीवों का रूप लेती है। मानव शरीर एक रचना है , इसका जोड़ कारण शरीर से होने पर जीवन मिलता है। अधिक जानकरी : ruclips.net/video/JyVxtbsP2lk/видео.html ruclips.net/video/IhVGvpwTNWQ/видео.html ruclips.net/video/j1w3_q4c5Jc/видео.html
अस्तित्व जो अद्वैत है जब चित्त द्वारा अनुभव और अनुभवकर्ता में विभाजित किया जाता है वो अवस्था द्वैत है । चित्त अनुभव को भी विभाजित करता है, अच्छा बुरा, सुन्दर कुरूप, सुख दुःख आदि ।
Omg. This is amazing ... the law of consciousness that have been described in this is so perfect and I agree to each and every law as after understanding the laws and experiences from past... Where did you get all these details from which text plz help with info
आपने यहां संकर्षण के नियम की व्याख्या की और कहा कि चित् एक ही तरफ चलता है। मैं इस नियम से पीड़ित हूं, लाख कोशिशों के बाद भी इस के पार नहीं जा पा रहा। भोग की उसी वस्तु की तरफ चित् बार बार जाता है। Even the effort to renounce it is not giving any result...I am so sick aand tired of my impure thoughts....will any tantrik method or even Aghor will help...so basically you indulge and then overcome the propensity.... please guide me if you have a solution....i feel completely helpless🙏🙏
पवनदीप जी , ये अज्ञान के कारण है , आत्मज्ञान से ही वृत्तिओं का समूल नाश होगा। व्यवस्थित रूप से चलें , गुरु के मार्गदर्शन में। बिना सोचे कोई कदम न उठायें, अब तक तो यही किया है इसलिए फल नहीं मिला। मुझसे संपर्क करें , इच्छा हो तो। संपर्क की जानकारी यहाँ है : pureexperiences.blogspot.com/p/blog-page_22.html
जो जीवन के लिए आवश्यक है, उसमे रूचि कम नहीं होगी। जो अनावश्यक है , अर्थहीन है , सात्विक नहीं है , उनमे रूचि नहीं रहेगी। चाहे काम हो, सम्बन्धी हों , मनोरंजन हो। यहाँ खालीपन होगा, अधिक समय मिलेगा, उसको रचनात्मक कार्य से, अध्यात्म से, ज्ञान प्रसार से भरने का प्रयत्न करें।
Great work guru dhanyvad 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कोटि कोटि प्रणाम गुरु क्षेत्र को
Pranaam Prabhu
Channel of Wisdom Treasure, Amazing Speaker, amazing simplicity.
आप बहुत ही सही तरीके से बता रहे हो जारी रहे लोगो बहुत मिल रहा है
Bahut bahut dhanyawad 🙏🙏🙏
Naman mere gurudev 🙇🌹🌹❤️bhut abhar
बोधि वार्ता चित्त बहुत सुंदर
Thankyou sooo much guruji please please please keep doing and continue uploading this precious knowledge. Lots of love thankyou.
I will try my best🙏
संकर्षण के नियम को सुन कर नतमस्तक हु आपके चरणों में 🙏🌺
सत्संग का सार - नियम को तोड़ा नहीं जा सकता परंतु उनके ऊपर उठा जा सकता है बस इतना जानना है की यह नियम भी एक अनुभव हैं और मैं अनुभवकर्ता उनको अनुभव कर रहा हूँ 🙏🏻 आपको नमन 🙏🏻😇
Much beautiful❤❤❤🎉🎉🎉
Guruji apko shastang namaskar hai❤ itna sahaj gyan jo hum bhagyavan hai hami mila hai.❤😊😊😊
Sat saheb 🙏
Gahara chintan he apaka
Thanks 👍❤
🙏🙏🌺🌺🌺
प्रणाम सर जी
आप ने जो स्व समानता का जो नियम बताया उससे विरुध्द, मेरे को इस संसार मे एक स्व असमानता का नियम देखने को मिलता है.
जेसे की मनुष्य मनुष्य से अलग है, उनकी आंख से आंख नहीं मिलती हाथ की लकीरें नहीं मिलाती, जगत के प्राणी से प्राणी भिन्न है, यंहा तक की एक ही पेड के पत्तों को सूक्ष्मता से देखा जाए तो उसमे भी भिन्नता नज़र आएगी.
तो सर जी ये भिन्नता का नियम को समझाये.
🙏🙏🙏🙏
प्रणाम,
स्वसमानता का अर्थ है रचना का छोटा भाग उसके बड़े भाग के समान होगा। यहाँ देखें :
hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8
धन्यवाद... बहोत ही सरल मार्गदर्शन... please upload shiv shakti energy topic...💐
Amazing way of expiation.natural way. Easily grapsed
Bahut se video dekhane hai tabhi clear hoga . Bahut elaborate ( विस्तार )है ।
🙏🙏🌺
Thank you so much sir ji
Thanks ❤
🙏
🙏🙏🙏🙏
Shrimanji, Ahobhav ke sath mera sader prnaam sweekar kijiyega 🙏🙏 bahut hi Sarthak aur saral Shabdo me samjha hai chitt ke punha punha dhanywad.
🙏अच्छा लगा जानकर कि ये वीडियो आपके कुछ काम आया
🌹🙏🌹
🙏🙏🙏🙏🙏..
🙏🙏🙏
My Guru says....there are truths and higher truths...the highest truth is that we are pure consciousness...all the other truths are at a lower level...i also sometimes get that glimpse but I need to do more practice and let it settle
कई बार हम ऐसे स्वप्न देखते हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की कभी, यहां शंका होती है कि वे स्वप्न भी क्या किसी स्मृति से आ रहे हैं?
यहां दृष्टि सृष्टि को कैसे देख सकते हैं 🙏
🙂🙏🏻
गुरुजी क्या जगत के इच्छा और जीव के इच्छा दो अलग है, जैसे जीव को जगत के इच्छा से चलना पड़ता है?
I respect you I like you I love you. God bless you
🙏🙏🌹👏👏💚👌👌
🙏🌷🙏
kya is vaartaa ki pen drive available hai
दूसरे लोकों की स्मृति भी क्या ब्यक्तिगत स्मृति में संगृहीत है गुरुजी?
आपके वीडियो के बारे में लिखना चित्त के नियमों का उल्लंघन होगा. उलंघन असम्भव है थोड़ा बहुत संतुलन ला सकते है उपर उठ सकते है और कह सकते है कि वीडियो में सुन्दरता है इसलिये पूर्णता है.
🙏🙏🙏🧎♀️
अनाहत नाद क्या है?? कृपया इस पर एक video बनाए
Guruji kya aap law of attraction ke vishay me ek video bana sakte ho? kya law of attraction law of mind Me ata he?
ये पश्चिमी अंधविश्वास है । संकर्षण के नियम का भ्रष्ट रूप है ।
गुरुजी अगर चित्त में बस्तु का निर्माण पूर्ब संगृहीत ज्ञान से होता है, तो फिर जब हम नये बस्तु को देखते हैं, उसका निर्माण कैसे होता है?
chitam mantram
Namaskar sir, I loved this video as all other videos you made. Sir can you please provide link to the video where you have given introduction to vishwa chit and maha chit. How they are different and related to each other. Thank you sir.
नमस्ते । ज्ञानमार्ग की श्रृंखला में चित्त की परतें का विडियो देखिये । ruclips.net/p/PLGIXB-TUE6CQ6_eata_SWu-HKz2OSZUAN
@@bodhivarta thank you sir
Do you have these videos in English?
Sure. English series : ruclips.net/p/PLB-JSAbBz5B55KOYv9QFKc46zkYhSeT0W
@@bodhivarta Many thanks for sharing the links...if you have any videos in English of the Layers of Mind and Laws of Mind kindly share the links. Thanks in advance
Its all in that series. Welcome always.
Hm ..yesterday I tried to meditate can't make it..
Wo kon si prakriya h jisse viswa chitt ka ek chota sa kann uske hi sambhavit rachna me fas jaata h aur kisi bhi tarah k sarir se bandh jaata h ... Ya ek anubhavkarta ko sabse pahla sareer kaise milta h ... Vo koi bhi sareer ho most probably wo kisi lower organism ka hoga
Ya laymen's term me ek jeev ka janm kaise hota h ... Obviously it's eternal ... I hope you get my question.
अनुभवकर्ता केवल साक्षी है , दृष्टा है , आत्मन है , अस्तित्व स्वयं है। उसको कोई शरीर नहीं मिलता न वो चाहता है न कुछ रचता है न कुछ करता है।
अधिक जानकरी : ruclips.net/video/uVPsWmW-_bo/видео.html
चित्त, जगत और शरीर माया है और इसमें विकास की संभावना है , नई रचनाएँ उभरती हैं , बिगड़ती हैं।
रचनाएँ नाद से बनी हैं जो स्वयं संगठित होकर जटिल होती जाती हैं। ऐसी एक रचना कारण शरीर है जो स्मृतिओं का लेखा है। यही रचना संगठित होकर विभिन्न जीवों का रूप लेती है। मानव शरीर एक रचना है , इसका जोड़ कारण शरीर से होने पर जीवन मिलता है।
अधिक जानकरी :
ruclips.net/video/JyVxtbsP2lk/видео.html
ruclips.net/video/IhVGvpwTNWQ/видео.html
ruclips.net/video/j1w3_q4c5Jc/видео.html
Sir main jo bolu kam hai, shabd nahi hain. 😪
द्वैत को मैं समझा नही अभी तक। क्या आप और सरल तरीके से बता सकते हैं क्या?
अस्तित्व जो अद्वैत है जब चित्त द्वारा अनुभव और अनुभवकर्ता में विभाजित किया जाता है वो अवस्था द्वैत है ।
चित्त अनुभव को भी विभाजित करता है, अच्छा बुरा, सुन्दर कुरूप, सुख दुःख आदि ।
Drasta, karta aur karm....
Omg. This is amazing ... the law of consciousness that have been described in this is so perfect and I agree to each and every law as after understanding the laws and experiences from past...
Where did you get all these details from which text plz help with info
Happy to serve you. My source is the Gurufield.
ruclips.net/video/DmJF__pkMSo/видео.html
@@bodhivarta thank you 🙏🏽
आपने यहां संकर्षण के नियम की व्याख्या की और कहा कि चित् एक ही तरफ चलता है। मैं इस नियम से पीड़ित हूं, लाख कोशिशों के बाद भी इस के पार नहीं जा पा रहा। भोग की उसी वस्तु की तरफ चित् बार बार जाता है। Even the effort to renounce it is not giving any result...I am so sick aand tired of my impure thoughts....will any tantrik method or even Aghor will help...so basically you indulge and then overcome the propensity.... please guide me if you have a solution....i feel completely helpless🙏🙏
पवनदीप जी , ये अज्ञान के कारण है , आत्मज्ञान से ही वृत्तिओं का समूल नाश होगा। व्यवस्थित रूप से चलें , गुरु के मार्गदर्शन में। बिना सोचे कोई कदम न उठायें, अब तक तो यही किया है इसलिए फल नहीं मिला। मुझसे संपर्क करें , इच्छा हो तो।
संपर्क की जानकारी यहाँ है : pureexperiences.blogspot.com/p/blog-page_22.html
💜 🦢 💜
आपके विश्लेषण से ये प्रतित होता है कि मुल ( स्पंदन ) चित्त और अनुभव कर्ता से भी परे है अगर मै गलत हूं तो कृपया मार्गदर्शन करे
दोनों एक हैं। अद्वैत है। अनुभवकर्ता ही नादरूप में या स्पन्दरूप में स्वयं को अनुभव करता है।
@@bodhivarta धन्यवाद गुरुजी !! गुरुजी ये अनुभव होणे के बाद भौतिक जीवन में रुची कम होना स्वाभाविक है, तो संतुलन कैसे बनाए रखे।
जो जीवन के लिए आवश्यक है, उसमे रूचि कम नहीं होगी। जो अनावश्यक है , अर्थहीन है , सात्विक नहीं है , उनमे रूचि नहीं रहेगी। चाहे काम हो, सम्बन्धी हों , मनोरंजन हो। यहाँ खालीपन होगा, अधिक समय मिलेगा, उसको रचनात्मक कार्य से, अध्यात्म से, ज्ञान प्रसार से भरने का प्रयत्न करें।
Adha bhara lota kuch jyada avaz karta hai
अपना लोटा लेकर कहीं और जाओ भाई । ये चेनल साधकों के लिए है । ऐसी बकवास फिर लिखी तो बैन हो जाओगे । तमीज सीखो।
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