હાજીપૂરગામ.ભજન.સતસંગ.જસૂરામ.માહારાજ

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  • Опубликовано: 1 фев 2025

Комментарии • 4

  • @ramandassahebji611
    @ramandassahebji611 7 месяцев назад +1

    भग द्वारे बालक आया भग भोगी के भगवान कहाया।
    चौद लोक बसे भग माहि,भग से न्यारा कोई नाहि।
    कहे कबीर भगसे बचे, भक्त कहावे सोई।।

  • @ramandassahebji611
    @ramandassahebji611 7 месяцев назад +1

    जे तमे साखी बोल्या छो ऐ तो कबीर साहिब नी छे
    अने तमे बदली छे
    सदगुरु मोहि निवाजीया, दिन्हा अमर मुल।
    शीतल शब्द कबीर का, हंसा करे किलोल।।
    साहिब कबीर नी छे आ वाणी,तेने तमे लिधी छे वेणी।
    तेनी बनी छे पांचमी खाणी,तमने लई जसे चौरासी ताणी।।
    कबीर का गाया गायेगा,तिन लोकमे जूता खायेगा।
    कबीर का गाया बूजेगा,अंतर गत को सूजेगा।।

  • @ramandassahebji611
    @ramandassahebji611 7 месяцев назад +1

    माला लक्कड पूजा पत्थर, तिथॅ है सब पानी।
    कहत कबीर सुनो ओर साधो, चारो वेद कहानी।।
    संसारी गुरु कबु ना कीजे,ताहि दुर ही ते तज दिजीये।।
    जाका गुरु गृहि चेला गृही होय
    किच किच मै धोवते मैल न जाय कोई।।
    निरंजन निराकार हरी जो जाने।
    सोई काल कोई ममॅ जाने।
    तिन लोकमे मन ही विराजी, ताहि न चिन्हत पंडित काजी।।
    मै सिरजो मै जारु मै खाऊ,जल थल मै रमी रहो।
    मौर निरंजन नाऊ।।
    निरंजन निराकार ने सब दुनिया मालिक कहो छो
    तेने कबीर साहिब जी काल पुरुष कह्यो छे।।

  • @ramandassahebji611
    @ramandassahebji611 7 месяцев назад

    मन अने आत्मा ने अलग(विलगीकरण)करे तेमने पुरा सदगुरु कहेवाय।दूध पाणी जुदा करे तेने पुरा संत कहेवाय।
    कितने तपसी तप करे डारे, काया डारी गारा।
    गृह छोड भये सन्यासी,तवु न पावत पारा।।
    मन,बुध्धि,चित्त,अहंकारा,ईनके आगे भेद हमारा।
    कहे कबीर सुनो ओर साधो,जानेगा कोई जाननहारा।।