इस जगह रज्जागढी का हमने लगभग कोरोना काल के लाकडाउन में 4 साल पहले 10 साथियों के साथ ट्रेक किया था बहुत खूबसूरत और रोमंचकारी जगह है इसकी कहानी मैने बचपन में बडे बुजुर्गों से सुनी थी कि यहां पर राजा का जन्ता के लिए महीने में एक बार बहुत बडा दरबार लगता था जिसमें आसपास के गांव से सभी लोग सुन्दर नाच-गाना देखने सुनने के लिए आते थे तब से मेरी तमन्ना थी इस जगह को देखने की उस गुजरे हुए कल की यादों को महसूस करने की और मैने इस जगह पर आकर महसूस किया भी इसमे पहले नीचे एक परेड ग्राउंड है फिर किले की दीवार है अवशेष के तौर पर फिर ऊपर चढ़कर महल के खण्डों के कुछ अवशेष बचे है इसमें दो सुरंगे भी हैं जो एक ईगारा गांव के धोबीघाट मे खुलता है और दूसरा पास्ता गांव के धोबीघाट मे फिर आगे चल कर एक खाई खोदी हुई है जिसे पहाडी को काटकर दुश्मनों से बचने के लिए बनाया गया था फिर दूसरी तरफ एक बहुत खूबसूरत पौराणिक बुसडा का सिद्ध बाबा मन्दिर है फिर आगे चलकर बहुत बडा पोखर (तालाव) है जिसकी चौड़ाई लगभग 200 मीटर के दायरे मे होगी और गहराई 15-20 की रही होगी जिसमे राजा के घोडे पानी पीते थे बहुत खूबसूरत नजारा है इस जगह का धन्यवाद
Great
बहुत सुन्दर 👍🏻
इस जगह रज्जागढी का हमने लगभग कोरोना काल के लाकडाउन में 4 साल पहले 10 साथियों के साथ ट्रेक किया था बहुत खूबसूरत और रोमंचकारी जगह है इसकी कहानी मैने बचपन में बडे बुजुर्गों से सुनी थी कि यहां पर राजा का जन्ता के लिए महीने में एक बार बहुत बडा दरबार लगता था जिसमें आसपास के गांव से सभी लोग सुन्दर नाच-गाना देखने सुनने के लिए आते थे तब से मेरी तमन्ना थी इस जगह को देखने की उस गुजरे हुए कल की यादों को महसूस करने की और मैने इस जगह पर आकर महसूस किया भी इसमे पहले नीचे एक परेड ग्राउंड है फिर किले की दीवार है अवशेष के तौर पर फिर ऊपर चढ़कर महल के खण्डों के कुछ अवशेष बचे है इसमें दो सुरंगे भी हैं जो एक ईगारा गांव के धोबीघाट मे खुलता है और दूसरा पास्ता गांव के धोबीघाट मे फिर आगे चल कर एक खाई खोदी हुई है जिसे पहाडी को काटकर दुश्मनों से बचने के लिए बनाया गया था फिर दूसरी तरफ एक बहुत खूबसूरत पौराणिक बुसडा का सिद्ध बाबा मन्दिर है फिर आगे चलकर बहुत बडा पोखर (तालाव) है जिसकी चौड़ाई लगभग 200 मीटर के दायरे मे होगी और गहराई 15-20 की रही होगी जिसमे राजा के घोडे पानी पीते थे बहुत खूबसूरत नजारा है इस जगह का धन्यवाद
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