Patjhad by Manav Kaul

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  • Опубликовано: 17 окт 2024

Комментарии • 6

  • @itossc
    @itossc 10 месяцев назад +1

    Is this poetry book

    • @deborummy
      @deborummy  10 месяцев назад

      Its a novel and beautiful

    • @itossc
      @itossc 10 месяцев назад

      @@deborummy suggest any Poetry book

  • @aryanalex5151
    @aryanalex5151 9 месяцев назад +1

    मै भी मानव काल का बहुत बडा प्रशंसक हू उनकी पुस्तक " शर्ट का तीसरा बटन " मेरी favorite है वो अच्छी ही नही बहुत बहुत शानदार पुस्तक है । थोडा निराश हुआ था जब पता चला कि उसकी विधा शैली और विषय एक अमेरिकी पुस्तक " Be keeper of Aleppo " से inspire है। मानव की " प्रेम कबूतर "। फिर " "तुम्हारे बारे मे " और कर्ता ने कर्म को अच्छी है। सबसे बकवास "अंतिमा " है । " ठीक तुम्हारे पीछे " भी उतनी अच्छी नही बस ऐसे ही बस लिख दिया है मानव ने। " बहुत दूर कितना दूर होता " एक्दम घटिया है"।और रूह पुस्तक मे अपने आप justify करते है कि भागे नही थे भगाए गये थे और घुमा फिराकर रूह के साथ coitus करते है बाकि इतना नाटक किया कि पूछो मत । बूरा न मानना दीदी but it's true अच्छे यात्रा वृतांत पढना है तो असगर वजाहत, अज्ञेय, मंगलेश डबराल', सांकृत्यायन या पंकज बिष्ट को पढिए। सभी पुस्तको मे आपको मानव एक sexually frustrated किरदार के रूप मे भी नजर आयेंगे हर पुस्तक मे लगेगा कि यार ये अपने हर किताबी किरदारो के साथ sex करने पर अमादा है पर एक खास बात मानव की , कि ये इन चीजो को बहुत ही मार्मिक तरीके से इतनी तन्मयता और बखूबी से लिखते है कि पाठक बस बह जाता है और मोहित हो जाता है....दूसरी बात इनकी पुस्तको मे मुझे खटकती है कि हर पुस्तक मे अपने किरदारो के माध्यम से या कभी कभी खुद ही गला फाड़ फाड़कर कहते है या कहलवाते है कि मै लेखक हू.......मुझे एकदम अजीब लगता है कि हा भाई आप कई मायनो अच्छा लिख लेते हो इसमे कोई शक नही पर ये बिना वजह हर कहानी मे चिल्लाना अजीब है....दूसरी बात ये है कि ...हमारे यहा मैने देखा है चाहे वो लेखक हो या कोई पाठक अपना criticism accepts ही नही करता , ये कोई पुस्तक वो अच्छी लिख सकता है तो बुरी भी लिख सकता है , जिस विधा मे वो अच्छा नही है " ठीक वैसे ही मानव काल " यात्रा विधा के लेखन मे एक्दम घटिया है " यात्रा विधा पर लिखने के लिए जो भाषाई चमक और अंदाज चाहिए होता है वो रत्ती भर भी नही है मानव काल मे। हर बार मानव कहते है कि यात्राए मेरे भीतर चल रही होती है यार बेनीपुरी और अज्ञेय भी अपने भीतर से चल रही यात्राओ को ही लिखा है पर इतना बकवास और घटिया तो उन्होने बिल्कुल नही लिखा । मै भी कहा मानव को अज्ञेय से तुलना करने लगा यार ।।।।

    • @deborummy
      @deborummy  9 месяцев назад

      Aapney apna view yahaan share kiya uske liye bahut dhanyavaad bhai. Aapka comment padkar samajh aaya ki aap qitaabon ke kitney badey prashansak hain. Sab ka apna nazariya hota hai aur mujhey achchha laga ki aapney yahaan bina sankoch usey vyakt kiya.
      Aur haan, mujhey aur lekhakon se pehchaan karvaaney ke liye shukriya. Main unhein zaroor padoongi.

    • @aryanalex5151
      @aryanalex5151 9 месяцев назад

      आपके reply पढकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब आपने ये कहा कि मैने आपको दूसरे लेखकों से अवगत कराया....दीदी सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय, सांकृत्यायन और मंगलेश डबराल और वजाहत साहब हिन्दी साहित्य के बहुत ही उम्दा और बड़े लेखको में से एक है इन्हे तो हर साहित्य प्रेमी जानता है आप हिन्दी साहित्य के classic कृतियो और अदभूत रचनाओ को शायद अभी नही पढा है इसलिए शायद आपका इनसे अभी परिचय नही हुआ है....सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय की "शेखर एक जीवनी" कभी मौका मिले तो पढियेगा आपको हिन्दी साहित्य अपार और असीम गहराई का पता चल जायेगा....