You are the best teacher till now I have found in the domain of philosophy, not only philosophy, but also philosophy of life also. Which study very urgent to study and practice in our human civilization. 🙏
विषय को सरलतम शब्दों में समझाना भी महत्वपूर्ण कला है ,लगता है प्रोफेसर साहब इस कला में अत्यंत प्रवीण हैं, सोशल मीडिया के युग में ही यह सम्भव हो सका है कि इतने गुणी प्राध्यापक से हम सब लाभान्वित हो सके हैं।सादर अभिवादन।
Sir, thank you for providing the lecture series in you tube, on philosophy. I was as a student, active in communist party associated student organization. Marx in his book, explained that capitalism has internal contradictions, which would eventually lead to socialism. In socialism, there will not be equality but there will be no exploitation of labour. Equality does not mean that all will be in equal in all respects in the society. In socialism, all will get opportunity to do work, and will get remuneration according to the quantity of work they do.
प्रो. हिम्मतसिंह जी को सुनने का अपना एक अलग प्रकार का अनुभव है । एक शिक्षक हमेशा कैसे अपने विषय को टुकड़ों-टुकड़ों में बाँट कर एक प्रकार से शव-परीक्षण की मेज़ पर लाकर प्रत्येक अंग की व्याख्या करता है, सिन्हा जी की दर्शन-चर्चा उसका एक बेहतरीन उदाहरण है । ऐसा नहीं है कि इस प्रकार की चर्चा का सिवाय विषय की शुद्ध व्याख्या के अपना कोई तर्क या एथिक्स नहीं होता है । ‘शुद्ध व्याख्या ‘ ही स्वयं में एक कोरा भ्रम है । हर व्याख्या तर्क के अपने ख़ास आधारों पर खड़ी होती है और निश्चित अर्थ का संसार रचती है । सोफिस्ट्री बुद्धि का व्यापार करने वाला कोरा पेशा नहीं होता है, वह अपने साथ पेशे की अपनी नैतिकताओं का भुवन भी रचता है ; पेशे की ज़रूरत के लिए की गई कारस्तानियों को भी नाना प्रकार से युक्तिसंगत साबित करता है । पेशे की ज़रूरतें ही कैसे पेशेवर के काम को प्रभावित करती है, इसका एक क्लासिक उदाहरण हमें डा. राधाकृष्णन की उस बात में मिलता है, जिसका हिम्मत सिंह जी अक्सर खुद भी इस्तेमाल करते हैं, कि भारतीय दर्शनशास्त्र तो अपनी पराकाष्ठा पर शंकर के वेदांत के साथ ही पहुँच गया था, उसके बाद तो यहाँ जो भी दार्शनिक चर्चाएँ हुई, वे शंकर के वेदांत के फुटनोट्स से ज़्यादा महत्व नहीं रखती हैं । यह कथन किसी सत्य का बयान नहीं था, एक शिक्षक के रूप में डा. राधाकृष्णन की सीमाओं से पैदा हुई मजबूरी का बयान था। भारतीय दर्शन के इतिहासकार एस.एन.दासगुप्ता ने भी अपने इतिहास में शंकर के वेदांत तक के काल को जिस महत्व और विस्तार के साथ रखा है, वेदांत के समानांतर शैव परंपरा, ख़ास तौर पर कश्मीर के शैव दर्शन, उत्पलदेव और अभिनवगुप्त के प्रत्यभिज्ञादर्शन और तंत्रालोक पर उतना ध्यान नहीं दिया है । पर यह एस एन दासगुप्ता की बौद्धिक ईमानदारी थी कि वे अपनी उम्र और बौद्धिक ऊर्जा का हवाला देकर अपनी इस कमी को स्वीकारते हैं और शैवागमों की दीर्घ परंपरा और उनकी अति-विकसित दार्शनिक अवधारणाओं की ओर संकेत भी करते हैं । नौवीं सदी में शंकर के साथ भारत का दार्शनिक चिंतन थम नहीं गया था बल्कि कश्मीरी शैवमत के रूप में उसने एक बिल्कुल नई उड़ान भरी थी जिसमें सभी पूर्ववर्ती दार्शनिक धाराओं को खुली चुनौती दी गई थी। चूँकि डा. राधाकृष्णन की उसमें गति नहीं थी, इसीलिए उन्होंने अपने ज्ञान को भारतीय दर्शन के विकास की ही सीमा मान लिया, जबकि एस एन दासगुप्ता इसे अपनी निजी सीमा मान कर अपनी ईमानदारी का परिचय देते हैं और इस काम को आगे की पीढ़ी के लिए खोल देते हैं, न कि डा. राधाकृष्णन की तरह खड़ी पाई लगा कर हमेशा के लिए बंद कर देते हैं । डा. राधाकृष्णन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि एक शिक्षक के नाते जहां वे रुके, उसे ही विषय का अंत बता कर उसकी व्याख्या करना उनका प्रकारांतर से उनके पेशे से जुड़ा धर्म था । डा. हिम्मत सिंह भी जब मार्क्सवाद की चर्चा करते है तो उनकी पहली बुनियादी कमजोरी तो यह होती है कि वे मार्क्सवाद को दर्शन नहीं मानते, बल्कि एक और नए धर्म की तरह देखते हैं । और फिर ईसाई,बौद्ध, इस्लाम आदि धर्मों की तुलना में, जो हज़ारों साल से टिके हुए हैं, सोवियत समाजवाद के सिर्फ़ सत्तर साल में मार्क्सवाद के अंत को इसकी कमजोरी का प्रमाण कह कर उसे ख़ारिज कर देते हैं । मार्क्सवाद के प्रति हिम्मत सिंह जी यह नज़रिया यही बताता है कि वे सचमुच मार्क्सवाद के गंभीर अध्येता नहीं रहे हैं । कुछ सुनी सुनाई बातों और मार्क्सवाद-विरोधी प्रचारमूलक पुस्तकों से उन्होंने अपनी कुछ धारणाएं बनाई है । उनकी यह सीमा भी शायद सौफिस्ट्री की अपनी मजबूरी की तरह है जो चालू विश्वासों और समाज में स्वीकृत बातों से ज़्यादा दूर जाने का जोखिम नहीं ले सकती है । बहरहाल, हिम्मत सिंह जी के व्याख्यानों का मैं उनकी भाषा-शैली की वजह से ही मुरीद हूँ । उनका जीवट सचमुच विरल और स्तुत्य है । वे शतायु हो, और उम्र की अंतिम घड़ी तक इसी प्रकार दर्शन के विषयों पर अपने श्रोताओं को प्रेरित करते रहें, यह हमारी आंतरिक कामना है ।
Marxism pe itna insight hindi mai RUclips pe ek single lecture nahi hai ... Yeh lectures Koi ordinary lectures nahi hai ... Yeh ek mahagyani ke samagra jivan ki sadhana ka nichor hai ...
प्रणाम बाबाजी। कालभैरव,भूत प्रेत,डायन, भाग्य भगवान पर विश्वास में जी रहा भारत में आप जैसे विज्ञान विरोधी खायें पिये अघाए सिर्फ फेल और पास में जीते हैं।
सर, आपकी बात सही है, मार्क्सवादियों ने कल्चर के हिस्से को इग्नोर किया और वहीं मात खा गए. मैं व्यक्तिगत रूप से कुछ कट्टर मार्क्सवादियों को जनता हूं। चंदे के लिए झगड़े से लेकर मजदूर बुलाकर नारा लगवाना या छात्रों को ब्रेनवाश कर उनको कार्यकर्ता बनना और इन सबका शोषण कर स्वयं ऐशो आराम की जिंदगी बिताना ही उनका काम है। दर्शन चाहे कितना भी ऊंचा क्यों ना हो बिना वैल्यू के बेकार हो जाता है हालांकि बहुत से ईमानदार कम्युनिस्ट लोगो को भी जानता हूं, जिन्होंने मजदूरों के लिए अपना ऊंचे से ऊंचा पद और ऐशो आराम की जिंदगी छोड़ कर गरीबों के लिए काम किया है और करते हैं ।
Sahi kaha bhai.. shayad isiliye ab agar dhyan se dekho to communjsm bhi capitalism ka medium ban gya h. Chjna ko dekho to kahne ko communjst hai par hai hard-core capitalist with dictatorship.
Sahi kaha bhai.. shayad isiliye ab agar dhyan se dekho to communjsm bhi capitalism ka medium ban gya h. Chjna ko dekho to kahne ko communjst hai par hai hard-core capitalist with dictatorship.
आपकी बातों से पूर्णता सहमत हूं जब आज के आधुनिक कंप्यूटर बिना किसी ऑपरेटिंग सिस्टम के नहीं चलाए जा सकते एक समाज एक राष्ट्रीय एक समुदाय बिना किसी नीति नियम के कैसे चल सकता है यह बात हमें वेदों ने कई करोड़ वर्षों पहले ही बता दी थी
I'm not agree on K popper Karl Popper, whose peculiar version of fallibilism once dominated discussions in the philosophy of science. This view is incorrect.Whilst Lenin’s fallibilism is certainly similar to Popper’s influential account, they each develop their ideas from different philosophical starting points.Lenin’s account is also more convincing than Popper’s.
सर में IAS की तैयारी कर रही हूं सर में ऑप्शनल सब्जेक्ट दर्शन शास्त्र लेने चाहती हूं इस लिए सर आप से निवेदन है की upsc ऑप्शनल सब्जेक्ट दर्शन शास्त्र के सिलेबस पर वीडियो बनाए यदि पहले तो मार्गदर्शन करें मैं गांव में ही रहकर तैयारी करना चाहती हूं धन्यवाद
Sir aapki philosophy kya hai? Aap kiski philosophy mante ho? Aapki Dr. Babasaheb Ambedkar ki philosophy ke bareme kya vichar hai? Bhagwan Buddha ke philosophy ki bareme kya vichar hai? Aap vedoko Kitna Purana mante ho? DNA ke bareme aapka kya vichar hai?
4🌹🐦जय श्रीमन्नारायणचरणौ शरणं प्रपद्ये। श्रीमते नारायणाय नमः।। संग संग पुज्य श्री संत चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम. जय श्री कृष्ण राम राम .🐦🌹(इचलकरंजी महाराष्ट्र)🌹🐦
प्रेरणादयी वीडियो के लिए तहे दिल से शुक्रिया। विज्ञान तो एक जरिया है अपनी आस्था के प्रमाणिकता को प्राप्त करने का। भारत ने अपने विश्वास को सदा बनाए रखा और यही हमारी ताकत है। क्या मेरा मूल्यांकन सही दिशा में है महाशय ?
I can feel the pain in this lecture.... Guruji also don't want to criticize marxism because it was a flame of change but prople in power never advocated the people with no economic value..... Guruji is also searching words because deep inside it was not just the harm to marxism but it was also a harm to humanism....
Master Ji har theory se positive points hi leni chahiye.... Chahe 10 hazaar saal purana religion ho ya 75 saal puraani theory kuchh bhi as it is nahi follow karna hai... Apna intellect bhi use karna hai 🙏
थोडा एकतरफा लगता है मार्क्सवाद मे कुछ खामिया रही होगी इसका मतलब ये नही की वो ideology गलत है मार्क्सवाद समझने के लिये हमे और ज्यादा उदार और सायंटिफिक बनना पडेगा
आपने महोदय गुरुजी की पूरी लिस्ट सुनी है मार्क्सवाद पर? जब उन्होंने उसकी स्थापना की, उसकी देनों को बताया, वो भी आप कृपया देखें आप फिर बेहतर निर्णय दे पाएँ
कुर्त की भरमार कर दी आपने। अगर विज्ञान ने तय कर दिया कि चांद सिर्फ एक उपग्रह है, भगवान नहीं, फिर भी आप उसे अपनी पुरानी वैल्यू की वजह से भगवान मान रहे हैं तो ये आपकी गलती है, मार्क्सवाद की नही।
You are the best teacher till now I have found in the domain of philosophy, not only philosophy, but also philosophy of life also. Which study very urgent to study and practice in our human civilization. 🙏
विषय को सरलतम शब्दों में समझाना भी महत्वपूर्ण कला है ,लगता है प्रोफेसर साहब इस कला में अत्यंत प्रवीण हैं, सोशल मीडिया के युग में ही यह सम्भव हो सका है कि इतने गुणी प्राध्यापक से हम सब लाभान्वित हो सके हैं।सादर अभिवादन।
Aap hamarey saath hote to hum aur aap milkar ek naya concept bana dete , god is nothing
@@smAZHAR l
@@smAZHAR human is nothing except false ego
Sir, thank you for providing the lecture series in you tube, on philosophy. I was as a student, active in communist party associated student organization.
Marx in his book, explained that capitalism has internal contradictions, which would eventually lead to socialism. In socialism, there will not be equality but there will be no exploitation of labour. Equality does not mean that all will be in equal in all respects in the society. In socialism, all will get opportunity to do work, and will get remuneration according to the quantity of work they do.
Kitna behtar explain Kiya hai.... Beautifully connected dots
प्रो. हिम्मतसिंह जी को सुनने का अपना एक अलग प्रकार का अनुभव है । एक शिक्षक हमेशा कैसे अपने विषय को टुकड़ों-टुकड़ों में बाँट कर एक प्रकार से शव-परीक्षण की मेज़ पर लाकर प्रत्येक अंग की व्याख्या करता है, सिन्हा जी की दर्शन-चर्चा उसका एक बेहतरीन उदाहरण है । ऐसा नहीं है कि इस प्रकार की चर्चा का सिवाय विषय की शुद्ध व्याख्या के अपना कोई तर्क या एथिक्स नहीं होता है । ‘शुद्ध व्याख्या ‘ ही स्वयं में एक कोरा भ्रम है । हर व्याख्या तर्क के अपने ख़ास आधारों पर खड़ी होती है और निश्चित अर्थ का संसार रचती है । सोफिस्ट्री बुद्धि का व्यापार करने वाला कोरा पेशा नहीं होता है, वह अपने साथ पेशे की अपनी नैतिकताओं का भुवन भी रचता है ; पेशे की ज़रूरत के लिए की गई कारस्तानियों को भी नाना प्रकार से युक्तिसंगत साबित करता है । पेशे की ज़रूरतें ही कैसे पेशेवर के काम को प्रभावित करती है, इसका एक क्लासिक उदाहरण हमें डा. राधाकृष्णन की उस बात में मिलता है, जिसका हिम्मत सिंह जी अक्सर खुद भी इस्तेमाल करते हैं, कि भारतीय दर्शनशास्त्र तो अपनी पराकाष्ठा पर शंकर के वेदांत के साथ ही पहुँच गया था, उसके बाद तो यहाँ जो भी दार्शनिक चर्चाएँ हुई, वे शंकर के वेदांत के फुटनोट्स से ज़्यादा महत्व नहीं रखती हैं । यह कथन किसी सत्य का बयान नहीं था, एक शिक्षक के रूप में डा. राधाकृष्णन की सीमाओं से पैदा हुई मजबूरी का बयान था। भारतीय दर्शन के इतिहासकार एस.एन.दासगुप्ता ने भी अपने इतिहास में शंकर के वेदांत तक के काल को जिस महत्व और विस्तार के साथ रखा है, वेदांत के समानांतर शैव परंपरा, ख़ास तौर पर कश्मीर के शैव दर्शन, उत्पलदेव और अभिनवगुप्त के प्रत्यभिज्ञादर्शन और तंत्रालोक पर उतना ध्यान नहीं दिया है । पर यह एस एन दासगुप्ता की बौद्धिक ईमानदारी थी कि वे अपनी उम्र और बौद्धिक ऊर्जा का हवाला देकर अपनी इस कमी को स्वीकारते हैं और शैवागमों की दीर्घ परंपरा और उनकी अति-विकसित दार्शनिक अवधारणाओं की ओर संकेत भी करते हैं । नौवीं सदी में शंकर के साथ भारत का दार्शनिक चिंतन थम नहीं गया था बल्कि कश्मीरी शैवमत के रूप में उसने एक बिल्कुल नई उड़ान भरी थी जिसमें सभी पूर्ववर्ती दार्शनिक धाराओं को खुली चुनौती दी गई थी। चूँकि डा. राधाकृष्णन की उसमें गति नहीं थी, इसीलिए उन्होंने अपने ज्ञान को भारतीय दर्शन के विकास की ही सीमा मान लिया, जबकि एस एन दासगुप्ता इसे अपनी निजी सीमा मान कर अपनी ईमानदारी का परिचय देते हैं और इस काम को आगे की पीढ़ी के लिए खोल देते हैं, न कि डा. राधाकृष्णन की तरह खड़ी पाई लगा कर हमेशा के लिए बंद कर देते हैं । डा. राधाकृष्णन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि एक शिक्षक के नाते जहां वे रुके, उसे ही विषय का अंत बता कर उसकी व्याख्या करना उनका प्रकारांतर से उनके पेशे से जुड़ा धर्म था ।
डा. हिम्मत सिंह भी जब मार्क्सवाद की चर्चा करते है तो उनकी पहली बुनियादी कमजोरी तो यह होती है कि वे मार्क्सवाद को दर्शन नहीं मानते, बल्कि एक और नए धर्म की तरह देखते हैं । और फिर ईसाई,बौद्ध, इस्लाम आदि धर्मों की तुलना में, जो हज़ारों साल से टिके हुए हैं, सोवियत समाजवाद के सिर्फ़ सत्तर साल में मार्क्सवाद के अंत को इसकी कमजोरी का प्रमाण कह कर उसे ख़ारिज कर देते हैं । मार्क्सवाद के प्रति हिम्मत सिंह जी यह नज़रिया यही बताता है कि वे सचमुच मार्क्सवाद के गंभीर अध्येता नहीं रहे हैं । कुछ सुनी सुनाई बातों और मार्क्सवाद-विरोधी प्रचारमूलक पुस्तकों से उन्होंने अपनी कुछ धारणाएं बनाई है । उनकी यह सीमा भी शायद सौफिस्ट्री की अपनी मजबूरी की तरह है जो चालू विश्वासों और समाज में स्वीकृत बातों से ज़्यादा दूर जाने का जोखिम नहीं ले सकती है ।
बहरहाल, हिम्मत सिंह जी के व्याख्यानों का मैं उनकी भाषा-शैली की वजह से ही मुरीद हूँ । उनका जीवट सचमुच विरल और स्तुत्य है । वे शतायु हो, और उम्र की अंतिम घड़ी तक इसी प्रकार दर्शन के विषयों पर अपने श्रोताओं को प्रेरित करते रहें, यह हमारी आंतरिक कामना है ।
ऐसी महत्वपूर्ण टिप्पणी के लिए आपका भी हार्दिक आभार..
सच में जहाँ कुछ विशेषता है, साथ ही सीमा भी आ खड़ी होती है
🙏🙏
मार्क्सवाद भारत जैसे विकसित आध्यात्मिक समाज के लिए बौने के बौने के लायक भी नहीं
असफलता का दर्शन हैं
दुख का बराबर बंटवारा
मनुष्य विरोधी विचार मात्र हैं
@@mishraanuj17chup
Marxism pe itna insight hindi mai RUclips pe ek single lecture nahi hai ... Yeh lectures Koi ordinary lectures nahi hai ... Yeh ek mahagyani ke samagra jivan ki sadhana ka nichor hai ...
प्रणाम बाबाजी।
कालभैरव,भूत प्रेत,डायन, भाग्य भगवान पर विश्वास में जी रहा भारत में आप जैसे विज्ञान विरोधी खायें पिये अघाए सिर्फ फेल और पास में जीते हैं।
Professor, Baba Maharaj you are the Gem of our times
सर, प्रणाम, बहुत साधारण और सरल भाषा में विखाख्या. जीवन सफल हुआ. थन्यवाद.
Guru ji bar bar aap ko naman zbrdust vdo me marx throry n human values n culture liv long jai hind
Mere GURU JI ! humare GURU JI
सर, आपकी बात सही है, मार्क्सवादियों ने कल्चर के हिस्से को इग्नोर किया और वहीं मात खा गए. मैं व्यक्तिगत रूप से कुछ कट्टर मार्क्सवादियों को जनता हूं। चंदे के लिए झगड़े से लेकर मजदूर बुलाकर नारा लगवाना या छात्रों को ब्रेनवाश कर उनको कार्यकर्ता बनना और इन सबका शोषण कर स्वयं ऐशो आराम की जिंदगी बिताना ही उनका काम है। दर्शन चाहे कितना भी ऊंचा क्यों ना हो बिना वैल्यू के बेकार हो जाता है हालांकि बहुत से ईमानदार कम्युनिस्ट लोगो को भी जानता हूं, जिन्होंने मजदूरों के लिए अपना ऊंचे से ऊंचा पद और ऐशो आराम की जिंदगी छोड़ कर गरीबों के लिए काम किया है और करते हैं ।
Sahi kaha bhai.. shayad isiliye ab agar dhyan se dekho to communjsm bhi capitalism ka medium ban gya h. Chjna ko dekho to kahne ko communjst hai par hai hard-core capitalist with dictatorship.
Sahi kaha bhai.. shayad isiliye ab agar dhyan se dekho to communjsm bhi capitalism ka medium ban gya h. Chjna ko dekho to kahne ko communjst hai par hai hard-core capitalist with dictatorship.
Marxism failure well explained by you sir 👌
Gyan ke pustkalay se kuchh ansh Dene ke liye sadar pranam🙏🙏
जय हो
Dada ji ....aapki ye vidios hmesa amar rahegi...... 🙏🏻 Aapko dil se dhnywad
बहुत स्पष्ट व्याख्या किया...नमन🌼🌼
Really old is gold ❤️❤️
Zabardast lecture baba ji great
Bohat deep analysis Kiya hai app naiy aour simple way
Bahoooot accha laga is topic ko aapse samjhkar sir aapne bahoot simple tareeke se samjhaya🙏
Sardar namaskar sir itna Sara Gyan saral bhasha me samzane ke liye 🙏🙏
आपकी बातों से पूर्णता सहमत हूं जब आज के आधुनिक कंप्यूटर बिना किसी ऑपरेटिंग सिस्टम के नहीं चलाए जा सकते एक समाज एक राष्ट्रीय एक समुदाय बिना किसी नीति नियम के कैसे चल सकता है यह बात हमें वेदों ने कई करोड़ वर्षों पहले ही बता दी थी
सादर प्रणाम।
मैं आपका वीडियो रेगुलर देखता हूं।।
आप मेरे बाबा जैसे लगते है।।
🙏
MAZA AYA
DHANYAVAAD
JAI SHRI RAM 🚩
😂
बहुत सुन्दर प्रस्तुति 🙏🙏🙏
Hearty wrenching story ABT the labour.
Wah🤘🤘
I always listen your content
Dada ji 🙏
❤️ Thank you for your insights
Hats off to your valuable knowledge sir!! You are a gem for us..
Keep doing this ...
Very amazing and precious lecture
Wahh Sir ! Behtreen analysis 👍
वाह गुरूजी।
मजा आ गया।
अब आ मार्क्सवादी बताता हूं😆😆😆
Marxsim kaa kuch ata pata hai nai aaye sikhane...Advocate. Of Aaddaani ,,Aambani Class....
Hey gyan ke saagar aapko barambar pranaam.
जहां शोषण का नामोनिशान नहीं हो, इससे बड़ा भी नैतिक मूल्य है बाबाजी?
Awesome sir thanks
I'm not agree on K popper
Karl Popper, whose peculiar version of fallibilism once dominated discussions in the philosophy of science. This view is incorrect.Whilst Lenin’s fallibilism is certainly similar to Popper’s influential account, they each develop their ideas from different philosophical starting points.Lenin’s account is also more convincing than Popper’s.
धन्यवाद सर आप ज्ञान के भंडार है
मार्क्सवाद पर यह लेक्चर भविष्य की निधि बन चुकी है।
सर में IAS की तैयारी कर रही हूं सर में ऑप्शनल सब्जेक्ट दर्शन शास्त्र लेने चाहती हूं इस लिए सर आप से निवेदन है की upsc ऑप्शनल सब्जेक्ट दर्शन शास्त्र के सिलेबस पर वीडियो बनाए
यदि पहले तो मार्गदर्शन करें
मैं गांव में ही रहकर तैयारी करना चाहती हूं धन्यवाद
Guruji.Naman.
Salute Sir 🙏
Super sir
Very interesting analysis of Marxism 's lower philosophical values.
Very good.. criticism
Great gurudev
🙏❤
Than you Gurujii 🙏
Aapne bahut accha bataya
इस उम्र में आपकी मेहनत ,यादाश्त और पढ़ाने की ललक को 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Sir aapki philosophy kya hai? Aap kiski philosophy mante ho? Aapki Dr. Babasaheb Ambedkar ki philosophy ke bareme kya vichar hai? Bhagwan Buddha ke philosophy ki bareme kya vichar hai? Aap vedoko Kitna Purana mante ho? DNA ke bareme aapka kya vichar hai?
4🌹🐦जय श्रीमन्नारायणचरणौ शरणं प्रपद्ये। श्रीमते नारायणाय नमः।। संग संग पुज्य श्री संत चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम. जय श्री कृष्ण राम राम .🐦🌹(इचलकरंजी महाराष्ट्र)🌹🐦
Love you guru ji 😍😍😍🙏🙏🙏🙏
सत सत नमन
Sir hraday se abhar bahut bahut abhar🙏🙏
Excellent. Guruji your teachings should be published
Good Analysis
धन्यवाद गुरुदेव
Great lecture.
महान है आप।
प्रेरणादयी वीडियो के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
विज्ञान तो एक जरिया है अपनी आस्था के
प्रमाणिकता को प्राप्त करने का। भारत ने अपने विश्वास को सदा बनाए रखा और यही हमारी ताकत है।
क्या मेरा मूल्यांकन सही दिशा में है महाशय ?
You are Great sir 👌❤️
Very nice sir
Very good.
Sir kindly explain Fouco' theory of power and metanarrative.
-upsc aspirant. 🙏
Focault, go with postmodernism.
Thanks sir, your voice and skill is super.
धन्यवाद गुरु जी 🙏🙏
एक एक करके सभी विचारकों पर कृपा वीडियो बना दीज्ये।
जय हो गुरुदेव
Charan sparsh
Vedic Sanskriti is the best 🙏🙏
I can feel the pain in this lecture.... Guruji also don't want to criticize marxism because it was a flame of change but prople in power never advocated the people with no economic value..... Guruji is also searching words because deep inside it was not just the harm to marxism but it was also a harm to humanism....
गुरुजी चांद पर नहीं अंतरिक्ष गया था राकेश शर्मा 🙏🙏
आपकी ज्ञान की बात सुनकर 🙏🙏
What about values contains Manu smriti in the light of Marxism?
Om namo narayana 🙏🇮🇳
*4🌹🐦नमः कृष्णाय रामाय वसुदेवसुताय च।प्रद्युम्नायानिरुद्धाय सात्वतां पतये नमः।।संग संग🌹🐦पूज्य श्री संत चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम.🌹🐦10*16*45*नागपत्नियाँ.🐦🌹(इचलकरंजी महाराष्ट्र)🌹🐦
Upniweswad and samrajyadwad p vedo banayen guru ji
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️
Master Ji har theory se positive points hi leni chahiye.... Chahe 10 hazaar saal purana religion ho ya 75 saal puraani theory kuchh bhi as it is nahi follow karna hai... Apna intellect bhi use karna hai 🙏
Communism mai konsi positive chez hai 😂😂?
Behan , dada ji Marx ki limitations bta rahe hi ….why Marxism failed ? Aap jab book padoge tab pta chalega upsc me ye bahot important question hai
@@kunalyadav2698communism ki abc pata hoti to ye bakbaas sunna nai padtaa...
23:13🤣🤣🤣
थोडा एकतरफा लगता है
मार्क्सवाद मे कुछ खामिया रही होगी
इसका मतलब ये नही की वो ideology
गलत है
मार्क्सवाद समझने के लिये हमे और ज्यादा उदार और सायंटिफिक बनना पडेगा
आपने महोदय गुरुजी की पूरी लिस्ट सुनी है मार्क्सवाद पर?
जब उन्होंने उसकी स्थापना की, उसकी देनों को बताया, वो भी आप कृपया देखें
आप फिर बेहतर निर्णय दे पाएँ
Sir 🙏🙏🙏
Thanks
Thank u quest
Guru jiaap mere PRA deep sir Ki tarah aap samjha rahe ha I,,naman apko ,mere saber best teacher Dr, PRA deep shrivastava sir Hi naman
दादू लव यू, हर्बर्ट स्पेंसर के बारे में व्याख्या करोगे।
🙏🏻🙏🏻
Pranam🌹
हार्दिक आभार
Sir you know anyone single person who gave the concept of all in one theory os socialism, economic n politics solution all under one roof
कुर्त की भरमार कर दी आपने। अगर विज्ञान ने तय कर दिया कि चांद सिर्फ एक उपग्रह है, भगवान नहीं, फिर भी आप उसे अपनी पुरानी वैल्यू की वजह से भगवान मान रहे हैं तो ये आपकी गलती है, मार्क्सवाद की नही।
Please make a video on madvacharya dvaita philosophy
Marx spent most of his time in understanding the capitalist economic system. He did not have enough time to write on value system.
वर्तमान में चाइना में मार्क्सवाद का कोन सा रूप देख रहें हैं क्या यह( छिछा लेदर ) स्वरुप देख रहें हैं 🙏
Guruji next part kaab aayege?
Wo already h
Aap Marx par playlist check kre🙏
the human history from mesopotamia till now is 5000 years old and mesopotamia is older than vedic period
जय हो गुरुजी।।💐💐
🥀🙏🙏🙏🥀
प्रणाम गुरूजी
Please make a video on sabbda praman
🙏🙂🌹