राजन जी नमस्कार, मैं भी उत्तराखंड से ही हूं और मैं यह कहना चाहता हूं कि इस देश के सभी नागरिको को कहीं भी रहने की स्वतंत्रता है चाहे वो उत्तराखंड ही क्यों न हो। चिंता का विषय यह नही है की लोग उत्तराखंड में आकर बस रहे है बल्कि चिंता विषय यह है कि कुछ पैसे वाले लोग यहाँ का व्यवसायीकरण करने में तुले हुए है और अगर ऐसा चलता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा की उत्तराखंड भी दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद जैसा polluted शहर बन जायेगा और जिस उद्देश्य से लोग यहां रहने के लिए आ रहे है जैसे कि pollution रहित वातावरण वो उद्देश्य फेल हो जायेगा । इसलिए भू कानून से सिर्फ ऐसे लोगो को नुकसान है जो सिर्फ व्यवसायिक प्रवृत्ति के लालची लोग है। लेकिन जो लोग प्रकृति प्रेमी है इसे नुकसान पहुंचाए बिना यहां बसना चाहते है उन्हे भू कानून से घबराने की जरूरत नहीं है। जैसा कि आप ही ने कहा की सवा नाली जमीन तो ले ही पाएंगे। इसीलिए आपको किसी को कोई जवाब या सफाई देने की आवश्यकता नहीं आप उत्तराखंड में कहीं भी जमीन लेकर रहने के लिए स्वतंत्र हैं। मैनें आपके 3-4 volgs देखें हैं मुझे बहुत अच्छे लगे और आज ही मैंने आपका चैनल भी सब्सक्राइब किया है। धन्यवाद।
@@Mountainloverhome सर, इतना ही कहूंगा कि सही बात कहने के लिए अगर अकेला भी चलना पड़े तो परवाह नही। रहा हमारे उत्तराखंड के लोगों की बात, उनमें से कुछ लोग तो जरूर मेरे उपर वाले कॉमेंट को पड़ेंगे और मेरी बात से सहमत भी होंगे। उनका भी यही कंसर्न है कि कुछ लालची लोगो की वजह से यहां के लोगों को लैंड स्लाइड और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है दूसरा मुझे यह समझ नही आ रहा कि आप उत्तराखंड में रहने में ज्यादा interested hai ya भू कानून में जो अभी लागू भी नही हुआ है। मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप जो चाहते है वो कीजिए क्योंकि कहते है न "कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना।" धन्यवाद।
@@Mountainloverhome 143 agar rule ke against huyi hogi to cancle bhi ho jati hai....aajkl me hm sare land jinka 143 rule ke against hai ko data RTI se le rahe Hain...fir jo bhi rule ke against hoga usko court me challenge krenge....hmara maksad kisi ko pareshan Krna nhi balki Uttarakhand ko barbad hone se bachana hain.....apne culture or environment ko bachana hai
Bilkul bicholiyo se jamin bechne pe rok lge kisano ki Bhumi ko bicholiyo se bachaya jaye bhumafiyao se bachaya jaye pollution se bachaya jaye or sabhi logo se bisesh kr bhari Logo se local se ki idhr gandagi na kre nature k sath Cher char na kre
As an Uttarakhandi bhu kanun must be applied to outsiders otherwise Uttarakhand will no more tourist area also Uttarakhand known as land of God and we have faith and believe on our culture which is hard to understand outsiders!!
मैं गढवाल से हू. भाई शानदार विचार है आपके. ये कमेन्ट वाले बाहर ही रहते हैं। सही कहा आपने. आपका स्वागत है. आप आये यहा. यहां रोजगार बढेगा. लोगों को अपनी जमीन की किमत मिलेगी. आर्थिक स्थिति बढेगी. सभी को देवभूमि वीरभूमि का सम्मान करना चाहिए.
Bohot he achchi video bhai. I am of same view. Some people I don't know why are discriminating with in India. From decades pahadi people who are also like our family are living outside hills because they have to.....majboori hai....toh aise he sabki wish hoti hai ki hum bhi achchi jagah rahe.......dev bhoomi sabki hai jaise dev sabke hain......jaise metro cities sabke hain.....aisi debate honi he nhi chahiye ......
delhi is a multicultural state first of all, delhi ka apna koi culture nahi hai bhaisahab and uttarakhand has its own culture and it's own language for its preservation we need bhukanoon. jaise ki bihar, himachal and up and haryana ka apna culture hai and language hai . ok sir uttarakhand ko loota gaya hai aur loota jaraha hai aur ye sachai hai . bahar se kam karne aao, ghar banao lekin crime kyu bad rhe hai uttarakhand mai. it is used be such a peaceful state, bahaut kam crimes hote the, Uttarakhand mai pahadi ameer nahi hai and iska fayada uthate hai. everyone has a right to preserve their culture and language. and mountains aur plains mai bahut difference hai isliye mountains ko bachana jaroori hai. himachal mai bhi bhoo kanoon hai aur same uttarakhand mai bhi hona chayeye. hamare ancestors faltu mai nahi lade the jab uttarakhand up se alag hua tha uska bhi karan tha.
delhi ka apana culture he but tum pahadi up bihari itane bhare pade ho delhi me ki unaka culture dab gaya tumhare bogh ke vajah se. tum log kyu aate ho delhi fir mat aavo. mumbai me bhi bhare pade he pahadi log vo kyu aa rahe he yaha
राजन जी। आप सौ परसेंट सही कह रहे हैं। Actually ये दो किस्म की जमात है एक जो वो needy हैं और अपनी जमीन बेच रहे है। और दूसरे वो हैं जो खुद शहरों में बस चुके हैं, जिन्हे उन हैं के गरीब लोगों से कोई लेना देना नहीं है पर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं कि उत्तराखंड में जमीन मत खरीदो, बढ़िया हो की ये लोग भी हमारे दिल्ली, गुड़गांव और नोएडा जैसे शहरों को खाली कर दें और अपने उत्तराखंड वापिस आ जाएं और उन लोगों की फाइनेंशियल मदद भी करे, बजाय की बातें बनाने के। वैसे उन लोगो को क्लियर कर दूं कि हम जबरदस्ती नही बल्कि पैसे देकर जमीन खरीदते हैं वो भी इनकी बंजर जमीन की महंगे दाम देकर। और एक और बात उत्तराखंड किसी की पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं है! देश सबका है और देश का संविधान किसी भी नागरिक कौ कहीं भी बसने का अधिकार देता है। सो, please live and let the others live.
मतलब कि उत्तराखंड़ के लोग पूरे देश में जहां मर्जी हो नौकरी करें घर बनाये आराम से बसे कहीं भी..पर कोई दूसरे राज्य का आदमी ना बसे उत्तराखंड़ में...वाह रे मेरे पटवारी तेरी सोच को 21 तोपो की सलामी...सभी राज्यों ने अगर ऐसे कानून बना लिये तो सबसे ज्यादा भूखे मरने की नौबत पहाड़ियों की ही होगी..दूसरे राज्यों में सबसे ज्यादा पहाड़ी लोग ही बसे पड़े हैं।
@@rajatbhardwaj7684 आधी जानकारी अध पके आलू जैसी होती है, बाद में पेट दर्द कर देती है लाला। उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है । भारत के सभी पर्वतीय राज्यों में किसी न किसी प्रकार का भू कानून है जैसे हिमाचल प्रदेश, पूर्वांचल के राज्य आदि। इसका एक कारण है जो कि तुम्हारी बुद्धि से परे है।
@@ashutoshnautiyal5499 अरे मौरारजी देसाई के पोते दूसरे राज्यों में ये कानून राज्य के गठन के समय से लागू है, तुम्हारी तरह सो सो के नहीं जागे वो लोग..और उत्तराखंड़ में रुड़की, हरिद्वार, देहरादून, रुद्रपुर, हलद्वानी, उधमसिंह नगर, रामनगर ये सब शहर प्लेन एरिया में आते हैं..बाकी किसी भी पर्वतीय राज्य में इतने शहर प्लेन एरिया में नहीं आते...तुम्हारा वो काम हो रा है कि मां मर गई अंधेरे में और लड़के का नाम रख गई प्रकाश ।
Arey Hoot iye uske piche kuch logic hai .... Love Day 😂😊 Kabhie mil aaram se baith ke samjhate hain tujhe. Outsider Se koi problem nahi hai. @@rajatbhardwaj7684
हेलो राजन, बहुत सही बात कही आपने, ये पहाड़ी लोग यहां दिल्ली में क्यों बस जाते हैं। यहां कॉलोनियों की कॉलोनियां इन लोगों की बसी हैं। ये लोग ये क्यों नहीं सोचते कि हम जैसे लोग जब वहां पर रहने जाते हैं तो वहां के विकास में योगदान भी करते हैं।हम ज़मीन लेंगे तो राजस्व आएगा सरकार को। जिस राजस्व से सरकार विकास कार्य करती है। पहाड़ों का व्यसायिकरण भी पूरी तरह से गलत है। हम बस पहाड़ में 100-200 ग़ज़ ज़मीन पर छोटा सा आशियाना बनाना चाहते हैं। और पूछो इनसे एक एक नाली जिसकी वाजिब कीमत 3-4 लाख है उसका ये लोग 15 लाख मांगते हैं। सोचते हैं दिल्ली वालों के पास अंधा पैसा है।
Delhi bahut puraney samai sey h. Jisey dwapar yug mei Inderprastha kahtey thei. Prithviraj Raj Chauhn k samey bhi yahi Delhi tha. Ham log to tab sey h ya Shayad usesey bhi pahley k hamarey ancestors. Aur aaj Delhi sey bahar Noida h. Purana ghar aaj bhi Kotla Mubarak Pur near South ex h.Phir aap kahtey h kaun delhi ka h sab bahar k. Bas delhi walo ney sabko apna bana liya. Kiyoki Dilli to dil walo ki h.Chotey chotey Gaon thei hamari Delhi mei. Khub Khali jagah thei jisey ham logo ney Delhi mei dekha tha.
भाई साहब आप एक दम सही बोल रहे हो उत्तराखंड में मैं भी 2 साल रहा हूं मेरे साथ भी ऐसा व्यवहार होता था जैसे कही पाकिस्तान आया हम मै इन लोगों का ऐसा है ना की ये अपना किसी के साथ बाट नही सकते ओर हमारा सब कुछ यूज करते हैं गेहूं. चावल. सब्जियां. ओर भी डेली यूज की चीजे अगर प्लेन में रहने वाले लोगो बंद कर दिया तो इनका क्या होगा
Bhai jitna delhi se mukteswar he utna hi delhi se solan, shimla he. Yahi vhyakhyan shimla solan mai beth kar Himachal ke logon ko bhi do. Pata lag jayega bhu kanun. J & k mai le sakte ho? Nahi. Himachal mai nahi. Sikkim me nahi. Arunachal bilkul hi nahi. Per in states ke log bhi Delhi ncr mae rah rahe he spna ghar le kar. Inhe bhi gyan de. Bana video shimla, manali, dalhauji, pahalgam, jammu, gangtok me baith kar. Malum pad jayega.
Bilkul sahi point. Valid points bola. Same points main kehta hu in himachali uttrakhand logo ko. Inko lagta pta ni ye alag hi desh me reh rahe hai. Jese inki khandani property hai mountains. Ye pahadi logo ka jyada hi drame hai himachal me bhi yahi hai. Ladakh sikkim side me bhi ye problem hai. Desh azad hai koi bhi kahi b ja sakta kahi bhi bass sakta.
Desh aur samaj mai fark hota hai... Tumhara apna koi samaj to hai nahi .. pata nahi dusro ka ghar tumhe kyu pasand aa raha hai... Apne gaanv jao apne samaj mai jao.. Tumhare pad paisa hoga paise se naya samaj bhi kharidna chah rahe ho... Manipur .. Nagaland.. Kashmir ..andman sab khubsurat hai bharat mai hai.. Ghar banao shauk sr
Uttarakhand m le bhi sakte ho Himachal m to niyam hi nahi lene ka. Union Government ko is par dhyan dena hoga. Indian log India m kahi bhi jamin le sakte hain. Ab to sab Videsh m settle ho rahe hain.
@@ROSHANSINGH-qt3hrSamaj ka ghanta karoge jab Desh hi gulam ban jayega videshiyo ka. Bharat 1000 saal gulam raha fir bhi aankh nahi khuli hai tum logo ki.
राजन भईया आप bilkul सही बोल रहे हैं ,, इतना बुरा लगता है जब ये लोग बाहरी बाहरी करते हैं,,,, पहाड़ी भाई बहन समझो जिन्हे आप बाहरी कहते है उन्ही का बोया हुआ अनाज , चीनी, चावल, दाल आपका राज्य खाता है आप कितना उगाते है ,,,,plzzz ये दरार पैदा ना करें
भाई साहब, दरार कोई पैदा नहीं करता है। स्वास्थ्य लाभ या प्रकृति का आनंद लेने के लिए पहाड़ आना अच्छा ही है। लेकिन कुछ लोग यहां आकर व्यवसायीकरण करते हैं, और यहां का वातावरण दूषित करते हैं। जहां तक सवाल है राशन-चीनी आदि इस्तेमाल करने की तो मुफ्त में कोई नहीं खाता। उत्तराखंड में भी एक से बढ़कर एक बहुमूल्य पदार्थों का उत्पादन होता है। यहां जो भी चीज पैदा होती है, वह औषधीय गुणों से भरपूर होती है। अगर बाहरी लोगों के पहाड़ आने पर नियंत्रण की मांग कहीं से उठ रही है तो किसी न किसी कारण से ही उठ रही है। उल्टी-सीधी बातें और कुतर्क करके पहाड़ पर बसने की हिमाकत करने वाले नहीं बल्कि पहाड़ की ईमानदारी, सादगी और खूबसूरत आबोहवा को समझकर यहां बसने वाले लोग ही स्वागत योग्य हैं। आप हमारी बातों से अन्यथा न लेकर वस्तुस्थिति को समझने की कोशिश कीजिएगा साहब। धन्यवाद।
@@mahendrathakurathi3389 Bro people who buy 1.25 nalis and run a small homestay of 2-3 rooms are not the ones who are doing commercialization. They barely make enough money to cover the maintenance cost of the house and salary of caretaker. There is no profit in it at all. The ones building huge resorts by buying land in the name of companies are the ones doing commercialization. Your anger should be directed at them. Uttarakhand law allows people to buy unlimited land in the name of company. That is the biggest loophole that needs to be plugged. There is no need to target individuals buying a tiny piece of land just to live there. As it is, most villages in Uttarakhand have turned into ghost villages. It is beneficial to economy if a few outsiders come to settle there.
Problem is not with you like people. U people r most welcome. But problem is for the outsider people who purchase agricultural land for making large resorts, hotel, Restraunts etc.. In UK agricultural land is left only 9% of total land area. That's why native people needs protection.
Dear these are Himalayan ranges . Dont do plotting for local people also it is destroying nature. Uttarakhand people are to be blamed why they are selling land. As indian we have to save Himalayan ranges and Uttarakhand. Remember Kedarnath tragedy. You stop doing land business in Uttarakhand and start planting trees .Work for nature if you love it. Save environment and save earth.
पहाड़ के आदमी ने पहाड़ को बचा रखा है उसको ज्यादा मुनाफे की आदत नही होती। बाहर का आदमी को मुनाफे की आदत होती है, वो यहां के पेड़ों को नदियों को खा जायेंगे।
Wonderful ideas..Rajan... Surprisingly we can purchase land outside India but we are treated outsider in our own country...People should welcome everyone, anywhere in India. Yes, rules should not be broken in purchasing land..
Rajan Bhai fully support u.There should not be any biasness based on region. Uttam nagar has most of PPL from uttrakhand.but I agree to one fact only PPL who love nature will love such secluded place,close to nature.
अबे ज्ञानचंद इतना ज्ञान पेल रहे हो की प्रकृतिप्रेमी हो। अगर प्रकृति प्रेमी है तो बाबाओं की तरह रह पहाड़ों में, इसके लिए जेसीबी से पहाड़ खोद के जंगल में प्लॉटिंग करना जरूरी नहीं हैं। लाखो साधु संत, नागा बाबा सब उत्तराखंड में रहते है हिमालय में वो हैं प्रकृति प्रेमी,,, कुछ लोग तो देवभूमि को भोग भूमि बना चाह रहे हैं। अभी तो लैंड law ki demand है उत्तराखंड में आगे सभी हिमालय राज्यों की तरह और लद्दाख की तरह 6 शेड्यूल की डिमांड भी करेंगे।
100% correct. Even migration helps in mingling of different culture and resultantly values & beauty of that culture evolves. Urbanisation also helps in economic improvement. Large industrial activity may be regularised instead of banning buying agriculture land.
बहुत सुंदर ब्लॉग है प्रिय राजन जी, बहुत खूब ! आपने कुछ मूलभूत प्रश्नों को ओर इशारा किया है। में आपसे पूरी तरह से सहमत हूं। इस तरह के भू कानूनों में धारा 370 की झलक दिखाई देती है। इसमें कोई शक नहीं है कि जल्दी ही अन्य राज्यों के लोग भी ऐसी मांग करने लगेंगे। अगर ये राजनीति से प्रेरित कानून बनते रहे तो मुझे डर है कि मैदानी क्षेत्रों के लोग भी पहाड़ी लोगों जैसी ही डिमांड करने लगें। और ऐसे तो भारत का स्वरूप ही बिगड़ जाएगा, या यूं कहिए कि भारत विघटन की ओर चल पड़ेगा, राजनेताओं को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। सिक्किम,हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उत्तराखंड के लोग इस देश को किस तरफ ले जाना चाहते हैं, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना ही होगा।
Rajan Ji, I am from uttarakhand. I totally agree with you. Any uttarakhandi buys land and flats in Delhi, Ghaziabad, Mumbai and when it comes to Uttarakhand then Bhoo-Kanoon comes into the picture they become selfish. If we are honest citizen of India we should not give weightage to such nonsense. jai hind Rajan bhai.
Dev bhoomi ko Mulla bhoomi nahi ban ne dinge. Saare UP k mullo ne yaha demographic badal di h. M Haridwar ka gurjar hu aur bhoo kanoon ka support karta hu.
इसे कहते हैं सीधी बात और नो बकवास🎉❤ शानदार वीडियो राजन भाई मानना पड़ेगा आपको की दिल से अरे ईमानदारी से ऐसी बात कहते हो जिसका कोई काट नहीं है दूसरी बात यह 🎉सब्सक्राइब🎉 तो करना ही पड़ा ऐसी बातें सुनकर😂😂😂
Rajan sir is very polite , humble, nature lover person..he is talking on facts. Only..if such person comes and stys here that will be benifitail for our economy and faternity..
Thanks for sharing this vlog, I just downloaded whole playlist of your doon house, Rajasthan is supporting so much for farms community Now will check that rather than Doon
Bhai tum khud hi kah rahe ho ki tum up se migrat hokar Delhi gye ab tum Uttarakhand aana chahate ho esse pata chalta hai ki aap apni jamin se kitna pyar karte ho ..esko khanabadosh life kahate hai
... Delhi ka koi ancient culture nhi hai... Delhi mein esi pushtaini zameen nhi hai... Uttarakhand ka culture alag hai aur logo ke sentiments attached hain... Vaha devta bhaut maante hain jo log nhi smjhte hain..... Aur kayi log hain jo uttarakhand ke culture ka mazak udate hain
Bhai kabhi granth read keyah(kiyah) hai, ....we are all born from same organic and spiritual materials.... My great great grandfather was from Europe and Mongolia.....my parents was born in punjab and delhi.....I was born in delhi...... I'm living in California...my kids are born in USA.... my cousins are married to white Americans..... migration will always happen...
@@worldsfinestnegativemind9108 i have read granths... Do you know about the culture of the place you wanna migrate to os what i am asking ? Do you have that respect for the place or not ?
@@sunidhirauthan4830 MTV, cable TV, web series, education system, newspapers all have changed the culture of India already....... Did you guys noticed that.... Change will always happen......
brother I support you, We are citizens of India, Our responsibility is to preserve nature, not to destroy. If ppl who think to purchase land, its for home, to live and not to destroy nature.
I am from Pune last year I encountered a similar situation in Kumaon where me & my wife wanted to settle for a peaceful life...Have given up the idea of buying land in Uttarakhand... Will prefer to stay in a rented accommodation in Kumaon.Neverthless my best Wishes
Bahut sahi bola Rajan ji ,Uttrakhandi other states ke logon ko kumau Murga bi sochte h aur forner ki tareh treat karte h.kuch log birodh karte h jabki wahan ka her aadmi property dealer h.
India is one ...but people in uttarakhand say to us we are baharwale....but They want to charge us most extraordinary amounts for land, And still classify us as baharwale... It's really shocking
Bhai you're so humble🙌 I'm from uk but living in delhi since birth. I think govt should intervene in this matter & listen to both parties be it outsiders & phadis & find a better solution. Peace❤
We all are Indian. We can live anywhere in India. Why we don't purchase land in uttrakhand. In jaipur bangalis, and south Indian purchased their own house.
It is very unfortunate that these people are saying do not come to Uttarakhand. What I feel is if people from Haryana , UP and Delhi do note visit Uttarakhand then they will have no resources to survive. This is the reason UK is suffering. I have been living in UK since last three years and it is not the outsiders but insiders who destroy the state. Huge amount of constructions are being done at local level
Totally agree on this point. Any indian can settle anywhere. There is no boundation. Ofcourse Nature needs to be respected and protected. I agree too much commercialization in one particular area can creare problems so govt should regulate sale of land on that basis. Problem is unorganized settlement or extreme settlement in one area.
राजन जी आपकी कुछ बातें ठीक है पर आप भू कानून को सही से नहीं समझे।आप देहरादून में घर बना पाए तो क्या किसी ने विरोध किया? संविधान आजादी के साथ साथ प्रकृति के संतुलन बनाने की जिम्मेदारी की भी बात करता है।अगर इन प्राकृतिक स्थानों को कंक्रीट जंगल बना के शहरीकरण करना है तो वह गलत है। किसी जगह को संतुलित तरीके से आबाद करने के लिए कोई मना नही कर रहा।पर असंतुलित विकास कर बर्बादी करने वालो के विरुद्ध आंदोलन है।पहाड़ ज्यादा सेंसिटिव जोन है।आप मैदानी क्षेत्रों सा विकास करेंगे तो वो बर्बाद हो जायेंगे।बहुत से लोग सिर्फ मुनाफे के लिए जमीन खरीद/बेच रहें है और अंधाधुंध निर्माण कर रहे हैं, बरसात के बाद आपको खुद पता चल जायेगा की कौन सा नदी ,नाला, गडेरा कब्जाया गया था।आपकी सोच और मकसद सही है तो किसी को क्या दिक्कत।समस्या तो उन लोगो से है जिन्होंने पहाड़ को पैसे कमाने का अड्डा बनाया हुआ है और वो पर्यावरण,प्रकृति के हनन में लगे है,चाहे वो यहा के हों या बाहर के।
आप जहां भी रह रहे हैं ज्यादा पेड़ लगाएं जंगल develop करने की जरूरत है । अगर हर घर मे सिर्फ चार या पांच पेड़ भी लगाएंगे तो पूरी कॉलोनी हरी भरी रहेगी पानी हवा साफ रहेगी । जो खेती करेगा उसके लिए और बढ़िया है
Aap ekdam sahi bol rahe hai .me bhi pauri se hu.parantu ab pahado per jammin kharidkar rehna mout ko dawat dene jaisa hai .kioki thodi si baaris me badal fat jaata hai.kahi bhi. Jo pehele nahi hota tha.hamera gau me bhi badal fata kai dukaane ghar dab gay .
Brother ,I am a nature lover since childhood. You are thinking this "bhoo kanoon" from personal perspective...but the 1st priority is to conserve himalayas and our mother nature. Persons like you and me may not spoil nature and keep the hilly areas clean and conserve it. But for majority of outsiders, their 1st priority is making money, the same people who have made NCR extremely polluted and congested, the SAME PEOPLE if not CONTROLLED they will make himalyas like HELL. They don't follow building & construction rules ,make concrete buildings ,guest houses, hotels, restaurants and put load on hills. Think it as a responsible citizen, these rules are for conserving our MOTHER NATURE, and for good of our ENVIRONMENT...pahado me bhi temp bad rha hai due to over construction and our rivers are getting polluted day by day... Recent example is RISHIKESH, where lacs of tress have been cut recently, and the temp have increased there... Aap or mere jaise log sabhi jgah nhi hote. Government must think and take action for overall BALANCE & PROTECTION of Beautiful himalayas 1st, otherwise in few years pahado par bhi fresh air or sukoon nhi milega
Rajan buddy ..I love your content and videos ..but the actual facts is any person, including an outsider, can purchase land in Uttarakhand, subject to certain conditions. The land can be purchased for residential, commercial, or industrial purposes, but agricultural land can only be purchased by locals.
उत्तराखंड या पहाड़ों में हमेशा बाहर से बसने वालों का सम्मान किया है जो यहां की संस्कृति और मिट्टी का आदर करते हैं।कितने ही प्रान्तों से साधु-संत, विद्धान और पर्यटक यहां आते और रहते हैं उसका हमेशा स्वागत होता रहा है। राजन जी भी अच्छे और प्रकर्ति प्रेमी हैं और उनका भी स्वागत है। भू-कानून की समस्या इसलिए है क्योंकि दिल्ली और अन्य प्रदेशों से लोगों ने अपने काले धन को सफेद करने के लिए यहां प्रॉपर्टी में इनवेस्ट करने का जरिया बना रखा है। दूसरा, आपको यह समझना होगा कि उत्तराखंड के पास सीमित जमीन है। अधिकतर जमीन यहां वन है जो सरकारी है। कृषि भूमि ही धीरे धीरे आवासीय बनती जा रही है। दिल्ली, हैदराबद, बंगलोर में वन्य भूमि काफी कम थी इसलिए वहां आवासीय भूमि का विस्तार हो पाया। अगर उत्तराखंड या हिमालय को आप दूसरी दिल्ली बना देना चाहते हैं तो इसका बोझ यहां के वन, नदी और ग्लेशियर पे पड़ेगा। और इसका खामियाजा सारे देश को भुगतना पड़ेगा क्योंकि वर्षा और पेयजल के लिए पूरा उत्तर भारत हिमालय के जंगल और नदियों पर निर्भर है!
दिल्ली में 360 village है और दिल्ली के साउथ दिल्ली में ही छतरपुर में 12 गांव के है जिसमें aya nagar गांव में भी 200 से 300 घर अकेले उत्तराखंड के लोगों के हैं तो क्या अब हम गांव वाले इन सभी उत्तराखंड के लोगों को विरोध करें, यह कैसी मानसिकता होगी तो उसी तरह उत्तराखंड वाले लोगों को भी बाहर से आए लोगों का स्वागत करना चाहिए।
@@Mountainloverhome हँसा मत यार, स्वागत है भाइयो तुम्हारा, But यहाँ कोई मुल्ला नहीं चाहिए, हम जिसे बसाएंगे, देख के बसाएंगे, बस 🖐🏿बात ख़तम, अंधाधुंध नहीं, कोई झोपादपत्ति नहीं, अच्छी सोसाइटी,
@@Mountainloverhome समाज तो अच्छे लोगो से बनता है, जहाँ अच्छे लोग होते है वहां स्वर्ग बस्ता है, इसलिए तो भू क़ानून चाहिए, हम जिसे बसाये, देख के बसाये, ऐसे ही कोई भी ना आ जाये, देखा वंभूलपुरा मै क्या कबाड़ बसा रखा है, अच्छी सोसिटी चाहिय्र इसलिए ती सरकार क़ो जमीन का tax दोगुना करना चाहिए other state वालों के लिए, जिससे पेसेवाले ही बस पाएं
@@ar02816 free ke paise nahi hai outsider ke pass ,tumhari chalaki sabko pata chal gayi hai ,delhi noida me maza lut rahe ho or hame rok rahe ho ,doglapan
Respected Sir, Just introspect over it, The illegal immigrants from Bangladesh Myanmar 🇲🇲 have usurped the railway land at Haldwani , and have changed the demography of Devbhomi. Four districts of Uttrakhand viz Nanital, Uddhamsingh Nagar, Hardwar and Dehradun are totally now vulnerable, where the peaceful people have increased their population, the future of Devbhomi is just becoming another Assam, West Bengal and Kashmir. Recent riots and arson in Haldwani is an eye-opener for the local inhabitants that their well-being is in danger. Almost 50000 families of peaceful people are settled in Haldwani Uttrakhand, and are demanding permanent settlement in Uttrakhand. Recently I had visited Bhavoli, Nanital and have noticed that peaceful people have penetrated in to the country side of Uttrakhand. Shadows are lengthening all over Uttrakhand. Four districts reflect exponential rise of peaceful people and is a reminder to the grim reality, should not become another Kashmir. Arise and awake before it becomes too late, Strict land regulations for outsiders, ISSI, ISI and other agencies are working on a clear agenda.
राजन जी नमस्कार,
मैं भी उत्तराखंड से ही हूं और मैं यह कहना चाहता हूं कि इस देश के सभी नागरिको को कहीं भी रहने की स्वतंत्रता है चाहे वो उत्तराखंड ही क्यों न हो।
चिंता का विषय यह नही है की लोग उत्तराखंड में आकर बस रहे है बल्कि चिंता विषय यह है कि कुछ पैसे वाले लोग यहाँ का व्यवसायीकरण करने में तुले हुए है और अगर ऐसा चलता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा की
उत्तराखंड भी दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद जैसा polluted शहर बन जायेगा और जिस उद्देश्य से लोग यहां रहने के लिए आ रहे है जैसे कि pollution रहित वातावरण वो उद्देश्य फेल हो जायेगा ।
इसलिए भू कानून से सिर्फ ऐसे लोगो को नुकसान है जो सिर्फ व्यवसायिक प्रवृत्ति के लालची लोग है।
लेकिन जो लोग प्रकृति प्रेमी है इसे नुकसान पहुंचाए बिना यहां बसना चाहते है उन्हे भू कानून से घबराने की जरूरत नहीं है। जैसा कि आप ही ने कहा की सवा नाली जमीन तो ले ही पाएंगे।
इसीलिए आपको किसी को कोई जवाब या सफाई देने की आवश्यकता नहीं आप उत्तराखंड में कहीं भी जमीन लेकर रहने के लिए स्वतंत्र हैं।
मैनें आपके 3-4 volgs देखें हैं मुझे बहुत अच्छे लगे और आज ही मैंने आपका चैनल भी सब्सक्राइब किया है।
धन्यवाद।
Bahut bahut dhanyvad sir aapka 🙏🏻
@@Mountainloverhome सर, इतना ही कहूंगा कि सही बात कहने के लिए अगर अकेला भी चलना पड़े तो परवाह नही।
रहा हमारे उत्तराखंड के लोगों की बात, उनमें से कुछ लोग तो जरूर मेरे उपर वाले कॉमेंट को पड़ेंगे और मेरी बात से सहमत भी होंगे। उनका भी यही कंसर्न है कि कुछ लालची लोगो की वजह से यहां के लोगों को लैंड स्लाइड और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है
दूसरा मुझे यह समझ नही आ रहा कि आप उत्तराखंड में रहने में ज्यादा interested hai ya भू कानून में जो अभी लागू भी नही हुआ है।
मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप जो चाहते है वो कीजिए क्योंकि कहते है न
"कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना।"
धन्यवाद।
@@Mountainloverhome यही तेरी परेशानी है की तू शांत है।
@@Mountainloverhome 143 agar rule ke against huyi hogi to cancle bhi ho jati hai....aajkl me hm sare land jinka 143 rule ke against hai ko data RTI se le rahe Hain...fir jo bhi rule ke against hoga usko court me challenge krenge....hmara maksad kisi ko pareshan Krna nhi balki Uttarakhand ko barbad hone se bachana hain.....apne culture or environment ko bachana hai
Bilkul bicholiyo se jamin bechne pe rok lge kisano ki Bhumi ko bicholiyo se bachaya jaye bhumafiyao se bachaya jaye pollution se bachaya jaye or sabhi logo se bisesh kr bhari Logo se local se ki idhr gandagi na kre nature k sath Cher char na kre
As an Uttarakhandi bhu kanun must be applied to outsiders otherwise Uttarakhand will no more tourist area also Uttarakhand known as land of God and we have faith and believe on our culture which is hard to understand outsiders!!
मन की बात कह दी राजन भाई तर्कपूर्ण बातें ह आपकी..
आप बिलकुल सही कह रहे हैं। हम सब भारतीय हैं। एक दूसरे की संस्कृति का सम्मान करते हुए, मिल जुल कर रहना चाहिए ।
Correct 💯
मैं गढवाल से हू. भाई शानदार विचार है आपके. ये कमेन्ट वाले बाहर ही रहते हैं। सही कहा आपने. आपका स्वागत है. आप आये यहा. यहां रोजगार बढेगा. लोगों को अपनी जमीन की किमत मिलेगी. आर्थिक स्थिति बढेगी. सभी को देवभूमि वीरभूमि का सम्मान करना चाहिए.
यही तो समझ नही आ रहा लोगो को भाई एकबात कहूं आप लोग बहुत भोले हो अभी तक जिस पहाड़ी से भी मिला भोला भाला ही देखा है और उसी का फायदा उठाया जा रहा है
@@Lyricsking286 भोले हो तो भाई रिवर्स पलायन करो.
Excellent friend. Very good and logical explanation for poor minds.
I really appreciate.
Best regrads, Pawan Kumar Chohan
बहुत अच्छी सोच है आपकी यहां वालों को भी काम मिल रहा है❤❤❤
Bohot he achchi video bhai. I am of same view. Some people I don't know why are discriminating with in India. From decades pahadi people who are also like our family are living outside hills because they have to.....majboori hai....toh aise he sabki wish hoti hai ki hum bhi achchi jagah rahe.......dev bhoomi sabki hai jaise dev sabke hain......jaise metro cities sabke hain.....aisi debate honi he nhi chahiye ......
delhi is a multicultural state first of all, delhi ka apna koi culture nahi hai bhaisahab and uttarakhand has its own culture and it's own language for its preservation we need bhukanoon. jaise ki bihar, himachal and up and haryana ka apna culture hai and language hai . ok sir
uttarakhand ko loota gaya hai aur loota jaraha hai aur ye sachai hai .
bahar se kam karne aao, ghar banao lekin crime kyu bad rhe hai uttarakhand mai. it is used be such a peaceful state, bahaut kam crimes hote the,
Uttarakhand mai pahadi ameer nahi hai and iska fayada uthate hai. everyone has a right to preserve their culture and language.
and mountains aur plains mai bahut difference hai isliye mountains ko bachana jaroori hai. himachal mai bhi bhoo kanoon hai aur same uttarakhand mai bhi hona chayeye. hamare ancestors faltu mai nahi lade the jab uttarakhand up se alag hua tha uska bhi karan tha.
Kisne keh diya delhi ka koi culture ni hai,300 se jyada gaon hai delhi me ,west up and haryana ka culture hai delhi mai.
delhi ka apana culture he but tum pahadi up bihari itane bhare pade ho delhi me ki unaka culture dab gaya tumhare bogh ke vajah se. tum log kyu aate ho delhi fir mat aavo. mumbai me bhi bhare pade he pahadi log vo kyu aa rahe he yaha
Sahi baat hai
Ye Bhai k logic ko 22 topo ki salami ..... 😂😂😂😂😂
Bhu kanoon jaroori hai
Ek dum 💯 % correct baat hai Rajan Bhai.....hum bhi uttrakhand me rha skte hai Delhi Wale...
राजन जी। आप सौ परसेंट सही कह रहे हैं। Actually ये दो किस्म की जमात है एक जो वो needy हैं और अपनी जमीन बेच रहे है। और दूसरे वो हैं जो खुद शहरों में बस चुके हैं, जिन्हे उन हैं के गरीब लोगों से कोई लेना देना नहीं है पर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं कि उत्तराखंड में जमीन मत खरीदो, बढ़िया हो की ये लोग भी हमारे दिल्ली, गुड़गांव और नोएडा जैसे शहरों को खाली कर दें और अपने उत्तराखंड वापिस आ जाएं और उन लोगों की फाइनेंशियल मदद भी करे, बजाय की बातें बनाने के। वैसे उन लोगो को क्लियर कर दूं कि हम जबरदस्ती नही बल्कि पैसे देकर जमीन खरीदते हैं वो भी इनकी बंजर जमीन की महंगे दाम देकर। और एक और बात उत्तराखंड किसी की पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं है! देश सबका है और देश का संविधान किसी भी नागरिक कौ कहीं भी बसने का अधिकार देता है। सो, please live and let the others live.
इसी मानसिकता से लड़ने के लिए चाहिए भू कानून। #उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
मतलब कि उत्तराखंड़ के लोग पूरे देश में जहां मर्जी हो नौकरी करें घर बनाये आराम से बसे कहीं भी..पर कोई दूसरे राज्य का आदमी ना बसे उत्तराखंड़ में...वाह रे मेरे पटवारी तेरी सोच को 21 तोपो की सलामी...सभी राज्यों ने अगर ऐसे कानून बना लिये तो सबसे ज्यादा भूखे मरने की नौबत पहाड़ियों की ही होगी..दूसरे राज्यों में सबसे ज्यादा पहाड़ी लोग ही बसे पड़े हैं।
@@rajatbhardwaj7684 आधी जानकारी अध पके आलू जैसी होती है, बाद में पेट दर्द कर देती है लाला। उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है । भारत के सभी पर्वतीय राज्यों में किसी न किसी प्रकार का भू कानून है जैसे हिमाचल प्रदेश, पूर्वांचल के राज्य आदि। इसका एक कारण है जो कि तुम्हारी बुद्धि से परे है।
@@ashutoshnautiyal5499 अरे मौरारजी देसाई के पोते दूसरे राज्यों में ये कानून राज्य के गठन के समय से लागू है, तुम्हारी तरह सो सो के नहीं जागे वो लोग..और उत्तराखंड़ में रुड़की, हरिद्वार, देहरादून, रुद्रपुर, हलद्वानी, उधमसिंह नगर, रामनगर ये सब शहर प्लेन एरिया में आते हैं..बाकी किसी भी पर्वतीय राज्य में इतने शहर प्लेन एरिया में नहीं आते...तुम्हारा वो काम हो रा है कि मां मर गई अंधेरे में और लड़के का नाम रख गई प्रकाश ।
@@rajatbhardwaj7684 Jab cheejon ka nahi pata to faltu nahi bolna chahiye. Muh band aur nikal yahan se.
Arey Hoot iye uske piche kuch logic hai .... Love Day 😂😊
Kabhie mil aaram se baith ke samjhate hain tujhe.
Outsider Se koi problem nahi hai.
@@rajatbhardwaj7684
हेलो राजन, बहुत सही बात कही आपने, ये पहाड़ी लोग यहां दिल्ली में क्यों बस जाते हैं। यहां कॉलोनियों की कॉलोनियां इन लोगों की बसी हैं। ये लोग ये क्यों नहीं सोचते कि हम जैसे लोग जब वहां पर रहने जाते हैं तो वहां के विकास में योगदान भी करते हैं।हम ज़मीन लेंगे तो राजस्व आएगा सरकार को। जिस राजस्व से सरकार विकास कार्य करती है। पहाड़ों का व्यसायिकरण भी पूरी तरह से गलत है। हम बस पहाड़ में 100-200 ग़ज़ ज़मीन पर छोटा सा आशियाना बनाना चाहते हैं। और पूछो इनसे एक एक नाली जिसकी वाजिब कीमत 3-4 लाख है उसका ये लोग 15 लाख मांगते हैं। सोचते हैं दिल्ली वालों के पास अंधा पैसा है।
Aby colony ki colony kya inki population hi kitani hai sirf 10lakh Kumaoni logon ki
@@dineshrathore3708 Delhi ka native kon h? UT or state ko compare nahi kr sakte.
Delhi bahut puraney samai sey h. Jisey dwapar yug mei Inderprastha kahtey thei. Prithviraj Raj Chauhn k samey bhi yahi Delhi tha. Ham log to tab sey h ya Shayad usesey bhi pahley k hamarey ancestors. Aur aaj Delhi sey bahar Noida h. Purana ghar aaj bhi Kotla Mubarak Pur near South ex h.Phir aap kahtey h kaun delhi ka h sab bahar k. Bas delhi walo ney sabko apna bana liya. Kiyoki Dilli to dil walo ki h.Chotey chotey Gaon thei hamari Delhi mei. Khub Khali jagah thei jisey ham logo ney Delhi mei dekha tha.
बहुत सही जानकारी दी है भैया...भारत का कोई भी नागरिक कही भी रह सकता है...हर हर महादेव
भाई साहब आप एक दम सही बोल रहे हो उत्तराखंड में मैं भी 2 साल रहा हूं मेरे साथ भी ऐसा व्यवहार होता था जैसे कही पाकिस्तान आया हम मै इन लोगों का ऐसा है ना की ये अपना किसी के साथ बाट नही सकते ओर हमारा सब कुछ यूज करते हैं गेहूं. चावल. सब्जियां. ओर भी डेली यूज की चीजे अगर प्लेन में रहने वाले लोगो बंद कर दिया तो इनका क्या होगा
भाई आप बिलकुल सही कह रहे हैं।
Bhai jitna delhi se mukteswar he utna hi delhi se solan, shimla he. Yahi vhyakhyan shimla solan mai beth kar Himachal ke logon ko bhi do. Pata lag jayega bhu kanun. J & k mai le sakte ho? Nahi. Himachal mai nahi. Sikkim me nahi. Arunachal bilkul hi nahi. Per in states ke log bhi Delhi ncr mae rah rahe he spna ghar le kar. Inhe bhi gyan de. Bana video shimla, manali, dalhauji, pahalgam, jammu, gangtok me baith kar. Malum pad jayega.
Ek uttarakhandi jamin kharidne ke liye mana nahi kar raha. Kharido, banao or raho, per Ghar banane ke jitna. Isper sealing ho, limit ho.
Quite understandable,very genuine point.
Rajan why you have sold off your देहरादून wala house.
Bilkul sahi point. Valid points bola. Same points main kehta hu in himachali uttrakhand logo ko. Inko lagta pta ni ye alag hi desh me reh rahe hai. Jese inki khandani property hai mountains. Ye pahadi logo ka jyada hi drame hai himachal me bhi yahi hai. Ladakh sikkim side me bhi ye problem hai. Desh azad hai koi bhi kahi b ja sakta kahi bhi bass sakta.
You are absolutely right desh ajad hai why don’t you go to Kashmir ..if you have so much problem with Himachal and Uttarakhand peoples…
Desh aur samaj mai fark hota hai... Tumhara apna koi samaj to hai nahi .. pata nahi dusro ka ghar tumhe kyu pasand aa raha hai... Apne gaanv jao apne samaj mai jao.. Tumhare pad paisa hoga paise se naya samaj bhi kharidna chah rahe ho... Manipur .. Nagaland.. Kashmir ..andman sab khubsurat hai bharat mai hai.. Ghar banao shauk sr
Abe area ka frk h kuch? Dimag vimaag nhi h kuch
Uttarakhand m le bhi sakte ho Himachal m to niyam hi nahi lene ka.
Union Government ko is par dhyan dena hoga.
Indian log India m kahi bhi jamin le sakte hain.
Ab to sab Videsh m settle ho rahe hain.
@@ROSHANSINGH-qt3hrSamaj ka ghanta karoge jab Desh hi gulam ban jayega videshiyo ka.
Bharat 1000 saal gulam raha fir bhi aankh nahi khuli hai tum logo ki.
राजन भईया आप bilkul सही बोल रहे हैं ,, इतना बुरा लगता है जब ये लोग बाहरी बाहरी करते हैं,,,, पहाड़ी भाई बहन समझो जिन्हे आप बाहरी कहते है उन्ही का बोया हुआ अनाज , चीनी, चावल, दाल आपका राज्य खाता है आप कितना उगाते है ,,,,plzzz ये दरार पैदा ना करें
भाई साहब, दरार कोई पैदा नहीं करता है। स्वास्थ्य लाभ या प्रकृति का आनंद लेने के लिए पहाड़ आना अच्छा ही है। लेकिन कुछ लोग यहां आकर व्यवसायीकरण करते हैं, और यहां का वातावरण दूषित करते हैं। जहां तक सवाल है राशन-चीनी आदि इस्तेमाल करने की तो मुफ्त में कोई नहीं खाता। उत्तराखंड में भी एक से बढ़कर एक बहुमूल्य पदार्थों का उत्पादन होता है। यहां जो भी चीज पैदा होती है, वह औषधीय गुणों से भरपूर होती है। अगर बाहरी लोगों के पहाड़ आने पर नियंत्रण की मांग कहीं से उठ रही है तो किसी न किसी कारण से ही उठ रही है। उल्टी-सीधी बातें और कुतर्क करके पहाड़ पर बसने की हिमाकत करने वाले नहीं बल्कि पहाड़ की ईमानदारी, सादगी और खूबसूरत आबोहवा को समझकर यहां बसने वाले लोग ही स्वागत योग्य हैं। आप हमारी बातों से अन्यथा न लेकर वस्तुस्थिति को समझने की कोशिश कीजिएगा साहब। धन्यवाद।
Meine koi bhi pahadi seedhe saade nahi dekhe. Naatak karte hein. Meri padosan pahadan hei..uska buss chale...hume bechh khaye.
@@mahendrathakurathi3389 Bro people who buy 1.25 nalis and run a small homestay of 2-3 rooms are not the ones who are doing commercialization. They barely make enough money to cover the maintenance cost of the house and salary of caretaker. There is no profit in it at all. The ones building huge resorts by buying land in the name of companies are the ones doing commercialization. Your anger should be directed at them. Uttarakhand law allows people to buy unlimited land in the name of company. That is the biggest loophole that needs to be plugged. There is no need to target individuals buying a tiny piece of land just to live there. As it is, most villages in Uttarakhand have turned into ghost villages. It is beneficial to economy if a few outsiders come to settle there.
@@Surendravashist जो बिजली तू जलाता है और जो पानी तू पीता है वो हमारे घरों को डूबा के जो बांध बने है वहां से आता है।
@@mahendrathakurathi3389 desh ka smvidhan unko desh k kisi kone me vayvsas krne ki ijjjajt deta tum kaun ho
Problem is not with you like people. U people r most welcome. But problem is for the outsider people who purchase agricultural land for making large resorts, hotel, Restraunts etc..
In UK agricultural land is left only 9% of total land area. That's why native people needs protection.
All very valid and sensible arguments Rajan bhai
Dear these are Himalayan ranges . Dont do plotting for local people also it is destroying nature.
Uttarakhand people are to be blamed why they are selling land.
As indian we have to save Himalayan ranges and Uttarakhand. Remember Kedarnath tragedy.
You stop doing land business in Uttarakhand and start planting trees .Work for nature if you love it.
Save environment and save earth.
हिमांचल के भू कानून पे भी कुछ बोल ले भाई। दिल्ली ,हरियाणा, यूपी वालों को किसने रोका है भू कानून बनाने से ?
Gelat mt bol
Tumhe kisne roka hai zameen na bechne se?
10 lakh se jyada phadi deli ncr mai rhte h or property or ghr lete h. lekin delhi ka aadmi kbhi phadi ko outsider ni boltq
delhi ka aadmi kaun hai. sab bahar wale hai
तेरे हिसाब से दिल्ली में कोई नही रहता था पहले
Delhi me Majority log bahar se hi aake base ha..islie tum kisi ko outsider nai bol sakte..
पहाड़ के आदमी ने पहाड़ को बचा रखा है उसको ज्यादा मुनाफे की आदत नही होती।
बाहर का आदमी को मुनाफे की आदत होती है, वो यहां के पेड़ों को नदियों को खा जायेंगे।
Pahadi jaha rehta hai Shanti se rehta hai, tum log crime rate badhane wale ho
उत्तराखंड के निवासियों को भी उत्तराखण्ड के बाहर किसी बाहर राज्य में जमीन लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए। ये कानून भी बनना चाहिए।
बना लो किसने रोका है ? लेकिन नहीं बनायेंगे और राज्य,क्योंकि बीमारू राज्यों का काम ही दूसरे राज्यों से आए लोगों के भरोसे चलता है।
Nhi chaiye.... Ham uttarakhand mai heh khush h
tere jaise crime rate badha dete hain
@@genius1jaydeepbhukhe Mr jaoge re bhai....jo roti todne UK chhod kr bahar dera dal rkha h maarke bhgaye jaoge😅
@@genius1jaydeepmurkkkh pahle jo jmine bech rha usko bol na beche 😅
Full support Video
Wonderful ideas..Rajan... Surprisingly we can purchase land outside India but we are treated outsider in our own country...People should welcome everyone, anywhere in India.
Yes, rules should not be broken in purchasing land..
Ful moj karo bhai kabhi aao gularbhooj
Very nice video…..TRUE FACTS❤
राजन जी आपकी एक बात मुझे,बहुत सही लगी की,वहां वही लोग रह सकते हैं जिन्हें प्रकृति से प्रेम है।👌
Rajan Bhai fully support u.There should not be any biasness based on region. Uttam nagar has most of PPL from uttrakhand.but I agree to one fact only PPL who love nature will love such secluded place,close to nature.
अबे ज्ञानचंद इतना ज्ञान पेल रहे हो की प्रकृतिप्रेमी हो। अगर प्रकृति प्रेमी है तो बाबाओं की तरह रह पहाड़ों में, इसके लिए जेसीबी से पहाड़ खोद के जंगल में प्लॉटिंग करना जरूरी नहीं हैं। लाखो साधु संत, नागा बाबा सब उत्तराखंड में रहते है हिमालय में वो हैं प्रकृति प्रेमी,,, कुछ लोग तो देवभूमि को भोग भूमि बना चाह रहे हैं। अभी तो लैंड law ki demand है उत्तराखंड में आगे सभी हिमालय राज्यों की तरह और लद्दाख की तरह 6 शेड्यूल की डिमांड भी करेंगे।
દેવ ભુમી મે જેસીબી બેન કરવાનો પેડ કાટે મકાન બનાને ઉસકો જેલમે ડાલો
100% correct. Even migration helps in mingling of different culture and resultantly values & beauty of that culture evolves. Urbanisation also helps in economic improvement. Large industrial activity may be regularised instead of banning buying agriculture land.
Ekdam shi aur Satya baat kahi hai apne. Everybody is Indian and deserves to live anywhere they want. It's a free country.
बहुत सुंदर ब्लॉग है प्रिय राजन जी, बहुत खूब ! आपने कुछ मूलभूत प्रश्नों को ओर इशारा किया है। में आपसे पूरी तरह से सहमत हूं। इस तरह के भू कानूनों में धारा 370 की झलक दिखाई देती है। इसमें कोई शक नहीं है कि जल्दी ही अन्य राज्यों के लोग भी ऐसी मांग करने लगेंगे। अगर ये राजनीति से प्रेरित कानून बनते रहे तो मुझे डर है कि मैदानी क्षेत्रों के लोग भी पहाड़ी लोगों जैसी ही डिमांड करने लगें। और ऐसे तो भारत का स्वरूप ही बिगड़ जाएगा, या यूं कहिए कि भारत विघटन की ओर चल पड़ेगा, राजनेताओं को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। सिक्किम,हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उत्तराखंड के लोग इस देश को किस तरफ ले जाना चाहते हैं, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना ही होगा।
भाई साहब आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। 12:19
Being a Delhite, I completely agree with u Rajan Bhai ..
बिल्कुल सही बात कही आपने राजन जी।
राजन जी एकदम सही हमारे मन की बात कह दी आपने, हमारा भी सपना है natural environment में घर लेने का
Rajan Ji 🙏Need strong Land Law to protect our uttrakhand Nature
Problem is increasing Muzlim population in Uttrakhand. They are the ones who are destroying cultures. Be specific in indetfying problems.
You are 100% right rajan sir ❤
Rajan Ji, I am from uttarakhand. I totally agree with you. Any uttarakhandi buys land and flats in Delhi, Ghaziabad, Mumbai and when it comes to Uttarakhand then Bhoo-Kanoon comes into the picture they become selfish. If we are honest citizen of India we should not give weightage to such nonsense. jai hind Rajan bhai.
Thank you sir.
Jai Hind 🫡
Dev bhoomi ko Mulla bhoomi nahi ban ne dinge. Saare UP k mullo ne yaha demographic badal di h. M Haridwar ka gurjar hu aur bhoo kanoon ka support karta hu.
Jail Hind
इसे कहते हैं सीधी बात और नो बकवास🎉❤ शानदार वीडियो राजन भाई मानना पड़ेगा आपको की दिल से अरे ईमानदारी से ऐसी बात कहते हो जिसका कोई काट नहीं है दूसरी बात यह 🎉सब्सक्राइब🎉 तो करना ही पड़ा ऐसी बातें सुनकर😂😂😂
संविधान की उचित व्याख्या पढ़ी होती तो यह चलचित्र नही बनाते।
उत्तराखंड मांगे भू-कानून 👊
Bhukanoon ka sapna dekhte budhe ho jaegi😁
Immigrants bhagao Himalayas bachao @@Mountainloverhome
Bhukanoon to aayega hi.....Jai Uttarakhand.....Jai Hind
@@PNV110 khulker jameen lenge Aaj bhi kal bhi Jai bahri ekta jindabad
@@Mountainloverhome tere bs ki nahi hai.....tu sir comment krta hai
Bhai your are right
Rajan sir is very polite , humble, nature lover person..he is talking on facts. Only..if such person comes and stys here that will be benifitail for our economy and faternity..
Amazing Bilkul sach bola aapne Rajan ji lakin logo ko sach pachta nahi he
Thanks for sharing this vlog, I just downloaded whole playlist of your doon house, Rajasthan is supporting so much for farms community
Now will check that rather than Doon
Bhai tum khud hi kah rahe ho ki tum up se migrat hokar Delhi gye ab tum Uttarakhand aana chahate ho esse pata chalta hai ki aap apni jamin se kitna pyar karte ho ..esko khanabadosh life kahate hai
Yogi Ji uttarakhand se hai, Pure Uttar Pradesh ka CM Bane hue h, Aaj Tak kisi UP Wale ne bola ki outsider ko CM kyu bna diya
Bhai pura India he to apna hai. Tabhi to hum log bharat mata bolte. UP mata, Delhi mata nahi bolte
Har kisi ko har kahi pure bharat me rahne ka adhikar h ..
Hawa paani kashmir mein jaake badal lo
@@sunidhirauthan4830 bahut sahi magar vahan yeah rojgaar nahi de payeega .
Bhai sahab , m aapki baaton se puri trh se sehmat hun
... Delhi ka koi ancient culture nhi hai... Delhi mein esi pushtaini zameen nhi hai... Uttarakhand ka culture alag hai aur logo ke sentiments attached hain... Vaha devta bhaut maante hain jo log nhi smjhte hain..... Aur kayi log hain jo uttarakhand ke culture ka mazak udate hain
Bhai kabhi granth read keyah(kiyah) hai, ....we are all born from same organic and spiritual materials.... My great great grandfather was from Europe and Mongolia.....my parents was born in punjab and delhi.....I was born in delhi...... I'm living in California...my kids are born in USA.... my cousins are married to white Americans..... migration will always happen...
@@worldsfinestnegativemind9108 i have read granths... Do you know about the culture of the place you wanna migrate to os what i am asking ? Do you have that respect for the place or not ?
@@sunidhirauthan4830 MTV, cable TV, web series, education system, newspapers all have changed the culture of India already....... Did you guys noticed that.... Change will always happen......
Rajan Bhai 100% agree with you bahut sahi kiya aap ne aaj ye sub bol ker
Apki Puri video dekhe bina mene comment Kiya tha uske liye mafi mangta hu apne bilkul sahi baat kahi hai
brother I support you, We are citizens of India, Our responsibility is to preserve nature, not to destroy.
If ppl who think to purchase land, its for home, to live and not to destroy nature.
Ram ram bhai, aap ne bahut sahi vichar rakha hai, 😊.
Excellent video bhai...hum sab Hindustani bhai yeh sab bakwas nahi pelni chahiye ki tum outsiders ho..
Excellent Brother ❤ very logically presented case😊👍👍👍
I am from Pune last year I encountered a similar situation in Kumaon where me & my wife wanted to settle for a peaceful life...Have given up the idea of buying land in Uttarakhand... Will prefer to stay in a rented accommodation in Kumaon.Neverthless my best Wishes
We don't need you. Stay in Pune.
Rajan ne sahi points bola hai,
Bahut sahi bola Rajan ji ,Uttrakhandi other states ke logon ko kumau Murga bi sochte h aur forner ki tareh treat karte h.kuch log birodh karte h jabki wahan ka her aadmi property dealer h.
India is one ...but people in uttarakhand say to us we are baharwale....but
They want to charge us most extraordinary amounts for land,
And still classify us as baharwale...
It's really shocking
Yes you are baharwale. What will you do about it?
@@akshatchandra3200😂😂😂 fr fr In outsiders ne hmre ghr ko bhi barbad krdia h
कोई भी व्यक्ति कही भी जमीन व मकान ले सकता है ऐसे तो हर राज्य बाहरी का विरोध करने लगेगा फिर हर राज्य का निवासी अपने राज्य तक ही सीमित हो जायेगा
पहाड़ी भी तो करोड़ों की तादाद मे मैदान में बसे हैं सरकारी नौकरी मे भी हैं मगर कोई कुछ नहीं कहता है
यह दुष्ट मानसिकता है
Nokri kro tumhe kon mna kr rha hai. Jammen lene ke liye awaj utha rhe hai local log. Yha ka crime rate bdta jaa raha hai bhar ke logo ke bass jane se
Bhai you're so humble🙌
I'm from uk but living in delhi since birth. I think govt should intervene in this matter & listen to both parties be it outsiders & phadis & find a better solution. Peace❤
Very true rajan ji.. totally agreed👍
Is this a personal house or Hotel if hotel/homestay then please do recommend
Very well said, I truly support your thoughts
Good thoughts, young man. You must set an example by building an eco-friendly homestay for others to emulate you.
Rajan ji Enjoy your life. Hum sub uttarkhand khareed lenge or sub jagaha per business karenge.
😂😂😂😂😂😂😂😂
Sari baten sahi boli
We all are Indian. We can live anywhere in India. Why we don't purchase land in uttrakhand. In jaipur bangalis, and south Indian purchased their own house.
Bhi hum bhi uttarakhand se hi humen Khushi hi ki aap ko hmara uttarakhand pasand aaya🙏🙏👍
Uttarakhand se hone me or pahadi hone me zameen asman ka frq h 🤣😉
Bahoot sahi baat bol rhe
It is very unfortunate that these people are saying do not come to Uttarakhand. What I feel is if people from Haryana , UP and Delhi do note visit Uttarakhand then they will have no resources to survive. This is the reason UK is suffering. I have been living in UK since last three years and it is not the outsiders but insiders who destroy the state. Huge amount of constructions are being done at local level
Bilkul sahi ilaaj hai iss bimari ki
Ekdam sahi 😂😂😂😂😂
Totally agree on this point. Any indian can settle anywhere. There is no boundation. Ofcourse Nature needs to be respected and protected. I agree too much commercialization in one particular area can creare problems so govt should regulate sale of land on that basis. Problem is unorganized settlement or extreme settlement in one area.
राजन जी आपकी कुछ बातें ठीक है पर आप भू कानून को सही से नहीं समझे।आप देहरादून में घर बना पाए तो क्या किसी ने विरोध किया? संविधान आजादी के साथ साथ प्रकृति के संतुलन बनाने की जिम्मेदारी की भी बात करता है।अगर इन प्राकृतिक स्थानों को कंक्रीट जंगल बना के शहरीकरण करना है तो वह गलत है। किसी जगह को संतुलित तरीके से आबाद करने के लिए कोई मना नही कर रहा।पर असंतुलित विकास कर बर्बादी करने वालो के विरुद्ध आंदोलन है।पहाड़ ज्यादा सेंसिटिव जोन है।आप मैदानी क्षेत्रों सा विकास करेंगे तो वो बर्बाद हो जायेंगे।बहुत से लोग सिर्फ मुनाफे के लिए जमीन खरीद/बेच रहें है और अंधाधुंध निर्माण कर रहे हैं, बरसात के बाद आपको खुद पता चल जायेगा की कौन सा नदी ,नाला, गडेरा कब्जाया गया था।आपकी सोच और मकसद सही है तो किसी को क्या दिक्कत।समस्या तो उन लोगो से है जिन्होंने पहाड़ को पैसे कमाने का अड्डा बनाया हुआ है और वो पर्यावरण,प्रकृति के हनन में लगे है,चाहे वो यहा के हों या बाहर के।
आप जहां भी रह रहे हैं ज्यादा पेड़ लगाएं जंगल develop करने की जरूरत है । अगर हर घर मे सिर्फ चार या पांच पेड़ भी लगाएंगे तो पूरी कॉलोनी हरी भरी रहेगी पानी हवा साफ रहेगी । जो खेती करेगा उसके लिए और बढ़िया है
aap bilkul sahi keh rahe .. waise safety point of view se koi problem to nhi hai na UK mein?
Bahut badhiya. Congratulations sahi baat karne ke liye.god job bro.
Aap ekdam sahi bol rahe hai .me bhi pauri se hu.parantu ab pahado per jammin kharidkar rehna mout ko dawat dene jaisa hai .kioki thodi si baaris me badal fat jaata hai.kahi bhi. Jo pehele nahi hota tha.hamera gau me bhi badal fata kai dukaane ghar dab gay .
U R RIGHT
,
देश का कोई भी नागरिक उत्तराखंड में रह सकता है
Brother ,I am a nature lover since childhood.
You are thinking this "bhoo kanoon" from personal perspective...but the 1st priority is to conserve himalayas and our mother nature.
Persons like you and me may not spoil nature and keep the hilly areas clean and conserve it.
But for majority of outsiders, their 1st priority is making money, the same people who have made NCR extremely polluted and congested, the SAME PEOPLE if not CONTROLLED they will make himalyas like HELL.
They don't follow building & construction rules ,make concrete buildings ,guest houses, hotels, restaurants and put load on hills.
Think it as a responsible citizen, these rules are for conserving our MOTHER NATURE, and for good of our ENVIRONMENT...pahado me bhi temp bad rha hai due to over construction and our rivers are getting polluted day by day...
Recent example is RISHIKESH, where lacs of tress have been cut recently, and the temp have increased there...
Aap or mere jaise log sabhi jgah nhi hote. Government must think and take action for overall BALANCE & PROTECTION of Beautiful himalayas 1st, otherwise in few years pahado par bhi fresh air or sukoon nhi milega
🙌
Thats the reason why we are not allowed to buy land in north eastern states like arunachal....
hamaare 4-5 neighbours utrakhand se hai,kya wo outsiders nhi hai.gurugram me...hmare Delhi Wale Ghar ke pas to poori colony hai ... utrakhand Wale ki
Rajan buddy ..I love your content and videos ..but the actual facts is any person, including an outsider, can purchase land in Uttarakhand, subject to certain conditions. The land can be purchased for residential, commercial, or industrial purposes, but agricultural land can only be purchased by locals.
@Rajan vlogs - totally agree with you, in our own conutry we are tagged outsiders. Also ppl in city never say dont come or outsiders.
उत्तराखंड या पहाड़ों में हमेशा बाहर से बसने वालों का सम्मान किया है जो यहां की संस्कृति और मिट्टी का आदर करते हैं।कितने ही प्रान्तों से साधु-संत, विद्धान और पर्यटक यहां आते और रहते हैं उसका हमेशा स्वागत होता रहा है। राजन जी भी अच्छे और प्रकर्ति प्रेमी हैं और उनका भी स्वागत है। भू-कानून की समस्या इसलिए है क्योंकि दिल्ली और अन्य प्रदेशों से लोगों ने अपने काले धन को सफेद करने के लिए यहां प्रॉपर्टी में इनवेस्ट करने का जरिया बना रखा है। दूसरा, आपको यह समझना होगा कि उत्तराखंड के पास सीमित जमीन है। अधिकतर जमीन यहां वन है जो सरकारी है। कृषि भूमि ही धीरे धीरे आवासीय बनती जा रही है। दिल्ली, हैदराबद, बंगलोर में वन्य भूमि काफी कम थी इसलिए वहां आवासीय भूमि का विस्तार हो पाया। अगर उत्तराखंड या हिमालय को आप दूसरी दिल्ली बना देना चाहते हैं तो इसका बोझ यहां के वन, नदी और ग्लेशियर पे पड़ेगा। और इसका खामियाजा सारे देश को भुगतना पड़ेगा क्योंकि वर्षा और पेयजल के लिए पूरा उत्तर भारत हिमालय के जंगल और नदियों पर निर्भर है!
दिल्ली में 360 village है और दिल्ली के साउथ दिल्ली में ही छतरपुर में 12 गांव के है जिसमें aya nagar गांव में भी 200 से 300 घर अकेले उत्तराखंड के लोगों के हैं तो क्या अब हम गांव वाले इन सभी उत्तराखंड के लोगों को विरोध करें, यह कैसी मानसिकता होगी तो उसी तरह उत्तराखंड वाले लोगों को भी बाहर से आए लोगों का स्वागत करना चाहिए।
@@Mountainloverhome हँसा मत यार, स्वागत है भाइयो तुम्हारा,
But
यहाँ कोई मुल्ला नहीं चाहिए, हम जिसे बसाएंगे, देख के बसाएंगे, बस 🖐🏿बात ख़तम,
अंधाधुंध नहीं,
कोई झोपादपत्ति नहीं, अच्छी सोसाइटी,
@@Mountainloverhome
समाज तो अच्छे लोगो से बनता है, जहाँ अच्छे लोग होते है वहां स्वर्ग बस्ता है,
इसलिए तो भू क़ानून चाहिए, हम जिसे बसाये, देख के बसाये, ऐसे ही कोई भी ना आ जाये,
देखा वंभूलपुरा मै क्या कबाड़ बसा रखा है,
अच्छी सोसिटी चाहिय्र इसलिए ती सरकार क़ो जमीन का tax दोगुना करना चाहिए other state वालों के लिए, जिससे पेसेवाले ही बस पाएं
@@ar02816 free ke paise nahi hai outsider ke pass ,tumhari chalaki sabko pata chal gayi hai ,delhi noida me maza lut rahe ho or hame rok rahe ho ,doglapan
UT aur State m difference h lole.
@@Azokyjuf902 दोगलापन हाय हाय
Ek vedeo dhaulash vale ghar ki bhi bnao bhai
Super se bi upar osm cool vary good ❤🎉😊
Rajan ji hello uttrakhand me plot kis rate ki hi
Correct Rajan bhaiya ji all states in India
Respected Sir,
Just introspect over it,
The illegal immigrants from Bangladesh Myanmar 🇲🇲 have usurped the railway land at Haldwani , and have changed the demography of Devbhomi. Four districts of Uttrakhand viz Nanital, Uddhamsingh Nagar, Hardwar and Dehradun are totally now vulnerable, where the peaceful people have increased their population, the future of Devbhomi is just becoming another Assam, West Bengal and Kashmir.
Recent riots and arson in Haldwani is an eye-opener for the local inhabitants that their well-being is in danger.
Almost 50000 families of peaceful people are settled in Haldwani Uttrakhand, and are demanding permanent settlement in Uttrakhand.
Recently I had visited Bhavoli, Nanital and have noticed that peaceful people have penetrated in to the country side of Uttrakhand. Shadows are lengthening all over Uttrakhand. Four districts reflect exponential rise of peaceful people and is a reminder to the grim reality, should not become another Kashmir. Arise and awake before it becomes too late, Strict land regulations for outsiders, ISSI, ISI and other agencies are working on a clear agenda.
You are right sabko adhikar h
To save mountain govt can limit land sell in every village
Aap mujhe Dehradun sheher ke plain area par sabse shaant area ka naam bataein ?wahhan par facelities bhi sab honi chaahiye .
Bhai dwarka ke pass kha rehte ho aur up mein kha se belong karte ho.
you are 100% right. we are indians and we have the right to buy property from north to south india.
Himachal aur north east mai jake khrid ke dikha