राजन जी नमस्कार, मैं भी उत्तराखंड से ही हूं और मैं यह कहना चाहता हूं कि इस देश के सभी नागरिको को कहीं भी रहने की स्वतंत्रता है चाहे वो उत्तराखंड ही क्यों न हो। चिंता का विषय यह नही है की लोग उत्तराखंड में आकर बस रहे है बल्कि चिंता विषय यह है कि कुछ पैसे वाले लोग यहाँ का व्यवसायीकरण करने में तुले हुए है और अगर ऐसा चलता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा की उत्तराखंड भी दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद जैसा polluted शहर बन जायेगा और जिस उद्देश्य से लोग यहां रहने के लिए आ रहे है जैसे कि pollution रहित वातावरण वो उद्देश्य फेल हो जायेगा । इसलिए भू कानून से सिर्फ ऐसे लोगो को नुकसान है जो सिर्फ व्यवसायिक प्रवृत्ति के लालची लोग है। लेकिन जो लोग प्रकृति प्रेमी है इसे नुकसान पहुंचाए बिना यहां बसना चाहते है उन्हे भू कानून से घबराने की जरूरत नहीं है। जैसा कि आप ही ने कहा की सवा नाली जमीन तो ले ही पाएंगे। इसीलिए आपको किसी को कोई जवाब या सफाई देने की आवश्यकता नहीं आप उत्तराखंड में कहीं भी जमीन लेकर रहने के लिए स्वतंत्र हैं। मैनें आपके 3-4 volgs देखें हैं मुझे बहुत अच्छे लगे और आज ही मैंने आपका चैनल भी सब्सक्राइब किया है। धन्यवाद।
@@Mountainloverhome सर, इतना ही कहूंगा कि सही बात कहने के लिए अगर अकेला भी चलना पड़े तो परवाह नही। रहा हमारे उत्तराखंड के लोगों की बात, उनमें से कुछ लोग तो जरूर मेरे उपर वाले कॉमेंट को पड़ेंगे और मेरी बात से सहमत भी होंगे। उनका भी यही कंसर्न है कि कुछ लालची लोगो की वजह से यहां के लोगों को लैंड स्लाइड और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है दूसरा मुझे यह समझ नही आ रहा कि आप उत्तराखंड में रहने में ज्यादा interested hai ya भू कानून में जो अभी लागू भी नही हुआ है। मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप जो चाहते है वो कीजिए क्योंकि कहते है न "कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना।" धन्यवाद।
@@Mountainloverhome 143 agar rule ke against huyi hogi to cancle bhi ho jati hai....aajkl me hm sare land jinka 143 rule ke against hai ko data RTI se le rahe Hain...fir jo bhi rule ke against hoga usko court me challenge krenge....hmara maksad kisi ko pareshan Krna nhi balki Uttarakhand ko barbad hone se bachana hain.....apne culture or environment ko bachana hai
Bilkul bicholiyo se jamin bechne pe rok lge kisano ki Bhumi ko bicholiyo se bachaya jaye bhumafiyao se bachaya jaye pollution se bachaya jaye or sabhi logo se bisesh kr bhari Logo se local se ki idhr gandagi na kre nature k sath Cher char na kre
मैं गढवाल से हू. भाई शानदार विचार है आपके. ये कमेन्ट वाले बाहर ही रहते हैं। सही कहा आपने. आपका स्वागत है. आप आये यहा. यहां रोजगार बढेगा. लोगों को अपनी जमीन की किमत मिलेगी. आर्थिक स्थिति बढेगी. सभी को देवभूमि वीरभूमि का सम्मान करना चाहिए.
Bhai tumne kabhi itna dimag lagaya jis bewakoof pahadi nai is bande ko jamin bechi aaj vo apni zamin gawa kai bahr kai bande ko gaanv mai basa kai usi kai wahan 10'000 mai naukri kar ra hai vo khud be to cottage bana sakta tha business kar sakta tha sarkar loan kis liye deti hai zamin bech Kai kya mila naukar ban gye bahar walo ka @@esport__making7846
delhi is a multicultural state first of all, delhi ka apna koi culture nahi hai bhaisahab and uttarakhand has its own culture and it's own language for its preservation we need bhukanoon. jaise ki bihar, himachal and up and haryana ka apna culture hai and language hai . ok sir uttarakhand ko loota gaya hai aur loota jaraha hai aur ye sachai hai . bahar se kam karne aao, ghar banao lekin crime kyu bad rhe hai uttarakhand mai. it is used be such a peaceful state, bahaut kam crimes hote the, Uttarakhand mai pahadi ameer nahi hai and iska fayada uthate hai. everyone has a right to preserve their culture and language. and mountains aur plains mai bahut difference hai isliye mountains ko bachana jaroori hai. himachal mai bhi bhoo kanoon hai aur same uttarakhand mai bhi hona chayeye. hamare ancestors faltu mai nahi lade the jab uttarakhand up se alag hua tha uska bhi karan tha.
delhi ka apana culture he but tum pahadi up bihari itane bhare pade ho delhi me ki unaka culture dab gaya tumhare bogh ke vajah se. tum log kyu aate ho delhi fir mat aavo. mumbai me bhi bhare pade he pahadi log vo kyu aa rahe he yaha
Uttrakhand ko barbaad wo kr rhe hain jo bahar ke logo ko galat tareeke se zameen bech rahe hain...zitna frod dehradun me property me hi raha hai,sharm aani chahiye aise logo ko...yahi culture ban gaya hai wahan ka ba..khud to wahan gaon se bhaag Gaye young ladke ladkiyan,,bahar jakr job kr rhe hain..aur doosra koi aa rha hai to mana kr rhe ho..gaon ke gaon khali ho gye uttrakhand ke..bodde log bache hain bas.
Bohot he achchi video bhai. I am of same view. Some people I don't know why are discriminating with in India. From decades pahadi people who are also like our family are living outside hills because they have to.....majboori hai....toh aise he sabki wish hoti hai ki hum bhi achchi jagah rahe.......dev bhoomi sabki hai jaise dev sabke hain......jaise metro cities sabke hain.....aisi debate honi he nhi chahiye ......
Problem is not with you like people. U people r most welcome. But problem is for the outsider people who purchase agricultural land for making large resorts, hotel, Restraunts etc.. In UK agricultural land is left only 9% of total land area. That's why native people needs protection.
राजन जी। आप सौ परसेंट सही कह रहे हैं। Actually ये दो किस्म की जमात है एक जो वो needy हैं और अपनी जमीन बेच रहे है। और दूसरे वो हैं जो खुद शहरों में बस चुके हैं, जिन्हे उन हैं के गरीब लोगों से कोई लेना देना नहीं है पर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं कि उत्तराखंड में जमीन मत खरीदो, बढ़िया हो की ये लोग भी हमारे दिल्ली, गुड़गांव और नोएडा जैसे शहरों को खाली कर दें और अपने उत्तराखंड वापिस आ जाएं और उन लोगों की फाइनेंशियल मदद भी करे, बजाय की बातें बनाने के। वैसे उन लोगो को क्लियर कर दूं कि हम जबरदस्ती नही बल्कि पैसे देकर जमीन खरीदते हैं वो भी इनकी बंजर जमीन की महंगे दाम देकर। और एक और बात उत्तराखंड किसी की पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं है! देश सबका है और देश का संविधान किसी भी नागरिक कौ कहीं भी बसने का अधिकार देता है। सो, please live and let the others live.
Bhai jitna delhi se mukteswar he utna hi delhi se solan, shimla he. Yahi vhyakhyan shimla solan mai beth kar Himachal ke logon ko bhi do. Pata lag jayega bhu kanun. J & k mai le sakte ho? Nahi. Himachal mai nahi. Sikkim me nahi. Arunachal bilkul hi nahi. Per in states ke log bhi Delhi ncr mae rah rahe he spna ghar le kar. Inhe bhi gyan de. Bana video shimla, manali, dalhauji, pahalgam, jammu, gangtok me baith kar. Malum pad jayega.
Dear these are Himalayan ranges . Dont do plotting for local people also it is destroying nature. Uttarakhand people are to be blamed why they are selling land. As indian we have to save Himalayan ranges and Uttarakhand. Remember Kedarnath tragedy. You stop doing land business in Uttarakhand and start planting trees .Work for nature if you love it. Save environment and save earth.
हेलो राजन, बहुत सही बात कही आपने, ये पहाड़ी लोग यहां दिल्ली में क्यों बस जाते हैं। यहां कॉलोनियों की कॉलोनियां इन लोगों की बसी हैं। ये लोग ये क्यों नहीं सोचते कि हम जैसे लोग जब वहां पर रहने जाते हैं तो वहां के विकास में योगदान भी करते हैं।हम ज़मीन लेंगे तो राजस्व आएगा सरकार को। जिस राजस्व से सरकार विकास कार्य करती है। पहाड़ों का व्यसायिकरण भी पूरी तरह से गलत है। हम बस पहाड़ में 100-200 ग़ज़ ज़मीन पर छोटा सा आशियाना बनाना चाहते हैं। और पूछो इनसे एक एक नाली जिसकी वाजिब कीमत 3-4 लाख है उसका ये लोग 15 लाख मांगते हैं। सोचते हैं दिल्ली वालों के पास अंधा पैसा है।
Delhi bahut puraney samai sey h. Jisey dwapar yug mei Inderprastha kahtey thei. Prithviraj Raj Chauhn k samey bhi yahi Delhi tha. Ham log to tab sey h ya Shayad usesey bhi pahley k hamarey ancestors. Aur aaj Delhi sey bahar Noida h. Purana ghar aaj bhi Kotla Mubarak Pur near South ex h.Phir aap kahtey h kaun delhi ka h sab bahar k. Bas delhi walo ney sabko apna bana liya. Kiyoki Dilli to dil walo ki h.Chotey chotey Gaon thei hamari Delhi mei. Khub Khali jagah thei jisey ham logo ney Delhi mei dekha tha.
पहाड़ के आदमी ने पहाड़ को बचा रखा है उसको ज्यादा मुनाफे की आदत नही होती। बाहर का आदमी को मुनाफे की आदत होती है, वो यहां के पेड़ों को नदियों को खा जायेंगे।
राजन भईया आप bilkul सही बोल रहे हैं ,, इतना बुरा लगता है जब ये लोग बाहरी बाहरी करते हैं,,,, पहाड़ी भाई बहन समझो जिन्हे आप बाहरी कहते है उन्ही का बोया हुआ अनाज , चीनी, चावल, दाल आपका राज्य खाता है आप कितना उगाते है ,,,,plzzz ये दरार पैदा ना करें
भाई साहब, दरार कोई पैदा नहीं करता है। स्वास्थ्य लाभ या प्रकृति का आनंद लेने के लिए पहाड़ आना अच्छा ही है। लेकिन कुछ लोग यहां आकर व्यवसायीकरण करते हैं, और यहां का वातावरण दूषित करते हैं। जहां तक सवाल है राशन-चीनी आदि इस्तेमाल करने की तो मुफ्त में कोई नहीं खाता। उत्तराखंड में भी एक से बढ़कर एक बहुमूल्य पदार्थों का उत्पादन होता है। यहां जो भी चीज पैदा होती है, वह औषधीय गुणों से भरपूर होती है। अगर बाहरी लोगों के पहाड़ आने पर नियंत्रण की मांग कहीं से उठ रही है तो किसी न किसी कारण से ही उठ रही है। उल्टी-सीधी बातें और कुतर्क करके पहाड़ पर बसने की हिमाकत करने वाले नहीं बल्कि पहाड़ की ईमानदारी, सादगी और खूबसूरत आबोहवा को समझकर यहां बसने वाले लोग ही स्वागत योग्य हैं। आप हमारी बातों से अन्यथा न लेकर वस्तुस्थिति को समझने की कोशिश कीजिएगा साहब। धन्यवाद।
@@mahendrathakurathi3389 Bro people who buy 1.25 nalis and run a small homestay of 2-3 rooms are not the ones who are doing commercialization. They barely make enough money to cover the maintenance cost of the house and salary of caretaker. There is no profit in it at all. The ones building huge resorts by buying land in the name of companies are the ones doing commercialization. Your anger should be directed at them. Uttarakhand law allows people to buy unlimited land in the name of company. That is the biggest loophole that needs to be plugged. There is no need to target individuals buying a tiny piece of land just to live there. As it is, most villages in Uttarakhand have turned into ghost villages. It is beneficial to economy if a few outsiders come to settle there.
As an Uttarakhandi bhu kanun must be applied to outsiders otherwise Uttarakhand will no more tourist area also Uttarakhand known as land of God and we have faith and believe on our culture which is hard to understand outsiders!!
Indian bhi hai tu .. naukri central government chahiye, posting delhi chahiye, army join karni hai.. ye sub as an indian hoga, Itna hi concern hai saare states baare me soch bhai , land bill pure india ke suggestion do. india ke or bhi part me tourism hai.. uttrakhand se better tourism rajasthan ka hai .. pura desh hi tumhari tarah karega to kaise chalega ..
बहुत सुंदर ब्लॉग है प्रिय राजन जी, बहुत खूब ! आपने कुछ मूलभूत प्रश्नों को ओर इशारा किया है। में आपसे पूरी तरह से सहमत हूं। इस तरह के भू कानूनों में धारा 370 की झलक दिखाई देती है। इसमें कोई शक नहीं है कि जल्दी ही अन्य राज्यों के लोग भी ऐसी मांग करने लगेंगे। अगर ये राजनीति से प्रेरित कानून बनते रहे तो मुझे डर है कि मैदानी क्षेत्रों के लोग भी पहाड़ी लोगों जैसी ही डिमांड करने लगें। और ऐसे तो भारत का स्वरूप ही बिगड़ जाएगा, या यूं कहिए कि भारत विघटन की ओर चल पड़ेगा, राजनेताओं को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। सिक्किम,हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उत्तराखंड के लोग इस देश को किस तरफ ले जाना चाहते हैं, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना ही होगा।
Rajan Bhai fully support u.There should not be any biasness based on region. Uttam nagar has most of PPL from uttrakhand.but I agree to one fact only PPL who love nature will love such secluded place,close to nature.
Wonderful ideas..Rajan... Surprisingly we can purchase land outside India but we are treated outsider in our own country...People should welcome everyone, anywhere in India. Yes, rules should not be broken in purchasing land..
भाई साहब आप एक दम सही बोल रहे हो उत्तराखंड में मैं भी 2 साल रहा हूं मेरे साथ भी ऐसा व्यवहार होता था जैसे कही पाकिस्तान आया हम मै इन लोगों का ऐसा है ना की ये अपना किसी के साथ बाट नही सकते ओर हमारा सब कुछ यूज करते हैं गेहूं. चावल. सब्जियां. ओर भी डेली यूज की चीजे अगर प्लेन में रहने वाले लोगो बंद कर दिया तो इनका क्या होगा
Bilkul sahi point. Valid points bola. Same points main kehta hu in himachali uttrakhand logo ko. Inko lagta pta ni ye alag hi desh me reh rahe hai. Jese inki khandani property hai mountains. Ye pahadi logo ka jyada hi drame hai himachal me bhi yahi hai. Ladakh sikkim side me bhi ye problem hai. Desh azad hai koi bhi kahi b ja sakta kahi bhi bass sakta.
Desh aur samaj mai fark hota hai... Tumhara apna koi samaj to hai nahi .. pata nahi dusro ka ghar tumhe kyu pasand aa raha hai... Apne gaanv jao apne samaj mai jao.. Tumhare pad paisa hoga paise se naya samaj bhi kharidna chah rahe ho... Manipur .. Nagaland.. Kashmir ..andman sab khubsurat hai bharat mai hai.. Ghar banao shauk sr
Uttarakhand m le bhi sakte ho Himachal m to niyam hi nahi lene ka. Union Government ko is par dhyan dena hoga. Indian log India m kahi bhi jamin le sakte hain. Ab to sab Videsh m settle ho rahe hain.
@@ROSHANSINGH-qt3hrSamaj ka ghanta karoge jab Desh hi gulam ban jayega videshiyo ka. Bharat 1000 saal gulam raha fir bhi aankh nahi khuli hai tum logo ki.
100% correct. Even migration helps in mingling of different culture and resultantly values & beauty of that culture evolves. Urbanisation also helps in economic improvement. Large industrial activity may be regularised instead of banning buying agriculture land.
Thanks for sharing this vlog, I just downloaded whole playlist of your doon house, Rajasthan is supporting so much for farms community Now will check that rather than Doon
Rajan Ji, I am from uttarakhand. I totally agree with you. Any uttarakhandi buys land and flats in Delhi, Ghaziabad, Mumbai and when it comes to Uttarakhand then Bhoo-Kanoon comes into the picture they become selfish. If we are honest citizen of India we should not give weightage to such nonsense. jai hind Rajan bhai.
Dev bhoomi ko Mulla bhoomi nahi ban ne dinge. Saare UP k mullo ne yaha demographic badal di h. M Haridwar ka gurjar hu aur bhoo kanoon ka support karta hu.
Rajan sir is very polite , humble, nature lover person..he is talking on facts. Only..if such person comes and stys here that will be benifitail for our economy and faternity..
... Delhi ka koi ancient culture nhi hai... Delhi mein esi pushtaini zameen nhi hai... Uttarakhand ka culture alag hai aur logo ke sentiments attached hain... Vaha devta bhaut maante hain jo log nhi smjhte hain..... Aur kayi log hain jo uttarakhand ke culture ka mazak udate hain
Bhai kabhi granth read keyah(kiyah) hai, ....we are all born from same organic and spiritual materials.... My great great grandfather was from Europe and Mongolia.....my parents was born in punjab and delhi.....I was born in delhi...... I'm living in California...my kids are born in USA.... my cousins are married to white Americans..... migration will always happen...
@@worldsfinestnegativemind9108 i have read granths... Do you know about the culture of the place you wanna migrate to os what i am asking ? Do you have that respect for the place or not ?
@@sunidhirauthan4830 MTV, cable TV, web series, education system, newspapers all have changed the culture of India already....... Did you guys noticed that.... Change will always happen......
Delhi is one of the most ancient city in India , Indraprastha from Mahabharat times ,, और बैंगलोर, हैदराबाद , मुंबई में भी उत्तराखंड के लोग ज़मीन और फ्लैट लेके किराया कमा रहे है ,, रूल बनान है सरकार को तो बनाइए , वह उनका अधिकार है ,, बाक़ी यह outsider वाली राजनीति ना करिए ,, इससे हमारी सांस्कृतिक विविधता पर प्रभाव पड़ता है , हम फ़ौज से है और देश और देश की संस्कृतु ( सांस्कृतिक विविधता) ही हमारी शक्ति और गौरव है । thanks for understanding brothers and sisters
Bhai tum khud hi kah rahe ho ki tum up se migrat hokar Delhi gye ab tum Uttarakhand aana chahate ho esse pata chalta hai ki aap apni jamin se kitna pyar karte ho ..esko khanabadosh life kahate hai
भाई में दिल्ली का रहने वाला हूं मैं बहुत पहाड़ी लोगों को जानता हूं वह दिल्ली में नौकरी करते हैं और यह अपना धर बनाया है उन्हें किस ने नही कहा कि तुम यहां क्यों बसे हो
India is one ...but people in uttarakhand say to us we are baharwale....but They want to charge us most extraordinary amounts for land, And still classify us as baharwale... It's really shocking
Mere ek dost ki family last 50 saal se ghaziabaad mainnreh rahi hai. Aur uske father Haldwani se belong karte hain. Ab usne dono jagah jagah le rakhi hai. Uske father ne abhi 2017 ke aas paas 4 lakh ki zameen li haldwani main jo ab 1 crore ki hai. And ghaziabadain bhi unke 3 ghar hain. To kya usko hum ghaziabaad se bahar nikal dain? Jo jahan rehta hai wo wahan ki economy main contribute karta hai. Koi ghar main factory khol ke pollution to karta nahi hai.
दिल्ली में 360 village है और दिल्ली के साउथ दिल्ली में ही छतरपुर में 12 गांव के है जिसमें aya nagar गांव में भी 200 से 300 घर अकेले उत्तराखंड के लोगों के हैं तो क्या अब हम गांव वाले इन सभी उत्तराखंड के लोगों को विरोध करें, यह कैसी मानसिकता होगी तो उसी तरह उत्तराखंड वाले लोगों को भी बाहर से आए लोगों का स्वागत करना चाहिए।
@@Mountainloverhome हँसा मत यार, स्वागत है भाइयो तुम्हारा, But यहाँ कोई मुल्ला नहीं चाहिए, हम जिसे बसाएंगे, देख के बसाएंगे, बस 🖐🏿बात ख़तम, अंधाधुंध नहीं, कोई झोपादपत्ति नहीं, अच्छी सोसाइटी,
@@Mountainloverhome समाज तो अच्छे लोगो से बनता है, जहाँ अच्छे लोग होते है वहां स्वर्ग बस्ता है, इसलिए तो भू क़ानून चाहिए, हम जिसे बसाये, देख के बसाये, ऐसे ही कोई भी ना आ जाये, देखा वंभूलपुरा मै क्या कबाड़ बसा रखा है, अच्छी सोसिटी चाहिय्र इसलिए ती सरकार क़ो जमीन का tax दोगुना करना चाहिए other state वालों के लिए, जिससे पेसेवाले ही बस पाएं
@@ar02816 free ke paise nahi hai outsider ke pass ,tumhari chalaki sabko pata chal gayi hai ,delhi noida me maza lut rahe ho or hame rok rahe ho ,doglapan
मतलब कि उत्तराखंड़ के लोग पूरे देश में जहां मर्जी हो नौकरी करें घर बनाये आराम से बसे कहीं भी..पर कोई दूसरे राज्य का आदमी ना बसे उत्तराखंड़ में...वाह रे मेरे पटवारी तेरी सोच को 21 तोपो की सलामी...सभी राज्यों ने अगर ऐसे कानून बना लिये तो सबसे ज्यादा भूखे मरने की नौबत पहाड़ियों की ही होगी..दूसरे राज्यों में सबसे ज्यादा पहाड़ी लोग ही बसे पड़े हैं।
@@rajatbhardwaj7684 आधी जानकारी अध पके आलू जैसी होती है, बाद में पेट दर्द कर देती है लाला। उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है । भारत के सभी पर्वतीय राज्यों में किसी न किसी प्रकार का भू कानून है जैसे हिमाचल प्रदेश, पूर्वांचल के राज्य आदि। इसका एक कारण है जो कि तुम्हारी बुद्धि से परे है।
@@ashutoshnautiyal5499 अरे मौरारजी देसाई के पोते दूसरे राज्यों में ये कानून राज्य के गठन के समय से लागू है, तुम्हारी तरह सो सो के नहीं जागे वो लोग..और उत्तराखंड़ में रुड़की, हरिद्वार, देहरादून, रुद्रपुर, हलद्वानी, उधमसिंह नगर, रामनगर ये सब शहर प्लेन एरिया में आते हैं..बाकी किसी भी पर्वतीय राज्य में इतने शहर प्लेन एरिया में नहीं आते...तुम्हारा वो काम हो रा है कि मां मर गई अंधेरे में और लड़के का नाम रख गई प्रकाश ।
Arey Hoot iye uske piche kuch logic hai .... Love Day 😂😊 Kabhie mil aaram se baith ke samjhate hain tujhe. Outsider Se koi problem nahi hai. @@rajatbhardwaj7684
Brother ,I am a nature lover since childhood. You are thinking this "bhoo kanoon" from personal perspective...but the 1st priority is to conserve himalayas and our mother nature. Persons like you and me may not spoil nature and keep the hilly areas clean and conserve it. But for majority of outsiders, their 1st priority is making money, the same people who have made NCR extremely polluted and congested, the SAME PEOPLE if not CONTROLLED they will make himalyas like HELL. They don't follow building & construction rules ,make concrete buildings ,guest houses, hotels, restaurants and put load on hills. Think it as a responsible citizen, these rules are for conserving our MOTHER NATURE, and for good of our ENVIRONMENT...pahado me bhi temp bad rha hai due to over construction and our rivers are getting polluted day by day... Recent example is RISHIKESH, where lacs of tress have been cut recently, and the temp have increased there... Aap or mere jaise log sabhi jgah nhi hote. Government must think and take action for overall BALANCE & PROTECTION of Beautiful himalayas 1st, otherwise in few years pahado par bhi fresh air or sukoon nhi milega
Delhi is one of the most ancient city in India , Indraprastha from Mahabharat times ,, और बैंगलोर, हैदराबाद , मुंबई में भी उत्तराखंड के लोग ज़मीन और फ्लैट लेके किराया कमा रहे है ,, रूल बनान है सरकार को तो बनाइए , वह उनका अधिकार है ,, बाक़ी यह outsider वाली राजनीति ना करिए ,, इससे हमारी सांस्कृतिक विविधता पर प्रभाव पड़ता है , हम फ़ौज से है और देश और देश की संस्कृतु ( सांस्कृतिक विविधता) ही हमारी शक्ति और गौरव है । thanks for understanding brothers and sisters
I have purchased Land near Chamba TIhri, and I faced the same situation there, even there are sign bioards on Dhara (water Source) that outsider are not allowed, very disappointing
I am from Pune last year I encountered a similar situation in Kumaon where me & my wife wanted to settle for a peaceful life...Have given up the idea of buying land in Uttarakhand... Will prefer to stay in a rented accommodation in Kumaon.Neverthless my best Wishes
इसे कहते हैं सीधी बात और नो बकवास🎉❤ शानदार वीडियो राजन भाई मानना पड़ेगा आपको की दिल से अरे ईमानदारी से ऐसी बात कहते हो जिसका कोई काट नहीं है दूसरी बात यह 🎉सब्सक्राइब🎉 तो करना ही पड़ा ऐसी बातें सुनकर😂😂😂
@@diwansinghpawar9320 Bihario se sikho jaha jate hain apne sanskriti me sbko rang lete hain.jahan bhi hote hain gin kr ek do bhi apni sanskriti maintain krte hain
We all are Indian. We can live anywhere in India. Why we don't purchase land in uttrakhand. In jaipur bangalis, and south Indian purchased their own house.
It is very unfortunate that these people are saying do not come to Uttarakhand. What I feel is if people from Haryana , UP and Delhi do note visit Uttarakhand then they will have no resources to survive. This is the reason UK is suffering. I have been living in UK since last three years and it is not the outsiders but insiders who destroy the state. Huge amount of constructions are being done at local level
Uttarakhand mai zameen kharidne par koi rok nahi but limited land khareed sakte hai.. in 2007 250 sq meter was the limit. Aajkal log yahan manchahi land purchase karke hotels, resort, guest house bana rahe hai.. which is harming nature and culture of uttarakhand. Look at mussoorie, rishikesh, haridwar and nainital.. look at the crowd and congestion in the city.. yeh sab ho raha hai.. road mai chalne k jagah nahi hai.. ghanto tak traffic jam rehta hai just because of the hotels, restaurants, guest house beside road. So this is necessary to preserve the culture and nature of uttarakhand.
@@RajanVlogs bhai isliye law pass karne k liye pressure hai goverment par. Bechne wala sale karega hi, chahe woh sahi ho ya galat aur kharidne wala b kharidega hi. Isko streamline karne k liye hi process and law banye ja rahe hai.
@@sukuna6834jaldi hoga when agriculture land can be banned fron this year so this can also be implemented we cant blame others for this till it is implemented outer will be buying the land rigourusly.aur yeh phirr kuch log nature ko samjhenge aur kuch log nhi effect toh uttrakhand pe padega. Me 30 saaal se dehradun me reh raha hu mene dekhra hu ki kese mussorie me snowfall kam hori hai aur 2 se 3 saal se toh bahut bura haal hai ab toh mussorie jaanee ka bhi mann nhi karta jo mussorie pehle hua karti thi sab unwanted tourism ke wagah se resorts hotel r creating day by day harming the nature.yeh bas right ki baat karte hai ki humara bhi right hai rehna ka usse upar ki kabhi nhi sochege ki uttrakhandi log bol rhe toh kyu bol rhe hai kuch reasons hai yeh sab humari galti hai ki hum uttrakhandi ne state bante hi ek strict land laws implement kardena chahiya tha.hume pressurize karna padega govt par unless it will create a problems in future.environmental problems,demographic changes problems,cultural heritage hai uspe bhi effect padega.
@@saurabhaswal520 sahi bola aapne, 30 saal mai aapne experience kar liya hoga ki kitna change ho chuka hai dehradun ka climate. Hopefully, jaldi hi law pass hoga aur sab stable ho jayega. UK k bahar walo ko b land mil sakta hai but with limit which is a good solution... Isse humara culture and natural resources b protected rahenge aur dusre log Jo yahan rehna chahte hai as a resident woh b reh sakenge.
उत्तराखंड के हमारे भाई दिल्ली में काम करके पैसा कमा रहे हैं जमीनें ले रहे हैं दिल्ली के सभी साधन उपयोग कर रहे हैं ये उत्तराखण्ड के लोग हमारे भाई हैं ये ही सोच कर हम दिल्ली वालों ने कभी उत्तराखण्ड के लोगो का विरोध नहीं किया
Rajan buddy ..I love your content and videos ..but the actual facts is any person, including an outsider, can purchase land in Uttarakhand, subject to certain conditions. The land can be purchased for residential, commercial, or industrial purposes, but agricultural land can only be purchased by locals.
कमेंट्स पढ़कर दुःखी मत होइए राजन जी। अगर आप चैनल चला रहे हैं तो हर प्रकार के कमेंट्स झेलने की आदत भी बनानी पड़ेगी। कोई कहीं भी रह सकता है। लेकिन यहां आकर व्यवसायीकरण करना, अनुचित वातावरण सृजित करना और अपसंस्कृति फैलाना पूरी तरह गलत है। जैसा आप बता रहे हैं, कि स्वास्थ्य लाभ और प्राकृतिक आनंद लेने के लिए पहाड़ में बसना कुछ गलत नहीं है।
भाई मैं एक फौजी हूं मैं अपनी बहुत ही मेहनत की कमाई लगाकर सन 2016 में 350 गज जमीन ली लेकिन अब भू कानून की खबर सुनकर दिनरात टेंशन रहती है कि कही सरकार मेरी जमीन जप्त न कर ले क्यू कि में उत्तराखंड बॉर्डर के मुजफ्फर नगर का निवासी हु और हरिद्वार के निकट मकान बनाया है
brother I support you, We are citizens of India, Our responsibility is to preserve nature, not to destroy. If ppl who think to purchase land, its for home, to live and not to destroy nature.
Respected Sir, Just introspect over it, The illegal immigrants from Bangladesh Myanmar 🇲🇲 have usurped the railway land at Haldwani , and have changed the demography of Devbhomi. Four districts of Uttrakhand viz Nanital, Uddhamsingh Nagar, Hardwar and Dehradun are totally now vulnerable, where the peaceful people have increased their population, the future of Devbhomi is just becoming another Assam, West Bengal and Kashmir. Recent riots and arson in Haldwani is an eye-opener for the local inhabitants that their well-being is in danger. Almost 50000 families of peaceful people are settled in Haldwani Uttrakhand, and are demanding permanent settlement in Uttrakhand. Recently I had visited Bhavoli, Nanital and have noticed that peaceful people have penetrated in to the country side of Uttrakhand. Shadows are lengthening all over Uttrakhand. Four districts reflect exponential rise of peaceful people and is a reminder to the grim reality, should not become another Kashmir. Arise and awake before it becomes too late, Strict land regulations for outsiders, ISSI, ISI and other agencies are working on a clear agenda.
Bhai you're so humble🙌 I'm from uk but living in delhi since birth. I think govt should intervene in this matter & listen to both parties be it outsiders & phadis & find a better solution. Peace❤
आप जहां भी रह रहे हैं ज्यादा पेड़ लगाएं जंगल develop करने की जरूरत है । अगर हर घर मे सिर्फ चार या पांच पेड़ भी लगाएंगे तो पूरी कॉलोनी हरी भरी रहेगी पानी हवा साफ रहेगी । जो खेती करेगा उसके लिए और बढ़िया है
sir plz reason batana kyu sale kiya dhaulas ka home cz mai bhi soch raha tha waha rahne ka ........ kya waha weather transform hua ya bheed bad rahi hai ya aur kuch plz tell me ....
here are some issues which concern people of uttarakand Tourism Pressure: High influx of tourists. Effect: Strains local resources and infrastructure, leading to environmental degradation. Unplanned Development: Rapid and unregulated construction by outsiders. Effect: Increases vulnerability to natural disasters and environmental damage. Land Speculation: Outsiders buying land for investment. Effect: Drives up land prices, making it unaffordable for locals. Deforestation: Illegal logging and land clearing for development. Effect: Increases erosion and disrupts local ecosystems. Pollution: Increased waste and pollution from tourists and new developments. Effect: Degrades natural beauty and impacts health and wildlife. Cultural Displacement: Influx of non-residents. Effect: Erodes local traditions and community cohesion. Infrastructure Strain: Overuse of existing infrastructure. Effect: Leads to frequent breakdowns and service interruptions. Resource Depletion: Overexploitation of natural resources. Effect: Long-term environmental and economic sustainability issues.
Aapke logic kuchh had tak sahi hai . Par aisa bhi nahin hai ki yaha bahar ke log nahin basei hai ager aap 30-35 saal peeche dekhe tou aap paoge ki bahar ke kai log yahan basye jo Uttrakhand ke mahol mai bas Gaye hai. Bas dar iss baat ka bhi hai Bahari loge ke aane se crime na bad jaye kyoki baki state ke compresion mai yahan crime Kam hai
Rajan ji, you (and so many others) totally misunderstood the purpose of land laws. It is to protect the natives because their buying capacities are not as much as the people from outside uttarakhand. If Uttrakhand were a high income state, it wouldn't need land laws. People wouldn't demand for it. People from outside uttarakhand are buying land and investing so much money, that is causing the property rates skyrocketed. Rich people from various parts of country are coming and buying hundreds of acres land from locals (their ancestors land) at minimal price, I've seen nearby my village and I was shocked to know the price at he sold the land. Now those people are making a resort their and you know how they arranged the water, by drilling, that is causing the already scarce water level worsen. So many other stories are there. P.S. I love your videos and I understand the point you're trying to make.
19:18 constitution of India only provide rights to the hill states to make land laws in order to protect the state culture and heritage. Non uttarakhandi are always welcome to Uttarakhand as tourism is the most and biggest livelyhood of this state. This year temperature has broken record every month because we are playing with nature. Kumaon hills are part of very sensitive himalyan belt which cannot take load of overconstruction due to tge nature of its land. Its is safe for both of us that increase in construction should be limited in hill stations. People from outside Uttarakhand has started buying land and increaze the price of land over here by multiple times. As a land owner i should be happy. But that will be shelfish of me. Ww
Jab north east aur Himachal me laws hai ki land nhi le skte aise spree me to uttarakhand agr aise baat kre to dikkat ky hai? #uttarakhand_mange_bhu_kanun !
Totally agree on this point. Any indian can settle anywhere. There is no boundation. Ofcourse Nature needs to be respected and protected. I agree too much commercialization in one particular area can creare problems so govt should regulate sale of land on that basis. Problem is unorganized settlement or extreme settlement in one area.
राजन जी आपकी कुछ बातें ठीक है पर आप भू कानून को सही से नहीं समझे।आप देहरादून में घर बना पाए तो क्या किसी ने विरोध किया? संविधान आजादी के साथ साथ प्रकृति के संतुलन बनाने की जिम्मेदारी की भी बात करता है।अगर इन प्राकृतिक स्थानों को कंक्रीट जंगल बना के शहरीकरण करना है तो वह गलत है। किसी जगह को संतुलित तरीके से आबाद करने के लिए कोई मना नही कर रहा।पर असंतुलित विकास कर बर्बादी करने वालो के विरुद्ध आंदोलन है।पहाड़ ज्यादा सेंसिटिव जोन है।आप मैदानी क्षेत्रों सा विकास करेंगे तो वो बर्बाद हो जायेंगे।बहुत से लोग सिर्फ मुनाफे के लिए जमीन खरीद/बेच रहें है और अंधाधुंध निर्माण कर रहे हैं, बरसात के बाद आपको खुद पता चल जायेगा की कौन सा नदी ,नाला, गडेरा कब्जाया गया था।आपकी सोच और मकसद सही है तो किसी को क्या दिक्कत।समस्या तो उन लोगो से है जिन्होंने पहाड़ को पैसे कमाने का अड्डा बनाया हुआ है और वो पर्यावरण,प्रकृति के हनन में लगे है,चाहे वो यहा के हों या बाहर के।
Zaroor milegi zameen. Try to integrate yourself with the local community, the people of kumaon will welcome you with an open mind. I also have got land in Mukteswar where i plan to retire. Although i'm settled in NOIDA. its a small world, keep an oprn mind as all.of us are interconnected, so be positive.
Uttarakhand waalon bech do oura uttarakhand full support from Himachal 😂😂 i dont blame outsiders for it pr maine itni jagah dekh liya uttarakhand waale lage hai bechne mai to kyu ni lenge ye log itna kya lalach hai uttarakhand mai
Rajan Ji, check land around Dandachali. This area comes nearby Ranichauri 12 KM far from Chamba and please create a video. Hope, you will like my suggestion. You can also try Pratap Nagar.
Me sarai pipal thala gaow ka hu azadpur ke pas h ye garwali himachli purabiye sabse jyada delhi me property le rahe h agar hum delhi wale log bhe bhoo kanun bhoo kanun karne lage to inka kiya hoga fir apne yhi sade rahege ye
Thanks for explaining your views in the video. I feel "Bhu-Kanoon" will control unregulated sale of land to each and every outsider, but bona-fide citizens of India (verified persons) will have some limited freedom to buy residential land in Uttarakhand. I had been planning to buy agriculture land in Uttarakhand, but my dream and plans have been shattered by the recent ban on purchase of agri land by outsiders. Now I have strong dislike for such a situation. How can you throw your hard earned money to local persons when situation is untrustworthy and general atmosphere anti-outsiders? Tourists have no attachment to the place they visit, they are always looking for fun and frolic (mauj masti) and they create more filth and pollution. Any one who buys land gets attached to the place and maintains its sanctity. That is my feeling. Any investment by outsiders whether in Uttarakhand, Haryana or U.P. or any other state of India, surely brings prosperity for the local people. Moreover local people don't pay fair price to their fellow native sellers, only outsiders pay fair price, thus local sellers get more benefit. Uttarakhand people will not stop moving to other states for better opportunities/facilities, and outsiders would be barred from settling down in Uttarakhand, so ultimately the state of Uttarakhand will be become more and more "veeran'/jungle. Besides protection of financial interests of local people, one of the major concern of the local people is to retain demographic (ethnic) balance of the population in Uttarakhand. It is understandable, but total ban on sale of agriculture land is not correct. At least serving or retired persons from govt. sector and some other acceptable criterion should be there to allow the outsiders in agriculture sector as well, may be with some area limitations or with provision of very long terms lease like 99 years or 50 years lease. That will allow benefit of better climate to outsiders and some job opportunities to local workers,. Harnam Singh, New Delhi..
भाई साहब उत्तराखंड बनने से पहले यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था तो फिर प्रदेश बनने से पहले यहां रहने वाले लोग बाहरी कैसे हो गए यह भेदभाव क्यों ।
Bahut sahi bola Rajan ji ,Uttrakhandi other states ke logon ko kumau Murga bi sochte h aur forner ki tareh treat karte h.kuch log birodh karte h jabki wahan ka her aadmi property dealer h.
राजन जी नमस्कार,
मैं भी उत्तराखंड से ही हूं और मैं यह कहना चाहता हूं कि इस देश के सभी नागरिको को कहीं भी रहने की स्वतंत्रता है चाहे वो उत्तराखंड ही क्यों न हो।
चिंता का विषय यह नही है की लोग उत्तराखंड में आकर बस रहे है बल्कि चिंता विषय यह है कि कुछ पैसे वाले लोग यहाँ का व्यवसायीकरण करने में तुले हुए है और अगर ऐसा चलता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा की
उत्तराखंड भी दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद जैसा polluted शहर बन जायेगा और जिस उद्देश्य से लोग यहां रहने के लिए आ रहे है जैसे कि pollution रहित वातावरण वो उद्देश्य फेल हो जायेगा ।
इसलिए भू कानून से सिर्फ ऐसे लोगो को नुकसान है जो सिर्फ व्यवसायिक प्रवृत्ति के लालची लोग है।
लेकिन जो लोग प्रकृति प्रेमी है इसे नुकसान पहुंचाए बिना यहां बसना चाहते है उन्हे भू कानून से घबराने की जरूरत नहीं है। जैसा कि आप ही ने कहा की सवा नाली जमीन तो ले ही पाएंगे।
इसीलिए आपको किसी को कोई जवाब या सफाई देने की आवश्यकता नहीं आप उत्तराखंड में कहीं भी जमीन लेकर रहने के लिए स्वतंत्र हैं।
मैनें आपके 3-4 volgs देखें हैं मुझे बहुत अच्छे लगे और आज ही मैंने आपका चैनल भी सब्सक्राइब किया है।
धन्यवाद।
Bahut bahut dhanyvad sir aapka 🙏🏻
@@Mountainloverhome सर, इतना ही कहूंगा कि सही बात कहने के लिए अगर अकेला भी चलना पड़े तो परवाह नही।
रहा हमारे उत्तराखंड के लोगों की बात, उनमें से कुछ लोग तो जरूर मेरे उपर वाले कॉमेंट को पड़ेंगे और मेरी बात से सहमत भी होंगे। उनका भी यही कंसर्न है कि कुछ लालची लोगो की वजह से यहां के लोगों को लैंड स्लाइड और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है
दूसरा मुझे यह समझ नही आ रहा कि आप उत्तराखंड में रहने में ज्यादा interested hai ya भू कानून में जो अभी लागू भी नही हुआ है।
मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप जो चाहते है वो कीजिए क्योंकि कहते है न
"कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना।"
धन्यवाद।
@@Mountainloverhome यही तेरी परेशानी है की तू शांत है।
@@Mountainloverhome 143 agar rule ke against huyi hogi to cancle bhi ho jati hai....aajkl me hm sare land jinka 143 rule ke against hai ko data RTI se le rahe Hain...fir jo bhi rule ke against hoga usko court me challenge krenge....hmara maksad kisi ko pareshan Krna nhi balki Uttarakhand ko barbad hone se bachana hain.....apne culture or environment ko bachana hai
Bilkul bicholiyo se jamin bechne pe rok lge kisano ki Bhumi ko bicholiyo se bachaya jaye bhumafiyao se bachaya jaye pollution se bachaya jaye or sabhi logo se bisesh kr bhari Logo se local se ki idhr gandagi na kre nature k sath Cher char na kre
मैं गढवाल से हू. भाई शानदार विचार है आपके. ये कमेन्ट वाले बाहर ही रहते हैं। सही कहा आपने. आपका स्वागत है. आप आये यहा. यहां रोजगार बढेगा. लोगों को अपनी जमीन की किमत मिलेगी. आर्थिक स्थिति बढेगी. सभी को देवभूमि वीरभूमि का सम्मान करना चाहिए.
यही तो समझ नही आ रहा लोगो को भाई एकबात कहूं आप लोग बहुत भोले हो अभी तक जिस पहाड़ी से भी मिला भोला भाला ही देखा है और उसी का फायदा उठाया जा रहा है
@@Lyricsking286 भोले हो तो भाई रिवर्स पलायन करो.
Bhai tumne kabhi itna dimag lagaya jis bewakoof pahadi nai is bande ko jamin bechi aaj vo apni zamin gawa kai bahr kai bande ko gaanv mai basa kai usi kai wahan 10'000 mai naukri kar ra hai vo khud be to cottage bana sakta tha business kar sakta tha sarkar loan kis liye deti hai zamin bech Kai kya mila naukar ban gye bahar walo ka @@esport__making7846
आप बिलकुल सही कह रहे हैं। हम सब भारतीय हैं। एक दूसरे की संस्कृति का सम्मान करते हुए, मिल जुल कर रहना चाहिए ।
Correct 💯
मन की बात कह दी राजन भाई तर्कपूर्ण बातें ह आपकी..
delhi is a multicultural state first of all, delhi ka apna koi culture nahi hai bhaisahab and uttarakhand has its own culture and it's own language for its preservation we need bhukanoon. jaise ki bihar, himachal and up and haryana ka apna culture hai and language hai . ok sir
uttarakhand ko loota gaya hai aur loota jaraha hai aur ye sachai hai .
bahar se kam karne aao, ghar banao lekin crime kyu bad rhe hai uttarakhand mai. it is used be such a peaceful state, bahaut kam crimes hote the,
Uttarakhand mai pahadi ameer nahi hai and iska fayada uthate hai. everyone has a right to preserve their culture and language.
and mountains aur plains mai bahut difference hai isliye mountains ko bachana jaroori hai. himachal mai bhi bhoo kanoon hai aur same uttarakhand mai bhi hona chayeye. hamare ancestors faltu mai nahi lade the jab uttarakhand up se alag hua tha uska bhi karan tha.
Kisne keh diya delhi ka koi culture ni hai,300 se jyada gaon hai delhi me ,west up and haryana ka culture hai delhi mai.
delhi ka apana culture he but tum pahadi up bihari itane bhare pade ho delhi me ki unaka culture dab gaya tumhare bogh ke vajah se. tum log kyu aate ho delhi fir mat aavo. mumbai me bhi bhare pade he pahadi log vo kyu aa rahe he yaha
Sahi baat hai
Uttrakhand ko barbaad wo kr rhe hain jo bahar ke logo ko galat tareeke se zameen bech rahe hain...zitna frod dehradun me property me hi raha hai,sharm aani chahiye aise logo ko...yahi culture ban gaya hai wahan ka ba..khud to wahan gaon se bhaag Gaye young ladke ladkiyan,,bahar jakr job kr rhe hain..aur doosra koi aa rha hai to mana kr rhe ho..gaon ke gaon khali ho gye uttrakhand ke..bodde log bache hain bas.
Excellent friend. Very good and logical explanation for poor minds.
I really appreciate.
Best regrads, Pawan Kumar Chohan
Bohot he achchi video bhai. I am of same view. Some people I don't know why are discriminating with in India. From decades pahadi people who are also like our family are living outside hills because they have to.....majboori hai....toh aise he sabki wish hoti hai ki hum bhi achchi jagah rahe.......dev bhoomi sabki hai jaise dev sabke hain......jaise metro cities sabke hain.....aisi debate honi he nhi chahiye ......
Problem is not with you like people. U people r most welcome. But problem is for the outsider people who purchase agricultural land for making large resorts, hotel, Restraunts etc..
In UK agricultural land is left only 9% of total land area. That's why native people needs protection.
राजन जी। आप सौ परसेंट सही कह रहे हैं। Actually ये दो किस्म की जमात है एक जो वो needy हैं और अपनी जमीन बेच रहे है। और दूसरे वो हैं जो खुद शहरों में बस चुके हैं, जिन्हे उन हैं के गरीब लोगों से कोई लेना देना नहीं है पर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं कि उत्तराखंड में जमीन मत खरीदो, बढ़िया हो की ये लोग भी हमारे दिल्ली, गुड़गांव और नोएडा जैसे शहरों को खाली कर दें और अपने उत्तराखंड वापिस आ जाएं और उन लोगों की फाइनेंशियल मदद भी करे, बजाय की बातें बनाने के। वैसे उन लोगो को क्लियर कर दूं कि हम जबरदस्ती नही बल्कि पैसे देकर जमीन खरीदते हैं वो भी इनकी बंजर जमीन की महंगे दाम देकर। और एक और बात उत्तराखंड किसी की पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं है! देश सबका है और देश का संविधान किसी भी नागरिक कौ कहीं भी बसने का अधिकार देता है। सो, please live and let the others live.
Bhai jitna delhi se mukteswar he utna hi delhi se solan, shimla he. Yahi vhyakhyan shimla solan mai beth kar Himachal ke logon ko bhi do. Pata lag jayega bhu kanun. J & k mai le sakte ho? Nahi. Himachal mai nahi. Sikkim me nahi. Arunachal bilkul hi nahi. Per in states ke log bhi Delhi ncr mae rah rahe he spna ghar le kar. Inhe bhi gyan de. Bana video shimla, manali, dalhauji, pahalgam, jammu, gangtok me baith kar. Malum pad jayega.
Ek uttarakhandi jamin kharidne ke liye mana nahi kar raha. Kharido, banao or raho, per Ghar banane ke jitna. Isper sealing ho, limit ho.
हिमांचल के भू कानून पे भी कुछ बोल ले भाई। दिल्ली ,हरियाणा, यूपी वालों को किसने रोका है भू कानून बनाने से ?
Gelat mt bol
Tumhe kisne roka hai zameen na bechne se?
Dear these are Himalayan ranges . Dont do plotting for local people also it is destroying nature.
Uttarakhand people are to be blamed why they are selling land.
As indian we have to save Himalayan ranges and Uttarakhand. Remember Kedarnath tragedy.
You stop doing land business in Uttarakhand and start planting trees .Work for nature if you love it.
Save environment and save earth.
हेलो राजन, बहुत सही बात कही आपने, ये पहाड़ी लोग यहां दिल्ली में क्यों बस जाते हैं। यहां कॉलोनियों की कॉलोनियां इन लोगों की बसी हैं। ये लोग ये क्यों नहीं सोचते कि हम जैसे लोग जब वहां पर रहने जाते हैं तो वहां के विकास में योगदान भी करते हैं।हम ज़मीन लेंगे तो राजस्व आएगा सरकार को। जिस राजस्व से सरकार विकास कार्य करती है। पहाड़ों का व्यसायिकरण भी पूरी तरह से गलत है। हम बस पहाड़ में 100-200 ग़ज़ ज़मीन पर छोटा सा आशियाना बनाना चाहते हैं। और पूछो इनसे एक एक नाली जिसकी वाजिब कीमत 3-4 लाख है उसका ये लोग 15 लाख मांगते हैं। सोचते हैं दिल्ली वालों के पास अंधा पैसा है।
Aby colony ki colony kya inki population hi kitani hai sirf 10lakh Kumaoni logon ki
@@dineshrathore3708 Delhi ka native kon h? UT or state ko compare nahi kr sakte.
Delhi bahut puraney samai sey h. Jisey dwapar yug mei Inderprastha kahtey thei. Prithviraj Raj Chauhn k samey bhi yahi Delhi tha. Ham log to tab sey h ya Shayad usesey bhi pahley k hamarey ancestors. Aur aaj Delhi sey bahar Noida h. Purana ghar aaj bhi Kotla Mubarak Pur near South ex h.Phir aap kahtey h kaun delhi ka h sab bahar k. Bas delhi walo ney sabko apna bana liya. Kiyoki Dilli to dil walo ki h.Chotey chotey Gaon thei hamari Delhi mei. Khub Khali jagah thei jisey ham logo ney Delhi mei dekha tha.
उत्तराखंड के निवासियों को भी उत्तराखण्ड के बाहर किसी बाहर राज्य में जमीन लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए। ये कानून भी बनना चाहिए।
बना लो किसने रोका है ? लेकिन नहीं बनायेंगे और राज्य,क्योंकि बीमारू राज्यों का काम ही दूसरे राज्यों से आए लोगों के भरोसे चलता है।
Nhi chaiye.... Ham uttarakhand mai heh khush h
tere jaise crime rate badha dete hain
@@genius1jaydeepbhukhe Mr jaoge re bhai....jo roti todne UK chhod kr bahar dera dal rkha h maarke bhgaye jaoge😅
@@genius1jaydeepmurkkkh pahle jo jmine bech rha usko bol na beche 😅
10 lakh se jyada phadi deli ncr mai rhte h or property or ghr lete h. lekin delhi ka aadmi kbhi phadi ko outsider ni boltq
delhi ka aadmi kaun hai. sab bahar wale hai
तेरे हिसाब से दिल्ली में कोई नही रहता था पहले
Delhi me Majority log bahar se hi aake base ha..islie tum kisi ko outsider nai bol sakte..
पहाड़ के आदमी ने पहाड़ को बचा रखा है उसको ज्यादा मुनाफे की आदत नही होती।
बाहर का आदमी को मुनाफे की आदत होती है, वो यहां के पेड़ों को नदियों को खा जायेंगे।
Pahadi jaha rehta hai Shanti se rehta hai, tum log crime rate badhane wale ho
राजन भईया आप bilkul सही बोल रहे हैं ,, इतना बुरा लगता है जब ये लोग बाहरी बाहरी करते हैं,,,, पहाड़ी भाई बहन समझो जिन्हे आप बाहरी कहते है उन्ही का बोया हुआ अनाज , चीनी, चावल, दाल आपका राज्य खाता है आप कितना उगाते है ,,,,plzzz ये दरार पैदा ना करें
भाई साहब, दरार कोई पैदा नहीं करता है। स्वास्थ्य लाभ या प्रकृति का आनंद लेने के लिए पहाड़ आना अच्छा ही है। लेकिन कुछ लोग यहां आकर व्यवसायीकरण करते हैं, और यहां का वातावरण दूषित करते हैं। जहां तक सवाल है राशन-चीनी आदि इस्तेमाल करने की तो मुफ्त में कोई नहीं खाता। उत्तराखंड में भी एक से बढ़कर एक बहुमूल्य पदार्थों का उत्पादन होता है। यहां जो भी चीज पैदा होती है, वह औषधीय गुणों से भरपूर होती है। अगर बाहरी लोगों के पहाड़ आने पर नियंत्रण की मांग कहीं से उठ रही है तो किसी न किसी कारण से ही उठ रही है। उल्टी-सीधी बातें और कुतर्क करके पहाड़ पर बसने की हिमाकत करने वाले नहीं बल्कि पहाड़ की ईमानदारी, सादगी और खूबसूरत आबोहवा को समझकर यहां बसने वाले लोग ही स्वागत योग्य हैं। आप हमारी बातों से अन्यथा न लेकर वस्तुस्थिति को समझने की कोशिश कीजिएगा साहब। धन्यवाद।
Meine koi bhi pahadi seedhe saade nahi dekhe. Naatak karte hein. Meri padosan pahadan hei..uska buss chale...hume bechh khaye.
@@mahendrathakurathi3389 Bro people who buy 1.25 nalis and run a small homestay of 2-3 rooms are not the ones who are doing commercialization. They barely make enough money to cover the maintenance cost of the house and salary of caretaker. There is no profit in it at all. The ones building huge resorts by buying land in the name of companies are the ones doing commercialization. Your anger should be directed at them. Uttarakhand law allows people to buy unlimited land in the name of company. That is the biggest loophole that needs to be plugged. There is no need to target individuals buying a tiny piece of land just to live there. As it is, most villages in Uttarakhand have turned into ghost villages. It is beneficial to economy if a few outsiders come to settle there.
@@Surendravashist जो बिजली तू जलाता है और जो पानी तू पीता है वो हमारे घरों को डूबा के जो बांध बने है वहां से आता है।
@@mahendrathakurathi3389 desh ka smvidhan unko desh k kisi kone me vayvsas krne ki ijjjajt deta tum kaun ho
As an Uttarakhandi bhu kanun must be applied to outsiders otherwise Uttarakhand will no more tourist area also Uttarakhand known as land of God and we have faith and believe on our culture which is hard to understand outsiders!!
Indian bhi hai tu .. naukri central government chahiye, posting delhi chahiye, army join karni hai.. ye sub as an indian hoga,
Itna hi concern hai saare states baare me soch bhai , land bill pure india ke suggestion do.
india ke or bhi part me tourism hai.. uttrakhand se better tourism rajasthan ka hai .. pura desh hi tumhari tarah karega to kaise chalega ..
Phir to uttrakhandi bhe bahar jakr bojh na bane kisi city me...wahin job kare..paise kamaye kum ya zayda jo bhe
बहुत अच्छी सोच है आपकी यहां वालों को भी काम मिल रहा है❤❤❤
बहुत सुंदर ब्लॉग है प्रिय राजन जी, बहुत खूब ! आपने कुछ मूलभूत प्रश्नों को ओर इशारा किया है। में आपसे पूरी तरह से सहमत हूं। इस तरह के भू कानूनों में धारा 370 की झलक दिखाई देती है। इसमें कोई शक नहीं है कि जल्दी ही अन्य राज्यों के लोग भी ऐसी मांग करने लगेंगे। अगर ये राजनीति से प्रेरित कानून बनते रहे तो मुझे डर है कि मैदानी क्षेत्रों के लोग भी पहाड़ी लोगों जैसी ही डिमांड करने लगें। और ऐसे तो भारत का स्वरूप ही बिगड़ जाएगा, या यूं कहिए कि भारत विघटन की ओर चल पड़ेगा, राजनेताओं को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। सिक्किम,हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उत्तराखंड के लोग इस देश को किस तरफ ले जाना चाहते हैं, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना ही होगा।
Quite understandable,very genuine point.
Rajan why you have sold off your देहरादून wala house.
संविधान की उचित व्याख्या पढ़ी होती तो यह चलचित्र नही बनाते।
उत्तराखंड मांगे भू-कानून 👊
Bhukanoon ka sapna dekhte budhe ho jaegi😁
Immigrants bhagao Himalayas bachao @@Mountainloverhome
Bhukanoon to aayega hi.....Jai Uttarakhand.....Jai Hind
@@PNV110 khulker jameen lenge Aaj bhi kal bhi Jai bahri ekta jindabad
@@Mountainloverhome tere bs ki nahi hai.....tu sir comment krta hai
Rajan Bhai fully support u.There should not be any biasness based on region. Uttam nagar has most of PPL from uttrakhand.but I agree to one fact only PPL who love nature will love such secluded place,close to nature.
Ek dum 💯 % correct baat hai Rajan Bhai.....hum bhi uttrakhand me rha skte hai Delhi Wale...
All very valid and sensible arguments Rajan bhai
Wonderful ideas..Rajan... Surprisingly we can purchase land outside India but we are treated outsider in our own country...People should welcome everyone, anywhere in India.
Yes, rules should not be broken in purchasing land..
भाई साहब आप एक दम सही बोल रहे हो उत्तराखंड में मैं भी 2 साल रहा हूं मेरे साथ भी ऐसा व्यवहार होता था जैसे कही पाकिस्तान आया हम मै इन लोगों का ऐसा है ना की ये अपना किसी के साथ बाट नही सकते ओर हमारा सब कुछ यूज करते हैं गेहूं. चावल. सब्जियां. ओर भी डेली यूज की चीजे अगर प्लेन में रहने वाले लोगो बंद कर दिया तो इनका क्या होगा
Very nice video…..TRUE FACTS❤
Bilkul sahi point. Valid points bola. Same points main kehta hu in himachali uttrakhand logo ko. Inko lagta pta ni ye alag hi desh me reh rahe hai. Jese inki khandani property hai mountains. Ye pahadi logo ka jyada hi drame hai himachal me bhi yahi hai. Ladakh sikkim side me bhi ye problem hai. Desh azad hai koi bhi kahi b ja sakta kahi bhi bass sakta.
You are absolutely right desh ajad hai why don’t you go to Kashmir ..if you have so much problem with Himachal and Uttarakhand peoples…
Desh aur samaj mai fark hota hai... Tumhara apna koi samaj to hai nahi .. pata nahi dusro ka ghar tumhe kyu pasand aa raha hai... Apne gaanv jao apne samaj mai jao.. Tumhare pad paisa hoga paise se naya samaj bhi kharidna chah rahe ho... Manipur .. Nagaland.. Kashmir ..andman sab khubsurat hai bharat mai hai.. Ghar banao shauk sr
Abe area ka frk h kuch? Dimag vimaag nhi h kuch
Uttarakhand m le bhi sakte ho Himachal m to niyam hi nahi lene ka.
Union Government ko is par dhyan dena hoga.
Indian log India m kahi bhi jamin le sakte hain.
Ab to sab Videsh m settle ho rahe hain.
@@ROSHANSINGH-qt3hrSamaj ka ghanta karoge jab Desh hi gulam ban jayega videshiyo ka.
Bharat 1000 saal gulam raha fir bhi aankh nahi khuli hai tum logo ki.
100% correct. Even migration helps in mingling of different culture and resultantly values & beauty of that culture evolves. Urbanisation also helps in economic improvement. Large industrial activity may be regularised instead of banning buying agriculture land.
Thanks for sharing this vlog, I just downloaded whole playlist of your doon house, Rajasthan is supporting so much for farms community
Now will check that rather than Doon
भाई साहब आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। 12:19
Rajan Ji, I am from uttarakhand. I totally agree with you. Any uttarakhandi buys land and flats in Delhi, Ghaziabad, Mumbai and when it comes to Uttarakhand then Bhoo-Kanoon comes into the picture they become selfish. If we are honest citizen of India we should not give weightage to such nonsense. jai hind Rajan bhai.
Thank you sir.
Jai Hind 🫡
Dev bhoomi ko Mulla bhoomi nahi ban ne dinge. Saare UP k mullo ne yaha demographic badal di h. M Haridwar ka gurjar hu aur bhoo kanoon ka support karta hu.
Jail Hind
Rajan sir is very polite , humble, nature lover person..he is talking on facts. Only..if such person comes and stys here that will be benifitail for our economy and faternity..
कोई भी व्यक्ति कही भी जमीन व मकान ले सकता है ऐसे तो हर राज्य बाहरी का विरोध करने लगेगा फिर हर राज्य का निवासी अपने राज्य तक ही सीमित हो जायेगा
बहुत सही जानकारी दी है भैया...भारत का कोई भी नागरिक कही भी रह सकता है...हर हर महादेव
... Delhi ka koi ancient culture nhi hai... Delhi mein esi pushtaini zameen nhi hai... Uttarakhand ka culture alag hai aur logo ke sentiments attached hain... Vaha devta bhaut maante hain jo log nhi smjhte hain..... Aur kayi log hain jo uttarakhand ke culture ka mazak udate hain
Bhai kabhi granth read keyah(kiyah) hai, ....we are all born from same organic and spiritual materials.... My great great grandfather was from Europe and Mongolia.....my parents was born in punjab and delhi.....I was born in delhi...... I'm living in California...my kids are born in USA.... my cousins are married to white Americans..... migration will always happen...
@@worldsfinestnegativemind9108 i have read granths... Do you know about the culture of the place you wanna migrate to os what i am asking ? Do you have that respect for the place or not ?
@@sunidhirauthan4830 MTV, cable TV, web series, education system, newspapers all have changed the culture of India already....... Did you guys noticed that.... Change will always happen......
Delhi is one of the most ancient city in India , Indraprastha from Mahabharat times ,, और बैंगलोर, हैदराबाद , मुंबई में भी उत्तराखंड के लोग ज़मीन और फ्लैट लेके किराया कमा रहे है ,, रूल बनान है सरकार को तो बनाइए , वह उनका अधिकार है ,, बाक़ी यह outsider वाली राजनीति ना करिए ,, इससे हमारी सांस्कृतिक विविधता पर प्रभाव पड़ता है , हम फ़ौज से है और देश और देश की संस्कृतु ( सांस्कृतिक विविधता) ही हमारी शक्ति और गौरव है । thanks for understanding brothers and sisters
Excellent Brother ❤ very logically presented case😊👍👍👍
Bhai tum khud hi kah rahe ho ki tum up se migrat hokar Delhi gye ab tum Uttarakhand aana chahate ho esse pata chalta hai ki aap apni jamin se kitna pyar karte ho ..esko khanabadosh life kahate hai
Yogi Ji uttarakhand se hai, Pure Uttar Pradesh ka CM Bane hue h, Aaj Tak kisi UP Wale ne bola ki outsider ko CM kyu bna diya
Bhai pura India he to apna hai. Tabhi to hum log bharat mata bolte. UP mata, Delhi mata nahi bolte
भाई में दिल्ली का रहने वाला हूं मैं बहुत पहाड़ी लोगों को जानता हूं वह दिल्ली में नौकरी करते हैं और यह अपना धर बनाया है उन्हें किस ने नही कहा कि तुम यहां क्यों बसे हो
India is one ...but people in uttarakhand say to us we are baharwale....but
They want to charge us most extraordinary amounts for land,
And still classify us as baharwale...
It's really shocking
Yes you are baharwale. What will you do about it?
@@akshatchandra3200😂😂😂 fr fr In outsiders ne hmre ghr ko bhi barbad krdia h
Mere ek dost ki family last 50 saal se ghaziabaad mainnreh rahi hai. Aur uske father Haldwani se belong karte hain. Ab usne dono jagah jagah le rakhi hai. Uske father ne abhi 2017 ke aas paas 4 lakh ki zameen li haldwani main jo ab 1 crore ki hai. And ghaziabadain bhi unke 3 ghar hain. To kya usko hum ghaziabaad se bahar nikal dain?
Jo jahan rehta hai wo wahan ki economy main contribute karta hai. Koi ghar main factory khol ke pollution to karta nahi hai.
Right bro
👍
Being a Delhite, I completely agree with u Rajan Bhai ..
दिल्ली में 360 village है और दिल्ली के साउथ दिल्ली में ही छतरपुर में 12 गांव के है जिसमें aya nagar गांव में भी 200 से 300 घर अकेले उत्तराखंड के लोगों के हैं तो क्या अब हम गांव वाले इन सभी उत्तराखंड के लोगों को विरोध करें, यह कैसी मानसिकता होगी तो उसी तरह उत्तराखंड वाले लोगों को भी बाहर से आए लोगों का स्वागत करना चाहिए।
@@Mountainloverhome हँसा मत यार, स्वागत है भाइयो तुम्हारा,
But
यहाँ कोई मुल्ला नहीं चाहिए, हम जिसे बसाएंगे, देख के बसाएंगे, बस 🖐🏿बात ख़तम,
अंधाधुंध नहीं,
कोई झोपादपत्ति नहीं, अच्छी सोसाइटी,
@@Mountainloverhome
समाज तो अच्छे लोगो से बनता है, जहाँ अच्छे लोग होते है वहां स्वर्ग बस्ता है,
इसलिए तो भू क़ानून चाहिए, हम जिसे बसाये, देख के बसाये, ऐसे ही कोई भी ना आ जाये,
देखा वंभूलपुरा मै क्या कबाड़ बसा रखा है,
अच्छी सोसिटी चाहिय्र इसलिए ती सरकार क़ो जमीन का tax दोगुना करना चाहिए other state वालों के लिए, जिससे पेसेवाले ही बस पाएं
@@ar02816 free ke paise nahi hai outsider ke pass ,tumhari chalaki sabko pata chal gayi hai ,delhi noida me maza lut rahe ho or hame rok rahe ho ,doglapan
UT aur State m difference h lole.
@@Azokyjuf902 दोगलापन हाय हाय
Ekdam shi aur Satya baat kahi hai apne. Everybody is Indian and deserves to live anywhere they want. It's a free country.
इसी मानसिकता से लड़ने के लिए चाहिए भू कानून। #उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून
मतलब कि उत्तराखंड़ के लोग पूरे देश में जहां मर्जी हो नौकरी करें घर बनाये आराम से बसे कहीं भी..पर कोई दूसरे राज्य का आदमी ना बसे उत्तराखंड़ में...वाह रे मेरे पटवारी तेरी सोच को 21 तोपो की सलामी...सभी राज्यों ने अगर ऐसे कानून बना लिये तो सबसे ज्यादा भूखे मरने की नौबत पहाड़ियों की ही होगी..दूसरे राज्यों में सबसे ज्यादा पहाड़ी लोग ही बसे पड़े हैं।
@@rajatbhardwaj7684 आधी जानकारी अध पके आलू जैसी होती है, बाद में पेट दर्द कर देती है लाला। उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है । भारत के सभी पर्वतीय राज्यों में किसी न किसी प्रकार का भू कानून है जैसे हिमाचल प्रदेश, पूर्वांचल के राज्य आदि। इसका एक कारण है जो कि तुम्हारी बुद्धि से परे है।
@@ashutoshnautiyal5499 अरे मौरारजी देसाई के पोते दूसरे राज्यों में ये कानून राज्य के गठन के समय से लागू है, तुम्हारी तरह सो सो के नहीं जागे वो लोग..और उत्तराखंड़ में रुड़की, हरिद्वार, देहरादून, रुद्रपुर, हलद्वानी, उधमसिंह नगर, रामनगर ये सब शहर प्लेन एरिया में आते हैं..बाकी किसी भी पर्वतीय राज्य में इतने शहर प्लेन एरिया में नहीं आते...तुम्हारा वो काम हो रा है कि मां मर गई अंधेरे में और लड़के का नाम रख गई प्रकाश ।
@@rajatbhardwaj7684 Jab cheejon ka nahi pata to faltu nahi bolna chahiye. Muh band aur nikal yahan se.
Arey Hoot iye uske piche kuch logic hai .... Love Day 😂😊
Kabhie mil aaram se baith ke samjhate hain tujhe.
Outsider Se koi problem nahi hai.
@@rajatbhardwaj7684
Brother ,I am a nature lover since childhood.
You are thinking this "bhoo kanoon" from personal perspective...but the 1st priority is to conserve himalayas and our mother nature.
Persons like you and me may not spoil nature and keep the hilly areas clean and conserve it.
But for majority of outsiders, their 1st priority is making money, the same people who have made NCR extremely polluted and congested, the SAME PEOPLE if not CONTROLLED they will make himalyas like HELL.
They don't follow building & construction rules ,make concrete buildings ,guest houses, hotels, restaurants and put load on hills.
Think it as a responsible citizen, these rules are for conserving our MOTHER NATURE, and for good of our ENVIRONMENT...pahado me bhi temp bad rha hai due to over construction and our rivers are getting polluted day by day...
Recent example is RISHIKESH, where lacs of tress have been cut recently, and the temp have increased there...
Aap or mere jaise log sabhi jgah nhi hote. Government must think and take action for overall BALANCE & PROTECTION of Beautiful himalayas 1st, otherwise in few years pahado par bhi fresh air or sukoon nhi milega
🙌
Thats the reason why we are not allowed to buy land in north eastern states like arunachal....
पहाड़ी भी तो करोड़ों की तादाद मे मैदान में बसे हैं सरकारी नौकरी मे भी हैं मगर कोई कुछ नहीं कहता है
यह दुष्ट मानसिकता है
Nokri kro tumhe kon mna kr rha hai. Jammen lene ke liye awaj utha rhe hai local log. Yha ka crime rate bdta jaa raha hai bhar ke logo ke bass jane se
You are 100% right rajan sir ❤
Delhi is one of the most ancient city in India , Indraprastha from Mahabharat times ,, और बैंगलोर, हैदराबाद , मुंबई में भी उत्तराखंड के लोग ज़मीन और फ्लैट लेके किराया कमा रहे है ,, रूल बनान है सरकार को तो बनाइए , वह उनका अधिकार है ,, बाक़ी यह outsider वाली राजनीति ना करिए ,, इससे हमारी सांस्कृतिक विविधता पर प्रभाव पड़ता है , हम फ़ौज से है और देश और देश की संस्कृतु ( सांस्कृतिक विविधता) ही हमारी शक्ति और गौरव है । thanks for understanding brothers and sisters
बिल्कुल सही बात कही आपने राजन जी।
Full support Video
I have purchased Land near Chamba TIhri, and I faced the same situation there, even there are sign bioards on Dhara (water Source) that outsider are not allowed, very disappointing
I am from Pune last year I encountered a similar situation in Kumaon where me & my wife wanted to settle for a peaceful life...Have given up the idea of buying land in Uttarakhand... Will prefer to stay in a rented accommodation in Kumaon.Neverthless my best Wishes
We don't need you. Stay in Pune.
Rajan Ji 🙏Need strong Land Law to protect our uttrakhand Nature
Problem is increasing Muzlim population in Uttrakhand. They are the ones who are destroying cultures. Be specific in indetfying problems.
इसे कहते हैं सीधी बात और नो बकवास🎉❤ शानदार वीडियो राजन भाई मानना पड़ेगा आपको की दिल से अरे ईमानदारी से ऐसी बात कहते हो जिसका कोई काट नहीं है दूसरी बात यह 🎉सब्सक्राइब🎉 तो करना ही पड़ा ऐसी बातें सुनकर😂😂😂
कुमाँऊ की अपनी संस्कृति को बचाने के लिए बाहर के लोगों को जमीन नहीं बेचनी चाहिए गाँव मौहल्ले बनकर रह जायेंगे । अपनी संस्कृति अपनी पहचान
@@diwansinghpawar9320 kisi aur k bs jane se sala sankriti kaise khtre me pd jati smjh nhi aata ....Islam ka K2Aa h kya re????
@@diwansinghpawar9320 Bihario se sikho jaha jate hain apne sanskriti me sbko rang lete hain.jahan bhi hote hain gin kr ek do bhi apni sanskriti maintain krte hain
@@nikhilverma8753 tumlogo k aane se crime bdta h, nuisance create krte ho idhr aakr aur kch nhi ,tum log gandagi failaate ho idhr aakr ,
भाई आप बिलकुल सही कह रहे हैं।
किसी को कही भी रहने का पूर्ण अधिकाr है.... दोनों पक्षों की बात सुनकर निष्कर्ष यही निकलता है
We all are Indian. We can live anywhere in India. Why we don't purchase land in uttrakhand. In jaipur bangalis, and south Indian purchased their own house.
It is very unfortunate that these people are saying do not come to Uttarakhand. What I feel is if people from Haryana , UP and Delhi do note visit Uttarakhand then they will have no resources to survive. This is the reason UK is suffering. I have been living in UK since last three years and it is not the outsiders but insiders who destroy the state. Huge amount of constructions are being done at local level
Uttarakhand mai zameen kharidne par koi rok nahi but limited land khareed sakte hai.. in 2007 250 sq meter was the limit.
Aajkal log yahan manchahi land purchase karke hotels, resort, guest house bana rahe hai.. which is harming nature and culture of uttarakhand.
Look at mussoorie, rishikesh, haridwar and nainital.. look at the crowd and congestion in the city.. yeh sab ho raha hai.. road mai chalne k jagah nahi hai.. ghanto tak traffic jam rehta hai just because of the hotels, restaurants, guest house beside road.
So this is necessary to preserve the culture and nature of uttarakhand.
Land Sale kon kar raha hai,
Jo koi manchahi land khareed pa rahe hain.
Mat becho nahi khareedega koi 👍
@@RajanVlogs bhai isliye law pass karne k liye pressure hai goverment par.
Bechne wala sale karega hi, chahe woh sahi ho ya galat aur kharidne wala b kharidega hi.
Isko streamline karne k liye hi process and law banye ja rahe hai.
@@sukuna6834jaldi hoga when agriculture land can be banned fron this year so this can also be implemented we cant blame others for this till it is implemented outer will be buying the land rigourusly.aur yeh phirr kuch log nature ko samjhenge aur kuch log nhi effect toh uttrakhand pe padega. Me 30 saaal se dehradun me reh raha hu mene dekhra hu ki kese mussorie me snowfall kam hori hai aur 2 se 3 saal se toh bahut bura haal hai ab toh mussorie jaanee ka bhi mann nhi karta jo mussorie pehle hua karti thi sab unwanted tourism ke wagah se resorts hotel r creating day by day harming the nature.yeh bas right ki baat karte hai ki humara bhi right hai rehna ka usse upar ki kabhi nhi sochege ki uttrakhandi log bol rhe toh kyu bol rhe hai kuch reasons hai yeh sab humari galti hai ki hum uttrakhandi ne state bante hi ek strict land laws implement kardena chahiya tha.hume pressurize karna padega govt par unless it will create a problems in future.environmental problems,demographic changes problems,cultural heritage hai uspe bhi effect padega.
@@saurabhaswal520 sahi bola aapne, 30 saal mai aapne experience kar liya hoga ki kitna change ho chuka hai dehradun ka climate.
Hopefully, jaldi hi law pass hoga aur sab stable ho jayega.
UK k bahar walo ko b land mil sakta hai but with limit which is a good solution... Isse humara culture and natural resources b protected rahenge aur dusre log Jo yahan rehna chahte hai as a resident woh b reh sakenge.
@@RajanVlogsbhai jo bahar walo ko kuch paise je liye land bech rha hai unhi ko rokne ke liye land law maang rhe hai...
उत्तराखंड के हमारे भाई दिल्ली में काम करके पैसा कमा रहे हैं जमीनें ले रहे हैं
दिल्ली के सभी साधन उपयोग कर रहे हैं ये उत्तराखण्ड के लोग हमारे भाई हैं
ये ही सोच कर हम दिल्ली वालों ने कभी उत्तराखण्ड के लोगो का विरोध नहीं किया
Bilkul Sahi 👍
Tu khud up se delhi aya hai...
Tum khud migrate ho ke Delhi aaye ho 😂😂
Good thoughts, young man. You must set an example by building an eco-friendly homestay for others to emulate you.
Rajan buddy ..I love your content and videos ..but the actual facts is any person, including an outsider, can purchase land in Uttarakhand, subject to certain conditions. The land can be purchased for residential, commercial, or industrial purposes, but agricultural land can only be purchased by locals.
राजन जी एकदम सही हमारे मन की बात कह दी आपने, हमारा भी सपना है natural environment में घर लेने का
Excellent video bhai...hum sab Hindustani bhai yeh sab bakwas nahi pelni chahiye ki tum outsiders ho..
Bhai your are right
कमेंट्स पढ़कर दुःखी मत होइए राजन जी। अगर आप चैनल चला रहे हैं तो हर प्रकार के कमेंट्स झेलने की आदत भी बनानी पड़ेगी। कोई कहीं भी रह सकता है। लेकिन यहां आकर व्यवसायीकरण करना, अनुचित वातावरण सृजित करना और अपसंस्कृति फैलाना पूरी तरह गलत है। जैसा आप बता रहे हैं, कि स्वास्थ्य लाभ और प्राकृतिक आनंद लेने के लिए पहाड़ में बसना कुछ गलत नहीं है।
Amazing Bilkul sach bola aapne Rajan ji lakin logo ko sach pachta nahi he
राजन जी आपकी एक बात मुझे,बहुत सही लगी की,वहां वही लोग रह सकते हैं जिन्हें प्रकृति से प्रेम है।👌
भाई मैं एक फौजी हूं मैं अपनी बहुत ही मेहनत की कमाई लगाकर सन 2016 में 350 गज जमीन ली लेकिन अब भू कानून की खबर सुनकर दिनरात टेंशन रहती है कि कही सरकार मेरी जमीन जप्त न कर ले क्यू कि में उत्तराखंड बॉर्डर के मुजफ्फर नगर का निवासी हु और हरिद्वार के निकट मकान बनाया है
Ji bhai
Yahi tension bahut se logo ko hai 🙏🏻
brother I support you, We are citizens of India, Our responsibility is to preserve nature, not to destroy.
If ppl who think to purchase land, its for home, to live and not to destroy nature.
Respected Sir,
Just introspect over it,
The illegal immigrants from Bangladesh Myanmar 🇲🇲 have usurped the railway land at Haldwani , and have changed the demography of Devbhomi. Four districts of Uttrakhand viz Nanital, Uddhamsingh Nagar, Hardwar and Dehradun are totally now vulnerable, where the peaceful people have increased their population, the future of Devbhomi is just becoming another Assam, West Bengal and Kashmir.
Recent riots and arson in Haldwani is an eye-opener for the local inhabitants that their well-being is in danger.
Almost 50000 families of peaceful people are settled in Haldwani Uttrakhand, and are demanding permanent settlement in Uttrakhand.
Recently I had visited Bhavoli, Nanital and have noticed that peaceful people have penetrated in to the country side of Uttrakhand. Shadows are lengthening all over Uttrakhand. Four districts reflect exponential rise of peaceful people and is a reminder to the grim reality, should not become another Kashmir. Arise and awake before it becomes too late, Strict land regulations for outsiders, ISSI, ISI and other agencies are working on a clear agenda.
Bhai you're so humble🙌
I'm from uk but living in delhi since birth. I think govt should intervene in this matter & listen to both parties be it outsiders & phadis & find a better solution. Peace❤
Bhai sahab , m aapki baaton se puri trh se sehmat hun
आप जहां भी रह रहे हैं ज्यादा पेड़ लगाएं जंगल develop करने की जरूरत है । अगर हर घर मे सिर्फ चार या पांच पेड़ भी लगाएंगे तो पूरी कॉलोनी हरी भरी रहेगी पानी हवा साफ रहेगी । जो खेती करेगा उसके लिए और बढ़िया है
Apki Puri video dekhe bina mene comment Kiya tha uske liye mafi mangta hu apne bilkul sahi baat kahi hai
hamaare 4-5 neighbours utrakhand se hai,kya wo outsiders nhi hai.gurugram me...hmare Delhi Wale Ghar ke pas to poori colony hai ... utrakhand Wale ki
200 mitar national road
20 minutes main mairket
2 hr haldwani
Near by 4 resort
200 miter petrol pump coming soon
1 hr ghorakhal temple
1 hr naintal
40 minte bhimtal
30 minutes muketswer Mahadev temple
45 minutes dol ashram
20 minutes atm
sir plz reason batana kyu sale kiya dhaulas ka home cz mai bhi soch raha tha waha rahne ka ........ kya waha weather transform hua ya bheed bad rahi hai ya aur kuch plz tell me ....
Same question... please reply Rajan bhai
Har kisi ko har kahi pure bharat me rahne ka adhikar h ..
here are some issues which concern people of uttarakand
Tourism Pressure: High influx of tourists.
Effect: Strains local resources and infrastructure, leading to environmental degradation.
Unplanned Development: Rapid and unregulated construction by outsiders.
Effect: Increases vulnerability to natural disasters and environmental damage.
Land Speculation: Outsiders buying land for investment.
Effect: Drives up land prices, making it unaffordable for locals.
Deforestation: Illegal logging and land clearing for development.
Effect: Increases erosion and disrupts local ecosystems.
Pollution: Increased waste and pollution from tourists and new developments.
Effect: Degrades natural beauty and impacts health and wildlife.
Cultural Displacement: Influx of non-residents.
Effect: Erodes local traditions and community cohesion.
Infrastructure Strain: Overuse of existing infrastructure.
Effect: Leads to frequent breakdowns and service interruptions.
Resource Depletion: Overexploitation of natural resources.
Effect: Long-term environmental and economic sustainability issues.
देश का कोई भी नागरिक उत्तराखंड में रह सकता है
Aapke logic kuchh had tak sahi hai . Par aisa bhi nahin hai ki yaha bahar ke log nahin basei hai ager aap 30-35 saal peeche dekhe tou aap paoge ki bahar ke kai log yahan basye jo Uttrakhand ke mahol mai bas Gaye hai.
Bas dar iss baat ka bhi hai
Bahari loge ke aane se crime na bad jaye kyoki baki state ke compresion mai yahan crime Kam hai
Rajan ji, you (and so many others) totally misunderstood the purpose of land laws. It is to protect the natives because their buying capacities are not as much as the people from outside uttarakhand. If Uttrakhand were a high income state, it wouldn't need land laws. People wouldn't demand for it. People from outside uttarakhand are buying land and investing so much money, that is causing the property rates skyrocketed.
Rich people from various parts of country are coming and buying hundreds of acres land from locals (their ancestors land) at minimal price, I've seen nearby my village and I was shocked to know the price at he sold the land. Now those people are making a resort their and you know how they arranged the water, by drilling, that is causing the already scarce water level worsen. So many other stories are there.
P.S. I love your videos and I understand the point you're trying to make.
Very well said, I truly support your thoughts
19:18 constitution of India only provide rights to the hill states to make land laws in order to protect the state culture and heritage.
Non uttarakhandi are always welcome to Uttarakhand as tourism is the most and biggest livelyhood of this state.
This year temperature has broken record every month because we are playing with nature.
Kumaon hills are part of very sensitive himalyan belt which cannot take load of overconstruction due to tge nature of its land.
Its is safe for both of us that increase in construction should be limited in hill stations.
People from outside Uttarakhand has started buying land and increaze the price of land over here by multiple times. As a land owner i should be happy. But that will be shelfish of me.
Ww
Jab north east aur Himachal me laws hai ki land nhi le skte aise spree me to uttarakhand agr aise baat kre to dikkat ky hai? #uttarakhand_mange_bhu_kanun !
To sare states me yhi rules hona chahiye.. humare delhi/NCR me v uttrakhand wale bande property mat lijiye...👍
Himachal ladakh m jaake bolke dikha esa chutiya he h yr ye saare bihari
Totally agree on this point. Any indian can settle anywhere. There is no boundation. Ofcourse Nature needs to be respected and protected. I agree too much commercialization in one particular area can creare problems so govt should regulate sale of land on that basis. Problem is unorganized settlement or extreme settlement in one area.
राजन जी आपकी कुछ बातें ठीक है पर आप भू कानून को सही से नहीं समझे।आप देहरादून में घर बना पाए तो क्या किसी ने विरोध किया? संविधान आजादी के साथ साथ प्रकृति के संतुलन बनाने की जिम्मेदारी की भी बात करता है।अगर इन प्राकृतिक स्थानों को कंक्रीट जंगल बना के शहरीकरण करना है तो वह गलत है। किसी जगह को संतुलित तरीके से आबाद करने के लिए कोई मना नही कर रहा।पर असंतुलित विकास कर बर्बादी करने वालो के विरुद्ध आंदोलन है।पहाड़ ज्यादा सेंसिटिव जोन है।आप मैदानी क्षेत्रों सा विकास करेंगे तो वो बर्बाद हो जायेंगे।बहुत से लोग सिर्फ मुनाफे के लिए जमीन खरीद/बेच रहें है और अंधाधुंध निर्माण कर रहे हैं, बरसात के बाद आपको खुद पता चल जायेगा की कौन सा नदी ,नाला, गडेरा कब्जाया गया था।आपकी सोच और मकसद सही है तो किसी को क्या दिक्कत।समस्या तो उन लोगो से है जिन्होंने पहाड़ को पैसे कमाने का अड्डा बनाया हुआ है और वो पर्यावरण,प्रकृति के हनन में लगे है,चाहे वो यहा के हों या बाहर के।
Zaroor milegi zameen. Try to integrate yourself with the local community, the people of kumaon will welcome you with an open mind. I also have got land in Mukteswar where i plan to retire. Although i'm settled in NOIDA. its a small world, keep an oprn mind as all.of us are interconnected, so be positive.
Uttarakhand waalon bech do oura uttarakhand full support from Himachal 😂😂 i dont blame outsiders for it pr maine itni jagah dekh liya uttarakhand waale lage hai bechne mai to kyu ni lenge ye log itna kya lalach hai uttarakhand mai
Rajan Ji, check land around Dandachali. This area comes nearby Ranichauri 12 KM far from Chamba and please create a video. Hope, you will like my suggestion. You can also try Pratap Nagar.
Bahut badhiya. Congratulations sahi baat karne ke liye.god job bro.
Very true rajan ji.. totally agreed👍
Me sarai pipal thala gaow ka hu azadpur ke pas h ye garwali himachli purabiye sabse jyada delhi me property le rahe h agar hum delhi wale log bhe bhoo kanun bhoo kanun karne lage to inka kiya hoga fir apne yhi sade rahege ye
Thanks for explaining your views in the video. I feel "Bhu-Kanoon" will control unregulated sale of land to each and every outsider, but bona-fide citizens of India (verified persons) will have some limited freedom to buy residential land in Uttarakhand. I had been planning to buy agriculture land in Uttarakhand, but my dream and plans have been shattered by the recent ban on purchase of agri land by outsiders. Now I have strong dislike for such a situation. How can you throw your hard earned money to local persons when situation is untrustworthy and general atmosphere anti-outsiders?
Tourists have no attachment to the place they visit, they are always looking for fun and frolic (mauj masti) and they create more filth and pollution. Any one who buys land gets attached to the place and maintains its sanctity. That is my feeling.
Any investment by outsiders whether in Uttarakhand, Haryana or U.P. or any other state of India, surely brings prosperity for the local people.
Moreover local people don't pay fair price to their fellow native sellers, only outsiders pay fair price, thus local sellers get more benefit.
Uttarakhand people will not stop moving to other states for better opportunities/facilities, and outsiders would be barred from settling down in Uttarakhand, so ultimately the state of Uttarakhand will be become more and more "veeran'/jungle.
Besides protection of financial interests of local people, one of the major concern of the local people is to retain demographic (ethnic) balance of the population in Uttarakhand. It is understandable, but total ban on sale of agriculture land is not correct.
At least serving or retired persons from govt. sector and some other acceptable criterion should be there to allow the outsiders in agriculture sector as well, may be with some area limitations or with provision of very long terms lease like 99 years or 50 years lease. That will allow benefit of better climate to outsiders and some job opportunities to local workers,.
Harnam Singh, New Delhi..
भाई साहब उत्तराखंड बनने से पहले यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था तो फिर प्रदेश बनने से पहले यहां रहने वाले लोग बाहरी कैसे हो गए यह भेदभाव क्यों ।
Bahut sahi bola Rajan ji ,Uttrakhandi other states ke logon ko kumau Murga bi sochte h aur forner ki tareh treat karte h.kuch log birodh karte h jabki wahan ka her aadmi property dealer h.
Bhai bhadraj society uttarakhand me plot le raha hu, kya safety leni chaiye mujhe
Bhaia ji they all are European puppet. You just hold ur inertia, forget all these vulgarity of thinking .