भजन- स्व. चिरंजीलालजी पुजारी, सालासर के है हनुमान दुःख मेटे संसार का
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- Опубликовано: 24 июн 2024
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॥दोहा॥
मननन मंगल मूर्ति , गुननन गुण की खान।
आसन दे पूजा करूँ , आवे बीर हनुमान॥
महाबीर अति मेट दी, तन मेरे की ताप ।
कष्ट माही कीनी कृपा, तो बजरंग मोटा बाप॥
॥भजन॥
सालासर के है हनुमान है महावीर, दुःख मेट संसार का।।
तुम आज्ञा राम जी की पाय के,तुम सीता की सुधि लायके,
लंका को देइ है जलाई के, कूद गयो सागर की तीर समदर की तीर,
काम करया बलकार का, सालासर के है हनुमान……॥1॥
तुम अंजनी सूत हनुमान जी, तुम ल्याए पर्वत ठान जी,
लक्ष्मण का बचाया प्राण जी, खुशी भए है देख रघुवीर,
काम करया करतार का, सालासर के है हनुमान……॥2॥
थार नर और नारी आवता, थार भेंट और छत्र चढ़ावता,
थार मन इछ्या फल पावता, हो जाता है निरोग शरीर निरोग शरीर,
कर दर्शन दरबार का, सालासर के है हनुमान……॥3॥
तुम ऐसे हो हनुमान जी, में धरु तुम्हारा ध्यान जी,
थे सबका करो कल्याण जी, बद्री मन म धारो धीर,
सेवक हूँ सरकार का, सालासर में हैं हनुमान……॥4॥
॥समाप्त॥