बहुत सुन्दर विश्लेषण किया गया है। किंतु मात्र बौद्धिक किलोल नहीं, स्वानुभूति से वास्तविकता जानने की आवश्यकता है। सत्यनारायण गोयनका जी के द्वारा स्थापित और प्रचलित केंद्र में विपश्यना ध्यान साधना शिविर में सम्मिलित हो कर विपश्यना ध्यान साधना सीखना चाहिए।
Buddham Sharanam gachhami Appa Deepavali Deepak Kaun Bane kisi ko mat batana video banane ke liye aapka bahut bahut dhanyvad aapka Samjhane Ka Tarika bahut Achcha hai aap kis video se bahut Kuchh sikhane Ko Mila Hai thank u so Mach❤❤❤
बुद्धत्व का तात्पर्य है ज्ञान की पूर्णता, सर्वज्ञता अर्थात सम्पूर्ण सत्य के ज्ञाता-दृष्टा। सम्पूर्ण सत्य का देखना-जानना जिसको प्रकट हो चुका है वही पूर्णता को प्राप्त हो जाता है। और जिसको पूर्णता प्राप्त हो चुकी है उसे सम्पूर्ण पदार्थों का सम्पूर्ण ज्ञान अवश्य ही हो जाता है। ऐसी स्थिति में पूर्णता को प्राप्त पुरुष पदार्थों के मूल स्वरूप को जानते हैं अतः उसको कह भी सकते हैं। अतः यह कहना कि पदार्थों के स्वरूप को कहा नहीं जा सकता है यह उचित प्रतीत नहीं होता है। यदि पूर्ण ज्ञानी भी पदार्थों के सत्य स्वरूप को नहीं जान सकें और नहीं बता सकें तो पूर्ण ज्ञान का तात्पर्य अपूर्ण ज्ञान जैसा हो जाएगा। जबकि पूर्ण ज्ञान और अपूर्ण ज्ञान में तो स्पष्ट अन्तर है। इस विश्व में, संसार में कौन-कौन से मूल पदार्थ हैं? उनके नाम क्या हैं? उनकी संख्या कितनी है? उनका स्वभाव क्या है, कैसा है? वे पदार्थ शाश्वत हैं या क्षणिक हैं, परिवर्नशील हैं या अपरिवर्तनशील हैं? इत्यादि प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट रूप से प्राप्त होने चाहिए। क्योंकि यदि इन प्रश्नों के स्पष्ट उत्तर प्राप्त नहीं होते हैं तो ज्ञान की पूर्णता कैसे जानी, मानी जा सकती है। यदि किसी पदार्थ का स्थाई अस्तित्व नहीं है तो उत्तरोत्तर नवीन-नवीन पदार्थ कहां से उत्पन्न, प्रकट होते हैं? पदार्थों के स्थाई अस्तित्व के बिना नवीन-नवीन पदार्थ का दृष्टिगत होना असंभव है। अज्ञानी के दृष्टिभ्रम माना जा सकता है परन्तु यदि पूर्णज्ञानी के भी दृष्टिभ्रम मानेंगे तो पदार्थों का सत्य ज्ञान होना संभव ही नहीं होगा। अतः शून्यवाद का सिद्धांत पूर्णज्ञान पर प्रश्नचिन्ह है। यदि पूर्ण ज्ञान होता है तो शून्यवाद जैसी कोई स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि पूर्ण ज्ञान में पदार्थ को पूर्णरूपेण जाना भी जा सकता है और कहा भी जा सकता है। अतः शून्यवाद का सिद्धांत पूर्णज्ञानी का सिद्धांत नहीं हो सकता है।
भाई ये अध्यात्म नही, अनात्म हैं l प्रतीत होणे वाली चीजे मिथ्या हैं , इसलिए वो तृप्ति नही दे सकती ये बात बिलकुल सही है l लेकिन.. ऐसी एक वस्तु है , जो किसीपर आश्रित नही है पर सबका आश्रय है .. वो जानने के लिए वेदांत दर्शन की शरण में जाना पड़ेगा भाई .l
Univers mein koi Vastu..Vyakti nahi hai jisaka apana koi vajud.. Astitva Independently hai.. Vedanta darshan darshan ko Aacharya Nagarjun ne refute -- reject kar diye hai..
scientifically now a days called quantum field entenglement mechanism of energy.... energy is in dual forms (particles & wave) simultaneously.... when observe the things energy seen as particles,mass from called visible worlds & when we unobserve the things become a wave from invisible worlds not seen the things ...so things depends upon observer & pattern of observable energy spectrum...eg..light energy (photon) formed by both particles & wave...so tathagata budha was a great scientist, nature & universal researcher, philosopher, psychologist, path founder, cognitive awareness full personality etc...we can say like GOD which is unknown invisible only feels in different ways....
Bht hi sundar aur saral tareeke se samajhaya . Dhanyavaad. Parantu saaraans galat hai . Kaamanaye kabhi khatm nhi hongi , kitana bhi gyaan ho . Buddha dar dar yaani jagah jagah bhiksha hi maangate rahe . Doosaron par nirbhar rahe . Unhe jaisa achchha lagaa , waisa kiya .bhojan ki iksha hui to bhojan kiya . Thakavat hii to vishraam kiya . No darshan on the earth is perfect .Tark doosare tark se kut jaata hai . All philosophers are criticised . Nobody by experience has known what happens after death .
सर, आप शून्यवाद को ठीक से समझ नहीं पाये। कृपया दोबारा समझने का प्रयास करें फिर दूसरा वीडियो बनाएं। इच्छा की पूर्ति और अधूरापन दो अलग-अलग पहलू हैं। इच्छा की पूर्ति वस्तु की प्रकृति और मन की प्रकृति पर भी निर्भर करती है। कोई इसे केवल वस्तु की प्रकृति पर नहीं थोप सकता।
Sunane per hi Saugandh sabse pahle Hamen Sansar Ki Samjho ki Sansar shunya Hai Ki Nahin Hai Dekhne Mein Sankat Sakar lagta hai lekin uska Shakti Hai niraakaar sakti hai Koi Aakar Prakar Liye pura sunsan hai ya Dharti Aakash sabse MHA shenshah Badi Jo yah Prithvi Mein Aaya Hai sabse sundar ka matlab hota hai ki Bhagwan ka Shakti niraakaar Hai Sarkar nahin hai isliye avastha mein hai Jis sansar ki koi ant Nahin Hai dhanyvad Bhagwan Kare Sab Ka Kanch
Shunya ka Arth Hai Kuchh Nahin sunane ka Arth Hua Hai Mira ka jo Hath Mein pakad Mein Nahin aaega Ham hawa ka Nahin pakad Sakta ISI Prakar Ham shunya ka Nahin pakad sakta hai Kyunki shunya shunya Hai Aur sunane Ka sirf Hamen Anubhav Kiya jata hai aur Dekha bhi Jata Hai suniye hota hai Saka niraakaar mat samjho sunane ka bhi hota hai Sakar
Jab tum ap se shik rhe to or unki baato Mai itni geharai hai to iski video kyun dhek rhe To kya sheka tumne Tumhai janne ka brham ho gya , shyad tum abhi confused ho Isliye iski video dhek rhe ho
Shunyawad kya hai iska kya importance hai, ise Bharat Kumar ke naam se jane jane wale Shri Manoj Kumar ne apni film Purab aur Pashchim mein ek song mein bataaya hai. 😊😊
आध्यात्म से संबंधित 1000 से अधिक विडियोज देख चुका हूं पर, जिस दृष्टि को पाने की ख्वाइश थी वो आज पूरी हुई।
Yes Om Shanti hare Krishna ji 🙏🙏
धन्यवाद आपकी बात १०० टका सत्य है आपकी बात से किसी भी व्यक्ति को बौद्ध होसकता है आपने सही बात बताएं आपका बहुत बहुत आभार 🙏
बहुत सुन्दर विश्लेषण किया गया है।
किंतु मात्र बौद्धिक किलोल नहीं, स्वानुभूति से वास्तविकता जानने की आवश्यकता है।
सत्यनारायण गोयनका जी के द्वारा स्थापित और प्रचलित केंद्र में
विपश्यना ध्यान साधना शिविर में सम्मिलित हो कर विपश्यना ध्यान साधना सीखना चाहिए।
@@jeetjuneja सहि बात कहि आपने। ए जानकारी बहुत बढिया हे, मगर ध्यान करनेके वाद शुन्यता कुच और हि हे।
आनंद आ गया प्रभु वाह 🙏🙏🙏🙏
Such s wonderful information 🙏
शानदार
बहुत अच्छा लगा सुनना।
धन्यवाद
Bahut bahut dhanyawad Bhai.
Buddham Sharanam gachhami Appa Deepavali Deepak Kaun Bane kisi ko mat batana video banane ke liye aapka bahut bahut dhanyvad aapka Samjhane Ka Tarika bahut Achcha hai aap kis video se bahut Kuchh sikhane Ko Mila Hai thank u so Mach❤❤❤
कार्य कारण की श्रृंखला
Koti koti dnyavaad
भईया आपके समझाने का तरीका उत्तम है ❤
Dil khush hua
Nice ram namo bhudhay 🙏🙏🙏
Bhagwan Buddha maharaj ji is international sadguru ji 🙏🙏
ameziiiinggg😮
Very good
🎉 bahut sunder samjaya aap ne.
Sab ka mangal hoi.
Bahut khoob. 👏👏👏
बुद्धत्व का तात्पर्य है ज्ञान की पूर्णता, सर्वज्ञता अर्थात सम्पूर्ण सत्य के ज्ञाता-दृष्टा।
सम्पूर्ण सत्य का देखना-जानना जिसको प्रकट हो चुका है वही पूर्णता को प्राप्त हो जाता है।
और
जिसको पूर्णता प्राप्त हो चुकी है उसे सम्पूर्ण पदार्थों का सम्पूर्ण ज्ञान अवश्य ही हो जाता है।
ऐसी स्थिति में पूर्णता को प्राप्त पुरुष पदार्थों के मूल स्वरूप को जानते हैं अतः उसको कह भी सकते हैं।
अतः यह कहना कि पदार्थों के स्वरूप को कहा नहीं जा सकता है यह उचित प्रतीत नहीं होता है।
यदि पूर्ण ज्ञानी भी पदार्थों के सत्य स्वरूप को नहीं जान सकें और नहीं बता सकें तो पूर्ण ज्ञान का तात्पर्य अपूर्ण ज्ञान जैसा हो जाएगा। जबकि पूर्ण ज्ञान और अपूर्ण ज्ञान में तो स्पष्ट अन्तर है।
इस विश्व में, संसार में कौन-कौन से मूल पदार्थ हैं?
उनके नाम क्या हैं?
उनकी संख्या कितनी है?
उनका स्वभाव क्या है, कैसा है?
वे पदार्थ शाश्वत हैं या क्षणिक हैं, परिवर्नशील हैं या अपरिवर्तनशील हैं?
इत्यादि प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट रूप से प्राप्त होने चाहिए।
क्योंकि यदि इन प्रश्नों के स्पष्ट उत्तर प्राप्त नहीं होते हैं तो ज्ञान की पूर्णता कैसे जानी, मानी जा सकती है।
यदि किसी पदार्थ का स्थाई अस्तित्व नहीं है तो उत्तरोत्तर नवीन-नवीन पदार्थ कहां से उत्पन्न, प्रकट होते हैं?
पदार्थों के स्थाई अस्तित्व के बिना नवीन-नवीन पदार्थ का दृष्टिगत होना असंभव है। अज्ञानी के दृष्टिभ्रम माना जा सकता है परन्तु यदि पूर्णज्ञानी के भी दृष्टिभ्रम मानेंगे तो पदार्थों का सत्य ज्ञान होना संभव ही नहीं होगा।
अतः शून्यवाद का सिद्धांत पूर्णज्ञान पर प्रश्नचिन्ह है। यदि पूर्ण ज्ञान होता है तो शून्यवाद जैसी कोई स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि पूर्ण ज्ञान में पदार्थ को पूर्णरूपेण जाना भी जा सकता है और कहा भी जा सकता है।
अतः शून्यवाद का सिद्धांत पूर्णज्ञानी का सिद्धांत नहीं हो सकता है।
Namo Buddhay 🙏🙏🙏
Thanks a lot
Om Shanti hare Krishna ji 🙏🙏
Read many times shunyvaad, but understand simply by listening this, 🙏🙏
Sir aap ko bahut bahut dil se dhanyvad karten hain ham
Transcendental idealism
भाई ये अध्यात्म नही, अनात्म हैं l
प्रतीत होणे वाली चीजे मिथ्या हैं , इसलिए वो तृप्ति नही दे सकती ये बात बिलकुल सही है l लेकिन..
ऐसी एक वस्तु है , जो किसीपर आश्रित नही है पर सबका आश्रय है ..
वो जानने के लिए वेदांत दर्शन की शरण में जाना पड़ेगा भाई .l
Univers mein koi Vastu..Vyakti nahi hai jisaka apana koi vajud.. Astitva Independently hai.. Vedanta darshan darshan ko Aacharya Nagarjun ne refute -- reject kar diye hai..
@@kiranzinjarde4781नागार्जुन का शून्यवाद nothingness नही है बुधि लॉजिक को मानती है और शून्यवाद लॉजिक पर खड़ा है और ब्रह्म बुद्धि से परे है
Thanks
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bahut achha se samjate Hai guru dev
Good sir ji❤❤❤❤❤❤i trust you 🌹🤗 you 🌹
Zero is all mighty God zero is bhagwan shiv ji 🙏🙏
Sir kya time kisi pe depend karta hai kya ?
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🌹
scientifically now a days called quantum field entenglement mechanism of energy.... energy is in dual forms (particles & wave) simultaneously.... when observe the things energy seen as particles,mass from called visible worlds & when we unobserve the things become a wave from invisible worlds not seen the things ...so things depends upon observer & pattern of observable energy spectrum...eg..light energy (photon) formed by both particles & wave...so tathagata budha was a great scientist, nature & universal researcher, philosopher, psychologist, path founder, cognitive awareness full personality etc...we can say like GOD which is unknown invisible only feels in different ways....
Nice 👍 sir ji
शून्य वाद को समझ लेने से हमें क्या शिक्षा मिलती है, जबाब देने की कृपा करें।
Bht hi sundar aur saral tareeke se samajhaya . Dhanyavaad. Parantu saaraans galat hai . Kaamanaye kabhi khatm nhi hongi , kitana bhi gyaan ho .
Buddha dar dar yaani jagah jagah bhiksha hi maangate rahe . Doosaron par nirbhar rahe . Unhe jaisa achchha lagaa , waisa kiya .bhojan ki iksha hui to bhojan kiya . Thakavat hii to vishraam kiya .
No darshan on the earth is perfect .Tark doosare tark se kut jaata hai . All philosophers are criticised . Nobody by experience has known what happens after death .
Who will prove the existence of shonya(zero)?If nothing is there?So enlightened person always keep mum.
Beyond intelligence there is no doubt and but only direct experience
Aadhi jaankari hai....apne hisaab se samaj k adopt karna...
🙏🙏🙏11.36🙏🙏🙏
दर्शन पढने का एक फायदा है कि बिना मतलब के माथा खराब हो जाता है ।
Matha kharab pahle khrab ho chuka hai issase dudh ka Dudh paani ka pani pata chal jaata hai
@@Chandu_philosopher Matha Kharab nhi hota hai balki khul jata hai
सर, आप शून्यवाद को ठीक से समझ नहीं पाये। कृपया दोबारा समझने का प्रयास करें फिर दूसरा वीडियो बनाएं।
इच्छा की पूर्ति और अधूरापन दो अलग-अलग पहलू हैं। इच्छा की पूर्ति वस्तु की प्रकृति और मन की प्रकृति पर भी निर्भर करती है। कोई इसे केवल वस्तु की प्रकृति पर नहीं थोप सकता।
Yah shunyvad nahi syadvad hai.
पोथी पढ़-पढ़ पत्थर भया, सुन-सुन भया ईंट।
तुलसी आत्म ग्यान की पड़ी न एकौ छींट।।
Sunane per hi Saugandh sabse pahle Hamen Sansar Ki Samjho ki Sansar shunya Hai Ki Nahin Hai Dekhne Mein Sankat Sakar lagta hai lekin uska Shakti Hai niraakaar sakti hai Koi Aakar Prakar Liye pura sunsan hai ya Dharti Aakash sabse MHA shenshah Badi Jo yah Prithvi Mein Aaya Hai sabse sundar ka matlab hota hai ki Bhagwan ka Shakti niraakaar Hai Sarkar nahin hai isliye avastha mein hai Jis sansar ki koi ant Nahin Hai dhanyvad Bhagwan Kare Sab Ka Kanch
You are describing pansychism
shunita praapt karna hinayan ki bas ke baat nahi hai
Shunya ka Arth Hai Kuchh Nahin sunane ka Arth Hua Hai Mira ka jo Hath Mein pakad Mein Nahin aaega Ham hawa ka Nahin pakad Sakta ISI Prakar Ham shunya ka Nahin pakad sakta hai Kyunki shunya shunya Hai Aur sunane Ka sirf Hamen Anubhav Kiya jata hai aur Dekha bhi Jata Hai suniye hota hai Saka niraakaar mat samjho sunane ka bhi hota hai Sakar
Inn sabka jawab tum kaise de skte ho....tum naa he do toh acha haii...
कोई जीवन समझाओ भाई बहुत कष्टमय जीवन लग रहा है🥺
ओशो ने अच्छे से समझाया है, साक्षी और दृष्टा भाव ,
@@Deepthinkerrrr हमारा अविनाशी शवरूप चैतन्य हे जड ओशो के अनुसार
Prashant ka bap bhi shunya nahi samajh sakta.osho greatest zen master of the world.
Tum aacharya prashant se gita sikhiye our gahara aartha samjiye
Jab tum ap se shik rhe to or unki baato Mai itni geharai hai to iski video kyun dhek rhe
To kya sheka tumne
Tumhai janne ka brham ho gya
, shyad tum abhi confused ho
Isliye iski video dhek rhe ho
Nice 👍
Shunyawad kya hai iska kya importance hai, ise Bharat Kumar ke naam se jane jane wale Shri Manoj Kumar ne apni film Purab aur Pashchim mein ek song mein bataaya hai. 😊😊
Ye sab bakavas hai Nagarjun ka.
यदि यह शून्यतावाद है तो मैं बैटमैन हूं जाओ बेटा पहले सही से पढ़ाई कर लो
Jhuth bol rahe ho.