GANDI AADAT | BATTAR ZINDAGI | AI RAP
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- Опубликовано: 15 ноя 2024
- तुझे क्या लगा तू कुछ समझेगा, ये सब नशा है,
इन्हें क़िस्से सुनाने की बजाए, तू भी बहका है।
इनके चेहरे पे एक नकली मुस्कान, अंदर सन्नाटा,
चले जा रहे हैं सब, पर जान नहीं है, बस है ये ठाठ।
(Chorus)
दुनिया देख रहा है, पर खुद को खो चुके,
फ़ोन की दुनिया में हम बस सड़े हुए।
तेरे अंदर की आवाज़ भी अब सुला दी गई,
समझो ये सच्चाई, बाहर आ, ये गेम नहीं।
(Verse 2)
पचास घंटे स्क्रीन पे बैठे हैं, पर दिमाग़ की हालत हो गई ख़तम,
कितनी बार सोचा कुछ बदलेंगे, लेकिन रहे वही बत्तमीज़ हरदम।
इंस्टा पे जो तू दिखाता है, वो तो बस एक जाल है,
असल में तू अकेला, टूटे हुए मन का हाल है।
फ़ोन में ही रक्खा है अपना पूरा बचपन,
बच्चे हो या बूढ़े, सब तो हो गए एक समान।
कितनी बार खुद से सवाल किया, पर जवाब नहीं मिलता,
रातों में जागते हो, लेकिन दिल को चैन नहीं मिलता।
(Chorus)
दुनिया देख रहा है, पर खुद को खो चुके,
फ़ोन की दुनिया में हम बस सड़े हुए।
तेरे अंदर की आवाज़ भी अब सुला दी गई,
समझो ये सच्चाई, बाहर आ, ये गेम नहीं।
(Verse 3)
आखिर कब जागेगा ये मुल्ले, खुद की जान पे खेलते हैं,
सिर पर उंगलियाँ घुमा, जो कुछ समझते नहीं हैं।
फ़ोन के बिना जैसे सब की ज़िंदगी रुक जाए,
खुद से जरा बात कर, देख क्या तेरी दुनिया बदल जाए।
तू क्या समझेगा इन फ़ोटोज़ की असलियत को?
देख जरा, असल ज़िंदगी है क्या रियलिटी को।
ये वर्चुअल दुनिया के आगे सब दिखावे का नाटक,
लेकिन असल ज़िंदगी में, तू है बस एक थका हुआ फ़ाटक।
अब उठो, चलो बाहर, दिखाओ दुनिया क्या है,
फ़ोन के बिना खुद को पहचानो, क्या है तेरा ख़्वाब।
सोचो ज़रा, तू किसके लिए जी रहा है,
क्या यही वो रास्ता है जिस पे तू चल रहा है?
(Outro)
अब बोर हो गए हम फ़ोन के तमाशे से,
सचाई देखो, बस छोड़ दो सब इस भिखमंगों के फर्जी।
नहीं चाहिए तुझे एक और ठग, एक और धोखा,
वापस आ, खुद को पहचान और छोड़ ये फ़ोन का शोखा।
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Such kadwa hai