निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊँगा मूल-कमल दृढ़-आसन बाँधू जी उल्टी पवन चढ़ाऊँगा, चढ़ाऊँगा.. निर्भय निर्गुण .... मन-ममता को थिर कर लाऊँ जी पांचों तत्त्व मिलाऊँगा जी, मिलाऊँगा निर्भय निर्गुण .... मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा का उद्देश्य दरअसल अपने अस्तित्व के कारण को तलाशना रहा है। इस तलाश का स्वाभाविक अंत तभी हो सकता है जब मनुष्य निडर हो अपने कर्मों और उसके फल के प्रति। यानि दूसरे शब्दों में कहें तो निडरता पहली सीढ़ी है उस सत्य तक पहुँचने की। जैसा कि विदित है कि कबीर धर्म के बाहरी आडंबरों के घोर विरोधी थे और निर्गुण ईश्वर के उपासक। कबीर इसी निडरता के साथ उस निराकार ईश्वर की आराधना कर रहे हैं। कबीर फिर कहते हैं कि इस यात्रा की शुरुआत से पहले अपनी उर्जा को एक सशक्त आधार देना होगा फैले कमल रूपी आसन में। जिस तरह कमल कीचड़ के ऊपर फलता फूलता है उसी तरह हमें अपने अंदर की ॠणात्मकता और भय को त्याग कर उसे सृजनशीलता में बदलना होगा। मूलाधार से अपनी उर्जा को ऊपर की ओर ले जाने का यही मार्ग दिखाया है कबीर ने। पर ये इतना आसान नहीं है। इस राह में बाधाएँ भी हैं। आख़िर इस उर्जा को बढ़ने से रोकता कौन है? इन्हें रोकती हैं हमारी इच्छाएँ और लगाव। एक बार इन बंधनों से मुक्त होकर अगर अपने को प्रकृति के पंचतत्त्वों में विलीन कर लूँ तो मुझे अपने होने का मूल कारण सहज ही दिख जाएगा। इंगला-पिंगला सुखमन नाड़ी जी त्रिवेणी पर हाँ नहाऊँगा, नहाऊँगा निर्भय निर्गुण .... पाँच-पचीसों पकड़ मँगाऊँ जी एक ही डोर लगाऊँगा, लगाऊँगा निर्भय निर्गुण .... इंगला नाड़ी वह नाड़ी है जो नाक की बाँयी तरफ से आरम्भ होकर आज्ञा चक्र होते हुये मूलाधार तक जाती है। पिंगला दाँयी तरफ होती है और इंगला की पूरक मानी जाती है। इंगला और पिंगला के मिलन के मध्य स्थल से सुषुम्ना नाड़ी निकलती है। अपने अंदर के सत्य तक पहुँचने के लिए मैं इन्हीं नाड़ियों को वश में करूँगा । मुझे विश्वास है कि नाड़ियों की इस त्रिवेणी के सहारे शरीर में बहती उर्जा को नियंत्रित कर जो उसमें डुबकी लगा लेगा वो समय और काल के बंधनों से मुक्त हो उस सत्य को पहचान लेगा। एक बार पंच तत्व और जीवन को अनुभव करने वाले पच्चीस तरीके नियंत्रण में आ गए तो उन्हें मैं अपनी अंतरआत्मा से एक ही डोर में जोड़ लूँगा। शून्य-शिखर पर अनहद बाजे जी राग छत्तीस सुनाऊँगा, सुनाऊँगा निर्भय निर्गुण .... कहत कबीरा सुनो भई साधो जी जीत निशान घुराऊँगा, घुराऊँगा.. निर्भय निर्गुण .... बस फिर तो वो शिखर आ ही जाएगा जहाँ से बाद में भी कुछ नहीं है और जिसके अंदर भी कुछ नहीं है। ये बिंदु है शून्यता का जहाँ मेरे में कोई "मैं" नहीं है। यहाँ आवाज़ें तो गूँजती है पर अंदर से! इन्हीं ध्वनियोंं से जो छत्तीस राग फूटेंगे उन्हें सुन कर मैं आनंद विभोर हो उठूँगा । ये क्षण स्वयम् पर जीत का होगा।
Subhanallah! Gift to humanity, the voice of Pundit Kumar has always helped me go beyond myself and feel the love and part of human community. Pundit ji your music continues to change people, give them peace, comfort and anand!
ट्रेन में एक बार एक भिखारी उनके इस गाने को गा रहा था, इतना अच्छा लगा। पता लगाया किसका गाना है, ये शायद 40 साल पहले की बात है। तबसे मेरे फेवरेट सिंगर कुमार गंधर्व जी हो गए हैं।
I had tape recorder player. Every morning I used to play Kumar Gandharvji nirguni bhajan, in india. My children were very young. They did not understand, but the Kumarji's gayaki had so deep impressions into their mind. Even after 30 yrs they play these bhajans. They still don't understand the meaning. They grew up in US.
योगसूत्र आहेत या निर्गुनी भजनात, पंडितजीनी त्यांना झालेल्या आजारामुळे आलेल्या मर्यादाचा वापर करून एक नवीन शैली विकसित केली, गान सूर्य आहेत त्रिवार वंदन
कुमार गन्धर्व जी का जन्म कर्नाटक के धारवाड में हुआ आप का वास्तविक नाम शिवपुत्र shidrmeeya था ओर अपने मध्यप्रदेश के देवास में अपनी कर्मस्थली बनाया और मालवी शैली में कबीर गायन किया तथा अपने महात्मा गांधी के जीवन पर गांधी मल्हार भी प्रस्तुत किया धन्यवाद
Kumarji's trump card. The high pitch, ease with which he has sung in tar saptak, aghat, lightning taans and the expression befitting extatic state of Sant Kabir as he reached a state of enlightenment is so aptly presented by Kumarji, the one and only one.
Dear Girish you are right but i think Trump card is for beginners, he has sung everything so beautifully that all felt more than trump card.. Dont mind 🙏🙏
I was fortunate to have attended & heard his concert in Delhi during seveties and this Kabir's composition NIRBHAYA NIRGUN was sung in that concert and even today that beautiful rendition rings in my heart. It is eternally stored. The composition is rich - both in its spiritual value as also the way it was composed rendered by Kumar Gandharvji
This song always has the first place in my study playlist. It makes me relax and gather all the positivity around me This classical masterpiece is pure magic !!❤️
Adbhut !!! Kumarji, Vasundharaji, Govindrao Patwardhan and Sureshbabu🙏🙏🙏 Doordarshan has such priceless gems in their archives. They should release those for future generations. We will be indebted
Eid. No words. Indeed. Pundit ji's unique style was due to him living with a single lung. Having lost one due to contracting TB. Yet, even with the loss of half of an extremely important organ, Punditji's contributions is immeasurable. Niraguna!
What sort of fools dislike this divine rendition ? Its pitiful to see people with no understanding of what they are hearing come and feel important by disliking. Kumar ji is a whole Universe of music and his Nirguni bhajans are the pinnacle of his trademark style.🙏
Listening to this bhajan, I feel Kabirji, Panditji, and Vasundharaji have introduced us to the path to attain inner peace..."Shunya shikhar par, anhad bajeji..." - how can anyone conceive of such beautiful thoughts...leaves one speechless...
Indian classical yoga, music, and art are world heritage. Now that I am exploring my inner dimension as a seeker, I understand the significance of these priceless Sadhanas. Much love & respect 🙏
I wish today's generation would know the true meaning of this song. Today world is full of music which is degrading day by day. This music gives true meaning to life and wake you up from your sleep.
When he says “nirbhay nirgun” with his left arm’s one finger .. he really mean it, at very ecstatic level..words and comment are not enough to describe his achievement of such level.. 🙏🏻only gratitude.. 🙏🏻
परम प्रगत योगी परमात्म्याचे दर्शन अनुभूती मिळवण्यासाठी काय करतो ते या भजनात सुंदर रित्या मांडले आहे त्याचे आसन कसे असावे इडा पिगळा सुष्मना नाडी माध्यम वापरून तो परमतत्वशी कसा एकरूप लीन होतो वाह खरचं सुंदर
संत कबीरांचं अत्यंत सुंदर भजन, आपल्या दैवी स्वरात गाऊन, त्यात स्व. कुमार गंधर्वजीनी आपले प्राण ओतले, ही अनुभूती होते, हे भजन त्यांच्या आवाजात ऐकताना!! पत्नी स्व. वसुंधराजी यांनी कुमारजी ना उत्तम साथ दिली. ऐकताना अंगावर रोमांच आले होते. निर्गुण, निर्भय....कुमारजी नी हे भजन अमर केले!!🙏🙏
Each and every swar are full of honey ,we are the honeybee who travel and collect honey ,then deposit it with Kumar ji...... This may be the definition of art, artist and love. Kumar ji is like a "Bhoura" who sings around the nector to spread Melody.
None but only pandit kumar can do this! The sublime of vocal art and music represents the super special devotional adherence of Lord Kabir to his spritual master Pujya Paad Lord Ramanand Svami !!
सदानंदी सदाशिव ! जा पावेतो कितव्यांदा ऐकतोय, देव जाणे … दूरदर्शनमुळे ही दैवी देणगी लाभली !!! न भूतो न भविष्यति योग .. बैठकीतील सर्वच दिग्गज - सर्वांना शतसहस्त्र वंदन
i wish i could understand what are they singing.. BUT this is pure magic. His voice is like ocean and her is wave. Soothes my ear and heart. Thank YOU for sharing this.
nirbhay hokar nirgun ke gaan....iss bhajan ko sunkar kabir sant ke manostithi ko jaana hun. aisa lagta hai hum manushyon mey bhi wah kshamataa hai..aur kabir ke iss bataye hue vidhi ko agar theek prakaar se prayaas karen toh..sach mey mumkin hain.. ..par uss stithi ko barkaraar rakhnaa bhi ek badi chunauti hai..aasha kartaa hun ki adhik se adhik log iss vidhi ko jaaney aur prayaas karey ..aur wah stithi praapt ho.. aur iss chakravyuh se mukti miley...
As per immortal dictum of The Avatar Meher Baba Everyman is Immortal ! M Kabirji thru his Poetry n Sri Kumaraji r Living in our Hearts forever !Philosophy made So simple !
निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊंगा मूल-कमल दृढ़-आसन बांधूं जी उल्टी पवन चढ़ाऊंगा ।। निर्भय निर्गुण ।। मन-ममता को थिर कर लाऊं जी पांचों तट मिलाऊंगा जी निर्भय निर्गुण ।। इंगला-पिंगला-सुखमन नाड़ी त्रिवेणी पे हां नहाऊंगा निर्भय-निर्गुण ।।  पांच-पचीसों पकड़ मंगाऊं-जी एक ही डोर लगाऊंगा निर्भय निर्गुण ।। शून्य-शिखर पर अनहद बाजे जी राग छत्तीस सुनाऊंगा निर्भय निर्गुण ।। कहत कबीरा सुनो भई साधो जी जीत निशान घुराऊंगा । निर्भय-निर्गुण ।।
One Never satisfy listening this “ MASTER PIECE “ , was sung by none other than the greatest of great venerable late Pdt. KUMAR GANDHAVA JI. Ocean of Thanks and salute From Nepalese living an abroad. .
आज मी स्वर्गीय गंधर्व गान आइकलं. अक्षरशः ब्रम्हानंद अनुभवला..... कारण जवळ जवळ 40/45 वर्ष मी हे आइकत आहें पण शब्द च समजायचे नाहीत. आज कबीर र्हिदयात खोलवर रुजले... आनंद.... केवळ आनंद... ब्रम्हानंद.... या आनंदाला तोड नाही.
আজ সকাল থেকেই মনের মধ্যে সন্ত কবিরের ভজনের কয়েকটি লাইন কেবল ঘুরপাক খাচ্ছিল। ইউটিউব থেকে বহুবার শুনলাম Nirbhay Nirgun Gun Re Gaunga । মূল হিন্দি ভজনের বাংলা অনুবাদ করার চেষ্টা করলাম ... যিনি নির্ভয় নির্গুণ আমি গুণগান গাইব তাঁর আমি গাইবই তাঁর গুণ।। হৃদিপদ্মের মূলাধারে শক্ত খুঁটি গেড়ে বিপরীত পবন বেগে মনকে দেব সঠিক পথে ছেড়ে পঞ্চভূতকে মিলবো আর নাইবো যে ইড়া, পিঙ্গলা, সুষুম্নার ত্রিবেণী সঙ্গমে পঞ্চতত্ত্ব, পঞ্চবিংশতি ইচ্ছার অধীন করে বাঁধবো তাদের এক রজ্জুতে চূড়ান্ত শিখরে উঠে শুনি অনাহত ধ্বনি মিলেছে যেথায় ছত্রিশ রাগিণী কবির বলে সাধুগণ শোন দিয়া মন বিজয় পতাকা আমি উড়াব তখন।
निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊंगा मूल-कमल दृढ़-आसन बांधूं जी उल्टी पवन चढ़ाऊंगा निर्भय निर्गुण ।। मन-ममता को थिर कर लाऊं जी पांचों तत्व मिलाऊंगा निर्भय निर्गुण ।। इंगला-पिंगला-सुखमन नाड़ी त्रिवेणी पे हां नहाऊंगा निर्भय-निर्गुण ।। पांच-पचीसों पकड़ मंगाऊं-जी एक ही डोर लगाऊंगा निर्भय निर्गुण ।। शून्य-शिखर पर अनहद बाजे जी राग छत्तीस सुनाऊंगा निर्भय निर्गुण ।। कहत कबीरा सुनो भई साधो जी जीत निशान घुराऊंगा । निर्भय-निर्गुण ।।
Listening to Kumar Ji and loving his rendition is a true blessing. As only lucky few and feel the purity and divinity through his singing.. each moment is like encountering the pure love and devotion to the creator. ❤
निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊँगा
मूल-कमल दृढ़-आसन बाँधू जी
उल्टी पवन चढ़ाऊँगा, चढ़ाऊँगा..
निर्भय निर्गुण ....
मन-ममता को थिर कर लाऊँ जी
पांचों तत्त्व मिलाऊँगा जी, मिलाऊँगा
निर्भय निर्गुण ....
मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा का उद्देश्य दरअसल अपने अस्तित्व के कारण को तलाशना रहा है। इस तलाश का स्वाभाविक अंत तभी हो सकता है जब मनुष्य निडर हो अपने कर्मों और उसके फल के प्रति। यानि दूसरे शब्दों में कहें तो निडरता पहली सीढ़ी है उस सत्य तक पहुँचने की। जैसा कि विदित है कि कबीर धर्म के बाहरी आडंबरों के घोर विरोधी थे और निर्गुण ईश्वर के उपासक। कबीर इसी निडरता के साथ उस निराकार ईश्वर की आराधना कर रहे हैं।
कबीर फिर कहते हैं कि इस यात्रा की शुरुआत से पहले अपनी उर्जा को एक सशक्त आधार देना होगा फैले कमल रूपी आसन में। जिस तरह कमल कीचड़ के ऊपर फलता फूलता है उसी तरह हमें अपने अंदर की ॠणात्मकता और भय को त्याग कर उसे सृजनशीलता में बदलना होगा। मूलाधार से अपनी उर्जा को ऊपर की ओर ले जाने का यही मार्ग दिखाया है कबीर ने।
पर ये इतना आसान नहीं है। इस राह में बाधाएँ भी हैं। आख़िर इस उर्जा को बढ़ने से रोकता कौन है? इन्हें रोकती हैं हमारी इच्छाएँ और लगाव। एक बार इन बंधनों से मुक्त होकर अगर अपने को प्रकृति के पंचतत्त्वों में विलीन कर लूँ तो मुझे अपने होने का मूल कारण सहज ही दिख जाएगा।
इंगला-पिंगला सुखमन नाड़ी जी
त्रिवेणी पर हाँ नहाऊँगा, नहाऊँगा
निर्भय निर्गुण ....
पाँच-पचीसों पकड़ मँगाऊँ जी
एक ही डोर लगाऊँगा, लगाऊँगा
निर्भय निर्गुण ....
इंगला नाड़ी वह नाड़ी है जो नाक की बाँयी तरफ से आरम्भ होकर आज्ञा चक्र होते हुये मूलाधार तक जाती है। पिंगला दाँयी तरफ होती है और इंगला की पूरक मानी जाती है। इंगला और पिंगला के मिलन के मध्य स्थल से सुषुम्ना नाड़ी निकलती है। अपने अंदर के सत्य तक पहुँचने के लिए मैं इन्हीं नाड़ियों को वश में करूँगा । मुझे विश्वास है कि नाड़ियों की इस त्रिवेणी के सहारे शरीर में बहती उर्जा को नियंत्रित कर जो उसमें डुबकी लगा लेगा वो समय और काल के बंधनों से मुक्त हो उस सत्य को पहचान लेगा। एक बार पंच तत्व और जीवन को अनुभव करने वाले पच्चीस तरीके नियंत्रण में आ गए तो उन्हें मैं अपनी अंतरआत्मा से एक ही डोर में जोड़ लूँगा।
शून्य-शिखर पर अनहद बाजे जी
राग छत्तीस सुनाऊँगा, सुनाऊँगा
निर्भय निर्गुण ....
कहत कबीरा सुनो भई साधो जी
जीत निशान घुराऊँगा, घुराऊँगा..
निर्भय निर्गुण ....
बस फिर तो वो शिखर आ ही जाएगा जहाँ से बाद में भी कुछ नहीं है और जिसके अंदर भी कुछ नहीं है। ये बिंदु है शून्यता का जहाँ मेरे में कोई "मैं" नहीं है। यहाँ आवाज़ें तो गूँजती है पर अंदर से! इन्हीं ध्वनियोंं से जो छत्तीस राग फूटेंगे उन्हें सुन कर मैं आनंद विभोर हो उठूँगा । ये क्षण स्वयम् पर जीत का होगा।
👍🏼👍🏼🙏 इस सुंदर रचना का भावार्थ देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया🙏🙏
Beautiful meaning of this song..explained in simple,Beautiful words!!!!
Thank u so much
Jitni Sunder Rachna vaisa hi Bhavarth. Ati Sunder
❤❤❤❤❤❤❤ bahut sunder 👏👏👏👏👏👏
Anyone listening this masterpiece of Gandharva ji in 2024 ????
yes of course
Yes me
I also.
Me, listening regularly,
And in 2025 too.
sitting in my bookshop in Karachi, Pakistan listening to this most amazing man. Very unique style. I love it.
Once Ustaad Bade Guhlam Alli Khan Saab told that if these types of song is practiced in house of India and Pakistan then there will be no animosity.
Hi @
@kamrannoorani5514
Did you understand the content and concept of the song??
its has very deep meaning and concept
@@awhig2474plz explain
me too. An ardent fan of Pandit Kumar Gandharva in Karachi....
His one lung was damaged due to TB. So he couldn’t have a long alap and deep breath. Yet he overcame the problems and sung songs in short sentences
To whomever listening this masterpiece, your taste in music is amazing
बचपन मे देवास में कुमार गन्धर्व जी के सामने बैठ कर ये भजन सुना था आज भी उसकी याद ताजा है।,👌👌👌
so lucky😍
मैने भी
कुमार गंधर्व हे तर खरेच धन्य आहे
Axcha sukoon ka pal h es song m bahut badiya
Mere age 17 hai apkeketne hai aparna ji
Subhanallah! Gift to humanity, the voice of Pundit Kumar has always helped me go beyond myself and feel the love and part of human community. Pundit ji your music continues to change people, give them peace, comfort and anand!
I believe he has taken rebirth as aryan bonik
Just voice is so smooth 🙏
सहस्त्र वर्षों में एक बार पूज्य कुमार जी जैसे कलाकार जन्म लेते हैं।
सादर प्रणाम।🙏
ट्रेन में एक बार एक भिखारी उनके इस गाने को गा रहा था, इतना अच्छा लगा। पता लगाया किसका गाना है, ये शायद 40 साल पहले की बात है।
तबसे मेरे फेवरेट सिंगर कुमार गंधर्व जी हो गए हैं।
वो भिकारी नही था ; कलाकार था ...
उसकी लेवेल कितनी high होंगी
I had tape recorder player. Every morning I used to play Kumar Gandharvji nirguni bhajan, in india.
My children were very young. They did not understand, but the Kumarji's gayaki had so deep impressions into their mind. Even after 30 yrs they play these bhajans. They still don't understand the meaning. They grew up in US.
Explain the meaning to them, it’s profoundly beautiful
Aaj toh Eid ho gayii. Thanks for this upload. There was only one KG!
Sir ,This is God gifted no words 🙏❤️❤️❤️
It's the greatness of Indian culture. It includes every faith.
Yes...do listen Pushkar lele rendition too
It's 2nd best after KG
follow spiritually ok thanks ksj om on
ok follow spiritually what more may be know then thy self om in ksj 1
क्या ख़ूबसूरती है, बस रोने का ही मन करता है
इतका निर्मळ आणि पवित्र आवाज , कानात अमृत ओतल्याचा भास होतो, थेट ह्रदयापर्यंत
My Guruji!
I got him in my Dream.
Koti koti pranam Guruji.
I only listen him.
How a single lung man singing it is a surprising matter undoubtedly.
He had monkey lungs transplant I heard
योगसूत्र आहेत या निर्गुनी भजनात, पंडितजीनी त्यांना झालेल्या आजारामुळे आलेल्या मर्यादाचा वापर करून एक नवीन शैली विकसित केली, गान सूर्य आहेत त्रिवार वंदन
Vasundhara komakali is also acompanying in singing - why isn't she included in the credit for vocals?
Great question ma'am
कुमार गन्धर्व जी का जन्म कर्नाटक के धारवाड में हुआ आप का वास्तविक नाम शिवपुत्र shidrmeeya था ओर अपने मध्यप्रदेश के देवास में अपनी कर्मस्थली बनाया और मालवी शैली में कबीर गायन किया तथा अपने महात्मा गांधी के जीवन पर गांधी मल्हार भी प्रस्तुत किया
धन्यवाद
Shivaputra Siddharamayya Komakalimath
@@rameshhire 🙏👍👍
Kumarji's trump card. The high pitch, ease with which he has sung in tar saptak, aghat, lightning taans and the expression befitting extatic state of Sant Kabir as he reached a state of enlightenment is so aptly presented by Kumarji, the one and only one.
And all those heavenly accomplishments with just 1 lung.
Think and digest this
Aapki soch aur samaj ko salute
Dear Girish you are right but i think Trump card is for beginners, he has sung everything so beautifully that all felt more than trump card..
Dont mind 🙏🙏
What an explanation sir 🙏💐
The way the master recites each word with the emphasis each word deserves. Due credit to his saathi in this rendition too
ऐसी गायकी युगों तक अमर रहेगी कुमार गंधर्व लीजेंड हैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि
The perfect balance of divine masculine & divine feminine in melody ❤️❤️
Such an apt comment. Wondering if anyone knows the name of female singer with pundit ji?
@Muhammad Khan the female singer is Vasundhara Komakali wife of Kumarji. She was also Padmashree.
I was fortunate to have attended & heard his concert in Delhi during seveties and this Kabir's composition NIRBHAYA NIRGUN was sung in that concert and even today that beautiful rendition rings in my heart. It is eternally stored. The composition is rich - both in its spiritual value as also the way it was composed rendered by Kumar Gandharvji
Iam proud of kumarji as this Devine voice is from native place Belgaum, shahapur
You are one lucky guy....
Exactly which year?
This song always has the first place in my study playlist. It makes me relax and gather all the positivity around me
This classical masterpiece is pure magic !!❤️
It's an energy reservoir indeed. It's on my study playlist as well
God bless🙏
सही कहा आपने। क्या ताकद है इस सादरीकरण मे, भगवान ही जाने. कुमारजी एक अनमोल रत्न। प्रणाम जो की हमे उपलब्ध किया।
Exactly same..
You shoulda listen to yugan yugan hum too.
Adbhut !!! Kumarji, Vasundharaji, Govindrao Patwardhan and Sureshbabu🙏🙏🙏 Doordarshan has such priceless gems in their archives. They should release those for future generations. We will be indebted
Madhup mudhagal .. also.. on tanpura
Really you are all said, God's gift and love to us who listen the legend 🙏
Eid. No words. Indeed.
Pundit ji's unique style was due to him living with a single lung. Having lost one due to contracting TB.
Yet, even with the loss of half of an extremely important organ, Punditji's contributions is immeasurable.
Niraguna!
Vasundharatai used to compliment, if Kumarga dharva had to to drop an alap half way due to his restricted lung capacity.
Wow.
This rendition is a time machine for going back six centuries, to Sant Kabir Das’ time, and then returning to the present. Magnificent.
👍Very aptly said. Indeed, this is a time machine which helps us take an inter-generational tours spanning centuries.
बहुत ही आनंद आया। आज करीब 40 साल+ बाद सुना। कुमार गंधर्व जी की एक अलग ही पहचान है।
What sort of fools dislike this divine rendition ? Its pitiful to see people with no understanding of what they are hearing come and feel important by disliking.
Kumar ji is a whole Universe of music and his Nirguni bhajans are the pinnacle of his trademark style.🙏
His aghats on swaras are so charming. He is very pure in swaras and Taal. He makes it very divine and serene. His taans , alaaps are very unique.
Listening to this bhajan, I feel Kabirji, Panditji, and Vasundharaji have introduced us to the path to attain inner peace..."Shunya shikhar par, anhad bajeji..." - how can anyone conceive of such beautiful thoughts...leaves one speechless...
भगवान इतना सुन्दर होता है 🙏🙏🙏
ये आज मैने देखा ओर सूना जी 🙏🙏🙏
सादर प्रणाम गुरूवर्या... 🙏🙏🙏
संत कबीर यांची पवित्र रचना आणि त्या च पवित्रतेची प्रचिती देणारा ईश्वरी देणगी लाभलेला आवाज हृदयात भिडतोच,🙏🙏🙏🙏🙏
Indian classical yoga, music, and art are world heritage. Now that I am exploring my inner dimension as a seeker, I understand the significance of these priceless Sadhanas. Much love & respect 🙏
पंडित जी जैसा ना कोई था ना कभी होगा 🙏🙏🙏
प्रणाम गुरु जी को 🙏🙏🙏
I wish today's generation would know the true meaning of this song.
Today world is full of music which is degrading day by day. This music gives true meaning to life and wake you up from your sleep.
Remember having watched this in doordarshan as a child.. I didn’t understand then .. but it stuck with me to this day
Same opinion with me ..
अदभुत ...!! रोमांच उभे राहतात...!! डोळे भरून आले...!!
When he says “nirbhay nirgun” with his left arm’s one finger .. he really mean it, at very ecstatic level..words and comment are not enough to describe his achievement of such level.. 🙏🏻only gratitude.. 🙏🏻
परम प्रगत योगी परमात्म्याचे दर्शन अनुभूती मिळवण्यासाठी काय करतो ते या भजनात सुंदर रित्या मांडले आहे त्याचे आसन कसे असावे इडा पिगळा सुष्मना नाडी माध्यम वापरून तो परमतत्वशी कसा एकरूप लीन होतो वाह खरचं सुंदर
Highly Recommended for Me!
How can anyone on earth dislike this legendary music ??
One of the outstanding singer-gems from North Karnataka making waves in Maharashtra, home for excellent talents.
Soul food. Out of this world.
संत कबीरदास एक श्रीराम भक्त थे 🙏 राम निरंजन न्यारा रै अंजन सकल पसारा रे 🙏🚩 जय श्रीराम जय कबीरदास 🙏🚩
One n only Kumar Gandharva.Born in 1000 years.
दैवीयता, मधुरता, आध्यात्मिकता और आनन्द का अदभुत स्वरसंगम 🙏🙏
संत कबीरांचं अत्यंत सुंदर
भजन, आपल्या दैवी स्वरात गाऊन, त्यात स्व. कुमार गंधर्वजीनी आपले प्राण ओतले, ही अनुभूती होते, हे भजन त्यांच्या आवाजात ऐकताना!!
पत्नी स्व. वसुंधराजी यांनी कुमारजी ना उत्तम साथ दिली.
ऐकताना अंगावर रोमांच आले होते.
निर्गुण, निर्भय....कुमारजी नी हे भजन अमर केले!!🙏🙏
Shiv Shakti 🌺. Ardhanarishwara darshan ho gaye 🙌🙌
इस गायन को कोई उपमा नही दी जा सकती।
शब्दो के बस में नही है,इस दिव्यता को सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
Each and every swar are full of honey ,we are the honeybee who travel and collect honey ,then deposit it with Kumar ji...... This may be the definition of art, artist and love. Kumar ji is like a "Bhoura" who sings around the nector to spread Melody.
None but only pandit kumar can do this! The sublime of vocal art and music represents the super special devotional adherence of Lord Kabir to his spritual master Pujya Paad Lord Ramanand Svami !!
He was brilliant. With that rasp in his voice...my childhood memories of DD...the voice haunts still
Heli bhajan jio Re
What an immortal Kabir creation and equally immortal rendering by Kumar Gandharva ji.
The more we listen it the more we want to listen the immortal Bhajan and unparalleled singing by Kumar Gandharva ji.
सत सत नमन पंडित कुमार गंधर्व जी
Discovered this gem ❤.
सदानंदी सदाशिव ! जा पावेतो कितव्यांदा ऐकतोय, देव जाणे … दूरदर्शनमुळे ही दैवी देणगी लाभली !!! न भूतो न भविष्यति योग .. बैठकीतील सर्वच दिग्गज - सर्वांना शतसहस्त्र वंदन
शब्द नहीं है हर्ष व्यक्त करने के लिए❤️❤️
अचूक ध्यान धारणेसाठी ही रचना व हाच आवाज
पुढं शब्द सुचत नाही 🙏
i wish i could understand what are they singing.. BUT this is pure magic. His voice is like ocean and her is wave. Soothes my ear and heart. Thank YOU for sharing this.
Turn the captions on
No words of the likes of us may have even to praise this transcending odessey in this bhajan....such levels . .. 🙏🙏❤️❤️🎉🎉
Before departing from world one must listen to Kumarji
Amazing.. every time I listen this n get tears .. this man is mad.. out of the world
In a Ocean of Music..this is a Diamond ..I m thankful to u for giving us this pure gem..I want to keep it close to my heart & preserve..
What a majestic expression of the possibility of impossibility through Brahman. 🙏🏻
I have waited years to see Panditji and his wife performing together. Thank you 🙏🏼
A song from heart..great kumar gandharv panditji
nirbhay hokar nirgun ke gaan....iss bhajan ko sunkar kabir sant ke manostithi ko jaana hun. aisa lagta hai hum manushyon mey bhi wah kshamataa hai..aur kabir ke iss bataye hue vidhi ko agar theek prakaar se prayaas karen toh..sach mey mumkin hain.. ..par uss stithi ko barkaraar rakhnaa bhi ek badi chunauti hai..aasha kartaa hun ki adhik se adhik log iss vidhi ko jaaney aur prayaas karey ..aur wah stithi praapt ho.. aur iss chakravyuh se mukti miley...
धन्यवाद 🙏अपलोड केल्याबद्दल
डोळ्यात पाणी आणणारा आवाज 🙏 दिवसाच्या कोणत्याही वेळी ऐका🙏 कुमार जी🙏 विनम्र अभिवादन
Power❤️❤️❤️❤️ Prabhu Shree Ram Bless You Allways 👍🙏
Shunya Shikhar per anhad baje , raag chattis sunaunga 🙏 .
Shat shat naman to sant kabira and late pt Kumar ghandharv ji 🙏🙏
Divnine ! Along with Kumar gandharva the accompanying vocalist was so good 👍
ATI sunder nirguni bhajan in the divine voice of Kumar Ģandharav ji
Fantastic singing - by the One and Only Kumar ji. Krutagnyatalu ❤
As per immortal dictum of The Avatar Meher Baba Everyman is
Immortal ! M Kabirji thru his Poetry n
Sri Kumaraji r Living in our Hearts
forever !Philosophy made So simple !
Legend is legend ❤Master pt.kumarji
Nuste swar kanavar padtach ashru oghale, yalach mhantat kumarjinchi adwait bhogvnyachi takat, koti koti pranam ya mahan aatmyala
ईश्वरीय कृपा है,सुन रहे है,अंतर्मन में आवाज हो रहा है।🙏🙏🙏🙏🙏
निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊंगा
मूल-कमल दृढ़-आसन बांधूं जी
उल्टी पवन चढ़ाऊंगा ।।
निर्भय निर्गुण ।।
मन-ममता को थिर कर लाऊं जी
पांचों तट मिलाऊंगा जी
निर्भय निर्गुण ।।
इंगला-पिंगला-सुखमन नाड़ी
त्रिवेणी पे हां नहाऊंगा
निर्भय-निर्गुण ।। 
पांच-पचीसों पकड़ मंगाऊं-जी
एक ही डोर लगाऊंगा
निर्भय निर्गुण ।।
शून्य-शिखर पर अनहद बाजे जी
राग छत्तीस सुनाऊंगा
निर्भय निर्गुण ।।
कहत कबीरा सुनो भई साधो जी
जीत निशान घुराऊंगा ।
निर्भय-निर्गुण ।।
Thank you
One Never satisfy listening this “ MASTER PIECE “ , was sung by none other than the greatest of great venerable late Pdt. KUMAR GANDHAVA JI.
Ocean of Thanks and salute
From Nepalese living an abroad.
.
Kumar ji bhagwan ke parsad hai kabhi kabhi janm hota hai dharti par sat sat pranam.
अप्रतिम , अंगावर रोमांच उभे करणारे
कितीही वेळा ऐका मन भरतच नाही
दैवाने मिळालेला अनमोल ठेवा
What words of Kabir and what a rendering by Kumarji !!! Aprateem !!
What a great way of singing Kabir's immortal creations. Mesmerizing performance.
Thank you so much for uploading this divine rendering by Gandharva ji
Spirituality of the Bhagavad-Gita echoes. Five elements,steady the Mind, Unmanifest form of Krishna…….
आज मी स्वर्गीय गंधर्व गान आइकलं.
अक्षरशः ब्रम्हानंद अनुभवला.....
कारण जवळ जवळ 40/45 वर्ष मी हे आइकत आहें पण शब्द च समजायचे नाहीत. आज कबीर र्हिदयात खोलवर रुजले... आनंद.... केवळ आनंद... ब्रम्हानंद.... या आनंदाला तोड नाही.
Heavenly.....🙏🙏🙏 ঈশ্বরানুভূতি কি একেই বলে !!!
Dil nahi bharta jitna bhi suna jaye !!! Wah Pandit Kumar Gandharv ji Wah !!!!
Ye Bhajan hum aksar subha subha vividh Bharti pr sunte hai ...
Adbhut bhjan hai ...😍
Even today the freshness in his voice lingers
আজ সকাল থেকেই মনের মধ্যে সন্ত কবিরের ভজনের কয়েকটি লাইন কেবল ঘুরপাক খাচ্ছিল। ইউটিউব থেকে বহুবার শুনলাম Nirbhay Nirgun Gun Re Gaunga । মূল হিন্দি ভজনের বাংলা অনুবাদ করার চেষ্টা করলাম ...
যিনি নির্ভয় নির্গুণ
আমি গুণগান গাইব তাঁর
আমি গাইবই তাঁর গুণ।।
হৃদিপদ্মের মূলাধারে শক্ত খুঁটি গেড়ে
বিপরীত পবন বেগে
মনকে দেব সঠিক পথে ছেড়ে
পঞ্চভূতকে মিলবো আর নাইবো যে
ইড়া, পিঙ্গলা, সুষুম্নার ত্রিবেণী সঙ্গমে
পঞ্চতত্ত্ব, পঞ্চবিংশতি ইচ্ছার অধীন করে
বাঁধবো তাদের এক রজ্জুতে
চূড়ান্ত শিখরে উঠে শুনি অনাহত ধ্বনি
মিলেছে যেথায় ছত্রিশ রাগিণী
কবির বলে সাধুগণ
শোন দিয়া মন
বিজয় পতাকা আমি উড়াব তখন।
Great Kumar Gandharbji.Heavenly voice.
Listening to this after listening to Mahesh Kale's rendition at the BGU 2023. Amazing!
He seems one with the Nirgun when he sings; the Nirgun is singing through him.
Jab bhi Kumarji ke nirguni bhajan sunta hu, pata nahi kyoun ankhon mein aasoon aa jate hai...
निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊंगा
मूल-कमल दृढ़-आसन बांधूं जी
उल्टी पवन चढ़ाऊंगा
निर्भय निर्गुण ।।
मन-ममता को थिर कर लाऊं जी
पांचों तत्व मिलाऊंगा
निर्भय निर्गुण ।।
इंगला-पिंगला-सुखमन नाड़ी
त्रिवेणी पे हां नहाऊंगा
निर्भय-निर्गुण ।।
पांच-पचीसों पकड़ मंगाऊं-जी
एक ही डोर लगाऊंगा
निर्भय निर्गुण ।।
शून्य-शिखर पर अनहद बाजे जी
राग छत्तीस सुनाऊंगा
निर्भय निर्गुण ।।
कहत कबीरा सुनो भई साधो जी
जीत निशान घुराऊंगा ।
निर्भय-निर्गुण ।।
Listening to Kumar Ji and loving his rendition is a true blessing. As only lucky few and feel the purity and divinity through his singing.. each moment is like encountering the pure love and devotion to the creator. ❤
Great gem of India. India lost old glory at least in classical music.
इस गाने का composition कितना शानदार है, बस मन प्रसन्न हो जाता है
Came after achary parshant recommendation .
Me too came from Acharya Prashant recommendation (be the geeta student)
Main bhi
@@knowledgetechz4414 Main bhi
भयमुक्त जीव,ईश्वर की कृपा चाहिए!🙏🙏🙏🙏🙏
Voice is like a bow. Lyrics are like arrows perching through heart and mind.