Life, आहत भावना, परंपरा, शुद्धता, देश और राजनीति पर Prof. Purushottam Agrawal की दोटूक | Sahitya Tak

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  • Опубликовано: 18 сен 2024
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    वे एक बेहतरीन चिंतक हैं, विचारक, लेखक और व्याख्याता तो हैं ही. भारत, भारतीयता, कबीर, सूर, तुलसी से लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू तक पर उनकी अपनी दृष्टि है. उनकी बेबाकी कई बार बहुतों को खलती है, तो कई बार व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर देती है. हम बात कर रहे हैं प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल की, जो साहित्य तक के बातें-मुलाकातें में बतौर अतिथि मौजूद थे.
    पुरुषोत्तम अग्रवाल का जन्म 25 अगस्त, 1955 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ. वे एक जाने-माने इतिहासकार, चिंतक, विचारक, साहित्य एवं संस्कृति के अध्येता, प्राध्यापक और बहुविध क्षेत्रों में काम करते रहे हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में अध्यापन के बाद अग्रवाल की नियुक्ति उसी भारतीय भाषा केंद्र में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के रूप में हुई, जहां से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी. अग्रवाल ने कई पुस्तकों का लेखन किया है, जिनमें 'संस्कृति: वर्चस्व और प्रतिरोध' यह पुस्तक पुरुषोत्तम अग्रवाल के निबंधों का संकलन है और 'कौन है भारत माता?' जो की पंडित नेहरू और उनके आख्यान के बारे में है. यह पुस्तक अंग्रेज़ी में भी लिखी गयी. जो कि भारत की सच्ची लोकतांत्रिक भावना और समावेशी दृष्टिकोण को धारण करने वाले शानदार दिमाग़ को हमारे सामने रखती है. यह पुस्तक आज के समय में ख़ासतौर से प्रासंगिक है जब ‘राष्ट्रवाद’ और ‘भारतमाता की जय’ के नारे का इस्तेमाल भारत के विचार को एक आक्रामक चोगा पहनाने के लिए किया जा रहा है, जिसमें यहां रहनेवाले करोड़ों निवासियों और नागरिकों को छोड़ दिया गया है. 'तीसरा रुख', 'विचार का अनंत', 'निज ब्रह्म विचार', 'कबीर: साखी और सबद', 'मजबूती का नाम महात्मा गांधी', 'अकथ कहानी प्रेम की: कबीर की कविता और उनका समय' प्रमुख पुस्तकों में से हैं. प्रो. अग्रवाल की प्रमुख प्रसिद्धि का आधार है 'अकथ कहानी प्रेम की: कबीर की कविता और उनका समय'. कबीर पर अग्रवाल का काम बेहद उल्लेखनीय रहा है. इस पुस्तक ने अग्रवाल को दुनियाभर में कबीर के मर्मभेदी आलोचक के रूप में प्रसिद्ध कर दिया. कबीर पर अनगिनत पुस्तकें और लेख लिखे गए हैं लेकिन ऐसा माना जाता है कि पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी की पुस्तक 'कबीर' के बाद अग्रवाल की यह पुस्तक कबीर को नए ढंग से समझने में सबसे अधिक सहायक साबित होती है. अग्रवाल को उनकी पुस्तक 'तीसरा रुख के लिए देवी शंकर अवस्थी सम्मान से सम्मानित किया गया था. अपनी आलोचनक पुस्तक 'संस्कृति: वर्चस्व और प्रतिरोध' के लिए आप मध्य प्रदेश साहित्य परिषद् के मुकुटधर पाण्डेय सम्मान से सम्मानित हैं. 'अकथ कहानी प्रेम की: कबीर की कविता और उनका समय' के लिए आप राजकमल प्रकाशन समूह के 1 लाख रुपए के प्रथम राजकमल प्रकाशन कृति सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं. प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल के जीवन, उनकी रचना-यात्रा, कबीर से उनके प्रेम, नामवर सिंह से उनके जुड़ाव, उनके चिंतन, विचार, पुस्तकों और देश के वर्तमान स्वरूप पर वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने अपने चर्चित कार्यक्रम 'बातें-मुलाकातें' में लंबी बातचीत की. सुनिए मां द्वारा पूर्वजन्म का साधू, पिता के सपनों के नौकरशाह, सास- श्वसुर व सालियों को अपना सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बताने वाले हमारे समय के इस चर्चित, इतिहासकार, विचारक से यह बेबाक बतकही सिर्फ़ साहित्य तक पर.
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