🎉 आर्य समाज आत्मा और परमात्मा के विषय में बिल्कुल भी नहीं जानता एक आर्य समाज की ही बात नहीं है जब से सृष्टि बनी है आत्मा परमात्मा के भेद को कोई नहीं जानता। सब ईश्वर जीव अंश अविनाशी कोई परमात्मा समझते हैं। अर्थात निराकार को ही परमात्मा समझते हैं लेकिन यह है वेद विरोध है निराकार परमात्मा नहीं है निराकार माया है यजुर्वेद कामंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
🎉 आर्य समाज आत्मा और परमात्मा के विषय में बिल्कुल भी नहीं जानता एक आर्य समाज की ही बात नहीं है जब से सृष्टि बनी है आत्मा परमात्मा के भेद को कोई नहीं जानता।
सब ईश्वर जीव अंश अविनाशी कोई परमात्मा समझते हैं। अर्थात निराकार को ही परमात्मा समझते हैं लेकिन यह है वेद विरोध है निराकार परमात्मा नहीं है निराकार माया है
यजुर्वेद कामंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
पूर्ण नशा बन्दी लागू हो
🎉 ओम नाम परमात्मा का नहीं है। ओम तीन गुना से बना है। अकार उकार मकार सतोगुण रजोगुण तमोगुण। परमात्मात्रिगुण अतीत है। अर्थात तीनों गुना से अलग है।