माताजी पुर्णमती जी की अति सुंदर रचना जो हमारे मन को सहज ही स्थिर कर आत्म जाग्रति की ओर प्रेरित करती है। पुज्य माताजी को वंदन ; Sukhmall jee aapka bahut bahut abhinandan aur saadhuwaad !!
माता जी को मेरा बार बार वंदन बहुत सुंदर रचना दिन में एक बार जरुर सुनती हु शतक को सुनने के बाद दुख दुख नही लगता है दुख सुखतो मेरे से भिन्न है अत्यन्ताभाव है
Jai Jinendra Pune Aatmbodh shatak nam ki pratiti denewala aatmbodha karanewala ek ek chhand . Bhav gambhir apratim swar apratim arth apratim . prati samay gungunane chintan karne jeevan me anupalan karne layak .Vidyasagarki aisi poornamati mere parinati me pragate yehi bhavna bhate hai. Koti koti naman vandan
माताजी के चरणो मे वनदामी साछात सरस्सवती मां निकटतम मोक्षगामी। माता जी के दर्शन करने की भा वना है माता जी कहा पर विराजमान है।। माता जी का भक्ति सतक सुनकर आनंद विभोर हो गया
वन्दामि माता जी ये आत्म बोध शतक जो लिखा आपने ये आपकी आत्मा की आवाज़ है ,पर आश्चर्य की बात है कि बिल्कुल यही मेरी आत्मा की भी आवाज़ है बल्कि यूँ कहे कि हर उस भव्य जीव की आवाज़ है जो संसार से उबरना चाहता है लेकिन हमारी आवाज़ को इतने सुसंस्कृत शब्द इतनी मधुर आवाज़ और इतने मीठे सुर मिलेंगे ऐसा नही सोचा था कैसे आभार प्रकट करूँ शब्द नहीं हैं मेरे पास उसकी धनवान तो आप है । आपके लिखे विधान पूजा आदि से ही इतनी भाव विभोर हो जाती हूँ और इसको सुनकर तो ये कहने का मन कर रहा है कि " कहते हैं शब्द विचारों को व्यक्त करते हैं ,किन्तु आपकी विद्वता की प्रशंशा करने को मुझे शब्द ही नहीं मिलते हैं" वन्दामि माताजी🙏🏼🙏🏼🙏🏼 दो बार आपके दर्शन का लाभ हुआ अब तो इच्छा हो रही है कुछ दिन आपके सानिध्य में रहूँ ताकि हमारा वैराग्य और भी प्रबल हो🙏🏼🙏🏼🙏🏼 मैन तो रोज ध्यान का विषय ही इस आत्मबोध शतक को बना लिया है इसके द्वारा बहुत अच्छा ध्यान होता है🙏🏼🙏🏼
वन्दामी माताजी आपका यह आत्म बोध शतक सुनने के बाद हमेशा एसा प्रतीत होता है कि सम्पूर्ण जिनागम का निचोड़ हम अग्यानी जीवो के समक्ष रख दिया है । वन्दामी माताजी ।वन्दामी माताजी ।वन्दामी माताजी ।🙏🙏🙏
no one can beat the voice and words used in this satak... I am glad and fortune to hear this... This has really created a sense of forsaking things... MataJi is just...Wow...
जयजिनेद्र शुध्दोहम्. यह सब कुछ परंपरासे हैं ही. सब कुछ करते हुऐ शुभ पुण्यकर्म कम अशुभ परिणाम से हीं कर्म होते हैं. शुभ अशुभ परिणाम से जन्म मरनके चक्कर में हैं तत्वौको अपनाने की असलियत हो तो भेद ज्ञान सर्वगत है ना. ज्ञान सम्यक हैं संस्कार कीं धर्मध्यान कीं पहचान होणेसे अनंत काल का अंधेरा उजाले में बदल गया है. स्वभाव में स्व भाव की असलियत कोई कहते हैं.? जैनभूगोल की जाणकारी भी नही पता. धर्मध्यान के सिंचन से हीं आनंद हैं. जरूरी हैं संस्कार कीं धर्मध्यान कीं. स्व भाव की असलियत हो तो सब कुछ सुलभ हैं.
आर्यिका पूर्णमती मताजींचं 'आत्मबोध शतक' मला खूप आवडते. अतिशय अर्थपूर्ण आहे. त्या मधल्या 87व्या कडव्यातल्या खालच्या 3 ओळींचा अर्थ समजला. पण पहिल्या ओळीच्या अर्थाबद्दल संभ्रम वाटतो. कोणत्याही 'पर पदार्थांला' कसं काय शरण मानायचं ? 'पर' सगळं शरण जाण्याला अयोग्य आहे आणि केवळ निजातम्यालाच शरण जायला, त्याचा अवलंब करायला पाहिजे ना ? अशरण भावना ही बारा भावनांमधली एक मुख्य भावना आहे. त्यात सर्व पर-पदार्थ शरण जाण्यास कसे अयोग्य आहेत ते सांगितले आहे. पण त्या पहिल्या ओळीत 'करना है' असं लिहिलंय, म्हणजे 'करायचं आहे', ते जरा मनाला खटकतंय. इथं एकदम उलटं लिहिण्याचं काय प्रयोजन ? मी बऱ्याच जणांना विचारलं.... कोणी म्हणलं हे असदभूत व्यवहार नयाचं कथन आहे. पण पुढचं-मागचं सर्व कथन अगदी निश्चय नायाचं असताना मधेच हे असं का ? कोणी म्हणलं की टायपिंग मधली चूक असेल, पण ऑडिओ मध्ये पण तसंच आहे. कोणी म्हणलं की पद्य लिखानाच्या नियमांमध्ये बसवण्यासाठी आणि त्याची गेयता टिकवण्यासाठी असे करावे लागत असते. पण पद्य लिहिण्याचे नियम पाळण्यासाठी तत्वर्थामध्ये तडजोड करून कसे चालेल ? पाहिलं वाक्य समजायला माझा काय घोळ होतोय ? कोणी समजावून सांगितले तर बरं होईल...
पण या प्रकरणाला आश्रय म्हणून गृहित धरुन स्वत: चा नाश करावा लागतो. जेव्हा आपली वैयक्तिक शक्ती शिल्लक असते, जगात दु: ख किंवा इतर कोणी नसते. दैवी वर्तन हे आश्रयस्थान आहे आणि शुद्ध निर्धार आहे. अनंत बलयुत चिधान निर्मल, शरण भूत हे त्याचे चिन्मय आहेत. 87
I could not stop listening. It is amazing. Wors and singing both are great. There may be a small singing error in Gatha 7 line 2 Not a big deal. Dhanyavad
Bahut sunder atm bodh shatak and Prabhu bhakti shatak hai. I USE TO LISTEN DAILY REGULARLY.
Very very goo d
Bahut hi sundar lekhan bahut sundar aavaj hai 🙏🙏🙏👌👍❤️
माताजी पुर्णमती जी की अति सुंदर रचना जो हमारे मन को सहज ही स्थिर कर आत्म जाग्रति की ओर प्रेरित करती है। पुज्य माताजी को वंदन ; Sukhmall jee aapka bahut bahut abhinandan aur saadhuwaad !!
जय जिनेन्द्र
़
ऐसा लगता है इस युग में मानतुंग मुनि के सम वंदनीय माताजी पुनः अंतर्मन से प्रभु भक्ति कर रहीं हैं
शत शत वंदामि माताजी
वन्दामि माता जी बहुत सुन्दर आत्म बोध,
Super words, super voice namostu mataji
जितनी बार सुनता हूं उतनी उतनी बार नई नई अनुभूति ही होती है
(Nairobi)🙏JaiJinendra 🙏Aap ka khub khub Aabhar/ Dhanyavad 🙏👌👌👍
बहुत बहुत मधुर आवाज में माता जी ने मन को मचला दिया ।कभी न खत्म हो पाठ बस चलता ही रहे ----- End less
अध्यात्मिक भावनाओं से भरी हुई बहुत ही सुंदर गाथाएं हैं माता जी की मधुर आवाज से इस आत्मबोध शतक मे चार चाँद लग गए
11
@@shashichaudhary7832 good
Ise
To devote time in bhakti
अमूल्य निधी पाकर पुण्य कर्मों से धन्य आनंदित हुया।धन्यवाद।
माता जी को मेरा बार बार वंदन बहुत सुंदर रचना दिन में एक बार जरुर सुनती हु शतक को सुनने के बाद दुख दुख नही लगता है दुख सुखतो मेरे से भिन्न है अत्यन्ताभाव है
प्रतिदिन चिंतन करने योग्य मनन करने योग्य बंदा मी माता
Jai Jinendra Pune Aatmbodh shatak nam ki pratiti denewala aatmbodha karanewala ek ek chhand . Bhav gambhir apratim swar apratim arth apratim . prati samay gungunane chintan karne jeevan me anupalan karne layak .Vidyasagarki aisi poornamati mere parinati me pragate yehi bhavna bhate hai. Koti koti naman vandan
Very nice bhajan
jai ho gurudev acharya shri vidhya sagar maharaj
charno me koti koti naman
By by BBB by
माताजी के चरणो मे वनदामी साछात सरस्सवती मां निकटतम मोक्षगामी। माता जी के दर्शन करने की भा वना है माता जी कहा पर विराजमान है।। माता जी का भक्ति सतक सुनकर आनंद विभोर हो गया
Abhi mata ji gotegav m.p m h
वन्दामी माता जी🙏🙏🙏जिनवानी का अनमोल खजिना मिल गया है
बहुत सुंदर। 😊👌👌👌👌🎶📝 🙏🙏🙏
Jai Jinendra 🙏
बहुत सुन्दर लेखन, बहुत सुंदर आवाज,धन्य धन्य
Very nice
jai ho gurudev acharya shri vidhya sagar maharaj
gurudev namostu namostu namostu
बहुत ही सुंदर रचना ,बहुत ही अच्छी आवाज,वन्दामि माताजी
बहुत ही सुंदर आवाज और हर शब्द में गहरा अर्थ है आत्मा को जागृत करने वाला वैराग्य से भरपूर
माताजी पुर्णमती जी की अति सुंदर रचना जो हमारे मन को सहज ही स्थिर कर आत्म जाग्रति की ओर प्रेरित करती है। पुज्य माताजी को वंदन
बदामीलाल वखारिया
Svanubhutishatak
B
वन्दामि माता जी ये आत्म बोध शतक जो लिखा आपने ये आपकी आत्मा की आवाज़ है ,पर आश्चर्य की बात है कि बिल्कुल यही मेरी आत्मा की भी आवाज़ है बल्कि यूँ कहे कि हर उस भव्य जीव की आवाज़ है जो संसार से उबरना चाहता है लेकिन हमारी आवाज़ को इतने सुसंस्कृत शब्द इतनी मधुर आवाज़ और इतने मीठे सुर मिलेंगे ऐसा नही सोचा था कैसे आभार प्रकट करूँ शब्द नहीं हैं मेरे पास उसकी धनवान तो आप है । आपके लिखे विधान पूजा आदि से ही इतनी भाव विभोर हो जाती हूँ और इसको सुनकर तो ये कहने का मन कर रहा है कि " कहते हैं शब्द विचारों को व्यक्त करते हैं ,किन्तु आपकी विद्वता की प्रशंशा करने को मुझे शब्द ही नहीं मिलते हैं" वन्दामि माताजी🙏🏼🙏🏼🙏🏼 दो बार आपके दर्शन का लाभ हुआ अब तो इच्छा हो रही है कुछ दिन आपके सानिध्य में रहूँ ताकि हमारा वैराग्य और भी प्रबल हो🙏🏼🙏🏼🙏🏼 मैन तो रोज ध्यान का विषय ही इस आत्मबोध शतक को बना लिया है इसके द्वारा बहुत अच्छा ध्यान होता है🙏🏼🙏🏼
नमोस्तु गुरूजी
वन्दामि माताजी
वन्दामी वन्दामी वन्दामी माताजी 🙏🙏🙏डूंगरपुर से महेश जैन त्रि काल त्रिविध वन्दामी निवेदन करता है 🙏🙏🙏
वन्दामी माताजी आपका यह आत्म बोध शतक सुनने के बाद हमेशा एसा प्रतीत होता है कि सम्पूर्ण जिनागम का निचोड़ हम अग्यानी जीवो के समक्ष रख दिया है । वन्दामी माताजी ।वन्दामी माताजी ।वन्दामी माताजी ।🙏🙏🙏
Very nice thought.sunkar man vairagya se bhar gaya.ek ek baat sahi he.
Excellent Creative and motivation for Jain Bhakti,I Oblige you and Three times Vandana Mataji🙏🙏🙏
v v beautiful
soothing
baar baar sunane ka Mann karta h
रासोई
Bahut sundar rachana hai
माताजी के चरणों में सादर वन्दामि।
Is atmabodh shatak ko upload karne vale mHanubhav ko bahut bahut dhanyavad
आत्मबोध शतक याने जिनवाणी का सार।👏
वन्दनामि माताजी🙏
no one can beat the voice and words used in this satak... I am glad and fortune to hear this... This has really created a sense of forsaking things... MataJi is just...Wow...
L
गुरु भक्ति शतक सुनने के लिये भी बहुत भावना है
Mata ji ka bahut bahut bandaron Jay Jinendra Jay Shri Krishna
🙏🙏🙏वंदामी माताजी 🙏🙏🙏 सुरेश पहाडे परिवार पनवेल & नाशिक
V nice, vandami mata ji
Jivan ko parivartit karne wala satak
Vandami Mata Ji
🙏🙏🙏🙏🙏
vandami Mamaji.. bhagyawaan hun jo itne sundar Bhav aapke mukhavindh se sunne mille
बहुत सुन्दर रचना वदांमी माताजी
Tino yogo se mera Acharya shree v Aryika shree ko baram bar naman
prachi jain v
Vandami mataji 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👍👍👍👍👍👍
Bhot mast 👍👍👍👍👏👏👏👏
Jinvani ka saar.. I am fortunate i had hear the satak...amazing voice...
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Mataji bar bar bandan madhur 2swar bhav anupam gira anyan nyan bin vani tulsi das ne mataji sahi hi likha hai bandan bandan abhinandan
khub khub anumodana.sunder bhav sunte hay tab ate hay.mathenvandami
acharya shree vidhya sagar maharaj ke charno me koti koti naman
jai ho gurudev namostu namostu namostu
Man ko shant ker Raha hai 🌺
amazing... words as well as voice too .... meaningful..... 👏👏👏👌👌👌....
⁰
Excellent
Bhaut sunder
No of times I have listen this but abhi tak bhi trapti nahi hui. isliye baar baar sunta hu.
vandami Mataji
वंदामी माताजी 🙏🙏🙏🙏
Mataji ko vandami
0
भाव पूर्वक कोटिशः वंदन
Namo jinanam 🙏🙏🙏
Veey beautiful voice vandami mataji
Jai Jindra
Vandami mataji🙏🙏
Very nice
Vandami mata ji
Sweet voice thanks for the audio
These is so amazing
माताजीकेचरणोबंधामीबंधामी
vandami mataji
Bandami mataji
Mother India ke gane sunna hai Mother India gana sunao
Jai Parashwanath prabhu
Manglashtak
MAHAVIR GANDHI
Mathey vandami bavji
वंदामी माताजी
जयजिनेद्र शुध्दोहम्.
यह सब कुछ परंपरासे हैं ही. सब कुछ करते हुऐ शुभ पुण्यकर्म कम अशुभ परिणाम से हीं कर्म होते हैं.
शुभ अशुभ परिणाम से जन्म मरनके चक्कर में हैं तत्वौको अपनाने की असलियत हो तो भेद ज्ञान सर्वगत है ना. ज्ञान सम्यक हैं संस्कार कीं धर्मध्यान कीं पहचान होणेसे अनंत काल का अंधेरा उजाले में बदल गया है. स्वभाव में स्व भाव की असलियत कोई कहते हैं.? जैनभूगोल की जाणकारी भी नही पता. धर्मध्यान के सिंचन से हीं आनंद हैं. जरूरी हैं संस्कार कीं धर्मध्यान कीं.
स्व भाव की असलियत हो तो सब कुछ सुलभ हैं.
Aho Bhagya
jai jinendra
आर्यिका पूर्णमती मताजींचं 'आत्मबोध शतक' मला खूप आवडते. अतिशय अर्थपूर्ण आहे.
त्या मधल्या 87व्या कडव्यातल्या खालच्या 3 ओळींचा अर्थ समजला. पण पहिल्या ओळीच्या अर्थाबद्दल संभ्रम वाटतो. कोणत्याही 'पर पदार्थांला' कसं काय शरण मानायचं ? 'पर' सगळं शरण जाण्याला अयोग्य आहे आणि केवळ निजातम्यालाच शरण जायला, त्याचा अवलंब करायला पाहिजे ना ?
अशरण भावना ही बारा भावनांमधली एक मुख्य भावना आहे. त्यात सर्व पर-पदार्थ शरण जाण्यास कसे अयोग्य आहेत ते सांगितले आहे. पण त्या पहिल्या ओळीत 'करना है' असं लिहिलंय, म्हणजे 'करायचं आहे', ते जरा मनाला खटकतंय.
इथं एकदम उलटं लिहिण्याचं काय प्रयोजन ?
मी बऱ्याच जणांना विचारलं....
कोणी म्हणलं हे असदभूत व्यवहार नयाचं कथन आहे. पण पुढचं-मागचं सर्व कथन अगदी निश्चय नायाचं असताना मधेच हे असं का ?
कोणी म्हणलं की टायपिंग मधली चूक असेल, पण ऑडिओ मध्ये पण तसंच आहे.
कोणी म्हणलं की पद्य लिखानाच्या नियमांमध्ये बसवण्यासाठी आणि त्याची गेयता टिकवण्यासाठी असे करावे लागत असते. पण पद्य लिहिण्याचे नियम पाळण्यासाठी तत्वर्थामध्ये तडजोड करून कसे चालेल ?
पाहिलं वाक्य समजायला माझा काय घोळ होतोय ? कोणी समजावून सांगितले तर बरं होईल...
पण या प्रकरणाला आश्रय म्हणून गृहित धरुन स्वत: चा नाश करावा लागतो.
जेव्हा आपली वैयक्तिक शक्ती शिल्लक असते, जगात दु: ख किंवा इतर कोणी नसते.
दैवी वर्तन हे आश्रयस्थान आहे आणि शुद्ध निर्धार आहे.
अनंत बलयुत चिधान निर्मल, शरण भूत हे त्याचे चिन्मय आहेत. 87
Bahut sunder
Free
SiKumaal ji thx
I could not stop listening. It is amazing. Wors and singing both are great. There may be a small singing error in Gatha 7 line 2 Not a big deal. Dhanyavad
Jain Center of Southern California has 8/
Jain Center
🙏💐🌄🌻
Adbuot
🙏🙏🙏🙏
🙏🏾🙏🏾
Wow
@@padmashreelagare7470 🙏🙏🙏
bohut acchi ha
Vandami mataji atma Buddh sunane ka man bar bar karta hey
Bandami mataji
Melodious voice
Adhyatm se srabor
Karane mata g
Bahot touching manan chitan karne yogue
Aatam bodh ka pdf bhi mil jayega bhaiya kabhi padne ke liye
i like it
Can Sourabh Jain
Nano namha !!!
Bhaiyyaji, iski PDF mil sakti hain kya? Hum kandast karna chhate hain.......JJ
excellent Rachana, how can I get MP4 download.
वन्दामि माताजी
G
Eaeaea
Hindi Jain sahastranam stort is at y tube of any Santa. please let me know
yeh path kish kitab mein hai .. please text me
ye voice kinki h,,,,,amazing
Where can I get complete lyrics pdf
Please write your email
I also want the lyrics.
My mail is riddhigandhi1912@gmail.com.
Please forward.
Thanks a lot for uploading .
Aatam vibhor hu sabdo me kya kahu sabda oche hai charan vandana
Mata ji ko Mera baram bar namosthu
Nice
Bhakti ki ati sundar rachna madhur swar aawaj bar bar sunne ka man hota hai