Tattvarth Sutra उमास्वामी विरचित
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- Опубликовано: 29 ноя 2017
- Tattvartha Sutra
Book by Umaswami
आचार्य गृद्धपिच्छ अपरनाम उमास्वामी विरचित द्वारा तत्वार्थसूत्र जैन परम्पराक आद्य सुत्र ग्रन्थ है जो दश अध्यायों में विभक्त है
प्रस्तुति आर्यिकारत्न श्री १०५ पूर्णमति माताजी
सूत्र का महत्व व विषय परिचय
यह तत्त्वार्थ सूत्र या मोक्ष शास्त्र कुछ पाठ भेद के साथ दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों आम्नाओं में सर्वमान्य है । दिगम्बर सम्प्रदाय में इसके कर्त्ता आचार्य उमास्वामी और श्वेताम्बर में उमा स्वाति बताये गये हैं ।
हिन्दुओं में गीता का , ईसाइयों में बाईबिल का और मुसलमानों में कुरआन का जो महत्व है । वही महत्व जैन परम्परा में तत्त्वार्थ सूत्र का माना जाता है । अधिकतर इसका प्रतिदिन पाठ करते हैं और कुछ अष्टमी चतुर्दशी को दस लक्षण पर्व में इस पर प्रवचन होते हैं । जो कोई इसका पाठ करता है उसे एक उपवास का फल मिलता है ऐसी इसके सम्बन्ध में ख्याति है लिखा भी है :
संकलन की दृष्टि से ग्रंथराज मोक्षशात्र में सर्वज्ञकथित जैन धर्म के चारों अनुयोगों में से प्रथमानुयोग ( इतिहास History ) के अतिरिक्त शेष तीन अनुयोगों करणानुयोग ( भूगोल , खगोल , गणित Geography , Astronomy , Mathematics ) चरणानुयोग ( चारित्राचार Ethics ) द्रव्यानुयोग ( वस्तुवाद Metaphysics ) का बड़ा ही सुन्दर वर्णन है । वैसे तो “ क्षेत्र - काल - गति - लिंग - तीर्थ - चारित्र प्रत्येक बुद्ध बोधित ज्ञानावगाहनान्तरसंख्याल्प बहुत्वतः साध्या : " 10 वें अध्याय के इस अन्तिम सूत्र द्वारा सूचना रूप प्रथमानुयोग भी आ गया है । इसके 10 अध्यायों में तीनों अनुयोगों का सूत्र रूप में इतना विशद वर्णन करके आचार्य महोदय ने गागर में सागर की कहावत को पूर्ण रूपेण चरितार्थ कर दिखाया है ।
(१) पहले अध्याय में सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान का विवेचन है ।
(२) दूसरे अध्याय में सम्यग्दर्शन के विषयभूत जीव तत्त्व के असाधारण भाव , लक्षण इन्द्रियां , योनि , जन्म तथा शारीरादिक का वर्णन है ।
(३) तीसरे अध्याय में जीव के निवास स्थान - अधोलोक तथा मध्यलोक का वर्णन है ।
(४) चौथे अध्याय में देवों का वर्णन है यानि उध्वलाक का
(५) पाँचवें अध्याय में अजीव तत्व व सत् के लक्षणादि का वर्णन है ।
(६) छठे अध्याय में आस्रव क्या है ? वह आठों कर्मों के आस्रव के कारणभूत भावों वर्णन है।
(७) सातवें अध्याय में शुभास्त्रव श्रावकाचार का स्पष्ट वर्णन है ।
(८) आठवें अध्याय में बन्ध तत्व में प्रकृति , स्थिति , अनुभाग व प्रदेश बंधका वर्णन है ।
(९) नवें अध्याय में संवर एवं निर्जर तत्व का वर्णन है और (१०) दसवें अध्याय में मोक्ष तत्व का संक्षिप्त विवेचन है ।
इस प्रकार ग्रंथ में सम्यग्दर्शन , ज्ञान , चारित्र का तथा सात तत्वों का वर्णन है।तत्त्वार्थ सूत्र जैन साहित्य का आद्य सूत्र ग्रन्थ तो है ही । संस्कृत जैन साहित्य का यह आद्य ग्रन्थ है। यह संकलन इतना सुसम्बद्ध और प्रामाणिक सिद्ध हुआ कि भगवान महावीर की द्वादशांग वाणी की तरह ही यह जैन दर्शन का आधार स्तम्भ का गया
आचार्य उमास्वामी का नाम इस रचना के कारण अजर अमर है ।
तत्त्वार्थ सूत्र पर टीका में:-इस ग्रन्थराज पर अनेक टीका ग्रन्थ रचे गये हैं । समनभद्रस्वामी ने गन्धहस्ति महाभाष्य ( अप्राय ) , पूज्यपाद स्वामी ने सर्वार्थ सिद्धि अकलंक देव ने तत्वार्थ राजवार्तिक विद्यानन्द स्वामी ने तत्वार्थ श्लोक वार्तिकालंकार भास्कर नन्दी ने तत्वार्थ वृत्ति , श्रुतसागराचार्य ने श्रुतसागरी टीका , अमृतचन्द्राचार्य ने देव ने तत्वार्थसार पं सदासुखदास जी ने अर्थ प्रकाशिका आदि महान महान टीकायें रची हैं ।
आ ० उमास्वामी का परिचय : - तत्वार्थसूत्र ग्रन्थ के प्रणेता श्री उमास्वामी है के जीवन - परिचय का कुछ विशेष पता नहीं मिलता । वे कुन्दकुन्दाचार्य के पट्टशिष्य थे । उनकी परमपरा में आपके समान अन्य विद्वान शिष्य मण्डली में नहीं था। अपने १८ वर्ष की अवस्था में मुनि दीक्षा ली । २५ वर्ष बाद आचार्य पद का लाभ मिला । ४० वर्ष ८ दिन आचार्य पद पर रहे । कुल आयु आपकी ८५ वर्ष की थी । आप संमतभद्र से पूर्व शताब्दी के विद्वान थे।
से पूर्व प्रथम शताब्दी के विद्वान थे ।
आचार्य गृद्धपिच्छ अपरनाम उमास्वामी विरचित द्वारा तत्वार्थसूत्र जैन परम्पराक आद्य सुत्र ग्रन्थ है जो दश अध्यायों में विभक्त है
प्रस्तुति आर्यिकारत्न श्री १०५ पूर्णमति माताजी
Tattvartha Sutra is an ancient Jain text written by Acharya Umaswami, sometime between the 2nd- and 5th-century AD. It is the one of the Jain scripture written in the Sanskrit language.
Author: Umaswati
Chapters: 10
Language: Sanskrit
Period: 2nd to 5th century
Sutras: 350
वंदामी माताजी ,बहोत मधुर आवाज 👏👏👏
वंदामि माताजी 🙏बहुत मधुर आवाज
वन्दामि माताजी
Vandanami mataji aapki aawaj me to. veena ki jhankar hai mataji Konsa punya karane se itni sureli aawaj milti Hai . Vandanami mataji
चचमेचमचमेचम एचमेचमेचमेचम
Vandami mataji
वंदामि माताजी.
Vandami mataji
Vandami mataji
Vandami mataji
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Namostu namostu namostu Achaarya shree Uma Shwami. Ji Achaarya shree Ko Sat sat Naman
जय.हो...माता..जी..जय..हो. शत शत शत नमन.
Vandami vandami vandami mataji
Umaswami maharajji ki jay jay jay🙏🙏🙏
Vandami Mataji Vandami 🙏🏽🙏🏽🙏🏽
Vandami mata ji
Ati Sundar bahut aachi aavaj 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Vandami mataji🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Namostu namostu namostu