श्रीरुद्र संहिता | प्रथम खण्ड | शिव पुराण (अध्याय 11-15) #09

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  • Опубликовано: 15 окт 2024
  • जो मनुष्य भक्तिपूर्वक प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करता है, उसे सब सिद्धियां प्राप्त होती हैं। उसे मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। उसके सभी रोग, दुख, दर्द और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। भगवान शिव की कृपा से उपासक का कल्याण होता है। भगवान शंकर की पूजा से मनुष्य में सद्गुणों की वृद्धि होती है ।
    भगवान शिव शंकर ही सब दुखों को दूर करने वाले हैं। सुख की कामना करने वाले मनुष्य को उनकी भक्ति में सदैव लगे रहना चाहिए। उन्हीं में मन लगाए और उन्हीं का चिंतन करे । जो मनुष्य शिव भक्ति में लीन रहता है, जिसके मन में वे विराजमान हैं, वह मनुष्य कभी दुखी नहीं हो सकता। पूर्व जन्म में किए गए पुण्यों एवं शिवभक्ति से ही पुरुषों को सुंदर भवन, आभूषणों से विभूषित स्त्रियां, मन का संतोष, धन-संपदा, स्वस्थ शरीर, पुत्र-पौत्र, अलौकिक प्रतिष्ठा, स्वर्ग के सुख एवं मोक्ष प्राप्त होता है।
    मृत्युंजय मंत्र के पांच लाख जाप पूरे होने पर महादेव के स्वरूप के दर्शन हो जाते हैं। एक लाख जाप से शरीर की शुद्धि होती है। दूसरे लाख के जाप से पहले जन्म की बातें याद आ जाती हैं। तीसरे लाख जाप के पूर्ण होने पर इच्छा की गई सभी वस्तुओं की प्राप्ति हो जाती है। चौथे लाख जाप पूर्ण होने पर भगवान शिव सपनों में दर्शन देते हैं। पांचवां लाख जाप पूरा होने पर वे प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं। मृत्युंजय मंत्र के दस लाख जाप करने से संपूर्ण फलों की सिद्धि होती है। मोक्ष की कामना करने वाले मनुष्य को एक लाख दर्भों से शिव पूजन करना चाहिए। आयु वृद्धि की इच्छा करने वाले मनुष्य को एक लाख दुर्वाओं द्वारा पूजन करना चाहिए । पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले मनुष्य को एक लाख धतूरे के फूलों से पूजा करनी चाहिए। पूजन में लाल डंठल वाले धतूरे को शुभदायक माना जाता है। यश प्राप्ति के लिए एक लाख अगस्त्य के फूलों से पूजा करनी चाहिए। तुलसीदल द्वारा शिवजी की पूजा करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अड़हुल के एक लाख फूलों से पूजा करने पर शत्रुओं की मृत्यु होती है। एक लाख करवीर के फूलों से शिव पूजन करने पर समस्त रोगों का नाश हो जाता है। दुपहरिया के फूलों के पूजन से आभूषण तथा चमेली के फूलों से पूजन करने से वाहन की प्राप्ति होती है। अलसी के फूलों से शिव पूजन करने से विष्णुजी भी प्रसन्न होते हैं। बेलों के फूलों से अर्घ्य देने पर अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति होती है। जूही के फूलों से पूजन करने पर घर में धन-संपदा का वास होता है तथा अन्न के भंडार भर जाते हैं। कनेर के फूलों से पूजा करने पर वस्त्रों की प्राप्ति होती है। सेदुआरि और शेफालिका के फूलों से पूजन करने पर मन निर्मल हो जाता है। हारसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-संपत्ति की वृद्धि होती है। राई के एक लाख फूलों से पूजन करने पर शत्रु मृत्यु को प्राप्त होते हैं। चंपा और केवड़े के फूलों से शिव पूजन नहीं करना चाहिए।
    (अध्याय 6-10) link
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