जय गीता -भागवत गुरु जी 🙇🌹 भक्त प्रह्लाद कहते हैं मनुष्य को आठ वर्ष की आयु से ही भगवान की भक्ति में लग जाना चाहिए क्योंकि मनुष्य जीवन भगवान की कृपा से मिलता है देवता भी मनुष्य जीवन के लिए तरसते हैं 🙏🌹🙏🌹
जय श्री गीता भागवत गुरु जी 🙏अंश की आवश्यकता अंशी होता है जीवात्मा अंश है किंतु जीवात्मा कृष्ण को नहीं चाहता वह सिर्फ आनंद को चाहता है जीव आनंद को जगत में ढूंढता है जबकि असली आनंद तो जगन्नाथ जी में है आनंद कहां मिलेगा। यह तो भागवत शास्त्र ही बताएंगे। तो वैदिक शास्त्र यह है बताते हैं कि असली आनंद तो परम ब्रह्म, पूर्ण ब्रह्म श्री कृष्ण ही है जब जीव यह समझ जाएगा कि आनंद की प्राप्ति श्री कृष्ण की प्राप्ति में ही निहित है तो वह जान जाएगा की आत्मा की आवश्यकता श्री कृष्णा ही है।🙏🙏
सभी मनुष्यों को कुमार अवस्था से ही भगवान की भक्ति में लग जाना चाहिए, यद्यपि यह मनुष्य शरीर भी नाशवान है लेकिन यह परमार्थ की प्राप्ति कर सकने का एकमात्र साधन है।
स्थूल शरीर 84 लाख योनिओं में मिलता है सबसे श्रेष्ट मनुष्य शरीर है और भारत भूमि पर अधिक श्रेष्ट है मनुष्य ही भक्ति से श्री कृष्ण प्रेम प्राप्त कर सकता है तभी देवता भी इस योनि के लिए तरसते हैं ।❤
मानव शरीर है तों अन्य योनियों की तरह नश्वर ही किंतु यह मानव शरीर परमार्थ वस्तु कृष्ण प्रेम को मुक्ति या मोक्ष को दिलाने वाला है इसलिए सभी मानव को कुमार अवस्था भक्ति में लग जाना चाहिए।
जय गीता भागवत गुरु जी चरणों में प्रणाम 🙏🌺🌺 जब अपनी आत्मा को भूलकर शरीर को आत्मा मान बैठे इस स्थिति का नाम अहंकार है और यदि हम आत्मा को ही मैं समझे इस स्थिति का नाम आत्म ज्ञान हैlऔर जब आत्मा को छोड़कर आत्मा को भूल कर शरीर को मै समझे तो इस स्थिति का नाम इसका नाम अहंकार है वास्तव में अज्ञान है और ज्ञान क्या है अपनी आत्मा को मै समझना ही ज्ञान है 🙏🙏
जिस व्यक्ति ने मानव जीवन प्राप्त कर के भगवान की भक्ति नहीं करी उसे 80 लाख योनियों में दोबारा चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे कपिल भगवान ने माता देवहूति को बताया है।
प्रत्येक मनुष्य को कौमार अवस्था से ही यानि आठ वर्ष की आयु में ही भक्ति में लग जाना चाहिए क्योंकि ये मनुष्य का जन्म प्राप्त करना अत्यंत कठिन है सुदुर्लभ है देवता भी मनुष्य शरीर पाने के लिए लालायित रहते हैं ।
पुण्यों के फलस्वरूप कभी भी आत्मा का कल्याण संभव नहीं। पुण्यों से केवल सुखों की प्राप्ति संभव है। सुख एवं दुख तो केवल बंधन के कारण होते है। प्रत्येक आत्मा की आवश्यकता स्थाई आनंद की प्राप्ति है, बंधनयुक्त आत्मा को कभी यह स्थाई आनंद प्राप्त नहीं हो सकता। उसके लिए परमात्मा के निकट पहुंचना आवश्यक है, जो केवल सूक्ष्म शरीर के नष्ट हो जाने पर ही संभव है, जो केवल आध्यात्मिक पथ पर चलने से संभव है। अतः अपने कल्याण के लिए सभी को आध्यात्मिक पथ पर चलना चाहिए अर्थात भगवान की भक्ति करनी चाहिए।
आत्मा सूक्ष्म शरीर रूपी पिंजरे में रहती है❤
जय गीता भागवत गुरु जी 🙏 चरणों में प्रणाम 🎉🎉🎉🎉🎉
आत्मा की आवश्यकता है श्री कृष्ण 🎉🎉🎉🎉🎉
जय गीता भागवत गुरु जी आप के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम गुरु जी🙏🙏 🌹🌹🌺🌺🌷🌷💐💐🌸🌸🙇♀️🙇♀️🙌🦚🦚👣🙇♀️🙇♀️🌻🌻🌼🌼
जय गीता भागवतजी 🙏🙏🌹🌹🙏🙏🙏🙏
भक्ति मार्ग पर चल कर सूक्ष्म शरीर रूपी पिंजरे से निकल सकते हैं❤
🌻🌻जय गीता भागवत गुरु जी आपके श्री 🌷🌷👣🌺🌺चरणों में दंडवत प्रणाम 💐💐🙇🙏🌹🌹
जय गीता भागवत गुरु जी चरणों में कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏🙏
Jaise jibh Apne sharir ko poshit karne ke liye anaaj khata hai vaise hi atma ko poshit karne ke liye Shri Krishna ka bhajan aur bhakti jaruri hai 🙏🙏
Hari bol🙏🙏
जय गीता -भागवत गुरु जी 🙇🌹
भक्त प्रह्लाद कहते हैं मनुष्य को आठ वर्ष की आयु से ही भगवान की भक्ति में लग जाना चाहिए क्योंकि मनुष्य जीवन भगवान की कृपा से मिलता है देवता भी मनुष्य जीवन के लिए तरसते हैं
🙏🌹🙏🌹
अपनी आत्मा को मै समझना ही ज्ञान है शरीर को मै समझना अज्ञान है 🙏🌹🙏🌹
हमारी आत्मा श्री कृष्ण का ही अंश है श्री कृष्ण अंशी हैं जीव तटस्थता शक्ति का अंश है श्री कृष्ण आंनद कंद हैं 🙇🌷🙇🌷
जैसे जीव आत्मा चेतन है वैसे ही परमात्मा भी चेतन हैं परमात्मा सभी जीव आत्माओं का भरण पोषण करते हैं 🙇🙇🌷🌷
Ham apni aatma ko bhule ha our sharir ko me mante ha ye agyanta ha 🙏🌹🌿
बड़े भाग मानुष तन पावा
सुदुर्लभ सब ग्रंथन गावा
राम सिया राम, सिया राम, जय जय राम
जय गीता भगवत गुरुजी चरणों में कोटि कोटि प्र🙏🙏🙏💐🌷🌹🙇🙇🙇🙇🙏🙏🙏णाम गुरुजी,
स्थूल और सूक्ष्म शरीर आत्मा के वस्त्र हैं
मैं आत्मा हूँ। ये शरीर मेरा है ।। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
अपनी आत्मा को मैं समझना ही ज्ञान है 🙏🙏
Hare Krishna guru ji apke charno m koti koti pranam 🙏🙏🙏🙏
जय गीता -भागवत, हम आत्मा है और हमारी जरूरत भगवान श्री कृष्ण की प्राप्ति ही है जो केवल आनंद कंद है।
हमारी आत्मा की आवश्यकता है कृष्ण। क्योंकि हमारी आत्मा को क्या चाहिए ,आनंद। तो कृष्ण ही वह आनंदकंद भगवान है।
आत्मा की आवश्यकता है आनन्द और श्री कृष्ण हैं आनंद कन्द तो आत्मा की आवश्यकता है श्री कृष्ण
जय श्री गीता भागवत गुरु जी 🙏अंश की आवश्यकता अंशी होता है जीवात्मा अंश है किंतु जीवात्मा कृष्ण को नहीं चाहता वह सिर्फ आनंद को चाहता है जीव आनंद को जगत में ढूंढता है जबकि असली आनंद तो जगन्नाथ जी में है आनंद कहां मिलेगा। यह तो भागवत शास्त्र ही बताएंगे। तो वैदिक शास्त्र यह है बताते हैं कि असली आनंद तो परम ब्रह्म, पूर्ण ब्रह्म श्री कृष्ण ही है जब जीव यह समझ जाएगा कि आनंद की प्राप्ति श्री कृष्ण की प्राप्ति में ही निहित है तो वह जान जाएगा की आत्मा की आवश्यकता श्री कृष्णा ही है।🙏🙏
जीव आत्मा है अंश श्री कृष्ण है अंशी इसलिए अंश की आवश्यकता अंशी है
हम सब की आत्मा की आवश्यकता श्री कृष्ण है
आत्मा की आवश्यकता श्री कृष्ण हैं
बडे भाग मानुष तन पावा ।
सु दुर्लभ सब ग्रन्थन गावा ।।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
अपनी आत्मा को मैं समझना ही ज्ञान है और शरीर को मैं समझना अज्ञान है। तो आत्मा मैं वाचक है।
जब से जगत है तबसे हमारा सूक्ष्म शरीर है
एक है आत्म वस्तु एक अनात्म वस्तु।शरीर है अनात्म वस्तु हरि बोल ❤
सभी मनुष्यों को कुमार अवस्था से ही भगवान की भक्ति में लग जाना चाहिए, यद्यपि यह मनुष्य शरीर भी नाशवान है लेकिन यह परमार्थ की प्राप्ति कर सकने का एकमात्र साधन है।
स्थूल शरीर 84 लाख योनिओं में मिलता है सबसे श्रेष्ट मनुष्य शरीर है और भारत भूमि पर अधिक श्रेष्ट है मनुष्य ही भक्ति से श्री कृष्ण प्रेम प्राप्त कर सकता है तभी देवता भी इस योनि के लिए तरसते हैं ।❤
आत्मा की आवश्यकता ,श्री कृष्ण है
जय गीता भागवत गुरु जी श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏💐💐🙇🙇🎉🎉
जय गीता भागवत गुरु जी🙏 चरणों में दण्डवत प्रणाम जी🙏🙇♀️
आत्मा काअर्थ अपने आप से स्वयं से होता है।
आत्मा को मैं समझना ज्ञान है शरीर को मैं समझना अज्ञान है
मानव शरीर है तों अन्य योनियों की तरह नश्वर ही किंतु यह मानव शरीर परमार्थ वस्तु कृष्ण प्रेम को मुक्ति या मोक्ष को दिलाने वाला है इसलिए सभी मानव को कुमार अवस्था भक्ति में लग जाना चाहिए।
Hare krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare hare ram hare ram ram ram hare hare 🙏🙏🙏🙏🙏
भक्ति मार्ग से सूक्ष्म शरीर का नाश होता हैं और आत्मा परमात्मा के निकट पहुँच कर आनंद प्राप्त करेगी
Jagat anadi hal
Hari bol 🙌🏻🙌🏻
Hamari aatma shri krishan ka ansh h
मैं आत्मा हूँ यह ज्ञान है मैशरीर हु यह अज्ञान है
जय गीता भागवत गुरु जी चरणों में प्रणाम 🙏🌺🌺
जब अपनी आत्मा को भूलकर शरीर को आत्मा मान बैठे इस स्थिति का नाम अहंकार है और यदि हम आत्मा को ही मैं समझे इस स्थिति का नाम आत्म ज्ञान हैlऔर जब आत्मा को छोड़कर आत्मा को भूल कर शरीर को मै समझे तो इस स्थिति का नाम इसका नाम अहंकार है वास्तव में अज्ञान है और ज्ञान क्या है अपनी आत्मा को मै समझना ही ज्ञान है 🙏🙏
Jai geeta - bhagwat guru ji🌹🙏
आत्मा का कल्याण भक्ति के मार्ग से है
जिस व्यक्ति ने मानव जीवन प्राप्त कर के भगवान की भक्ति नहीं करी उसे 80 लाख योनियों में दोबारा चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे कपिल भगवान ने माता देवहूति को बताया है।
श्रीमद् भागवत गीता की जय 👏🙇💐🌹🪷🙏🙏🙏
बड़े भाग मानुष तन पावा 🙏
Hari Bol
ये मनुष्य जन्म ही परमार्थ तत्व की प्राप्ति कराने वाला है , भगवद् प्रेम , परमधाम की प्राप्ति करवाने वाला है ।
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
मन, बुद्धि, चित, अहंकार,इन चारों को अतः करण चार इंद्रिय कहते है
आत्मा मैं है शरीर मेरा है
स्थूल शरीर अनात्म वस्तु है
आनंद आत्मा का विषय है स्थूल शरीर का विषय नहीं।
बड़े भाग मानुष तन पावा
सुदुर्लभ सब संतन गावा
प्रत्येक मनुष्य को कौमार अवस्था से ही यानि आठ वर्ष की आयु में ही भक्ति में लग जाना चाहिए क्योंकि ये मनुष्य का जन्म प्राप्त करना अत्यंत कठिन है सुदुर्लभ है देवता भी मनुष्य शरीर पाने के लिए लालायित रहते हैं ।
सृष्टि अनादि काल से है ।जब से जगत है ,तभी से हमारा सूक्ष्म शरीर है और स्थूल शरीर मृत्यु के बाद नष्ट हो जाता है और फिर नया शरीर प्राप्त हो जाता है।
Aatma ka dusra naam jeev hai
बड़े भाग माणुस तन पावा
पुण्यों के फलस्वरूप कभी भी आत्मा का कल्याण संभव नहीं। पुण्यों से केवल सुखों की प्राप्ति संभव है। सुख एवं दुख तो केवल बंधन के कारण होते है।
प्रत्येक आत्मा की आवश्यकता स्थाई आनंद की प्राप्ति है, बंधनयुक्त आत्मा को कभी यह स्थाई आनंद प्राप्त नहीं हो सकता। उसके लिए परमात्मा के निकट पहुंचना आवश्यक है, जो केवल सूक्ष्म शरीर के नष्ट हो जाने पर ही संभव है, जो केवल आध्यात्मिक पथ पर चलने से संभव है।
अतः अपने कल्याण के लिए सभी को आध्यात्मिक पथ पर चलना चाहिए अर्थात भगवान की भक्ति करनी चाहिए।
Jai Geeta bhagwat guru ji ❤❤❤❤
Jai Geeta bhagwat guru ji 🙏🙏
Hari bol