Bhavnagar Tourist Places | નિષ્કલંક મહાદેવ | સમુદ્ર | કોળિયાક | ભાવનગર | Koliyak Nishkalank Mahadev

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 18 сен 2024
  • Koliyak Nishkalank Mahadev|
    પાંડવો દ્વારા સ્થાપિત સમુદ્ર વચ્ચે |
    કોળિયાક | નિષ્કલંક મહાદેવ |
    ભાવનગર
    We visited Koliyak village near Bhavnagar. It is about 30 kms from Bhavnagar. Bhavnagar is close to the bay of khambhat. The sea water touches Bhavnagar district in some places. One of these places is Koliyak. There is a temple situated in the sea from the koliyak beach. The Shiv temple is known to be established by the Pandavas. There are five shiv lings on the temple. People walk about 3 kms from the shore to reach the temple. During the tides people can not go to the temple and the temple is almost under water during this period. Once the water recedes people can go to the temple by walking. Many pilgrims from across the state and from other states visit this temple during the year. There is a mela festival during bhadarvo month. The royal family raise the holy flag on the stambh of the temple during this mela every year. This place is very holy and people do spend enough time to pray at the temple. One must visit this place if one is near Bhavnagar.
    गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से तीन किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है निष्कलंक महादेव। यहां पर अरब सागर की लहरें रोज शिवलिंगों का जलाभिषेक करती हैं। लोग पानी में पैदल चलकर ही इस मंदिर में दर्शन करने जाते है। इसके लिए उन्हें ज्वार के उतरने का इंतजार करना पड़ता है। भारी ज्वार के वक्त केवल मंदिर की पताका और खंभा ही नजर आता है। जिसे देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता की पानी की नीचे समुंद्र में महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित हैं। यहां पर शिवजी के पांच स्वयंभू शिवलिंग हैं।इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों को मारकर युद्ध जीता। लेकिन युद्ध समाप्ति के पश्चात पांडव यह जानकार बड़े दूखी हूए कि उन्हें अपने ही सगे-संबंधियों की हत्या का पाप लगा है। इस पाप से छुटकारा पाने के लिए पांडव, भगवान श्री कृष्ण से मिले। पाप से मुक्ति के लिए श्री कृष्ण ने पांण्डवों को एक काला ध्वज ओर एक काली गाय सौंपी और पांडवों को गाय का अनुसरण करने को कहा तथा बताया कि जब ध्वजा और गाय दोनों का रंग काले से सफेद हो जाए तो समझ लेना की तुम्हें पाप से मुक्ति मिल गई है। साथ ही श्रीकृष्ण ने उनसे यह भी कहा कि जिस जगह ऐसा हो वहां पर तुम सब भगवन शिव की तपस्या भी करना।पांचों भाई भगवान श्री कृष्ण के कथनानुसार काली ध्वजा हाथ में लिए काली गाय का अनुसरण करने लगे। इस क्रम में वो सब कई दिनों तक अलग-अलग जगह गए लेकिन गाय और ध्वजा का रंग नहीं बदला। लेकिन जब वो वर्तमान गुजरात में स्थित कोलियाक तट पार पहुंचे तो गाय और ध्वजा का रंग सफेद हो गया। इससे पांचों पांडव भाई बहुत खुश हुए और वही पर भगवान शिव का ध्यान करते हुए तपस्या करने लगे।भगवान भोले नाथ ने उनकी तपस्या से खुशए होकर पांचों भाइयों को लिंग रूप में अलग-अलग दर्शन दिए। वह पांचों शिवलिंग अभी भी वहीं स्थित हैं। पांचों शिवलिंग के सामने नंदी की प्रतीमा भी हैं। चूंकि यहां पर आकर पांडवों को अपने भाइयों के कलंक से मुक्ति मिली थी इसलिए इसे निष्कलंक महादेव कहते हैं। भादवे महीने की अमावस को यहां पर मेला भरता है जिसे भाद्रवीकहा जातासालाना प्रमुख मेला ‘भाद्रवी’ भावनगर के महाराजा के वंशजो के द्वारा मंदिर कि पताका फहराने से शुरू होता है और फिर यही पताका मंदिर पर अगले एक साल तक फहराती है और यह भी एक आश्चर्य की बात है की साल भर एक ही पताका लगे रहने के बावजूद कभी भी इस पताका को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।
    #bhavnagar
    #bhavnagarsightseeing
    #koliyak
    #koliyakbeach
    #nishkalank
    #nishkalankmahadev
    Pravin
    Lets Travel | Pravin vlogs
    Thank you for watching.

Комментарии • 14