मैं हो समाज का हर वीडियो देखता हु मैंने एक बात गौर किया कि ज्यादातर अपने बातों को हिंदी में ही रखते है ऐसा क्यों हो भाषा में भी तो अपनी बातों को रख सकते है
जोहार। जिस समाज का अपना भाषा ,लिपि, धर्म दस्तूर, रीति रिवाज ना हो और जो समाज अपना भाषा, लिपि, धर्म दस्तूर, रीति रिवाज को छोड़ चुका है उसे समाज का विकास कभी नहीं हो सकता। इसलिए कहा जाता है पढ़ो हिंदी इंग्लिश लेकिन अपने भाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए और बोलने से भी नहीं हिचकिचाना चाहिए। जिस समाज में अनुशासन और संयम न हो उस समाज का कभी विकास नहीं हो सकता। पढ़ना तो हिंदी इंग्लिश जरूर है लेकिन अपने हो लिपि वारङ चिति लिपि को पढ़ना लिखना बहुत जरूरी है। उससे भी जरूरी चीज है जब अपना हो इवेंट, प्रोग्राम हो तो हो भाषा में ही कोशिश करें कि संवाद ,संबोधन और आयोजन किया जाए। आज जो देश सबसे शिखर पर है जैसे अमेरिका चीन जापान रूस फ्रांस जर्मनी। यह देश इंग्लिश अंग्रेजी के बलबूते पर आज इतनी ऊंचाई पर नहीं है और ना ही दुनिया पर अंग्रेजी के बलबूते पर डंका बज रहे हैं। इन देशों का अपना लिपि है उस लिपि के माध्यम से ही आज इतना आगे बढ़े हैं। ऐसा नहीं है कि इनको इतना जल्दी कामयाबी मिला है इसके लिए उनको अपने भाषा पर निरंतर शोध और गहन अध्ययन के साथ साथ बच्चों और नागरिकों को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित और प्रचार के साथ शिक्षित किया गया। यदि हम भी इसी तरह अपने लिपि वारंङ चिति पर निरंतर शोध और व्यापक प्रचार के माध्यम से प्रोत्साहित और प्रचार किया जाए तो हम भी आज भले ही अंग्रेजी माध्यम के बच्चों से हमारे बच्चे 100 साल पीछे रह जाए लेकिन एक दिन ऐसा समय आएगा जब हमारे बच्चे उनसे अधिक भौतिक विकास के मामले में आगे होंगे। वक्त दो तो वक्त हमें देगा। जोहार।
जोहार हो से बोलो
JOHAR. Partiek panchayat ke munda /manki. Office ya Liberary me SAMVIDHAN. Pustak. Rakha Jay. Aur. Sabhi. ADIVASI Pustak ko dekhen. Samje.
मैं हो समाज का हर वीडियो देखता हु मैंने एक बात गौर किया कि ज्यादातर अपने बातों को हिंदी में ही रखते है ऐसा क्यों हो भाषा में भी तो अपनी बातों को रख सकते है
जोहार।
जिस समाज का अपना भाषा ,लिपि, धर्म दस्तूर, रीति रिवाज ना हो और जो समाज अपना भाषा, लिपि, धर्म दस्तूर, रीति रिवाज को छोड़ चुका है उसे समाज का विकास कभी नहीं हो सकता।
इसलिए कहा जाता है पढ़ो हिंदी इंग्लिश लेकिन अपने भाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए और बोलने से भी नहीं हिचकिचाना चाहिए।
जिस समाज में अनुशासन और संयम न हो उस समाज का कभी विकास नहीं हो सकता।
पढ़ना तो हिंदी इंग्लिश जरूर है लेकिन अपने हो लिपि वारङ चिति लिपि को पढ़ना लिखना बहुत जरूरी है।
उससे भी जरूरी चीज है जब अपना हो इवेंट, प्रोग्राम हो तो हो भाषा में ही कोशिश करें कि संवाद ,संबोधन और आयोजन किया जाए।
आज जो देश सबसे शिखर पर है जैसे अमेरिका चीन जापान रूस फ्रांस जर्मनी।
यह देश इंग्लिश अंग्रेजी के बलबूते पर आज इतनी ऊंचाई पर नहीं है और ना ही दुनिया पर अंग्रेजी के बलबूते पर डंका बज रहे हैं।
इन देशों का अपना लिपि है उस लिपि के माध्यम से ही आज इतना आगे बढ़े हैं।
ऐसा नहीं है कि इनको इतना जल्दी कामयाबी मिला है इसके लिए उनको अपने भाषा पर निरंतर शोध और गहन अध्ययन के साथ साथ बच्चों और नागरिकों को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित और प्रचार के साथ शिक्षित किया गया।
यदि हम भी इसी तरह अपने लिपि वारंङ चिति पर निरंतर शोध और व्यापक प्रचार के माध्यम से प्रोत्साहित और प्रचार किया जाए तो हम भी आज भले ही अंग्रेजी माध्यम के बच्चों से हमारे बच्चे 100 साल पीछे रह जाए लेकिन एक दिन ऐसा समय आएगा जब हमारे बच्चे उनसे अधिक भौतिक विकास के मामले में आगे होंगे।
वक्त दो तो वक्त हमें देगा।
जोहार।
Eshu eshu bitiyem