देवी कैकेयी और उनका उज्ज्वल चरित्र। वाल्मीकि रामायण, अयोध्या कांड। आचार्य अंकित प्रभाकर
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- Опубликовано: 1 июл 2024
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आपके सुन्दर वैदिक उपदेश से आधुनिक सामाजिक अच्छा लाभ हो रहा है क्योंकि अंधविश्वास से मुक्त स्पष्ट भाषा का प्रयोग होता है आपको सत सत नमन 🌹🌹🙏🙏
हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो विश्वमार्यम 🚩 चरैवेति चरैवेति... । जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड 🚩
मुझे आर्य मुनि लिखित रामायण की पीडीएफ़ भेजने की कृपा करें ओ३म् 🚩
बहुत-बहुत साधुवाद।
Bhut achha
आपका धन्यवाद
Om Guruji namaste
नमस्कार गुरुजी
Pranam Acharya ji 🙏
Bahut sundar
आचार्य जी सादर नमस्ते अतिसुंदर प्रस्तुति 📝👌👌🎤👌👌🚩🕉️🌞🙏🙏🌺🌻🌹🌻🌺
🙏🙏
🙏🏻🙏🏻
ओम् , सादर प्रणाम आचार्य जी ।
AUM 🙏
ye classes reference ke liye bahut kam aa rahi hain...
यज्ञ में पत्नी को वाय तरफ़ बैठना चाहिए या दाए तरफ
ओ३म् नमस्ते आचार्य जी 🙏🏻
बालकाण्ड|सर्ग-३१|श्लोक-२० में जो संध्या यज्ञ की बात है वह स्वामी जगदीश्वरानंद सरस्वती जी की रामायण में नहीं मिल रहा है कृपया मार्गदर्शन करें।
🙏🙏