हमारे शरीर में आत्मा कहाँ रहती है? आत्मा का स्थान
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- Опубликовано: 25 ноя 2024
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दंडवत प्रणाम
सादर नमस्ते जी🌹🚩🙏🙏💐🌺🌹🌹♥️
ओउम् नमस्ते आचार्य जी
धन्यवाद आचार्य अंकित जी
Dhanyvad
बहुत अछा परवचन धन्यवाद जी नमसते जी
Dhanyavad good janakari
Jai shree radha krishna gurudevji aapko koti koti pranam .❤ Thankyou gurudevji for your nice knowledge .❤
सादर नमस्ते आचार्य जी
Jai gurudev
great . i was not lntrested earlier to be frankjai Hind
Ati sunder.
Aacharya ji sadar pranam
Aapne aatma kaa sthan bahut acche dhang se samjhaya aapko bahut bahut dhanyavad pranayam guru ji
Ishar bhagati guru ki sewa gyan ki mala gal me
Achha satsang, sadhu ki sewa dya rakhiye mnn me
Tatav gyan se daag dho liye gyan rup ke jal me
Laga smadhi turiye pad ki aaga suje pal me
Dasme dwar pr khich kapali jit rok sas ki ho se.
thankyou for investigste soul position
Jai Shree Ram
Super sir
Bahut achhi jankari mili
ओम् तत् सत् 🎉
आत्मा आंखों के बीच के स्थान भ्रकुट्टी मैं रहती है🙏
ATMA EK WAHEM HAI
CHETNA RAHETI HAI
आचार्य जी सादर धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩
ओ३म्
Swamiji imagine prashnon ka Talaash Khoj rahi thi un Uttaran ko Sun kar samajh kar bada Anand aaya aapka bahut bahut dhanyavad
शरीर नहीं तो आत्मा कहाॅं जीव नहीं तो सृष्टी कहाॅं , जीव ही शिव का साक्षात्कार करना आत्मा की आवाज परमात्मा होने का दर्शन हैं !
आचार्य जी, नमन है. आपके विचारों को सुना. परमात्मा पूरे ब्रम्हाण्ड में व्याप्त है, कोई जगह खाली नहीं है, कहीं पर परमात्मा का अभाव नहीं है. परमात्मा सर्वत्र है. आत्मा शरीर में है. यदि हिर्दय में स्थित है तो पूरे शरीर में नहीं है, वहाँ उसका अभाव हो जायेगा. आत्मा सीमित है शरीर में है. परमात्मा असीमित है, विराट है. दोनों एक ही हैँ. यदि रसगुल्ला का उदाहरण लें तो एक बड़े से पात्र में चीनी का सीरा है, वह पूरा भरा है, उसमें रसगुल्ला है. यानि एक शरीर. अब रसगुल्ला के अन्दर सीरा है. जो अन्दर है वही सीरा बाहर बहुत ज़्यादा है. किसी भी काल में आत्मा का अभाव नहीं होता. तत्वचिंतामड़ी में दिया है कि आत्मा का आवागमन नहीं हो सकता, असम्भव है. आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है, अचल है, अडोल है. परमात्मा निराकार है, पूरे ब्रम्हाण्ड में व्याप्त है. यही निराकार पूरे शरीर में व्याप्त है. रोम रोम में बसा है. कृपया स्पष्ट करियेगा. धन्यवाद.
.
Yes sir aapki gyaan bilkul thik hai ...thanks..
Atma na ta nirakar na sakar hai na janam leti hai aur na Marti hai ,janam maran me to jeev phasa hua hai likin janam maran jeev ka nahi sharir ka hota hai jeev to in avshatauo ko mahsoos karta hai kyuki wah phasa hua hai man aur sharir ke bandhan me.av es video me ye mahasay bata rahe hai ki jeevatma mathe ke beech bhrakuti per hai to phir man ka vaas kaha per hai
Dhanywad achary ji bohot achha samjhaya aapne 🙏
श्री आचार्य जी को नमस्ते सादर प्रणाम
बुकुट्टी between eyes प्राण योगाभ्यास स्थल?
Bhut ashay sthit ka matalab
Excellent
Achary Ankit Pravakarji Sadare Namaste (Binod Kumar Dehury Odisha)
🌺🌸Very nicely explained.🌸🌺
Nice explanation. Thanks.
Jay Shree Krishna and good thanks 🙏🙏
समस्त प्राणीयों की जन्म से लेकर मृत्यु तक तीनों अवस्था में परिवर्तन के साथ आत्मा का संबंध युग निर्माण में जीवन का प्रमाण परमात्मा की सृजन शक्ती का ज्ञान है !
Nice expression 🙏🙏🙏
आदरणीय अंकित जी ,
सादर नमस्ते ।
आपके एक प्रवचन की टिप्पणी में मैंने आपसे अनुरोध किया था कि आत्मा एक पुल्लिंग शब्द है परन्तु आपकी वाणी में इसे स्त्रीलिंग के रूप में प्रयोग किया जा रहा है ।
आज के आपके प्रवचन में आत्मा शब्द को पुल्लिंग रूप में उच्चारित किया जा रहा है सुनकर बहुत अच्छा लगा । बहुत बहुत धन्यवाद ।
फिर भी कहीं-कहीं स्त्रीलिंग के रूप में भी प्रयुक्त हो रहा है ।
कृपया इस ओर ध्यान दीजिएगा आप जैसे विद्वान् व्यक्ति के श्रीमुख से आत्मा शब्द का उच्चारण पुल्लिंग रूप में ही
शोभा देता है ।
नमस्ते आचार्य जी
Aatamakianbutimakyhothi
हृदय का आपरेशन करके बदला जा सकता है परन्तु आत्मा को बदला नहीं जा सकता है।
Jai.ho
अच्छे कर्म के अनुसार जिस प्रकार कोई कार्य करते हैं , ऊर्जा के रूप में जो निकलती है , ,बपचन में ही अनाज के शक्ति हर मानव में बैठा देते हैं जो शरीर में ही रहते हैं !
🌺🌺🍀🙏🙏🙏🍀🌺🌺
Dhanya aapke is gyan dene ke liye Rameshwar😊
Correct explanation
🌷🙏🙏🌷
જયશ્રીગુરુદેવ
🌹🙏 बहुत ही सुन्दर व्याख्या की है
यह अनुभव करने पर ही समझ में आता है, और मैं इन सभी चारों अवस्था को अनुभव करती हुं
पंच तत्व जीव रूपें
ब्रह्म रूपें सृष्टी दर्शना
आत्मा रूपें परमेश्वरा
आत्मनो मध्यमपरिमाणत्वे घटादिवदनित्यत्वापत्ति:,अणुपरिमाणत्वे तु गङ्गायाम् निमग्नस्य समग्रशरीरेशैत्याद्यानन्दानुपपत्ति:,व्यापकत्वे च शरीरान्तरेपि सुखाद्यपलब्धि: स्यादिति सर्वथापि दोषग्रस्तत्वात् ऋषिदयानन्दीयं मतं सर्वथाप्यवैदिकत्वं सिद्ध्यति
Thanks
आपको सादर नमस्ते जी
Ati sunder
Nice🙏🏻🙏🏻
Waah 🥰
Jai bhoLe ...≤3
प्राण आत्मा का सारथी है तो मन विचारों का वाहक होने के कारण गति शक्ती का प्रमाण है और आत्मा प्राण तृप्ती के साथ स्थिरता प्राप्त होते मानव जीवन में जन्म और मृत्यु के साथ जीवन का प्रमाण है !
Wow nice
।।ओ३म्।। नमस्ते आचार्य जी।।
परमादरणीय सप्रेम सादर वंदना।
क्या जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति , तुरिया तथा तुरीयातीत ये पांच अवस्थाएं मन की है या आत्मा की है?
क्या ईश्वर भी जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति अवस्था ओं से प्रतिबंधित है?
क्या आपके शरीर में उपस्थित आत्मा कभी सोती है, या जागती है या स्वप्न देखती है?फिर इन अवस्थाओं का वर्णन करने वाला कौन ?
आपके अनुसार जब आत्मा गहरी सुषुप्तावस्था में होती है तब यह कौन कह रहा है कि आज मुझे बहुत गहरी नींद आयी।गहरी नींद की अवस्था में जाग्रत रहने वाली सत्य चेतन सत्ता ही इस गहरी नींद की अवस्था को जान रही होती है। आत्मा कभी भी नहीं सोती है। आत्मा प्रतिक्षण प्रतिपल शरीर की अवस्था के अनुसार निरन्तर जाग्रति की दशा में रहती है।कृपया आप आत्मा की इस
स्थिति को स्पष्ट करने की कृपा करे।
क्या आपके अपने शरीर में रहने वाली आत्मा ने अपनी स्वयं की सुषुप्ति की दशा का अनुभव किया है? देखिये शास्त्री साहब जी शास्त्रीय ज्ञान लिखा पढी का ज्ञान बिल्कुल अलग है और उधार का ज्ञान है। परन्तु आत्मा/जीवात्मा/जीव किसी भी शरीर में रहते हुए कभीभी सोती/सोता नही है।
यह बात आपकी सत्य है कि समस्त शरीर धारियों के शरीरों मे आत्मा /जीवात्मा/जीव हृदय में रहती/रहती है।
आत्मा केवल मानव शरीर में है अन्य शरीरों में जीवात्मा या जीव है। परन्तु जीव जीवात्मा आत्मा ये तीन एक ही सत्य चेतन सत्ता है।मानव देह मे आत्मा अधिक जाग्रति की स्थिति में है इसलिए आत्मा है।मानवदेह के अतिरिक्त अन्य शरीरों में यह अज्ञानता वस जीव या जीवात्मा है।
सप्रेम सादर नमस्कार जी।
आत्मा आनंदमय कोस मे है जो तरंगो के रूप मे विद्यमान है। जब हम गुरुचक्रा मे द्रष्टा भाव से शिव और शक्ती के मिलने के समय आनंदमय कोस का ऐक्टीव होने और धारापर्वाह का साक्षात्कार होता है।
आत्मा शरीरका पवित्र स्थान पर विराजमान होने के कारण भृकुटीके बीचमे आत्माका निवास स्थान है।
हृदय यनि कि दिल?
स्वर्गलोक , भू लोक , पाताल लोक जीव सृष्टी के साथ आत्मा और परमात्मा की सृजन शक्ती का प्रमाण है !
😊😊
Ll
😊O😊😊
You are a good orater thanx for soul existance in our body
सादर प्रणाम,महाराज जि कुछ ध्यान योग के बारे सटीक जानकारी देने की कृपा करें।कोई कहता है। भृकुटि में,कोई हृदय में,कोई नाभि में।कोई सहस्त्रार में।आप करते होंगे।प्राप्त भी किया होगा,कृपया जरूर बताएं।बड़ी कृपा होगी।
जहां कोई नहीं पहुंचा है वहां आपके आचार्य जी पहुंच चुके हैं पहली बात की आत्मा तो हम लोग देखे नहीं लेकिन आपका आचार्य जी देखें हम लोग तो वह जगह देख नहीं की आत्मा कहां रहती है आपका आचार्य जी उसे आत्मा तक टहल के आए हैं वहां घूमने गए थे आप लोगों ने इसी आधार पर अनहोनी को होनी बना दिया की पांचो तत्व के संयोग से सब कुछ हो रहा है जब ए पांचो टूट जाएंगे तब मृत्यु हो जाएगी पांचो तत्व जो है पूरे शरीर के सर्वांग में रहता है जिस अंग से हवा कम हुई वहां लगवा जो भी तत्व काम हुआ इस तत्व के अभाव में वह रोग पैदा हो जाता है
Very nice.
🙏🏻
अति सुन्दर
बौतब
Tatha Ishtar byaptam Algol Bramande
Tatha Iswar swaroop atma
Sampurna sharire
L
बहुत सुंदर व्याख्या आपने की है🙏 यह जानना सबको अनिवार्य है । मैं आध्यात्म से जुड़ी तो स्वर्वेद ग्रन्थ के अध्ययन से अनेकानेक विषयों की जानकारी मिली जो सदगुरु सदाफल देव जी 17 वर्षों की साधना द्वारा अनुभव परक वाणी है ।🧘
Kindly share your thoughts with us
Behan kiran prasadji.... Kindly share your thoughts with us...
सर्वस्य चाहम् हृदि संनि विष्टो
गीता अध्याय-15 श्लोक_15
जिस तरह बिजली का पावर स्टेशन होता है उसी तरह आत्मा हृदय मे रहता ह पावर स्टेशन थे बिजली सभी जगह प्रसारित होती है वैसे आत्मा की शक्ति शरीर मे प्रसारित होती है
ऐसा मेरा मन्तव्य है
यह उदाहरण सटीक है जिस तरह बिजली का पावर स्टेशन होता है इस तरह आत्मा हृदय में होता है और वैसे आत्मा की शक्ति शरीर में प्रसारित होते रहते हैं जिस भाई ने उदाहरण दिया बिजली का यह एक सटीक है।
Namaste acharya ji
अधूरा ज्ञान विष से भी ज्यादा भयंकर होता है। आप को खुद नहीं पता आत्मा कहां रहती है।
आप बता दीजिये।
पूरा ज्ञान तो किसी को नहीं होता
आनंद ही आत्मा है आत्मा शरीर में किसी एक स्थान पर नहीं रहती शतक चिंतन घनानंद राशि
जय दुःख में होता है तब उसकी अवस्था को बताया जाय कृपया।
🚩जय भारत।
🙏🙏
🌞🕉️🌻🚩🙏🙏🙏
आतमा ढुंनने वाला कोन हैं
Very very interestingly presented. ❤❤❤
V good
Namaskar Acharya ji
At.
🙏😭❤️😀👍👑💕🌟
अंतःकरण वृत्ति जब आखो मे होती है तब जाग्रत अवस्ता होती है ।
❤
Ram Ram Jie
Aatma behoshi kaha rahti hai
🙏🙏🙏👌👌👌👏👏👏👏👏👏👏👏👏🙏🙏🙏
I am svm sidh divy dirsti sye purn
अतिसुदंर
👉 👉 👉 🕉 🛐 👌 🕉 🛐 👌 🕉🛐 👌 🕉 🛐 👌
Soul is a Suxma particle of cosmic energy it's location is our brain. One of the most bright neurons in our brain is a soul or Aatmaa. It is work like a battery and its light runs through our astral body. Astral body charge by soul. Astral body change its Svarup after death but soul or battery remain same. This is Sanatan satya .
बहूअछागयानदीयाआपनेमतोधनयहोगयाएसाबीडीयोदीखातेरहीये
तुर्या अवस्था मे आत्मा कहा रहती हैं?
तूर्या अवस्था पर विशेष मार्गदर्शन करे,🙏🙏🙏
निंद्रा अवस्था और निंद्रा खुलना ब्रह्म मुहूर्त का साक्षात्कार आत्मा के साथ परमात्मा शक्ती का ज्ञान है !
आत्मा का स्वरूप कैसा है?
आत्मा का मूल स्थान ह्रदय के खाली स्थान में स्थित है।
Hruday ka ghar hey .
Turya avastha me kaha rahetha hai athma 🌹🌹👏
Namaste ji 🙏
जब किसी शरीर का आपरेशन होता है तब आत्मा कहां और किस अवस्था में रहती है।
Soti.hai