Jaijinendraji pt.ji💯💯👍👍⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐aapke to hr pravchan m maal hi maal bhra h Khi jaane ki kuch krne ki jarurat nhi h bs apne hi najdeek rhna h Tabhi y jeevan sarthak h🙏🙏🙏
Bahut Bahut sundar Aaha. ha.. kya sunder, bhaisab mai to janm se swetamber dera wasi hun magar ab Pujya sri Dada ke v Aapke vyakhyan sunkar dil se Digmber ho gya hun. ek bar Dada ke darshan karlu... bas Dhanpat Mehta, Jodhpur, Bombay. Jai Jinendra sa.
Jisaka bhavaling hota hai vusaka niyam se dravy ling hota hee hai. Lekin jisaka sirph dravy ling hota hai vusaka bhavaling hobhi sakata hai aur nahi bhi ho sakata hai.
Samyak darshan ke bina jo vrat lete hai vunakeliye sansar hai. Jo samyak darshan ke sath vrat leke ant me samadhi maran karega vo niyam se 8 bhavonke andar mokshy jayega ( bhagavati aaradhana) samyak drushti puny kamaleta hai lekin puny ki phal me aasakt nahi hota. Vunako vus raste se gujarana padata hai lekin paramparase vo moshy jata hai.
[21/07, 14:35] किरण: योगामृत-उपाध्याय-श्री-निर्णय-सागर-जी-महाराज. ४९.एक-समय-में-एक-ही-उपयोग-हो-सकता-है..मतलब-अशुभोप्योग-है..तोह-शुभोप्योग-नहीं-हो-सकता,और-शुद्धोप्योग-से-शुभोप्योग-का-निरोध-होता-है...,अशुभोप्योग-को-त्याग-शुभोप्योग-में-प्रवर्ती-करनी-चाहिए.. -(कुंद-कुंद का कुंदन-आचार्य विद्यासागर जी द्वारा संगृहीत(आचार्य कुंद-कुंद के द्वारा लिखे गए [21/07, 14:39] किरण: शुध्दोपयोगसे ही आनंद की अनुभूति होती हैं। एक समय का सार प्रत्यक्षात पर जोर हैं आनंदकी बात गौर से जाणो. धर्म्यध्यान प्रत्यक्ष अनुभूति होती हैं जीवात्मा अनादी अनंत शाश्वत सत्य है ।यह तो एक ही पुरुषोत्तम हैं पुज्यश्री वीरसागरजी की धार्मिक और सात्विक प्रवृत्तियों को प्रत्यक्ष जाणा हैं। कोई भी हो,,मुक्तिबोध और सच्चे आनंदकी अनुभूति में खुद को औरौको जाणकर मैं एक अखंडीत विश्वरूप दर्शन हैं। जैनभूगोल देखे तो पता चला कि मैं कौन हूँ मेरी श्रद्धा भक्ति की भावनाएं उमड आती हैं। प्रत्यक्षात अनुभूती मे मैं तो मुझेही देख जाण रहा हूँ. शुध्दोपयोग मे बहोत न रहते हैं हो तो शुभ भाव होते हैं. बहोत वैकल्पिक बाद अशुभ विचार. 1 मिनीट तो शुध्दोपयोग 2 मे शुभोपयोग होता हैं दो होते ही नहीं क्युं कीं सम्यक दर्शन ज्ञान कीं अनुभूती हैं ही तो प्रथम शुध्दोपयोग हीं फर्ज हैं .कुछ मुनीवर कहते हैं शुध्दोपयोग हैं ही नहीं, मिथ्यात्व ही हैं. कहने कीं सच्चाई जाणणा ही सच्चाई हैं और सच्चा आनंद तो खुद ही हैं.
Jsca
Jaijinendraji pt.ji💯💯👍👍⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐aapke to hr pravchan m maal hi maal bhra h
Khi jaane ki kuch krne ki jarurat nhi h bs apne hi najdeek rhna h
Tabhi y jeevan sarthak h🙏🙏🙏
Khub Khub anumodana
सभी परमात्माओ को सादर जय जिनेन्द्र नरेंद्र कुमार जैन जयपुर 🙏🙏🙏
Anumodana barmbar nice
Jai jinendra🙏v nice🙏👌👌
Bahut Bahut sundar Aaha. ha.. kya sunder, bhaisab mai to janm se swetamber dera wasi hun magar ab Pujya sri Dada ke v Aapke vyakhyan sunkar dil se Digmber ho gya hun. ek bar Dada ke darshan karlu... bas Dhanpat Mehta, Jodhpur, Bombay. Jai Jinendra sa.
Bahut bhadiya
❤🎉🎉
❤🎉🎉 42:08
Bhakt se hi bhagavan ban sakate hai. Pahale bhakt bano phir bhagavan bano
k
🥀👍🏼👍🏼🥀
🌠🌠🌠😇🙏
🙏🙏🙏👌
Jisaka bhavaling hota hai vusaka niyam se dravy ling hota hee hai. Lekin jisaka sirph dravy ling hota hai vusaka bhavaling hobhi sakata hai aur nahi bhi ho sakata hai.
Panch
Samyak darshan ke bina jo vrat lete hai vunakeliye sansar hai. Jo samyak darshan ke sath vrat leke ant me samadhi maran karega vo niyam se 8 bhavonke andar mokshy jayega ( bhagavati aaradhana) samyak drushti puny kamaleta hai lekin puny ki phal me aasakt nahi hota. Vunako vus raste se gujarana padata hai lekin paramparase vo moshy jata hai.
Kaha par ha ye mumukshu?
[21/07, 14:35] किरण: योगामृत-उपाध्याय-श्री-निर्णय-सागर-जी-महाराज.
४९.एक-समय-में-एक-ही-उपयोग-हो-सकता-है..मतलब-अशुभोप्योग-है..तोह-शुभोप्योग-नहीं-हो-सकता,और-शुद्धोप्योग-से-शुभोप्योग-का-निरोध-होता-है...,अशुभोप्योग-को-त्याग-शुभोप्योग-में-प्रवर्ती-करनी-चाहिए..
-(कुंद-कुंद का कुंदन-आचार्य विद्यासागर जी द्वारा संगृहीत(आचार्य कुंद-कुंद के द्वारा लिखे गए
[21/07, 14:39] किरण: शुध्दोपयोगसे ही आनंद की अनुभूति होती हैं। एक समय का सार प्रत्यक्षात पर जोर हैं आनंदकी बात गौर से जाणो. धर्म्यध्यान प्रत्यक्ष अनुभूति होती हैं जीवात्मा अनादी अनंत शाश्वत सत्य है ।यह तो एक ही पुरुषोत्तम हैं पुज्यश्री वीरसागरजी की धार्मिक और सात्विक प्रवृत्तियों को प्रत्यक्ष जाणा हैं। कोई भी हो,,मुक्तिबोध और सच्चे आनंदकी अनुभूति में खुद को औरौको जाणकर मैं एक अखंडीत विश्वरूप दर्शन हैं। जैनभूगोल देखे तो पता चला कि मैं कौन हूँ मेरी श्रद्धा भक्ति की भावनाएं उमड आती हैं।
प्रत्यक्षात अनुभूती मे मैं तो मुझेही देख जाण रहा हूँ. शुध्दोपयोग मे बहोत न रहते हैं हो तो शुभ भाव होते हैं. बहोत वैकल्पिक बाद अशुभ विचार.
1 मिनीट तो शुध्दोपयोग 2 मे शुभोपयोग होता हैं दो होते ही नहीं क्युं कीं सम्यक दर्शन ज्ञान कीं अनुभूती हैं ही तो प्रथम शुध्दोपयोग हीं फर्ज हैं .कुछ मुनीवर कहते हैं शुध्दोपयोग हैं ही नहीं, मिथ्यात्व ही हैं.
कहने कीं सच्चाई जाणणा ही सच्चाई हैं और सच्चा आनंद तो खुद ही हैं.
Ashakti chhodo.
Jsca
❤🎉