Zubaan-e- Ishq - Nazeer Akbrabadi

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  • Опубликовано: 25 ноя 2024

Комментарии • 19

  • @FaridUlIslam-co2ys
    @FaridUlIslam-co2ys 6 месяцев назад

    Now still ganga and jamuna both are floating distributing life and civilization! Muzaffer Ali is the legacy of living with togetherness! Urdu poetry is incomplete with out Agra and Nazir akberabadi!

  • @ShodhikaSharma
    @ShodhikaSharma 6 лет назад +5

    thanks to Muzaffar Ali ji for making this soul nourishing work on noted poet of Agra Nazeer sahab.. I struggle to understand urdu-farsi.. but this work and rendition by all the artists of Nazeer sahab's nazms/poems was spell binding... truly enriching... many thanks for this work. thanks to doordarshan for bringing it to us viewers. :)

  • @pradeepbagde1278
    @pradeepbagde1278 4 года назад +2

    मैंने अपने छात्र जीवन मे नज़ीर अकबराबादी साहब की रोटियां पढ़ी थी। उन दोनों में स्कूल का छात्र था। उर्दू भाषा का कोई ज्ञान नही था लेकिन रोटियां पढ़कर ऐसा लगता था जैसे यह सब बहुत आम सी है। अर्थात आम लोगों को भी समझ आती थी उनकी नज़्में।

  • @deepadevi908
    @deepadevi908 Год назад

    एक था दूर दर्शन। घर बैठे अदब, तहज़ीब से पहचान कराता था। आज की नौजवान पीढ़ी, सिर्फ ज़हरीले सीरियल देख कर बड़ी हो रही है और बच्चे वीडियो गेम,पोर्न , और स्कूल में इसका मज़ाक, गुटबंदी करते हैं। घर में जाति, धर्म, स्वार्थ, यही तहज़ीब है।

  • @kingstonschoolatd
    @kingstonschoolatd 6 месяцев назад

    ایک عظیم شاعر ❤❤❤❤

  • @ramsharma77335
    @ramsharma77335 4 года назад +1

    नज़ीर साहब का कोई सानी नहीं

  • @Ahmed_Raza_Ahmed_45
    @Ahmed_Raza_Ahmed_45 10 месяцев назад

    Bhut khub

  • @drhassannagrami9643
    @drhassannagrami9643 8 лет назад +1

    Wah ... thanks for uploading

  • @zafaraalamhashmi1337
    @zafaraalamhashmi1337 Год назад

    नजीर के कलाम पर बहुत काम होना बाकी है क्लासिकल फनकारो मोसीकारो से गुजारिश है कि इन की गजलों कलाम और शायरी को अपने फन से सवांरे इसपर काम करे यह शायर गरीब व आम लोगों का शायर हैं

  • @mohdashraf1643
    @mohdashraf1643 2 года назад

    عمدہ

  • @rajeshkumarsanghai
    @rajeshkumarsanghai 2 года назад

    एहतेशाम हुसैन _ उर्दु साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास

  • @mohdhasan9857
    @mohdhasan9857 4 года назад +1

    ले आईने को हाथ मे और बार बार देख़।
    सुरत में अपने कुदरते परवरदिग़ार देख़।

  • @gauravshaw9321
    @gauravshaw9321 2 года назад

    अति सुन्दर।

  • @shadabkhan-go3pn
    @shadabkhan-go3pn 6 лет назад +1

    Ye tha mera bharat

  • @sunitasummi1707
    @sunitasummi1707 6 лет назад

    Bahut Khub 😄

  • @MohdRizwan-ix3fy
    @MohdRizwan-ix3fy 6 лет назад

    Bahot khoob

  • @Gosiya786
    @Gosiya786 4 года назад

    Thank you

  • @rabiamohal8446
    @rabiamohal8446 7 лет назад

    great job

  • @vikashvishwakarma6172
    @vikashvishwakarma6172 10 месяцев назад

    मैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय में