Now still ganga and jamuna both are floating distributing life and civilization! Muzaffer Ali is the legacy of living with togetherness! Urdu poetry is incomplete with out Agra and Nazir akberabadi!
thanks to Muzaffar Ali ji for making this soul nourishing work on noted poet of Agra Nazeer sahab.. I struggle to understand urdu-farsi.. but this work and rendition by all the artists of Nazeer sahab's nazms/poems was spell binding... truly enriching... many thanks for this work. thanks to doordarshan for bringing it to us viewers. :)
मैंने अपने छात्र जीवन मे नज़ीर अकबराबादी साहब की रोटियां पढ़ी थी। उन दोनों में स्कूल का छात्र था। उर्दू भाषा का कोई ज्ञान नही था लेकिन रोटियां पढ़कर ऐसा लगता था जैसे यह सब बहुत आम सी है। अर्थात आम लोगों को भी समझ आती थी उनकी नज़्में।
एक था दूर दर्शन। घर बैठे अदब, तहज़ीब से पहचान कराता था। आज की नौजवान पीढ़ी, सिर्फ ज़हरीले सीरियल देख कर बड़ी हो रही है और बच्चे वीडियो गेम,पोर्न , और स्कूल में इसका मज़ाक, गुटबंदी करते हैं। घर में जाति, धर्म, स्वार्थ, यही तहज़ीब है।
नजीर के कलाम पर बहुत काम होना बाकी है क्लासिकल फनकारो मोसीकारो से गुजारिश है कि इन की गजलों कलाम और शायरी को अपने फन से सवांरे इसपर काम करे यह शायर गरीब व आम लोगों का शायर हैं
Now still ganga and jamuna both are floating distributing life and civilization! Muzaffer Ali is the legacy of living with togetherness! Urdu poetry is incomplete with out Agra and Nazir akberabadi!
thanks to Muzaffar Ali ji for making this soul nourishing work on noted poet of Agra Nazeer sahab.. I struggle to understand urdu-farsi.. but this work and rendition by all the artists of Nazeer sahab's nazms/poems was spell binding... truly enriching... many thanks for this work. thanks to doordarshan for bringing it to us viewers. :)
मैंने अपने छात्र जीवन मे नज़ीर अकबराबादी साहब की रोटियां पढ़ी थी। उन दोनों में स्कूल का छात्र था। उर्दू भाषा का कोई ज्ञान नही था लेकिन रोटियां पढ़कर ऐसा लगता था जैसे यह सब बहुत आम सी है। अर्थात आम लोगों को भी समझ आती थी उनकी नज़्में।
एक था दूर दर्शन। घर बैठे अदब, तहज़ीब से पहचान कराता था। आज की नौजवान पीढ़ी, सिर्फ ज़हरीले सीरियल देख कर बड़ी हो रही है और बच्चे वीडियो गेम,पोर्न , और स्कूल में इसका मज़ाक, गुटबंदी करते हैं। घर में जाति, धर्म, स्वार्थ, यही तहज़ीब है।
ایک عظیم شاعر ❤❤❤❤
नज़ीर साहब का कोई सानी नहीं
Bhut khub
Wah ... thanks for uploading
नजीर के कलाम पर बहुत काम होना बाकी है क्लासिकल फनकारो मोसीकारो से गुजारिश है कि इन की गजलों कलाम और शायरी को अपने फन से सवांरे इसपर काम करे यह शायर गरीब व आम लोगों का शायर हैं
عمدہ
एहतेशाम हुसैन _ उर्दु साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास
ले आईने को हाथ मे और बार बार देख़।
सुरत में अपने कुदरते परवरदिग़ार देख़।
अति सुन्दर।
Ye tha mera bharat
Bahut Khub 😄
Bahot khoob
Thank you
great job
मैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय में