Bheji bahut hi mast kahani CH aapko koi bhi keise bhi comment kare par me aapki aawaj ko appke har gadwall ke sabd ko bahut hi pasad karti hu . aajkal eisi kahaniya kahan sunne ko milti hen . so aapka bahut bahut dhanyabad hamari bhasha ko jagruk rakhne ko
आदरणीय पंत जी, सादर नमस्कार। मैं मूल रूप से तहसील धारचूला के ग्राम कुटी का रहने वाला हूँ। तथा पिछले कुछ दिनों से आपका ये अद्बुत घसेरी चैनल देख व सुन रहा हूँ। और भाषा कम समझने के बावजूद मुझे आपकी ये कहानियाँ बहुत ही अच्छी लगती हैं। SIR जी माफ कीजिऐगा मुझे, मैं आपसे यह जानना चाहता हूँ कि आपके इन कहानियों का श्रोत क्या रहता हैं?
नमस्कार कुटियाल जी। कुछ कहानी बचपन में सुनी हैं, कुछ पढ़ी हैं और कुछ घसेरी से जुड़े तमाम साथी भेज देते हैं। कहानी के आखिर में उसके स्रोत की जानकारी भी दी जाती है। हो सकता है कि कुछ कहानियों में ऐसा न हो पाया हो। जहां तक गढ़वाली समझने की बात है तो इसलिए हर कहानी में हिन्दी में सब टाइटल दिये गये हैं। मुझे उम्मीद है कि आप कुमांउनी में कोई कहानी लिखकर भेजेंगे जिसे हम कुमांउनी में पढ़कर सुनाएंगे। आपका आभार।
नमस्कार पंत जी बहुत अच्छी कहानी थी दो शब्द अपनी तरफ से कहना चाहता हूं नाराज मत होना Chyala गढ़वाल में शिष्य के साथ-साथ पुरुषों को भी कहते हैं जैसे chyala - Byatula याने पुरुष और महिलाएं दूसरा Ghundu - ghundu fukke par kidan ni aee मतलब इतना नुकसान हो गया पर फिर भी अक्ल नहीं आई सॉरी पंत जी मैं आपको गलत साबित नहीं कर रहा हूं पर हो सकता है इनके दो दो अर्थ भी हो सकते हैं प्लीज नाराज मत होना धन्यवाद
सुनील जी नमस्कार। नाराज होने का तो सवाल ही नहीं है इसमें। मुझे तो अच्छा लगा कि आपने मुझे भी नयी बात बतायी। हम सबका काम अपनी लोकभाषा को बढ़ावा देना है। गढ़वाली के कई स्वरूप हैं और जगह के हिसाब से मतलब बदल जाते हैं। कुछ ऐसे भी शब्द हैं जिनके गढ़वाल में ही बहुत भिन्न अर्थ हैं। आणा पखाड़ों के साथ भी कुछ ऐसा ही है। मेरी पत्नी कई बार कुछ ऐसी गढ़वाली कहावतें बोल देती हैं जो मेरी समझ से भी परे होते है। मैं चोंदकोट का हूं और वह मनियारस्यूं की। उम्मीद है आगे भी इसी तरह से हमारा ज्ञानवर्धन करते रहेंगे।
@@ghaseri जी आपको पहचानता हूं आप syoli गांव के रहने वाले हैं शायद आप हमारे खास रिश्तेदार होंगे क्योंकि syoli से मेरी दादी थी दिल्ली में सुदामा प्रसाद जी त्रिलोचन प्रसाद जी मेरे चाचा जी लगते हैं मैं आपके गांव जा रखा हूं और मैं रिखणीखाल ग्राम कोटनाली का रहने वाला हूं
Hello sirji aapka khaani sunane ka tarika bht acha h. Pr jo aj aapne gadwali idoms ka meaning bataya wo shi nhi h. Uska shi meaning hota h ki bar bar kisi karya ka galat result aane pr bhi akkl na aana. Thanku.......
Bheji bahut hi mast kahani CH aapko koi bhi keise bhi comment kare par me aapki aawaj ko appke har gadwall ke sabd ko bahut hi pasad karti hu . aajkal eisi kahaniya kahan sunne ko milti hen . so aapka bahut bahut dhanyabad hamari bhasha ko jagruk rakhne ko
Bhut sunder kahani
Bahut Sundar Kahani
HA Ha Ha. Bahut Sundar Kahani
बहुत बेहतरीन प्रस्तुति,ये कहानी पहले नहीं सुनी, बहुत सुंदर कहानी
❤❤❤❤
Wah maja a Gaya
maza aa gaya
वाह! मज़ा आ गया सुनकर
Nice story
बहुत अच्छी कहानी थी।
मनोरंजक भी, और प्रेरणादायक भी।
बहुत सुन्दर
बहुत अच्छी कहानी💐💐💐💐
कहानी बहुत अच्छी लगी
धन्यवाद जी
सुंदर प्रस्तुति 🙏 🙏
Kahani bahut hi badhiya hai Kahani sunane ka tarika bahut hi uttam hai
But achi khani chai
बहुत सुंदर भैज्जी
Namaskar ji very good kahani bahji
Sir aap bahut achi story sunate ho mai aapki voice or aapki story or aapki to bahut badhi fan hu
🙏बढ़िया जी
Hn ji
घुन्ड घुन्ड फुकी, पर किड़ान नी आआयी। मतलब...... नुकसान काफी हो चुका .. मगर अहसास नहीं हुआ ।
Second like ..first comment...sabhi ko Mera pyaar bhara namaskaar....
Nmskar
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आदरणीय पंत जी,
सादर नमस्कार।
मैं मूल रूप से तहसील धारचूला के ग्राम कुटी का रहने वाला हूँ। तथा पिछले कुछ दिनों से आपका ये अद्बुत घसेरी चैनल देख व सुन रहा हूँ। और भाषा कम समझने के बावजूद मुझे आपकी ये कहानियाँ बहुत ही अच्छी लगती हैं।
SIR जी माफ कीजिऐगा मुझे, मैं आपसे यह जानना चाहता हूँ कि आपके इन कहानियों का श्रोत क्या रहता हैं?
नमस्कार कुटियाल जी। कुछ कहानी बचपन में सुनी हैं, कुछ पढ़ी हैं और कुछ घसेरी से जुड़े तमाम साथी भेज देते हैं। कहानी के आखिर में उसके स्रोत की जानकारी भी दी जाती है। हो सकता है कि कुछ कहानियों में ऐसा न हो पाया हो। जहां तक गढ़वाली समझने की बात है तो इसलिए हर कहानी में हिन्दी में सब टाइटल दिये गये हैं। मुझे उम्मीद है कि आप कुमांउनी में कोई कहानी लिखकर भेजेंगे जिसे हम कुमांउनी में पढ़कर सुनाएंगे। आपका आभार।
रस्सी जल गई .... अलग अर्थ बताया।
🙏🙏🙏🙏
नमस्कार पंत जी
बहुत अच्छी कहानी थी
दो शब्द अपनी तरफ से कहना चाहता हूं नाराज मत होना
Chyala गढ़वाल में शिष्य के साथ-साथ पुरुषों को भी कहते हैं
जैसे chyala - Byatula
याने
पुरुष और महिलाएं
दूसरा
Ghundu - ghundu fukke par kidan ni aee
मतलब इतना नुकसान हो गया पर फिर भी अक्ल नहीं आई
सॉरी पंत जी मैं आपको गलत साबित नहीं कर रहा हूं पर हो सकता है इनके दो दो अर्थ भी हो सकते हैं
प्लीज नाराज मत होना
धन्यवाद
सुनील जी नमस्कार। नाराज होने का तो सवाल ही नहीं है इसमें। मुझे तो अच्छा लगा कि आपने मुझे भी नयी बात बतायी। हम सबका काम अपनी लोकभाषा को बढ़ावा देना है। गढ़वाली के कई स्वरूप हैं और जगह के हिसाब से मतलब बदल जाते हैं। कुछ ऐसे भी शब्द हैं जिनके गढ़वाल में ही बहुत भिन्न अर्थ हैं। आणा पखाड़ों के साथ भी कुछ ऐसा ही है। मेरी पत्नी कई बार कुछ ऐसी गढ़वाली कहावतें बोल देती हैं जो मेरी समझ से भी परे होते है। मैं चोंदकोट का हूं और वह मनियारस्यूं की। उम्मीद है आगे भी इसी तरह से हमारा ज्ञानवर्धन करते रहेंगे।
@@ghaseri जी आपको पहचानता हूं आप syoli गांव के रहने वाले हैं
शायद आप हमारे खास रिश्तेदार होंगे
क्योंकि syoli से मेरी दादी थी
दिल्ली में सुदामा प्रसाद जी त्रिलोचन प्रसाद जी मेरे चाचा जी लगते हैं
मैं आपके गांव जा रखा हूं और मैं रिखणीखाल ग्राम कोटनाली का रहने वाला हूं
Hello sirji aapka khaani sunane ka tarika bht acha h. Pr jo aj aapne gadwali idoms ka meaning bataya wo shi nhi h. Uska shi meaning hota h ki bar bar kisi karya ka galat result aane pr bhi akkl na aana. Thanku.......
पखाणा कु मतलब आपन गलत बताई। घुन्डु घुन्डु फुकी पर किडयाण नि आयी मतलब काफी / बहुत हद तक नुकसान / बेइज्जती आदि होने पर भी न सुधरना या बाज न आना।
Hn ji
Hn ji