अष्टावक्र गीता 18.25 अनुवाद एवं व्याख्या | Ashtavakra Gita 18.25 Translation and Commentary
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- Опубликовано: 6 фев 2025
- अष्टावक्र गीता ऋषि अष्टावक्र और मिथिला नरेश जनक के बीच एक संवाद है। यह बाहरी संसार की पूर्ण असत्यता और अस्तित्व की पूर्ण एकता पर बल देने वाला ग्रन्थ है जो अद्वैतवादी दर्शन का प्रचार करता है। इस वीडियो में हम अष्टावक्र गीता के अध्याय 18 के श्लोक 25 का अध्ययन करेंगे।
The Ashtavakra Gita is a dialogue between the sage Ashtavakra and the Mithila king Janaka. It is a text emphasizing the absolute unreality of the external world and the absolute oneness of existence, which propagates monistic philosophy. In this video we will study Ashtavakra Gita Chapter 18 Shlok 25
शुभ प्रभात प्रणाम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम श्री वासुदेव सच्चिदानंद घन श्री नारायण श्री हरि ॐ नमः ॐ नमः शिवाय
Jai Shree Ram Krishna Hari 🙏
शुभ प्रभात प्रणाम राम राम राम राम राम राम राम राम राम हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
प्रणाम राम राम
Thank you very much 🙏🙏🙏 Shubham Bhavatu
🙏🏼🙏🏼
Stay blessed